स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में लगातार मौतें, जिम्मेदार कौन?

शिमला।। आज हिमाचल प्रदेश के अखबारों में कैबिनेट का वह फैसला सुर्खियों में है, जिसमें बताया गया है कि अब हिमाचल में सभी लोगों को 330 तरह की दवाएं और चिकित्सा संबंधित वस्तुएं मुफ्त मिलेंगी। फैसला लिया गया कि यह व्यवस्था प्रदेश के तमाम स्वास्थ्य केंद्रों में होगी, चाहे वे पीएचसी हों या जोनल अस्पताल। मगर सरकार के फैसले के बीच कुछ ताज़ा खबरों को उतनी तवज्जो नहीं मिली, जो स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खोलती हैं।

प्रदेश में कहीं पर खाली इमारतें हैं, जहां डॉक्टर नहीं। कहीं पर स्टाफ की कमी है तो कहीं डॉक्टर बहुत कम हैं। कहीं पर मशीनें और लैब कई-कई दिन काम नहीं कर रही। लोग आए दिन धरने प्रदर्शन कर रहे हैं। अब चुनाव नजदीक देखकर बड़े-बड़े ऐलान कर रही सरकार और स्वास्थय मंंत्री ने पिछले 5 सालों में किया क्या? खुद तो हमारे स्वास्थ्य मंत्री पीजीआई चंडीगढ़ जाकर दाखिल हो जाते हैं, मगर प्रदेश की जनता को किन अस्पतालों के भरोसे छोड़ा हुआ है, पिछले 24 घंटों की खबरें हकीकत बयां कर देंगी। आवाज़ उठाना ज़रूरी है क्योंकि बीमारियां या हादसे बताकर नहीं आते। कल को हम या हमारा अपना भी इस तरह से भुगत सकता है। कोई भी हो, मौत बेवक्त नहीं होनी चाहिए और खासकर सुविधाओं या व्यवस्थाओं के अभाव में।
1. खाली ऑक्सिजन सिलेंडर लगाकर कर दिया रेफर, मौत
यह घटना सिरमौर की है। यहां के डॉ. यशवंत सिंह मेडिकल कॉलेज नाहन से पीजीआई के लिए रेफर एक मरीज को ऑक्सिजन का खाली सिलेंडर लगा दिया गया। अस्पताल से निकलते ही दो सड़का के पास ऐंबुलेंस को वापस लाना पड़ा। इसके बाद नया सिलेंडर लगाकर मरीज को पीजीआई ले जाया गया, लेकिन दाखिल होने से पहले ही मरीज की मौत हो गई।

2. खून और ऑक्सिजन न मिलने से महिला की मौत
ऊना में हुए ट्रक हादसे में घायल सुखवंत कौर की टांग हादसा स्थल पर ही धड़ से अलग हो गई। उन्हें अम्ब अस्पताल पहुंचाया गया मगर यहां ख़ून नहीं मिल पाया। उनका खून काफी बह चुका था और खून चढ़ाना ज़रूरी था। ऐसे में उन्हें क्षेत्रीय अस्पताल ऊना रेफर कर दिया गया। ऐंबुलेंस में ऑक्सिजन तक नहीं मिल पाई। जिंदगी और मौत के बीच झूलतीं सुखवंत ने ऊना हॉस्पिटल में स्ट्रेचर पर ही दम तोड़ दिया।

3. आईजीएमसी के ओटी में फंगस वाली ग्लूकोज बॉटल
आईजीएमसी शिमला, प्रदेश का तथाकथित टॉप हॉस्पिटल। मंगलवार को सुबह के समय जब नर्स सी.टी.बी.एस. ओ.टी. में एक मरीज को ग्लूकोज लगा रही थी, उसे शक हुआ कि शायद ग्लूकोज की बोतल में कुछ फंगस है। ऐसे में नर्स ने तुरंत ग्लूकोज को लगाने से रोक दिया और बोतल को बंद करके एम.एस. के रूम में पहुंचाया। मगर अस्पताल प्रशासन का दावा है कि फंगस नहीं था, नर्स को सिर्फ शक हुआ था। अगर ऐसा ग्लूकोज़ चढ़ा दिया जाए तो आप कल्पना कर सकते हैं कि नतीजा क्या होगा। वैसे यह पहला मौका नहीं है। आईजीएमसी में खून लगी सिरिंज का मामला सामने आ चुका है। यहां पर पैकेट बंद सिरिंज में खून के धब्बे मिले थे।

4. स्क्रब टाइफस से आईजीएमसी में 5 मौतें
आईजीएमसी शिमला मे स्क्रब टाइफस से मौतें थम नहीं रही है। यहां रामपुर की रहने वाली महिला की स्क्रब टाइफस से मौत हो गई। आंकड़ों के अनुसार अस्पताल में स्क्रब से हुई मौतों में यह सांतवी मौत है। जबकि अस्पताल प्रशासन पांच ही मौतों की पुष्टि कर रहा है। गौरतलब है कि वक्त पर पहचान होने पर एंटीबायोटिक्स की मदद से इसका इलाज हो सकता है। अब दुनिया में इसकी गिरफ्त में आने वाले मरीज़ों की मौत होने का मामला 2 फीसदी से भी बचा है।

5. ये रहस्यमयी बुखार क्या है? 
श्री रेणुका जी में स्वास्थ्य खंड संगड़ाह के अंतर्गत आने वाले गांव गवाहू और रनवा में पिछले सप्ताह 2 लोगों की जान ले चुके रहस्यमयी बुखार ने रविवार को तीसरे व्यक्ति की जान ले ली। मगर यह रहस्यमयी बुखार क्या है? आपने मियादी बुखार सुना होगा, दिमागी बुखार सुना होगा… रहस्यमयी बुखार किस बला का नाम है? जब आप डायग्नोज़ नहीं कर पा रहे कि मरीज़ों को बुखार क्यों हो रहा है, यह आपकी नाकामी है। उसे रहस्यमयी बुखार का नाम देकर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते। खासकर लोगों की मौत हो रही हो, तब स्पेशल जांच करवाई जानी चाहिए कि कारण क्या है।

क्या आपके करीबी अस्पताल या हेल्थ सेंटर में दवाइयां या डॉक्टर हैं? कॉमेंट करके जवाब दें।

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