शिमला।। आय से अधिक मामले में झटका लगने के बाद बैकफुट पर आए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह चेन्नई चले गए हैं। सोशल मीडिया पर कुछ लोग जहां इस टाइमिंग पर सवाल उठा रहे हैं वहीं कुछ का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में विकास की गंगा बहा देने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री खुद अपनी आंखों का इलाज करवाने के लिए चेन्नई क्यों जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब मुख्यमंत्री ही इलाज के लिए प्रदेश से बाहर जा रहा है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति क्या है। प्रश्न उठाए जा रहे हैं जब सीएम को प्रदेश के अस्पतालों पर भरोसा नहीं है तो क्या यह जनता से खिलवाड़ नहीं है।
हिंदी अखबार अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अपनी आंखों का इलाज करवाने के लिए रविवार को चेन्नई के लिए रवाना हो गए। वह तीन अप्रैल को चेन्नई के एक जाने-माने अस्पताल में अपना इलाज करवाएंगे। वे चार अप्रैल को वापस नई दिल्ली लौटेंगे। इसी के बाद हिमाचल आएंगे।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री इससे पहले भी दांतों का इलाज करने के लिए चंडीगढ़ जाते रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर टेप कांड के बाद सीने में दर्द होने पर पीजीआई चंडीगढ़ में दाखिल हो गए थे। अन्य कई मंत्री भी इलाज के लिए प्रदेश और देश से बाहर जाते रहे हैं। इन दिनों मुख्यमंत्री भोरंज उपचुनाव के दौरान दावे कर रहे हैं कि आईजीएमसी, टांडा मेडिकल कॉलेज से लेकर चंबा और हमीरपुर में मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। मगर प्रदेश के मुखिया का छोटी-मोटी दिक्कतों के इलाज के लिए खुद बाहर जाना उनके ही दावों पर सवाल खड़े कर देता है।
इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश के प्रॉडक्शन हाउस “साइलेंट हिल्स स्टूडियो” द्वारा बनाई गई पहली हिमाचली फिल्म ‘सांझ’ का ऑफिशल ट्रेलर रिलीज़ हो गया है। 14 अप्रैल को यह फिल्म रिलीज होने जा रही है। यह फिल्म हिमाचली और हिंदी में रिलीज होगी। इस फिल्म में मोहित चौहान की आवाज में एक गाना भी है।
‘रिश्तों की सांझ’ नाम की इस मूवी में एक टीनेजर है, जिसका नाम सांझ है। शहर में रहने वाली सांझ के साथ कुछ ऐसा होता है कि उसके पिता उसे हिमाचल में अपने गांव में अपनी मां (सांझ की दादी) के पास छोड़ जाते हैं। ऐसा क्या हुआ था सांझ के साथ, यह तो आप ट्रेलर में देख सकते हैं मगर आगे की कहानी जानने के लिए फिल्म देखनी पड़ेगी।
इस फिल्म को अभी तक देश-विदेश में कुछ मूवी फेस्ट्स में शोकेस किया जा चुका है जहां यह खूब तारीफ बटोर चुकी है। रिश्तों के ताने-बाने पर बनी यह मूवी हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में शूट हुई है। हिमाचल के अजय सकलानी की इस मूवी इसमें भावनाओं के साथ-साथ हिमाचल की मनभावन संस्कृति की भी झलक देखे को मिलेगी, ऐसी उम्मीद है। मूवी तो 14 अप्रैल को रिलीज होगी, फिलहाल ट्रेलर देखें:
हिमाचली ट्रेलर
हिंदी ट्रेलर
टीजर
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हमीरपुर।। भोरंज उपचुनाव के लिए प्रचार करने पहुंचे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के एक बयान से लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। दरअसल प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उस दौर के अनुभव साझा कर रहे हैं जब दिवंगत नेता आईडी धीमान सराहन में हेडमास्टर थे। वीरभद्र सिंह दावा कर रहे हैं कि धीमान बच्चों को नकल करने से नहीं रोकते थे।
गौरतलब है कि बीजेपी ने के वरिष्ठ नेता और कई बार शिक्षा मंत्री ईश्वर दास धीमान का निधन होने के बाद ही भोरंज सीट पर उपचुनाव हो रहा है। यहां से बीजेपी ने आईडी धीमान के बेटे डॉक्टर अनिल धीमान को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने प्रमिला देवी को टिकट दिया है।
अमर उजाला अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को वीरभद्र सिंह ने कहा, ‘मेरे पैतृक गांव सराहन में आईडी धीमान हेडमास्टर रहे हैं, लेकिन उनका स्कूल के टीचरों पर कोई कंट्रोल नहीं था। परीक्षा में बच्चे नकल कर रहे होते थे तो उन्हें भी अनदेखा कर देते थे। स्वर्गीय धीमान के समय सराहन स्कूल का परिणाम सौ फीसदी रहा, लेकिन उनके ट्रांसफर होते ही परिणाम शून्य हो गया। उसके बाद ऊना जिले से एक हेडमास्टर आए तो स्कूल की दशा सुधरी। धीमान में हेडमास्टरों वाले गुण नहीं थे। इसी तरह उनके पुत्र तथा भोरंज विस से भाजपा प्रत्याशी डॉ. अनिल धीमान भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। उनमें भी कई तरह के अवगुण हैं।‘
सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते हुए एक व्यक्ति ने लिखा है, ‘जो आदमी इस दुनिया में नहीं है, उसकी आलोचना नहीं की जा सकती। यह गलत है क्योंकि आपके द्वारा लगाए जाने वाले आरोपों का जवाब देने के लिए वह व्यक्ति अब इस दुनिया में नहीं है। मुख्यमंत्री ने मर्यादाओं को ताक पर रख दिया है।’
गौरतलब है कि कुछ पहले भी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आईडी धीमान को लेकर ऐसी ही बात कही थी। नीचे वीडियो देखें, जिसमें वह कुछ दिन पहले मंच से चुटकी लेते हुए नजर आ रहे हैं:
वह अक्सर प्रचार के दौरान दिए जाने वाले भाषणों में इन बातों का जिक्र कर रहे हैं। इससे वह क्या साबित करना चाहते हैं, ये तो वह ही जान सकते हैं मगर 6 बार लगातार आईडी धीमान को जिता चुके भोरंज निवासियों में इस बात को लेकर गुस्सा देखने को मिल रहा है।
नई दिल्ली।। आय से अधिक संपत्ति मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंक को दो झटके लगे हैं। सीबीआई ने पटियाला हाउस कोर्ट में इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है। इससे पहले शुक्रवार सुबह दिल्ली हाईकोर्ट ने वीरभद्र ओर से दायर की गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले को रद्द करने के आदेशों देने की मांग की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के उन आदेशों को भी खारिज कर दिया है जिसमें वीरभद्र सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई थी। ऐसे में वीरभद्र सिंह पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।
ANI के मुताबिक सीबीआई द्वारा पटियाला हाउस कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में सीएम वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी और कुछ और लोगों के नाम दिए गए हैं। जांच एजेंसी का दावा है कि मामले की जांच पूरी कर ली गई है। गौरतलब है कि आय से अधिक संपत्ति के इस मामले में पहले से ही एक आरोपी आनंद चौहान सलाखों में बंद है।
फाइल फोटो
इससे पहले ही शुक्रवार सुबह सीएम वीरभद्र सिंह को दिल्ली हाईकोर्ट से भी बड़ा झटका लगा था। वीरभद्र ने कोर्ट से अपील की थी कि सीबीआई की ओर से दर्ज किए गए मुकदमे को रद्द करने के आदेश दिए जाएं। उनका कहना था कि सीबीआई गलत मंशा के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। सीबीआई का कहना था कि हिमाचल सरकार उनके साथ इस मामले में सहयोग नहीं कर रही।
इस मामले में सीबीआई अब मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी धर्म पत्नी एवं पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह से न केवल पूछताछ करने के लिए स्वतंत्र है बल्कि वह उन्हें गिरफ्तार भी कर सकती है। चार्जशीट दायर होने के बाद सीबीआई अतिरिक्त पूछताछ के लिए उन्हें गिरफ्तार करने की याचिका डाल सकती है। वीरभद्र सिंह के पास अभी डबल बैंच में याचिका दायर करने के अलावा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के विकल्प बचे हैं।
यह है माामला:
वीरभद्र सिंह पर आरोप है कि यूपीए सरकार के दौरान जब वह इस्पात मंत्री थे तो उन्होंने 2009 से 2011 के बीच अचानक 6.1 करोड़ रुपए की अतिरिक्त संपत्ति अर्जित की थी। आरोपों के मुताबिक सीएम ने केंद्रीय मंत्री के पद पर रहते हुए अपने और घरवालों के नाम जीवन बीमा पॉलिसियों में एलआईसी एजेंट चौहान के माध्यम से 6.1 करोड़ रुपए का निवेश किया। आरोप है कि उन्होंने यह 6.1 करोड़ रुपये गलत तरीके से जुटाए।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। हिमाचल प्रदेश के परिवहन, तकनीकी शिक्षा एवं खाद्य आपूर्ति व उपभोक्ता मामलों के मंत्री जी.एस. बाली एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन करके अपनी संपत्ति, आय और देनदारी की जानकारी सार्वजनिक कर दी है। गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहने के लिए पहचाने जाने वाले तेज-तर्रार मंत्री बाली ने कुछ दिन पहले अपने फेसबुक पेज के जरिए ऐलान किया था मैं अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक कर दूंगा। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर भी इस संबंध में एक पोस्ट डाली है।
गुरुवार को शिमला में पत्रकारों से बात करते हुए जीएस बाली ने कहा कि उनकी कुल संपति का बाजार भाव 70 करोड़ के करीब है। उन्होंने बताया कि 16 करोड़ का कर्ज है। बाली ने यह जानकारी भी दी कि दिल्ली में उनके पास 5 करोड़ करुपये का फ्लैट है। उन्होंने बतााय कि 16 कनाल के करीब जमीन उनके पास है। बाली ने अपने एफडीआर का ब्यौरा भी दिया। बाली ने कहा कि मैं राजनीति में आने से पहले से व्यवसायी रहा हूं और होटल और फैक्ट्री जैसी संपत्तियां मेरे पास पहले से ही थीं।
‘बेटा भी जल्द देगा संपत्ति का ब्यौरा’
मामला 70 करोड़ से जुड़ा है, ऐसे मे कोई भी चौंक सकता था। मगर इससे बेपरवाह बाली ने अपनी चल व अचल संपत्ति घोषित करते हुए कहा कि राजनीति में पारदर्शिता जरूरी है। उन्होंने दूसरों के बारे में कुछ कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘अंतरआत्मा ने मुझे ऐसा करने के लिए कहा ताकि मेरे राजनीतिक जीवन में पारदर्शिता हो।’ जीएस बाली ने अपनी पत्नी के एफडीआर की सूचना भी दी। उन्होंने यह भी कहा कि उनका बेटा भी जल्दी अपनी संपत्ति का ब्यौरा देगा।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीसीसी चीफ सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी उनकी है और वह पार्टी के घोषणा पत्र में ऐसा प्रावधान करेंगे कि कोई भी विधायक जो चालू वर्ष के दौरान खरीदने वाली संपति का ब्यौरा दे और धनराशि का स्रोत दे। सुक्खू ने कहा कि राजनीतिक में पारदर्शिता जरूरी है और उन्होंने भी कुछ समय पहले अपनी संपति की घोषणा कर दी थी।
इन हिमाचल डेस्क।। HRTC यानी हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के ड्राइवर्स को अगर पायलट कहा जाए तो गलत नहीं होगा। उन्हें पायलट इसलिए नहीं कहा जा रहा कि वे बेहद फास्ट गाड़ी चलाते हैं। बल्कि उन्हें यह विशेषण उनके ड्राइविंग स्किल्स की वजह से दिया जा सकता है। दरअसल फेसबुक पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें बर्फ से भरी सड़क पर एचआरटीसी की एक बस रिवर्स हो रही है।
बर्फ की वजह से तंग हो चुकी सड़क पर हम और आप गाड़ी को आगे भी न चला पाएं मगर एचआरटीसी बस का ड्राइवर बड़ी ही सफाई से अच्छी-खासी स्पीड में बस को बैक गियर में चलाता है ताकि गाड़ी को पास दिया जा सके।
इस वीडियो को किसी ने अपनी गाड़ी के अंदर से रिकॉर्ड किया है। हो सकता है कि किसी ने इस वीडियो को पोस्ट करने से पहले इसकी स्पीड बढ़ाई हो मगर इस बात से तो आप भी इनकार नहीं कर पाएंगे कि ड्राइवर में स्किल तो हैं ही। नीचे बीइंग हिमाचली के पेज पर शेयर हुआ वीडियो देखें:
इससे पहले भी HRTC बस ड्राइवरों के कई वीडियो वायरल हो चुके हैं जिनमें वे मुश्किल हालात में खराब सड़कों पर भी अच्छी तरह से ड्राइविंग कर रहे हैं। प्रदेश के कई इलाकों की सड़के वहां के मौसम व अन्य भौगोलिक परिस्थितियों से भी खराब हैं और कुछ राजनेताओं की लापरवाही भी है। मगर लोगों को ट्रांसपोर्ट सुविधा मुहैया करवा रहे इन लोगों की तारीफ की जानी चाहिए।
इन हिमाचल डेस्क।। स्टफ्ड गारलिक ब्रेड खाया है? देखने में बिल्कुल वैसा लगता है सिड्डू मगर है एकदम पौष्टिक। हिमाचल के मंडी, कुल्लू और सिरमौर समेत कई जिलों में इसे बनाया जाता है। देखे में आपको हो सकता है कि मोमोज़ जैसा लगे, मगर है एकदम अलग। बनाने की प्रक्रिया वैसे काफी हद तक मोमोज़ जैसी ही है। वक्त के साथ-साथ भले ही लोग हिमाचल के पारंपरिक पकवानों को बनाना भूल रहे हैं मगर शिप्रा खन्ना (मास्टर शेफ विनर) अपने यूट्यूब पर चैनल पर कुछ हिमाचली पकवानों के बारे में पूरी दुनिया को बता रही हैं।
सिड्डू बनाने के लिए आपको क्या-क्या चाहिए, कितनी देर में यह पकता है और कैसे पकता है, पूरी जानकारी शिप्रा के इस वीडियो में आपको मिलेगी। हालांकि पारंपरिक तौर पर सिड्डू को अर्धचंद्राकार शेप में बनाया जाता है, जैसे की नीचे तस्वीर में दिया गया है, मगर शिप्रा ने इन्हें गोल आकार दिया है।
यह है असली सिड्डू।
अगर आप शिप्रा की तरह गोलाकार सिड्डू बनाना चाहते हैं तो ध्यान रखें कि उनका साइज छोटा हो वरना पकेंगे नहीं ढंग से। बहरहाल, नीचे दिए गए वीडियो को देखकर सीखिए सिड्डू बनाना और दोस्तों को भी खिलाइए। वीडियो के बाद दिए लिंक क्लिक करके आप ‘कोदरे की रोटी’ बनाना सीख सकते हैं।
विवेक अविनाशी।। भारत की महाशक्ति पीठों में से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में स्थित ज्वालामुखी मन्दिर है जहाँ देश के कोने –कोने से भक्तजन मन्नते मांगने शारदीय नवरात्रों में भी आते हैं। वैसे तो भक्तों का आना-जाना समस्त वर्ष ही यहाँ लगा रहता है लेकिन नवरात्रों में माता के दर्शनों का जो पुण्य प्राप्त करता है उस पर माता विशेष कृपा करती है। यह नवरात्र आश्विन मास की शुक्ल-पक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ हो कर 9 दिन तक चलता है। इस मन्दिर का निर्माण राजा भूमि चंद ने करवाया था और महाराजा रंजीतसिंह ने मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। ये शक्ति पीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। मंदिर की तस्वीर देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। हालांकि देवी भागवत में जहां 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का ज़िक्र मिलता है, वहीं तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। देवी पुराण में ज़रूर 51 शक्तिपीठों की ही चर्चा की गई है। इन 51 शक्तिपीठों में से कुछ विदेश में भी हैं। वर्तमान में भारत में 42, पाकिस्तान में 1, बांग्लादेश में 4, श्रीलंका में 1, तिब्बत में 1 तथा नेपाल में 2 शक्ति पीठ है। आदिशंकराचार्य के द्वारा वर्णित 18 महाशक्ति पीठो में भी ज्वालामुखी मन्दिर का उल्लेख है।
माता के इन 51 शक्तिपीठों के बनने की कथा के अनुसार राजा प्रजापति दक्ष की पुत्री के रूप में माता जगदम्बिका ने सती के रूप में जन्म लिया था और भगवान शिव से विवाह किया। एक बार मुनियों का एक समूह यज्ञ करवा रहा था। यज्ञ में सभी देवताओं को बुलाया गया था। जब राजा दक्ष आए तो सभी लोग खड़े हो गए लेकिन भगवान शिव खड़े नहीं हुए। भगवान शिव दक्ष के दामाद थे। यह देख कर राजा दक्ष बेहद क्रोधित हुए। दक्ष अपने दामाद शिव को हमेशा निरादर भाव से देखते थे। सती के पिता राजा प्रजापति दक्ष ने कनखल (हरिद्वार) में ‘बृहस्पति सर्व / ब्रिहासनी’ नामक यज्ञ का आयोजन किया था। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता और सती के पति भगवान शिव को इस यज्ञ में शामिल होने के लिए निमन्त्रण नहीं भेजा था। जिससे भगवान शिव इस यज्ञ में शामिल नहीं हुए।
नारद जी से सती को पता चला कि उनके पिता के यहां यज्ञ हो रहा है लेकिन उन्हें निमंत्रित नहीं किया गया है। इसे जानकर वे क्रोधित हो उठीं। नारद ने उन्हें सलाह दी कि पिता के यहां जाने के लिए बुलावे की ज़रूरत नहीं होती है। जब सती अपने पिता के घर जाने लगीं तब भगवान शिव ने मना कर दिया। लेकिन सती पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी जिद्द कर यज्ञ में शामिल होने चली गई। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष ने भगवान शंकर के विषय में सती के सामने ही अपमानजनक बातें करने लगे। इस अपमान से पीड़ित हुई सती को यह सब बर्दाश्त नहीं हुआ और वहीं यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी।
भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। सर्वत्र प्रलय-सा हाहाकार मच गया। भगवान शंकर के आदेश पर वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया और अन्य देवताओं को शिव निंदा सुनने की भी सज़ा दी और उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता और ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये। तब भगवान शिव ने सती के वियोग में यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुःखी हुए सम्पूर्ण भूमण्डल पर भ्रमण करने लगे। भगवती सती ने अन्तरिक्ष में शिव को दर्शन दिया और उनसे कहा कि जिस-जिस स्थान पर उनके शरीर के खण्ड विभक्त होकर गिरेंगे, वहाँ महाशक्तिपीठ का उदय होगा।
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सती का शव लेकर शिव पृथ्वी पर विचरण करते हुए तांडव नृत्य भी करने लगे, जिससे पृथ्वी पर प्रलय की स्थिति उत्पन्न होने लगी। पृथ्वी समेत तीनों लोकों को व्याकुल देखकर और देवों के अनुनय-विनय पर भगवान विष्णु सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खण्ड-खण्ड कर धरती पर गिराते गए। जब-जब शिव नृत्य मुद्रा में पैर पटकते, विष्णु अपने चक्र से शरीर का कोई अंग काटकर उसके टुकड़े पृथ्वी पर गिरा देते। ‘तंत्र-चूड़ामणि’ के अनुसार इस प्रकार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। इस तरह कुल 51 स्थानों में माता की शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। अगले जन्म में सती ने हिमवान राजा के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिव को पुन: पति रूप में प्राप्त किया। कहते हैं इस क्षेत्र में सती की जीभ गिरी थी।
ज्वाला मुखी मन्दिर के भीतर 9 ज्योतियां हैं जो 9 देवियों का प्रतीक हैं l इस मन्दिर में कुछ सीढियां चढ़ कर बाबा गोरखनाथ का मन्दिर है जिसे गोरख डिब्बी भी कहते हैं। यहाँ खौलता हुआ पानी है जो हाथ लगाने पर बिलकुल ठंडा होता है। इसके दर्शन लपटों के रूप में पुजारी करवाते हैं। यहाँ चढावे के रूप नारियल चढाया जाता है। कहते हैं अकबर के काल में ध्यानु भगत ने यहाँ अपना सिर काट कर भेंट चढाया था । दरअसल अकबर को मातारानी की महिमा के बारे में ध्यानु भगत ने ही बताया था लेकिन अकबर को विश्वास नही आया उसने ध्यानु भगत के घोड़े का सिर काट दिया और ध्यानु से कहा कि इसे माता रानी से जुडवा लो। ध्यानु भगत माता रानी के दरबार में फिर आया लेकिन कई दिन बीत जाने पर जब सिर नही जुड़ा तो उसने अपना सिर माता के चरणों में काट कर भेंट चढ़ा दिया। माता प्रकट हुई और ध्यानु का सिर तो जोड़ ही दिया घोड़े की सिर भी दुबारा लगा दिया। माता का करिश्मा देख अकबर नंगे पांव आ कर सोने का छत्र चढ़ा गया था। तब से माता रानी ने यह निर्देश दिया था कि यहाँ नारियल ही चढ़ेगा। ज्वालामुखी से कुछ ही दूर पहाड़ी में टेढ़ा मन्दिर है जो 1905 के काँगड़ा भूकम्प में टेढ़ा हो गया पर गिरा नही। ज्वालामुखी के पास सपडी के जंगलों में चन्दन के वृक्ष भी हैं।
(विवेक अविनाशी हिमाचल प्रदेश से जुड़े विषयों पर लंबे समय से लिख रहे हैं। उनके vivekavinashi15@gmail.com के जरिए संपर्क किया जा सकता है।)
बिलासपुर।। पहले हिमाचल प्रदेश के दूर-दराज के पिछड़े इलाकों से बाल-विवाह की कोशिशों की खबरें आती थीं मगर अब बिलासपुर से खबर आई है। यहां पर 13 साल की बच्ची की शादी की कोशिश हो रही थी। वक्त रहते पुलिस और चाइल्ड हेल्पलाइन ने पहुंचकर बच्ची को बचा लिया।
घटना श्री नयना देवी के गांव बैहना की है। लड़की की शादी उसेक मामा के घर आनंदरपुर में की जा रही थी। पूरा परिवार मामा के घर चला गया था। शादी समारोह 28 से 30 मार्च तक होना था। बच्ची सातवीं क्लास में पढ़ती थी।
जैसे ही इसकी घबर मिली, तुरंत अधिकारी लड़की के घर पहुंचे। वहां पता चला कि शादी का इंतजाम मामा के घर से किया गया है। स्कूल से कन्फर्म हुआ कि लड़की की उम्र 13 साल है और वह 7वीं में पढ़ती है।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शादी रुकवा दी। लड़के के पिता का कहना है कि उन्हें पता ही नहीं था कि लड़की नाबालिग थी। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
इससे पता चलता है कि प्रदेश में अभी भी जागरूकता लाए जाने की कितनी जरूरत है। इस तरह की घटना शर्मनाक तो है ही, दर्दनाक भी है। पता नहीं कितनी बच्चियों को इस तरह के हालात से जूझना पड़ता होगा।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क, कुल्लू।। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के आनी में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। 19 साल की नफीसा (बदला हुआ नाम) ने 25 मार्च को अस्पताल में स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। मगर इस बच्ची को नफीसा की मां यानी नवजात की नानी ने मौत के घाट उतार दिया। इसलिए, क्योंकि नफीसा ने निकाह से ढाई महीने बाद ही बच्ची को जन्म दे दिया था। इस वारदात में नफीसा की सास यानी नवजात की दादी भी साथ थी।
जब नफीसा ने बच्ची को जन्म दिया, उसकी मां और सास ने योजना बनाई की बच्ची को मार दिया जाए ताकि लोग निकाह के ढाई महीने में ही बच्ची हो जाने पर बातें न करें। इसके लिए नवजात बच्ची की दादी अस्पताल के प्रसूति वार्ड के दरवाजे पर पहरा देती है और नानी बच्ची का गला चुन्नी से दबाकर सांसें छीन लेती है। फिर अदला-बदली की जाती है। नानी दरवाजे पर खड़ी होती है ओर दादी वापस आकर देखती है कि कहीं बच्ची की सांसें तो नहीं चल रहीं।
25 मार्च की शाम 5:10 बजे नर्स बच्ची व मां को इंजेक्शन लगाने पहुंची तो चंद घंटे पहले पैदा हुई स्वस्थ बेटी मृत अवस्था में थी। फौरन ही डॉक्टर को सूचित किया गया। डॉक्टर को बच्ची की मौत असामान्य लगी तो उसने आनी थाना के पुलिस को सूचित किया। मामले की नजाकत को भांपते हुए डीएसपी बलदेव ठाकुर समेत थाना प्रभारी भूप सिंह मौके पर पहुंच गए। बच्ची के शव का पोस्टमॉर्टम आईजीएमसी में करवाने का फैसला लिया गया।
सोमवार की देर रात हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया, क्योंकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया कि बच्ची की मौत गला घोंटने से हुई है। चूंकि नफीसा अभी अस्पताल में ही दाखिल है, लिहाजा पुलिस उससे पूछताछ नहीं कर पाई है। बच्ची की नानी और दादी को गिरफ्तार कर लिया गया है। क्रूरता की सीमाओं को इस तरह लांघने से खुद पुलिस भी सकते में है। एसपी पदम ठाकुर ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि पूरी गहनता से जांच की जा रही है और सबूत जुटाए जा रहे हैं।