रिसर्च में पता चला- स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है हिमाचली धाम

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में दावत के दौरान दी जाने वाली धाम को खाने का मजा ही कुछ और है। विभिन्न व्यंजनों वाले इस भोज को हम चटखारे लेकर तो खाते ही हैं, अब पता चला है कि सेहत के लिए यह फायदेमंद है। एक रिसर्च में यह बात निकलकर सामने आई है।

क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान फॉर न्यूट्रीशल डिसऑर्डर, मंडी के रिसर्च में मंडयाली धाम को आयुर्वेदिक आहार बताया गया है। रिसर्च में पाया गया कि धाम पकाने से लेकर परोसने तक के पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। सेहत के लिए इसे गुणों की खान माना गया है।

Dhaam

सबसे पहले बूंदी मीठा, फिर सेपू बड़ी और झोल फूड वैल्यू बढ़ा देता है। शोध के बाद संस्थान अब धाम को पेटेंट करवाने के लिए आवेदन करेगा। सहायक निदेशक एवं अनुसंधान अधिकारी डॉ. ओम शर्मा का कहना है कि अब मंडयाली धाम को पेटेंट करवाने के लिए आवेदन किया जा रहा है।

रिसर्च में कहा गया है कि फूड वैल्यू को देखते हुए धाम अपने आप में एक अनूठा आहार है। इसे परोसने का तरीका भी अनूठा है। हरी पत्तलों और हाथ से धाम खाने का जो लाभ शरीर को मिलता है, वह प्लास्टिक से बनी प्लेटों और चम्मच से खाने से नहीं मिलता।

DHaam 2

धाम पत्तलों पर परोसी जाती है। मंडयाली धाम में सबसे पहले बूंदी मीठा परोसा जाता है। इसे लोकल बोली में बदाणा कहा जाता है। उसके बाद सेपू बड़ी, कद्दू खट्टा, कोल का खट्टा, दाल और झोल परोसा जाता है। इसे टौर के हरे पत्ते से बनी पत्तलों पर परोसा जाता है जिससे इसकी फूड वैल्यू और बढ़ जाती है।

dhaam-3

संस्थान के सहायक उपनिदेशक एवं अनुसंधान अधिकारी डॉ. ओम राज शर्मा की अगुवाई में इसी संस्थान के सुमित गोयल, दीप शिखा आर्य, विनीता नेगी, विकास नरयाल और प्रशांत शिंदे की टीम ने मंडयाली धाम के हर पहलू पर शोध किया है। शोध पत्र जनरल इंटरनेशनल जनरल ऑफ एडवांस रिसर्च के फरवरी अंक में प्रकाशित हो गया है।

दिल जीत लेगी हिमाचल की पृष्ठभूमि पर बनी गंभीर मेसेज वाली ऐनिमेटेड शॉर्ट मूवी- मुस्कान

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश के महिला एवं बाल कल्याण निदेशालय ने मुस्कान नाम की एक शॉर्ट ऐनिमेटेड मूवी बनाई है। यह जेंडर इक्वैलिटी का मेसेज देती है और लोगों को कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराई के बारे में जागरूक करती है। फिल्म हिमाचल की पृष्ठभूमि पर है मगर पूरे देश के लिए मेसेज देती है। (फिल्म बॉटम पर जाकर देखें।)

मुस्कान नाम की एक छोटी लड़की को पता चलता है कि उसकी प्रेगनेंट मां को गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच के लिए टेस्ट के लिए फोर्स किया जा रहा है। अगर गर्भ में पल रहा शिशु लड़की हुई तो अबॉर्श कर दिया जाएगा। मुस्कान अपने परिवार की सोच बदलने का निश्चय लेती है। अपने परिवार के मन में बनी कई धारणाओं को वह तोड़ती है।

यह मूवी न सिर्फ हमें यह बताती है कि लड़का और लड़की में फर्क नहीं है, बल्कि कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ भी मसेज देती है। इसे डायरेक्टरेट ऑफ विमिन ऐंड चाइल्ड डिवेलपमेंट और डिपार्टमेंट ऑफ सोशल जस्टिस ऐंड इम्पारवरमेंट हिमाचल प्रदेश ने ACC की पार्टनरशिप के साथ बनाया है। फिल्म को गिरगिट स्टूडियोज़ ने तैयार किया है। हिमाचल के पॉप्युलर लमण बैंड ने भी इसमें म्यूजिक दिया है। नीचे देखें 20 मिनट की यह मूवी। शेयर करना न भूलें:

शेयर न करना भूलें। कॉमेंट करके बताएं कैसा लगा।

जल्द नए टीवी सीरियल में लीड रोल में दिखेंगी हिमाचल के मंडी की ईशानी शर्मा

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश के मंडी की ईशानी शर्मा जल्द ही नए सीरियल में लीड रोल में नजर आने वाली हैं। स्टार प्लस ‘हमको तुमसे हो गया है प्यार क्या करें’ में अनोखी का रोल निभाते हुए ईशानी काफी तारीफ बटोरी थी।

ईशानी ने प्लस टू तक की पढ़ाई डीएवी स्कूल मंडी से की है। इसके बाद चंडीगढ़ में बीटेक करते हुए उन्होंने ऑडिशन दिया था, जिस दौरान सीरियल के लिए उनका सिलेक्शन हुआ था।

इशानी शर्मा
इशानी शर्मा

ईशानी के पिता वकील हैं और माता कॉमर्स की प्रफेसर हैं। ईशानी का कहना है कि उन्होंने ऐक्टिंग के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं ली है और न ही बचपन में ऐक्टिंग में कोई इंटरेस्ट रहा। मगर स्कूल और कॉलेज में नाटकों में भाग लेना उनके लिए मददगार साबित हो रहा है।

ईशानी की कुछ तस्वीरें:

Ishani Sharma

Ishani Sharma pictures

Ishani Sharma mandi

Ishani Sharma himachal

Ishani Sharma cure

Ishani Sharma hot

\Ishani Sharma pictures

 

मुख्यमंत्री के पेज पर Live के नाम पर दिखाया रिकॉर्डेड वीडियो, वह भी ढंग से नहीं चला

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश को तरक्की की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए उस वक्त अजीब स्थिति हो गई जब वह 7 बजे लाइव आने का ऐलान करने के बावजूद फेसबुक पर सही वक्त पर लाइव नहीं हो पाए।

पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के फेसबुक पेज पर शाम 7 बजे का लाइव शेड्यूल किया था मगर उस पर लाइव होने के बजाय 7 बजकर 5 मिनट पर नया फेसबुक लाइव क्रिएट कर दिया।  इंटरनेट का आलम यह था कि आवाज कट-कट कर आ रही थी और विडियो भी हैंग हो रहा था। इसके तुरंत बाद ब्रॉडकास्ट रोक दिया गया और फिर उस लाइव वीडियो को डीलीट कर दिया गया। इसके बाद 7 बजकर 13 मिनट पर पेज पर फिस ले लाइव शुरू हुआ मगर यह 3 मिनट से कुछ ही सेकंड ऊपर टिका। देखें:

दरअसल एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह फेसबुक लाइव सीधा लाइव नहीं था, बल्कि प्री-रिकॉर्डेड मेसेज था जिसे एक सॉफ्टवेयर के जरिए लाइव किया गया था। गौरतलब है कि OBS और इसी तरह के अन्य सॉफ्टवेयर्स की मदद से प्रीरिकॉर्डेड लाइव किए जा सकते हैं। मगर इनमें वीडियो का डेफिनिशन हाई रहे तो वह रुक-रुककर चलता है। लोगों का कहना है कि पहले वाला डिलीट हुआ वीडियो और अभी वाला वीडियो एक जैसा ही है। शुरू के 10 सेकंड बाद वीडियो में एक जंप दिखता है, जिससे पता चलता है वीडियो एडिटेड है। आखिर में वीडियो का ब्लैक हो जाना भी यही इशारा करता है।

बहरहाल, बड़ा मुद्दा यह नहीं है कि वीडियो रेकॉर्डेड था या नहीं। इससे पता चलता है कि मुख्यमंत्री के दफ्तर में ही ऐसा इंटरनेट हो तो पूरे प्रदेश में इंटरनेट कनेक्टिविटी की क्या हालत होगी। गौरतलब है कि यह सरकार फ्री वाई-फाई देने के नाम पर निजी कंपनी जियो द्वारा दिए जाने वाले पब्लिक वाई-फाई पर तारीफ बटोर चुकी है।

इंटरनेट पर चर्चा है कि मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार गोकुल बुटेल ही उनके फेसबुक पेज को संभालते हैं। चूंकि वह सीएम के आईटी अडवाइजर हैं, ऐसे में वह भी फेसबुक लाइव के दौरान साथ होंगे। मगर हास्यास्पद स्थिति यह है कि 7 बजकर 10 मिनट तक मुख्यमंत्री लाइव नहीं हो पाए। गौरतलब है कि गोकुल बुटेल एयरोनॉटिकल इंजिनियर हैं और बावजूद उन्हें आईटी सलाहकार बनाया गया है। इंटरनेट पर इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है कि गलत फील्ड के व्यक्ति को गलत जगह तुष्टीकरण के तहत लाखों की सैलरी पर रखेंगे तो यही होगा।

इस वीडियो लाइव से गोकुल बुटेल एवं मुख्यमंत्री के आईटी पार्क के दावों की भी पोल खुलती है। अगर ऐसा स्लो इंटरनेट होगा तो कैसे बनेगा आईटी पार्क? कौन सी कंपनी होगी तो धीमे इंटरनेट पर काम करने आएगी? बहरहाल, सरकार को सबक लेने की जरूरत है।

इस वीडियो के जरिए मुख्यमंत्री ने अपने वॉट्सऐप नंबर की जानकारी दी। यह नंबर 9816661555 है। मुख्यमंत्री ने इसी की जानकारी देने के लिए फेसबुक लाइव को चुना। फेसबुक के जरिए संवाद करने वाले वह हिमाचल के दूसरे सत्ताधारी राजनेता हैं। उनसे पहले ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर जी.एस. बाली दो बार फेसबुक लाइव कर चुके हैं।

हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिह फेसबुक पर लाइव

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने फेसबुक के जरिए संवाद की पहल की है। वह अपने ऑफिशल फेसबुक पेज पर लाइव हैं। जानें, क्या कह रहे हैं वह:

नीचे देखें फेसबुक लाइव:

‘बेगम जान’ मूवी में विद्या बालन के साथ दिखेगी पालमपुर की बेटी पूनम राजपूत

इन हिमाचल डेस्क।। यह हैं पूनम राजपूत। कांगड़ा जिले के चढ़ियार में एक छोटे से गांव डोली में जन्मीं पूनम महेश भट्ट की अपकमिंग मूवी ‘बेगम जान’ में विद्या बालन के साथ नजर आएंगी। इस फिल्म का डायरेक्शन सुरजीत मुखर्जी कर रहे हैं। पूनम रविवार को कपिल शर्मा शो में फिल्म के प्रमोशन के लिए भी पहुंच रही हैं। यह फिल्म 14 अप्रैल को रिलीज होगी।

पूनम इस फिल्म में सबसे युवा लड़की रानी के कैरक्टर में नजर आएंगी। यह फिल्म विभाजन के दौरान महिलाओं के संघर्ष पर आधारित है। गौरतलब है कि पूनम पंजाबी फिल्म ‘जट दी वन’ में लीड रोल निभा चुकी हैं।

विद्या बालन के साथ पूनम
विद्या बालन के साथ पूनम

पूनम की शुरुआती पढ़ाई चढियार में ही हुई। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ से एमबीए करने के बाद मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा। पूनम के पिता नहीं हैं। संघर्ष करते हुए पूनम ने हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा किया। पूनम की माता पवना देवी का कहती हैं कि पूनम बचन से फिल्मों में काम करना चाहती है। नीचे उनकी फेसबुक प्रोफाइल से मॉडलिंग की कुछ तस्वीरें। सबके आखिर में बेगम जान मूवी का ट्रेलर देखें:

poonam rajput in sari poonam rajput topless poonam rajput hot poonam rajput hot pictures

poonam chahiyar

poonam rajput himachal poonam rajput hot photoshoot poonam rajput modeling

बेगम जान मूवी का ट्रेलर:

हिम्मत और प्रतिभा की धनी हिमाचल के सिरमौर की बेटी सुशीला ठाकुर

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, नाहन।। आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत से मिलवाने जा रहे हैं जो पूरे समाज के लिए मिसाल हैं। यह हैं हरिपुरधार के गैहल से संबंध रखने वालीं सुशीला ठाकुर जो टीचर भी हैं और सफल ट्रांसपोर्टर भी।

सुशीला के पति सुरजन ठाकुर ने दस बसों से मीनू कोच का परिचालन किया था, मगर दुर्भाग्य से साल 2003 में एक कार दुर्घटना में उनका निधन हो गया। सुशीला ठाकुर ने न सिर्फ परिवार को संभावा बल्कि पति के कारोबार को भी बढ़ाया। आज मीनू कोच की बसों का बेड़ा 22 तक पहुंच गया है। मीनू कोच बस सेवा आज प्रदेश के कई हिस्सों में चल रही है।

सुशीला ठाकुर (Image: MBM News Network)
सुशीला ठाकुर (Image: MBM News Network)

सुशीला लगभग 40 स्टाफ की जिम्मेदारी संभालती हैं और वह भी अध्यापन कार्य के साथ। तीन बच्चों की परवरिश भी बखूबी कर रही हैं। एक बेटी बायोटेक की पढ़ाई कर रही दूसरी इंग्लिश ऑनर्स। बेटा प्लस टू में है। उनका पूरा परिवार शिमला सेटल है।

एमबीएम न्यूज नेटवर्क का फेसबुक पेज लाइक करें

एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत करते हुए सुशील ने बताया कि पति के व्यवसाय को संभालना के चुनौती भरा काम था मर स्टाफ की मदद से इसमें कामयाबी मिली। सुशीला का कहना है कि उनकी बसों से यात्रियों को अच्छी सेवा मिले, इसकी हर संभव कोशिश की जाती है।

सुशीला मिसाल हैं कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करके आगे बढ़ा जा सकता है। जीवन में आने वाली कठिनाइयों और झटकों से उबरकर दृढ़ निश्चय से ही आगे बढ़ा जा सकता है। सुशीला तमाम महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं। उनसे सीखने को मिलता है कि महिलाएं किसी भी काम को बखूबी कर सकती हैं और कामयाबी के साथ कर सकती हैं।

रियासत कालीन बिलासपुर की रुला देने वाली सत्य गाथा है ‘मोहणा’

आशीष नड्डा।। हिमाचल प्रदेश के बहुत से लोकगीत सत्य घटनाओं पर आधारित हैं। भारत की अच्छी बात यह है कि संवेदना को छूने वाले हर घटनाक्रम को लोकगीतों मे जगह देकर संजोया गया ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके बारे में जान सकें। रियासतकालीन बिलासपुर की ऐसी ही एक कथा है “मोहणा।”

मोहणा केहलूर रियासत के किसी गाँव का एक भोला भाला लड़का था। उसका भाई तुलसी राजा के यहाँ नौकर था। तुलसी ने किसी का खून कर दिया। और मोहणा को इस बात के लिए राजी कर लिया कि परिवार की जिम्मेदारी उसके ऊपर है ।खेती बाड़ी भी वही देखता है इसलिए खून का इलज़ाम तुम अपने ऊपर ले लो। मैं राजा के यहाँ नौकर हूँ राजा से बात करके बाद में तुम्हे बचा लूंगा।

मोहणा भाई की बातों में आ गया और खून का इलज़ाम अपने सर ले लिया। मोहणा को राजा के सामने पेश किया गया। उस समय केहलूर यानी बिलासपुर रियासत का राज बिजई चन्द चन्देल के पास था। मोहन के भोलपन को भांपकर राजा को लगा की मोहणा किसी की जान नहीं ले सकता इसने कत्ल नहीं किया है। राजा के बार बार सचाई पूछने पर भी जब मोहणा ने जुबान नहीं खोली तब राजा ने उसे कुछ दिन का समय सोचने के लिए दिया।

निश्चित दिन मोहणा से जब पूछा गया तब भी मोहणा ने सच नहीँ बताया। अंत में बहादुरपुर के किले में गर्मियों के लिए गए राजा बिजाई चंद चंदेल ने वहीँ से 1922 में मोहणा को सरे आम साडू के मैदान में फान्सी देने का हुक्म दे दिया। फांसी से पिछली रात एक सिपाही के बार बार पूछने पर मोहणा ने रहस्य बताया। जो बाद में रियासत में फैला तब तक मोहणा फांसी पर लटक चुका था।

बिलासपुर के लोकगीतों में मोहणा को बहुत जगह मिली और लोकगीतों में मोहणा के बलिदान को गाया जाने लगा। इस वीडयो में मोहणा की इस कहानी को पहाड़ी पहाड़ी लोक गायक स्वर्गीय हेत राम तंवर जी ने अपनी आवाज दी है। अन्य गायकों ने भी इस गीत को गाया है। साथ ही इसपर नाटक भी होते हैं। हेत राम तंवर जी की आवाज सीधे दिल में उतरकर उदास कर देती है। नीचे सुनें:

मोहणा की कहानी पर नाटक भी होते हैं। यूट्यूब पर हमें कुछ अंश मिले, जिन्हें आप नीचे देख सकते हैं:

जब मुझे ‘मरी हुई लड़की’ से पूछने को कहा गया कि आपकी मौत कैसे हुई थी

0

सुमित ठाकुर।। बात उन दिनों की है, जब मैं +2 करने के बाद कोचिंग लेने के लिए हमीरपुर गया था। उन दिनों चलन ऐसा था कि +2 करने के बाद प्रदेश के ज्यादातर जगहों के बच्चे इंजिनियर या डॉक्टर बनने का ख्वाब लिए इसी शहर का रुख करते थे, क्योंकि कोचिंग के लिए यह मशहूर था। नॉन-मेडिकल का स्टूडेंट रहा था, घरवालों के पास पैसे उतने नहीं थे तो चंडीगढ़ के बजाय हमीरपुर भेज दिया।

खैर, मैं कांगड़ा की ठंडी वादियों का रहने वाला और कहां हमीरपुर का गर्म वातावरण। इन्हीं दिनों कोचिंग हुआ करती थी और गर्मी में दिमाग खराब रहा करता था। बाकी लोग होस्टल में रहा करते थे, मैंने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर अणु (हमीरपुर के बाहर एक गांव) में क्वार्टर ले लिया रहने को। दिन भर हम कोचिंग करते और फिर घर पर आकर दोहराते कि दिन में क्या पढ़ा। सारा कुछ सिर के ऊपर से जाता था। बस अगले मॉक टेस्ट की तैयारी में वक्त बीतता रहता था। गर्मी होने की वजह से रात को खिड़कियां और दरवाजा खुला रखा करता था।

हमीरपुर में अणु ग्राउंड के पास नीचे एक नाला है, उसी के बगल में हम लोगों ने क्वार्टर लिया हुआ था। मकान मालिक अलग बिल्डिंग में हीरानगर में रहता था, इस पुराने घर को उसने किराए पर लगा दिया था। मेरी ही तरह 4 और लड़के वहं रहते थे और सभी कोचिंग ले रहे थे। 2 मेरे परिचित थे और 2 से जान पहचान नहीं थी। सबके लिए अलग कमरे थे। मेरा कमरा सबसे आखिर में था, जिसके बाद नीचे घना नाला शुरू हो जाता था। सच बताऊं तो मैं इस वक्त लिखते वक्त भी कांप रहा हूं। रह-रहकर कंधों के पीछे झुरझुरी हो रही है इसे लिखते हुए। खैर, एक रात मैं बैठा हुआ था कुछ तैयारी करने। रात के 1 बज रहे होंगे। मैंने देखा कि बाहर से कोई गुजरा। मैने सोचा बगल के कमरे वाले लड़के टहल रहे होंगे कि क्योंकि रात भर जागना आम था। बड़ा दरवाजा खुला था और सिर्फ जाली वाला दरवाजा लगा हुआ था। बाहर की लाइट बंद थी, बस मेरे कमरे की लाइट ही बाहर तक दिख रही थी। तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। बाहर देखने में एक आकृति सी नजर आई जो एक लड़की की तरह थी। मैं थोड़ा चौंका तो जरूर, मगर बोला कि कौन। मैंने ध्यान नहीं दिया और सोचा कि बगल वाला लड़का ही होगा और कम रोशनी की वजह से लड़की की तरह दिख रहा है। मैं फिर से किताब में डूबा और बोला कि आ जाओ, दरवाजा खुला है। दरवाजा खुला और कनखियों से मुझे दिखा कि कोई अंदर आकर खड़ा हो गया। मैंने देखा कि एक 16-17 साल की लड़की खड़ी है मुस्कुराते हुए। मैं हैरान और अचंभित।

मैंने कहा कि जी, बताइए। वो मुस्कुराते हुए बोली- सॉरी, इतनी रात को आपको डिस्टर्ब करने के लिए। आप **** कोचिंग सेंटर से ही कोचिंग ले रहे हो न? मैंने कहा- जी हां। वह बोली- मैं भी वहीं से कोचिंग ले रही हूं। मैं शाम वाले बैच में हूं। आपको देखा था कोचिंग में और फिर शाम को यहीं आते देखा। मैं भी दरअसल बगल में रहती हूं और कोचिंग कर रही हूं। मैंने सोचा कि आसपास ही कहीं रहती होगी। मन में कोई और बात आई नहीं, फिर भी पूछा कि इतनी रात को आप यहं कैसे? वह बोली- बात ऐसी है कि कल हमारा मॉक टेस्ट है और मेरे पास किताब नहीं है ऑब्जेक्टिव फिजिक्स की। मैंने सोचा कि थोड़ा रिविज़न कर लूं, मगर…। ऐक्चुअली आपसे क्या छिपाना कि मैंने आपके पास वो किताब देखी थी। मेरे मन में कुछ और नहीं सूझा तो मैं रात को ही आपके पास चली आई। मेरी मम्मी-पापा को बड़ी उम्मीदें हैं उनसे। किताब नहीं खरीद सकते वो तो बोल नहीं सकती। तो आप हेल्प कर देंगे तो बहुत मेहरबानी होगी।

मेरा भी अगले दिन फिजिक्स का ही टेस्ट था। मगर लड़की ने जितनी मासूमियत से बात कही, मैंने सोचा कि दे देता हूं किताब। फिर भी मैंने कहा- देखिेए किताब तो मैं दे दूंगा, मगर मैं आपको जानता नहीं। ऊपर से महंगी किताब है और मैंने भी किसी तरह से बड़ी मुश्किल से खरीदी है। इसपर लड़की बोली- अरे आप परेशान मत हो, मैं 2 दिन बाद आपको किताब दे दूंगी। इसी वक्त आकर दूंगी। तब तक शायद आपको फिजिक्स का कोई टेस्ट भी नहीं होगा। मेरा नाम ममता (नाम बदल रहा हूं) है और मैं शाम वाले बैच हू्ं। बीच में किताब चाहिए होगी तो शाम को ले लेना आप आकर। मैंने सोचा कि बात ठीक है। मेरा कल का ही टेस्ट है और उसकी तैयारी लगभग हो गई है और कुछ देर में सोना है। फिर इस किताब की जररूत हफ्ता भर तो पड़ेगी नहीं। मैंने उस लड़की को किताब दे दी और कहा कि वक्त पर लौटा देना।

पता नहीं मैंने क्यों और कैसे वो किताब दे दी। शायद मैं नींद में था या शायद वो लड़की थी, इसलिए पिघल गया। मगर मैंने किताब दे दी। किताब लेते ही वह मुस्कुराई और मुड़कर चली गई। वैसे ही जैसे आई थी। मैं बैठकर उसे जाते हुए देखता रहा। उसके जाने के बाद मैं आराम से सो गया। अगले दिन मॉक टेस्ट के बाद अपने साथ रहने वाले लड़कों को मैंने रात का किस्सा सुनाया। वे हंसने लगे कि साला लड़की के चक्कर में किताब दे गया, अब नहीं मिलने वाली किताब। पता नहीं कौन ले गई इससे किताब। मैं परेशान हो गया। मन में शंका हुई कि कहीं वाकई किताब हाथ से चली तो नहीं गई। मैंने सोचा कि दिल की तसल्ली के लिए थोड़ा रुककर देख लूं कि ममता आ रही है आज शाम के बैच में नहीं। मैं रुका रहा और देखता रहा कि कौन-कौन शाम के बैच में आया है। हर बैच में जाकर देख आया, मगर ममता नहीं दिखी। कुछ लड़कियों से ममता के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा पता नहीं। अब भला सब कोचिंग लेने बाहर से आए हैं, सबका नाम किसे पता होगा। थक हारकर मैं कैशियर के पास गया और उसे बोला कि भाई ममता नाम की लड़की है ईनविंग बैच में, उसने किताब ली है, उसके बारे में थोड़ी जानकारी दे दो। कैशियरर ने पहले आनाकानी की मगर फिर वह रजिस्टर टटोलने लगा। उसने 2 ममता नाम की लड़कियों का नाम और बैच नंबर मुझे दिया।

मैं तुरंत कोचिंग सेंटर में हर कोचिंग रूम में जाकर ममता नाम की लड़कियों का पता करने लगा। दोनों लड़कियां मिलीं, मगर उनमें से कोई भी वह ममता नहीं थी, जो रात को मिली थी। अब मैं तनाव में आ गया था। मैं सोच रहा था कि किसी ने बेवकूफ बनाकर मेरी किताब पर हाथ साफ कर लिया। मैं फिर कैशियर के पास गया और बोला कि बाई देख लो कोई और ममता तो नहीं है। वह इरिटेट होकर मुझपर चिढ़ गया। मैंने भी गुस्से और फ्रस्ट्रेशन में उसे कुछ कहा और तू-तू, मैं-मैं हो गई। वह बाहकर आकर मुझे ललकारने लगा और मेरा कॉलर पकड़ लिया। मैंने भी उसे धक्का देकर गिरा दिया। मामला बढ़ गया औऱ शोर-शराबा सुनकर पूरा स्टाफ और बहुत से बच्चे वहां इकट्ठे हो गए। लोगों ने पूछा कि क्या हुआ, मैंने पूरी बात कह सुनाई कि ऐसा-ऐसा हुआ, ममता नाम की लड़की मेरी किताब ले गई और ये जनाब उसके बारे में बता नहीं रहे। इतने में वहां केमिस्ट्री की कोचिंग देने वाले टीचर (नाम नहीं बता सकता) ने लोगों को वहां से जाने को कहा और मुझे स्टाफ रूम ले गए।

इत्मिनान से पानी पिलाकर पूछा कि बात क्या है। मैंने बात बताई तो वह गंभीर हो उठे। उन्होंने कैशियर को बुलाया और कुछ कहा। एक घंटे बाद कैशियर एक फाइल लेकर आया और उसे केमिस्ट्री के टीचर को दे दिया। केमिस्ट्री के टीचर ने वो फाइल मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा- इसे देखो। मैंने फाइल खोली। यह ऐडमिशन की फाइल थी, जिसमें ऐडमिशन फॉर्म, फीस की रीसीट और फोटो वगैरह मैनटेन की जाती है। फाइल खोली तो ममता वर्मा नाम की लड़की का नाम लिखा था और एक फोटो लगी थी। फोटो देखते ही मैं चहका कि हां यही लड़की है, इसी ने मेरी बुक ली है। देख रहा था कि मेरे यह कहने का केमिस्ट्री टीचर के चेहरे पर कोई असर नहीं पड़ा, बल्कि वह और गंभीर हो गए। उन्होंने कहा कि ऐसा ही नहीं सकता कि यह लड़की तुम्हारी किताब ले। मैंने कहा नहीं, मैं अच्छे से पहचान रहा हूं, इसी ने किताब ली है। उन्होंने लंबी सांस छोड़ते हुए कहा- यह लड़की अब इस दुनिया में नहीं है। मैंने कहा सर मजाक छो़ड़िए, यही लड़की है। बताइए कि कौन है, कहां की है। और मुझे लगता है कि आप इसे जानते हैं। बस आप मेरी किताब दिलवा दीजिए। टीचर ने कहा- हां, मैं इसे जानता था। जाहू के पास की थी और पिछले साल यहं आई थी। यहीं कोचिंग करती थी, एक साल ड्रॉप किया था। टेस्ट दिया था इसने, मगर रिजल्ट आने से पहले ही जंगल में इसकी लाश पाई गई थी।

मैंने कहा कि सर हो सकता है आपको गलतफहमी हो रही हो। तो सर ने कहा कि मेरी बात पर यकीन नहीं है तो इस फॉर्म में दिए घर के नंबर पर कॉल करके देख लो। मैं दौड़ा-दौड़ा गया और अपने दोस्त से नोकिया 1100 लेकर आया। उसमें घर का नंबर मिलाया। रिंग जाने के बाद एक महिला ने फोन उठाया औऱ मैंने बोला कि मैं ++++ कोचिंग सेंटर से बोल रहा हूं और ऐसे-ऐसे आपकी बेटी ममता ने मेरी किताब ली है और अब उसका कुछ पता नहीं चल रहा। महिला ने कहा दोबारा बकवास मत करना और फोन काट दिया। मैं परेशान हो गया। मैंने फिर फोन उठाया तो इस बार कोई पुरुष था, मैंने बोला कि सर पूरी बात सुनो— ऐसा-ऐसा हुआ मेरे साथ और अब मुझे किताब चाहिए। उधर से आवाज आई- बेटा, ऐसा मजाक मत करो, जो भी हो तुम। हमारी बेटी जब इस दुनिया में है ही नहीं तो किताब कहां से ले लेगी। ये सुनकर पहली बार मेरा सिर चकराया और अजीब लगने लगा। अजीब से भाव आए। पसीना पड़ गया और कलेजा कांप गया। अब लगने लगा था कि सब बातें गलत थीं। उस लड़की की मुस्कान मेरे चेहरे के सामने आने लगी और मैं वहीं बेहोश हो गया।

मुझे कुछ याद नहीं कि क्या हुआ। जब मुझे होश आया तो मैंने खुद को अस्पताल के बिस्तर में पाया और आसपास मेरे दोस्त, केमिस्ट्री वाले टीचर और दो महिला-पुरुष खड़े थे। पता चला कि मैं 6 घंटों से बेहोश था और सिविल हॉस्पिटल मुझे लाया गया है। बातचीत में पता चला कि सामने खड़े महिला-पुरुष दरअसल उसी ममता के मां-बाप हैं, जो इस दुनिया में नहीं है। मैं डरा हुआ तो था, मगर साथ में एक अजीब सी फीलिंग थी कि ऐसा हो ही नहीं सकता। होश मेें आने पर मैंने कहा कि मैं एकदम ठीक हूं और हॉस्टल जा सकता हूं। अच्छी बात यह थी कि मेरे मम्मी-पापा को किसी ने फोन नहीं किया था। इससे पहले कि मैं जाता, उस बुजुर्ग पति-पत्नी ने मेरे आगे हाथ जोड़े और बोले बेटा, क्या हुआ तुम्हारे साथ हमें भी बता दो। मैं इस बारे में हालांकि बात नहीं करना चाहता था, मगर मैंने पूरी कहनी कह सुनाई। देखा कि उस महिला-पुरुष की आंखों से आंसू आ रहे थे बात सुनते हुए। उन्होंने बताया कि बेटा गलती हमारी है। हम उसे जबरन डॉक्टर बनाना चाहते थे और इसीलिए उसे भेजा था। वह कुछ और करना चाहती थी, मगर हमने उससे एक साल ड्रॉप भी करवाया। उसने टेस्ट दिया और प्रीलिम्स पास भी कर दिया, मगर उससे पहले ही हमारी बेटी की लाश हमें जंगल में मिली। पोस्टमॉर्टम में कुछ पता नहीं चल पाया कि क्या हुआ। उसने जहर खाया या कोई जंगली जानवर ले गया या कुछ और हुआ या मर्डर हुआ उसका। क्योंकि लाश कई दिन बाद मिले और जंगली जानवरों ने नुकसान पहुंचाया था।

मैंने उन्हें बताया कि उस लड़की ने कहा कि मैं दो दिन बाद आपको यह किताब देने आऊंगी इसी वक्त। यानी कल रात को वह आने वाली थी। मुझे यकीन था कि इतना सब कुछ होने के बाद वह नहीं आएगी। मुझे यह भी लग रहा था कि हो सकता है मुझे सारा का सारा भ्रम हुआ हो, क्योंकि मैं भी प्रेशर ले रहा था पढ़ाई का। जबरन जागकर तैयारी कर रहा था और हो सकता है कि ममता का आना और किताब ले कर जाना भ्रम् हो और मुझे ही कोई मानसिक समस्या हो गई हो। मैंने कुछ फिल्में देखी थीं, जिनमें पता चलता था कि जिस शख्स को भूत दिखते हैं, दरअसल उसका अपना दिमाग खराब होता है और किसी समस्या की वजह से वह कल्पना करने लगता है। मगर जिस ममता को मैं जानता नहीं था, उसका ही संयोग से भ्रम क्यों हुआ मुझे? यही ख्याल मुझे पागल होने से बचा रहा था। खैर, उस लड़की के मम्मी-पापा ने मुझसे कहा कि बेटे अगर वो आती है तो तुम उससे एक बात पूछना कि तुम्हारी मौत कैसे हुई थी। मैंने कहा कि मेरा दिमाग खराब है क्या? मैं जा रहा हूं घर, भाड़ में जाए कोचिंग और भाड़ में जाए आपकी बात। मैंने तुरंत घर फोन किया और घरवालों को सारी कहानी कह सुनाई। उन्हें मेरी कहानी पर यकीन नहीं हुआ। उन्हें लगा कि मैं ही कोचिंग नहीं लेना चाहता और मनगढ़ंत कहानी सुनाकर घर लौटना चाहता हूं। घर से सख्त हिदायत मिली कि जहां मर्जी जाओ, घर मत लौटना कोचिंग लिए बगैर। मैं चिल्लाता रहा और समझाता रहा घरवालों को, मगर उन्होंने एक नहीं सुनी। उन्हें लग रहा था कि मैं शरारती हूं और यह भी मेरी कोई शरारत है। खैर, मेरे पास कोई चारा नहीं था। वह रात तो मैंनंे अस्पताल में काटी, अगली रात अस्पताल से कोचिंग सेटर गया और वहां से अपने उसी रूम में, जहं दो दिन पहले ममता से मुलाकात हुई थी।

आज रात वह आने वाली थी। मुझे लग रहा था कि वह अगर भूत है तो अपना राज खुलने पर नहीं आएगी। और अगर कोई औऱ ममता हुई तो आ भी सकती है। उस रात मैं अपने रूम पर बैठा और बगल में रहने वाले लड़कों को कहा कि भाई बाहर नजर रखना, जैसे ही तुम्हारे रूम से होकर कोई लड़की आए, मुझे मिस कॉल दे देना (दोस्त का नोकिया 1100 मैंने अपने पास रख लिया था और दूसरा दोस्त उसपर रिंग करने वाला था।)। मेरा ध्यान पढ़ाई पर कम, दरवाजे पर ज्यादा था। पढ़ाई का तो नाटक हो रहा था। जेब में हनुमान चालीसा रखी ती और सामने शिवजी की तस्वीर। मन में भगवान का नाम जपे जा रहा था। 1 बजे तक कोई हलचल नहीं हुई। मैं समझ गया कि या तो भ्रम था या कोई और लड़की वाकई मेरी किताब लेकर गई मुझे ममता के नाम पर उल्लू बनाकर।

students

मै बगल वाले कमरे में गया, नोकिया 1100 लौटाया, अपने कमरे में आया और लाइट ऑफ करके लेट गया। एक मिनट ही हुआ था कि किसी ने दरवाजा खटखटाया। मैंने सोचा कि वही दोस्त आए होंगे। बेबाकी से मैं उठा और तुरंत लाइट ऑन की और दरवाजा खोला। जैसे ही दरवाजा खोला, सामने ममता खड़ी थी। वही मुस्कुराहट लेकर और हाथ में ऑब्जेक्टिव फिजिक्स की किताब लेकर।

मैं हक्का-बक्का था। यह वही ममता थी जो उस दिन आई थी और जिसकी तस्वीर मैंने साल भर पुराने फॉर्म में देखी थी। मैं सन्न था और मेरे मुंह से कोई शब्द नहीं फूट रहा था। उसने कहा कि कया हुआ, मैंने कहा कुछ नहीं। मैं वहीं सन्न खड़ा था। मानो शरीर में कोई जान ही नहीं। मैं हिल-डुल नहीं पाया। उसने फिर कहा- किताब नहीं चाहिए। मैं इस बीच सोचने लगा कि यह लड़की मरी हुई हो ही नहीं सकती। मैंने उसके पांवों पर नजर दौड़ाई, जो सीधे थे। उसकी आंखें देखीं जो भूतों की तरप सफेद नहीं थी। उसके बालों को ध्यान से देका तो वे उड़ ररहे थे हवा के झोंकों से। उसके कपड़े असली थे, उसकी आवाज, शरीर सब असली था। मैं अजीब स्थिति में था। कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने कहा- आप ठीक हो। मैंने कहा- हां। यह पहला मौका था जब उसके आने के बाद मेरे मुंह से शब्द फूटे थे। तो किताब रख दूं टेबल पर। मैंने कहा हां, क्यों नहीं। मैं एक तरफ हटा और वह मेरे कमरे में दाखिल हो गई और टेबल पर किताब रख दी।

अब मेरे मन में दो विचार आ रहे थे। एक- या तो मैं दरवाजे से निकलकर भाग जाऊं या फिर रुकूं और इस लड़की से बात करके देखूं। मगर किसी तरह मैने हिम्मत की और रुक गया। मैं आकर अपने बिस्तर पर बैठा और स्टडी टेबल की कुर्सी टेबल के साथ खड़ी उस लड़की की तरफ बढ़ाते हुए कहा- बैठो, खड़े क्यों हो। उसने कहा नहीं, जाना है, देर हो जाएगी। मैंने कहा-मुझे तो लगा था कि आप आएंगी ही नहीं। मैंने तो कोचिंग सेंटर जाकर आपके बारे में मालूमात हासिल की तो कोई जानकारी नहीं। जब मैं यह बोल रहा था तो उस लड़की के चेहरे की मुस्कान गायब होती जा रही थी और वह बहुत गंभीर हो चुकी थी। मैंने उसे बताया कि कैसे मैं एक लड़की के माता-पिता से मिला, जिसने कहा कि तुम हमारी बेटी हो और मर चुकी हो। मैं जब यह कह रहा था तो उस लड़की ने अपना सिर झुका लिया था और अपने दोनों हाथ एकसाथ अपनी गोद में रख लिए थे। वह बेचैन सी लग रही थी। मुझे घबराहट हो तो हो रही थी, मगर न उस लड़की के ठीक पीछे शिवजी की तस्वीर दिख रही थी।

मैं अजीब स्थिति में था। न तो यह फिक्र रही कि यह लड़की भूत हो सकती है और मुझे नुकसान पहुंचा सकती है और न ही यह चिंता कि मैं किसी और लड़की को गलत समझकर उसे भूत बताकर उसे हर्ट कर सकता हूं। मैंने उसे बताया कि लड़की के मम्मी-पापा ने मुझे तुमसे यह पूछने को कहा है कि तुम्हारी मौत कैसे हुई थी। प्रतीकात्म तस्वीर मेरा यह कहना था कि लड़की ने गर्दन उठाई और मेरी तरफ देखा। उसकी आंखों में आंसू थे। मुझे उस लड़की से डर नहीं लगा। मैं अजीब सा भावुक हो गया। उसने कहा मेरी मौत…. यह कहकर वह थोड़ा रुकी, आंखों के आंसू पोंछे, मुस्कुराई और बोली— मेरी मौत हो गई होती तो मैं आपसे सामने ऐसे थोड़े ही बैठी होती। मैं तो कभी मर भी नहीं पाऊंगी, जब तक मैं मम्मी-पापा का सपना पूरा न कर लूं। खैर, रात बहुत हो गई है। थैंक्यू किताब देने के लिए। आपको ऑल द बेस्ट। उसने यह कहा, मुस्कुराई और उठकर दरवाजे से बाहर चली गई।

मैं उसके पीछे-पीछे आया और दरवाजा खोलकर बाहर गलियारे में देखो तो कोई नहीं था। मैं घबराया और बगल वाले कमरे में गया, जहां लाइट जल रही थी। उन्हें पूरी कहानी सुनाई तो वे यकीन नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि मैं हम खिड़की से बाहर देख रहे थे, तुम्हारे कमरे की तरफ कोई नहीं गया। उन दोस्तों ने समझा कि मैं उनके साथ मजाक कर रहा हूं और यह बहानेबाजी है।

यह भी पढ़ें: मम्मी-पापा को बोलना कि बेलीराम मिला था

अगले ही दिन मैंने अपना सामान बांधा और हमीरपुर बाजार में एक पेइंग गेस्ट में शिफ्ट हो गया। कभी मुझे कोई डरावना सपना नहीं आया। होश में जरूर मैं उश वाकये को याद करके डरता रहा कई दिनों तक, मगर फिर अहसास हुआ कि मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया उसने, वह जो भी चीज़ थी। आज तक सोचता हूं कि वह क्या था। सपना था, मेरा भ्रम या वाकई कोई और ही लड़की थी ममता नाम की। उसके माता-पिता ने भी मुझसे कभी संपर्क नहीं किया और न मैंने इस मामले को हवा दी। मैं भी जीवन डगर में आगे बढ़ता गया। इंजिनियर तो मैं बना, मगर कोचिंग के जरिए नहीं, प्राइवेट कॉलेज में दाखिला लेकर और माता-पिता के पैसों से भारी-भरकम फीस भरकर। आज भी यह वाकया याद आता है तो डर लगने लगता है। मैं ममता की उस मुस्कान को भूल नहीं पाया हूं। हिमाचल से संबंधित अन्य हॉरर किस्से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें

हॉरर एनकाउंटर सीरीज के किस्से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

(लेखक हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से हैं और इन दिनों UAE में इंजिनियर हैं)

DISCLAIMER: इन हिमाचल का मकसद अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है। हम लोगों की आपबीती को प्रकाशित कर रहे हैं, ताकि अन्य लोग उसे कम से कम मनोरंजन के तौर पर ही ले सकें और उनके पीछे की वैज्ञानिक वजहों पर चर्चा कर सकें।

शिशु का शव मुंह मे लेकर घूमता रहा कुत्ता, रेत में दफनाते वक्त पड़ी नजर

सोलन।। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले मे आने वाेल खुंडीधार में एक आवारा कुत्ता एक नवजात शिशु को मुंह में लेकर घूम रहा था। जब यह कुत्ता शिशु को रेत के ढेर में दबाने की कोशिश करने लगा, तब एक महिला की नजर इसपर पड़ी। पुलिस को खबर की गई और शिशु को कुत्ते से छुड़ाया गया मगर वह मर चुका था।

जिस रेत के ढेर पर कुत्ता उस शिशु के शव को छिपा रहा था, पास ही एक महिला काम कर रही थी। उसे अगर पता न चला होता तो शायद मामला बाहर न आता। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शउरू कर दी है। पंजाब केसरी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक उपप्रधान विकास ठाकुर ने कहा कि शंका है कि शिवा विहार में कूड़ेदान में इस शिशु को जन्म के बाद शायद फेंक दिया होगा जिसे बाद में कुत्तों ने वहां से उठा लिया होगा।

उन्होंने कहा कि यह घटना इंसानियत को शर्मसार करने वाली है। ऐसी घटना को अंजाम देने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो उन्होंने कहा कि ऐसी घटना को अंजाम देने वाले लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि कोई इस तरह की घिनौनी घटना को कोई दोबारा अंजाम न दे सके।

जानकारी के मुताबिक सबसे पहले इस घटना की चश्मदीद ने बताया कि जब वह काम कर रहे थे तो उनकी नजर कुत्ते पर पड़ी जिसके मुहं में नवजात शिशु था तो इसकी सूचना अन्य साथियों को दी। उन्होंने कुत्ते का जब पीछा किया तो वह शव को रेत में दबा रहा था। तभी उन्होंने कुत्ते को वहां से भगाया और देखा की शिशु मरा हुआ था।