कांग्रेस से इस्तीफा देकर बोले आदित्य विक्रम सिंह- कभी नहीं थामूंगा कांग्रेस का दामन

कुल्लू।। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के द्वारा विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी कर दी गई है। तो वहीं अब लिस्ट में नाम न होने के चलते कांग्रेस के नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। प्रदेश कांग्रेस सचिव आदित्य विक्रम सिंह ने भी पहली लिस्ट में अपना नाम ना होने के चलते कांग्रेस पार्टी के विभिन्न पदों से अपना इस्तीफा दे दिया है और कहा है कि अब वे दोबारा कांग्रेस पार्टी का दामन नहीं थामेंगे।

आदित्य विक्रम सिंह प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सचिव के पद पर कार्यरत है और सराज विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के प्रभारी के रूप में भी काम कर रहे थे। वहीं उन्होंने बंजार विधानसभा से कांग्रेस पार्टी से टिकट की मांग रखी थी और बीते 5 सालों से पार्टी के कार्यक्रमों में भी वह शामिल हो रहे थे। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के द्वारा बंजार विधानसभा से पूर्व मंत्री खीमी राम शर्मा को प्रत्याशी घोषित किया है। जिसके चलते नाराज होकर आदित्य विक्रम सिंह ने कांग्रेस पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया है और उसे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को भी भेज दिया है।

आने वाले विधानसभा चुनाव में विधानसभा में कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए काफी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि आदित्य विक्रम सिंह के पक्ष में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के द्वारा लारजी में एक बैठक रखी गई थी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पूर्व मंत्री खीमी राम का खुलकर विरोध किया था। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा था कि अगर आदित्य विक्रम सिंह को कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी घोषित नहीं करती है। तो कांग्रेस कार्यकर्ता सामूहिक रूप से इस्तीफा देंगे और इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को भुगतना सकता है।

ऐसे में अब आदित्य विक्रम सिंह की नाराजगी बंजार विधानसभा में कांग्रेस पार्टी को भारी पड़ सकती है। कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद आदित्य विक्रम सिंह का अगला कदम क्या होगा। क्या आदित्य विक्रम सिंह किसी अन्य पार्टी में शामिल होंगे या फिर भी निर्दलीय तौर पर बंजार विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे। यह सब भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है।

रामपुर में छात्रा की हत्या, सड़क किनारे मिला शव

रामपुर बुशहर॥ शिमला जिला के झाकड़ी थाना के अंतर्गत कोटला कन्नी संपर्क मार्ग पर कालेज छात्रा की हत्या का मामला सामने आया है। युवती रामपुर कॉलेज की छात्रा थी, जिसका शव कोटला-कुन्नी सड़क के किनारे झाड़ियों के बीच बरामद किया गया है।

पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार अनीता नेगी पुत्री टिक्कम नेगी निवासी गांव कुन्नी उम्र 20 वर्ष रविवार को करीब दस बजे ज्यूरी के समीप त्यावल गांव में अपने रिश्तेदार के घर से पैदल अपने घर कन्नी जा रही थी।

इस दौरान युवती अपनी मां से मोबाइल पर बात कर रही थी, इसी बीच अचानक कॉल कट गई। इससे युवती की मां को अहसास हुआ कि मेरी बेटी के साथ कुछ हादसा हुआ है। मां ने अनीता के मोबाइल कई बार कॉल की लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। इसके बाद मां बेटी को ढूंढने के लिए कोटला की ओर निकली तो घर से कुछ दूरी पर सड़क के साथ ऊपर की ओर युवती का शव झाड़ियों से ढका मिला। सूचना मिलते ही कुन्नी गांव समेत आसपास के क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में घटना स्थल पहुंच गए और मामले की सूचना पुलिस को दी गई।

इसके बाद ज्यूरी और झाकड़ी से पुलिस टीम मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू की। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि युवती के शरीर पर चोटों के निशान है। और गले में मोबाइल चार्जर की वायर भी बंदी है। पुलिस ने परिजनों के बयान ओर प्रारंभिक जांच के आधार पर अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्जकर छानबीन शुरू कर दी है। युवती के शब को पोस्टमार्टम आई जी एम सी शिमला किया गया।

आज एसपी शिमला ने घटना स्थल का निरिक्षण किया। एफएसएल की टीम को घटना स्थल पर बुलाया गया हैं जो साक्ष्य जुटाने मैं लगी हैं। एनडीआरएफ की टीम को भी घटना स्थल पर बुलाया गया हैं जो युवती के मोबाइल के खोज में लगी हैं। मोबाइल मिलने के बाद हत्या के मामले में कुछ खुलासा हो सकता है।

हिमाचल: राजनीतिक मान-मर्यादा को लांघते गुमनाम सोशल मीडिया हैंडल्स

कपिल शर्मा।। वैसे तो शीत ऋतु आरंभ हो चुकी है लेकिन हिमाचल प्रदेश में चुनावी मौसम की गर्मी के चलते इस बार शीत लहर भी कुछ नहीं बिगाड़ पा रही। लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि हर 5 साल बाद सत्ताधीश बने रहने के लिए नेताओं परीक्षा देनी पड़ती है। इस परीक्षा में आरोप, षड्यंत्र और सही गलत को दांव पर लगाया जाना आम बात है।

हालांकि इस बात को हुए 5 साल होने को आ गए पर लगता है कि यह चंद दिनों पहले की ही बात है जब भारतीय जनता पार्टी ने जय राम ठाकुर को अचानक से मुख्यमंत्री घोषित कर दिया था और हिमाचल प्रदेश की राजनीति का एक अलग अध्याय का आरंभ हो गया। आज उन्हीं जय राम ठाकुर को फिर मैदान में उतर कर अपनी दूसरी पारी को जारी रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

इस चुनावी उठापटक के बीच पक्ष-विपक्ष की एक दूसरे की आलोचना या बयानबाजी होना स्वाभाविक है और आवश्यक भी है। चूंकि यही चुनावी मौसम होता है जो नेताओं के असली रंग जनता के सामने लेकर आता है, वरना 5 साल तक तो कुछ नेताओं के दर्शन तक दुर्लभ हो जाते हैं। पहले जहां रैलियों, भाषणों और समाचार पत्रों के माध्यम से नेता लोग एक दूसरे पर निशाना बनाते थे वहीं इसकी जगह आज सोशल मीडिया ने ले ली है।

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राजनीतिक रैलियों के मंच और भाषणों की तरह सोशल मीडिया की कोई सीमा य़ा मर्यादा नहीं होती। वहां तो बस आपकी उंगलियां चलती हैं और कुछ भी, किसी के भी बारे में लिख दिया जाता है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक आते-आते सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर ढेरों ऐसी प्रोफाइल बन गई हैं जिनका नाम तो हिमाचली सा लगता है पर चेहरा नहीं, इनकी फेसबुक फ्रैंडलिस्ट तो काफी लंबी दिखता है पर इन्हें फेसबुक के बाहर कोई नहीं जानता है।

ऐसे अज्ञात हैंडल्स हिमाचल की राजनीति में विशेष रुचि रख रहे हैं और किसी खास नेता या पार्टी के समर्थन में कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। बात केवल आरोप- प्रत्यारोप तक की ही नहीं बल्कि ये तो किसी संवैधानिक पद या उम्र तक का लिहाज भी नहीं करते। सोशल मीडिया पर कोई नियामक बॉडी नहीं है और ना ही कोई निगरानी व नियंत्रण, तो जो चाहे यहां लिखे और मान मर्यादा को तार तार कर दे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता।

करीब से अध्ययन करने पर पता चलता है कि सैंकड़ो फेक प्रोफाइल बनाई गई हैं जिसमें बड़े बड़े नेताओं को निशाने पर लेकर उनपर अभद्र टिप्पणी की जाती हैं। देखादेखी में भोले भाले मासूम लोग भी यही करने लग जाते हैं और यही इन फेक प्रोफाइल को बनाने वाले का मुख्य मकसद है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को तू-तड़ाक से संबोधित करना, पूर्व मुख्यमंत्री पर ओछी टिप्पणी करना या किसी के निजी समस्याओं का मजाक बनाना, ये सब मर्यादाएं यहां लांघ दी गई हैं।

ऐसा नहीं है कि ये काम बिना किसी की शय से हो रहा है। ऐसा करने के लिए राजनीतिक पार्टी के नेताओं द्वारा निजी कंपनियों को काम पर लगाया गया है जिसमें काम करने वाले कर्मचारी इन हैंडल्स को चलाते हैं और इन पर पोस्ट होने वाले कंटेंट को मैनेज करते हैं। ऐसी कंपनियां खुद को पॉलिटिकल कैंपेन मैनेजमेंट फर्म के रूप में दिखाती है और इसकी आड़ में नफरत और कुंठा के इस व्यापार को अंजाम देती है।

यदि समय रहते ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कोई काबू न किया गया तो जल्द ही ऐसा होगा कि सोशल मीडिया से निकलकर ऐसी निर्लज्जता हमारी दैनिक चर्या में देखने को मिलेगी। अभी चेहरा छुपाकर सोशल मीडिया पर लिखा जा रहा है लेकिन बड़े नेताओं की शय मिलती रहे तो ये लोग किसी को भी बेइज्जत कर सकते हैं। चुनाव जीतने के लिए ऐसे हथकंडे तो जरा भी स्वीकार्य नहीं है, न ही लोकतंत्र के लिए लाभदायक। हमारे हिमाचल प्रदेश की ऐसी परंपरा तो कतई नहीं रही है।

(लेखक पत्रकारिता एवं जन संचार में एम.ए. हैं और वर्तमान में पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से राजनीतिक शास्त्र में एम.ए. कर रहे हैं। उनसे kapilbom@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा की निर्माण पट्टिका तोड़ने पर कांग्रेस कार्यकर्ता नाराज

धर्मशाला।। धर्मशाला के खनियारा स्थित पार्क में पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा की लगी निर्माण पट्टिका के तोड़े जाने पर कांग्रेस कार्यकर्ता उग्र हो गए हैं। 12 अक्तूबर को कुछ अज्ञात शरारती तत्वों ने निर्माण पट्टिका को तोड़ दिया जिस पर धर्मशाला कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुलिस थाना धर्मशाला में एफ.आई.आर. दर्ज करवाई।

पुलिस थाना प्रभारी धर्मशाला से धर्मशाला कांग्रेस कमेटी के महासचिव चतर सिंह की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधि मंडल मिला और मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई करने की मांग की। प्रतिनिधि मंडल ने पुलिस थाना प्रभारी को बताया कि शरारती तत्वों की ऐसी हरकत से कांग्रेस कार्यकर्ता हताश हैं और गुस्से में हैं।

कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रदेश में चुनावी दौर है और ऐसी घटनाएं माहौल उग्र कर सकती हैं। अतः प्रशासन ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करे और दोषियों को पकड़ नियमानुसार कार्रवाई करे।

पुलिस थाना प्रभारी से मिले प्रतिनिधि मंडल में अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ धर्मशाला के अध्यक्ष सोनू डोगरा, पार्षद वार्ड-15 रजनी व्यास, जावेद भट्ट, प्रदीप कुमार, ओंकार सिंह, दीप राज, नरेश कुमार, राम लाल, श्रीराम, गुलशन, कंचन, संदीप गुप्ता, मदन, संदीप कुमार, नीरज कुमार, सन्नी कुमार, दीप राज, जय कुमार एवं रंचन विनीत कुमार सहित करीब 60 लोग मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री के दौरे के चलते चंबा में 10 किलोमीटर के दायरे में सभी स्कूल बंद

चंबा।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चंबा दौरे के कारण चंबा के चौगान के 10 किलोमीटर के दायरे के सभी सरकारी और निजी स्कूल आज बंद रखे गए हैं। डीसी चंबा की ओर से बुधवार को ही ऐसे आदेश जारी किए गए थे।

ऊना में वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाने, ट्रिपल आई का उद्घाटन करने और बल्क ड्रग फार्मा पार्क का शिलान्यास करने के बाद प्रधानमंत्री चंबा पहुंचेंगे।

यहां वह दो हाइड्रो पावर प्रॉजेक्ट्स का शिलान्यास किया जाएगा और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण का शुभारंभ किया जाएगा।

कांग्रेस और मुकेश अग्निहोत्री क्यों ले रहे फेक न्यूज का सहारा?

इन हिमाचल डेस्क।। चुनाव आते ही नेताओं द्वारा फर्जी पोर्टलों और प्रॉपगैंडा पेजों के आधार पर जनता को गुमराह करने का सिलसिला शुरू हो चुका है। कुछ पाठकों ने हमें लिंक भेजकर हमसे गुजारिश की थी कि नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री द्वारा शेयर की गई एस पोस्ट और एक अन्य फेसबुक पेज पर डाले गए वीडियो की सच्चाई बताएं। पड़ताल करने के बाद हमने पाया कि दोनों ही पोस्ट्स प्रामाणिक नहीं हैं।

दरअसल, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने अपने फेसबुक पेज पर एक स्क्रीनशॉट डाला है और लिखा है कि ‘बीजेपी खुद मान रही है कि भाजपा के जीतने की संभावना नहीं है।’

Hello Himachal वास्तव में कांग्रेस द्वारा चलाया जा रहा है

अग्निहोत्री ने ‘हेलो हिमाचल’ नाम के पेज की रिपोर्ट को शेयर करते हुए लिखा है कि अब तो भाजपा खुद मान रही है। मगर पड़ताल करने पर पता चला कि हेलो हिमाचल नाम का यह पेज वास्तव में कांग्रेस के लिए काम कर रही एक एजेंसी द्वारा संचालित किया जा रहा है। यानी नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस संचालित पेज पर पोस्ट कॉन्टेंट को एक रिपोर्ट बताते हुए जनता को एक तरह से गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।

हेलो हिमाचल पेज पर DEVOUT GROWTH MEDIA PVT LTD नाम की कंपनी कांग्रेस समर्थक पोस्ट्स डालकर उन्हें विज्ञापन के तौर पर बूस्ट कर रही है। इनमें कांग्रेस के नेताओं के बयान हैं जिन्हें प्रचारित किया जा रहा है। नीचे इस पेज की ऐड लाइब्रेरी पर बूस्ट की जा रही पोस्ट्स देखें-

हेलो हिमाचल द्वारा चलाए जा रहे विज्ञापन

आप स्वयं भी यहां पर क्लिक करके देख सकते हैं कि Hello Himachal पेज फेसबुक पर पेड प्रमोशन करके क्या चला रहा है।

कांग्रेस समर्थित पेज पर फर्जी वीडियो
यही नहीं, कांग्रेस समर्थित एक पेज अपना हिमाचल, अपनी कांग्रेस में खुद से वीडियो बनाकर खबर की तरह से एक वीडियो डाला गया है जिसमें सर्वे में बीजेपी की हार का दावा किया गया है। मगर यह वीडियो भी फर्जी है।

Himachal Breaking का लोगो लगाकर चलाया जा रहा फर्जी वीडियो

वीरभद्र की तस्वीर लगे इस पेज पर शेयर किए गए इस वीडियो में न तो किसी चैनल का जिक्र है, न किसी एजेंसी का कि सर्वे किसने किया। इसमें Himachal Breaking का एक लोगो लगाया गया है मगर इस नाम का कोई चैनल हमें तलाश करने पर नहीं मिला।

दरअसल, इस पेज के संचालक ‘जोइया मामला सुनदा नहीं’ नाम का पेज भी चलाते हैं जिसमें मुख्यमंत्री को थप्पड़ मारने, लात मारने, रावण व गजनी के रूप में दिखाने वाले वीडियो डाले जा रहे हैं। इस पेज को ऐसा दिखाने की कोशिश की जा रही है कि इसे कर्मचारी चलाते हैं, मगर वास्तव में इसे अमित कुमार सिंह नाम के व्यक्ति चला रहे हैं जो पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं।

मुख्यमंत्री को लात मारने वाले वीडियो के बाद फिर विवाद में आया कांग्रेस संबंधित पेज

आपको भी यदि किसी सोशल मीडिया पोस्ट या खबर आदि पर संदेह तो inhimachal.in@gmail.com पर हमें भेजें। हम कोशिश करेंगे कि यथाशीघ्र उनका फैक्ट चेक करके सही जानकारी लोगों तक पहुंचाएं।

भाजपा 25 तो कांग्रेस इन 23 सीटों पर बदल सकती है प्रत्याशी, देखें

इन हिमाचल डेस्क।। चुनाव आचार संहिता लगने में कुछ ही दिन का समय बचा है लेकिन अभी तक किसी भी पार्टी ने टिकटों की घोषणा नहीं की है। कांग्रेस इस मामले में सबसे आगे लग रही थी मगर अब तक उसने किसी भी सीट पर टिकट का एलान नहीं किया है। भारतीय जनता पार्टी तो पहले ही कह रही थी कि आचार संहिता लगने के बाद ही उसकी ओर से टिकट दिए जाएंगे। लेकिन इतना तय है कि इस बार दोनों प्रमुख पार्टियां बड़े पैमाने पर प्रत्याशी बदलने जा रही है।

दरअसल, हिमाचल प्रदेश में साढ़े तीन दशक बाद ऐसा माहौल बनता दिख रहा है जिसमें विश्लेषक, पत्रकार और राजनेता; सभी की राय बंटी हुई है। कुछ का कहना है कि सरकार बदलने का रिवाज बना रहेगा तो कुछ का मानना है कि इस बार रिवाज बदलने की संभावना है। मगर भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों के सूत्रों का कहना है कि उनके आंतरिक सर्वे साफ संकेत दे रहे हैं कि सत्ता में आना है तो इस बार बड़े फैसले करने होंगे, कई सारी सीटों पर प्रत्याशी बदलने होंगे।

इस बार दोनों ही पार्टियां 35 से 40 प्रतिशत सीटों पर अपने प्रत्याशी बदल सकती है। जिन्हें 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट दिया गया था, उनकी जगह नए प्रत्याशी को उतारने के मामले में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों की ही स्थिति एक जैसी नजर आ रही है। जमीनी परिस्थितियों का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि भारतीय जनता पार्टी 25 तो कांग्रेस 23 सीटों पर नए उम्मीदवार उतार सकती है।

पहले बात करते हैं भारतीय जनता पार्टी की। बीजेपी अभी सत्ता में है और स्वाभाविक है कि उसके विधायकों को सत्ता विरोधी भावना का ज्यादा सामना करना पड़ेगा। ये हैं वे 25 सीटें, जहां पार्टी टिकट बदल सकती है-

1.भरमौर
2.चम्बा सदर
3.कांगड़ा
4.धर्मशाला
5.ज्वालाजी
6.देहरा
7.पालमपुर
8.फतेहपुर
9.करसोग
10.नाचन
11.जोगिंदर नगर
12.सरकाघाट
13.आनी
14.बंजार
15.कुल्लू
16.हरौली
17.ठियोग
18.रामपुर
19.जुब्बल-कोटखाई
20.नालागढ़
21.रेणुकाजी
22.बड़सर
23.हमीरपुर
24.भोरंज
25.सुजानपुर 

इसी तरह कांग्रेस भले विपक्ष में है लेकिन वह जानती है कि उसके पास रिवाज के आधार पर सत्ता में आने का मौका है। लेकिन यह मौका छिन सकता है, अगर कैंडिडेट कमजोर हुए। तो जिन 2३ सीटों पर टिकट बदले जा सकते हैं, वे इस तरह से हैं:

  1. चुराह

  2. इंदौरा

  3. देहरा

  4. जयसिंहपुर

  5. सुलह

  6. नगरोटा बगवां

  7. कांगड़ा

  8. शाहपुर

  9. मनाली

  10. बंजार

  11. करसोग

  12. नाचन

  13. जोगिन्दर नगर

  14. भोरंज

  15. हमीरपुर

  16. बिलासपुर सदर

  17. झंडूता

  18. चिंतपूर्णी

  19. नालागढ़

  20. पच्छाद

  21. चौपाल

  22. ठियोग

  23. शिमला अर्बन

बहरहाल, कुछ दिनों में दोनों पार्टियों की लिस्ट जारी हो जाएगी और स्पष्ट हो जाएगा कि कहां से कौन प्रत्याशी होगा। टिकटों का बंटवारा हिमाचल प्रदेश में बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पूरे हिमाचल में किसी एक नैरेटिव या मुद्दे के आधार पर मतदाताओं का रुझान तय नहीं होता। हर सीट के अपने समीकरण होते हैं। ऐसे में हर बार की तरह सरकार उसी पार्टी की बनेगी जो जिताऊ कैंडिडेट को टिकट देने के साथ-साथ अपने लोगों को बागी होने से रोक पाएगी।

मनाली में मुरारी बापू से मिले सीएम जयराम ठाकुर, कंगना के साथ किया नाश्ता

कुल्लू।। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के समापन पर पहुंचे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंगलवार सुबह मनाली का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने मनाली में आए भारत के प्रसिद्ध संत मुरारी बापू के दर्शन किए। फिर सिमसा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत से मिलने पहुंचे। इस दौरान कंगना रनौत के माता-पिता भी उपस्थित रहे और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उनके साथ सुबह का नाश्ता भी किया।

मुख्यमंत्री के साथ मनाली के स्थानीय विधायक और प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर भी मौजूद रहे। उन्होंने कंगना रनौत के साथ भेंट की। आधा घंटा से ज्यादा दोनों के बीच मंत्रणा हुई है। हालांकि इस मुलाकात के दौरान क्या बातचीत हुई, इस बारे में कुछ सामने नहीं आ पाया है। लेकिन चुनाव की दहलीज़ पर खड़े हिमाचल प्रदेश में इस मुलाकात को राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। बीते दिनों ही कंगना रनौत सुकून के पल बिताने मनाली पहुंची हैं।

कंगना ने मनाली के सिमसा में अपना आशियाना बनाया हुआ है। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की किसी को खबर नहीं थी। अचानक सुबह पौने नौ बजे सीएम का काफिला मनाली सर्किट हाउस से निकला और सीधे सिमसा जाकर रुका। लोगों को लगा कि काफिला शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर के घर जा रहा है। लेकिन काफिला सीधा कंगना रनौत के घर पहुंच गया।

कंगना भी दो दिन पहले ही पहुंची हैं सिमसा
बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत के घर के आसपास रहने वाले लोग सुबह सुबह सीएम के काफिले को सिमसा में देख हैरान हाे गए। मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री ने आधा घंटा कंगना से शिष्टाचार भेंट की। हालांकि शिक्षा मंत्री तो पड़ोसी होने के नाते कंगना से मिलते रहते हैं। लेकिन सीएम मोदी पहली बार कंगना से मिलने सिमसा पहुंचे।

गौर रहे कि  कंगना रनौत का भारतीय जनता पार्टी की ओर झुकाव ज्यादा है। वह पीएम मोदी से भी काफी प्रभावित हैं व कई बार उनके कार्यों की तारीफ कर चुकी है। अब चुनावी बेला में मुख्‍यमंत्री जयराम ठाकुर की अचानक बॉलीवुड अभिनेत्री से मुलाकात कई तरह के कयास लगा रही है। चर्चा यह भी तेज हो गई है कि क्‍या कंगना चुनाव लड़ने जा रही हैं।

सरकाघाट में फिलहाल बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किल है जीत की राह

देवेंद्र।। विधानसभा चुनावों के लिए दो प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा व कांग्रेस में टिकट आवंटन को लेकर जैसे-जैसे इंतजार लंबा खिंच रहा है, वैसे ही अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं व मतदाताओं की धड़कने भी तेज़ होती जा रही हैं। जिन क्षेत्रों में टिकट आवंटन को लेकर स्थिति साफ है, वहां तो दोनों दलों को कोई दिक्कत नहीं। लेकिन जहां टिकटों को लेकर आपसी खींचतान व असमंजस की स्थिति है, वहां कांग्रेस तथा भाजपा के लिए हार व जीत का संशय भी बिल्कुल इसी तरह बरकरार है। मंडी जिले के सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो पिछले कुछेक चुनावों से यह सीट लगातार प्रदेश के लिए हॉट सीट बनी हुई है।

सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र से 7 बार प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रंगीला राम राव को पिछले चुनाव में विधानसभा टिकट नहीं मिल पाया लेकिन इस बार टिकट के लिए वे अपनी दावेदारी जता चुके हैं। वर्तमान विधायक कर्नल इंद्र सिंह ठाकुर भाजपा के टिकट से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं और चौथी बार भी टिकट को लेकर अपनी दावेदारी जता रहे हैं। इसी तरह कांग्रेस के टिकट से पिछली बार चुनाव लड़ने वाले पवन ठाकुर मान रहे हैं कि इस बार भी उन्हीं को टिकट मिलेगा। जबकि प्रदेश युवा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष यदुपति ठाकुर ने भी टिकट को लेकर ताल ठोक दी है। कांग्रेस में युवाओं को टिकट मिलने की फेहरिस्त में उनका नाम भी चर्चा में चला हुआ है।

भाजपा में मौजूदा विधायक कर्नल इंद्र सिंह ठाकुर के अलावा जिला पार्षद चंद्र शर्मा भी बीजेपी से टिकट चाहते हैं। वहीं सरकाघाट में भाजपा संगठन को खड़ा करने वाले और संगठन के लिए चुपचाप बिना अपनी महत्वाकांक्षाओं को जाहिर किए काम करने वाले भाजपा जिलाध्यक्ष दलीप ठाकुर भी टिकट के दावेदार बताए जा रहे हैं। इसी तरह प्रदेश भाजपा सचिव के पद पर नियुक्त डाक्टर सीमा ठाकुर का नाम भी चर्चा के रूप में सामने आता है।

भाजपा को लेकर निराशा
सरकाघाट में कांग्रेस हो या भाजपा, किसी भी दल को जीतना है तो उसमें चेहरा बहुत अहम भूमिका निभाएगा। वर्तमान में विधायक कर्नल इंद्र सिंह ठाकुर पर जिस तरह क्षेत्र की अनदेखी व क्षेत्र के विकास के लिए मौन रहने के आरोप लगते रहे हैं, उससे इस बार इनकी राह इतनी आसान नहीं लगती। कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि जो विकास या जो कुछ काम सरकाघाट के लिए रंगीला राम राव के मंत्री रहते हुए, उसके बाद सरकाघाट में कुछ भी विशेष नहीं हो पाया।

कर्नल इंद्र सिंह

किसी समय प्रदेश में सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र अग्रणी होता था लेकिन आज अपने पड़ोसी विधानसभा क्षेत्र धर्मपुर से भी पिछड़ गया है। जहां भाजपा का एक गुट कर्नल से अभी भी नाराज है, वहीं बहुत से कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमारी अनदेखी कर विरोधियों को तवज्जो दी गई। भाजपा अगर नाराज कार्यकताओं को साथ लाकर जीत दर्ज करना चाहती है तो वह नए चेहरे पर भी दांव खेल सकती है। वक कोई ऐसा चेहरा हो सकता है, जिसकी संगठन से लेकर पार्टी व आमजन तक पकड़ हो। इस लिहाज से दलीप ठाकुर का पलड़ा थोड़ा भारी लग रही है।

कांग्रेस की आपसी कलह
वहीं कांग्रेस की स्थिति यहां तब मजबूत हो सकती है, जब रंगीला राम राव को टिकट मिलता है। जिन लोगों को लगता है कि सरकाघाट की अनदेखी हुई है, वे राव के पीछे लामबंद हो सकते हैं। वह इसलिए कि अगर वे जीतते हैं और कांग्रेस सत्ता में वापसी करती है तो कांग्रेस में वरिष्ठ होने के चलते उन्हें मंत्री पद अवश्य मिलेगा। लोगों में इस बात को लेकर भी कहीं न कहीं दर्द है कि कर्नल इंद्र सिंह ठाकुर को तीन बार जिताने के बावजूद मंत्री पद नहीं मिला।

रंगीला राम राव

कांग्रेस की आपसी कलह जगजाहिर है। पिछली बार पवन ठाकुर बहुत कम मार्जन से हारे थे और इस हार का एक प्रमुख कारण गुटबाजी को भी माना गया। इस बार भी यदि पवन ठाकुर को टिकट मिलता है तो लगता नहीं कि रंगीला राम राव व यदुपती ठाकुर मन से उनके साथ चल पाएंगे।  लेकिन पार्टी यदि रंगीला राम राव को टिकट देती है तो पुराने कांग्रेसी मंत्री पद मिलने की उम्मीद में उनके साथ चल सकते हैं। लेकिन उस स्थिति में पवन और यदुपति की भूमिका भी अहम रहेगी।

स्थितियां टिकट आवंटन के बाद साफ हो जाएंगी। लेकिन इतना तय है कि सरकाघाट की राह दोनों ही प्रमुख दलों के लिए आसान नहीं दिख रही है।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। उनसे jahubhamblabum@gmail.com पर ईमेल के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है)

हिमाचलवासियों के लिए अनंत कष्टों के पहाड़ का अंत है एम्स का खुलना

राजेश वर्मा।। आज विजयादशमी के सुअवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर(एम्स) का लोकार्पण कर इसे प्रदेशवासियों को समर्पित किया। लगभग 5 साल 2 महीनों में बनकर तैयार हुआ यह संस्थान प्रदेशवासियों के लिए किसी सपने के साकार होने से कम नहीं। 2015-16 के आम बजट में हिमाचल में एम्स खोलने की घोषणा हुई थी। ऐसी घोषणा जिससे लगा प्रदेशवासियों के जख्मों को मरहम लग गया।

प्रदेश में एम्स जैसे संस्थान की जरूरत आज से नहीं बल्कि पिछले कई दशकों से महसूस की जा रही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने 3 अक्तूबर 2017 को इसकी आधारशिला रखी थी । 250 एकड़ भूमि में फैले एम्स कैंपस लगभग 1,500 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ है, जिसमें 750 बिस्तरों वाला अस्पताल होगा। शुरू में भले ही 150 बेड की ही सुविधा मिलेगी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाया जाएगा। एम्स में आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण 15-20 सुपर स्पेशिलिटी विभाग होंगे। 25 ओपीडी एम्स अस्पताल में पहले से ही शुरू हो चुकी हैं और अब एम्स में आईपीडी सुविधा शुरू होना प्रदेशवासियों  के लिए गौरव की बात है।

अभी तक केंद्रीय स्वास्थ्य संस्थानों में केवल आयुष्मान योजना के तहत ही लाभान्वित को निःशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध थी लेकिन अब हिमकेयर योजना के तहत पंजीकृत 25 लाख से ज्यादा आबादी को 5 लाख रुपये तक के सालाना निःशुल्क उपचार की सुविधा भी एम्स में मिलेगी। अत्याधुनिक उपकरणों व तकनीक से सुसज्जित इस संस्थान में सभी प्रकार के टैस्ट व स्कैन जैसे एमआरआई थ्री टेस्ला आदि स्थापित किए गए हैं। ये वे टैस्ट व स्कैन हैं जिन्हें करवाने के लिए चंडीगढ़ या दिल्ली तक जाना पड़ता था। अब अपने क्षेत्र में होंगे इस राहत को वही समझ सकता है जो इस पीड़ा से गुजरा हो।

प्रदेश वासी टकटकी लगाए देख रहे थे कि यह संस्थान अब खुलता कब खुलता। प्रदेश के लिए यह सौभाग्य की बात है कि वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री थे तब उनकी प्रदेश के प्रति संवेदनशीलता की वजह से ही आज राष्ट्रीय स्तर के स्वस्थ्य संस्थान का सपना प्रदेशवासियों के लिए साकार हुआ। बहुत कम राजनेता ऐसे हैं जो इस बात को समझते हैं कि प्रदेश में मौजूदा स्वास्थ्य संस्थानों की क्या हालत है यहाँ के कई जोनल अस्पताल ऐसे हैं जिनकी हालत पीएचसी से भी बदत्तर है, हर छोटी से छोटी बीमारी के लिए भी यहां से लोगों को या तो पीजीआई चंडीगढ़, आईजीएमसी शिमला या फिर टांडा के लिए रैफर कर दिया जाता है।

एम्स बिलासपुर

किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित या दुर्घटना में घायल व्यक्ति को किसी नजदीकी अस्पताल में लाया जाता है तो उसे वहां प्राथमिक उपचार देने के बाद सीधे ही जोनल अस्पताल में रैफर कर दिया जाता है। आगे जब उसी व्यक्ति को जोनल अस्पताल में लाया जाता है तो वहां से भी उसे आगे रैफर कर दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर बात करें हमीरपुर जोनल अस्पताल की तो वहां से टांडा के लिए रैफर किया जाता है भले ही व्यक्ति की हालत वहां तक पहुंचने के लायक हो या न हो आगे टांडा पहुंचने के बाद भी गांरटी नहीं की व्यक्ति को वहां उचित उपचार मिल पाएगा वहां से भी उसे शिमला या चंडीगढ़ के लिए रैफर कर दिया जाता है और इस रैफर के चक्कर में आप खुद ही समझ सकते हैं कि उस व्यक्ति के बचने के कितने प्रतिशत चांस होंगे।

जिस व्यक्ति को हमीरपुर या मंडी से टांडा होते हुए फिर वापस उसी रास्ते शिमला से पीजीआई चंडीगढ़ लाया गया हो उसके व उसके परिवार के लिए प्रदेश में इससे दुर्भाग्यशाली और क्या होगा की एक बेहतर स्वास्थ्य संस्थान न होने के कारण उनके किसी सदस्य को जान से हाथ धोना पड़ा तथा असहनीय मानसिक तनाव से गुजरना पड़ा। शायद यह जगत प्रकाश नड्डा ही थे जिन्होंने इस दर्द को अपना दर्द समझ कर एम्स जैसा संस्थान यहाँ खोलने की तरफ़ पहल ही नहीं की बल्कि उसे अंजाम तक पहुंचाया।

प्रदेशवासी शुक्रगुज़ार हैं उनके इस जनहित कार्य के लिए। आज भी प्रदेश के बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जहां 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में घंटो लग जाते हैं। जहां लोगों को जिला अस्पतालों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है वहीं शिमला चंडीगढ़ या टांडा पहुंचने के बारे में तो वह सोच भी नहीं सकते।

प्रदेशवासी स्वास्थ्य सेवाओं से  ही लाभान्वित नहीं होंगे बल्कि इसके साथ ही हमारे बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए भी यह संस्थान नए अवसर व खुशियां लेकर आया है। प्रदेश के वे युवा जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों से चिकित्सक या पैरामेडिकल की पढ़ाई करके अपने सपनों को पूरा करने की इच्छा पाले हुए हैं उनके लिए प्रदेश में खुले एम्स संस्थान में यह अवसर उपलब्ध होंगे तथा प्रदेश के युवाओं के सपनों को नए पंख लगेंगे।

एम्स जैसे संस्थान को खुलने को लेकर भी शुरू में जमकर राजनीति हुई कोई कहता था मंडी खुले तो कोई कहता हमीरपुर लेकिन एक आम नागरिक के लिए एम्स का खुलना सर्वोपरि है न कि यह मायने रखता है कि एम्स कहां खुला? एक छोटे से पहाड़ी प्रदेश में इस तरह की राजनीति कतई सहन नहीं की जा सकती थी। यदि जगत प्रकाश नड्डा की एम्स के प्रति संवदेनशीलता नहीं होती तो यह भी आज राजनीति की भेंट चढ़ चुका होता। ठीक है जनप्रतिनिधियों के लिए तो देश में कहीं भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकती हैं लेकिन गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए प्रदेश में ऐसे संस्थान खुलना किसी सपने से कम नहीं बशर्ते राजनीतिज्ञ ऐसे सपनों को पूरा होने दें।

बीमारी या दुर्घटना किसी को पूछ कर नहीं आती न ही यह अमीर गरीब देखती है। न ही बीमारी यह देखती है कि आप सत्ताधारी दल से हैं या विपक्ष से। आज सभी को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य संस्थान की जरूरत है चाहे वे कोई मजदूर हो या कोई बड़ा अधिकारी या राजनेता, आप ताउम्र चंडीगढ़ या दिल्ली में ही स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं उठा सकते पता नहीं कब आपको या आपके परिवार को भी प्रदेश में किस वजह से बेहतर स्वास्थ्य संस्थान की जरूरत आन पड़े।

भविष्य में भी प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों व जनप्रतिनिधियों को प्रदेशवासियों के हित के लिए मिलकर कुछ करना चाहिए यदि ये लोग सोचते हैं की कुछ बनने से दूसरे नेता या दल को लाभ मिलेगा तो यह इनकी भूल है। एम्स प्रदेशवासियों के लिए ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों के लोगों के लिए भी मददगार साबित होगा। हम अब फख्र से कह सकते हैं कि स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रदेश आत्म निर्भर बनने की ओर अग्रसर हो चुका है।

इतने कम समय में यहां की विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद एम्स का प्रदेश के लोगों की सेवा में शुरू होना सचमें ही अभूतपूर्व व अकल्पनीय सपना साकार होने के बराबर है। कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि पहाड़ी प्रदेश में एम्स का खुलना प्रदेशवासियों के लिए पहाड़ जैसे दुखों का अंत होगा।

(स्वतंत्र लेखक राजेश वर्मा लम्बे समय से हिमाचल से जुड़े विषयों पर लिख रहे हैं। उनसे vermarajeshhctu@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)