बीजेपी सरकार ने बिना बजट कर दी थीं घोषणाएं: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू

शिमला।। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि पिछली बीजेपी सरकार ने बिना बजट का प्रावधान किए ही संस्थान खोलने की घोषणा कर दी। इसीलिए चुनावों से पहले की गई इन घोषणाओं की समीक्षा की जाएगी। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने फेसबुक पोस्ट करके मंगलवार सुबह कहा था कि कांग्रेस सरकार ने बीजेपी सरकार की अप्रैल 2022 से बाद की घोषणाओं की समीक्षा करने का जो फैसला लिया है, वह विकास कार्यों को रोकने की कोशिश है।

मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री ने इस संबंध में पत्रकारों की ओर से किए गए सवाल के जवाब में कहा, “मैं पूर्व मुख्यमंत्री जी का बड़ा आदर करता था और समझता था कि वह जो घोषणाएं करेंगे और संस्थान खोलेंगे, उसमें बजट का प्रावधान किया जाएगा। लेकिन जब हमने पिछले कल स्टडी किया तो पाया कि मात्र नोटिफिकेशन की गई है, संस्थान खोले नहीं गए है।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने पता करवाया तो अधिकारियों ने कहा कि बजट नहीं था और सरकार ने कहा कि चुनावों से पहले घोषणाएं कर लो, हम रिपीट हो गए तो तीन साल में जमीन पर उतारेंगे वरना कांग्रेस के सिर पर पड़ेगी।” सुक्खू ने कहा, “हम देखेंगे कि जहां घोषणाएं की गई हैं, वहां वाकई संस्थानों की जरूरत है या नहीं। जरूरत होगी तो संस्थानों को खोलने पर विचार किया जा सकता है।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “बीजेपी की सरकार कोसती थी कि पिछली कांग्रेस की सरकार ने रिटायर्ड और टायर्ड अधिकारी नियुक्त कर दिए। लेकिन बीजेपी की सरकार ने भी ऐसे अधिकारियों को एक्सटेंशन दी। तो हमने जो फैसला किया है, वो जनता के हित में लिया है। भर्तियों में अगर घोटाला होगा तो क्या हम उस घोटाले को देखते रहेंगे?”

ओपीएस को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में सुक्खू ने कहा, “हिमाचल में हमने वादा किया है कि जब पूरी कैबिनेट बन जाएगी तो ओपीएस का वादा पूरा किया जाएगा। जितने हथकंडे अपनाने हैं अपना लीजिए। जिन कर्मचारी अधिकारियों ने हिमाचल के विकास की गाथा लिखी है, हम उन्हें ओपीएस देंगे।”

सीएम ने यह बी कहा कि 16 तारीख को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का 100वां दिन है और उस दिन कांग्रेस के सभी विधायक और प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह उसमें शामिल होंगे।”

नरेश चौहान मीडिया सलाहकार, गोकुल बुटेल बने आईटी अडवाइजर, दोनों को कैबिनेट रैंक

शिमला।। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्कू भले ही अभी तक मंत्रिमंडल का गठन न कर पाए हों लेकिन उन्होंने अपनी कोर टीम का विस्तार करना जारी रखा है। मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आईटी सलाहकार रहे गोकुल बुटेल को सुक्खू का प्रधान आईटी सलाहकार नियुक्त किया गया। उन्हें कैबिनेट मंत्री का रैंक दिया गया है।

इसी तरह सुक्खू ने कांग्रेस प्रवक्ता नरेश चौहान को अपना प्रधान मीडिया सलाहकार नियुक्त किया है। नरेश चौहान शिमला से कांग्रेस के टिकट के दावेदार भी थे। उन्हें भी कैबिनेट मंत्री के बराबर दर्जा दिया गया है।

इससे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी टीम में पहली नियुक्ति हमीरपुर के सुनील शर्मा की थी। उन्हें कैबिनेट रैंक पर सीएम ने अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया है।

गौरतलब है कि अभी तक सुक्खू अपने मंत्रिमंडल का गठन नहीं कर पाए हैं। कांग्रेस ने घोषणा की थी कि वह सरकार के गठन के 10 दिन के अंदर अपनी पहली कैबिनेट में ओपीएस बहाली और एक लाख नौकरियां देने जैसे फैसले करेगी। हालांकि, ऐसा तभी हो पाएगा जब मंत्री शपथ लें।

जल्दबाजी में गलत फैसले ले रहे हैं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू: रणधीर शर्मा

शिमला।। बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू यह फैसला नहीं ले पा रहे कि उनकी कैबिनेट में कौन मंत्री होगा, कौन नहीं लेकिन जल्दबाजी में गलत फैसले लेते जा रहे हैं। रणधीर शर्मा ने कहा कि बीजेपी सरकार में अपग्रेड किए गए संस्थानों को डीनोटिफाई करना गलत और दुर्भाग्यपूर्ण है।

मंगलवार को शिमला में पत्रकारों को संबोधित करते हुए शर्मा ने कहा कि बीजेपी जनमत को स्वीकार करती है। हार का अंतर मामूली मत प्रतिशत से रहा। बीजेपी जनता के हित में किए जाने वाले कामों को लेकर विपक्ष में होकर भी कांग्रेस सरकार का सहयोग करेगी। मगर जनविरोधी फैसले लिए जाते रहे तो इनका विरोध करते हुए आंदोलन किया जाएगा।

रणधीर शर्मा ने कहा कि जयराम सरकार द्वारा अपग्रेड किए गए संस्थानों को डीनोटिफाई करने के निर्णय की बीजेपी निंदा करती है। यह तानाशाही भरा कदम है। यह दिखाता है कि कांग्रेस की सोच कैसी है जबकि जयराम ठाकुर की पहली कैबिनेट में जनहित के फैसले किए गए थे।

पूर्व मुख्यमंत्री ने भी की आलोचना
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी फेसबुक पर कांग्रेस सरकार के निर्णयों की आलोचना की थी। उन्होंने लिखा है, “हमने पिछली कांग्रेस सरकार में जनता के लिए गए किसी फैसले को नहीं पलटा, कोई विकास कार्य नहीं रोका, मगर अफसोस कि कांग्रेस ने अपना रिवाज जारी रखते हुए हमारी सरकार के फैसलों को रोकने और पलटने का काम शुरू कर दिया, जबकि अभी तो मंत्रिमंडल का भी गठन नहीं हुआ लेकिन बदले की भावना के साथ काम करने की शुरुआत हो गई।”

ठाकुर ने लिखा, “स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, पुलिस स्टेशन, पुल, सड़क, पेयजल योजना… इन सब कामों को लटकाने, अटकाने और भटकाने का काम शुरू हो गया है जिसके लिए जनता इन्हें कभी माफ़ नहीं करेगी। बदले की भावना के साथ काम की शुरुआत अच्छी नहीं है।”

आरएस बाली का मंत्री बनना तय; महकमे कौन से मिलेंगे, अब इसपर टिकी हैं निगाहें

मृत्युंजय पुरी, धर्मशाला।। इन विधानसभा चुनावों में चुनाव से पहले भाजपा के मुकाबले में पिछड़ती नजर आ रही कांग्रेस को मुकाबले में लाकर जिताने में अहम योगदान देने वाले आरएस बाली न सिर्फ कांगड़ा जिले के प्रमुख नेता बनकर उभरे हैं बल्कि उनके रूप में प्रदेश के युवाओं को भी एक आवाज मिली है। आरएस बाली कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव होने के साथ दिवंगत फायर ब्रांड नेता जीएस बाली के बेटे हैं।

खास बात यह है कि चुनावों के दौरान आरएस बाली अपने हलके नगरोटा बगवां में भी ज्यादा समय नहीं ने पाए थे, क्योंकि पूरे हिमाचल प्रदेश में बेरोजगार संघर्ष यात्रा के जरिए कांग्रेस को मजबूत करना था। यह आरएस बाली ही हैं, जिन्होंने पोलिटिकल इवेंट की माहिर भाजपा को उसी के अंदाज में जवाब देते हुए नगरोटा बगवां में अब तक की सबसे बड़ी रैली की थी। उस रैली में प्रियंका गांधी के साथ टॉप लीडर जुटे हुए थे।

इससे पहले जीएस बाली की जयंती पर भी आरएस बाली ने पूरे देश के टॉप कांग्रेस नेताओं को नगरोटा में लाकर भाजपा के होश उड़ा दिए थे। यही कारण है कि सीएम पद के लिए पिछड़ चुके कांगड़ा जिला की भावनाएं चरम पर हैं। आर एस बाली का मंत्री बनना तो यह है मगर 17 लाख की आबादी वाले कांगड़ा जिले के लोगों को उम्मीद है कि आरएस बाली को अपने पिता की तरह मजबूत विभाग दिए जाएं।

सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस पूरे जिला में भाजपा के मुकाबले उन्नीस साबित हो रही थी। जिला के सभी नेता अपनी सीट बचाने में लगे थे, उस समय आरएस बाली सिर्फ कांग्रेस की बात कर रहे थे। कांग्रेस ने कांगड़ा से दस सीटें जीती हैं, इसमें आरएस बाली का भी बड़ा योगदान माना जा रहा है जिन्होंने युवाओं को आंदोलित किया।

नगरोटा विधानसभा सीट पर बीते चुनाव में हारने वाली कांग्रेस को दोबारा जीत नसीब हुई है। रघुबीर सिंह बाली ने मौजूदा विधायक अरुण कुमार कूका को हराया है। कूका को जहां 25595 वोट मिले हैं। वहीं, कांग्रेस के रघुबीर सिंह बाली को 41465 वोट मिले हैं। तीसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी रही और उनके प्रत्याशी उमाकांत को 1313 वोट मिले हैं। गौर रहे कि इससे पहले इस सीट पर जहां 1998 से 2012 तक कांग्रेस के जीएस बाली लगातार चार चुनाव जीतते आए हैं। यही कारण है कि जनता की भावनाएं आरएस बाली को लेकर चरम पर हैं।

सुखविंदर सिंह सुक्खू: दूध बेचकर पढ़ाई करने वाला आम परिवार का बेटा जो अब प्रदेश चलाएगा

इन हिमाचल डेस्क।। नादौन के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल के सातवें मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। वह सुक्खू जो बेबाक रहे हैं। जब उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा था तो प्रचार के दौरान अपनी ही पार्टी की सरकार की नीतियों की आलोचना करने से भी पीछे नहीं हटे थे। बावजूद इसके विधायक बने थे। समय के साथ आगे बढ़े तो एक दौर वह भी आया जब वह हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का पर्याय माने जाते रहे वीरभद्र सिंह के विरोध के बावजूद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बने। इस पद पर बैठने के बाद उन्होंने बिना किसी के प्रभाव या दबाव में आकर पार्टी को चलाया। पार्टी की सरकार बनी और खुद चुनाव हारे तो कभी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से कोई चेयरमैनशिप नहीं मांगी। वह सुक्खू जो अपनी संगठन और नेतृत्व क्षमता के कारण बिना कभी मंत्री बने सीधे मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

क्या है सुक्खू की ताकत
एक ओर कांगड़ा जिले के नेताओं की मांग कि इस बार मुख्यमंत्री कांगड़ा से होना चाहिए। दूसरी ओर प्रतिभा सिंह का दावा कि वीरभद्र सिंह के नाम पर चुनाव जीते इसलिए उनके परिवार से सीएम होना चाहिए। तीसरी ओर मुकेश अग्निहोत्री का दबे स्वर में यह कहना कि मैंने कांग्रेस को सत्ता में लाने की जिम्मेदारी निभाई, अब सीएम बनाने का काम हाईकमान का। एक ओर जहां राजीव भवन से लेकर सीसिल ऑबरॉय होटेल तक कांग्रेस कार्यकर्ता अपने-अपने नेताओं के पक्ष में नारेबाजी कर रहे थे और मुख्यमंत्री बनने के दावेदार चेहरे पर तनाव लेकर कार्ट रोड से चौड़ा मैदान की दौड़ें लगा रहे थे, तब सुक्खू चेहरे पर मुस्कान लेकर घूम रहे थे। मानो मालूम हो कि सीएम उन्हें ही बनना है। सुक्खू की ताकत है- विधायकों का समर्थन और हाईकमान का आशीर्वाद, दोनों।

आपको याद होगा कि हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान ने सुक्खू को चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस पद का महत्व कितना था, इसका पता इस बात से लगाया जा सकता है कि दिवंगत वीरभद्र सिंह भी चुनावों से ठीक पहले इस पद को अपने पास रखने की कोशिश किया करते थे। लेकिन इस बार इस पद की जिम्मेदारी सुक्खू को मिली। फिर चुनाव हुए और नतीजे आए तो सुक्खू सबसे ताकतवर नेता के रूप में उभरे क्योंकि उनके पास वह चीज थी, जो सीएम बनने का ख्वाब देख रहे अन्य कांग्रेसी नेताओं के पास नहीं थी- विधायकों का समर्थन। कम से कम डेढ़ दर्जन विधायक सुक्खू को सीएम देखना थे।

दूध बेचते हुए की पढ़ाई और परिवार की देखभाल
सुक्खू के सत्ता का सुख पाने के लिए संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है। 26 मार्च 1964 को उनका जन्म ऐसे परिवार में हुआ जहां बच्चों से थोड़ा बहुत पढ़-लिखकर घर की जिम्मेदारी उठाने की आस रखी जाती थी। राजनीति में जाना तो कल्पना से भी परे था। चार भाई बहनों में वह दूसरे नंबर पर हैं। पिता सरकारी नौकरी करते थे और मां घर संभालती थीं। पिता एचआरटीसी में चालक थे और उनकी नौकरी के कारण सुक्खू शिमला में रहे। यहीं एलएलबी तक पढ़ाई हुई और छात्र राजनीति में सक्रिय होने के बाद प्रदेश की राजनीति में जाने का ख्वाब देखा।

संजौली कॉलेज में पढ़ाई के दौरान सुक्खू परिवार के खर्चे चलाने के लिए सुबह दूध भी बेचा करते थे। कॉलेज के बाद फिर से एक पार्ट टाइम जॉब करते थे। नगर निगम में पार्ट टाइम जॉब से वह परिवार चलाने में पिता की मदद किया करते थे। कॉलेज मे एनएसयूआई से जुड़े और ग्रैजुएशन के पहले ही साल में सीआर चुने गए। दूसरे साल जनरल सेक्रेटरी और फाइनल इयर में कॉलेज के प्रेजिडेंट चुने गए।

ग्रैजुएशन के बाद उन्होंने एचपीयू में एडमिशन ली। भाई सेना में भर्ती हुए तो जाहिर है परिवार की आकांक्षा थी कि सुक्खू भी कोई नौकरी करें। नौकरी तो उन्होंने नहीं की मगर एलआईसी से जु़ड़कर लोगों को पॉलिसी सेल करते रहे। उधर 1989 में सुक्खू NSUI के प्रदेश अध्यक्ष बने। 1992 में पहली बार नगर निगम पार्षद चुने गए। 1997 में फिर जीते। 1998 में उन्हें यूथ कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया।

फिर 2003 के चुनावों में वह नादौन से चुनावी मैदान में उतरे और जीते भी। 2007 के चुनावों में फिर से जीते। 2008 से 2012 तक प्रदेश कांग्रेस महासचिव रहे। 2012 में वह चुनाव हार गए मगर फिर बड़ा मोड़ तब आया जब 2013 में वीरभद्र की अनिच्छा के बावजूद हाईकमान ने सुक्खू की संगठन क्षमता को देखते हुए उन्हें कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाया। 2017 में वह फिर से नादौन से जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस बार वह चौथी बार विधायक चुने गए हैं।

ऐसा अध्यक्ष जो किसी के आगे नहीं झुका
सुखविंदर सिंह सुक्खू जब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बने तब वह चुनाव हारे हुए थे मगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे। वह वीरभद्र सिंह जो पार्टी को अपने हिसाब से चलाते रहे थे। मगर सुक्खू ने वीरभद्र सिंह के प्रभाव में रहकर कभी काम नहीं किया। बल्कि 2018 तक पद पर बने रहने तक संगठन को उन्होंने सरकार के समानांतर चलाया।

कई मौकों पर वीरभद्र सिंह और सुखविंदर सुक्खू के बीच जुबानी जंग भी चली। एक घटना यह है कि कांग्रेस ने पदयात्रा निकालने की योजना बनाई तो वीरभद्र सिंह उसमें शामिल नहीं हुए। पत्रकारों से उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि कांग्रेस पदयात्रा निकाल रही है। पत्रकारों ने सुक्खू से पूछा तो उन्होंने कहा- मैंने खुद मुख्यमंत्री जी को पदयात्रा की जानकारी दी है। वह बुजुर्ग हो गए हैं, उन्हें अब याद नहीं रहता। जब पत्रकारों ने सुक्खू के इस बयान की प्रतिक्रिया वीरभद्र सिंह से मांगी तो उन्होंने भड़कते हुए कहा था- मुझे वो दिन भी याद है जब सुक्खू पैदा हुए थे।

जब कांग्रेस 2017 के चुनाव हारकर सत्ता से बाहर हुई तो वीरभद्र सिंह ने हार का ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ा।  ऐसे कई मौके आए जब जुबानी तीर दोनों के समर्थकों के बीच तनाव का भी कारण बने। 18 जनवरी, 2019 को तो कांग्रेस कार्यालय में सुक्खू और वीरभद्र समर्थक तो हिंसक हो उठे थे। मारपीट में कुछ लोग जख्मी भी हुए थे। फिर मई 2019 में जब कांग्रेस चारों लोकसभा सीटें हारी, तब भी वीरभद्र सिंह ने हार का ठीकरा सुक्खू पर फोड़ा। वीरभद्र ने अपने कई राजनीतिक विरोधियों का राजनीतिक करियर अपनी कूटनीति से खत्म किया है। लेकिन सुक्खू ही थे, जिन्हें वीरभद्र भी मात नहीं दे सके।

संगठन क्षमता भी आई काम
जब सुक्खू हिमाचल कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष थे, तब उन्होंने पूरे प्रदेश में संगठन को नए सिरे खड़ा किया। उन्होंने प्रतिभावान कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाने का काम किया। कांग्रेस के विधायकों को लगता है कि सुक्खू उन नेताओं में से नहीं हैं जो किसी बात क्रेडिट खुद लें। वह क्रेडिट बांटने और सबको साथ लेकर चलने में यकीन रखते हैं। जबकि अन्य नेता जो सीएम बनने की चाहत रख रहे थे, उनका इतिहास ही रहा है अपनी पार्टी में तेजी से बढ़ने वालों को रोकना और खुद को ही केंद्र में रखना। ऐसे में बहुत से महत्वाकांक्षी विधायक भी दूर की सोचकर सुक्खू के समर्थन में आ खड़े हुए। ऐसे में केंद्र से आए वे नेता भी ज्यादा कुछ नहीं कर सके, जो सुक्खू को सीएम नहीं बनाना चाहते थे।

विधानसभा चुनावों से पहले जब वह चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष बने तो उन्होंने हंगामा करने या मीडिया के सामने आकर माहौल बनाने के बजाय चतुराई और व्यवहार से पार्टी के संभावित उम्मीदवारों से करीबी बनाई। टिकट वितरण कमेटी के सदस्य रहते हुए भी उनकी भूमिका अहम रही। यही सब बातें अब नतीजे आने के सामने सुक्खू को मुख्यमंत्री पद तक ले गई। चतुराई, धैर्य, व्यवहार, जुखारुपान, नेतृत्व और संगठन क्षमता… ऐसी कई सारी बातें हैं जो एक आम परिवार से निकले सुक्खू को मुख्यमंत्री पद तक ले गई। मंडी के पंडित सुखराम तो कभी सीएम नहीं बन पाए, लेकिन उनके करीबी रहे सुक्खू इस पद पह पहुंच गए हैं।

पिछली विधानसभा में उनका कार्यकाल भी कमाल का रहा। भले वह नेता प्रतिपक्ष नहीं थे, लेकिन जब भी वह बोलते थे, तथ्यों और तर्कों के साथ बोलते थे। वह चीखते-चिल्लाते या राज्यपाल की गाड़ी के आगे कूदकर हंगामा करने जैसा कुछ तो नहीं करते थे, मगर अपने वक्तव्यों से सत्ता पक्ष को निरुत्तर कर देते थे। इस बार वह सत्ता में होंगे। सदन के नेता होंगे। इस बार विपक्ष के सवालों का सामना उन्हें करना होगा। सवाल काफी तीखे होंगे क्योंकि कांग्रेस ने ऐसे-ऐसे वादे इस बार किए हैं, जिनसे कांग्रेस के ही कई नेता सहमत नहीं थे। देखना होगा कि सुक्खू उन्हें कैसे पूरा करते हैं। साथ ही, चुनौती अपनी ही पार्टी के उस धड़े से भी होगी जो सीएम न बन पाने से नाराज है।

नतीजे घोषित होते ही धर्मशाला के चार कांग्रेस नेताओं के घर पर पथराव

धर्मशाला, मृत्युंजय पुरी।। विधानसभा चुनावों के नतीजे घोषित होते ही चार बड़े कांग्रेस नेताओं के घरों पर नामालूम हमलावरों ने देर रात पत्थरबाजी करके धर्मशाला में दहशत मचा दी। चुनावी नतीजों वाली देर रात हुई इस घटना के बाद पुलिस छानबीन में जुट गई है। हमले में हालांकि किसी को चोट नहीं पहुंची है, लेकिन घरों के शीशे-खिड़कियों को नुकसान पहुंचा है।

पीडि़त कांग्रेस नेताओं से मिली जानकारी के अनुसार यह घटना नतीजों वाली रात एक बजकर चालीस मिनट से लेकर ढाई बजे के बीच घटी है। तीन कांग्रेस नेताओं घरों पर सीसीटीवी कैमरों में घटना कैद हुई है, वहीं चौथे मकान में सीसीटीवी कैमरा नहीं थे। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि पहला हमला पूर्व मेयर व वर्तमान पार्षद देवेंद्र जग्गी के घर पर हुआ। यहां हमलावर उनके घर को पहचान नहीं पाए और साथ वाले घर में भी पत्थर मार दिए।

जग्गी ने बताया कि यह घटना एक बजकर उनतालीस मिनट की है। हमलावर दो थे। जग्गी का कहना है कि उन्होंने हमलावरों को पहचान लिया है। दूसरी घटना पार्षद नीनू शर्मा के घर हुई। उन्होंने बताया कि एक बजकर 54 मिनट पर उनके घर पर पथराव हुआ। इससे उनका सारा परिवार सहम गया। हमलावरों ने तीसरी वारदात चौधरी हरभजन सिंह के भाई के घर पर मसरेहड़ गांव के पास अंजाम दी। वहां घर के शीशे टूटे हुए हैं। चौथी वारदात पूर्व सांसद विप्लव ठाकुर के घर पर नरवाणा खास में हुई है। वहां सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। उन्हें घटना का सुबह पता चला।

सभी नेताओं ने इन हमलावारों को पकडक़र कड़ी कार्रवाई करने की मांग उठाई है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।

इस बारे में शुक्रवार सुबह धर्मशाला थाने में रिपोर्ट करवाई गई है। दोपहर बाद पीडि़त कांग्रेस नेता मीडिया के सामने आए। इनमें पूर्व मेयर देवेंद्र जग्गी, पार्षद नीनू शर्मा, दिग्गज कांग्रेस नेता चौधरी हरभजन सिंह शामिल रहे। उनके साथ मेयर ओंकार नेहरिया भी शामिल रहे। जग्गी व अन्य नेताओं कहा कि यह हमला राजनीति से प्रेरित है। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है। वे इन हमलों से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे जल्द एसपी डा खुशहाल शर्मा से भी मिलेंगे व इस मामले में कड़ी कार्रवाई मांगेंगे।

पूर्व राज्यसभा सांसद विप्ल्व ठाकुर ने कहा कि धर्मशाला में पहली बार इस तरह की घटना हुई है। बरसों से धर्मशाला में रह रही हूं। यह सबसे खराब एक्सपीरियंस है। पुलिस को हमलावरों को पकडक़र कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

वहीं एसएचओ धर्मशाला सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है। इस बारे में सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जा रहा है। मामले की गंभीरता से छानबीन की जा रही है।

कांगड़ा फिर बना ‘सत्ता का आधार’, कांग्रेस को मिलीं 10 अहम सीटें

धर्मशाला, मृत्युंजय पुरी।। हिमाचल में कांगड़ा का सत्ता का द्वार यूं ही नहीं कहा जाता। इस जिला से जो भी पार्टी 9 से 11 सीटें जीतती है, प्रदेश में उसी की सरकार बनती है। एक बार फिर यह बात साबित हो गई है। इन चुनावों में कांग्रेस को कांगड़ा की 15 में से 10 सीटों पर जीत हासिल हुई है। यानी जिला से मिली 10 सीटों के दम पर कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। कुल 40 सीटों में से 10 कांगड़ा से ही कांग्रेस को मिल गई हैं।

पिछले 6 चुनावों की बात करें, तो प्रदेश मेंkangra कांगड़ा से मिली सीटों का आंकड़ा ही सरकार बनाने में बड़ी भूमिका अदा करता आया है। पांच साल पहले हुए विधानसभा चुनावों में कांगड़ा से भाजपा को 11 सीटें मिली थीं। इसी के दम पर भाजपा ने सरकार बनाई थी। भाजपा को मिली 44 सीटों में एक चौथाई हिस्सा कांगड़ा का था।

साल 2012 के चुनावों की बात करें, तो उस समय कांग्रेस को कांगड़ा से 10 सीटें मिली थीं। उन चुनावों में पार्टी को कुल 36 सीटें मिली थीं, यानी एक तिहाई सीटें इसी जिला से थीं, जिसके दम पर कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। हालांकि उन चुनावों में पुनर्सीमांकन के बाद थुरल का वजूद खत्म हो गया था। जिला में 16 की बजाय तक से 15 सीटें हैं। इससे पहले साल 2007 के चुनावों की बात करें, तो भाजपा के 9 कैंडीडेट कांगड़ा जिला से जीते थे। उन चुनावों में भाजपा को पूरे प्रदेश मेें 41 सीटें मिली थीं। कांगड़ा उस समय भी लीडर की भूमिका में रहा था।

साल 2003 के चुनावों की बात करें, तो कांगड़ा से कांग्रेस को 11 सीटें मिली थीं। इन्हीं सीटों के दम पर कांग्रेस के हाथ सत्ता की चाबी आई थी। यही नहीं, वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में कांगड़ा जिले से भाजपा ने 10 सीटों के साथ बड़ी जीत दर्ज की थीं। उस दौरान कांग्रेस पार्टी को पांच सीटें मिली थीं। एक निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली थी। कांगड़ा ने सत्ता की राह तैयार की और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। बहरहाल एक बार फिर कांगड़ा ने सत्ता की राह कांग्रेस को दिखा दी है।

अब तक एक बार बना सीएम, मगर नहीं मिला पूरा कार्यकाल

प्रदेश के सबसे बड़े और सबसे ज्यादा विधानसभा सीटों वाले जिला कांगड़ा से सिर्फ शांता कुमार ही सीएम पद तक पहुंच पाए हैं। वह वर्ष 1977 से 80 और 1990 से 1992 तक सीएम रह चुके हैं। दोनों ही बार उनका पांच साल कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया है।

यह हिमाचल है, हर बड़े प्रभाव और फैक्टर से मुक्त रहता है यहां का चुनाव

आशीष नड्डा की फेसबुक पोस्ट से साभार।। हिमाचल प्रदेश का चुनावी मैंडेट हर फैक्टर से परे रहता है। हर बड़े प्रभाव से परे रहता है। यह अपने आप में एक पंचायत चुनाव है । जहां माइक्रो मैनेजमेंट और प्रत्याशी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं बजाय इसके की जाती क्या है, वर्ग क्या है पार्टी क्या है और प्रचार प्रसार कैसा है।

यहां जनता अपनी राय सिर्फ चुनावी समय में तय नही करती धीरे धीरे जजमेंट लेकर डेटा बुनती रहती है ।

और कई फैक्टर पर लाजीक लगाकर जनमत देती है।
ऊपरी हिमाचल में कांग्रेस शिमला में भाजपा को सिर्फ एक सीट पर रोक देती है वही उसी शिमला , वीरभद्र परिवार की सीट रामपुर जहां से आजतक विपक्ष का विधायक नही बना वहां भाजपा उम्मीदवार नया लड़का कौल नेगी महज 300 वोट से जीत से चूक जाता है।

मंडी जिला में भाजपा कांग्रेस को महज एक सीट पर रोकती है और वो सीट धर्मपुर है जहां से रिकार्ड धारी महिंद्र ठाकुर के बेटे मैदान में है और वो सीट भाजपा की कन्फर्म सीटों में मानी जाती थी।

कांग्रेस से सीम इन वेटिंग कौल सिंह ठाकुर उसी जिले से चुनाव हारते हैं। कमजोर आंके जा रहे मजबूरी का नाम बताए जा रहे बल्ह से इंद्र सिंह गांधी जीत जाते हैं।

हमीरपुर में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और अनुराग के गृह जिला से भाजपा जीरो हो जाती है। सबसे स्ट्रांग कही जा रही भोरंज सीट 35 साल बाद कांग्रेस ले जाती है।

गढ़ रही हमीरपुर सदर पर नौजवान निर्दलीय आशीष शर्मा को जनता चुनती है। बगल के बिलासपुर जिला से। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा जहां से लड़ते हैं सदर सीट भाजपा 300 से कम मार्जन से जीत पाती है वहीं नैना देवी में जहां एक और सी एम इन वेटिंग रामलाल ठाकुर कांग्रेस की तरफ से थे वहां भी भाजपा 150 से कम मार्जन पर निकल जाती है। जबकि से मंत्री पद रहा वहां घुमारवीं सीट हार जाती है।

ऊना में विपरीत परिस्थितियों में सतपाल सत्ती निकल जाते हैं तो वीरेंद्र कंवर मामला क्लोज है क्लोज है के फेर में 7000 प्लस से हार जाते हैं।

बड़सर में भाजपा और निर्दलीय लगभग बराबर वोट लेते हैं। कांग्रेस यह सीट जीत जाती है।

सिरमौर की सबसे स्ट्रांग सीट बताई जा रही नाहन पर भाजपा के मैनेजर कहे जाने वाले राजीव बिंदल हारते हैं। तो हाटी बहुलय शिलाई में बलदेव तोमर कोई तीर नही मार पाते।

कुल्लू में कमजोर आंके जा रहे शौरी बिना शोर जीत का तमगा पहनते है तो आनी से लोगो के इंद्र लोकिंद्र बनते हैं जो मूल रूप से कमुनिष्ठ हैं।

कांग्रेस की लहर में भी डलहौजी से आशा को निराशा मिलती है। तो भटियात से कुल का दीपक दुबारा खिलता है। बिना राजनैतिक अनुभव के डॉक्टर जनक राज को भरमौर का राज मिलता है।

कांगड़ा में हर बार चौधरी फैक्टर से टिकट बचा लेंने वाली सरवीन इस बार जमानत जब्त करवा चुके कैंडिडेट की आंधी में ऐसी उड़ती है की अब चौधरी बनाम बाकी वोट गिने की नही गिने ।

सुलह मे जनता के बीच ऐसी सुलह बनती है की कांग्रेस उम्मीदवार तीसरे नंबर पर पहुंच जाता है। वहीं जसवा से पराशर फेर में फंसे भाजपा के मंत्री विपरीत परिस्थिति में भी विक्रमादित्य की पदवी पा लेते हैं ।

देहरा में टिकट को भटकाए होशियार सबसे होशियार निकलते है तो स्वयंभू ओ बी सी के दलाई लामा अपने आप को बताने वाले ढ्वाला ओ बी सी बहुलाय सीट पर भी तीसरे नंबर का पद लेकर सन्यास की तरफ गमन करते हैं।

नागरोटा बगवां में पिता बनाम पुत्र की छवि के द्वंद में फंसाए जा रहे जानू ही वीर बनकर निकलते हैं और कांग्रेस की तरफ से कांगड़ा में हाईईस्ट मार्जिन का रिकार्ड बनाते हैं।

कांगड़ा में चक्रव्यूह में घिरे बताए जा रहे काजल ऐसी पवन चलाते हैं की सब उड़ जाते हैं। काजल अपनी वीरता पर तो अभिमान कर रहे होंगे अपनी बुद्धि को भी जरूर कोस रहे होंगे। जिसने उन्हें बैठे बिठाए विपक्ष में पहुंचा दिया।

खास रणनीति और विरोधी खेमे में खलबली मचाने के तहत नालागढ़ से कांग्रेस से भाजपा में लाए सिटिंग विधायक राना तीसरे नंबर की ओर रुख करते है तो । रुसवा किए ठाकुर निर्दलीय जीत का दंभ भरते हैं।
राना भी अपनी बुद्धि को निसंदेह कोस रहे होंगे।

कुल मिलाकर ऐसे बहुत से उदाहरण है जो बताते हैं कि
हिमाचल प्रदेश का चुनाव और उसका आकलन स्टूडियो में कोट पेंट पहनकर या फील्ड एक्सपर्ट के रूप में जातीय क्षेत्रीय और पूर्व में हुए चुनावों के आंकड़ों की डेटा बुक हाथ में लेकर नही किया जा सकता।

पहाड़ की हवा फ्रेश है, यहां का हर चुनाव भी फ्रेश है। और हर सीट के मतदाता की अपनी अलग सेट्रेस है।
इसलिए आकलन के लिए भी चाहिए बहुत ट्रिक्स हैं।

नतीजे तो यही कहते हैं। थोड़ा बहुत उनसे पहले पंडित शशिपाल डोगरा जी बीच बीच में कहते रहते हैं। अभी उन्होंने ब्राह्मण मुख्यमंत्री की बात कही है। बाकी हुई है वही जो राम रची राखा।

(लेखक आशीष नड्डा राजनीतिक टिप्पणीकार हैं और लंबे समय से हिमाचल प्रदेश से संबंधित विषयों पर लिख रहे हैं। उन्होंने चुनाव परिणामों का आकलन किया था जो असल नतीजों के काफी करीब रहा है। यहां टैप करके आप उनकी अनुमान वाली पोस्ट देख सकते हैं। देखें

 

Himachal Election Result Live: बीजेपी का रिवाज बदलने का सपना टूटा, कांग्रेस की 40 सीटों पर जीत

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे LIVE

शुरुआती रुझानों में कांटे की टक्कर के बाद आखिरकार कांग्रेस ने बाजी मार ली है। 68 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि बीजेपी कुल 25 सीटें ही जीत पाई है, जिससे बीजेपी का प्रदेश में रिवाज बदलने का सपना टूट गया है। इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन सीटें जीती हैं।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा
हिमाचल प्रदेश के निवर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद कहा कि लोगों के विकास के लिए काम करना कभी बंद नहीं करेंगे।

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “हम जनादेश को विनम्रता के साथ स्वीकार करते है। पांच वर्षों में आदरणीय प्रधानमंत्री जी एवं केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए बहुमूल्य सहयोग के लिए उनका विशेष आभार। प्रदेश की जनता द्वारा सेवा के लिए दिए पांच साल के लिए धन्यवाद। हिमाचल के सर्वांगीण विकास के लिए हम हमेशा तत्पर रहेंगे।”

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जिला कांगड़ा में सबसे बड़े अंतर से जीते बीजेपी प्रत्याशी पवन काजल। 19,590 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार को हराया। कांग्रेस उम्मीदवारों में आरएस बाली की जीत का मार्जन (15,892) सबसे अधिक।

—– समय : 03:45 PM —–

हिमाचल प्रदेश में अब तक 36 सीटों पर नतीजे घोषित। कांग्रेस की 20 और बीजेपी की 13 सीटों पर जीत। 3 सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने दर्ज की जीत।

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राज्यपाल को इस्तीफा सौंपेंगे मुख्यमंत्री जयराम

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधानसभा चुनाव में हार स्वीकार करते हुए कांग्रेस को दी जीत की बधाई। उन्होंने कहा, “मैं जनता के जनादेश का सम्मान करता हूं। मैं हिमाचल प्रदेश की जनता का आभारी हूं कि हमें पांच साल हिमाचल प्रदेश की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ और हर कदम पर हमें उनका सहयोग मिला।” जयराम ठाकुर ने कहा कि मैं अब से थोड़ी देर में राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दूंगा।

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भाजपा सरकार के ये मंत्री चुनाव हारे
कुसुम्पटी विधानसभा सीट से मंत्री सुरेश भारद्वाज चुनाव हारे।

मनाली विधानसभा सीट से मंत्री गोविंद ठाकुर को कांग्रेस प्रत्याशी भुवनेश्वर गौड़ ने हराया।

कुटलैहड़ विधानसभा सीट से मंत्री वीरेंद्र कंवर चुनाव हारे।

शाहपुर विधानसभा सीट से चुनाव हारीं मंत्री सरवीण चौधरी।

लाहौल-स्पीति विधानसभा सीट हारी बीजेपी, कांग्रेस प्रत्याशी रवि ठाकुर ने मंत्री रामलाल मारकंडा को हराया।

—– समय : 02:30 PM —–

बीजेपी : 26
कांग्रेस : 39
अन्य : 03
कुल सीटें : 68

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—– समय : 01:10 PM —–

बीजेपी : 25
कांग्रेस : 40
अन्य : 03
कुल सीटें : 68

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धर्मपुर में 33 साल बाद सत्ता परिवर्तन, मंत्री महेंद्र सिंह के बेटे रजत ठाकुर चुनाव हारे; कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रशेखर की जीत।

नूरपुर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी रणवीर सिंह निक्का 18 हजार से अधिक मतों से जीते।

—– समय : 01:10 PM —–

बीजेपी : 26
कांग्रेस : 39
अन्य : 03
कुल सीटें : 68

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अभी तक के रुझानों में कांग्रेस को भारी बहुमत मिलता दिख रहा है। अभी तक कांग्रेस 38 सीटों पर आगे है और बीजेपी 27 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। धर्मपुर सीट पर भाजपा पिछ़ड गई है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रशेखर भाजपा प्रत्याशी रजत ठाकुर से 1974 मतों से आगे हैं।

शिलाई विधानसभा सीट से कांग्रेस के हर्षवर्धन चौहान जीते। भाजपा के बलदेव तोमर को हराया।

—– समय : 12:50 PM —–

बीजेपी : 27
कांग्रेस : 38
अन्य : 03
कुल सीटें : 68

—– समय : 12:40 PM —–

बीजेपी : 26
कांग्रेस : 39
अन्य : 03
कुल सीटें : 68

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पांवटा साहिब से भाजपा प्रत्याशी सुखराम चौधरी 8481 मतों से आगे।

ऊना सीट से बीजेपी के सतपाल सिंह सत्ती 1412 मतों से आगे।

—– समय : 11:55 AM —–

अब तक के रुझानों में कांग्रेस को बहुमत, बीजेपी की 27 सीटों पर बढ़त।

बीजेपी : 27
कांग्रेस : 38
अन्य : 03
कुल सीटें : 68

—– समय : 11:30 AM —–

बीजेपी : 28
कांग्रेस : 37
अन्य : 03
कुल सीटें : 68

—– समय : 11:15 AM —–

सराज सीट से मुख्यमंत्री और भाजपा प्रत्याशी जयराम ठाकुर 27 हजार से अधिक मतों से जीते।

—– समय : 11:00 AM —–

बीजेपी : 30
कांग्रेस : 34
अन्य : 04
कुल सीटें : 68

—– समय : 10:58 AM —–

चंबा जिले की भरमौर सीट से भाजपा प्रत्याशी डॉ. जनक राज जीते, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ठाकुर सिंह भरमौरी को दी पटखनी।

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फतेहपुर सीट से बीजेपी के राकेश पठानिया 200 वोटों से आगे।

नगरोटा बगवां से कांग्रेस के आरएस बाली 9 हजार वोटों से आगे।

कांगड़ा सीट से बीजेपी के पवन काजल 4700 वोटों से आगे।

नूरपुर सीट से बीजेपी के रणवीर सिंह निक्का 4 हजार वोटों से आगे।

—– समय : 10:46 AM —–

मंडी की सुंदरनगर सीट से भाजपा के राकेश जम्वाल 6 हजार वोटों से जीते

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सराज सीट से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सबसे ज्यादा 13695 वोटों से आगे चल रहे हैं।

—– समय : 10:30 AM —–

बीजेपी : 32
कांग्रेस : 32
अन्य : 04
कुल सीटें : 68

—– समय : 10:15 AM —–

बीजेपी : 31
कांग्रेस : 32
अन्य : 04
कुल सीटें : 68

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आनी से बीजेपी के लोकेंद्र कुमार 2223 मतों से आगे

हरोली से कांग्रेस के मुकेश अग्निहोत्री 1083 मतों से आगे

—– समय : 10:04 AM —–

शिमला ग्रामीण से कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह 1902 मतों से आगे।

पालमपुर से बीजेपी के त्रिलोक कपूर 273 मतों से आगे।

रामपुर से बीजेजी कौल नेगी 155 मतों से आगे।

सुजानपुर से कांग्रेस के राजेंद्र राणा 582 मतों से आगे।

सुंदरनगर से बीजेपी के राकेश जम्वाल 5559 मतों से आगे।

चुराह से बीजेपी के हंसराज 2800 मतों से आगे।

डलहौज़ी से बीजेपी के डीएस ठाकुर 268 मतों से आगे।

—– समय : 9:37 AM —–

बीजेपी : 24
कांग्रेस : 29
कुल सीटें : 68

—– समय : 9:00 AM —–

पोस्टल बैलट की गिनती क्या संकेत दे रही है?

अभी तक प्रदेश भर से पोस्टल बैलट की गिनती के जो आंकड़े आ रहे हैं, उनमें करीबी मुकाबले के बावजूद बीजेपी थोड़ी सी आगे दिख रही है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इसका संकेत यह है कि बीजेपी को लेकर जिस तरह की एक तरफा नाराजगी की बात की जा रही थी, हो सकता है वह ईवीएम के गिनती के दौरान भी न दिखे। हालांकि, शुरुआती रुझान हमेशा अंत तक बरकरार रहें, ऐसा हमेशा संभव नहीं होता।

 

—– समय : 8:55 AM —–

कुल 68 सीटों में कौन आगे?

बीजेपी : 15
कांग्रेस : 12
कुल सीटें : 68

Himachal Assembly Election 2022 का महा Exit Poll, देखें

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में कुछ ही घंटे बाकी हैं। लेकिन इससे पहले एक्जिट पोल्स आ गए हैं। विभिन्न एजेंसियों एवं मीडिया संस्थानों द्वारा करवाए गए पोल्स इस तरह से हैं। गौरतलब है अभी तक आए पोल्स में सिर्फ एक ही एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनने के संकेत मिल रहे हैं जबकि अन्य सभी में बीजेपी का पलड़ा थोड़ा सा भारी दिखाया जा रहा है।

सिर्फ एक ही संस्थान ने किसी की स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाई है और वह है टाइम्स नाउ, जिसने बीजेपी को 38 सीटें आने का अनुमान लगाया है। वहीं टुडेज़ चाणक्य ने बीजेपी और कांग्रेस को बराबर स्थिति में रखा है। दोनों की सीटें 33-33 बताते हुए अनुमान लगाया है कि दोनों की सीटों में सात ऊपर नीचे हो सकती हैं।

सर्वे बीजेपी कांग्रेस आप अन्य
Times Now 38 28 0 2
P-MARQ 34-39 28-33 0-1 0
India Today 24-34 30-40 0 4-8
News X 32-40 27-34 0 0
JAN KI BAAT 37 29 0 2
Zee 38 23 4 3
BARC 35-40 20-25 0-3 1-5
MATRIZE 35-40 26-31 0 0-3
C-VOTER 33-41 24-32 0 0-4
Today’s Chankya 33 (±7) 33(±7) 2 (±2)

अभी तक के इन एग्जिट पोल का औसत निकालें तो बीजेपी को 37, कांग्रेस को 29, AAP और अन्य को 1-1 सीटें आने का अनुमान है।