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Friday, September 12, 2025
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‘शादी के अगले दिन हुए रेप का बदला लिया है हनीप्रीत ने’

बाबा राम रहीम और हनीप्रीत को लेकर कई बातें बन रही हैं मगर अब डेरे के करीबी ने ऐसी कहानी बताई है कि पढ़कर पैरों तले जमीन खिसक जाए। एक टीवी चैनल से बात करते हुए डेरा प्रमुख के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह के बेटे गुरदास सिंह ने जो कहा, वह आपके होश उड़ा देगा।

‘हनीप्रीत की शादी के तुरंत बाद डेरा प्रमुख गुरमीत राम राहीम ने उसके साथ रेप किया था और उसी वक्त हनीप्रीत ने गुरमीत राम रहीम को बर्बाद करने की ठान ली थी और आज बर्बादी सबके सामने है।’ यह सनसनीखेज खुलासा एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान किया। खट्टा सिंह का परिवार साल 2007 से पहले तक डेरे के काफी करीब था। यहां बता दें कि किसी समय डेरा प्रमुख का खास रहा खट्टा सिंह नए सिरे से सीबीआई अदालत के सामने अपने बयान दर्ज करवाना चाहता था। उसकी अर्जी फिलहाल कोर्ट के पास विचाराधीन है।

हिमाचल में भी है एक डेरा

हनीप्रीत द्वारा डेरा मुखी को सोची-समझी साजिश के तहत बर्बाद करने के सवाल पर खट्टा सिंह के बेटे गुरदास सिंह ने कहा कि विश्वास गुप्ता के साथ हनीप्रीत की शादी 14 फरवरी 1999 को हुई थी और 15 फरवरी को बाबा विश्वास के घर (डेरे में था घर) आया था। दोनों ओर का परिवार विश्वास और हनीप्रीत के बेडरूम में बैठे थे। वहां डिनर भी रखा गया था। उस दौरान मैं (गुरदास सिंह) और मेरा कजन गेट पर थे। उसी वक्त उसने कजन को आशंका जाहिर कर दी थी कि आज हनीप्रीत के साथ रेप होगा। जब हनीप्रीत और विश्वास कमरे में अकेले रह गए, तो डेरा प्रमुख का रसोइया रतन खाना खाने के लिए बुलाने आया। रतन सार्दुलगढ़ के पास माखा का रहने वाला है। वह डेरा मुखी का राजदार भी है।

‘हनीप्रीत के दादा को धमकाया’
इसी दौरान डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम कोई 35-40 मिनट तक कमरे के अंदर रहा और जब वह और हनीप्रीत कमरे से बाहर आए, तो हनीप्रीत की हालत खराब दिखी। गुरदास सिंह के मुताबिक हनीप्रीत ने अगले दिन आपबीती अपने दादा को बताई। उन्होंने डेरे के प्रबंधक दादा सुखदेव दीवाना, दर्शन सिंह और धर्म सिंह के पास जाकर पोती के साथ हुई घटना की जानकारी देते हुए कहा कि वह इस बारे में बाहर जाकर बात करेगा। यह सुनते ही उन लोगों ने उसे पीटा और एक गनमैन ने हनीप्रीत के दादा की कनपटी पर पिस्तौल भी रख दी। वह डरा हुआ डेरे में हनीप्रीत के ससुराल पहुंचा और घटना की जानकारी दी।

इस घटना के बाद हनीप्रीत अपने घर (मायके) जाने लगी, तो बाबा को इस बारे में पता चल गया और उसने अपने दो गनमैन विश्वास के घर भेज दिए। गनमैन भी उसके साथ हनीप्रीत के मायके चल दिए। लेकिन फतेहाबाद से पहले पाली के ढाबे पर विश्वास कोल्ड ड्रिंक लेने के लिए उतरा, तो इस दौरान गनमैन ने गाड़ी में बैठी हनीप्रीत को धमकाया कि घर से डेरे में वापस नहीं आई, तो अंजाम बुरा होगा, अपने घर घंटा-दो घंटा लगा लो और वापस सिरसा चलना पड़ेगा।

वापस लौटने पर हनीप्रीत ने अपने दादा को सारी बात बताते हुए कहा कि अब कुछ नहीं हो सकता, बाबा के खिलाफ कुछ बोल नहीं सकते लेकिन, वह बाबा को बर्बाद करके रख देगी। गुरदास सिंह ने जोड़ा कि मेरे हिसाब से जो कुछ डेरा प्रमुख के साथ हो रहा है, ये सब हनीप्रीत ने ही किया है। उसने यह भी कहा कि पंचकूला हिंसा में बाबा का ही हाथ है और मेरे हिसाब से इसके लिए मेसेज हनीप्रीत ने दूसरे लोगों तक पहुंचाया हो।

2007 में गुरदास ने डेरे को छोड़ा
गुरदास सिंह ने कहा कि साल 2007 में मैंने डेरा छोड़ दिया था और उससे पहले तक बाबा सिंपल था और उसके बाद हनीप्रीत उसके करीब चली गई। साल 2009 तक उसने बाबा को अपने वश में कर लिया और इस वजह से बाबा का परिवार हनीप्रीत से नफरत करता था। कोई भी उसको अच्छा नहीं समझता था। हनीप्रीत 24 घंटे गुरमीत राम रहीम के साथ रहती थी और बेटियों और बेटे को जहां 10 मिनट ही मिलने दिया जाता था, वहीं हनीप्रीत 24 घंटे बाबा के साथ रहती थी।

हनीप्रीत के गुरमीत राम रहीम के करीबी बन जाने पर उसने कहा कि उस समय तो विश्वास भी हनीप्रीत के साथ आता था और हनीप्रीत बाबा के पास चली जाती थी। सभी लोगों को सच्चाई पता थी, लेकिन कोई डर के कारण मुंह नहीं खोलता था। हनीप्रीत के बाबा के पास होने पर लोग कोर्ड वर्ड में चर्चा करते थे कि अंदर मैच चल रहा है और जिस दिन हनीप्रीत नहीं होती थी, तो कोड वर्ड था कि आज मैच कैंसल है, पिच गीली है।

बाबा के चक्कर में हुए बवाल से हिमाचल की बस सेवाएं बंद रही थीं

हनीप्रीत के रहते बाबा का अन्य लड़कियों के प्रति व्यवहार कैसा था, इस बारे में गुरदास सिंह ने कहा कि हनीप्रीत के जीवन में आने के बाद बाबा दूसरी लड़कियों को पूछता भी नहीं था। वह पूरी तरह हनीप्रीत के वश में था और जो लोग यह कह रहे हैं कि हनीप्रीत भी बाबा तक दूसरी लड़कियों को सप्लाई करती थी, यह गलत है।

डेरे में रहते हुए वहां के हालात और साध्वियों द्वारा लगाए गए आरोपों पर गुरदास सिंह ने कहा कि साध्वियों द्वारा लगाए गए आरोपों में 100 फीसदी सच्चाई है। गुरमीत राम रहीम को 23 सितंबर 1990 को शाह सतनाम जी ने गद्दी दी थी। उस समय तीन वचन दिए कि डेरे में महिला साध्वी नहीं रखी जानी चाहिए। अपना परिवार गुरसर मोड़िया में ही रखना होगा और डेरे में कोई ट्रस्ट नहीं बनेगा। लेकिन बाबा ने ये तीनों काम किए और डेरा बर्बाद हो गया।

‘बाबा देखता था ब्लू फिल्में’

हनीप्रीत के आने से पहले डेरा प्रमुख के साध्वियों के साथ व्यवहार पर गुरदास सिंह ने खुलासा किया कि डेरे में किसी को टीवी देखने की इजाजत नहीं थी। लेकिन, बाबा ने अपनी गुफा में टीवी रखा हुआ था। वह डेरे पर फिल्में बनाने वाले शर्मा जी से ब्लू फिल्म मंगवाकर देखता था और इससे उसके दिमाग में सेक्स छा जाता था।

डेरा समर्थरों को लगता है कि बाबा को फंसाया गया है

फिर उसने डेरे में लड़कियों का स्कूल-कॉलेज बनाया और जो पुराना डेरा है वहीं स्कूल बना और गुफा से स्कूल के हॉस्टल के लिए रास्ता निकलता था। वह इसी रास्ते से हॉस्टल में जाता था। वहां एक बड़ा अंधेरा कमरा था जिसमें कई किस्म की लाइट्स लगी हुई थीं, मानों किसी ब्रह्मांड (दूसरी दुनिया) में आ गए हों।

गुरमीत राम रहीम को जो लड़की पसंद आ जाती थी, वह उसके बैकग्राउंड के बारे में पता कर लेता था कि लड़की के किसी के साथ संबंध तो नहीं हैं। हॉस्टल की वॉर्डन उसे सब कुछ बता देती थीं। बाबा पसंद आई लड़की को इसी कमरे में 25 मिनट तक सिमरन करने को कहता था और कहता था कि तू ब्रह्मांड में चली जाएगी। इस कमरे में एक माइक्रोफोन लगा होता था और उसका स्पीकर गुफा में था। बाबा सारी बातें वहीं सुनता था और जब लड़की पिता जी-पिता जी पुकारती थी, तो बाबा गुफा से उठकर हॉलनुमा अंधेरे कमरे का दरवाजा खोलता था तो तेज रोशनी होती थी और उसके बीच से बाबा कमरे में दाखिल होता था, इससे लगता था जैसे भगवान प्रकट हो गए हों।

गुरदास सिंह के मुताबिक इसके बाद वह लड़की को उसके अतीत के बारे में बताते हुए राम रहीम कहता था कि वह ज्ञानी है, सब कुछ जानता है। अब तुझे पाक-साफ करना है, माफी देनी है। वह लड़की को झांसे में लेते हुए कहता था कि गुरमीत तो गुफा में रह गया है और हम दोनों ब्रह्मांड में आ गए हैं और फिर वह लड़की के साथ सेक्स करता था। लड़की को विश्वास हो जाता था कि अपने अतीत से जुड़ी जो बात उसने किसी को नहीं बताई, वह सब बाबा को पता है। लड़कियां उसे इसलिए भी भगवान समझती थीं, क्योंकि लड़कियों के माता-पिता भी राम रहीम के अंधभक्त थे।

सभी पार्टियों के नेता बाबा के साथ मंच साझा कर चुके हैं

फरार हनीप्रीत के छिपे होने से जुड़े सवाल पर गुरदास सिंह ने अनुमान लगाते हुए कहा कि वह श्रीगंगानगर, संगरूर, पटियाला और लुधियाना में कहीं हो सकती है, क्योंकि यह डेरे के कट्टर समर्थक हैं, जो आज भी मानने को तैयार नहीं है कि बाबा ने साध्वियों के साथ रेप किया है। उसने अनुमान लगाया कि हनीप्रीत डेरे की राजनीतिक विंग अथवा डेरा प्रबंधन के 45 सदस्यों में से किसी के यहां छिपी हो सकती है।

लेख: प्रधानमंत्री जी, प्लीज़ अनुराग जी को एम्स का क्रेडिट दे ही दीजिए

आई.एस. ठाकुर।। आज फेसबुक पर आया तो देखा कि हिमाचल प्रदेश में बीजेपी में खुशी ही लहर है। होनी भी चाहिए, आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल आकर उस एम्स का शिलान्यास करने जा रहे हैं, जिसके लिए करीब 3 साल पहले ऐलान हुआ था 2 साल पहले बजट मंजूर हो गया था। आखिर लटकते-लटकाते चुनाव से ठीक पहले इसका शिलान्यास हो ही जाएगी। वैसे मैं सोचता हूं कि अगर 2015 में जब बजट का ऐलान हुआ था और उसके कुछ महीनों मे ंही काम शुरू हो गया होता तो आज ज्यादा नहीं, कम से कमीन जमीन पर खुदाई होकर प्लेन करने का काम तो शुरू हो ही चुका होता। मगर क्या करें, जाने कहां पर मामला लटक गया। केंद्र बोलता कि राज्य ने जमीन नहीं दी है, राज्य बोलता रहा हमने दे दी है।

 

एम्स को लेकर वीरभद्र केंद्र को लपेटते रहे, केंद्र की तरफ से सिर्फ नड्डा बयान देते रहे मगर एक तीसरी शख्सियत भी थी जो बीच-बीच में तड़का डाल रही थी और बोल रही थी, अरे कहां उलझे हुए हो, एम्स लाने में मेरा योगदान है। वह कोई और नहीं बल्कि हमीरपुर से बीजेपी के सांसद अनुराग ठाकुर हैं। अब अगर उनके चुनाव क्षेत्र में एम्स बन रहा है और उन्हें कोई पूछ ही नहीं रहा, ये तो बड़ी नाइंसाफी है। मीडिया भी जाकर नड्डा जी के मुंह के आगे माइक लगा रहा है कि कब बनेगा, क्या होगा। अनुराग जी के पास तो कोई जा ही नहीं रहा। अनुराग जी को कभी संसद में भाषण के दौरान यह बोलना पड़ता है कि मैंने एम्स के लिए प्रयास किए और तब किए जब हर्षवर्धन स्वास्थ्य मत्री थे, नड्डा नहीं। मगर कोई ध्यान नहीं देता। (इस साल मार्च में दिया भाषण सुनें)

फिर अनुराग जी को फेसबुक पर कई बार लाइव या वीडियो के माध्यम से या पोस्टों के माध्यम से जताना पड़ता है कि भाई, इसमें मेरा योगदान है। फिर भी जब कोई नहीं पूछता तो वह नड्डा और सीएम को चिट्ठी भेजते हैं कि कहां फंसा है मामला (पढ़ें)। मगर एक दो दिन हवा बनती है और सब फुस्स। एक बार तो उन्होंने कहा था-  ‘एम्स को बिलासपुर लाने में नड्डा का कोई योगदान नहीं है और न ही इसे यहां से ले जाने में होगा।'(पढ़ें) जब नड्डा ने कहा कि अभी शिलान्यास का कोई कार्यक्रम तय नहीं है तो मामला फिर शांत हो गया। मगर रविवार सुबह ही नड्डा वीडियो डालते हैं कि 3 अक्टूबर को प्रधानमंत्री एम्स का शिलान्यास करेंगे।

 

यह तो बेचारे अनुराग जी के साथ नाइंसाफी है। यह ऐलान तो उन्हें ही करने देना चाहिए था भाई। पहले वीडियो डालने का हक उनका बनता था, क्योंकि वह कई मंचों से कह चुके हैं कि एम्स मेरे प्रयासों की देन है। खैर, अनुराग जी ने देर से ही सही, वीडियो डाला और उसमें हर बार की तरह यह याद दिलाना नहीं भूले कि ‘आपके आशीर्वाद और मेरे प्रयासों’ से एम्स आया है।

मगर सवाल उठता है कि आखिर अनुराग को बार-बार क्यों बोलना पड़ रहा है कि यह काम मेरे प्रयासों से हुआ है? कभी मोदी जी ने, वीरभद्र जी ने, कौल सिंह ने और यहां तक कि नड्डा जी ने भी नहीं कहा कि एम्स मेरे प्रयासों से हिमाचल आया है। फिर अनुराग जी को क्यों कहना पड़ रहा है?

 

इससे संकेत मिलते हैं कि अनुराग अपरिपक्व राजनेता हैं। उनके अंदर मेच्योरिटी की भारी कमी है। सिर्फ एम्स वाले मुद्दे को लेकर नहीं, बल्कि पिछले दिनों दिए गए उनके कई बयान उनकी अपरिपक्वता को दिखाते हैं। जैसे कि एम्स को लेकर अपनी ही सरकार के वरिष्ठ मंत्री को घेरना, टोपी को लेकर विवाद होने पर लाल टोपी पहनकर आ जाना, राहुल गांधी के भाषण पर यह कहना कि मैंने 13 साल की उम्र में धूमल टाइटल छोड़ दिया था… यह नासमझी नहीं तो और क्या है। शायद आप भूल गए होंगे कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान एक टीवी कार्यक्रम के दौरान हमीरपुर में उन्होंने वीरभद्र की तुलना बंदर के एक खिलौने से कर दी थी। उसका भी उन्हें राजनीतिक नुकसान झेलना पड़ा था।

शायद अनुराग क्रेडिट इसलिए भी लेना चाहते हैं क्योंकि उनके पास सांसद के तौर पर गिनाने के लिए कुछ खास नहीं है। अनुराग की उपलब्धियों की बात करें तो एकमात्र उपलब्धि धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम बनाना है, मगर वह सांसद के तौर पर नहीं बल्कि क्रिकेट प्रशासक के तौर पर है। बाकी वह रेलवे ट्रैक को लेकर भी मांग करते रहे हैं और उसका श्रेय भी लेते हैं। हालांकि यह बड़ी पुरानी मांग है, फिर भी जितना काम हुआ है, उसका सांसद को श्रेय मिलना भी चाहिए। पिछले दिनों मैंने In Himachal पर ही पढ़ा था कि अनुराग ठाकुर हिमाचल से सबसे ज्यादा ऐक्टिव सांसद हैं। यानी न सिर्फ उनकी हाजिरी, बल्कि उनके द्वारा पूछे गए सवाल और प्रस्ताव हिमाचल के अन्य सांसदों से ज्यादा हैं।

 

इसका मतलब यह हुआ कि वह ऐक्टिव हैं, जुझारू हैं मगर साथ ही साथ उन्हें समझना चाहिए कि सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा। राजनीति में परिपक्वता बहुत जरूरी है। समझ बहुत जरूरी है। विरोधियों पर वार करना जरूरी है राजनीति में। इसके बिना काम नहीं चलता। फिर वे विरोधी पार्टी के अंदर के हों या दूसरी पार्टी के। मगर वे वार गुपचुप होने चाहिए और ऐसे होने चाहिए कि किसी को पता न चले। और पता भी चले तो आपका कद बढ़े। मगर यूं हताशा में बचकाना व्यवहार करके बार-बार एम्स का जिक्र आने पर यह जताने की कोशिश करना कि यह मेरी वजह से हुआ, समझदारी नहीं है। जब मैं इस बात को नोटिस कर सकता हूं कि आप हताशा में बार-बार क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहे हैं तो आम जनता भी कर सकती है। इससे आप लाचार साबित होते जा रहे हैं।

 

अनुराग को समझना चाहिए कि उनका क्रेडिट उनसे कोई नहीं छीन सकता। आप सांसद हैं, आपके रहते यह एम्स बिलासपुर में आया तो इसका श्रेय आपको मिलेगा और शिलान्यास पट्टिका पर आपका भी नाम होगा। कोई आपके योगदान को झुठला नहीं सकता। मगर यूं बार-बार हर मंच से इसे गाना अच्छा नहीं लगता। फिर भी अगर वह बचपना नहीं छोड़ते हैं तो मैं प्रधानमंत्री जी से गुजारिश करूंगा कि बाल मन की हठ का मान रखने के लिए उस दिन मंच से कह ही दें- हां, यह एम्स अनुराग ठाकुर जी और सिर्फ और सिर्फ अनुराग ठाकुर जी के प्रयासों से ही आया है और कोई अन्य व्यक्ति इसका श्रेय लेने की कोशिश न करे।


(लेखक मूलत: हिमाचल प्रदेश के हैं और पिछले कुछ वर्षों से आयरलैंड में रह रहे हैं। उनसे kalamkasipahi @ gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

DISCLAIMER: ये लेखक के निजी विचार हैं, उनके लिए वह स्वयं जिम्मेदार हैं

हिमाचल की शिव्या पठानिया एक बार फिर लीड रोल में

शिमला।। हिमाचल प्रदेश की शिव्या पठानिया एक बार फिर छोटे पर्दे पर नजर आई हैं। वह धारावाहिक ‘दिल ढूंढता है’ में लीड रोल निभा रही हैं है। पूर्व मिस शिमला रहीं शिव्या ने धारावाहिक ‘हमसफर’ में मुस्लिम लड़की का किरदार निभाया था और ‘एक रिश्ता साझेदारी का’ में एक राजस्थानी लड़की का रोल प्ले किया था।

 

नए सीरियल ‘दिल ढूंढता है’ में शिव्या रावी के किरदार में हैं। अभी तक उन्होंने जितने भी धारावाहिक किए हैं, उनमें वह मुख्य भूमिका में ही रही हैं। पिछले दिनों शिव्या को बेस्ट राइजिंग ऐक्ट्रेस’ अवॉर्ड भी मिला था।

 

अवॉर्ड

शिव्या  शिमला के खलीणी की रहने वाली हैं। शिव्या साल 2013 में मिस शिमला रह चुकी हैं। उन्होंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई हेनोल्ट पब्लिक स्कूल शिमला से की है। उसके बाद उन्होंने चितकारा यूनिवर्सिटी से बीटेक की डिग्री हासिल की और यहीं से ऑडिशन के बाद साल 2014 में मुंबई पहुंचीं। बिलासपुर में भी शिव्या का घर है। उनका ननिहाल रोहड़ू में है।

 

शिव्या की मॉडलिंग की कुछ तस्वीरें:

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शिव्या पठानिया

पढ़ें: शिव्या पठानिया को मिला ‘बेस्ट राइजिंग ऐक्ट्रेस’ अवॉर्ड

‘अचीवर्स’ को इस दिन अवॉर्ड देगी म्यूजिक कंपनी SMS Nirsu

शिमला।। हिमाचल प्रदेश के कलाकारों को मंच देने और प्रदेश की लोक कला के संरक्षण में योगदान देने के लिए पहचाने जाने वाली म्यूजिक कंपनी SMS Nirsu ने अपने 6 साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर ‘हिमाचल अचीवर्स अवॉर्ड 2017’ कार्यक्रम का आयोजन शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में किया जा रहा है।

 

25 सितंबर यानी सोमवार को सुबह 11 बजे कार्यक्रम की शुरुआत होगी। रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर प्रेम सिंह ड्रैक मुख्यातिथि होंगे। इसके लिए SMS Nirsu ने सभी को आमंत्रित किया है। कार्यक्रम की अधिक जानकारी यहां पर क्लिक करके ली जा सकती है।

3 अक्टूबर को एम्स का शिलान्यास करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में प्रस्तावित एम्स का शिलान्यास होने जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री 3 अक्टूबर को शिलान्यास करेंगे। नड्डा ने लिखा है कि यह देवभूमि के लिए सौगात है और यह पहाड़ी राज्यों के लिए वरदान साबित होगा। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री का आभार भी व्यक्त किया है।

 

इसके साथ ही कांग्रेस के उन आरोपों को को भी बल मिल गया है कि केंद्र सरकार जानबूझकर एम्स का शिलान्यास का काम लटका रही है ताकि उसका शिलान्यास चुनाव से ठीक पहले करके क्रेडिट लिया जा सके। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय तक जेपी नड्डा खुद कह रहे थे कि एम्स कहां खुलेगा, यह निश्चित नहीं हुआ है। प्रदेश सरकार एक साल से भी ज्यादा वक्त से कह रही थी कि जमीन दी जा चुकी है, मगर नड्डा इस मामले को लेकर शामोशी बरत रहे थे कि एम्स का शिलान्यास क्यों नहीं हो पा रहा।

 

इस संबंध ने इन हिमाचल ने प्रश्न उठाया था तो उसके बाद नड्डा ने कहा था कि इस मामले में कुछ टेक्निकैलिटी है, जिसमें मैं जाना नहीं चाहता। फिर उन्होंने इसी साल बयान दिया कि चार राज्यों ने एम्स के लिए जमीन नहीं दी है, जिनमें हिमाचल भी शामिल है। फिर नड्डा ने ठीक एक महीना पहले कहा कि अभी यही तय नहीं है कि एम्स कहां बनेगा(पढ़ें)। इस ढील को लेकर बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री और राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर सवाल भी उठाए थे (पढ़ें)। मगर एक महीने में ऐसा क्या हो गया कि सारी चीजें सही हो गईं और वह भी इलेक्शन से ठीक पहले।

भारत में इलेक्शन से ठीक पहले काम करने की आदत रही है राजनेताओं को। बड़े स्तर क्या, छोटे स्तर पर भी सा ही होता है। सड़कें चुनाव से पहले पक्की होती हैं, प्रॉजेक्टों या कार्यालयों उद्घाटन और लोकार्पण  चुनाव से ठीक पहले होते हैं ताकि जनता को याद रहे कि ये काम इस सरकार ने करवाया है। कहीं न कहीं एम्स भी इसी तरह की राजनीति की भेंट चढ़ा और शिलान्यास देर से हुआ।

 

ऐसे बड़े प्रॉजेक्टों में बजट का प्रावधान होने पर जो भी तकनीकी अड़चने हों, उन्हें तुरंत निपटाया जान चाहिए। क्योंकि इन्हें बनने में वैसे भी देर होती है। समय पर तो भारत में वैसे ही काम पूरे नहीं होते। इसलिए शिलान्यास पहले होता तो इसके उद्घाटन में भी जल्दी होती, जिसका फायदा जनता को होता। मगर नेताओं के लिए शायद राजनीति जरूरी है।

पुलिस की लापरवाही से दागदार हुआ पवित्र रिश्ता: हाई कोर्ट

शिमला।। अपनी 2 साल की बच्ची के रेप के आरोप में जेल में बंद चंबा के एक शख्स को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने निर्दोष बताते हुए रिहा करने के आदेश दिए हैं। इससे पहले निचली अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए 10 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। मगर हाई कोर्ट ने पाया कि न सिर्फ पुलिस ने बल्कि ट्रायल कोर्ट ने भी मामले में तथ्यों को नहीं परखा। हाई कोर्ट ने कहा कि इस लापरवाही की वजह से निर्दोष पिता के पवित्र रिश्ते पर सवाल खड़ा हो गया। (कवर इमेज प्रतीकात्मक है)

 

हाई कोर्ट ने पाया कि इस मामले में शिकायत करने वाली बच्ची की मां ने अपने पति को झूठे केस में फंसा दिया और पुलिस ने भी उसका साथ दिया तथा बारीकियों की जांच करने की जहमत नहीं उठाई। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने यह नहीं देखा कि शिकायतकर्ता अपने पति से अलग क्यों रह रही थी और उसने अपने पति के परिजनों पर भी यौन शोषण की झूठी शिकायतें करवाई थीं। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों मे पुलिस, अभियोजन पक्ष और जज को कानून के सिद्धांतों का पालन करेंगे, ऐसी उम्मीद की जाती है।

अदालत ने पिता को रिहा करने के आदेश दिए हैं। (तस्वीर प्रतीकात्मक है)

पुलिस पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी ने केवल शिकायतकर्ता की बातों पर विश्वास किया और निचली अदालत ने भी महत्वपूर्ण सवालों की अनदेखी करके ऐसे मामले में बेकसूर को सजा सुना दी, जिसमें कोई सबूत ही नहीं थे।

हिमाचल सरकार फिर लेगी 700 करोड़ रुपये का कर्ज

शिमला।। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार चुनावी साल में चौथी बार कर्ज लेने जा रही है। पहले ही भारी-भरकम कर्ज में डूबी सरकार अब 700 करोड़ रुपये का कर्ज लेगी। सरकार ने पिछले तीन महीनों में ही 2000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। जुलाई में 500 करोड़, अगस्त में 800 करोड़ रुपये और अब सितंबर में 700 करोड़ का कर्ज लिया जाएगा। इस तरह से हिमाचल प्रदेश पर अब कुल अनुमानित कर्ज 43 हज़ार करोड़ रुपये (440000000000) से ज्यादा होने जा रहा है।

 

खास बात यह है कि सरकार अपने खर्च काबू नहीं कर पा रही है, चुनावी साल में घोषणाओं पर घोषणाएं कर रही है। ध्यान यह भी देना है कि इतना सारा कर्ज सरकार कैसे चुकाएगी, इसकी भी कोई ठोस योजना नजर नहीं आ रही है। एक तरफ तो सरकार अपने चहेते कारोबारियों की देनदारी माफ कर रही है, दूसरी तरफ कर्ज के आवेदन कर रही है।

 

हिमाचल प्रदेश सरकार की कमाई कम है और खर्च ज्यादा हैं। अब आमदनी के नए तरीके ढूंढने के बजाय सरकारें यहां पर लोन लेने पर फोकस करती रही हैं। ऐसा नहीं है कि मौजूदा कांग्रेस सरकार ही कर्ज ले रही है। बीजेपी सरकार के दौरान भी कर्ज पर कर्ज लिए गए थे। आज देखें तो हिमाचल के हर व्यक्ति के ऊपर अगर 57 हज़ार रुपये (लगभग) कर्ज है तो 2011-12 (जब बीजेपी सरकार थी) यह कर्ज लगभग 40 हज़ार रुपये प्रतिव्यक्ति था। अब प्रतिव्यक्ति यह कर्ज आपको सिर्फ 10 हज़ार रुपये ही ज्यादा लग सकता है मगर कुल मिलाकर पूरे प्रदेश के लिए अब यह बोझ बन चुका है। यानी सरकार का कार्यकाल शुरू होने के वक्त प्रदेश पर जितना कर्ज था, आज वह कर्ज 40 प्रतिशत बढ़ गया है।

 

ध्यान देने की बात यह भी है कि इस लोन पर सरकार को ब्याज भी देना पड़ता है। मगर पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने चहेते कारोबारियों का टैक्स माफ कर दिया था। सोने के इन कारोबारियों की प्रदेश सरकार पर करोड़ों की देनदारी बनती थी।

इससे पता चलता है कि हमारी सरकारें कितनी गैर-जिम्मेदारी से काम करती हैं। पिछले कई दशकों से प्रदेश की इनकम बढ़ाने की ठोस योजना लाने में ये सरकारें नाकाम रही हैं। और अब इस फाइनैंशल इयर में ही सरकार ने 3500 करोड़ रुपये का लोन ले लिया है। नेता अपनी राजनीति के लिए बिना प्लानिंग खर्च करते हैं और खामियाजा पूरे प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ता है। सरकार की फिजूलखर्ची और वित्त प्रबंधन में गड़बड़ी पर सीएजी ने भी सवाल उठाए थे। मगर नेता हैं कि हिमाचल के भविष्य को गिरवी रखने से बाज़ नहीं आ रहे।

यहां सबके अंदर छिपा है एक नीरज भारती, फिर बवाल क्यों?

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जीशान अली।। हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग के संसदीय सचिव और ज्वाली के विधायक नीरज भारती की टिप्पणियों को लेकर सोशल और प्रिंट मीडिया में बढ़ती ख़बरों की तरफ मेरा भी ध्यान आकर्षित हुआ। मैंने सोचा कि क्यों न मैं भारती की फेसबुक टाइमलाइन पर जाकर खुद देखूं कि वह ऐसा क्या लिखते हैं कि बवाल मच जाता है। मैंने करीब एक घंटा लगाकर भारती की फेसबुक वॉल का मुआयना किया।

भारती के कटाक्ष संघ, भाजपा, बाबा रामदेव और प्रधानमंत्री मोदी से लेकर हिन्दूवादी संगठनों पर थे। भारती बेबाकी से वही सब लिखते हैं, जो सोशल मीडिया और वॉट्सऐप के संदेशों पर हम दिन-रात सुनते-पढ़ते आ रहे हैं। भारती संघ परिवार के धुर विरोधी हैं, ऐसा उनकी वॉल देखकर लगता है। जब कांग्रेसी हैं तो उनका ऐसा होना लाजिमी है।

भारती की हिम्मत देखकर मैं हैरान हुआ। राजनीति में बेबाकी चलती है, पर अपने आप को इस कदर प्रस्तुत कर देना कहां की समझदारी है भाई? आखिर भारती से इतनी चिढ़ क्यों पैदा हो रही है लोगों को? भारती भी तो उसी भीड़ की तरह रिऐक्ट कर रहे हैं, जो सोसल मीडिया पर दिन-रात एक-दूसरे के खिलाफ कीचड़ फेंकने में लगी रहती है। क्या भारती उन लोगों से सिर्फ इसलिए अलग हैं कि वह एक विधायक हैं और इस नाते वह ऐसा नहीं लिख सकते? दरअसल दिक्कत और चिढ़ यह है कि समाज में हर तीसरा आदमी नीरज भारती है, मगर वह मौका और मंच देखकर अपना चेहरा बदल देता है। मगर भारती ऐसा नहीं कर रहे।

संघवाद के एजेंडे को राष्ट्रवाद का नारा मान चुके कुछ युवा सुबह से लेकर शाम तक फेसबुक पर अर्जी-फर्जी आर्टिकलों और फोटोशॉप्ट तस्वीरों को फैलाने में लगे रहते हैं। नेहरू गाजी का बेटा था, इंदिरा का पति वो था, राजीव फलाणे का बेटा था, सोनिया ऐसा करती थी, वैसा करती थी… वगैरह। क्या इस तरह की मानसकिता वाले लोग भी भारती नहीं हैं? यही लोग अपनी पार्टी की विचारधारा वाले संगठनों में काम करते हुए कल को किसी संवैधानिक पद पर भी पहुंचेंगे। तब वे एकदम से अपनी जुबान और चेहरा बदल लेंगे।

ऐसी फर्जी तस्वीरें वही बना सकता है, जिसके पास किसी चीज का विरोध करने के लिए तर्क और तथ्य न हों। ये लोग जिस पार्टी के समर्थक हैं, वह पार्टी महात्मा गंधी के अंत्योदय के नारे को आगे ले जाने का संकल्प लेती है और हर मंच से कहती है कि हम उनके सपनों को साकार करेंगे। मगर उसी गांधी को उस पार्टी का काडर सोशल मीडिया पर दिन-रात बेआबरू करने में जुटा होता है।

दाएं वाली तस्वीर असली है, जिसमें गांधी जी पंडित नेहरू के साथ हैं। कुछ लोगों ने फोटोशॉप की मदद से इसमें लड़की की तस्वीर लगाकर बापू को बदनाम करने की कोशिश की है।

जब सभी भारती जैसे हैं और अपनी-अपनी विचारधाराओं के लिए किसी भी स्तर पर उतरकर सभ्य समाज के ढांचे को चकनाचूर करने में लगे हैं, तो बवाल सिर्फ नीरज भारती को लेकर क्यों है? भारती की हिम्मत है कि उसने अपने आप को, अपनी मानसिकता को, अपने विचारों को सरेआम जनता के सामने प्रस्तुत कर दिया है। अब जो प्रत्यक्ष है, उसका हिसाब-किताब तो जनता देख रही है। मगर जो अंडर-कवर ऑपरेशन के तहत देश के महानायकों को अनर्गल बातें करके बदनाम करने में तुले हुए हैं, उनका क्या?

नीरज भारती

बहरहाल, मैं भारती की टाइमलाइन का अध्ययन करते हुए आगे बढ़ा। भारती एक तरफ अपनी वॉल पर दबंग नेता और बेबाक वक्ता की छवि को परिभाषित करते हुए निकलते हैं। वह यह जताना चाहते हैं कि मैं नेता नहीं, नॉर्मल आदमी हूं और राजनीति नहीं करता। पर उनकी दो पोस्ट्स मुझे ऐसी दिखीं कि उनके अंदर का घाघ नेता और दोहरे मापदंड मेरी पकड़ में आ गए।

एक पोस्ट में भारती लिखते हैं कि देश में ऐसे भी लोग हैं, जो बैडमिन्सटन स्टार पीवी सिंधु की कास्ट गूगल पर पता कर रहे हैं। इसके लिए वह बाकायादा गूगल का स्क्रीनशॉट शेयर करते हैं और इस तरह की जातिवादी मानसिकता पर दुख और गुस्सा प्रकट करते हैं। मगर जैसे ही मैं आगे स्क्रॉल करते हुए उनकी दो दिन आगे की पोस्ट पर पहुंचता हूं, तो भारती किसी मुद्दे पर जय ओबीसी, जय ओबीसी के नारे लगाते हुए मुझे मिलते हैं। जिस बेबाक युवा भारती को अपनी इमेज को लेकर यह चिंता नहीं कि लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं, उसे मैं यहां ट्रैक से उतरता देखता हूं। मुझे यहां भारती के दोहरे मापदंड नजर आते हैं। भारती जय ओबीसी, जय हिमाचल, जय हिंद और जय राजा वीरभद्र लिखते हैं। इसमें मुझे जय ओबीसी खटकता है। यह स्टेटस डालने वाला भारती मुझे वीपी सिंधु को लेकर पोस्ट करने वाले भारती से अलग जान पड़ता है। यहां मुझे चुनावी राजनीति की सांठ-गांठ वाला तिकड़मी भारती मुझे नजर आता है। यहं भारती मुझे दुविधा में डाल देते हैं।

राजनिति हो, व्यक्तिगत जिंदगी या फिर कोई और स्पेस, गाली देना गलत है। किसी को कटु वचन कहना, किसी की व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में, किसी के चरित्र के बारे में सवाल उठाना या कहानियां फैलाना गलत है। यह शास्त्र कहता है, धर्म कहता है और सेन्स भी कहती है। यह सबके लिए गलत है और यह गलत सिलेक्टिव नहीं है। हर मानव के लिए गलत है। राजा के लिए भी, रंक के लिए भी। नेता के लिए भी, कार्यकर्ता के लिए भी। अब भारती मोदी और ईरानी पर उंगली उठाएं या कोई आम भाजपा कार्यकर्ता सोनिया के बारे में गलत प्रचार करे, ये दोनों समान रूप से गलत बातें हैं। इसकी परिभाषा इस तरह से नहीं हो सकती कि भारती विधायक है तो उसके लिए गलत है और बाकी कोई कुछ भी लिख सकता है।

सबके अंदर एक भारती है। कोई छुपकर भारती है, कोई सरेआम भारती है। देखो भैया, हम ठहरे आम आदमी। राजनीति धूमल को करनी है, वीरभद्र, अनुराग, विक्रमादित्य, बाली, भारती, सुक्खू आदि को ही करनी है। इन्हीं की पार्टिया बारी-बारी चुनाव जीतेंगी। इनपर ही प्रदेश का दारोमदार टिका है। हम आम जनता, तो उस चातक की तरह है, जो सावन के बादलों की बूंद के लिए आसमान की तरफ देखता रहता है। उसी तरह सरकारें, मंत्री-संत्री बदलने पर हम नई उम्मीद पाले रखते हैं। हमें उम्मीद होती है प्रदेश के भले की, नई नौकरी की, नई दिशा की, नई दशा की। तुम्हीं इस व्यवस्था के माई हो, तुम्हीं बाप हो, तुम्हीं लोग बंधू हो और तुम्हीं सखा भी।

जब अलग-अलग समय पर सबकुछ तुम्हीं लोगों पर टिका है तो प्रदेश का भला ही कर दो। यह ऊर्जा, यह तर्कक्षमता, यह बेबाकियां दोनों पक्ष प्रादेशिक मुद्दे पर फोकस कर दो। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मामलों पर आप क्या सोचते हैं, फेसबुक पर कभी यही डाल दिया करो। यही डाल दो कि आपका क्या विजन है अपने इलाके अपने प्रदेश के लिए।

भारती जी भी थोड़ा ऐसा ज्ञान बीच-बीच में डालें तो हम चातक लोग धन्य हो जाएंगे। आपका जो भी अपनी पार्टी या विचारधारा को लेकर श्रद्धा है या विरोधी को लेकर जो बैर है, उसे अपने तक सीमित रखो। या फिर किसी सार्वजनिक मंच पर एक हफ्ते की बहस आयोजित कर लो और एक ही बार सारे मुद्दे सुल्टा लो। फिर प्रदेश के मुद्दों पर फोकस हो जाओ।

नेहरू का या गांधी का इतिहास छोड़ दो, बाबा रामदेव का कानापन या मोदी के जुमले भूल जाओ; प्रदेश के लिए चुने गए हो तो थोड़ा समय यहां के लिए भी निकाल दो।

(लेखक नाहन के रहने वाले हैं। 15 वर्षों तक विभिन्न मल्टीनैशनल कंपनियों में सेवाएं देने के बाद इन दिनों पैतृक गांव में बागवानी में जुटे हैं।)

Disclaimer: ये लेखक के अपने विचार हैं और इनके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं।

इस लेख को फिर से शेयर किया जा रहा है, मूलत: यह Sep 1, 2016 को प्रकाशित हुआ था।

जानें, शिमला में एक उंगली पर नीला नेल पेंट क्यों लगा रही हैं महिलाएं

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। अगर आप शिमला में किसी युवती या महिला की एक उंगली में नीले का रंग नेल पेंट देखें तो हैरान न हों। इस साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है।

 

इसके तहत युवतियां और महिलाएं अपनी एक उंगली के नाखून पर नीला नेलपेंट कर रही हैं। इसी अभियान के तहत एचएएस और सहायक आयुक्त ज्योति राणा ने शिमला की एसपी सौम्या सांबशिवन की उंगली पर नीला नेल पेंट लगाया।

एसपी सौम्या को ब्लू नेल पेंट लगातीं ज्योति राणा। (image: MBM News Network)

बताया जा रहा है कि इस ‘गो ब्लू’ अभियान के पीछे शिमला के डीसी रोहन ठाकुर की सोच है। इस अभियान की शुरुआत गुरुवार को कई गई थी।

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सहायक आयुक्त ज्योति राणा ने बताया कि युवतियां व महिलाएं अपनी एक उंगली पर तब तक नीले रंग का इस्तेमाल करेंगी, जब तक मतदान नहीं होता। उन्होंने बताया कि दूसरे दिन अभियान को काफी सफलता मिली है।

(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर है और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित की गई है)

‘हिमाचल में धूमल के नेतृत्व में परिवर्तन होकर रहेगा’

हमीरपुर।। अभी तक हिमाचल प्रदेश में सीएम कैंडिडेट को लेकर बीजेपी की तरफ से किसी के नाम का ऐलान नहीं हुआ है, मगर बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने एक बयान दिया है। हमीरपुर के बिझड़ी में आयोजित एक कार्यक्रम, जिसमें सांसद अनुराग ठाकुर भी थे, में निरंजन ज्योति ने कहा, “मुझे विश्वास है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में प्रदेश में परिवर्तन होगा और हर हाल में परिवर्तन होकर रहेगा।”

 

कुछ समाचार पत्रों के मुताबिक चुनावी वर्ष में साध्वी निरंजन ज्योति के इस बयान को प्रदेश भाजपा अधिक महत्वपूर्ण मान रही है। मगर हकीकत यह है कि राजनीतिक समझ रखने वाले लोग इस बयान को नजरअंदाज़ कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि साध्वी निरंजन ज्योति के बयान को कोई गंभीरता से नहीं लेता, क्योंकि उनके कई बयान उटपटांग होते हैं। कई मौकों पर तो साध्वी ऐसे-ऐसे बयान दे चुकी हैं जिनसे भारतीय जनता पार्टी की फजीहत हो चुकी है। पार्टी को उनके बयानों से किनारा भी करना पड़ा था।

प्रधानमंत्री को देनी पड़ी थी सफाई
दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान साध्वी ने कहा था कि जनता ‘रामजादों’ या ‘ह*#जादों’ में से चुनाव करे। इस बयान को लेकर काफी आलोचना हुई थी और उन्हें संसद में अपने बयान के लिए माफी मांगनी पड़ी थी। प्रधानमंत्री ने भी यह कहते हुए सभी से इस विवाद को भुलाने की अपील की थी कि वह नई हैं, गांव से आई हैं। प्रधानमंत्री का कहना था कि उन्हें समझ नहीं है कि क्या कहना है, क्या नहीं।

बयान से किनारा कर सकती है पार्टी
जानकारों का कहना है कि हमीरपुर में साध्वी का बयान या तो उन्होंने नासमझी में दिया है या उनसे दिलवाया गया है, मगर पार्टी का इससे कोई संबंध नहीं है। हो सकता है कि पार्टी इस बयान से किनारा कर ले।