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Friday, September 12, 2025
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गुड़िया केस: अगली गिरफ्तारी किस ‘बड़ी मछली’ की?

शिमला।। कोटखाई रेप ऐंड मर्डर केस एक मिस्ट्री बनता जा रहा है। शायद यह हिमाचल का अब तक का सबसे बड़ी क्राइम मिस्ट्री है। अब जनता के मन में शक यह भी पैदा हो गया है कि न जाने ऐसी कार्यप्रणाली वाली पुलिस ने अब तक कितने ही मामलों को ऐसे ही सुलझाने का दावा किया होगा, कितने लोगों को सच या झूठ में अंदर ठोक दिया होगा। दरअसल हिमाचल में आईजी स्तर के अधिकारी की गिरफ्तारी होना चौंकाने वाला है। वह अधिकारी, जिसके पास साउथ रेंज के कई जिलों की जिम्मेदारी थी। मगर सीबीआई को आखिर 1994 बैच के आईपीएस ऑफिसर को गिरफ्तार करने की जरूरत क्यों पड़ गई?

 

अभी तक जो जानकारियां छन-छनकर आ रही हैं, उनमें सीबीआई को संदेह है कि इस मामले में पकड़े गए आरोपी सूरज की जो कोटखाई थाने में मौत हुई थी, वह पुलिस की थ्योरी के हिसाब से नहीं हुई थी। सीबीआई ने प्रेस रिलीज़ में भी कहा है कि इन पुलिसकर्मियों को कस्टोडियल डेथ केस में पकड़ा है। एसआईटी में शामिल पुलिसकर्मियों ने कहा था कि अन्य आरोपी राजू ने सूरज को मार डाला। मगर सीबीआई को शक है कि यह कस्टोडियल डेथ है और इसकी मौत की वजह वह नहीं है जो पुलिस बता रही है। मगर चूंकि पुलिस की तरफ से सीबीआई को सहयोग नहीं मिला, इसलिए उसने एसआईटी के सारे सदस्यों को आईजी और डीएसपी समेत उठा लिया।

 

चलिए मान लेते हैं कि सीबीआई का शक सही है और सूरज की हत्या राजू ने नहीं की बल्कि उसकी मौत में किसी पुलिसवाले का हाथ है। कोई पुलिसवाला ऐसा क्यों करेगा, इसिलए संभावित कारणों पर बात करें तो मुख्य तीन कारण नज़र आते हैं:

1) हो सकता है कि पुलिस कुछ उगलवाने के लिए थर्ड डिग्री इस्तेमाल कर रही हो इसी दौरान सूरज की मौत हो गई हो। मगर इस थ्योरी को कुछ बातें काउंटर करती हैं। ध्यान रहे कि पोस्टमॉर्टम में पता चला था कि मृतक के गुप्तांग पर चोट से लेकर कई जगह जख्म के निशान थे। ऐसे मामलों से निपटने वाली पुलिस किसी कैदी को ऐसे कैसे पीट सकती है कि उसे ध्यान ही नहीं रहे कि बंदे को कोर्ट में भी पेश करना है, जख्म नहीं आने चाहिए वरना मुश्किल हो जाएगी। इन हालात में कोई अनाड़ी पुलिसवाला भी ऐसा काम नहीं कर सकता।

2) दूसरी संभावना यह है कि कहीं किसी पुलिसवाले ने जानबूझकर हत्या तो नहीं कर दी? और अगर ऐसा है तो बाकी पुलिसकर्मियों की चुप्पी उनपर भी शक पैदा करेगी। मगर पुलिसवाले किसी आरोपी की हत्या क्यों करेंगे? उन्हें ऐसा क्या डर रहा होगा। इन सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश करें तो माना जा सकता है कि चूंकि पुलिस ने शुरुआत में खुलासा कर दिया था कि ये-ये लोग पकड़े हैं, मगर उसे सबूत न मिल मिर रहे थे. हो सकता है कि सूरज पुलिस के हिसाब से गवाही न देना चाह रहा हो और सब सच बताने की बात कर रहा हो। ऐसा होता तो पुलिसवालों के लिए मुश्किल हो जाती। ऐसे में हो सकता है कि तैश में आकर उसे बेतहाशा पीटा गया हो या फिर खुद को बचाने के लिए उसे मार ही डाला गया हो। यह सोचकर कि रेप का आरोपी ही तो है, मर जाएगा तो लोगों को संतोष होगा। और उस वक्त सीबीआई जांच की भी कोई चर्चा नहीं थी।

3) पुलिस के ऊपर प्रेशर था?  तीसरा और एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है। अगर प्रेशर में आकर सूरज को मारा गया तो यह समझने वाली बात है कि आईजी जैसे स्तर के अधिकारी पर कोई छोटा-मोटा नेता या व्यक्ति प्रेशर नहीं डाल सकता। यह सही है कि देश में पुलिस को पैसे लेकर मामले दबाने या बनाने के लिए बदनाम समझा जाता है। मगर जिन पुलिसकर्मियों को सीबीआई ने पकड़ा है, उनमें से कुछ की छवि ऐसी नहीं रही है कि वे ऐसे कामों में शामिल हों। ऐसे में संभावना बचती है प्रेशर की। अगर किसी प्रेशर में पुलिस ने असली गुनहगारों को बचाकर इन लोगों को फंसाने की कोशिश की है तो साफ है कि प्रेशर किसी बड़े प्रभावशाली शख्स की तरफ से रहा होगा। अगर तीसरे नंबर वाली आशंका सही है तो आने वाले दिनों में खुलासा हो सकता है कि किसने और क्यों एसआईटी पर प्रेशर बनाया। पुलिसकर्मियों से पूछताछ हो रही है, उनके लाइ डिटेक्टिंग और नारको टेस्ट की बात हो रही है। अगर इस तरह का प्रेशर हुआ तो सीबीआई को नया सबूत मिल जाएगा। ऐसे में आने वाले दिनों में कोई बड़ी मछली भी सीबीआई के हत्थे चढ़ सकती है, अगर उसकी इस केस में भूमिका रही हो तो।

 

चूंकि द ट्रिब्यून का दावा है कि इस मामले में पकड़े गए आरोपियों के डीएनए का मैच विक्टिम के शरीर में मिले सैंपल्स से नहीं हुआ है, इसलिए लोग शक कर रहे हैं कि कहीं वाकई पुलिस ने असली दोषियों को पकड़ने के बजाय गलत लोगों को तो नहीं पकड़ लिया। चर्चा है कि या तो ऐसा जल्दबाजी में किया गया है, या फिर प्रेशर में आने के बाद जानबूझकर। बहरहाल, अटकलों का दौर तब तक जारी रहेगा, जब तक पूरे केस से पर्दा नहीं उठ जाता। साथ ही यह स्पष्ट करना भी जरूरी है कि जिन पुलिसवालों को सीबीआई ने पकड़ा है, वे अभी सिर्फ़ आरोपी हैं, दोषी नहीं। और आरोप लगने से कोई दोषी नहीं हो जाता।

गुड़िया केस में हिमाचल पुलिस द्वारा पकड़े किसी भी आरोपी का DNA मैच नहीं: मीडिया रिपोर्ट

शिमला।। कोटखाई में हुए रेप ऐंड मर्डर केस में नया मोड़ आ गया है। सीबीआई की जांच में संकेत मिल रहे हैं हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जिन आरोपियों को पकड़ा है, उनमें से कोई भी इस अपराध में शामिल नहीं है। यह खुलासा प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार ‘द ट्रिब्यून’ ने आज के संस्करण में किया है। पहले पन्ने में छपी खबर में कहा गया है कि पुलिस द्वारा शुरू में जिन 8 संदिग्धों के डीएनए सैंपल लिए थे, उनमें से किसी का भी मिलान विक्टिम के शरीर से मिले नमूनों से नहीं हुआ है।

 

अखबार ने लिखा है कि इस खुलासे से उन आरोपों को बल मिल रहे हैं जिनमें एसआईटी पर असल दोषियों को बचाने के लिए बेकसूर लोगों को फंसाने की बात कही जा रही थी। सीबीआई का फोकस फरेसिंग सबूतों पर था और वह कोटखाई से 29 साल के आशीष चौहान उर्फ आशु, राजेंद्र सिंह उर्फ राजू (32), सुभाष सिंह बिष्ट (42), दीपक (29), लोक जंग उर्फ छोटू (19) और सूरज सिंह (29) के डीएनए सैंपल्स का इंतजार कर रही थी। गौरतलब है कि इनमें सूरज की पुलिस हिरासत में संदिग्ध हालात में मौत हो चुकी है।

 

अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि डीएनए टेस्टिंग के लिए क्राइम सीन से खून, वीर्य, त्वचा, लार, म्यूकस, पसीने और बालों समेत कई नमूने लिए गए थे. आठ संदिग्धों के नमूने भी लिए थे मगर टेस्ट नेगेटिव आया जिसका मतलब है कि मालन नहीं हुआ. अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अगर एक भी सैंपल मैच हुआ होता तो केस सॉल्व हो जाता.

 

पुलिसवाले की कॉल डीटेल से मिले सबूत
अखबार के मुताबिक सूत्र बताते हैं कि सूरज की हिरासत में मौत के सिलसिले में जिन पुलिसवालों को इस मामले में पकड़ा गया है, उनमें से एक के कॉल रिकॉर्ड की वजह से इन्हें पकड़ने में सीबीआई को मदद मिली। अगर सीबीआई तथाकथित साजिशकर्ताओं को सामने लाने में कामयाब हो जाती है तो इस मामले से सरकार असहज स्थिति में आ जाएगी. चूंकि डीएनए रिपोर्ट एसआईटी की थ्योरी के खिलाफ है, सीबीआई अब पकड़े गए पुलिसवालों का लाइ डिटेक्टर टेस्ट करवा सकती है।

स्टंट करने से रोका तो पकड़ लिया पुलिसकर्मी का कॉलर

शिमला।। शिमला में बुधवार शाम 6 बजे के करीब अजीब हालात पैदा हो गए। कुछ युवक बाइक पर स्टंट कर रहे थे। जब ट्रैफिक पुलिस के जवान ने उन्हें रोका तो न सिर्फ हाथापाई की गई, बल्कि पुलिसकर्मी का कॉलर पकड़ लिया गया। बताया जा रहा है कि युवक रोहड़ू के हैं और उन्हें हिरासत में लेकर लक्कड़ बाजार पुलिस चौकी पहुंचाया गया है। बताया जा रहा है कि युवक नशे में थी।

 

इन युवकों द्वारा पुलिसकर्मी के साथ हाथापाई करने का पंजाब केसरी ने एक वीडियो भी पोस्ट किया है। देखें:

 

बताया जा रहा है कि नशे की हालत में 3 युवक एक बाइक पर सवार होकर तेज रफ्तार में खतरनाक तरीके से स्टंट मारते हुए ढली से लक्कड़ बाजार की ओर जा रहे थे। जब लक्कड़ बाजार में बैरीकेड लगाकर पुलिस ने इन्हें रोका तो उन्होंने हंगामा खड़ा कर दिया। यहां तक की ड्यूटी पर तैनात एक ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी से हाथापाई करते हुए उक्त युवकों ने उसकी कॉलर तक पकड़ ली।

 

इस दौरान लोगों की भी काफी भीड़ लग गई थी। बड़ी मुश्किल से पुलिस ने उक्त युवकों को हिरासत लेकर लक्कड़ बाजार चौकी पहुंचाया। उक्त युवक रोहड़ू के रहने वाले बताए जा रहे हैं। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया है तथा युवकों से पूछताछ की जा रही है। जैसे ही पुलिस वालों ने उक्त हुड़दंगी युवकों को पकडऩा शुरू किया तो उनके तेवर ढीले हो गए। कोई रास्ता बदल कर भागने लगा तो कोई हुड़दंग छोड़ पूरी शराफत दिखाने लगा। इतना ही नहीं पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर वे माफी मांग दोबारा ऐसा न करने की बात कहते हुए गिड़गिड़ाने लगे।

 

एस.पी. शिमला सौम्या साम्बशिवन ने बताया कि फिलहाल मामले में कार्रवाई की जा रही है। जल्द ही पता लगाया जाएगा कि आखिर में ये युवक बाइक के ऊपर स्टंट क्यों मार रहे थे और पुलिस के साथ हाथापाई क्यों की। खबर लिखे जाने तक पुलिस पुख्ता सबूत जुटाने के लिए युवकों का आई.जी.एम.सी. में मेडिकल करवा रही है। रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि युवकों ने शराब का सेवन किया था या कोई और नशा किया है।

सवाल उठता है कि रोहड़ू के बताए जा रहे इन युवकों में ऐसी हिम्मत कहां आ गई कि पहले तो शराब पीकर स्टंट करें और फिर पुलिसकर्मियों के गिरेबान पर हाथ डालें? यह वाकई शर्मनाक घटना है।

मंत्री के स्वागत में खड़े रहे डॉक्टर, युवती ने तड़पकर दम तोड़ा

ऊना।। क्या इंसान की जान की कोई कद्र नहीं है? क्या मंत्रियों के कार्यक्रम इंसान की जिंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं? क्या डॉक्टरों को किसी जान बचाने के बजाय किसी मंत्री के स्वागत में खड़े रहना चाहिए था? नौकरी बजाना ज्यादा जरूरी है या इंसानियत बचाना? ये सब सवाल खड़े हो रहे हैं ऊना के क्षेत्रीय अस्पताल में एक 23 साल की युवती की मौत के बाद। ऊना के जिला अस्पताल के प्रबंधन और डॉक्टरों पर आरोप लगे हैं कि कि जिस वक्त उन्हें किसी जहरीले कीड़े के काटने से जिंदगी और मौत के बीच झूल रही युवती का इलाज करना चाहिए था, उस वक्त वे उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री के स्वागत में हाथ जोड़े खड़े थे।

 

हिंदी अखबार पंजाब केसरी तो इस अस्पताल को ‘खून का प्यासा’ बता रहा है। अखबार के पोर्टल पर छपी रिपोर्ट में लिखा गया है- ऊना जिला के क्षेत्रीय अस्पताल में अस्पताल प्रबंधन व चिकित्सकों की लापरवाही से मरीजों के मौत के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अस्पताल में दो-तीन महीने के भीतर ही दो गर्भवती महिलाओं और एक वृद्ध की ऑपरेशन के बाद मौत के मामले शांत भी नहीं हुए थे कि जहरीले कीट के काटने का इलाज करवा रही 23 वर्षीय युवती की मौत ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं।

 

क्या है मामला?
हरोली क्षेत्र के गांव ललड़ी की रहने वाली सुनीता देवी को मंगलवार देर रात एक जहरीले कीट ने काट लिया था जिसके बाद उसे अपने स्तर पर इलाज दिलवाने के बाद परिजन हरोली अस्पताल ले गए। यहां से उसे क्षेत्रीय अस्पताल ऊना के लिए रेफर कर दिया। अखबार ने लिखा है कि क्षेत्रीय अस्पताल में युवती को स्वास्थ्य सुविधाएं समय पर न मिलने के कारण मौत हो गई।

 

परिजनों ने इसकी शिकायत अस्पताल के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे उद्योगमंत्री मुकेश अग्निहोत्री व डीसी ऊना विकास लाबरू से भी की। मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। आरोप है कि  अस्पताल में उद्योग मंत्री के स्वागत के लिए चिकित्सक गेट पर खड़े रहे और अंदर एमरजेंसी में युवती के तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।

 

रूबेला टीकाकरण अभियान की होनी थी शुरुआत
अस्पताल में खसरा रूबेला टीकाकरण अभियान का शुभारंभ के लिए उद्योग मंत्री पहुंचने वाले थे। मृतका के परिजन आरोप लगाते हैं कि चिकित्सक और स्टाफ उद्योग मंत्री के स्वागत में लगे रहे और उनकी लाडली की कोई खबर तक नहीं ली गई। हालांकि परिजनों की शिकायत के बाद उद्योग मंत्री और डीसी विकास लाबरू ने सीएमओ की जमकर खिंचाई की। उद्योग मंत्री ने डीसी ऊना को मामले में उचित कार्रवाई के निर्देश दिए। डीसी ने सीएमओ को तत्काल विभागीय जांच करके रिपोर्ट तलब की है।

मंत्री
परिजनों से बात करते उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री

जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रकाश दड़ोच का कहना है कि युवती की मौत मामले को लेकर जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसकी जांच रिपोर्ट तैयार कर जिलाधीश ऊना व सरकार को सौंपी जाएगी।

गुड़िया केस: अनुराग ने CM और उनके परिवार पर लगाए गंभीर आरोप

शिमला।। गुड़िया केस को लेकर एक बार फिर राजनीति तेज हो गई है। सीबीआई द्वारा आईजी समेत 8 अधिकारियों को गिरफ्तार करने के बाद हमीरपुर से बीजेपी सांसद और हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बड़े बेटे अनुराग ठाकुर ने अपने फेसबुक पेज पर वीडियो डाला है। इसमें उन्होंने मुख्यमत्री के परिवार और सरकार पर सबूत मिटाकर अमीर परिवार के बच्चों को बचाने का आरोप लगाया है। साथ ही मीडिया को कोसते हुए इस बात का श्रेय लेने की भी कोशिश की है कि मीडिया ने मुद्दा नहीं उठाया, जनता ने और विपक्ष ने सड़कों पर उतरकर और “मैंने लोकसभा में मामला उठाकर दबाव बनाया।”

 

पढ़ें, क्या कहा उन्होंने इस वीडियो में। साथ ही वीडियो भी देखें: “जिन लोगों ने यह काम किया, उसे प्रदेश की सरकार बचाने में लगी थी। प्रशासन की सहायता से सबूत मिटाने में लगी थी। न्याय तो गुड़िया को क्या दिलाना था, मुख्यमंत्री की पत्नी पीड़ित परिवार के पास जाकर चंद हजार रुपये देकर कहती हैं, कि सीबीआई जांच क्यों मांगते हो, प्रदेश पर विश्वास करो। लेकिन कल जो सीबीआई ने हिमाचल पुलिस के आईजी और अन्य पुलिसवालों ंको गिरफ्तार किया, यह अपने आप दिखाता है कि सीएम के परिवार से लेकर पूरी सरकार सबूत मिटाने और दबाव मिटाने में लगी थी, गुड़िया को न्याय नहीं बल्कि सबूत मिटाकर अमीर परिवारों के बच्चों को बचाने में लगी थी।”

“मीडिया उस समय भी शायद नहीं जागा था, यह तो आपने, आम जनता ने सड़क पर उतरकर, छात्र संगठनों ने सड़क पर उतरकर, विपक्ष ने सड़कों पर उतरकर और मैंने लोकसभा में इस विषय को उठाकर दबाव बनाकर सीबीआई जांच करवाई, फिर राष्ट्रीय मीडिया में आया। आईजी समेत अधिकारी गिरफ्तार होते हैं, देश का मीडिया नहीं जागता है, अब जागने की जरूरत है। जगाना पड़ेगा। इसे शेयर कीजिए और लोगों को जगाइए। वीरभद्र सिंह जो वापस मुख्यमंत्री बनने के लिए दिल्ली में लॉबीइंग कर रहे हैं, वह गुड़िया को न्याय दिलाने की कोशिश नहीं कर रहे। न्याय आपको और हमें दिलाना है और ऐसी सरकार से मुक्ति दिलानी है।”

साफ है कि आईजी समेत अन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी से इस मामले में फिर से राजनीति तेज हो गई है। पिछले दिनों जब जनता इंसाफ की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही थी, उस वक्त भी बीजेपी ने इस आंदोलन को राजनीतिक दिशा दी थी। इससे सरकार को यह कहने का मौका मिला था कि आक्रोश जनता का नहीं है, बल्कि बीजेपी इसे भड़काने में लगी है। दरअसल बीजेपी के नेता को सचिवालय की तरफ पत्थर फेंकते हुए भी देखा गया था। बाद में अनुराग के छोटे भाई और पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के छोटे बेटे अरुण धूमल ने 10 अगस्त को हमीरपुर में कानून व्यवस्था को  लेकर आक्रोश रैली का आयोजन किया था जिसमें उन्होंने ताला लगाकर अफसरों को ही बंधक बना दिया था(यहां क्लिक करके पढ़ें)।

पूछताछ के लिए पुलिसवालों को हिमाचल से बाहर ले गई CBI

शिमला।। कोटखाई रेप ऐंड मर्डर केस के सिलसिले में पकड़े गए नेपाली मूल के आरोपी की हिरासत में मौत को लेकर अरेस्ट किए गए पुलिसकर्मियों को सीबीआई प्रदेश से बाहर ले गई है। खबर है कि आईजी जहूर जैदी समेत 8 अफसरों को चंडीगढ़ या दिल्ली ले जाया गया है, जहां पर उनसे पूछताछ चल रही है।

 

इस बीच खबर यह भी आ रही है कि इनका लाइ डिकेक्टर और नार्को टेस्ट भी करवाया जा सकता है। हालांकि कानून के जानकार कहते हैं कि नार्को टेस्ट करवाना हो तो सीबीआई को इसके लिए कोर्ट से परमिशन मांगनी पड़ेगी।

 

बहरहाल, कोर्ट ने हिमाचल पुलिस के जिन अधिकारियों को 4 सितंबर तक हिरासत मे ंभेजा है, वे उस एसआईटी का हिस्सा थे जिसने कोटखाई केस को सुलझाने का दावा किया था। सीबीआई ने आईजी जहूर एच. जैदी, डीएसपी मनोज जोशी, एसआई राजिंदर सिंह (एसएचओ), एएसआई दीप चंद, हेड कॉन्स्टेबल सूरत सिंह, हेड कॉन्स्टेबल मोहन लाल, हेड कॉन्स्टेबल रफीक अली और कॉन्स्टेबल रणजीत सतरेता को गिरफ्तार किया है।

रिलायंस टावर लाइन: हाई कोर्ट सख्त, डीसी से मांगा शपथपत्र

बिलासपुर।। हिमाचल प्रदेश के चार जिलों से गुजरने वाली हाई टेंशन इलेट्रिक टावर लाइन की वजह से इसके नीचे के इलाकों में होने वाले धमाकों पर शिमला हाई कोर्ट ने संज्ञान ने लिया है। गौरतलब है कि कोल डैम से पंजाब और अन्य राज्यों की ओर बिजली ले जाने के लिए रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और उसकी सहयोगी कंपनी​ पार्वती कोल डैम ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (पीसीटीएल ) ने जब टावर लाइन बिछाए थे, तब बिलासपुर के लोगों ने कंपनी के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के खिलाफ पुलिस में दर्ज करवाई गई थी।

 

चार जिलों के याचिकाकर्ता किसानों ने टावर लाइन जागरूकता मंच के बैनर तले हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखा है कि कोल डैम के निर्माण के साथ बिजली को पंजाब और अन्य राज्यों में ले जाने के लिए रिलायंस की सहयोगी कंपनी पीसीटीएल ने बिलासपुर, कुल्लू, मंडी और सोलन जिलों से होते हुए टावर लाइन बिछाई है। किसानों का आरोप है कि इस टावर लाइन के निर्माण के समय कंपनी ने किसानों को विश्वास में नहीं लिया और न ही सही मुआवजा दिया गया। कंपनी ने उनके सैकड़ों फलदार पेड़ भी काट डाले थे।

 

इन्ही अनियमितताओं का हवाला देते हुए ग्रामीणों​ ने 3 अलग-अलग एफआईआर सदर पुलिस थाना और बरमाणा पुलिस थाना में रिलायंस व पीसीटीएल के खिलाफ दर्ज करवाई। इनमें ग्रामीणों ने कहा कि कंपनी के पास इस टावर लाइन को बिछाने की उचित अनुमति नहीं है। न तो उसके पास विभाग का एनओसी है और न ही किसानों को मुआवदिया है, जो कि बड़ा गड़बड़झाला है।

 

इसमें लिखा गया है कि इस टावर लाइन की जद में आने वाले गांवों में बीते रसे से हाई वोल्टेज के कारण धमाके हो रहे हैं। कई घरों में आग लगने के मामले भी सामने आए हैं। जांच में क्या पाया गया था, इसकी रिपोर्ट इस आर्टिकल के आखिर में पढ़ी जा सकती है।

 

कंपनी ने हाई कोर्ट में तीनों FIR को खत्म करने की अपील की थी । इस अपील पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप शर्मा ने डीसी बिलासपुर को आदेश दिए हैं कि 2015 में मजिस्ट्रेट की निगरानी में टावर लाइनों पर जो जांच रिपोर्ट बनाई गई थी, जिसमें टावर लाइन के निर्माण में कम्पनी द्वारा नियमों को ताक पर रखते हुए अनियमितताएं बरतने का मामला पाया गया था, उस जांच रिपोर्ट पर आज दिन तक सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की गई है। हाई कोर्ट ने डीसी बिलासपुर से इस पर चार हफ्ते में शपथपत्र देकर जानकारी देने के आदेश दिए है।

गौरतलब है कि टावर लाइन की जद में आए गाँवों में आए दिन धमाके होने की खबरें भी खबरों में छपती रहीं हैं। इनमें बिलासपुर जिला के धौन कोठी गाँव में पशुशाला और लोगों के घरों में आग लगने के मामले भी सामने आए हैं।

पुलिसवालों को देना पड़ सकता है इन सवालों का जवाब

एमबीएम न्यूज नेवटवर्क, शिमला।। मंगलवार शाम सीबीआई ने आईजी समेत कुल 8 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर प्रदेश में बड़ी हलचल मचा दी। यह साफ हो चुका है कि गिरफ्तारियों की वजह गुड़िया गैंगरेप के आरोपी सूरज की हिरासत में हुई मौत सवालों के घेरे में है। सूरज के शव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह सामने आया था कि पुलिस की कस्टडी में सिर पर चोट लगने, गला दबने के अलावा प्राइवेट पार्ट पर वार होने से हुई थी। बता दें कि सीबीआई ने सूरज का पोस्टमॉर्टम दूसरी बार करवाया था।

 

18 जुलाई की रात पुलिस कस्टडी में आरोपी सूरज की मौत हो गई थी। सवाल इस बात पर उठ रहा था कि क्या सूरज कोई ऐसा राज जानता है जिससे कोई रसूखदार सलाखों के पीछे पहुंच सकता है। निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर एक आईपीएस अधिकारी समेत गिरफ्तार पुलिस कर्मियों से सीबीआई क्या-क्या सवाल पूछ सकती है। जानें, क्या-क्या सवाल पूछे जा सकते हैं एसआईटी के सदस्यों से

– गुडिया गैंगरेप की जांच सही दिशा में आगे चल रही थी तो क्यों अचानक एसआईटी का गठन कर दिया गया। क्या गैंगरेप के किसी गुनाहगार को बचाने के लिए एसआईटी बनाई गई थी?

– सूरज की मौत की रात डयूटी पर संतरी के बयान पर सीबीआई का बड़ा सवाल यह रह सकता है कि सूरज की मौत का असल गुनाहगार कौन है?

– क्या कोटखाई थाना के तत्कालीन एसएचओ आरोपी को कहीं बाहर लेकर गया था या नहीं?

– अगर हत्यारा कोई पुलिस कर्मी ही था तो दूसरे आरोपी राजू के खिलाफ ही हत्या का मामला क्यों दर्ज कर दिया गया?

– आरोपी सूरज की हत्या अगर साजिश थी तो क्या पुलिस के अन्य आला अधिकारी भी इसमें शामिल थे?

– तूल पकड़ चुके गुडिय़ा गैंगरेप के मामले में राजू व सूरज को एक ही जगह क्यों रखा गया?

– अगर राजू ने ही सूरज की हत्या की है तो डयूटी पर तैनात पुलिस कर्मचारी कहां थे?

– क्या सूरज सरकारी गवाह बनने के लिए तैयार था?

– सूरज की हत्या व पुलिस थाना का रिकॉर्ड जलने में कोई संबंध है या नहीं?

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(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क का आर्टिकल है और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित किया गया है)

खाई में गिरी HRTC की बस; 2 की मौत, 23 ज़ख्मी

चंबा।। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में एचआरटीसी की एक बस खाई में गिरने से 2 लोगों की मौत हगो गई जबकि 25 यात्री जख्मी हो गए। जिस वक्त यह हादसा हुआ, बस पर 45 यात्री सवार थे। मंगलवार देर रात करीब डेढ़ बजे यह हादसा हुआ। खाई में गिरते ही एक पेड़ से टकराकर बस रुक गई वरना नुकसान ज्यादा हो सकता था।

 

एचआरटीसी की बस (HP-68-4434) धर्मशाला जा रही थी। पठानकोट एनएच पर नैनी खड्ड के पास यह हादसे की शिकार हुई। दुर्घटना के कारणों की जांच की जा रही है।

मृतक आरोपी की पत्नी और दोस्त ने किए थे कुछ दावे

शिमला।। गुड़िया मामले में एसआईटी द्वारा पकड़े गए नेपाली मूल के आरोपी सूरज की हिरासत में मौत होने के मामले में सीबीआई ने हिमाचल के पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया है। इनमें एसआईटी के 8 सदस्य शामिल हैं। यानी सीबीआई को पुलिस की उस थ्योरी पर शक है कि सूरज की हत्या हवालात में ही बंद अन्य आरोपी राजू ने कर दी। चूंकि पोस्टमॉर्टम में सूरज के शव पर पिटाई के निशान मिले थे और बाद में संतरी ने बयान दिया था कि मेरे सामने राजू द्वारा सूरज को पीटने की की कोई घटना नहीं, इससे भी संदेह यही हो रहा था कि कहीं सूरज की मौत पुलिसवालों की पिटाई से तो नहीं हो गई। अगर ऐसा हुआ है तो सवाल और भी गंभीर यह उठता है कि जब पुलिस पहले ही मामले को सुलझाने का दावा कर चुकी थी, उसके 5 दिन बाद सूरज को क्यों पीटा जा रहा था, क्यों टॉर्चर किया जा रहा था?

गुड़िया केस: CBI ने अरेस्ट किए IG जैदी समेत 8 पुलिसकर्मी

इन सवालों का जवाब कुछ दिन में आ जाएगा और सीबीआई शायद दूध का दूध और पानी का पानी कर दे। मगर पहले नज़र डालते हैं मृतक आरोपी सूरज की पत्नी और सूरज के दोस्त के बयानों पर, जिन्होंने कई सवाल खड़े कर दिए थे।

मारे गए आरोपी की पत्नी का ‘दैनिक भास्कर’ को सनसनीखेज बयान

 

सूरज के दोस्त ने भी उठाए थे सवाल
सूरज के दोस्त ने चौंकाने वाला बयान दिया था। उसने कहा था कि सूरज पर इस अपराध को स्वीकार करने के लिए बहुत प्रेशर था। उसने तो यहां तक कहा था कि एक पुलिसकर्मी ने सूरज की कनपटी पर बंदूक तान दी थी और पंचायत प्रधान ने थप्पड़ मार दिया था।

कोर्ट ने 4 सितंबर तक हिरासत में भेजे हिमाचल के पुलिसकर्मी

पंजाब केसरी में छपी खबर के मुताबिक सूरज के एक दोस्त ने दावा किया था कि ये लोग कह रहे थे कि अगर तुम केस को अपने सिर पर नहीं लोगे तो मार दिए जाओगे। सनसनीखेज बातें करने वाला दोस्त नेपाल का रहने वाला है। उसका कहना था कि सूरज ही उसे लेकर आया था। पहले वे दिल्ली में रहते थे। अखबार के मुताबिक सूरज के दोस्त को दुख है कि उसका इस दोस्त दुनिया में नहीं। मगर उसका कहना है कि मरने से पहले उसने पुलिस द्वारा की गई पूछताछ की कहानी बयां की थी।