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Wednesday, July 16, 2025
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नगरोटा बगवाँ में गुंडे बेलगाम, कपल को पकड़ लड़की का वीडियो बनाया

कांगड़ा।। हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा ज़िले से एक बार फिर गुंडातत्वों द्वारा कपल को पकड़कर लड़की के साथ अश्लील हरकतें करने और उसके निजी अंगों का वीडियो बनाने मामला सामने आया है। पुलिस ने इस मामले में आरोपियों की गिरफ़्तारी का दावा किया है, हालाँकि जाँच जारी है। शाम तक पुलिस ने पूरी जानकारी सार्वजनिक कर सकती है।

मामला नगरोटा बगवाँ के मस्सल इलाक़े का है जहां पर जंगल गाँव में एक कपल को कुछ लोगों ने घेर लिया। वे उन्हें बेइज्जत करके बदनामी करने की धमकी देने लगे और कहने लगे कि तुम यहाँ ग़लत काम कर रहे हो। लेकिन ऐसा कहने वालों ने लड़की के प्राइवेट पार्ट का वीडियो बना लिया। इस दौरान लड़के के साथ भी बदसलूकी होती रही।

ऐसी जानकारी मिली है कि ये लड़के पहले भी यहाँ आने वाले कपल्स के साथ ऐसा कर चुके हैं। वे यहाँ एकांत में बैठे कपल्स को घेरते थे, लड़के को पीटते थे, लड़की का उत्पीड़न करते थे और वीडियो बना लेते थे। फिर धमकी देते हैं कि किसी से कुछ कहा तो वीडियो लीक कर देंगे। डर के मारे किसी ने इनकी शिकायत नहीं की और इनकी हिम्मत बढ़ती चली गई।

इस बार इन्हीं का बनाया वीडियो सामने आ गया और कुछ लोगों ने इसे फैला दिया। इस तरह मामला सार्वजनिक हुआ। एसपी काँगड़ा विमुक्त रंजन का कहना है कि मामला दर्ज कर लिया है और सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस पूरे मामले की विस्तृत जानकारी शाम पाँच बजे देगी।

ग़ौरतलब है कि पूरे हिमाचल में ऐसे टोंडे सक्रिय हैं जो झुंड बनाकर कपल्स को निशाना बनाते हैं। संस्कृति और समाज का बहाना बनाकर ये अपनी कुंठा को शांत करते हैं। वीडियो बनाते हैं और लड़की से रेप करते हैं और कहते हैं कि किसी से कहा तो वीडियो वायरल कर देंगे। ऐसी ही एक घटना काँगड़ा के ही परौर में अप्रैल 2018 में सामने आई थी जब नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप कर दिया गया था। आगे ख़बर पढ़ें-

कांगड़ा के परौर में नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार की खबर

इसी तरह नवंबर 2019 में काँगड़ा के पंचरुखी में रेल ट्रैक पर कुछ लोगों ने लड़का-लड़की को घेर कर धमकाया और लड़की जबरन किस कर लिया था। ख़बर आप आगे पढ़ सकते हैं-

पालमपुर के आसपास लड़की के उत्पीड़न, लड़के की पिटाई का वीडियो वायरल

शीशा तोड़ने पर डाँटा तो नशेड़ी युवक ने उसी से मार डाली दादी

मंडी।। नशे की गिरफ्त में आई युवा पीढ़ी किस तरह से बर्बाद हो रही है, इसका एक उदाहरण मंडी के गोहर में देखने को मिला है। यहाँ एक युवक पर अपनी दादी को शीशे के टुकड़े से ज़ख़्मी कर मार डालने का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि युवक ने इसलिए अपनी दादी की जान ले ली क्योंकि उसे शीशा तोड़ने के लिए डाँटा गया था।

20 साल के इस युवक को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। एसपी मंडी गुरदेव चंद शर्मा ने बताया है कि यह युवक पहले नशे के मामलों में शामिल रहा था। सोमवाक सुबह किसी सनक में उसने बिस्तर पर लगे शीशे को तोड़ दिया। आवाज सुनकर 65 वर्षीय दादी कमरे में आई और डांट दिया।

बहस के बाद वह सनक में आ गया और दादा से हाथापाई करने लगा। इसी बीच कथित तौर पर उसने टूटे हुए कांच को ही उठाकर  दादी के सीने पर वार कर दिए जिससे वह जख्मी होकर गिर गईं। परिवार के अन्य सदस्य शोर सुनकर कमरे में आए और वृद्धा को जख्मी हालत में अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

युवक को गिरफ्तार कर लिया गया है

एसपी का कहना है कि मामले की गंभीरता से जाँच की जा रही है और पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि किन हालात में पूरा वाक़या हुआ।

पहले किराया बढ़वाया, अब दोबारा रूट बंद कर रहे निजी बस ऑपरेटर

शिमला।। पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश में बस किराये में बढ़ोतरी हुई थी तो सवाल उठे थे कि तत्कालीन परिवहन मंत्री ने यह फैसला निजी बस ऑपरेटरों के दबाव में लिया है। निजी ऑपरेटर लगातार घाटा होने की माँग करते हुए बसें सड़क पर उतारने से इनकार कर रहे थे। अब किराया बढ़ गया मगर दोबारा कई रूटों पर निजी ऑपरेटर बसें बंद करने जा रहे हैं।

निजी बस एसोसिएशन ने चार अगस्त से प्रदेश में करीब 100 बस रूट बंद करने का निर्णय लिया है। एसोसिएशन का कहना है कि आने वाले दिनों में अगर हालात ऐसे ही रहे तो अन्य रूटों पर भी बसें कम की जा सकती हैं। अभी प्रदेश में मंगलवार से 100 बस रूट बंद करने का निर्णय लिया है। इससे पहले प्रदेश में 500 रूटों पर निजी बस बसें दौड़ती थीं।

हिमाचल निजी बस ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश पराशर राजू ने कहा कि एसोसिएशन चार अगस्त से प्रदेश में 500 रूटों में से 100 रूटों को बंद करने जा रही है। उन्होंने कहा कि निजी बस ऑपरेटर लगातार घाटे में चल रहे हैं। ग़ौरतलब है कि निजी बस ऑपरेटर 50 फ़ीसदी किराया बढ़ाने की माँग कर रहे थे जबकि सरकार ने 25 फ़ीसदी किराया बढ़ाया था।

निजी बस ऑपरेटर्स ने किराया बढ़ने पर किया सरकार का धन्यवाद। जानें, क्या वजह बताई 50% किराया बढ़ाने की मांग की।

Posted by In Himachal on Monday, July 20, 2020

25 फ़ीसदी किराया बढ़ाने के बाद बस ऑपरेटर बसें चलाने को तैयार हो गए थे मगर अब गोविंद ठाकुर से परिवहन मंत्रालय छिनने के बाद उन्होंने यह फ़ैसला किया है। ऐसे में इस फ़ैसले को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, एसोसिएशन का कहना है कि उसे उम्मीद थी कि धीरे-धीरे सवारियां बढ़ेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। निजी बसों में लगातार सफर करने वाले लोगों ने भी पिछले कुछ दिनों से यात्रा करनी बंद कर दी।

चमगादड़ भगाने के लिए बागवानों ने छोड़े पटाखे, कंगना ने बुलाई पुलिस

कुल्लू।। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के मनाली में कंगना रणौत के घर के आसपास सेब के बागवानों ने पके हुए फलों को चमगादड़ों और अन्य जीवों से बचाने के लिए पटाखे चलाए। इसके बाद अभिनेत्री कंगना ने गोली की आवाज सुनने का दावा करते हुए पुलिस बुला ली।

अभिनेत्री का कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत मामले और बॉलीवुड में परिवारवाद पर आवाज उठाने के लिए उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है। कुल्लू पुलिस जानकारी मिलने पर कंगना के घर पहुंची थी और मामले की पड़ताल की थी। पुलिस का कहना है सीसीटीवी आदि की पड़ताल करने पर भी घर के पास गोली चलाए जाने का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। हालांकि, पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी है।

कंगना रणौत

उधर सोशल मीडिया पर कुछ लोग जहां अभिनेत्री का समर्थन कर रहे हैं वहीं कुछ लोग इसे नाटक बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि सामान्य पटाखों की आवाज को गोली की आवाज बताया गया ताकि दिखाया जा सके कि कैसे कुछ लोग उन्हें डराने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ लोगों ने इसे पब्लिसिटी स्टंट बताया है तो कुछ का कहना है कि हिमाचल पुलिस को वाकई सावधानी बरतनी चाहिए।

अभी तक कोई बागवान आगे नहीं आया है कि पटाखे उसने चलाए थे। मगर ऐपल सीजन में फसलों को चमगादड़ आदि से बचाने के लिए शोर किया जाता है। गौरतलब है कि मनाह (चमगादड़) रात को सक्रिय होते हैं और फलों को कुरेदते हैं।

बॉलीवुडलाइफ डॉट कॉम ने कंगना के बयान भी छापा है। इसमें कंगना के हवाले से कहा गया है, “मैं बेडरुम में थी और ये बात रात के 11.30 बजे करीब की है. हमारे घर की एक बाउंड्री वॉल है, जिसके पीछे एक सेब का बाग है और एक पानी का तालाब है। मुझे एक पटाखे जैसी आवाज सुनाई दी और इसके कुछ देर बाद दोबारा वैसी ही आवाज सुनाई दी। तब मैं थोड़ा डर गई। अभी मनाली में कोई पर्यटन का सीजन नहीं है और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है कि बाहर लोग खुशियां मनाते हुए पटाखे छोड़ेंगे।”

कंगना ने बताया, “इसलिए मैंने तुरंत अपने सिक्योरिटी गार्ड को बुलाया और उनसे पूछा कि बाहर क्या हुआ है। वो बोले- हो सकता है कि कुछ बच्चे हो। हम चारों ओर देखते हैं कि ये क्या है। शायद उन्होंने ये आवाज नहीं सुनी लेकिन मैंने सुनी। उसने सोचा कि शायद किसी ने शैतानी की होगी। वो चारों ओर गए लेकिन कुछ नहीं मिला। अब हम पांच लोग हैं घर पर और सभी मेरे साथ रह रहे हैं। हम सभी ने ये आवाज सुनी और हमें लगा है कि ये गोलियों की आवाज थी। इसके बाद हमने पुलिस को बुलाया।”

“पुलिस ने कहा कि शायद कोई चमगादड़ को मारने की कोशिश कर रहा हो क्योंकि चमगादड़ सेब की खेती को नुकसान पहुंचाते हैं। शनिवार सुबह हमने सेब के बागीचे के मालिक को बुलाया लेकिन उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई गोली नहीं चलाई। इसलिए हमें लगता है कि यह हमें डराने के लिए किया गया था।”

मंत्री बनने पर पठानिया को बधाई के विज्ञापन पर उठने लगे सवाल

शिमला।। हिमाचल प्रदेश सरकार में हाल ही में मंत्री पद पाने वाले नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया को लेकर एक नया विवाद उठ खड़ा हुआ है। शनिवार को एक अख़बार के पहले पन्ने पर छपे फ़ुल पेज ऐड में पठानिया को मंत्री बनने पर बधाई दी गई है। इसमें बड़े हिस्से पर पठानिया की तस्वीर है, साथ में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की दो छोटी तस्वीरें भी हैं। विज्ञापन देने वालों का नाम ‘नूरपुर मंडल’ लिखा गया है।

चूँकि अख़बारों के पहले पूरे पन्ने के, वो भी पूरे प्रदेश के संस्करणों में छपवाए जाने वाले विज्ञापन काफ़ी महँगे होते हैं और इनकी क़ीमत लाखों तक होती है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब कोरोना काल में अनावश्यक ख़र्चों पर कटौती पर ज़ोर दिया जा रहा है तब नूरपुर बीजेपी मंडल के पास इस विज्ञापन को देने के लिए कहां से पैसा आ गया।

राकेश पठानिया

इस विज्ञापन से सरकार की भी किरकिरी हो रही है कि कैसे नए मंत्री का 48 घटों के अंदर प्रचार शुरू हो गया है। जानकारी मिली है कि इस संबंध में बीजेपी के ही कुछ नेता संगठन को शिकायत देने की तैयारी में हैं कि पार्टी की ओर से कैसे यह विज्ञापन दिया गया और इसकी क्या ज़रूरत थी।

इस विज्ञापन को लेकर कुछ सवाल पार्टी को भी असहज कर सकते हैं। जैसे कि इस विज्ञापन का पैसा किसने दिया। अगर पैसा पार्टी ने दिया तो किस मद से और किसकी इजाज़त से दिया गया और अगर किसी समर्थक ने निजी हैसियत से दिया तो जारी करने वालों में भाजपा के नूरपुर मंडल का नाम कैसे दिया।

गोविंद ठाकुर को झटका, राजीव सहजल को बड़ी जिम्मेदारी; जानें किसे क्या मिला

गोविंद ठाकुर को झटका, राजीव सहजल को बड़ी जिम्मेदारी; जानें किसे क्या मिला

शिमला।। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंत्रिमंडल में तीन नए चेहरो ंको शामिल करने के साथ ही महकमों में भी भारी फेरबदल किया है। सीएम ने पहले ही कहा था कि मंत्रिमंडल में फेरबदल यदि किया जाएगा तो उसमें परफ़ॉर्मेंस को आधार बनाया जाएगा। इस तरह से देखा जाए तो कुछ मंत्रियों को झटका लगा है तो कुछ की ज़िम्मेदारी बढ़ाई गई है। हालाँकि, तमाम आरोपों और आलोचनाओं के बावजूद महेंद्र सिंह ठाकुर अभी भी मुख्यमंत्री के बाद ताकतवर मंत्री बने हुए हैं। विक्रम ठाकुर को भी अतिरिक्त महकमे की ज़िम्मेदारी मिली है।

मनाली से विधायक गोविंद ठाकुर से उनके तीन महकमे लेकर शिक्षा मंत्री बनाया गया है। उनके पास भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग भी रहेगा। गोविंद ठाकुर से लिए गए वन विभाग और खेल एवं युवा मामलों के महकमों को नए मंत्री राकेश पठानिया को दिया गया है जबकि ट्रांसपोर्ट महकमा उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर को सौंपा गया है।

गोविंद ठाकुर अपने ही जिले में वनों के कटान को लेकर प्रभावी क़दम न उठा पाने को लेकर मीडिया की आलोचनाओं के केंद्र में रहे थे। इसके अलावा परिवहन विभाग में भी उनकी कोई खास उपलब्धि नहीं रही। दो बार बसों का किराया बढ़ाया गया तो आरोप लगे कि वह निजी बस ऑपरेटरों के दबाव में काम कर रहे हैं। सरकारी बसों के लगातार घाटे में जाने और अवैध वॉल्वो को लेकर आंख मूंदने के कारण भी उनपर सवाल उठ रहे थे।

गोविंद ठाकुर

उधर, शिमला सिटी से विधायक सुरेश भारद्वाज को शहरी विकास, टीसीपी एंड हाउज़िंग, क़ानून, संसदीय मामलों और सहकारिता विभाग की ज़िम्मेदारी दी गई है। जैसा कि पहले ही बताया गया है, उनसे शिक्षा महकमा लेकर गोविंद ठाकुर को दिया गया है। इसके अलावा राजीव सहजल की तरक़्क़ी हुई है। उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और आयुर्वेद विभाग दिया गया है। वह ख़ुद भी डॉक्टर हैं। पहले यह महकमा विपिन परमार के पास था मगर उनके विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद सीएम के पास चला गया था।

मंत्रियों के विभागों की जानकारी

ख़राब प्रदर्शन के लिए आलोचनाओं का सामना कर रहीं मंत्रिमंडल की इकलौती महिला सदस्य सरवीण चौधरी को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री बनाया गया है। उनके पास पहले शहरी विकास मंत्रालय था मगर वह अपने काम से प्रभावित नहीं कर पा रही थीं। ऐसी चर्चा है कि प्रदेश में बीजेपी की कोई और वरिष्ठ महिला विधायक होती तो सरवीण की जगह उन्हें मंत्री बना दिया जाता।

सरवीण चौधरी

रामलाल मारकंडा को टेक्निकल एजुकेशन और ट्राइबल अफ़ेयर व आईटी विभाग सौंपा गया है। उनसे कृषि मंत्रालय लेकर वीरेंद्र कंवर को दिया गया है। वीरेंद्र कंवर आरडी एंड पीआर, पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग भी सँभालेंगे। नए मंत्री सुखराम को एमपीपी और ऊर्जा मंत्रालय दिया गया है वहीं राजिंदर गर्ग खाद्य एवं आपूर्ति और प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी विभाग देखेंगे। वहीं राकेश पठानिया वन एवं युवा मामलों के मंत्री होंगे।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ढाई साल के कार्यकाल के बाद यह कैबिनेट विस्तार और रीशफल किया है। कई मंत्री पद लंबे समय से ख़ाली चल रहे थे। परफ़ॉर्मेंस के आधार पर मंत्रियों के महकमे बदल सीएम ने सरकार के पेच कसने की कोशिश तो की है मगर अहम बात यह है कि इससे सबक़ लेकर मंत्री अपना रवैया बदलते हैं या नहीं।

हालाँकि, महेंद्र सिंह और विक्रम ठाकुर भी ज़मीन पर डिलीवर करने में असफल दिखे हैं और हवाई बातें या दावे करने को लेकर जनता की नज़रों में भी हैं। फिर भी सीएम ने उनपर विश्वास जताया है। ऐसे में देखना होगा कि यह फेरबदल पूरी की पूरी सरकार की कार्यशैली और छवि को कितना बदल पाता है।

कबड्डी के शौकीन राजिंदर गर्ग ने मंत्री बन चौंकाया

शिमला।। घुमारवीं से विधायक राजिंदर गर्ग हिमाचल सरकार में मंत्री बनाए गए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के करीबी माने जाने वाले गर्ग लंबे समय से संगठन से जुड़े हैं। उनके अलावा पावंटा के विधायक सुखराम चौधरी और नूरपुर के एमएलए राकेश पठानिया को भी मंत्री बनाया गया है।

30 मई 1966 को बिलासपुर के ठंडोड़ा में जन्मे राजिंदर गर्ग बॉटनी में एमएससी हैं। उन्होंने एचपीयू और जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर से पढ़ाई की है। परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं। पेशे से वह राजनीतिक कार्यकर्ता, कृषक और बागवान हैं।

गर्ग छात्र जीवन से राजनीति से जुड़ गए थे। 1982 में वह आरएसएस के स्वयंसेवक बने और 1983 में सक्रिय रूप से एबीवीपी की गतिविधियों में हिस्सा लेने लगे। पहले एबीवीपी के बिलासपुर जिले के संयोजक रहे, फिर हिमाचल एबीवीपी के सचिव बने, मध्य प्रदेश में परिषद के पूर्णकालिक संगठन सचिव रहे।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के करीबी हैं राजिंदर गर्ग

कुछ समय के लिए वह पत्रकारिता से भी जुड़े थे। 2000 से लेकर 2006 तक दैनिक भास्कर के लिए स्थानीय संवाददाता के तौर पर काम किया। फिर बीजेपी के ट्रेनिंग सेल के संयोज ने। 2006 से 10 तक हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड और तकनीकी शिक्षा बोर्ड के सदस्य और निदेशक रहे. 2009 से 2011 तक बीजेपी के नेशनल ट्रेनिंग सेल के सदस्य भी रहे।

2012 चुनाव में जब उन्हें पहली बार टिकट मिला तो 2500 वोटों से हार गए। इसके बाद उन्हें बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में दोबारा घुमारवीं से उतारा। इस बार उन्होंने कांग्रेस के राजेश धर्माणी को पराजित किया। लोगों से मिलना-जुलना उन्हें पसंद है और कबड्डी का शौक़ है। भले ही कई लोग उनके मंत्री बनने से हैरान हैं मगर राजनीतिक विश्लेषक मान रहे थे कि राजिंदर गर्ग का नंबर लग सकता है क्योंकि कई हालात उनके पक्ष में थे।

दरअसल हमीरपुर-बिलासपुर जैसे अहम ज़िलों से कोई भी मंत्री नहीं था। इन ज़िलों में बीजेपी के धुरंधर नेता, जिनमें प्रेम कुमार धूमल भी शामिल हैं, चुनाव हार चुके हैं। बीजेपी के चुने गए विधायक फ़र्स्ट टाइमर ही थे। इनमें नरिंदर ठाकुर अपवाद थे जो इस बार हमीरपुर से चुने जाने से पहले सुजानपुर उपचुनाव में जीत हासिल कर चुके थे। मगर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि धूमल ख़ेमा उन्हें मंत्री नहीं बनने देगा। उधर नड्डा की बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही राजिंदर गर्ग की क़िस्मत के तारे भी चमकते हुए दिखने लगे थे।

सामने आया विधायक राकेश पठानिया और महिला कॉन्स्टेबल की बहस का वीडियो

कबड्डी के शौकीन राजिंदर गर्ग ने मंत्री बन चौंकाया

सुखराम चौधरी: ’21 हजार के शगुन’ के बदले मिला मंत्री पद

शिमला।। पांवटा के विधायक सुखराम चौधरी मंत्री बनने जा रहे हैं। सिरमौर जिला कांग्रेस का गढ़ रहा है पांवटा सीट कांग्रेस की पारंपरिक सीट थी। मगर 2003 में पहली बार सुखराम चौधरी ने बीजेपी के लिए ये सीट निकली थी। 2017 चुनाव में भी जब वह जीते थे, मंत्री पद के लिए उनकी दावेदारी बन रही थी। मगर जिले की ही नाहन सीट से जीते राजीव बिंदल भी मंत्री पद के दावेदार थे जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया था। इसके साथ ही चौधरी की दावेदारी खत्म हो गई थी।

जब 2019 में लोकसभा चुनाव हो रहे थे, तब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने संकेतों में बात की थी कि सबसे ज़्यादा लीड दिलाने वाले की मंत्री बनने की दावेदारी मजबूत होगी। उस दौरान विधायक सुखराम चौधरी और पांवटा भाजपा मंडल ने 21 हजार का शगुन देने का वादा किया था। यानी शिमला सीट से बीजेपी उम्मीदवार को अपने विधानसभा क्षेत्र से 21 हजार से ज्यादा वोट दिलाने की बात कही थी। मगर पांवटा में इस शगुन से भी कहीं अधिक 27517 मतों की बढ़त मिली थी। सुरेश कश्यप को सबसे ज़्यादा लीड पांवटा सीट से ही मिली थी।

सुखराम चौधरी

इसके बाद से ही पांवटा के लोगों को उम्मीद थी कि सुखराम को मंत्री बनाया जाएगा। कयास तो पिछले साल से ही चल रहे थे मगर अब जाकर चौधरी के मंत्री बनने का रास्ता खुल है। क्योंकि बिंदल न तो विधानसभा अध्यक्ष हैं और न ही प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष हैं। सिरमौर को सरकार में प्रतिनिधित्व देना जरूरी था और अब यह जिम्मेदारी सुखराम चौधरी निभाएंगे।

सिरमौर के कई इलाके बहुत ही पिछड़े हुए हैं। अब उम्मीद है कि चौधरी अब कैबिनेट को अपने इलाके की दिक्कतों से अवगत करवाकर विशेष योजनाएं बनवाने की दिशा में कोशिश कर सकते हैं।

सामने आया विधायक राकेश पठानिया और महिला कॉन्स्टेबल की बहस का वीडियो

सामने आया विधायक राकेश पठानिया और महिला कॉन्स्टेबल की बहस का वीडियो

राकेश पठानिया: जानें, कौन हैं जयराम सरकार में नए मंत्री

इन हिमाचल डेस्क।। आखिरकार नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया का मंत्री पद का इंतजार खत्म हो गया है। तेज-तर्रार नेता माने जाने वाले पठानिया जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बनने जा रहे हैं। उनके साथ पांवटा विधायक सुखराम चौधरी और घुमारवीं के एमएलए राजिंदर गर्ग को भी मंत्री बनने का मौका मिला है।

15 नवम्बर 1964 को कांगड़ा के लदोरी गांव में जन्मे राकेश पठानिया के पिता सेना थे। उनके पिता काहन सिंह कर्नल के पद पर रहते हुए रिटायर हुए थे। बचपन में खेल-कूद में रुचि रखने वाले कुलदीप ग्रैजुएट हैं। उन्होंने पुणे, इलाहाबाद (प्रयागराज) और अमृतसर से पढ़ाई की है।

राकेश पठानिया

राजनीति के इतर खुद को समाजसेवी मानने वाले पठानिया के परिवार में पत्नी, एक बेटी और एक बेटा है।

राजनीतिक करियर
पठानिया के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1991 में हुई थी। वह भारतीय जनता किसान मोर्चा जैसे संगठनों में भी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं।

1996 में बीजेपी के टिकट पर राकेश पठानिया ने पहली बार विधानसभा उपचुनाव लड़ा था मगर उसमें उन्हें सफलता नहीं मिली थी। पहली बार वह 1998 में बीजेपी के टिकट पर ही जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2003 तक वह पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन रहे। अगले चुनाव में उन्हें हार मिली। फिर 2007 में जब बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते भी।

राकेश पठानिया

2012 में उन्हें निर्दलीय लड़ते हुए हार मिली मगर 2017 में बीजेपी का टिकट मिलने पर तीसरी बार विधानसभा के लिए चुने गए। अभी वह लोक प्रशासन समिति व कुछ अन्य समितियों के सदस्य हैं।

तेज-तर्रार माने जाने वाले पठानिया विधानसभा में अपनी ही सरकार के मन्त्रियों से जनता से जुड़े सवाल पूछकर उन्हें असहज करते रहे हैं। हालांकि, ऐसे मौके भी कई बार आए जब सीएम पर हमलावर विपक्ष से पठानिया अकेले ही भिड़ गए।

विवादों से भी उनका नाता रहा है। पिछले वर्ष वह तब चर्चा में आए थे जब शिमला के सील्ड रोड पर उनकी एक महिला कॉन्स्टेबल से बहस का वीडियो सामने आया था।

नूरपुर की जनता को पठानिया से काफी उम्मीदें रही हैं। कांगड़ा की जनता पहले के मंत्रियों से निराश रही है। ऐसे में देखना होगा कि पठानिया मंत्री बनकर क्या अलग करते हैं।

कबड्डी के शौकीन राजिंदर गर्ग ने मंत्री बन चौंकाया

कबड्डी के शौकीन राजिंदर गर्ग ने मंत्री बन चौंकाया

सामने आया विधायक राकेश पठानिया और महिला कॉन्स्टेबल की बहस का वीडियो

हिमाचल: वॉलीबॉल टूर्नामेंट में पहुंचे मंत्री के बेटे ने एकसाथ तोड़े कई नियम

शिमला।। एक ओर जहां हिमाचल सरकार सुझाव मंगवा रही है कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लॉकडाउन लगाया जाए या नहीं, दूसरी ओर नेता, मंत्री और उनके परिजन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। आपने सांसदों, मंत्रियों को नियमों का उल्लंघन करते तो देखा ही होगा, अब मंत्री पुत्र का एक काम चर्चा का विषय बन गया है।

शिमला सिटी से विधायक और शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज के बेटे पर आरोप लगा है कि उन्होंने भमनोली गांव में वॉलीबॉल टूर्नमेंट में मुख्यातिथि के तौर पर शिरकत की थी। भमनोली सुरेश भारद्वाज का पैतृक गाँव है। अनुराग भारद्वाज पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने मास्क भी नहीं लगाया था और लोगों से खुलकर मिले।

ये सब तब हुआ जब पहले से ही पूरे प्रदेश (देश में भी) समूह में होने वाले खेलों पर रोक है। न तो खिलाड़ी ऐसे जुट सकते हैं और न दर्शक। मगर अनुराग भारद्वाज जहां पर दिखे, वहां इन सभी नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। इस पूरे वाक़ये की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं।

इस प्रतियोगिता में कई टीमों ने हिस्सा लिया। शिक्षा मंत्री के पुत्र कह रहे हैं कि वह तो अपने बगीचे को देखने गए थे, वह तो तब वहां गए जब पता चला कि गांव में मास्क बांटे जा रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि टूर्नमेंट नहीं हो रहा था, कुछ स्थानीय बच्चे खेले जा रहे थे। उनका यह बयान कई अखबारों में भी छपा है। मगर सोशल मीडिया पर आई तस्वीरें उनके दावे की पोल खोल देती हैं।

गांव के प्रधान ने भी मामले से कन्नी काट ली है और कहा कि न तो उन्होंने ऐसे किसी आयोजन को स्वीकृति दी थी और न वह वहां पर उपस्थित थे। अब इस पूरे मामले को लेकर जागरूक लोग नाराज़गी जता रहे हैं। कांग्रेस ने भी इस बात को लेकर सवाल उठाए हैं कि जनता और सत्ताधारी नेताओं, दोनों के लिए अलग नियम क्यों हैं।

मास्क न पहनने के लिए पहले खुद पर जुर्माना लगाएं हिमाचल के नेता