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Monday, September 15, 2025
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हिमाचल के एयरपोर्ट्स रोमांचक भी है और खतरनाक भी, देखें

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश की तीन प्रमुख हवाई पट्टियों से टेक ऑफ और लैंडिंग रोमांचक अनुभव है। रोमांचक इसलिए कि पहाड़ों के बीच बनी एयरस्ट्रिप के पास बहुत खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। खतरनाक इसलिए क्योंकि ये पतली एयरस्ट्रिप्स हैं और आसपास या तो ढांक है या फिर पहाड़ी। इसलिए अनाड़ी पायलट्स या फिर एक छोटी सी चूक खतरनाक साबित हो सकती है।

कांगड़ा के गग्गल स्थित एयरपोर्ट (धर्मशाला, कुल्लू के भुंतर और शिमला के जुबलहट्टी स्थित एयरस्ट्रिप के कुछ वीडियो यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। नीचे देंखे डेली हिमाचल द्वारा कंपाइल किया गया वीडियो:

बजट सेशन के दूसरे ही दिन बीजेपी विधायकों का सदन से वॉकआउट

शिमला।। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा दिन हंगामेदार रहा। पिछले 4 सालों में वॉकआउट के लिए बदनाम हो चुके बीजेपी विधायकों ने एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में वॉकआउट कर दिया। गौरतलब है कि लगभग हर सत्र में बीजेपी विधायक वॉकआउट करते रहे हैं। संसद में जनता से जुड़े सवाल उठाने के बजाय और तथ्यों व तर्कों से सरकार की खबर लेने के बजाय इसी तरीके को अपनाया जाता रहा है। उम्मीद की जा रही थी कि बजट सेशन में ऐसा नहीं होगा, मगर फिर वॉकआउट कर दिया गया।

दरअसल प्रश्नकाल के दौरान प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई परियोजनाओं की लंबित डीपीआर को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने हुए। कैबिनेट मंत्री कौल सिंह ठाकुर के जवाब से असंतोष जताते हुए विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। कौल सिंह पर गलत जानकारी देकर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया गया। इस पर कौल सिंह ने विपक्ष को चुनौती दी कि अगर ऐसा है तो मेरे खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ले आएं। इसपर प्रश्नकाल खत्म होने के कुछ समय पहले ही सदन ने वॉकआउट कर दिया। इस साल बजट सत्र में बीजेपी का यह पहला वाकआउट है।

बीजेपी विधायक रविंद्र रवि ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनाओं की डीपीआर से जुड़ा सवाल किया था। उनका कहना था कि मंत्री ने लिखित उत्तर में आधी अधूरी जानकारी दी है। कृषि मंत्री सुजान सिंह पठानिया की अनुपस्थिति में स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश सरकार ने कृषि सिंचाई योजनाओं की अब तक 1857 डीपीआर केंद्र को भेजी हैं। इन डीपीआर में 7 मध्यम सिंचाई परियोजनाओं से जुड़ी हैं। 5667.54 करोड़ की इन सभी डीपीआर से लगभग 1 लाख 86 हजार 18 हैक्टेयर क्षेत्र सिंचित होना है। कौल सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को इन डीपीआरों को स्टेट टैक्निकल एडवाइजर कमेटी की मंजूरी के बाद भेजा गया है। मगर केंद्र ने इन्हें ठंडे बस्ते में डाला हुआ है। ये डीपीआर हिमाचल को वापिस भी नहीं जा रही हैं। केंद्र सरकार इन डीपीआर को लेकर गंभीर नहीं है।

कौल सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार से डीपीआर स्वीकृति करने बारे केंद्र से कई बार आग्रह भी किया गया। इस बाबत अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कई पत्र केंद्र सरकार को लिखे। लेकिन डीपीआरों को नामंजूर करके केंद्र सरकार पैसा जारी नहीं कर रहा है। भाजपा के महेश्वर सिंह ने अनुपूरक सवाल में कुल्लू जिला की प्रीणी-बिजली महादेव मध्यम सिंचाई परियोजना की लंबित डीपीआर का मुद्दा उठाया। लंबित डीपीआरों पर भाजपा विधायकों रविंद्र रवि और महेंद्र सिंह की कौल सिंह से नोकझोंक हुई। दोनों ने अधूरी डीपीआर भेजने का आरोप राज्य सरकार पर जड़ा। बाद में नारेबाजी करते हुए भाजपा विधायक सदन से बाहर चले गए।

यह भी पढ़ें: आदत से मजबूर होकर भाजपा विधायकों ने फिर किया वॉकआउट

…और धूमल ने एक बार फिर कर दिया वॉकआउट का ऐलान

(एमबीएम न्यूज नेटवर्क की इनपुट सहित)

सोलन की बेटी बलजीत कौर को एवरेस्ट फतह करने पर मिला रक्षा मंत्री मेडल

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, सोलन।। डिग्री कॉलेज सोलन की एनसीसी कैडेट बलजीत कौर को साहसिक कार्य के लिए रक्षा मंत्री पदक से सम्मानित किया गया है। इस बेटी की उपलब्धि से डिग्री कॉलेज का नाम हिमाचल में ही नहीं, बल्कि देशभर में रोशन हुआ है।

एनसीसी कैडेट बलजीत कौर ने 22 मई, 2015 को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था। बलजीत की इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रक्षा मंत्री पदक से सम्मानित किया। यह सम्मान डिग्री कॉलेज सोलन और पूरे प्रदेश को गौरवान्वित करता है।

बलजीत कौर
बलजीत कौर

बलजीत कौर ने आम ग्रामीण परिवार से संबंध रखने के बाद वीरांगना की भांति दुर्गम परिस्थितियों की परवाह किए बगैर इस मुकाम को हासिल किया जो कि पूरे क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरक बनकर उभरी हैं। वर्तमान में बलजीत छठे सत्र की छात्रा हैं, जिनका मुख्य विषय हिंदी है। वह मूल रूप से जिला सोलन की सतडोल पंचायत के पंजड़ोल गांव के अमरीक सिंह व शांति देवी की बेटी हैं।

एवरेस्ट फतेह करने के लिए पदक।
एवरेस्ट फतेह करने के लिए मिला पदक।

बलजीत ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने से पूर्व कड़ा परिश्रम करने के बाद प्रशिक्षण हासिल किया। 7जनवरी से 3 फरवरी 2015 तक दार्जलिंग में बेसिक कोर्स किया। हिमाचल प्रदेश के माउंट देऊ टिब्बा मनाली जिसकी ऊंचाई 6001 मीटर है, 20 मई से 25 जून 2015 तक चढ़ाई की। उत्तराखंड की माउंट त्रिशूल चोटी की चढ़ाई की, जिसकी ऊंचाई 7120 मीटर है। यह चढ़ाई बलजीत ने 25 अगस्त से 3 अक्टूबर 2015 तक पूरी की।

सोलन से हैं बलजीत
सोलन से हैं बलजीत

एक जनवरी से 30 जनवरी, 2016 तक सियाचीन ग्लेशियर में प्रशिक्षण प्राप्त किया। एक मार्च से 30 मार्च, 2016 तक डीजी एनसीसी परेड ग्राउंड नई दिल्ली में शारीरिक फिटनैस प्रशिक्षण प्राप्त किया। 31 मार्च से 7 जून तक विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की और 22 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया।

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देखें, ये हैं हिमाचल में HRTC के 5 सबसे खतरनाक रूट

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डेस्क।। हिमाचल प्रदेश रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन या एचआरटीसी हिमाचल प्रदेश की लाइफलाइन है। दुर्गम से दुर्गम इलाकों में एचआरटीसी की बसें लोगों को मुख्य धारा से जोड़ती हैं। कुछ इलाकों की भौगोलिक परिस्थितियां तो कुछ जगहों पर सरकारों की लापरवाही सड़कों को खतरनाक बना देती हैं। मगर इन खतरनाक रूटों पर भी HRTC के कुशल ड्राइवर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

देखें, HRTC के लिए हिमाचल के पांच सबसे खतरनाक रूट, डेली हिमाचल के सौजन्य से:

मौजूदा वित्त वर्ष के लिए मुख्यमंत्री वीरभद्र ने सदन में रखीं 3936 करोड़ रुपये की अनुपूरक अनुदान मांगें

शिमला।। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बजट सेशन के पहले दिन 3936.55 करोड़ की अनुदान मांगें सदन पटल पर रखीं और इन्हें पारित करने का अनुरोध किया। ये मांगें मौजूदा वित्त वर्ष (2016-17) के लिए हैं। गौरतलब  है कि 2016-17 का बजट पेश करते हुए पिछले साल सरकार ने 32 हजार 593 करोड़ का प्रावधान किया गया था। जब यह खर्च कम पड़ गया तो 3936 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान करना पड़ा।

पिछले साल सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए सरकारी खर्चों के लिए जो बजट तय किया था, उसके अलावा 3936 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है। इस तरह से 2016-17 में सरकार की देनदारियां 2015-16 के मुकाबले बढ़ गईं। 2015-16 में ये देनदारियां करीब 2200 करोड़ रुपये थी।

मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि वह फाइनैंशल इयर 2016-17 के लिए अनुपूरक मांगों की पहली और आखिरी किश्त पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये अनुपूरक मांगें कुल 3936 करोड़ 55 लाख रुपये की हैं। 2304 करोड़ 83 लाख का प्रावधान गैर-योजना स्कीमों, 502 करोड़ 78 लाख योजना और 1128 करोड़ 94 लाख रुपये का केंद्रीय प्रायोजित स्कीमों के लिए किया गया है।

अमानवीय: तेंदुए को मारकर चारों पंजे काट ले गए शिकारी

सिरमौर।। अक्सर आपने खबरें पढ़ी होंगी कि आदमखोर तेंदुए को मार गिराया गया, तेंदुए ने इंसान पर हमला किया, तेंदुआ बस्ती में घुसा। हमारे मन में पहली इमेज बनती है कि कितना खतरनाक जीव है। मगर ये तो बेचारे जानवर हैं और इनसे क्या उम्मीद की जाए। समझदारी की उम्मीद इंसानों से की जा सकती है, मगर अफसोस! कुछ लोग मानवता को कलंकित करने में जुटे हुए हैं।

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के नाहन में एक तेंदुआ मृत पाया गया है, जिसके शरीर में छर्रों के निशान हैं। यही नहीं, इसके चारों पंजे गायब हैं। घटनास्थल पर बंदूक के छर्रे भी पड़े हुए हैं। साफ है कि शिकारियों ने इस जीव को मार डाला और नाखूनों के पंजे काटकर ले गए।
चारों पंजे काट दिए हैं किसी ने

चारों पंजे काट दिए हैं किसी ने

वन विभाग ने पुलिस थाना नाहन में अज्ञात शिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया है और वन्य प्राणी अधिनियम के तहत छानबीन शुरू कर दी गई है। कौलांवालाभूड़ के वन आरक्षित क्यारी जंगल में गश्त के दौरान फॉरेस्ट गार्ड को यह तेंदुआ मृत मिला था।तेंदुए के शव में कीड़े पड़ गए थे। आशंका है कि किसी शिकारी इसकी जान ली है।

यह धरती जितनी हम इंसानों की है, उतनी ही अन्य जीवों की भी। आज हम सक्षम होकर हर जगह पहुंच बना चुके हैं। जंगलों में घर बना लिए, सड़कें बना दीं, तरह-तरह के निर्माण कर लिए। इससे अब तक कई जीव विलुप्त हो चुके हैं तो कई विलुप्त होने की कगार पर है। हमें चाहिए कि प्रकृति का सम्मान करें और अन्य जीवों को जगह दें। यह हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि हम इंसानों ने अपने लिए सब कुछ बदला है, ये जीवन जैसे सदियों पहले रहते थे, आज भी वैसे ही रहते हैं। मगर हमारी स्थिति क्या हो चुकी है, यह इस घटना से पता चलता है।

कंडक्टर भर्ती केस: FIR करने से बच रही पुलिस को कोर्ट का झटका

शिमला।। कंडक्टर भर्ती मामले में हिमाचल प्रदेश पुलिस को कोर्ट से झटका मिला है। शिमला पुलिस ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से आग्रह किया था कि यह मामला पूरे राज्य से जुड़ा हुआ है और यह प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट का केस है, ऐसे में इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी इसकी जांच नहीं कर सकते। मगर कोर्ट ने सोमवार को पुलिस की दलीलों को खारिज कर दिया।

मामला साल 2003-2004 में TMPA (कंडक्टरों) की भर्ती में नियमों को ताक पर रखने का है। इसमें कोर्ट ने पुलिस को उस वक्त के HRTC अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा था। पुलिस ने कोर्ट से अपने फैसले पर विचार करने की अपील की थी मगर इसे खारिज कर दिया गया है।

इसी महीने अदालत ने शिमला पुलिस को साल 2003-04 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हिमाचल पथ परिवहन निगम में हुई 378 ट्रांसपोर्ट मल्टीपर्पज असिस्टेंट (कंडक्टर) की भर्ती में तत्कालीन एमडी समेत पांच अधिकारियों पर मुकदमा करने के आदेश दिए थे। कंडक्टर भर्ती के चार साल बाद इस कथित गड़बड़ी की शिकायत तत्कालीन बीजेपी सरकार के कार्यकाल में 2007 में हुई थी। अब तक इस मामले में विजिलेंस दो बार जांच कर चुकी है।

विजिलेंस जांच में ये बातें आई थीं सामने
विजिलेंस जांच में पता चला कि भर्ती के लिए निगम ने विज्ञापन तो 300 पदों का दिया मगर चयन 378 का कर लिया। अकेले धर्मशाला डिवीजन से ही 147 का चयन हुआ और इनमें 73 लोग तत्कालीन परिवहन मंत्री जी.एस. बाली के विधानसभा क्षेत्र नगरोटा बगवां से और 32 तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की विधानसभा सीट रोहड़ू से थे। आरोप है कि भर्ती में डिविजन स्तर पर कोई भी मेरिट नहीं बनी और यहां तक कि भर्ती के दस्तावेजों में जमकर कटिंग और ओवर राइटिंग की गई थी।

वायरल हुआ मंडी शिवरात्रि मेले की मध्य जलेब में नाटी डालते लोगों का वीडियो

मंडी।। हिमाचल प्रदेश के मंडी शिवरात्रि मेले की मध्य जलेब का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस वीडियो में पारंपरिक वाद्ययंत्रों से साथ आगे बढ़ते लोग हिमाचली गानों पर नाटी डाल रहे हैं। इसमें एक लड़की भी नजर आ रही है जो हिमाचल के लोकनृत्य में मग्न है।

शिवरात्रि मेले के दौरान उत्सव का कैसा माहौल रहता है, इसी की एक झलक इस वीडियो में देखने को मिलती है। इस वीडियो को मंडी के यश राज ने अपनी टाइमलाइन पर शेयर किया है। देखें:

उन्होंने अपनी टाइमलाइन पर जलेब के कुछ अन्य वीडियो भी शेयर किए हैं जो रंगारंग हैं।

एक और वीडियो:

MWC 2017 में लॉन्च हुआ मोबाइल फोनों का बाप Nokia 3310

रविवार को HMD GLobal ने इसे ‘मॉडर्न ट्विस्ट’ के साथ Nokia 3310 को फिर से लॉन्च किया। इसकी कीमत 49 यूरो यानी करीब 3500 रुपये रखी गई है। भारत में इसकी बिक्री 2017 की दूसरी तिमाही यानी अप्रैल के बाद कभी भी शुरू हो सकती है।

कंपनी का दावा है कि यह 22 घंटे का टॉकटाइम देगा और 1 महीने तक स्टैंडबाइ मोड में रह सकता है। यह वॉर्म रेड और पीले रंगों में ग्लॉस फिनिश में मिलेगा। डार्क ब्लू और ग्रे कवर्स में यह मैट फिनिश में होगा इसमें माइक्रो-यूएसबी पोर्ट लगा है जिसके जरिए चार्जिंग की जा सकती है। इसमें स्नेक गेम भी है।

Nokia 3310 (2017) में 2 मेगापिक्सल का बैक कैमरा दिया गया है जिसके साथ फ्लैश है। 2.4 इंच का QVGA डिस्प्ले वाला यह फीचर फोन Nokia Series 30+ ऑपरेटिंग सिस्टम पर रन करता है। इसकी स्टोरेज 16MB है और 32 जीबी तक का कार्ड इसमें लगाया जा सकता है। 1200 mAh की रिमूवेबल बैटरी इसमें लगी है।

मंडी शिवरात्रि मेले की पहली स्टार नाइट में सुखविंदर का फ्लॉप शो

मंडी।। हिमाचल प्रदेश के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों को नजरअंदाज करके पंजाब या अन्य जगहों से कलाकारों को बुलाने का सिलसिला नया नहीं है। अक्सर प्रशासन स्थानीय कलाकारों को कम पैसे देता है और उनके कार्यक्रम में जल्दी ही निपटा देता है। स्टार नाइट्स में अन्य राज्य के कलाकारों को लाखों रुपये देकर बुलाया जाता है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि बड़े स्टार अपने साथ पूरा सिस्टम लेकर चलते हैं और ज्यादातर वक्त पहले से रेकॉर्ड गाने पर होंठ हिलाकर जनता को उल्लू बनाते हैं। अगर इनका सिस्टम बिगड़ जाए तो कलई खुल जाती है। प्रदेश के लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय मेलों में स्थानीय प्रशासन हिमाचल के कलाकारों को बजाय बाहर के कलाकारों को प्राथमिकता देता है। ऐसा मंडी में भी किया गया और बुरी तरह कार्यक्रम फ्लॉप हो गया।

अखबारों ने भी लिखा है कि अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की पहली सांस्कृतिक संध्या में शोर-शराबा ज्यादा रहा और मनोरंजन कम। पहला संध्या में पार्श्व गायक सुखविंदर सिंह को बतौर स्टार कलाकार बुलाया गया था। जैसे ही सुखविंदर सिंह मंच पर आए तो साउंड में दिक्कत आ गई। सिर्फ इंस्ट्रूमेंट का ही साउंड सुनाई दिया और गायक की आवाज गायब ही हो गई।

यह सिलसिला काफी देर चलता रहा और बीच में एक बार तो सुखविंदर ने ट्रैक ही सुना दिया और अपने सिर्फ होंठ हिलाते रहे। जब जनता ने हूटिंग की तो सुखविंदर ने इस बात को कबूल भी कर दिया और अपने साउंड असिस्टेंट को जमकर लताड़ लगाई। सुखविंदर ने बताया कि उनके साउंड इंजीनियर की तबीयत खराब हो गई और उनका असिस्टेंट सही ढंग से साउंड मैनेज नहीं कर पा रहा है।

पंजाब केसरी अखबार ने लिखा है कि माहौल को देख मायूस दर्शकों ने अपने घर का रूख करना बेहतर समझा दर्शक इस बीच ऐसे बैठे रहे जैसे किसी सत्संग में आए हों। बाद में मायूस दर्शकों ने अपने घर का ही रूख करना बेहतर समझा। बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन ने सुखविंदर सिंह पर लाखों रूपए खर्च किए हैं लेकिन बदले में जो मनोरंजन होना चाहिए था वह नहीं हुआ और सिर्फ शोर-शराबा ही सुनाई दिया।

यही नहीं, बीच में सुखविंदर के पैर के नीचे मंच पर कुछ आया तो उन्होंने ढंग से मंच बनाने की सलाह दे डाली। कोई शख्स फोटो खींच रहा था तो उसे उन्होंने कैमरा बंद करने की नसीहत दे डाली। कुल-मिलाकर कार्यक्रम में रायता फैला रहा।

हालांकि तकनीकी गड़बड़ी कभी भी किसी के भी साथ हो सकती है और यह भी संभव है कि इंतजाम सही न हों। मगर सोशल मीडिया पर चर्चा है कि हिमाचल के कलाकारों को प्रोत्साहन देना चाहिए क्योंकि वे बिना किसी आधुनिक साउंड सिस्टम के सिर्फ अपनी आवाज और वाद्य यंत्रों से समां बांधने की काबिलियत रखते हैं। अब सबको इंतजार है शिवरात्रि मेले की उस सास्कृतिक संध्या का जिसमें लमन बैंड प्रस्तुति देगा।