पाकिस्तान को अब तालिबान ने भी दिया झटका, जानें क्या कदम उठाया

डेस्क।। आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब पाकिस्तान को पड़ोसी देश अफगानिस्तान में सत्ता पर बैठे तालिबान ने भी आंखें दिखाना शुरू कर दिया है। तालिबान ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच तोर्खम बॉर्डर को बंद कर दिया है। इस सीमा के माध्यम से ही दोनों देशों के बीच ज्यादा पारिक आदान-प्रदान होता है।

दरअसल, जब से अफगानिस्तान में तालिबान ने सत्ता पर कब्जा किया है, तबसे पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान ने अपनी कार्रवाईयां तेज कर दी हैं। लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों से पाकिस्तान सेना और पुलिस परेशान है। इस बीच पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से इलाज के लिए आने वाले लोगों को रोक दिया।

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इसके बाद तालिबान ने बॉर्डर को बंद करते हुए कहा कि पाकिस्तान अपने वादे पूरे नहीं कर रहा है। वे कौन से वादे हैं, इस बारे में कोई भी जानकारी तालिबान की ओर से नहीं दी गई। तोर्खम के आयुक्‍त का कहना है कि बॉर्डर को यात्रा और ट्रेड के लिए बंद किया गया है।

मौलवी मोहम्‍मद सिद्दीकी तोर्खम के आयुक्त हैं। उन्होंने ट्वीट करके लिखा है, ‘पाकिस्‍तान ने अपने वादों को पूरा नहीं किया, इसी कारण हमने अपने नेतृत्व के निर्देश पर सीमा को बंद किया है।” अफगान प्रशासन ने लोगों को भी इस क्षेत्र की यात्रा करने से बचने की सलाह दी है।

स्मार्ट सिटी का काम लटकाने वाले ठेकेदारों पर लगेगी पेनल्टी: सुधीर शर्मा

मृत्युंजय पुरी, धर्मशाला।। स्मार्ट सिटी धर्मशाला के कार्यों में देरी करने वाले ठेकेदारों को पेनल्टी लगेगी। यह कड़ा फैसला स्मार्ट सिटी प्रबंधन ने लिया है। प्रदेश में नई कांग्रेस सरकार बनने के बाद धर्मशाला में इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। पूर्व शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा के निर्देशों पर स्मार्ट सिटी प्रबंधन इन परियोजनाओं को पूरा करने में जुट गया है।

हाल ही में हुई एक बैठक में स्मार्ट सिटी के जीएम ईं सजीव सैणी कह चुके हैं कि काम में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसा करने वाले ठेकेदारों को पेनल्टी लगाई जाएगी। संजीव सैणी ने बताया कि अभी स्मार्ट रोड, स्ट्रीट लाइटों व अन्य कार्यों को गति देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विद्युत बोर्ड को दिए गए 150 करोड़ रुपए के प्रोजेक्टों को भी और तेजी दी जा रही है। इसमें जीरो टोलरेंस की नीति को अपनाया जा रहा है।

50 प्रोजेक्ट किसी न किसी स्टेज से गुजर रहे
धर्मशाला में मौजूदा समय में 300 करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इनमें अकेले बिजली बोर्ड के बैनर तले ही 150 करोड़ रुपए के काम चल रहे हैं। इस परियोजना के तहत धर्मशाला में 75 प्रोजेक्ट पूरे करने हैं। इनपर कुल 635 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं।

पहले ये प्रोजेक्ट 2019-20 तक पूरे किए जाने थे, लेकिन अब 2023 के अंत तक इनकी डैडलाइन तय की गई है। दिसबंर 2022 तक इनमें से 190 करोड़ 25 प्रोजेक्टों को पूरा कर लिया गया है। बाकी के 445 करोड़ के 50 प्रोजेक्ट किसी न किसी स्टेज से गुजर रहे हैं।

मौके पर देखा जा रहा काम
धर्मशाला से विधायक व पूर्व शहरी विकास मंत्री लगातार मौके पर जाकर इन परियोजनाओं का निरीक्षण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्मार्ट रोड, पार्किंग, वर्कशाप, फुटबाल स्टेडियम व अकादमी जैसे कामों को लगातार तेज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि डैडलाइन को मीट करना चुनौती है। इसके लिए हमें दिन-रात एक करना होगा। पिछली भाजपा सरकार ने इस प्रोजेक्ट को हल्के में लिया, जिसका खामियाजा पूरे शहर को भुगतना पड़ रहा है।

चन्नी बोले- गलती से किसी ने मेरी पगड़ी पर रख दी टोपी, मैं माफी मांगता हूं

शिमला।। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी विवाद में फंस गए हैं। सिख धर्म से संबंधित संस्थाओं और संगठनों ने उनकी उस तस्वीर पर आपत्ति उठाई है, जिसमें उनकी पगड़ी के ऊपर हिमाचली टोपी रखी नजर आ रही है। अब एक ऑडियो वायरल हो रहा है जिसमें कथित तौर पर चन्नी कह रहे हैं कि वह इस घटना के लिए माफी मांगते हैं और उनका इरादा किसी का अपमान करने का नहीं था।

दरअसल पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश सचिवालय पहुंचे चन्नी की एक तस्वीर सामने आई थी जिसमें वह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी कैबिनेट के सदस्यों के साथ खड़े हैं। चूंकि हिमाचल में टोपी पहनाकर सम्मानित करने का रिवाज है तो वहां मौजूद किसी ने उनकी पगड़ी के ऊपर टोपी रख दी।

यह बात अटपटी तो थी ही क्योंकि पगड़ी के ऊपर टोपी नहीं पहनाई जाती। पहले भी हिमाचल आने वाली सिख हस्तियों को सम्मान स्वरूप शॉल ओढ़ाकर या अन्य भेंट देकर सम्मानित किया जाता रहा है। सवाल उठने लगे कि ऐसा करने की क्या आवश्यकता आन पड़ी क्योंकि सिखों के लिए पगड़ी बहुत महत्वपूर्ण होती है।

अब ताजा ऑडियो में एक व्यक्ति द्वारा कथित तौर पर चन्नी को फोन किया गया जिसमें चन्नी ने खेद जताया और कहा कि उनमें से किसी का इरादा गलत करने का नहीं था, बस किसी ने सम्मान के लिए पगड़ी पर टोपी रख दी। उन्होंने कहा कि वह इन तस्वीरों को हटाने का आग्रह कर रहे हैं और किसी भी मंच पर जाकर इसके लिए खेद व्यक्त करने के लिए तैयार हैं।

यह कहा जा सकता है कि चन्नी उन लोगों की अपरिपक्वता के कारण अनावश्यक विवाद में फंसे जो उस कमरे में मौजूद थे और जिन्होंने टोपी पहनाई। इस घटना की वरिष्ठ पत्रकार भी आलोचना कर रहे हैं।

शिरोमणि कमेटी ने भी इस पर आपत्ति जताई है। शिरोमणि कमेटी के सचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि पगड़ी पर टोपी पहनना सिख परंपरा के खिलाफ है और इससे सिखों को ठेस पहुंची है। इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।

इजरायल ने बनाया फिलिस्तीनी कैदियों को देश से निकालने का कानून

इन हिमाचल डेस्क।। इजयराल की संसद ने एक नया कानून पारित किया है। इसके तहत अब इजयराल अपने यहां उन फलस्तीनियों की नागरिकता छीन सकता है जिन्हें उसने आतंकवाद के आरोप में बंदी बनाया हुआ है या फिर जिनपर फलस्तीनी प्रशासन से आर्थिक मदद लेने का आरोप है। ऐसे लोगों को वो अपनी सीमाओं से बाहर भी कर सकता है। इजरायल के इस कदम की आलोचना भी हो रही है।

इजरायल की संसद में पहली बार ऐसा विधेयक लाया गया जिसमें पहली बार अरब आबादी या यूं कहें कि फलस्तीनियों को अपने यहां से डिपोर्ट करने का प्रावधान किया गया था। बुधवार को इस विधेयक के पक्ष में 94 वोट पड़े और विरोध में पड़े, सिर्फ दस।

ये कानून कहता है कि जिन इज़रायली नागरिकता वाले फिर पूर्वी यरूशलम में रहने वाले फलस्तीनियों पर अगर आतंकवादी गतिविधि और फलस्तीनी प्रशासन से किसी तरह की फंडिंग लेने का आरोप सिद्ध होता है तो उनकी नागरिकता के साथ-साथ उनसे यहां रहने का अधिकार भी छीन जा सकता है।

दरअसल अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त फलस्तीनी प्रशासन… इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में इज़रायल की जेलों में बंद या इजरायली सेना की कार्रवाइयों में मारे गए या जख्मी फलस्तीनियों के परिजनों की मदद करता है और उन्हें आर्थिक सहायता भी मुहैया करवाता है। लेकिन इज़रायल का कहना है कि ये हिंसा करने के बदले दिया जाने वाला इनाम है और इस तरह पैसे देना बाकियों को भी हिंसा के लिए उकसाता है।

अब इस कानून को कहा जा रहा है भेदभावपूर्ण, खतरनाक और साथ ही नस्लभेदी भी है क्योंकि ये अलग से फलस्तीनियों के लिए यानी अरब आबादी के लिए बनाया गया है। इजरायल में आतंकवाद या ऐक्ट ऑफ टेररिज़म का मतलब है- राजनीतिक, धार्मिक, राष्ट्रीयता या फिर विचारधारा के आधार पर संपत्ति, लोगों की सेहत और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाना। यहां तक कि ऐसा कुछ करने की आशंका हो, तब भी उसे आतंकवाद माना जा सकता है।

अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, अदाला लीगल सेंटर से संबंध रखने वाले इरशीद कहते हैं कि इस कानून के आधार पर फलस्तीनी कैदियों को देश से निकालना… अंतरराष्ट्रीय कानून को भी उल्लंघन है क्योंकि अगर उनसे नागरिकता छीन ली गई तो वे किसी देश के नागरिक नहीं रहेंगे। वे विस्थापित होकर भी कहां जाएंगे।

अभी तक ये भी स्पष्ट नहीं है कि कितने लोग इससे प्रभावित होंगे। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह मानते हैं कि इजयाल की जेलों मे बंद फल्तीनियों की संख्या 4500 से पांच हजार के बीच हो सकती है। बता दें कि जेल में बंद लोगों को फलस्तीनी हीरो मानते हैं। सवाल ये भी उभर रहे हैं कि  क्या ये कानून उन लोगों के लिए है जो भविष्य में ऐसे मामलों में दोषी पाए जाएंगे या फिर उनके लिए भी है जो जेल में बंद हैं या फिर इसी तरह के मामलों में सजा काट चुके हैं।

लेकिन इन चिंताओं का क्या होगा? आपको बता दें कि भारी उथल-पुथल के बाद इज़रायल में एक बार फिर बिन्यामिन नेतन्याहू प्रधानमंत्री बन गए हैं। उनकी सरकार का रवैया हमेशा से फार राइट या अति दक्षिणपंथी रहा है। इस बार भी उनकी सरकार इसी राह पर चल रही है। बल्कि इस बार तो उसे फार फार राइट माना जा रहा है। फार राइट का मतलब समझिए कि बेहद रूढ़िवादी, बेइंतहहा राष्ट्रवादी और दबंग (निरंकुश)। नेतन्याहू के सत्ता में रहते हमेशा से फलस्तीनी चिंता जताते रहे हैं कि जिस तरह की आक्रामकता से वह यहूदी बस्तियों का विस्तार कर रहे हैं, उससे भविष्य में आज़ाद फलस्तीन बनने की संभावनाओं को ग्रहण लगता जा रहा है। अब नए कानून ने फलस्तीनियों की चिंताएं और बढ़ा दी हैं।

चंडीगढ़ पर हमारा भी हक है, कानूनी लड़ाई लड़ेगा हिमाचल: मुकेश अग्निहोत्री

चंडीगढ़।। उप मुख्यमंत्री अग्निहोत्री ने कहा है कि चंडीगढ़ पर पंजाब और हरियाणा का ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश का भी अधिकार है। उन्होंने कहा कि शहर में हिमाचल की 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जो हमारा वैधानिक अधिकार है। इसे हम लेकर ही रहेंगे। चाहे इसके लिए हमें कानूनी लड़ाई ही क्यों न लड़नी पड़े।

उप मुख्यमंत्री अग्निहोत्री रविवार को चंडीगढ़ के सेक्टर-34 में आयोजित इलेक्ट्रिक व्हीकल एक्सपो-2023 में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मंच से चंडीगढ़ पर हिमाचल का अधिकार जताया। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ की संपत्तियों पर भी हमारा अधिकार है। पंजाब और हरियाणा को छोटे भाई (हिमाचल) का सम्मान करना चाहिए।

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अग्निहोत्री ने कहा, “शहर में हिमाचल के कई लोग रहते हैं। जब पंजाब और हरियाणा में चुनाव आते हैं तब यहां के नेता चंडीगढ़ में रहने वाले हिमाचल के लोगों को अपना बताते हैं। अगर हिमाचल के लोग अपने मूल राज्य ( जहां उनके गांव हैं) में भी हो तो उन्हें वापस बुलाया जाता है, लेकिन बाद में उन्हें भूल जाते हैं। हम पंजाब और हरियाणा की खुशहाली और चंडीगढ़ की बेहतरी चाहते हैं, लेकिन इस बेहतरी में हमें भी शामिल किया जाए।”

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि चंडीगढ़ में हिमाचल से पानी आता है। इस पानी पर भी हिमाचल का 1.19 प्रतिशत अधिकार है। पानी के मामले में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) सहित अन्य एजेंसियां एनओसी के लिए हम पर निर्भर रहती हैं, मगर चंडीगढ़ पर हक के मामले में हमें किसी की एनओसी की जरूरत नहीं है।

OPS-NPS के बीच लटके कर्मचारियों को NSDL ने दिया ‘झटका’

शिमला।। ओपीएस लागू होने का इंतजार कर रहे हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को नैशनल सिक्यॉरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) ने झटका दे दिया है। हिमाचल प्रदेश के एक लाख 36 हजार से अधिक कर्चारी अब एनएसडीएल के पास जमा अपने शेयर की 25 फीसदी रकम नहीं निकाल पाएंगे। कंपनी की वेबसाइट से पैसा निकालने का विकल्प हटा दिया गया है।

यह कदम उस समय उठाया गया है जब हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करने का फैसला लिया है मगर अभी तक नोटिफिकेशन नहीं निकल पाई है। लोहड़ी के दिन हुई सुक्खू सरकार की पहली कैबिनेट में कांग्रेस की पहली गारंटी यानी पुरानी पेंशन को बहाल करने के वादे को पूरा करने पर मुहर लगाई गई थी।

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कर्मचारियों की सभा में मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि उसी शाम को नोटिफिकेशन भी आ जाएगी मगर तीन हफ्ते से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी यह नोटिफिकेशन नहीं आ पाई है। अभी तक एक ऑफिस मेमो ही सामने आया है जिसमें विभागों को इस संबंध में कार्यवाही करने के लिए कहा गया था।

ओपीएस बहाली को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि छत्तीसगढ़ के फॉर्मूले के आधार पर हिमाचल ने अपना फार्मूला तैयार किया है। सीएम ने कहा था कि अधिकारी ना-नुकर रहे थे मगर उन्होंने अधिकारियों को बताया कि कैसे ओपीएस लागू होगी। मगर यह फॉर्मूला क्या है, अब तक पता नहीं चल पाया है।

इसी बीच कर्मचारियों के अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई है क्योंकि एनएसडीएल ने अपनी वेबसाइट के पैसा निकालने का विकल्प हटा दिया है जबकि हिमाचल सरकार की ओर से ओपीएस बहाली की घोषणा के बावजूद उनके वेतन से एनपीएस का शेयर कट रहा है। दरअसल कर्मचारी अपने सेवा काल में तीन बार अपनी ओर से जमा राशि का 25 फीसदी तक निकाल सकते हैं। वेबसाइट पर आवेदन करने पर एक हफ्ते के अंदर यह रकम कर्मचारियों के खाते में आ जाती है। मगर अब वेबसाइट पर यह विकल्प नहीं दिख रहा।

दलाइलामा का भरोसेमंद स्निफर डॉग डूका 12 साल बाद रिटायर, लगेगी बोली

मृत्युंजय पुरी, धर्मशाला।। बौद्ध धर्मगुरु दलाइलामा के हिमाचल में होने वाले कार्यक्रमों से पहले सुरक्षा जांच करने वाला स्निफर डॉग डूका अब ड्यूटी पर नजर नहीं आएगा। डूका नाम का स्निफर लैब्राडोर डॉग 12 साल की सेवाओं के बाद रिटायर हो रहा है।

सूंघने की जबरदस्त क्षमता के लिए मशहूर डूका विस्फोटकों को ट्रेस करने के लिए मशहूर है। अपनी 12 साल की सेवाओं के बाद डूका को रिटायर करने का फैसला लिया गया है। पुलिस विभाग 7 फरवरी को मैक्लोडगंज पुलिस लाइन में शिव मंदिर के समीप इसकी नीलामी करेगा।

दलाइलामा की सुरक्षा में तैनात डीएसपी नितिन चौहान ने खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि डूका की सबसे बड़ी खूबी विस्फोटकों से पुलिस को आगाह करना है। वह दलाइलामा के कार्यक्रमों से पहले आयोजन स्थल पर रैकी करता था, उसके बाद कार्यक्रम सेफ समझे जाते थे।

साल 2010 में डूका को आर्मी ट्रेनिंग सेंटर से एक लाख 23 हजार रुपये देकर लाया गया था। उस समय यह सात माह का था। उसकी कुछ ट्रेनिंग यहां हुई। उसके बाद वह लगातार एक सोल्जर की तरह अपनी सेवाएं दे रहा था।

क्या खाता है डूका
डूका को सुबह दूध के साथ अंडा चाहिए। इसके अलावा 200 ग्राम रोटी उसकी सुबह की डाइट में शामिल है। डूका के केयर टेकर राजीव पटियाल ने बताया कि शाम के समय उसे 400 ग्राम मटन के साथ 300 ग्राम सब्जी व रोटी दी जाती है। डूका की फीमेल 6 साल की है। उसका नाम ओलिव है।

क्यों महंगा है डूका
पचानवे प्रतिशत लैब्राडोर शांत स्वभाव के होते हैं। अमूमन लैब्राडोर डॉग की कीमत दस से 25 हजार तक होती है लेकिन डूका जैसे स्निफर को उनकी ट्रेनिंग के कारण ज्यादा कीमती माना जाता है। लैब्राडोर की औसत उम्र 15 साल होती है लेकिन 12 साल के बाद ज्यादातर फिट नहीं रहते।

वंदे भारतम् कार्यक्रम रहा गणतंत्र दिवस की परेड के मुख्य आकर्षणों में एक, देखें तस्वीरें

नई दिल्ली। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय का सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘वंदे भारतम’ कार्यक्रम गुरुवार को नई दिल्ली में कर्तव्य पथ पर राष्ट्रीय गणतंत्र दिवस समारोह में प्रमुख आकर्षणों में से एक रहा। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता से चुने गए 479 कलाकारों ने ‘नारी शक्ति’ विषय पर पूरे देश के सामने प्रदर्शन किया।

भव्य परेड के दौरान, कलाकारों ने अपने जीवंत और ऊर्जावान प्रदर्शन के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और एक भारत, श्रेष्ठ भारत की सच्ची भावना में भारत की विविध सांस्कृतिक एवं कलात्मक विरासत को प्रदर्शित किया। वंदे भारतम कार्यक्रम के लिए संगीत राजा भवतारिणी और आलोकनंदा दास गुप्ता द्वारा तैयार किया गया था और रचना हिंदुस्तानी, कर्नाटक और समकालीन जैज तत्वों से ओत-प्रोत है।

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गणतंत्र दिवस समारोह में आज कर्तव्य पथ पर संस्कृति मंत्रालय की ‘शक्ति रूपेण संस्थिता’ शीर्षक वाली रंगीन झांकी भी दिखाई गई। झांकी देवी के ‘शक्ति’ रूप पर आधारित है। इस झांकी के माध्यम से कई लोकनृत्यों को एक मंच पर उतारा गया।

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में ‘वंदे भारतम् नृत्य उत्सव’ का आयोजन किया जाता है। यह एक अखिल भारतीय नृत्य उत्सव है, जिसका उद्देश्य लोगों के बीच ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को बढ़ावा देना, नृत्य के माध्यम से पूरी दुनिया में इसकी जीवंतता को दर्शाना है। देश के हर कोने के कलाकारों ने इसके दूसरे आयोजन के लिए प्रतियोगिता पास की है, जो 15 अक्टूबर, 2022 को प्रारंभ हुई। इस प्रतियोगिता में तीन चरण – राज्य, अंचल एवं राष्ट्रीय थे तथा प्रतिभागिता हेतु निर्धारित आयु सीमा 17 से 30 वर्ष थी। प्रतियोगिता का ग्रैंड फिनाले 19 और 20 दिसंबर, 2022 को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित किया गया था।

प्रदेश में उत्साह के साथ मनाया गया गणतंत्र दिवस, शिमला में राज्यपाल ने ली सलामी

शिमला।। देश का 74वां गणतंत्र दिवस आज पूरे प्रदेश में हर्षोल्लास व उत्साह के साथ मनाया गया। राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शिमला के ऐतिहासिक रिज पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में तिरंगा फहराया और मार्च पास्ट की सलामी ली।
परेड का नेतृत्व 22-जम्मू और कश्मीर राइफल्स के परेड कमांडर लेफ्टिनेंट करण गोगना ने किया। समारोह में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू भी विशेष रूप से उपस्थित थे।

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मार्च पास्ट में सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, हिमाचल प्रदेश सशस्त्र पुलिस, उत्तराखंड पुलिस, गृह रक्षक, अग्निशमन सेवाएं और हिमाचल प्रदेश डाक सेवाएं, आपदा प्रबन्धन, पूर्व सैनिक, एन.सी.सी. व एन.एस.एस. और भारत स्काउट एवं गाईड की टुकड़ियों ने हिस्सा लिया।

गणतंत्र दिवस समारोह में प्रदेश सरकार की विकासात्मक योजनाओं और कार्यक्रमों को दर्शाती आकर्षक झांकियां भी प्रस्तुत की गईं। इस अवसर पर सूचना एवं जन संपर्क द्वारा लोक कल्याण एवं समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए वर्तमान राज्य सरकार के निर्णयों और महत्वाकांक्षी पहल पर आधारित नाटिका प्रस्तुत की गई।

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इस अवसर पर चंबा, हमीरपुर, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र जम्मू-कश्मीर, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय आनी, जिला कुल्लू, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उत्तराखंड तथा जिला किन्नौर के सांस्कृतिक दलों ने आकर्षक प्रस्तुतियां दीं।
कार्यक्रम में पुलिस बैंड की मनमोहक प्रस्तुति भी आकर्षण का केन्द्र रहीं। पर्यटन विभाग की झांकी को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया।

इस अवसर पर राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश देते हुए सुख-आश्रय कोष में अधिक से अधिक अंशदान करने की अपील की। मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, मुख्य संसदीय सचिव मोहन लाल ब्राक्टा, विधायक हरीश जनारथा, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू, वरिष्ठ नागरिक, पुलिस और सैन्य अधिकारी, गणमान्य व्यक्ति और भारी संख्या में लोग इस अवसर पर उपस्थित थे।

अंग्रेज चुनौती न देते तो शायद हम अपना संविधान न बना पाते

राजेश वर्मा।। अंग्रेज़ी हुकूमत अडिग रही कि वह उनके लिए संविधान नहीं लिखेगी, तत्कालीन भारतीय सचिव लॉर्ड बिरकेनहेड ने 1925 में भारतीयों को हाउस ऑफ लॉर्ड्स में चुनौती देते हुए ललकार कर कहा कि ‘ … उन्हें (भारतीयों को) एक ऐसा संविधान बनाने दें जो भारत के महान लोगों के बीच सामान्य समझौते का एक उचित उपाय करता हो। …’। अर्थात ऐसी वैकल्पिक योजना के साथ आने की चुनौती दी जो सभी भारतीयों को स्वीकार्य हो।
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द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन में बनी लेबर पार्टी की सरकार ने 1946 में कैबिनेट मिशन की स्थापना कर दी, भारत आकर मिशन ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग से बातचीत करके संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को की।
संविधान सभा के सदस्य वयस्क मताधिकार के आधार पर निर्वाचित हुए और इनका चुनाव जुलाई 1946 में संपन्न हुआ। 6 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की स्थापना हुई। कांग्रेस के 208 सदस्य, मुस्लिम लीग के 73 व अन्य 15 सदस्य निर्वाचित हुए। कुल 296 सदस्यों का चुनाव हुआ जबकि 93 सदस्य देसी रियासतों द्वारा मनोनीत हुए। इस तरह संविधान सभा में कुल 389 सदस्य बने । 11 दिसंबर 1946 को डाक्टर राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुन लिया गया। 15 अगस्त को देश स्वतंत्र हुआ लेकिन दो भागों में विभाजित हो गया। नए भारत के लिए संविधान सभा का कार्य बहुत महत्वपूर्ण हो चुका था। देश के सभी लोगों के लिए अधिकारों के साथ-साथ नए कानून बनाने की जिम्मेदारी भी संविधान सभा की थी। इसके लिए बहुत सी कमेटियां बनायी गयी।
29 अगस्त 1947 को गठित संविधान सभा की प्ररूप समिति का अध्यक्ष डाक्टर भीम राव आंबेडकर को बनाया गया। 1946 में संविधान लिखने के लिए बनायी गयी कमेटी के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे, आसिफ अली, के टी सिंह, डाक्टर गॉडगिल, के एम मुंशी, हुमायूं कबीर, आर संथानम तथा एन. गोपाल स्वामी आयंगर इस कमेटी के सदस्य थे। जवाहरलाल नेहरू के अलावा सरदार पटेल, डाक्टर राजेंद्र प्रसाद और मौलाना आज़ाद ने भी संविधान निर्माण में अपना-अपना योगदान दिया लेकिन इन सबके बावजूद संविधान को बनाने और इसे पार्लियामेंट से पास करवाने का श्रेय डाक्टर भीम राव आंबेडकर को जाता है।
भारतीय नागरिकों को बराबरी का दर्जा चाहे वह मताधिकार की बात हो, छुआछूत के भेदभाव को ख़त्म करने की बात हो, धार्मिक स्वतंत्रता, सामाजिक व न्यायिक समानता,लैंगिक समानता जिनमें महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने, पिछड़े व अछूत समझे जाने वाले वर्ग के लोगों को नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की आदि बात हो यह सब व्यवस्थाएं संविधान लागू होने से पहले किसी ने सपने में भी नहीं सोची थी, डाक्टर भीम राव आंबेडकर ने संविधान को इतना लचीला रखा कि जरूरी होने पर इसमें संशोधन भी किया जा सकता है।
भारत देश को एकजुट रखने के लिए पूरे देश के ज्यूडिशियल ढांचे व अखिल भारतीय सेवाओं की नीवं भी इनकी ही देन है जिसका प्रावधान संविधान में हुआ है।
संविधान को बनने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लगा। 7600 के लगभग प्रस्ताव संशोधन के लिए सामने आए जिसमें से 2473 प्रस्तावों पर बहस उपरांत निपटारा किया गया। दिलचस्प बात यह भी है कि पूरा संविधान हाथ से लिखा गया,
संविधान को लिखने में जो 432 निब घिस गईं थी इन्हें इंग्लैंड से मंगावाया गया था।
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देश के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 नवंबर 1949 को पार्लियामेंट में डाक्टर आंबेडकर की तारीफ करते हुए कहा था कि ” मैंने संविधान बनते देखा है, जिस लगन और मेहनत से संविधान प्रारूप समिति के सदस्यों और विशेषता डाक्टर आंबेडकर ने अपनी खराब सेहत के वाबजूद काम किया, मैं समझता हूँ कि डाक्टर आंबेडकर को इस समिति का अध्यक्ष बनाने के सिवाए कोई और अच्छा कार्य हमनें नहीं किया। उन्होंने न केवल अपने चुनाव को सही साबित किया बल्कि अपने कार्य को भी चार चांद लगा दिए।
(स्वतंत्र लेखक राजेश वर्मा लम्बे समय से हिमाचल से जुड़े विषयों पर लिख रहे हैं। उनसे vermarajeshhctu@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)