मास्क न पहनने के लिए पहले खुद पर जुर्माना लगाएं हिमाचल के नेता

मास्क न पहनना ख़तरनाक हो सकता है

इन हिमाचल डेस्क।। खबर है कि हिमाचल प्रदेश सरकार आज मास्क न पहनने पर जुर्माने के प्रावधान का फैसला कर सकती है। आज कैबिनेट की बैठक होने वाली है जिसमें कोरोना संकट के अलावा अन्य कई विषयों पर चर्चा होगी। मगर जो खबर सभी का ध्यान खींच रही है, वो है कोरोना से बचने के लिए बनाए गए नियमों का पालन न करने पर सज़ा का प्रावधान।

सरकार का कहना है कि लोग सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं पहन रहे और सोशल डिस्टैंसिंग का ख़याल नहीं रख रहे जिससे कोरोना के फैलने की आशंका है। हिमाचल में इस वक्त ऐक्टिव केस 400 के पार हैं। यह स्थिति देश के बाकी प्रदेशों की तुलना में बेहतर लगती है। जितनी बड़ी संख्या में हिमाचल के लोग बाहर से अपने घर लौटे हैं, उसकी तुलना में वाकई ये आंकड़े काफ़ी अच्छे हैं। मगर इसका मतलब यह नहीं कि हिमाचल में कोरोना है ही नहीं।

हिमाचल में आप कहीं पर भी घूमें, ऐसा लगता है कि जन-जीवन सामान्य सा हो गया है। होना भी चाहिए था, क्योंकि जब कोरोना का कोई टीका और इलाज ही नहीं है तो आप घर पर नहीं बैठ सकते। मगर इस दौरान लोगों को देखकर लगता है कि उनके मन से डर ही ख़त्म हो गया है। न तो व सोशल डिस्टैंसिंग का पालन कर रहे है और न ही मास्क पहन रहे हैं। जिन्होंने मास्क पहना भी होता है, वो नाक को बाहर निकालकर सर्फ मुंह को ढकते हैं। कुछ तो जालीदार मास्क पहनने लगे हैं जिसका कोई मतलब ही नहीं है।

बहुत से लोग नाक बाहर निकालकर ऐसे पहन रहे हैं मास्क तो कुछ का मास्क गले में पड़ा रहता है।

बाज़ारों में हालत खराब है। न तो दुकानदारों ने मास्क पहने होते है और नही ग्राहकों ने। अगर आप उनके बीच मास्क पहनकर चले जाएं तो वे आपकी खिल्ली उड़ाते हैं कि आप डरपोक हैं। कुछ लोगों ने मास्क छोड़कर गले में पटका डालना शुरू कर दिया है, जिसे वे तभी लगाते हैं जब किसी दफ्तर जाना हो। बाकी समय वो उसी से पसीना और हाथ पोंछते हैं। जबकि अगर उन्होंने वायरस वाली सतह को छूने के बाद उस पटके से हाथ पोंछा हो और फिर उसी से नाक-मुंह ढक लिया हो तो तुरंत संक्रमित हो जाएंगे। इन्हें कुछ कहें तो बोलते हैं- प्रधानमंत्री भी तो पटका पहनते हैं।

ये लोगों की कैज़ुअल अप्रोच को दिखाता है। ये नेताओं को भी सबक है कि जिस देश में नासमझों की संख्या अच्छी खासी हो, उन्हें संदेश देने के लिए जबरन प्रयोग नहीं करने चाहिए। इससे भी बड़ी बात ये है कि आज जब हर कोई सोशल मीडिया पर है तो वो देख सकता है कि उसके नेता क्या कर रहे हैं। और इस मामले में हिमाचल प्रदेश सरकार से लेकर विपक्ष तक में बैठे नेता गलत उदाहरण पेश करते रहे हैं।

पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पर सोशल डिस्टैंसिंग का उल्लंघन कर एक हवन कार्यक्रम में सम्मिलित होने के आरोप लगे। ये एक ग़ैर जरूरी आयोजन था और मुख्यमंत्री का इसमें सम्मिलित होना तो और भी अनावश्यक था। वह भी उस अवस्था में जब बाकी लोगों को मंदिर-मस्जिदों में भीड़ लगाने की इजाजत नहीं, शादी समारोहों में 50 से ज़्यादा मेहमानों को बुलाया नहीं जा सकता।

विपक्ष ने सीएम पर नियमों के उल्लंघन को लेकर ज़ोरदार हमला बोला था

सरकार के कई मंत्री तो अक्सर सार्वजनिक स्थानों पर बिना मास्क दिखते हैं और लोगों से घुलते-मिलते हैं। शायद उन्होंने प्रण ले लिया है कि वे बिना मास्क ही रहेंगे। ये लोग ही जनता को मास्क आदि न पहनने को प्रेरित कर रहे हैं। यहां तक कि कुछ सांसदों ने तो कोरोना काल में नाटक करने के लिए जबरन आयोजन करवाए ताकि अपनी प्रासंगिकता दिखा सकें। और हंसी की बात ये है कि सत्ताधारी नेताओं पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाने वाले विपक्षी नेता भी खुद वही करते नजर आते हैं।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन में भी उड़ी थीं नियमों की धज्जियाँ

पिछले दिनों शिमला में कांग्रेस ने सरकार के रवैये के विरोध में प्रदर्शन का तो सोशल डिस्टैंसिंग उसमें कोई नाम न था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बिना मास्क पहने लोगों के बीच थे। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री वैसे तो मीडिया के सामने सरकार पर आक्रामक रहते हैं मगर अपने यहां लोगों से मिलते हैं तो सोशल डिस्टैंसिंग और मास्क का उन्हें ख्याल नहीं रहता।

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की ऐसी तस्वीरें मौजूद हैं जिनमें वह कोरोना काल में बिना मास्क भीड़ में खड़े हैं।

खुद को अलग स्थापित करने की कोशिश में जुटे रहने वाले शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह इन दिनों सोशल मीडिया पर सरकार को घेरते हैं और सीएम पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हैं, मगर उनकी अपनी ही टाइमलाइन में पीछे जाएं तो वह भी कोरोना काल में हुए कई प्रदर्शनों में बिना मास्क नज़र आते हैं।

एक प्रदर्शन के दौरान विक्रमादित्य

कुछ ऐसी तस्वीरें भी हैं, जिनमें वह बिना मास्क के लोगों के साथ खड़े हैं और हाथ भी मिला रहे हैं। जबकि ख़ुद वह सीएम को निशाने पर ले रहे थे कि हवन करके नियम तोड़ा।

यही विक्रमादित्य रविवार को उग्र थे कि सरकार कोरोना के नियमों का पालन नहीं कर रही।

कुल मिलाकर बात ये है कि जिन नेताओं को आदर्श पेश करना चाहिए था, वे ख़ुद गलत उदाहरण पेश कर रहे हैं। जितनी शिद्दत से उन्हें लोगों को जागरूक करना चाहिए था, उसकी जगह वे पूरी ताकत एक-दूसरे पर आरोप लगाने में कर रहे हैं। सरकारी मीटिंगों, बैठकों और मंत्रियों द्वारा विभागों के कामों की समीक्षा की जो तस्वीरें आती हैं, वे दिखाती हैं कि हमारे नेता कितने लावपरवाह हैं। सत्ता और विपक्ष, दोनों के विधायकों की प्रेस कॉन्फ्रेंसों में भी यही आलम दिखता है।

सरकार को मास्क न पहनने पर कार्रवाई के नियम बनाने हैं तो बनाएं। मगर उनमें एक लाइन और जोड़े कि अगर सरकारी अधिकारी, कर्मचारी या सरकारी पैसा लेने वाले लोग (जिनमें मंत्री, विधायक, निगमों-आयोगों के पदाधिकारी या सदस्य) शामिल हैं, वे इन नियमों को तोड़ेंगे तो उनपर दोगुना जुर्माना होगा। इसके साथ ही सरकार पहले अपने मंत्रियों से कहे कि मास्क लगाएं, हूजूम के साथ न चलें, झुंड बनाकर न बैठें। और विपक्ष भी पहले अपने आप को दुरुस्त करे, फिर खबरों में छपने के लिए सवाल उठाए।

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