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Monday, September 15, 2025
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20 साल की उम्र में दुनिया की 7 बड़ी चोटियों पर तिरंगा फहरा चुकी हैं हिमाचल की आकृति हीर

कांगड़ा।। यह हैं आकृति हीर। आकृति भारत की पहली महिला हैं, जिन्होंने 20 साल की उम्र में यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रस को फतह किया है। कांगड़ा जिले के सुलियाली गांव की रहने वालीं आकृति ने 2012 में उत्तराखंड के नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेनीअरिंग से पर्वारोहण की ट्रेनिंग ली। उस समय आकृति ने गंगोत्री पीक की चढ़ाई पूरी की जिसकी ऊंचाई 16 हजार फीट है। उसी वक्त से पर्वतारोहण आकृति के जीवन का हिस्सा बन गया।

आकृति अब तक दुनिया के 7 चोटियों पर कामयाबी से चढ़ चुकी हैं। इन हिमाचल से बातचीत से में आकृति ने बताया कि मैं बचपन से ही कुछ अलग करना चाहती थी, इसलिए माउंटनीअरिंग को चुना। उन्होंने कहा, ‘मैं साल 2014 में माउंट एलब्रस पीक पर जाने का तय किया। इसकी ऊंचाई 18,510 फीट है। यहां जाने के लिए मेरे पास कोई स्पॉन्सर नहीं था। मेरे पैरंट्स ने इसके लिए 3 लाख रुपये का लोन लिया।’

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आकृति बताती हैं कि कहीं से उन्हें फाइनैंशल हेल्प नहीं मिल पाई। आकृति माउंट एलब्रस पर चढ़ाई के अनुभव याद करते हुए बताती हैं, ‘मैंने कई मुश्किलों का सामना किया। धूप से जलना, कम तापमान को सहना जो माइनस 40 डिग्री था। हवाएं तेज थीं, बर्फबारी हो रही थी और एक वक्त तो ऐसा आया कि मेरी बॉडी काम ही नहीं कर रही थी। मगर आखिर में मैंने कामयाबी हासिल की और चोटी पर तिरंगा फहरा दिया।’

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इस उपलब्धि के लिए आकृति का नाम लिमका बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में दर्ज हुआ है। आकृति कहती हैं कि अब उनका लक्ष्य दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का है। हिमाचल सरकार की तरफ से ‘ Pride of Himachal’ अवॉर्ड तो उन्हें मिला, मगर आकृति को शिकायत है कि और कोई हेल्प नहीं मिली। दरअसल आकृति के पैरंट्स माउंट एवरेस्ट में चढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते। इसके लिए उन्होंने माउंट एवरेस्ट के लिए क्राउड फंडिंग कैंपेन शुरू किया है।

दरअसल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का खर्च 20 लाख आता है। अगर आप अपनी तरफ से आकृति की सहायता करने के लिए किसी भी तरह का योगदान देना चाहते हैं तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके ऐसा कर सकते हैं।

https://www.bitgiving.com/aakritiheer/

IMPACT: अब और स्कूल-कॉलेज खोलने की जरूरत नहीं, गुणवत्ता लाऊंगा: वीरभद्र

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में बिना ठोस प्लानिंग के किए जाने वाले ऐलानों के खिलाफ ‘In Himachal’ ने हमेशा से मोर्चा खोला है। विभिन्न खबरों के जरिए हमने दिखाया कि कैसे लगातार स्कूल और कॉलेज खोलने के ऐलान तो हो रहे हैं, मगर वहां कैसी एजुकेशन मिल रही है, इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। इस संबंध में इन हिमाचल को विभिन्न लेखकों ने समय-समय पर अपने विचार भेजे और हमने उन्हें भी प्रकाशित किया। अब अच्छी बात यह है कि इनका प्रभाव होता नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ऐलान किया है अब और स्कूल या कॉलेज खोलने की जरूरत नहीं है या फिर कम है।

भोरंज में चुनाव प्रचार के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि विस्तार का चरण पूरा हो गया है और अब मैं गुणवत्ता पर ध्यान दूंगा। उन्होंने कहा कि आलोचना की जाती है कि वीरभद्र स्कूल पर स्कूल खोले जा रहे हैं, मगर मैं उन्हें बता दूं कि ऐसा इसलिए किए जा रहा है ताकि सबको, खासकर लड़कियों को शिक्षा मिले। उन्होंने कहा कि लोग बेटियों को पढ़ने के लिए दूर नहीं भेजते, घर के पास कॉलेज हो तो वहां बेटियां पढ़ रही हैं। वीडियो देखें:

हालांकि अब भी ‘इन हिमाचल’ मुख्यमंत्री की राय से इत्तफाक नहीं रखता कि स्कूल या कॉलेज खोलने की जरूरत बची ही नहीं है। क्योंकि हिमाचल प्रदेश में विविधता है और बहुत से इलाके ऐसे हैं जहां पर इनकी जरूरत हो सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि फैसले सोच-समझकर लिए जाएं। स्कूल-कॉलेज खोलने के साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि वहां अच्छी शिक्षा मिले। प्रफेशनल एजुकेशन के इस दौर में ऐसे कॉलेज खोले जाने की जरूरत है जो बच्चों को आज के कॉम्पिटीशन के दौर के हिसाब से तैयार कर सकें।

इन हिमाचल समय-समय पर शिक्षा को लेकर उठाता रहा है आवाज
‘इन हिमाचल’ को भेजे एक आर्टिकल में लेखक सुरेश चंबयाल ने लिखा था, ‘प्रदेश के लाखों स्नातक जम्मू-कश्मीर जाकर जिस दौर में B Ed करने जाते थे, उस दौर में हिमाचल सरकार कभी नहीं सोच पाई कि B Ed करने के लिए ऐसा क्या इन्फ्रास्ट्रक्टर चाहिए, ऐसी क्या सुविधाएं, कितना बजट चाहिए कि हमारे लोगों को बाहर जाना पड़ रहा है। वो लोग वहां से बीएड करके आए। फिर सरकारी टीचर लगने के लिए जहां एक अच्छा-खासा कमिशन का टेस्ट पास करना होता था, वहां राजा साब ने चंद तनख्वाह पर PTA के नाम से टीचर भी भर लिए। जिनका न टेस्ट होता था, न ढंग का इंटरव्यू सिर्फ स्कूल प्रिंसिपल और प्रधान तय करते थे कौन PTA में लगेगा।’ इस पूरे लेख को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

इसी तरह के अन्य लेख में आशीष नड्डा ने शिक्षा नीति पर बात करते हुए लिखा था, ‘पहले 15 गांवों का इकलौता स्कूल था, जहाँ ख़ुशी-ख़ुशी बच्चे दूर-दूर से पढ़ने आते थे। मगर अभ उस स्कूल के आसपास सबसे पहले दो प्राइमरी स्कूल खोले गए और वह भी डेढ़ से 3 किलोमीटर के दायरे में। यह दूरी भी बाइ-रोड मानी गई, जबकि पगडंडियों से ये स्कूल नजदीक पड़ते थे। यह किसके लिए हुआ? वोट बैंक के लिए और लोगों के तुष्टीकरण के लिए। एक-एक कमरे में 20-25 बच्चों के साथ यह स्कूल चलने शुरू हो गए। जो 7 टीचर एक स्कूल में थे, उन्हें इन स्कूलों में बांट दिया गया। अब हर स्कूल में औसतन 2 टीचर बचे। जो अध्यापक पहली से पांचवीं तक 40-50 बच्चों के एक बैच को ही पांच साल तक पढ़ाता था। वो अध्यापक एक वर्किंग डे में अब कभी फर्स्ट क्लास के 5 बच्चों को पढ़ा रहा था तो कभी उसी दिन तीसरी क्लास के 9 बच्चों को पढ़ा रहा था। मतगणना में जब उसकी ड्यूटी लगती थी तो स्कूल में उसकी क्लास की पढ़ाई बंद, क्योंकि एक ही टीचर बाकी बचता था। वो 5 क्लास कैसे पढ़ाए और क्या-क्या पढ़ाए?’ इस पूरे लेख को यहां क्लिक करके पढ़ें।

‘इन हिमाचल’ बिना शिक्षकों के या छात्रों की कमी के कारण बंद हो चुके स्कूलों की खबरें भी उठाता रहा है। अभी पिछले सप्ताह इन हिमाचल ने बताया था कि कैसे कई स्कूलों को बंद करना पड़ रहा है तो कुछ स्कूलों में बच्चों को सही शिक्षा नहीं मिल रही। उसके आखिर में इन हिमाचल ने लिखा था- ‘जिले के अधिकतर स्कूल ऐसे हैं, जहां पर या तो अध्यापक है ही नहीं या फिर एक-दो अध्यापकों के सहारे स्कूल चल रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि सर्वाधिक बजट का प्रावधान करने के बाद भी प्रदेश में शिक्षा का स्तर गिरता क्यों जा रहा है। इस सवाल पर सरकार को चिंतन करने की आवश्यकता तो है, लेकिन लगता है सरकार के पास चिंतन करने का समय नहीं है। सरकार का फोकस नए स्कूल खोलने के ऐलानों पर ज्यादा लगता है, क्वॉलिटी ऑफ एजुकेशन पर नहीं।’ पूरी खबर यहां क्लिक करके पढ़ी जा सकती है

विपक्ष ने तो शिक्षा को लेकर या स्कूलों की दुर्दशा को लेकर कब सवाल उठाए यह कहा नहीं जा सकता। क्योंकि बीजेपी की सरकार के दौरान भी शिक्षा को लेकर बहुत बदलाव हुआ हो, ऐसा देखने को नहीं मिला है। ‘इन हिमाचल’ की नीति रही है कि वह कभी किसी सरकारी या प्राइवेट संस्थान से सीधे विज्ञापन नहीं लेता ताकि निष्पक्षता और बेबाकी पर आवाज न आए। आगे भी हम इसी तरह से प्रदेश हित में अपने पाठकों और हिमाचल प्रदेश वासियो की मदद से स्टैंड लेते रहेंगे।

हिमाचली लोक गायक मस्त राम जी का 104 साल की उम्र में देहांत

कांगड़ा।। हिमाचल प्रदेश के लोक गायक मस्त राम अब इस दुनिया में नहीं रहे। पालमपुर में 104 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। आलमपुर के साई के रहने वाले मस्त राम अपने समय के शानदार लोकगायक थे। जिस दौर में मनोरंजन के साधन सीमित थे, लोगों को पता चलता था कि मस्त राम किसी कार्यक्रम में आ रहे हैं तो वे मीलों चलकर उन्हें सुनने पहुंचते थे।

पंडित प्रताप चंद शर्मा जी के लिखे गीत ‘ठंडी-ठंडी हवा झुलदी, झुलदे चीलां दे डालू’ को गाकर  मस्त राम ने प्रसिद्धि के नए आयाम छुए थे। उन्होंने 12 महीनों के ऊपर 12 माही गाना लिखा था। साथ ही उन्होंने पहाड़ी में मां ज्वाला की स्तुति में भी गीत (भजन) लिखे थे।

मस्तराम अपने पीछे 90 सदस्यों का परिवार छोड़ कर गए हैं। इनमें 6 पुत्र और 5 लड़कियां शामिल हैं। उनके 4 पुत्र ऊंचे पदों से सेवानिवृत्त हैं जबकि 2 बेटे सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं। अपने दौर में कई लोगों को गायन की तरफ प्रेरित करने वाली इस महान विभूति को इन हिमाचल की तरफ से सच्ची श्रद्धांजलि।

जुबिन नौटियाल के ‘ओ साथी’ की तरह ही सुपरहिट हुआ था नरेंद्र ठाकुर का ‘ओ रीनू’

इन हिमाचल डेस्क।। प्लेबैक सिंगर जुबिन नौटियाल का गाना ‘ओ साथी, ओ साथी’ धूम मचा रहा है। एमटीवी अनप्लग्ड के आठवें सीजन के लिए गाए इस गाने में बादशाह का हिंदी रैप भी है। इंटरनेट पर चर्चा है कि जुबिन का यह गाना हिमाचल के गाने ‘ओ रीनू, ओ रीनू’ की नकल है। दरअसल साल 2003-2004 में हिमाचल के गायक नरेंदर ठाकुर ने ‘ओ रीनू, ओ रीनू’ नाम का गाना लॉन्च किया था, जिसकी धुन और लीरिक्स जुबिन के ‘ओ साथी- ओ साथी’ जैसे ही हैं। इंटरनेट पर इस बात को लेकर चर्चा छिड़ी है कि कहीं यह हिमाचली गाने की नकल तो नहीं है।

जुबिन नौटियाल दरअसल जौनसार क्षेत्र से आते हैं। यह इलाका उत्तराखंड में देहरादून से लेकर हिमाचल प्रदेश तक है। यानी हिमाचल और उत्तराखंड मिलकर जौनसार की संस्कृति को साझा करते हैं। जुबिन का कहना है कि इस गाने को वह बचपन से सुनते आए हैं और उनके पिता के दोस्त और जौनसारी सिंगर खजान दत्त शर्मा ने इसे तैयार किया था। वहीं आज से करीब 10-12 साल पहले नरेंद्र ठाकुर ने जब ओ रीनू, ओ रीनू लॉन्च किया था उसके लीरिक्स पंकज गंधर्व ने लिखे थे और म्यूजिक एस.डी. कश्यप जी ने दिया था। यह गाना इतना हिट हुआ था कि इसकी 5 लाख कॉपियां बिकी थीं। नीचे सुनें यह गाना:

‘इन हिमाचल’ ने नरेंद्र ठाकुर से बातचीत की तो उन्होंने खुशी जताई कि जुबिन ने एमटीवी पर पहाड़ी गाना गाया है। उन्होंने कहा कि इस बात का तो कोई मतलब ही नहीं है कि गाना किसने पहले गाया या किसने बाद में गाया है। उन्होंने कहा, ‘पहाड़ी म्यूजिक को अगर नया आयाम मिलता है तो यह सबके लिए खुशी की बात है। यह प्रसन्नता की बात है कि जुबिन अच्छा कर रहा है और साथ ही पहाड़ी म्यूजिक को आगे बढ़ा है। पहाड़ी म्यूजिक जौनसार का हो या कहीं का भी हो, अपना म्यूजिक है और इसका आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने जुबिन को बधाई और शुभकामनाएं भी दीं। (जुबिन का गाना आर्टिकल के आखिर में है)

हिमाचल प्रदेश में नरेंद्र ठाकुर के गाने ओ रीनू, ओ रीनू को कई लोगों ने गाया है, मगर वे गाने इतने पॉप्युलर नहीं हुए जितना कामयाब गाना नरेंद्र ठाकुर का हुआ। रही बात इस गाने को आधुनिक ढंग से पेश करने की, दीपक जंदेवा इसे साल 2015 में एक म्यूजिक वीडियो के साथ पेश कर चुके हैं। जुबिन का गाना काफी हद तक दीपक के गाए गाने से मिलता है। नीचे सुनें:

बहरहाल, जैसा कि नरेंद्र ठाकुर ने कहा, बात यह नहीं है कि गाना किसने पहले गाया, किसने बाद में, अहम यह है कि पहाड़ी म्यूजिक आगे बढ़ रहा है। इसमें विवाद करने की बात नहीं है बल्कि म्यूजिक को इंजॉय करना चाहिए और इस तरह की कोशिशों का प्रोत्साहन होना चाहिए। 🙂 सुनें जुबिन का गाना:

प्रैंक: जब लोगों से सरेआम कहा गया- यार तुम तो भैंस लग रहे हो

इन हिमाचल डेस्क।। पिछले दिनों हमने आपको दिखाया था शरारती हिमाचली प्रैंकस्टर kLoL Star का एक प्रैंक वीडियो, जिसमें उन्होंने मनाली मॉल रोड पर टूरिस्ट्स से मजे लिए थे। उन्होंने एक कॉन्टेस्ट के बहाने लोगों की आंखों पर पट्टी बांधी, कानों पर हेडफोन लगाया और नाचने को कहा। जब लोग नाचने में मशगूल हो गए थे तो उन्होंने सामने कपड़ा बिछाकर उसपे सिक्के गिरा दिए। जब लोगों ने आंखों से पट्टी खोली तो भारी भीड़ के बीच खुद को इस तरह से पाकर वे दंग रह गए। आज हम आपको इन प्रैंकस्टर्स का एक और मजेदार वीडियो दिखाने जा रहे हैं।

इस मजेदार वीडियो में वे लोगों से कह रहे हैं ‘भैंस लग रहे हो एकदम।’ यह सुनकर लोग हैरान रह जाते हैं कि उन्हें कौन सिरफिरा ऐसा बोल रहा है। मगर असल में इसमें ट्विस्ट है। प्रैंकस्टर्स में से एक बंदा लोगों के ठीक पीछे भैंस के सिर वाला मुखौटा पहने हुआ है। काला चश्मा लगाकर सामने से आने वाला बंदा कुछ इस अंदाज में डायलॉग मारता है कि सामने वालों को लगे कि उनके बारे में बात हो रही है। मगर बाद में वह आगे बढ़ जाता है और भैंस का मुखौटा लगाए शख्स से मिलता है।

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इस वीडियो को अब तक ढाई लाख लोग देख चुके हैं। वीडियो देखें और उसके नीचे हमने इनके पिछले प्रैंक के वीडियो का लिंक दिया है। आप उसके ऊपर क्लिक करके उसे देख सकते हैं। फिलहाल नया वीडियो देखें:

पिछला प्रैंक देखने के लिए यहां पर क्लिक करें

10 दिन के अंदर दूसरी बार 700 करोड़ रुपये का लोन लेगी हिमाचल सरकार

शिमला।। हिमाचल प्रदेश सरकार 10 दिनों के अंदर दूसरी बार 700 करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है। इससे पहले सरकार ने 14 मार्च को 700 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था।

 

इससे पहले हिमाचल सरकार ने जनवरी में 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। इस तरह से तीन महीनों के अंदर सरकार ने 2400 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया है। कुल मिलाकर हिमाचल प्रदेश पर अब करीब 45 हजार करोड़ रुपये कर्ज हो जाएगा।

 

हिमाचल सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देने का भी ऐलान किया है।
हिमाचल सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देने का भी ऐलान किया है।

 

वीरभद्र सरकार 27 मार्च को भारतीय रिजर्व बैंक के जरिये 700 करोड़ का लोन उठाने जा रही है। इसके लिए इसी रोज मुंबई में नीलामी प्रक्रिया सुबह साढ़े 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक आयोजित की जाएगी, जिसके नतीजे 29 मार्च को आएंगे। वित्तीय एजेंसियां इस प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकती हैं।

 

सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के तहत इस लोन को 29 मार्च, 2027 तक चुकता किया जाएगा। इसमें जो ब्याज की दरें होंगी, वे उसी दिन के आधार पर तय की जाएंगी। ब्याज दरें भी 29 सितंबर व 29 मार्च को चुकता की जाएंगी।

विक्रमादित्य सिंह को पायलट देने की तैयारी को लेकर राजनीति गर्म

शिमला।। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह को पायलट (एस्कॉर्ट) देने की चर्चाओं के बीच राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। भाजयुमो ने सवाल उठाए हैं कि एक तरफ तो मुख्यमंत्री वीआईपी कल्चर खत्म करने की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ उनके बेटे को नियमों को ताक पर रखकर पायलट देने की तैयारी की जा रही है।

दरअसल ‘दैनिक भास्कर’ अखबार की रिपोर्ट में कहा गया था कि विक्रमादित्य सिंह को राज्य सरकार की आेर से पायलट देने की तैयारी शुरू हो चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक इस मसले पर राज्य के गृह विभाग ने सोमवार को उच्च स्तरीय बैठक की है, जिसकी अध्यक्षता राज्य के प्रधान सचिव गृह ने की। इसमें गृह विभाग के आला अधिकारियों से लेकर पुलिस विभाग के आला अधिकारी मौजूद रहे।’

क्या होती है पायलट
आपने कभी मुख्यमंत्री या राज्यपाल की गाड़ियों का काफिला देखा होगा तो उसमें सुरक्षा की दृष्टि से कई गाड़ियां चलती हैं। इनमें सुरक्षाकर्मियों का वाहन भी होता है और वह आगे चलता है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में नियमों के अनुसार राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष आैर मुख्य न्यायाधीश के साथ नेता प्रतिपक्ष को ही पायलट मिलती है। बाहरी राज्यों या केंद्र से आने वाले नेताओं स्टेट गेस्ट के नाते भी यह मुहैया करवाई जाती है। विक्रमादित्य इनमें से किसी भी कैटिगरी में नहीं आते, ऐसे में ऐसी चर्चाओं पर सवाल उठना लाजिमी है।

अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा था, ‘पुलिस विभाग की आेर से सरकार के पास इन्हें पायलट देने से लेकर सुरक्षा की दृष्टि से अन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव मिला है। इस पर गृह विभाग ने मंथन शुरू कर दिया है। बैठक में सुरक्षा पर रिव्यू करने पर चर्चा तो हुई, लेकिन कैसे सुरक्षा मुहैया करवाई जा सकती है। इस पर पेंच अड़ रहा है। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर सुरक्षा नहीं दी जा सकती है। कैसे सुरक्षा दी गृह विभाग के अधिकारियों के लिए चुनौती यह है कि किन नियमों के तहत सुरक्षा के साथ पायलट की सुविधा दी जाए। इसके लिए काम करना पड़ रहा है।’

गौरतलब है कि सोलन में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा था कि मैं वीआईपी. कल्चर के खिलाफ हूं। उन्होंने कहा था, ‘जनता और वी.आई.पी. में फर्क नहीं होना चाहिए, जनता ही वी.आई.पी. बनाती है और अगली कांग्रेस सरकार बनने पर प्रदेश में वी.आई.पी. कल्चर समाप्त किया जाएगा।’

मुख्यमंत्री के इसी बयान और अखबार की रिपोर्ट के आधार पर भाजयुमो ने सवाल उठाए हैं। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले बीजेपी विधायक राजीव बिंदल ने आरोप लगाया था कि विक्रमादित्य सिरमौर दौरे पर पायलट इस्तेमाल कर रहे थे।

MTV पर आया जुबिन नौटियाल और बादशाह का पहाड़ी गाना

इन हिमाचल डेस्क।। आपको जुबिन नौटियाल याद हैं? उत्तराखंड के गायक जो आजकल बॉलिवुड में भी धमाल मचा रहे हैं। उनका एक गाना ‘झुमके-झुमके’ सुपरहिट हुआ था, जिसमें वह इस गाने को किसी कार्यक्रम में परफॉर्म कर रहे थे और स्टेज पर एक लड़की डांस करने लग गई, साथ में एक और शख्स भी था। यह वीडियो हिमाचल में भी सुपरहिट हुआ था।

अब जुबिन ने MTV Unplugged 8 के लिए ‘ओ साथी, तेरे चिट्ठी-पतरी आई न’ परफॉर्म किया है। जुबिन ने MTV Unplugged 8 के लिए जो गाना गाया है, वैसे तो वह उत्तराखंड का गाना है, मगर हिमाचल में भी इसी तरह की धुन वाला एक गाना है। हिमाचल में ‘ओ बांकी सजणी, तेरी चिट्ठी पतरी आई न’ नाम के गाने की धुन ऐसी ही है। इससे पहले ‘ओ नीरू’ नाम का गाना भी हिट रहा है।

देखें: जुबिन के ओ साथी से पहले सुपरहिट हुआ था नरेंद्र ठाकुर का ओ रीनू

दरअसल हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बहुत से गाने मिलते-जुलते हैं। हिमाचल के कुछ गाने उत्तराखंड (कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों के) के गानों प्रेरित हैं तो उत्तराखंड के कुछ गाने हिमाचल के गानों से। एमटीवी अनप्लग्ड की बात करें तो इसमें जुबिन ने बहुत खुबसूरती से पहाड़ी गाना गाया है।

अगर आप हिमाचल प्रदेश से हैं तो आपको शब्द समझने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। भले ही कुछ शब्द आपको समझ नहीं आएंगे, मगर पूरा कंपोजिशन खूबसूरत है। हल्के म्यूजिक के साथ जुबिन की आवाज ने इस गाने को नई पहचान दी है। साथ में बादशाह का रैप भी है। बादशाह हिंदी में रैप कर रहे हैं। वीडियो नीचे है:

यूट्यूब पर पहले नंबर पर ट्रेंड हो रहा है हिमाचल में शूट हुआ यह गाना, देखें

इन हिमाचल डेस्क।। मृदुल का गाना बेखबर सुपरहिट हो गया है। भारत में यूट्यूब पर यह गाना सबसे ऊपर ट्रेंड कर रहा है यानी सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है और सबसे ज्यादा देखा जा रहा है।

‘इन हिमाचल’ ने सबसे पहले बताया था कि अपूर्व मृदुल का गाना “बेखबर” रिलीज हुआ है। इस गाने के वीडियो में में हिमाचल के बिलासपुर की कशिका पटियाल ने शानदार ऐक्टिंग है। बरोट और मनाली की वादियों में इसे शूट किया है हिमाचल के राजीव ठाकुर के ‘स्नो लेपर्ड प्रॉडक्शंस’ ने। अब यह गाना यूट्यूब पर नंबर 1 पर ट्रेंड कर रहा है।

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अपूर्व मृदुल इस गाने के कंपोजर हैं और अल्तमश अली ने इसे आवाज दी है। गाने के बोल शरीक आसिर ने लिखे हैं। म्यूजिक वीडियो में हिमाचल की वादियों की खूबसूरती भी दिखती है। नीचे देखें:

हिमाचल की ज्योतिका दत्ता ने नैशनल फेंसिंग चैंपियनशिप में जीता गोल्ड मेडल

इन हिमाचल डेस्क।। यह हैं ज्योतिका दत्ता। हिमाचल प्रदेश के शिमला के रोहड़ू की रहने वाली ज्योतिका ने तलवारबाजी में एक बार फिर प्रदेश का नाम रोशन किया है। ज्योतिका दत्ता ने केरल के कन्नूर में 20 से 24 मार्च तक आयोजित अखिल भारतीय तलवारबाजी मुकाबले के फाइनल में बेहतरीन प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल जीता है।

ज्योतिका ने फाइनल मुकाबले में मणिपुर की विद्यावती को 15.8 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इस मेडल को जीतकर ज्योतिका ने टीम मुकाबले में उत्तरी भारत खेल प्राधिकरण को अखिल भारतीय तलवारबाजी स्पर्धा में दूसरा स्थान दिलाया।

ज्योतिका दत्ता
ज्योतिका दत्ता

अब तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में मेडल जीत चुकींज्योतिका हिमालयन रेंज के देशों के तलवारबाजी मुकाबलों के लिए भी क्वॉलिफाई कर गई है। ये मुकाबले अगले महीने मणिपुर में आयोजित होंगे। इनमें हिमालयन रेंज के देशों के खिलाड़ी हिस्सा लेंगे।