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Friday, September 12, 2025
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सलाम: ऑफ रोड बाइकिंग कर जंगल में पहुंचकर बच्चों को लगाए टीके

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। जंगल के बीच कच्ची सड़क, जो सड़क कम ही लगती है। इस पर दो बाइक सवार जा रहे थे। पीछे एक महिला बैठी थी, जिसके हाथ में वैक्सीन कैरियर था। बाइक को चला भी एक महिला ही रही थी और उसने टंकी पर एक और वैक्सीन कैरियर रखा हुआ था। वहीं एक और महिला इस तरह के वैक्सीन कैरियर को लेकर पैदल ही चल रही थी।

 

यह नज़ारा दिखा हिमाचल प्रदेश के मंडी में। और इस कारनामे को अंजाम देने वाली हैं महिला स्वास्थ्य कर्मी गीता वर्मा, गीता भाटिया और प्रेमलता भाटिया। आजकल हिमाचल प्रदेश में खसरा-रुबैला का वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है। इसमें सभी बच्चों का टीकाकरण जरूरी है। मगर जंगलों में रहने वाले घुमंतू गुज्जरों के बच्चों के टीकाकरण से वंचित रहने से पूरा अभियान फेल न हो जाए, िसके लिए गीता वर्मा ने ऑफ रोड ही बाइक चलाकर जाने का फैसला किया। उनके सात गीता भाटिया बैठीं और प्रेमलता पैदल आईं।

 

बता दें कि घुमन्तु गुज्जर एक ऐसा कबीला है जो अधिकतर जीवन जंगलो में ही गुजर करता है, जिनका आम लोगो से काफी कम सम्पर्क होता है। मंडी जिला की जंजैहली उपमंडल के शिकारी देवी के जंगल में स्वास्थ्य कर्मियों की कोशिश वाकई ही लाजवाब है। तीनों ही महिलाओं की हिम्मत की दाद इस कारण देनी होगी क्योंकि जंगल से गुजरना बेहद ही खतरनाक था, क्योंकि हर वक्त जंगली जानवरों के हमले का साया मंडरा रहा था।

टीकाकरण के बाद स्वास्थ्यकर्मी (MBM News Network)

शिद्दत से की गई कोशिश भी रंग लाई, क्योंकि अमूमन गुज्जर समुदाय इस तरह के कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी के लिए आनाकानी करता है। लेकिन गीता वर्मा के साथ गीता भाटिया व प्रेमलता भाटिया के हौंसले को देखकर 48 पात्र बच्चों का टीकाकरण किया गया।

 

करसोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तहत गीता वर्मा की तैनाती सब सेंटर शंकर देहरा में है। पहले करसोग पहुंची जहां से वैक्सीन बॉक्स के साथ अन्य सामान बाइक पर लादकर मंजिल की तरफ निकल गई। 5 सितंबर को घुमंतू गुज्जरों के बच्चों का सफल टीकाकरण करने के बाद जब वापिस लौटी तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी गीता की प्रशंसा में जमकर सामने आएं। एमआर वैक्सीनेशन के पश्चात घुमंतु गुज्जरों के साथ गीता देवी।

 

गीता बताती हैं कि ऑफ रोड बाइक चलाने के दौरान हेलमेट पहनना संभव नहीं था, न केवल बाइक पर सामान लदा हुआ था बल्कि संतुलन रखना भी जरूरी था। उनका कहना था कि पगडंडी के दोनों हिस्सों पर नज़र रखना जरूरी था, मगर हेलमेट से उसमें दिक्कत आ रही थई।

 

गीता वर्मा ने बताया कि उन्होंने अपना कार्य निष्ठा से निभाने की कोशिश की। उन्हें कतई भी अंदाजा नहीं था कि विभाग से प्रशंसा मिलेगी। हैलमेट के बारे में गीता ने कहा कि वह हर तरह का दोपहिया वाहन चला लेती है, साथ ही चोपहिया वाहन की ड्राइविंग भी कर लेती है। इसके लिए उनके पास लाइसेंस भी है।

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गीता वर्मा के पति केके वर्मा, हिमाचल प्रदेश पुलिस में शिमला में तैनात है। उन्होंने बताया कि ऑफ रोड बाइकिंग के अलावा 2 से 3 किलोमीटर पैदल भी चलना पडा, क्योंकि गुज्जरों की बस्तियां फैली हुई थी। डर के बारे में पूछे जाने पर गीता वर्मा ने कहा कि ड्यूटी जरुरी थी क्योंकि देश को नौनिहालों की सुरक्षा की बात थी।

(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर है और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित की गई है)

बिंदल सुंदर नारी नहीं कि नाहन की जनता बार-बार मोहित हो जाए: वीरभद्र

सिरमौर।। सिरमौर दौर पर गए हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने फिर एक बार ऐसी मिसाल दी है, जो अनावश्यक और सेक्सिस्ट थी। नाहन से बीजेपी विधायक राजीव बिंदल पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘बिंदल कोई सुंदर नारी नहीं, जो नाहन की जनता उन पर मोहित हो जाए।‘ इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि पैसे के दम पर राजीव बिंदल ने चुनाव जीते हैं।

 

महिलाओं से तुलना करना ठीक नहीं
उनके कहने का अर्थ जो भी हो, उनका यह मिसाल देने कहीं न कहीं महिलाओं और जनता के लिए अपमानजनक है। महिलाओं के आधार पर इस तरह के बयान देने को Sexist यानी लिंग के आधार पर भेदभाव या छांटीकशी करने वाला माना जाता है। इस तरह की टिप्पणियां न सिर्फ महिलाओं, बल्कि लोकतंत्र और जनमत का अपमान भी है। क्या वीरभद्र यह कहना चाहते थे कि जनता का किसी नेता को चुनना उसपर मोहित होना है और बार-बार मोहित होने पर ही कोई नेता जीतता है? तो मुख्यमंत्री खुद कैसे बार-बार जीतते रहे हैं? और क्या कोई महिला नेता अगर-अगर बार जीतती है तो वह अपनी सुंदरता की वजह से जीतती है? जनता को मोहित करके जीतती है?

 

बहरहाल, राजीव बिंदल ने भी इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री ने नारी जाति का अपमान किया है और उन्हें राजनीति से जोड़ने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री ने नाहन और सिरमौर की जनता को बिकाऊ कहकर उनका अपमान किया है और सिरमौर के कांग्रेसी नेताओं को भी काली भेड़ें कहकर उन्हें अपमानित किया है।’

 

उन्होंने मुख्यमंत्री की उस टिप्पणी की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि सोलन के बाद बिंदल ने नाहन के लोगों को ठगा। मुख्यमंत्री ने कहा था कि मैं बाहर से आकर दूसरे स्थानों पर बसने के खिलाफ हूं। इस पर बिंदल ने कहा है कि मेरे पर निशाना साधने वाले वीरभद्र सिंह ने अपने तंबू रामपुर से उखाड़कर रोहड़ू में लगाए। रोहड़ू से उखाड़ कर शिमला ग्रामीण में लगाए और अब जहां भी वे तंबू लगाएंगे जनता उनका तंबू हमेशा के लिए उखाड़ देगी।

मुख्यमंत्री देते रहे हैं अमर्यादित मिसालें
शायद उम्र जिम्मेदार है या कुछ और वजह है, मुख्यमंत्री लगातार अजीब बयान दे रहे हैं। पिछले दिनों गद्दी समुदाय को लेकर की गई टिप्पणी के कारण पार्टी की काफी फजीहत हुई है। नीचे देखें, मुख्यमंत्री के कुछ अजीब बयान-

मुख्यमंत्री ने गद्दी समाज का जिक्र करते हुए सत्ती पर की टिप्पणी

सीएम ने सफाई कर्मचारियों का हवाला देकर बीजेपी पर तंज

गुड़िया केस में मुख्यमंत्री ने कहा ज्यादा होशियार बन रहे हैं लोग

महेश्वर सिंह ने पत्नी वाले बयान पर मुख्यमंत्री पर किया पलटवार

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री नड्डा को बताया बदतमीज लड़का

मुझे वो दिन भी याद है जब सुक्खू पैदा हुए थे

वनरक्षक की मौत पर बोले सीएम- ऐसे मामले होते रहते हैं 

मुख्यमंत्री ने चौपाल के विधायक पर किए व्यक्तिगत कॉमेंट

स्वाइन फ्लू से मौतों पर मुख्यमंत्री का शर्मनाक बयान

वीरभद्र ने स्वर्गीय आई.डी. धीमान पर की टिप्पणी

मुख्यमंत्री ने बीजेपी विधायक पर निजी टिप्पणी

कार्यकर्ता पर मंच से ही भड़क गए मुख्यमंत्री

खराब सड़कों के सवाल पर मीडिया पर बिफरे सीएम

बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट वाली नड्डा की ईमेल का पूरा सच

शिमला।। दो दिन पहले बेंगलुरु से चलने वाले पोर्टल ‘वन इंडिया’ में एक खबर छपी- हिमाचल चुनाव: भाजपा प्रत्याशियों की सूची में वीरभद्र के मंत्री भी शामिल! इसमें दावा किया गया था कि केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने हिमाचल बीजेपी के अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती को एक ईमेल भेजकर बताया है कि किन लोगों को बीजेपी इस बार टिकट देगी। बाकायदा इसका स्क्रीनशॉट लगाया था जिसमें नड्डा और सत्ती की ईमेल आईडी नज़र आ रही थी। अब देखा-देखी में कई सारे पोर्टलों ने यह खबर चला दी। बता दें कि इस स्क्रीनशॉट वाला ईमेल ‘इन हिमाचल’ को भी आया था, मगर हमने पाया था कि इस स्क्रीनशॉट में कोई विश्वसनीयता नहीं है। और इसीलिए हमने फर्जी आईडी से आए ईमेल पर भरोसा नहीं करते। आज हम पाठकों को बताते हैं कि कैसे नकली स्क्रीनशॉट लिया जा सकता है।

 

अमूमन हम खुद को जानकारियां देने वालों का पता जाहिर नहीं करते और उनकी निजता बनाए रखते हैं। मगर चूंकि इस ईमेल में निजता बनाए रखने के लिए नहीं कहा गया था और राजनीतिक ईमेल था, इसलिए हम यहां गोपनीयता न बरतते हुए पारदर्शिता बरत रहे हैं। अन्य खुफिया सूचनाओं या पाठकों की तरफ से मिलने वाली अहम जानकारियों के मामले में हम उनकी पहचान छिपाए रखने की नीति को जारी रखेंगे। 30 अगस्त को हमारे पास himachalpradesh@protonmail.com से ईमेल आया, जिसे हमारे साथ info@hillpost.com को सीसी किया गया था। यही नहीं, जब हमने इसे नहीं छापा तो आज फिर सुबह 10.30 पर हमें इसने यही ईमेल फॉरवर्ड किया। इसमें दो स्क्रीनशॉट्स थे, जो नीचे हैं:

हमने सबसे पहले ईमेल अड्रेस की जांच की तो पता चला कि नड्डा और सत्ती इन्हीं ईमेल अड्रेस को इस्तेमाल करते रहे हैं और इंटरनेट पर बीजेपी की वेबसाइट्स पर उनके यही अड्रेस मेंशन किए गए हैं। यानी कोई भी जान सकता है कि इन नेताओं के पते क्या हैं। फिर उनके आधार पर स्क्रीनशॉट लेने के लिए फर्जी ईमेल दिखाना आसान है।

 

आप ऊपर से स्क्रीनशॉट्स देखेंगे तो लगता है कि नड्डा ने सत्ती को ईमेल भेजा है। और फिर इसे आगे फॉरवर्ड किया गया है। अब इस ईमेल को या तो सत्ती फॉरवर्ड कर सकते हैं या नड्डा। मगर दोनों ऐसा क्यों करेंगे। मगर इस फर्जी ईमेल का स्क्रीनशॉट बनाने वाला चालाक तो था, मगर एक हद तक। उसे लगता होगा कि हर कोई उसकी बातों पर यकीन कर लेगा और ऐसा हुआ भी। कुछ मीडिया पोर्टल्स ने खबरें छाप दीं। मगर हमने किस आधार पर पड़ताल की और क्यों इसे विश्वसनीय नहीं पाया, हम आगे बता रहे हैं-

 

फॉरवर्ड करते वक्त ईमेल अड्रेस भी एडिट हो सकते हैं
जब कभी आप किसी ईमेल अड्रेस को फॉरवर्ड करने लगते हैं, उसका टेक्स्ट नीला हो जाता है। साथ ही एडिट मोड ऑन हो जाता है, जिससे आप मूल ईमेल के कॉन्टेंट में बदलाव कर सकते हैं। यहां तक कि आप उन अड्रेस को भी बदल सकते हैं, जिनका मूल ईमेल में जिक्र है। यानी किसी बंदे ने पहले तो ईमेल आईडी के बीच फर्जी ईमेल भेजा, फिर उसे फॉरवर्ड करने लगा तो भेजने वाले की आईडी को एडिट करके वहां नड्डा की आईडी डाल दी और रिसीव करने वाली की आईडी की जगह सत्ती की। ठीक ऐसे ही, जैसे हमने आपको समझाने के लिए फर्जी स्क्रीनशॉट इसी तरीके से बनाया है।

पाठकों को यह समझाने के लिए बनाया गया ईमेल कि किसी मेसेज को फॉरवर्ड करने पर ईमेल अड्रेस को भी बदला जा सकता है।

बहरहाल, ये तो बाद की बातें हैं। In Himachal लिस्ट में शामिल नामों से ही समझ गया था कि इस मेल को तैयार करने वाली की राजनीतिक समझ इतनी कम है कि उसने जिन नामों को शामिल किया है, उनमें से कुछ को टिकट मिलने के आसान दूर-दूर तक नहीं हैं। साथ ही कुछ ऐसे नाम भी लिख दिए हैं, जिन्हें साफ टिकट मिलने तय हैं। मगर जोगिंदर नगर समेत कई ऐसी सीटें, जहां भ्रम की स्थिति बनी हुई है, वहां पर कैंडिडेट्स के नाम तक नहीं लिखे। 68 में से 31 नामों की ही लिस्ट?

कौन है ईमेल भेजने वाला
हमने खोजबीन आगे बढ़ाई। पता चला कि यह फर्जी ईमेल भेजने वाला संभवत: बीजेपी का ही कार्यकर्ता है। संभव है वह धूमल समर्थक खेमे का न हो और नड्डा समर्थक खेमे का हो। इसीलिए उसने इस लिस्ट में हमीरपुर में प्रेम कुमार धूमल की जगह उनके बेटे अरुण का नाम लिखकर यह संकेत देने की कोशिश है कि इस बार धूमल सीएम नहीं बनेंगे। वैसे कोई कितना भी चालाक बन जाए, सबूत छोड़ ही देता है।

 

जिस ईमेल आईडी से हमें यह ईमेल भेजा गया था, उस आईडी से फेसबुक पर एक प्रोफाइल बनी है- भ्रष्टाचार मुक्त हिमाचल, जिसका यूआरएल- https://www.facebook.com/himachal.sharma.180 है। आप himachalpradesh@protonmail.com को फेसबुक पर सर्च करके इस आईडी को ढूंढ सकते हैं। यानी हो सकता है कि किसी ‘शर्मा’ टाइटल वाले व्यक्ति ने यग प्रोफाइल बनाई हो। मगर इस प्रोफाइल को गौर से देखें तो डिस्प्ले इमेज में “धूमल और वीरभद्र के गले मिलने वाली तस्वीर” लगाई गई है और ऊपर कवर इमेज में पीएम मोदी के साथ सिर्फ नड्डा हैं। बहुत संभावना है कि नड्डा के किसी अनाड़ी समर्थक ने इस मनगढ़ंत लिस्ट बनाने का पूरा खेल रचा हो।

मगर अफसोस, हमारा मीडिया का कुछ हिस्सा बिना चीज़ों को वेरिफाई किए भ्रम फैला रहा है। वह भी तब, जब दूसरों की ईमेल आईडी के माध्यम से भ्रम फैलाना अपराध है और सज़ा मिल सकती है।

नदी के बीच पत्थरों में फंसी मिली बच्ची, अस्पताल में तोड़ा दम

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, कुल्लू।। जिला मुख्यालय कुल्लू की सरबरी नदी से एक मासूम बच्ची बरामद हुई। यह बच्ची पानी में पत्थरों के बीच फंसी हुई थी। इसे क्षेत्रीय अस्पताल लाया गया, मगर उसने दम तोड़ दिया। यह पता नहीं चल पाया है कि बच्ची किसकी है और यहां कैसे पहुंची। आसपास किसी ने बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी नहीं लिखवाई है।

 

बताया जा रहा है कि जब नगर परिषद के वॉर्ड नम्बर 7 में स्वच्छता अभियान चल रहा था,  उस दौरान सफाई अभियान को अंजाम दे रही महिलाओं ने नदी में एक पत्थर के बीच फंसी हुई दिखी। महिलाओं ने और लोगों ने नदी से बाहर निकाला।

Image: Social Media
Image: Social Media

महिलाओं ने बताया कि उस समय मासूम की सांसें चल रही थी जिसके चलते उन्होंने अपनी गाड़ी में ही उसे अस्पताल पहुंचाया लेकिन उपचार के दौरान कुछ देर बाद बच्ची ने दम तोड़ दिया।

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बच्ची किसकी है इसका अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है और न ही किसी ने अपनी बच्ची की गुमशुद्धगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई है, जिससे मासूम का इस तरह ब्यास नदी में मिलना कई सवालों को जन्म दे रहा है। उधर, पुलिस ने मासूम के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए क्षेत्रीय अस्पताल के डैड हाउस में रखा है।

(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर है और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित की गई है)

गुड़िया केस: CBI ने फिर मांगा समय, हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

शिमला।। कोटखाई रेप ऐंड मर्डर केस में हिमाचल हाई कोर्ट ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा है कि आखिर मामला हल करने के लिए कितने दिन चाहिए। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट सौंपनी थी। सीबीआई ने कहा कि मामले की जांच पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि 6 हफ्तों का वक्त हो गया है और 70 लाख लोगों की नज़र इस केस पर है। इस पर सीबीआई ने कहा कि एक मामले की जांच लगभग पूरी है, बस लैब से रिपोर्ट्स आने का इंतज़ार हो रहा है।

 

सीबीआई के वकील ने कहा कि कुछ सैंपल की रिपोर्ट का अभी इंतजार है। इनके आने के बाद ही जांच आगे बढ़ सकती है। सीबीआई ने दावा किया कि गुड़िया केस के तहत लॉकअप में एक आरोपी की हत्या के मामले की जांच तकरीबन पूरी कर ली गई है। इस मामले में जल्द ही चार्जशीट भी पेश कर दी जाएगी। इसके अलावा दूसरा मामला जांच रिपोर्ट न मिलने से अटका हुआ है।

 

हाई कोर्ट ने दो हफ्तों का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर को होगी और सीबीआई को अपनी स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी।

न नड्डा, न धूमल; पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में बीजेपी

शिमला।। जैसे कयास लगाए जा रहे थे, उन्हीं के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी बिना सीएम कैंडिडेट घोषित किए चुनाव लड़ेगी। ‘इन हिमाचल’ को सूत्रों से पता चला है कि बीजेपी ने दिसंबर तक संभावित चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करने का विचार छोड़ दिया है। जानकारी मिली है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में शामिल केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने ही इस बात की अनुशंसा की है कि चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा जाना चाहिए।

 

इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि जेपी नड्डा को सीएम का फेस बनाकर हिमाचल भेजा जा सकता है। मगर अब पार्टी में अहम फैसले की जानकारी रखने का दावा करने वाले एक पदाधिकारी का कहना है कि किसी का भी नाम घोषित नहीं किया जाएगा। उन्होंने दावा किया है कि पार्टी नेतृत्व ने पहले नड्डा का नाम आगे करने का फैसला किया था मगर फिर नड्डा ने यह कहते हुए ऐसा न करने की सलाह दी कि इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है।

जानकारी के मुताबिक नड्डा ने कहा कि प्रदेश में अभी भी बहुत से कार्यकर्ता ऐसे हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को पहली पसंद मानते हैं। ऐसे में अगर पार्टी धूमल की जगह उन्हें चेहरा बनाती है तो उन कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर सकता है और कुछ कार्यकर्ता अंदरखाने पार्टी को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। बताया जाता है कि नड्डा ने यह फीडबैक हिमाचल बीजेपी के अपने करीबी नेताओं और विधायकों की सलाह पर दिया है। नड्डा का कहना था कि पार्टी को अन्य राज्यों की तरह प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आधार पर ही हिमाचल में चुनाव लड़कर सत्ता में आना चाहिए।

बीजेपी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी धूमल का समर्थन करता है।

बताया जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने नड्डा और अन्य नेताओं की सलाह पर गौर फरमाते हुए इस बात के लिए सहमति दे दी है कि चुनाव प्रधानमंत्री के नाम पर ही लड़े जाएं। दरअसल शाह जानते हैं कि यह हिमाचल से कांग्रेस को बड़े स्तर पर खत्म करने का मौका है क्योंकि वीरभद्र के बाद कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर फूट पड़ जाएगी। इसलिए वह नहीं चाहते कि उनकी पार्टी में भी घमासान मचे और उसकी स्थिति कांग्रेस के बराबर आ जाए।

रिटायर होने के बाद भी रोज स्कूल आकर पढ़ा रहे यह टीचर

कांगड़ा।। हिमाचल प्रदेश के नूरपुर में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला धनेटी में एक ऐसे टीचर हैं, जो रिटायर होने के बावजूद पढ़ा रहे हैं और बिना वेतन लिए। उनका नाम है अमरनाथ और वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि उनके रिटायर होने के बाद स्कूल में कोई ड्रॉइंग टीचर नियुक्त नहीं किया गया था।

 

न्यूज़ 18 हिमाचल ने अमरनाथ की यह कहानी सबसे सामने रखी है। पोर्टल ने लिखा है कि 39 साल तक अमरनाथ शिक्षा विभाग में रहे हैं। वह सुबह स्कूल पहुंचकर परिसर की साफ-सफाई देखने से लेकर प्रार्थना सभा का आयोजन भी करवाते हैं। फिजिकल एजुकेशन का टीचर न होने की कमी भी वही पूरी कर रहे हैं और अगर कोई अध्यापक न आए तो क्लास को वही संभालते हैं।

 

अमरनाथ कहते है कि जब उन्होंने शिक्षा विभाग में सेवाएं देना शुरू किया था, तब शपथ ली थी कि जब तक स्वास्थ्य इजाजत देगा, पढ़ाता रहूंगा।

 

पोर्टल के मुताबिक स्कूल के प्रिंसिपल करनैल पठानिया का कहना है कि जब से वह इस विद्यालय में आए हैं, तब से उन्होंने देखा है कि अमरनाथ सबसे ज्यादा कर्तव्य निष्ठ हैं। जब उन्हें पता चला कि वे सेवानिवत्ति के बाद भी सेवाएं दे रहे हैं तो उनके प्रति सम्मान और भी बढ़ गया। बच्चे भी अमरनाथ की तारीफ करते हैं।

 

नूरपुर के एसडीएम आबिद हुसैन सादिक कहते हैं कि यह गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने पन्द्रह अगस्त को विशेष स्मृति चिन्ह देकर अमरनाथ को उनके पुण्य काम के लिए सम्मानित किया था।

स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में लगातार मौतें, जिम्मेदार कौन?

शिमला।। आज हिमाचल प्रदेश के अखबारों में कैबिनेट का वह फैसला सुर्खियों में है, जिसमें बताया गया है कि अब हिमाचल में सभी लोगों को 330 तरह की दवाएं और चिकित्सा संबंधित वस्तुएं मुफ्त मिलेंगी। फैसला लिया गया कि यह व्यवस्था प्रदेश के तमाम स्वास्थ्य केंद्रों में होगी, चाहे वे पीएचसी हों या जोनल अस्पताल। मगर सरकार के फैसले के बीच कुछ ताज़ा खबरों को उतनी तवज्जो नहीं मिली, जो स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खोलती हैं।

प्रदेश में कहीं पर खाली इमारतें हैं, जहां डॉक्टर नहीं। कहीं पर स्टाफ की कमी है तो कहीं डॉक्टर बहुत कम हैं। कहीं पर मशीनें और लैब कई-कई दिन काम नहीं कर रही। लोग आए दिन धरने प्रदर्शन कर रहे हैं। अब चुनाव नजदीक देखकर बड़े-बड़े ऐलान कर रही सरकार और स्वास्थय मंंत्री ने पिछले 5 सालों में किया क्या? खुद तो हमारे स्वास्थ्य मंत्री पीजीआई चंडीगढ़ जाकर दाखिल हो जाते हैं, मगर प्रदेश की जनता को किन अस्पतालों के भरोसे छोड़ा हुआ है, पिछले 24 घंटों की खबरें हकीकत बयां कर देंगी। आवाज़ उठाना ज़रूरी है क्योंकि बीमारियां या हादसे बताकर नहीं आते। कल को हम या हमारा अपना भी इस तरह से भुगत सकता है। कोई भी हो, मौत बेवक्त नहीं होनी चाहिए और खासकर सुविधाओं या व्यवस्थाओं के अभाव में।
1. खाली ऑक्सिजन सिलेंडर लगाकर कर दिया रेफर, मौत
यह घटना सिरमौर की है। यहां के डॉ. यशवंत सिंह मेडिकल कॉलेज नाहन से पीजीआई के लिए रेफर एक मरीज को ऑक्सिजन का खाली सिलेंडर लगा दिया गया। अस्पताल से निकलते ही दो सड़का के पास ऐंबुलेंस को वापस लाना पड़ा। इसके बाद नया सिलेंडर लगाकर मरीज को पीजीआई ले जाया गया, लेकिन दाखिल होने से पहले ही मरीज की मौत हो गई।

2. खून और ऑक्सिजन न मिलने से महिला की मौत
ऊना में हुए ट्रक हादसे में घायल सुखवंत कौर की टांग हादसा स्थल पर ही धड़ से अलग हो गई। उन्हें अम्ब अस्पताल पहुंचाया गया मगर यहां ख़ून नहीं मिल पाया। उनका खून काफी बह चुका था और खून चढ़ाना ज़रूरी था। ऐसे में उन्हें क्षेत्रीय अस्पताल ऊना रेफर कर दिया गया। ऐंबुलेंस में ऑक्सिजन तक नहीं मिल पाई। जिंदगी और मौत के बीच झूलतीं सुखवंत ने ऊना हॉस्पिटल में स्ट्रेचर पर ही दम तोड़ दिया।

3. आईजीएमसी के ओटी में फंगस वाली ग्लूकोज बॉटल
आईजीएमसी शिमला, प्रदेश का तथाकथित टॉप हॉस्पिटल। मंगलवार को सुबह के समय जब नर्स सी.टी.बी.एस. ओ.टी. में एक मरीज को ग्लूकोज लगा रही थी, उसे शक हुआ कि शायद ग्लूकोज की बोतल में कुछ फंगस है। ऐसे में नर्स ने तुरंत ग्लूकोज को लगाने से रोक दिया और बोतल को बंद करके एम.एस. के रूम में पहुंचाया। मगर अस्पताल प्रशासन का दावा है कि फंगस नहीं था, नर्स को सिर्फ शक हुआ था। अगर ऐसा ग्लूकोज़ चढ़ा दिया जाए तो आप कल्पना कर सकते हैं कि नतीजा क्या होगा। वैसे यह पहला मौका नहीं है। आईजीएमसी में खून लगी सिरिंज का मामला सामने आ चुका है। यहां पर पैकेट बंद सिरिंज में खून के धब्बे मिले थे।

4. स्क्रब टाइफस से आईजीएमसी में 5 मौतें
आईजीएमसी शिमला मे स्क्रब टाइफस से मौतें थम नहीं रही है। यहां रामपुर की रहने वाली महिला की स्क्रब टाइफस से मौत हो गई। आंकड़ों के अनुसार अस्पताल में स्क्रब से हुई मौतों में यह सांतवी मौत है। जबकि अस्पताल प्रशासन पांच ही मौतों की पुष्टि कर रहा है। गौरतलब है कि वक्त पर पहचान होने पर एंटीबायोटिक्स की मदद से इसका इलाज हो सकता है। अब दुनिया में इसकी गिरफ्त में आने वाले मरीज़ों की मौत होने का मामला 2 फीसदी से भी बचा है।

5. ये रहस्यमयी बुखार क्या है? 
श्री रेणुका जी में स्वास्थ्य खंड संगड़ाह के अंतर्गत आने वाले गांव गवाहू और रनवा में पिछले सप्ताह 2 लोगों की जान ले चुके रहस्यमयी बुखार ने रविवार को तीसरे व्यक्ति की जान ले ली। मगर यह रहस्यमयी बुखार क्या है? आपने मियादी बुखार सुना होगा, दिमागी बुखार सुना होगा… रहस्यमयी बुखार किस बला का नाम है? जब आप डायग्नोज़ नहीं कर पा रहे कि मरीज़ों को बुखार क्यों हो रहा है, यह आपकी नाकामी है। उसे रहस्यमयी बुखार का नाम देकर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते। खासकर लोगों की मौत हो रही हो, तब स्पेशल जांच करवाई जानी चाहिए कि कारण क्या है।

क्या आपके करीबी अस्पताल या हेल्थ सेंटर में दवाइयां या डॉक्टर हैं? कॉमेंट करके जवाब दें।

CBI जांच के आदेश और सूरज की हत्या में लिंक ढूंढ रही है सीबीआई?

शिमला।। कोटखाई रेप ऐंड मर्डर केस में पहले मुख्यमंत्री सीबीआई जांच से इनकार कर रहे थे। मगर 14 जुलाई को उन्होंने ऐलान किया कि जांच सीबीआई से होगी। फिर उन्होंने इसके लिए केंद्र को खत लिखा। 18 जुलाई को उन्होंने कोर्ट जाकर सीबीआई को जांच के आदेश देने की मांग की। इसके ठीक एक दिन बाद केस के सिलसिले में जेल में बंद नेपाली मूल के आरोपी सूरज की संदिग्ध हालात में मौत हो गई।

 

पुलिस का कहना था कि एक अन्य आरोपी राजू ने गुस्से में सूरज को पीट-पीटकर मार डाला। मगर अब सीबीआई को शक है कि इसमें पुलिसवाले शामिल हैं और उसने एसआईटी के अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया है। कोर्ट ने दूसरी बार इन अधिकारियों और कर्मचारियों को रिमांड पर भेजा है। ऐसे में पुलिस यह पता लगाना चाह रही है कि जब सीबीआई जांच का ऐलान हो चुका था, पुलिस पहले ही केस को सुलझाने का दावा कर चुकी थी। फिर वह क्यों पीट रही थी सूरज को? उससे कुछ उगलवाना चाह रही थी या उसका धमकाना चाह रही थी कि जब सीबीआई जांच हो, तब वह कोई ऐसा राज न उगल दे जिससे पुलिस के दावों की पोल खुल जाए?

मृतक आरोपी सूरज की पत्नी ममता। Image: Indian Express

जब पुलिस के दावे के मुताबिक सभी आरोपी गुनाह कबूल रहे थे, तो सूरज से पूछताछ क्यों की जा रही थी? हिंदी अखबार अमर उजाला ने ऐसे ही प्रश्न उठाए हैं और कहा है कि सीबीआई जांच को लेकर सरकार के गंभीर रुख को देखकर पुलिस को जांच बंद कर देनी चाहिए थी और अमूमन ऐसा ही किया जाता है ताकि पुलिस पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप न लगे। मगर शिमला केस में ऐसा नहीं हुआ। संतरी के बयान से पुलिस के दावों की पोल खुल चुकी है मगर अधिकारी अपने पुराने बयान पर ही अड़े हैं। इसीलिए सीबीआई को दोबारा उनका रिमांड मांगना पड़ा।

विधानसभा जल्दी भंग करने का फैसला ले सकती है कैबिनेट

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में ताबड़तोड़ कैबिनेट मीटिंगें हो रहीं है, जिनमें आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए फ़ैसले लिए जा रहे हैं।

आज भी कैबिनेट की मीटिंग है और सोमवार शाम को ही मंत्री शिमला पहुंच चुके हैं। राजनीतिक हलकों मे चर्चा है कि यह मीटिंग वीरभद्र सरकार के इस कार्यकाल की अंतिम कैबिनेट मीटिंग हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि आज कैबिनेट विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पारित कर सकती है।

 

कांग्रेस में संगठन बनाम वीरभद्र जंग चली है और दिल्ली में में फ्री हैंड लेने गए वीरभद्र सिंह को सोनिया गांधी और अहमद पटेल से सकारात्मक इशारा नहीं मिला। इसे देखते हुए वीरभद्र सिंह चुनाव नहीं लड़ने के अपने दबाव वाले दांव से एक कदम आगे जाते हुए हुए विधानसभा को जल्द भंग करने का अस्त्र चला सकते हैं।

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह

वीरभद्र सिंह मान रहे हैं कि उन्हें कमान मिलने में जितनी देरी होगी, उतनी ही उनकी ताकत कम हो जाएगी। हालांकि 2012 में भी चुनाव से सिर्फ एक महीना पहले ही जब कौल सिंह को हटाया गया था, तब वीरभद्र सरकार बनाने में कामयाब रहे थे। मगर इस बार उन्हें पता है कि 2012 से हालात अलग हैं।

 

2012 में बीजेपी सत्ता में थी और ऐंटीइनकम्बेंसी कांग्रेस से फेवर में थी। दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी जिसमें वीरभद्र मंत्री रहे थे। ऊपर से बीजेपी की गुटबाजी कांग्रेस के लिए आसान हालात बना रही थी।

 

मगर इस बार हालात अलग हैं। मोदी लहर है और कांग्रेस कई राज्यों से साफ हो चुकी है। वीरभद्र इस दांव को इसलिए भी खेल सकते हैं कि पार्टी पर सीधे प्रेशर बन जाए कि अब क्या करना है, क्योंकि चुनाव सिर पर आ गए हैं। वह नेतृत्व से पूछ सकेंगे कि मेरे नेतृत्व में लड़ना है या नहीं; या फिर मैं लड़ूं ही नहीं?

 

दूसरा कारण यह भी सकता है कि उनकी नजर वर्तमान में भाजपा की स्थिति भांपने पर है। एम्स मामले में नड्डा अनुराग के टकराव और मंत्रिमंडल विस्तार में सामने आयी अफवाहों से भाजपा काडर असमंजस में है कि उनका नेता होगा कौन। वीरभद्र सिंह इस स्थिति का फायदा उठाना चाह रहे हैं। वह नहीं चाहते कि बीजेपी को इस भ्रम को सुलझाने के लिए समय मिले।

एम्स को लेकर नड्डा और अनुराग में टकराव

तीसरा कारण यह भी है कि कांग्रेस के बजाय बीजेपी में इस बार हर सीट से टिकट चाहने वालों की फौज तैयार हो गई है। पहले सिटिंग विधायकों वाली जगह पर टिकट के दावेदार नहीं होते थे। मगर इस बार कहा जा रहा है कि सर्वे के आधार पर टिकट मिलेंगे। ऐसे में सिटिंग विधायकों के भी टिकट कट सकते हैं। इसीलिए दावेदार मजबूती से सामने आ रहे हैं। वीरभद्र इस स्थिति का फायदा उठाने के लिए भी जल्दी चुनाव करवा सकते हैं।

 

व्यक्तिगत रूप से भी वीरभद्र सिंह मनी लॉन्ड्रिंग के केस में घिर गए हैं। ED द्वारा जब्त उनकी प्रॉपर्टी पर भी कोर्ट ने मुहर लगा दी है। कहीं इस मुद्दे पर पार्टी में ही उनके विरोधी आलाकमान के सामने उनपर हावी न हो जाएं, इससे पहले ही वह आरपार की लड़ाई के मूड में हैं।

 

गुड़िया मामले में भी हिमाचल पुलिस ने जो फजीहत अपने साथ-साथ मुख्यमंत्री की करवाई है, इस से भी वह बहुत आक्रोशित और दुखी बताए जा रहे हैं। सीबीआई इस मामले में किसी ठोस नतीजे तक पहुंचे, इससे पहले ही वह अपने नेतृत्व में चुनाव में उतर जाना चाहती है।

पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी से हुई है फजीहत

अंतिम कारण यह भी माना जा रहा है कि सरकार के पास अब कोई ऐसी योजनाए, कार्य और फैसले नहीं बचे है जो चुनावी समय में जनता को लुभाने के लिए बचे हुए रह गए हैं। सरकार कार्यकाल में जो कर सकती थी, कर चुकी है। इसलिए चुनाव को लंबा खींचकर अभ फायदा नहीं है।

 

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि वीरभद्र सिंह के विरोधी माने जाने वाले बड़े नेता अभी मानते है कि मुख्यमंत्रीं ने चुनाव नहीं लड़ा तो प्रदेश में जो एक कांग्रेस काडर फैला है, जिसके लिए कांग्रेस मतलब ही वीरभद्र सिंह है, उसका हौसला टूट जाएगा और इसका खामियाजा उन्हें भी चुनावों में हो सकता है। इसलिए अगर नेतृत्व पर जल्द फैसला लेने की स्थिति बनती है तो उन्हें भी वीरभद्र को नेता मानना पड़ेगा, ताकि अपनी सीट बच जाए।

 

ऐसे में आज कैबिनेट में मुख्यमंत्री इस संबंध में चर्चा कर सकते हैं। अगर कैबिनेट ने विधानसभा भंग करने की अनुशंसा की तो हिमाचल प्रदेश में ज्यादा नहीं तो तय वक्त से कम से कम 3-4 हफ्ते पहले चुनाव हो सकते हैं।