इंटरव्यू बंद करने के ऐलान के बावजूद 2000 पदों के लिए इंटरव्यू की तैयारी

इन हिमाचल डेस्क।। जिस साल चुनाव होते हैं, उसी साल विभिन्न विभागों में रिक्तियां निकालने को लेकर सरकारों की मंशा पर ‘इन हिमाचल’ हमेशा से सवाल उठाता रहा है। प्रश्न यह है कि क्यों सरकारों को 4 साल तक विभिन्न विभागों में खाली हुए पदों की कोई फिक्र नहीं होती और अचानक पांचवें साल ऐसा क्यों होता है कि सारे विभागों में नौकरियों की बाढ़ आ जाती है। प्रदेश का बुद्धिजीवी वर्ग और समाचार पत्र तक सवाल उठाते रहे हैं कि चुनावी साल में होने वाली भर्तियों में जमकर सत्ताधारी पार्टियां और उसके नेता अपने लोगों को नौकरियां बांटते हैं। इसमें सहारा लिया जाता है अपारदर्शी प्रक्रिया का, जिसमें तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की जॉब्स के लिए इंटरव्यू लिए जाते हैं। आरोप लगता रहा है कि इन इंटरव्यूज़ में उन लोगों को कम अंक दिए जाते हैं जिनके लिखित परीक्षा में ज्यादा अंक हों और इंटरव्यू में चहेतों को ज्यादा अंक दिए जाते हैं। इससे कुल अंक अपने लोगों के ज्यादा हो जाते हैं और उनकी नौकरी लग जाती है जबकि प्रतिभाशाली युवा बेरोजगार रह जाते हैं। इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए प्रदेश ीक मौजूदा वीरभद्र सरकार ने कुछ दिन पहले तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्तियों के लिए इंटरव्यू खत्म करने का ऐलान किया था और इस फैसले के लिए वाहवाही बटोरने की कोशिश भी की थी। मगर अब कुछ ऐसा हुआ है कि जिसने सरकार की इरादों पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। अब 2000 पदों के लिए इंटरव्यू लेने की तैयारी है।

हिंदी अखबार ‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल प्रदेश सरकार ने भले ही तृतीय आैर चतुर्थ श्रेणी में भर्ती के लिए साक्षात्कार समाप्त कर दिए हैं, लेकिन भर्ती के लिए इंटरव्यू खत्म होनेे के एक महीने बाद ही खत्म करने की अवधि को दो महीने आैर बढ़ाने की तैयारी है। अखबार की रिपोर्ट में लिखा है- राज्य कर्मचारी आयोग में जूनियर असिस्टेंट आईटी, पुलिस में सब इंस्पेक्टर आैर जूनियर इंजीनियर की भर्ती के लिए साक्षात्कार करवाने की मंजूरी देने की फाइल सीएम ऑफिस में मंजूरी के लिए भेजी है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्य कार्मिक विभाग ने 17 अप्रैल को साक्षात्कार बंद करने के निर्देश जारी किए थे। इसमें साफ था कि 31 मई के बाद तृतीय आैर चतुर्थ श्रेणाी की भर्ती के लिए किसी भी तरह से साक्षात्कार नहीं हो सकेंगे। इसके बाद से लगातार 1400 पदों पर जूनियर असिस्टेंट आईटी सहित चार अन्य वर्गों की भर्ती के लिए साक्षात्कार होने या न होने पर संशय बना था। इसमें साक्षात्कार करवाने के मामले को लेकर राज्य सरकार के आला अधिकारियों आैर सीएम से भी मिले। इसमें आयोग के अध्यक्ष आैर सदस्यों ने तर्क दिया था कि 17 मई से 31 मई के बीच 1400 पदों के लिए साक्षात्कार पूरे नहीं हो सकेंगे। इसलिए इसमें साक्षात्कार लेने हैं या नहीं, इस पर स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए। इस मामले में कार्मिक विभाग ने दो दिन पहले साफ कर दिया था कि साक्षात्कार किसी स्थिति में नहीं होंगे।

‘भास्कर’ ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि मंगलवार को इसके बाद कार्मिक विभाग ने 31 मई की तिथि को 31 जुलाई तक बढ़ाने का मामला सरकार की मंजूरी का मामला सीएम आफिस को भेजा है। इस पर मंजूरी मिली तो राज्य में इन 2000 पदों पर भर्ती के लिए दोबारा से साक्षात्कार हो सकते हैं। इससे नई व्यवस्था से साक्षात्कार की तैयारी कर रहे युवाआें को दोबारा से पुरानी व्यवस्था से साक्षात्कार में एपियर होना पड़ेगा।

अब कमेटी के हाथों में होंगे अंक
पुरानी व्यवस्था में साक्षात्कार के अंक इंटरव्यू कमेटी के हाथ में होंगे। कमेटी अपने हिसाब के प्रत्याशी के व्यवहार, प्रस्तुति से लेकर उनके सवालों को आधार बना कर अंक दे सकेगी। हालांकि नई व्यवस्था के तहत यदि साक्षात्कार लिए जाते हैं तो आवेदकों को शैक्षणिक योग्यता के आधार पर ही अंक मिल जाएंगे। इसमें किसी तरह के विवाद की आशंका खत्म हो जाएगी।

अखबार ने भी उठाए कई सवाल 
‘दैनिक भास्कर’ ने भी इस मामले में कई शवाल उठाए हैं। अखबार लिखता है- आखिर पुरानी व्यवस्था इतनी पसंद क्यों पुरानी व्यवस्था में चयन प्रक्रिया पर सवाल उठते रहे हैं। कई मामलों में तो भर्ती प्रक्रिया को न्यायालय को चुनौती दी जाती रही है। इसे खत्म करने के लिए कार्मिक विभाग ने भारी मशक्कत के बाद नए सिस्टम को शुरू किया था, लेकिन अब दो हजार पदों को चुनावी साल में भरने के लिए पुरानी व्यवस्था को ही तव्वजों क्यों दी जा रही है। इसका सवाल साक्षात्कार में भर्ती होने कोे परेशानी में डाल रहा है ।

इस मसले पर कार्मिक विभाग के इस प्रस्ताव को सीएम की मंजूरी मिल जाती है तो इसे कैबिनेट में ले जाना होगा। हालांकि उम्मीद है कि सीएम ऑफिस की मंजूरी के बाद साक्षात्कार लेने की तारीख को 31 जुलाई बढ़ा दिया जाएगा। इसकी एक्सफोक्टो मंजूरी बाद में कैबिनेट से ले ली जाएगी। देने होंगे इंटरव्यू इन पदों के लिए उम्मीदवारों को साक्षात्कार की प्रक्रिया से गुजरना होगा। चूंकि पहले विज्ञापित हुए पदों में यह नियम लिखे गए थे। सरकार किसी कानूनी पचड़े में न पड़ने की बजाय ऐसे उम्मीदवारों का साक्षात्कार लेने के बाद ही नियुक्ति करेगी।

777888999 से कॉल आने पर क्या फट जाएगा आपका स्मार्टफोन?

इन हिमाचल डेस्क।। फेसबुक और वॉट्सऐपर कुछ लोग एक मेसेज को धड़ल्ले से शेयर कर रहे हैं। इस मेसेज में कहा जा रहा है कि 777888999 से फोन आए तो उसे बिल्कुल मत उठाना नहीं तो मौत हो जाएगी। कहा जा रहा है कि 9 डिजिट्स वाला यह नंबर कई लोगों की जान ले चुका है। सच बात तो यह है कि यह पूरी बात अफवाह है और हकीकत से इसका कोई लेना-देना नहीं है।

दरअसल किसी नंबर से कॉल आने पर फोन का फटना संभव नहीं है। दूसरी बात यह है कि नंबर 9 डिजिट्स का है, इसलिए भारत में काम ही नहीं करेगा। भले ही यह विदेशी नंबर हो, तब भी ऐसे नंबर से कॉल नहीं आएगा क्योंकि उससे पहले कंट्री कोड जुड़ा होगा। वैसे भी अब तक कोई भी ऐसी खबर नहीं आई है कि इस नंबर से फोन आने पर फोन फटा हो। यानी किसी ने अपने दिमाग से ये अफवाह उड़ा दी।

गौरतलब है कि इस तरह की अफवाहें नई नहीं हैं। पहले भी एक अफवाह आई थी कि किसी विशेष नंबर से कॉल आने पर फोन की स्क्रीन का रंग बदल जाएगा और कुछ ही पलों में बैटरी में आग लग जाएगी। अब यही अफवाह नए रूप में सामने आई है। ध्यान दें कि सोशल मीडिया पर आने वाले सभी मेसेज सच्चे नहीं होते। इसलिए किसी भी मेसेज पर यकीन करने और उसे आगे बढ़ाने से पहले उसकी जांच कर लें।

कंडाघाट के 35 गांवों की महापंचायत का फैसला- विवादित बाबा को घुसने नहीं देंगे

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, सोलन।। सोलन के कंडाघाट के विवादित बाबा अमरदेव को लेकर विवाद जारी है। तेंदुओं की खालें रखने, वनभूमि कब्जाने और महिला पर तलवार से हमला करने जैसे संगीन आरोपों से घिरे बाबा के सत्ताधारी नेताओं से संबंध छिपे नहीं है। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद तो कंडाघाट पुलिस स्टेशन का सारा स्टाफ ही ट्रांसफर हो गया था। अब 35 गांवों की महापंचायत ने फैसला किया है कि बाबा को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा।

इस बीच सोलन के उपायुक्त राकेश कंवर ने रामलोक मंदिर का जायजा लिया। उपायुक्त ने विश्वास दिलाया कि मसले का सौहार्दपूर्ण तरीके से हल निकाला जाएगा। इस दौरान ग्रामीणों ने डीसी से आग्रह किया कि सरकार को अवगत करवाया जाए कि रूढ़ा गांव में बाबा अमरदास को स्थानीय लोग नहीं रखना चाहते। ग्रामीणों ने आश्वासन दिलाया कि रामलोक मंदिर के संंबंध में सरकार का जो भी निर्णय होगा, उसे ग्रामीण सहर्ष स्वीकार करेंगे।

बाबा और मुख्यमंत्री की मुलाकात के कुछ ही घंटों में कंडाघाट पुलिस स्टेशन का पूरा स्टाफ हुआ था ट्रांसफर

स्थानीय लोगों ने साफ शब्दों डीसी को भी कहा है कि बाबा अमरदास को यहां न रहने दिया जाए। उपायुक्त ने भी ग्रामीणों को विश्वास दिलाया कि समस्त क्षेत्रवासियों की भावना से राज्य सरकार को अवगत करवाया जाएगा। उन्होंने ग्रामीणों से शांति व कानून व्यवस्था बनाए रखने का आग्रह किया। ग्रामीणों द्वारा बुलाई गई महा पंचायत के मद्देनजर प्रशासन ने  पूरी तैयारियां की हुई थीं।

गौरतलब है मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का कहना है कि बाबा और लोगों के बीच कुछ गलतफहमियां हैं जो जल्द दूर हो जाएंगी। इस मामले की सभी खबरें पढ़ने और विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।

कांगड़ा: दहेज मांगने के आरोप में दुल्हन ने लौटाई बारात, दूल्हे के पिता ने कहा- आरोप बेबुनियाद

कांगड़ा।। कांगड़ा के ज्वाली में एक युवती की शादी होने जा रही थी। शादी के लिए एक मैरिज पैलेस की बुकिंग की हुई थी। यहां पर बैजनाथ से बारात आनी थी। खबरों के मुताबिक बारात आने तक सब कुछ सही रहा मगर आरोप है कि सात फेरों से पहले दूल्हे वालों ने दहेज की मांग रख दी। मगर दूल्हे के पिता का कहना है कि आरोपों को कोई आधार नहीं है।

लगभग सभी मीडिया संस्थानों की खबरों में कहा गया है कि जब दुल्हन को उसके परिवारवालों ने इसकी जानकारी दी तो उसने दहेज मांगने वाले दूल्हे को सबक सिखाते हुए सबके सामने खरी-खरी सुना दी और तुरंत बारात लेकर लौटने को कहा। दूसरी ओर मामले को बढ़ता देख बाराती वापस चले गए। दूल्हे को भी बिना दुल्हन के ही लौटना पड़ा।

दुल्हन के परिजनों का कहना है कि दूल्हे पक्ष की ओर से 2 दिन पहले फोन कर पूछा गया था कि वे शादी में क्या दे रहे हैं। इसे दुल्हन पक्ष के लोगों ने हल्के में लिया। मगर जब कुछ नहीं मिला तो दूल्हे पक्ष ने मंडप पर ही दहेज की मांग रख दी। पुलिस ने दूल्हे के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। डीएसपी कांगड़ा सुरेंद्र शर्मा ने मामले की पुष्टि की है।

इस बीच ‘इन हिमाचल’ ने दूल्हे वालों का पक्ष भी पाठकों के सामने रखना चाहा। दूल्हे के पिता का कहना है कि आरोप निराधार हैं और दुल्हन पक्ष की ओर से साजिश की जा रही है। उनका कहना है कि दहेज की मांग करना तो दूर, दुल्हन वाले पहले ही शादी तोड़ने का मन बनाकर आए थे। उन्होंने कहा कि बारात पहुंचने पर कोई भी रिसीव करने नहीं आया और कुछ लोगों को बुलाकर कहा गया कि वापस लौट जाए वरना अच्छा नहीं होगा। लड़की को बुलाया गया तो उसने भी शादी से इनकार कर दिया।

उन्होंने कहा  कि 1 साल पहले तय हुई शादी के लिए भला 2 दिन पहले क्यों दहेज मांगा जाता और शादी वाले दिन क्यों मांगा जाता। उल्टा उन्होंने कहा कि लड़की वालों ने खुद पूछा था एक बार कि क्या चाहिए आपको तो हमने कहा था कि कुछ नहीं चाहिए। लगता है कि वे लोग कहीं और शादी करने के इच्छुक हैं। अगर इस बारे में पहले ही बता दिया होता तो हम बारात लेकर ही न जाते और मानसिक प्रताड़ना न होती।

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)

रामपुर में ईसाई समुदाय के कार्यक्रम को लेकर का बवाल

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। शिमला के रामपुर में ईसाई मिशनरी के एक धार्मिक समारोह को लेकर हंगामा हो गया। एक हिंदूवादी संगठन ने इस कार्यक्रम का विरोध किया। आयोजन स्थल पर टकराव की स्थिति बन गई। बाद में प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर समारोह को बंद करवा दिया। घटना रामपुरके सरकारी स्कूल की है।

यह है मामला
रामपुर की लोकल क्रिश्चन सभा ने स्कूल के ऑडिटोरियम में दो दिन का महासत्संग कार्यक्रम रखा था, जिसकी शुरुआत रविवार से हुई थी। क्रिश्चन सभा ने कार्यक्रम के लिए स्कूल के प्राधानाचार्य से अनुमति ली हुई थी। आज दिन में जब कार्यक्रम शुरू करने क्रिश्चन सभा के सदस्य स्कूल पहुंचे, तो हिंदू संगठन ‘देव संस्कृति मंच’ के भी कई पदाधिकारी यहां जुट गए। ये लोग इस कार्यक्रम को रद्द करने की बात करने लगे। उनका आरोप था कि इस तरह के कार्यक्रमों का आड़ लेकर ईसाई मिशनरी धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देते हैं।

कार्यक्रम की अनुमति रद
कार्यक्रम में अड़ंगा अड़ाने से क्रिश्चन सभा के सदस्य भड़क गए और दोनों पक्षों के बीच जोरदार बहस होने लगी। स्थिति बिगड़ती देख पुलिस और प्रशासन भी मौके पर पहुंच गए। एसडीएम रामपुर निपुण जिंदल ने दोनों पक्षों से बातचीत कर मामला सुलझाया। उन्होंने तनाव बढ़ने की आशंका के मददेनजर कार्यक्रम को स्कूल में आयोजित करवाने की अनुमति रद कर दी।

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कोई मामला दर्ज नहीं हुआ
एसडीएम निपुण जिंदल ने बताया कि रामपुर के सरकारी स्कल में इसाई समुदाय के धार्मिक कार्यक्रम को लेकर एक संगठन को आपति थी। दोनों पक्षों से बातचीत के बाद मामला सुलझा लिया गया है और इस कार्यक्रम को स्कूल में करवाने की अनुमति वापिस ले ली गई है। उन्होंने कहा कि ईसाई समुदाय का यह प्रस्तावित दो दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम अब रामपुर के सरकारी स्कूल के भवन में नहीं होगा। इस मामले में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।

कांगड़ा में अब नशे के सौदागरों और शराब पीकर हंगामा करने वालों की खैर नहीं

कांगड़ा।। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस संजीव गांधी ने फेसबुक प्रोफाइल SP Kangra पर शुक्रवार सुबह एक पोस्ट डाली है। इसमें उन्होंने बताया है कि आज क्राइम मीटिंग के दौरान हमने क्राइम सिचुएशन को रिव्यू करने के बाद कुछ फैसले लिए हैं। मीटिंग की तस्वीरें शेयर करने के साथ उन फैसलों की जानकारी दी गई है, जिनपर कांगड़ा पुलिस का फोकस रहेगा। इस पोस्ट में उन्होंने 8 मुख्य पॉइंट्स शेयर किए हैं। अगर आप कांगड़ा जिले में रहते हैं तो इन बिंदुओं का आपसे सीधा सरोकार है। साथ ही उम्मीद की जानी चाहिए कि अन्य जिलों की पुलिस भी इसी तर्ज पर विशेष अभियान चलाएगी।

कांगड़ा जिले में नशे के काले कारोबार की रीढ़ तोड़ने वाले आईपीएस ऑफिस संजीव गांधी ने जो 8 पॉइंट्स शेयर किए हैं, वे इस तरह से हैं-

1. 15 दिनों में सभी शिकायतों का निपटारा किया जाएगा।

2. नशे के उन कारोबारियों की पहचान के लिए अभियान चलाया जाएगा जो पहले पकड़े जा चुके हैं और जिन्होंने दोबारा यह काम शुरू कर दिया है।

3. अवैध खनन पर लगाम लगाई जाएगी।

4. बच्चों को स्कूल ले जाने वाले वाहनों की ओवरलोडिंग और यातायात नियमों के उल्लंघन पर लगाम कसने के लिए स्पेशल अभियान लगाया जाएगा। ओवरस्पीडिंग पर भी हमारा फोकस होगा।

5. हम ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान चलाएंगे जो खुले में शराब पीकर जनता के लिए परेशानी खड़ी करते है।

6. हमने अनैतिक तस्करी वाली जगहों की पहचान की है। इस तरह की गलत गतिविधियों पर हमरा फोकस ज्यादा होगा।

7. धार्मिक और पर्यटन स्थलों के पास भिखारियों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।

8. टूरिज्ट सीजन के दौरान ट्रैफिक मैनेजमेंट पर भी फोकस होगा।

Impact: बीड़-बिलिंग में बिना लॉग बुक भरे उड़ान भर रहे पायलट्स के लाइसेंस जब्त

बैजनाथ।। कांगड़ा जिले की दुनिया भर में प्रसिद्ध पैराग्लाइडिंग साइट बीड़-बिलिंग में करीब 12 पायलटों के लाइसेंस जब्त कर लिए गए है। पर्यटन विभाग के DTDO जगन ठाकुर ने 5 सदस्यों की टीम के साथ यह कार्रवाई की। टीम ने गुरुवार को पैराग्लाइडिंग साइट का सरप्राइज इंस्पेक्शन किया और वे यह देखकर सरप्राइज्ड रह गए कि लगभग एक दर्जन पायलट लॉग बुक नहीं भर रहे थे।

गौरतलब है कि ‘In Himachal’ ने कुछ दिन पहले मुद्दा उठाया था कि यहां से  ऐसे पायलट भी उड़ान भर रहे हैं जिन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है। साथ ही पर्यटकों से दुर्व्यवहार के मामलों को लेकर भी हमने प्रश्न उठाया था कि कोई बीड़ और बिलिंग में कोई भी रेग्युलेटरी बॉडी या उनके प्रतिनिधि न होने की वजह से वहां पर कल को कोई अप्रिय घटना हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा।

‘इन हिमाचल’ ने कुछ दिन पहले एक युवती द्वारा पायलट पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए जाने वाली खबर कवर करते हुए लिखा था, ‘बीड़-बिलिंग में शरारती तत्वों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। यहां पर टेंडम फ्लाइट्स तो भरी जा रही हैं मगर यह निगरानी करने के लिए कोई अधिकृत संस्था नहीं है जो लोग यहां टूरिस्ट्स को अपने साथ उड़ा रहे हैं, उनकी क्वॉलिफिकेश क्या है या वे कितने ट्रेन्ड हैं। इससे वे अपने साथ-साथ बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स की जान भी जोखिम में डाल रहे हैं। कुछ टूरिस्ट्स यहां तक शिकायत कर चुके हैं कि पायलट्स चरस और गांजा पीकर उड़ाने भरते हैं।’

पढ़ें: पायलट पर युवती ने लगाया छेड़छाड़ का आरोप

अब विभाग ने हरकत में आते हुए बी.पी.ए. के प्रतिनिधियों से बैठक कर 15 मई को सभी पायलटों के दस्तावेजों की जांच करने के साथ-साथ उनके मेडिकल और बीमा को सुनिश्चित करने का फैसला लिया है। बिलिंग पैराग्लाइडिंग असोसिएशन के के प्रतिनिधि सुरेश ठाकुर का कहना है कि  सोमवार तक पैराग्लाडिंग की उड़ानें पूरी तरह बंद रहेंगी।

हिमाचल प्रदेश के मंत्री कर्ण सिंह का दिल्ली एम्स में निधन

नई दिल्ली।। हिमाचल प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कर्ण सिंह नहीं रहे। गुरुवार रात दो बजे दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया। आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री रहे कर्ण सिंह पिछले कुछ समय से किडनी की समस्या से जूझ रहे थे। वह अपने पीछे पत्नी शिवानी सिंह और बेटे आदित्यविक्रम सिंह को छोड़ गए हैं। गौरतलब है कि कर्ण सिंह के एक बेटे का काफी साल पहले एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। कुल्लू राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले कर्ण सिंह बीजेपी नेता और कुल्लू के विधायक महेश्वर सिंह के छोटे भाई थे।

कर्ण काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने उनका विभाग अपने पास ले लिया था। कर्ण सिंह का जन्म 14 अक्टूबर 1957 को हुआ था। पॉलिटिकल साइंस में बीएस ऑनर्स की पढ़ाई की। वह तीन बार विधायक रहे और 2 बार मंत्री बने। कर्ण सिंह पहली बार 1990 में बीजेपी के टिकट पर बंजार से विधायक बने। 1998 में भी इसी सीट पर बीजेपी के टिकट से जीतकर विधायनसभा पहुंचे। तब उन्हें प्राथमिक शिक्षा मंत्री बनाया गया था। 2003 में उन्हें मनाली से उतारा गया मगर वह चुनाव हार गए।

राजनीतिक मतभेद के चलते कर्ण सिंह ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस जॉइन की। 2012 में बंजार से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की। वीरभद्र कैबिनेट में उन्हें आयुर्वेद और सहकारिता मंत्री बनाया गया था।

शहीद बलदेव कुमार शर्मा के परिवार से किए वादे भूल गई सरकार

इन हिमाचल डेस्क।। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में 25 जवान शहीद हो गए। यह पहली घटना नहीं थी। CRPF के जवान लगातार अशांत इलाकों में निष्ठा से जुटे हुए हैं। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के सूबेदार बलदेव कुमार शर्मा और उनकी बटालियन पिछले साल मई महीने में मणिपुर में एक जगह पर हुए भूस्खलन को ठीक की जांच कर रहे थे। इसी दौरान उनपर हमला कर दिया गया है। सूबेदार बदलेव कुमार शर्मा इस हमले में शहीद हो गए। सूबेदार शर्मा के परिवार को  आज तक सरकार की ओर से आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला है। बस 5 लाख में से 1.5 लाख रुपये मिले हैं जिससे जीवनयापन मुश्किल है। परिवार को नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था मगर शहीद का बेटा आज तक उस नौकरी को पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। परिवार के सामने कई चुनौतियां हैं। बेटी प्रियंका कहती है कि पैसों से क्या होगा, मेरे पिता तो वापस नहीं आएंगे। वह याद करके बताती है कि कैसे उसके पिता अक्सर सुबह ब्रश करते समय उसके साथ मजाक किया करते थे। उस खेल को वो याद करके रो देती है।

इंडियाटाइम्स ने #ChildrenOfTerror #COTSeason2 के तहत इस बार शहीद शर्मा के परिवार से बात की है और उनकी समस्याओं को सामने लाने की कोशिश है। यह एक तरह से कोशिश है लोगों के हृदय बदलने की। खासकर उन लोगों की जो हिंसा के जरिए अपनी मांगों को मनवाने की सोच रखते हैं। इन बच्चों के दर्द को समझकर शायद चरमपंथ की राह पर निकले लोगों को दिल पसीज जाए। देखें, शहीद की बेटी प्रियंका शर्मा से बातचीत:

इससे पहले इंडियाटाइम्स हिमाचल प्रदेश के अन्य शहीदों के बच्चों की समस्याएं भी इस सीरीज के तहत उठा चुका है। देखें-

भावुक कर देती हैं शहीद आर.के. राणा की बहादुर बेटियों की बातें

रो पड़ेंगे हिमाचल के वीर शहीद की बहादुर बेटी की बातें सुनकर

धर्मशाला SkyWay: सपने दिखाने वाली कंपनी से MoU साइन करने में जल्दबाजी क्यों?

धर्मशाला।। धर्मशाला में स्ट्रिंग ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने बेलारूस की जिस कंपनी के साथ MoU साइन किया है, वह न सिर्फ अनुभवहीन है बल्कि विवादित भी है, यह बात हमने पिछली स्टोरी में बताई थी। हमने विस्तार से बताया है कि कैसे कई देशों में इस कंपनी के फंड जुटाने के तरीकों पर सवाल उठ चुके है। इस संबंध में हमने कुछ और तथ्य जुटाए हैं, जिनके बारे में हम इस स्टोरी में जानकारी देंगे। हमने पता लगाया है कि SkyWay कंपनी को बनाने के पीछे जिस शख्स का दिमाग है, उसकी छवि ठीक नहीं है। पूरी दुनिया में SkyWay नाम की  कई कंपनियां बनी और बंद हुई हैं। ऐसे में मौजूदा कंपनी की छवि देखते हुए आशंका यह भी पैदा हो रही है कि धर्मशाला SkyWay के नाम पर ठगी का शिकार हो सकता है। मगर पहले बात कर लेते हैं कि बेलारूस की जिस कंपनी ने अब तक अपने कॉन्सेप्ट को दुनिया में कहीं और इंस्टॉल नहीं किया, जिसके फंड जुटाने के तरीके संदिग्ध हैं, 1980 के दशक से लेकर आज तक जिसका प्रॉजेक्ट कहीं और नहीं लगा, उसे धर्मशाला में काम आखिर मिला कैसे।

अमूमन देखने को मिलता है कि अगर कहीं पर किसी चीज की जरूरत होती है तो यह तलाश की जाती है कि उस जरूरत को कौन पूरा कर सकता है। जब दिल्ली हैवी ट्रैफिक से जूझ रही थी, तब जरूरत महसूस हुई कि यहां वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम होना चाहिए जिससे सड़कों का बोझ कम हो। बात हुई कि यहां मास रैपिड ट्रांजिट के लिए मेट्रो इंस्टॉल होनी चाहिए। फिर तलाश शुरू हुई कि आखिर यह काम दिया किसे जाए क्योंकि भारत में तो किसी को मेट्रो बनाने का अनुभव नहीं था। तब DMRC ने हॉन्ग कॉन्ग MTRC को कंसल्ट किया था जो इस मामले में अनुभवी थी। मगर धर्मशाला में ऐसा नहीं हुआ कि धर्मशाला को किसी वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की जरूरत महसूस हुई हो और उसकी तलाश SkyWay पर आकर खत्म हुई। क्योंकि SkyWay न तो अपनी फील्ड की अनुभवी कंपनी है और न ही यह कोई प्रतिष्ठित कंपनी है कि दुनिया भर में इसका नाम हो। उल्टा यह तो विवादास्पद है। और तो और, इस कंपनी के अपने देश बेलारूस में भी SKyWay के String ट्रांसपोर्ट को टूरिज़म या यातायात के लिए इंस्टॉल नहीं किया गया है।

SkyWay ऐसे पहुंची धर्मशाला
दरअसल स्विट्जरलैंड की एक कंपनी है- Castor Consult AG। इसकी सीईओ Dorothea Jeger ने साल भर पहले एक फेसबुक पेज पर SkyWay की यूनीबस को देखा। रिसर्च किया तो पता चला कि स्काईवे टेक्नॉलजीज़ है बेलारूस में। कंपनी के प्रतिनिधि से संपर्क किया गया। फिर स्विट्जरलैंड में अपने बिजनस पार्टनर राजविंदर से बात की और कहा कि इंडिया में इसका स्कोप है। फिर राजविंदर ने यह प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा को दिया और यहीं से शुरुआत हुई। यह दावा हम नहीं कर रहे बल्कि  इस बात की जानकारी खुद Dorothea Jeger ने दी है। दरअसल स्काईवे ने प्रमोशन के लिए इंटरव्यू लिया है जिसमें उन्होंने यह बात कही है। वीडियो देखें:

Dorothea Jeger के मुताबिक उन्होंने पिछले साल सितंबर में मॉस्को स्थित में ऑफिस में एनातोली यूनित्स्की से मीटिंग की और फिर प्रॉजेक्शन स्टार्ट किया और अप्रैल के आखिरी हफ्ते में हिमाचल से डेलिगेशन को लेकर मिंस्क पहुंच गए(स्रोत)।  इस डेलिगेशन में सुधीर शर्मा के साथ धर्मशाला नगर निगम के प्रतिनिधि भी थे। सुधीर शर्मा ने अपने पेज पर इसकी तस्वीरें भी शेयर की हैं। इस कंसल्टेंसी ने SkyWay को झारखंड में भी कुछ लोगों से मिलवाया। गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने भी SKyWay के साथ लेटर ऑफ इंटेंट साइन किया है।

(L to R) Sudhir Sharma, Dorothea Jeger and Unitsky

यानी यह स्विस कंसल्टेंसी SkyWay के लिए प्रॉस्पेक्ट्स ढूंढ रही है। इस कंपनी की सीईओ Dorothea Jeger धर्मशाला में MoU साइन होते वक्त भी साथ रही। बहरहाल, कंसल्टेंसीज़ का काम ही होता है कंपनियों के प्रॉडक्ट्स या सर्विसेज के लिए क्लाइंट ढूंढना और अपना हिस्सा लेना। मगर प्रश्न उठता है कि जो लोग प्रॉडक्ट खरीद रहे हों, खासकर अपने पैसों के बजाय जनता के पैसों से जनता के लिए कुछ इन्वेस्ट करने जा रहे हों, उन्सें रिसर्च करना चाहिए या नहीं? हमने रिसर्च करके पिछले आर्टिकल में बताया था कि स्काइवे पर लुथिएनिया में सवाल उठ चुके है। इंटरनेट पर ऐसे लिंक्स की भरमार है जिनमें SkyWay Scam और SkyWay Capital Fraud सर्च करें तो असंख्य आर्टिकल मिलते हैं। मगर सिर्फ इंटरनेट की जानकारी पुख्ता नहीं हो सकती। इसके लिए हमने एक विश्वसनीय सूत्र, जो कि पूर्वी यूरोप में प्रतिष्ठित लॉयर है, को SkyWay Technologies के बारे में रिसर्च करने का काम सौंपा। उन्होंने जो जानकारी जुटाई है, वह हैरान करने वाली है। SkyWay टेक्नॉलजी की रेप्युटेशन वहां पर भी ठीक नहीं है और बेलारूस के इंजिनियर्स का मानना है कि स्ट्रिंग ट्रांसपोर्ट सिस्टम व्यावहारिक नहीं है। हम पिछले आर्टिकल में बता चुके हैं कि जिस टेक्नलॉजी को इंस्टॉल करने के लिए SkyWay से MoU साइन किया है, उसे यूनित्स्की ने डिजाइन किया था। धर्मशाला में स्काईवे के साथ MoU साइन करते वक्त यूनित्सकी भी वहां थे। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि बेलारूस के एक मीडिया संस्थान ने जब स्काइवे और यूनित्स्की की संदिग्ध योजनाओं पर सवाल उठाए थे तो यूनित्स्की ने उस मीडिया संस्थान पर केस किया था और कहा था कि मेरा तो SKyWay के साथ कोई रिश्ता ही नहीं। उन्होंने यह तक कह दिया था कि दुनिया में तो स्काईवे नाम की कई कंपनियां है, सबसे मेरा रिश्ता हो जाएगा? जानें, क्या-क्या पता चला तफ्तीश में:

SkyWay की रेप्युटेशन ठीक नहीं है
हमारे सूत्र ने बताया- यूनित्स्की के प्रॉजेक्ट और स्काइवे की रेप्युटेशन ठीक नहीं है। इसके दो मुख्य कारण हैं-

1) वे ऐसा आइडिया बेच रहे हैं जो व्यावहारिक नहीं है। बेलारूस में वैज्ञानिक मानते हैं कि वजन, टेंशन, रेजिस्टेंट और धातु की फिजिकल क्वॉलिटीज़ को देखते हुए वैसी स्ट्रिंग्स बनाना मुश्किल है, जिनकी बात यूनित्सकी करते हैं।

(2) बेलारूस पहला देश नहीं है कि जहां पर यूनित्स्की ने अपना प्रॉजेक्ट शुरू किया है। उन्होंने रूस में टेस्टिंग ग्राउंड बनाया था जो बंद हो गया। यूनित्स्की का दावा है मेरे खिलाफ बड़ी कंपनियों ने साजिश रचकर ऐसा करवाया।

बेलारूस को छोड़कर पूरी दुनिया से फंड जुटा रही है स्काइवे
स्काइवे पूरी दुनिया से फंड रेज़ कर रही है मगर बेलारूस से नहीं, जहां यूनित्स्की रहते है। स्काइवे को बेलारूस में टेस्टिंग ग्राउंड के लिए जमीन भी मिली है। यहां वे कंक्रीट और मेटल के स्ट्रक्चर से कुछ ऐसा बना रहे हैं जो न तो देखने में हाई-टेक लगता है और न ही कोई बड़ा महंगा प्रॉजेक्ट नजर आता है। हो सकता है कि यह जमीन स्काईवे को बेलारूस सरकार ने इन्वेस्टमेंट अग्रीमेंट के तहत दी हो। (हिमाचल सरकार का डेलिगेशन भी मिंस्क स्थित इसी जगह गया था)

स्पैमिंग वाले वीडियो कौन बना रहा है? 
स्काइवे अपने फंड्स को कंप्यूटर जेनरेटेड ड्राइंग्स (प्रॉजेक्ट की ड्राइंग्स ग्राफिक्स से बनाई जाती हैं क्योंकि मिंस्क के टेस्टिंग ग्राउंड के अलावा कंपनी के पास दिखाने को कुछ नहीं है), कार्टून्स पर इन्वेस्ट करती है। कंपनी यूट्यूब पर स्पैम वीडियो भी डालती है जिनके टाइटल इस तरह से है- “Why Skyway is a scam” या “Skyway fraud revealed”. दरअसल बहुत से लोग स्काइवे की संदिग्ध योजनाओं पर शक करके गूगल करते हैं तो उन्हें SkyWay द्वारा बनाए यही वीडियो नजर आते हैं। इन वीडियोज़ में स्काइवे का प्रमोशन किया गया होता है। ऐसे में आशंका यह है कि कंपनी की यह रणनीति भी रहती हो कि अगर कोई स्काईवे की आलोचना वाला असली वीडियो ढूंढना चाहे तो उसे न मिले। स्काइवे ने बहुत सी वेबसाइट्स पर अपना प्रमोशन किया है और यह स्पॉन्सर्ड इन्फर्मेशन सर्च रिजल्ट्स पर सबसे ऊपर आती है ताकि थर्ड पार्टी द्वारा मुहैया करवाई गई जानकारी आसानी से न मिल पाए।

स्पॉन्सर्ड कॉन्टेंट से भरे पड़े हैं सर्च रिजल्ट।

25814000000000 रुपये है इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी होने का दावा
जीरो गिनते थक गए? मजेदार बात यह है कि स्काइवे दावा करती है कि इंडिपेंडेंट इंटरनैशनल ऐप्रेजर्स (जिनका नाम नहीं बताया गया है) के मुताबिक यूनित्स्की की इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर (25 हजार 814 अरब रुपये) है और इसे ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में रजिस्टर्ड कंपनी GTI (ग्लोबल ट्रांसपोर्ट इन्वेस्टमेंट्स) को कॉन्ट्रिब्यूट कर दिया गया है। यानी जिस कॉन्सेप्ट को कोई खरीद नहीं रहा, उस कॉन्सेप्ट की कीमत इतनी ज्यादा कैसे हो सकती है? खासकर स्काइवे यह भी नहीं बताती कि इतना इवैल्युएशन किया किसने। यूनित्स्की एक अन्य कंपनी BVI में यूरोएजियन रेलवे स्काइवे सिस्टम्स होल्डिंग लिमिटेड है। एक अन्य कंपनी UniSky सेशल्स में रजिस्टर की गई है। यूरोएजियन रेल स्काइवे सिस्टम लिमिटेड यूके की कंपनी है। (अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें)

मीडिया पर ही कर दिया था केस, SkyWay से झाड़ा पल्ला
यूनित्स्की ने बेलारूस के मीडिया पर यह कहके केस कर दिया था कि मुझे बेवजह बदनाम किया गया। यूनित्स्की ने तो दावा कर दिया कि मेरा SkyWay से कोई रिश्ता नहीं है और SkyWay तो इंटरेस्ट्डे लोगों का ग्रुप है और एक तरह का क्लब है। इस ग्रुप में मेरी पोजिशन ‘वर्चुअल’ है। बाद में इस मीडिया हाउस ने एक पूरी रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें कंपनी के इन्वेस्टमेंट/स्कैम और ग्रुप ऑफ कंपनी के स्ट्रक्चर को दिखाया। यह आर्टिकल इस साल फरवरी का ही है। सोर्स: https://tech.onliner.by/2017/02/03/sud-skyway (रूसी भाषा में)

एनातोली यूनित्स्की

इस आर्टिकल में कोर्ट में हुई जिरह के अंश भी दिए गए हैं जिन्हें रूसी भाषा से अनूदित करें तो कोर्ट में यूनित्सकी ने कहा मैं रूस का पूर्व नागरिक हूं। उन्होंने तो यह तक कह दिया कोर्ट में कि वेबसाइट में मेरी फोटो लगी है तो इसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं। उन्होंने कहा कि स्काईवे नाम की तो दुनिया में कई कंपनियां होती हैं। यही नहीं उन्होंने बेलारूस से बाहर की अपनी कंपनी के बारे में बताने से भी इनकार कर दिया था। मगर ध्यान रहे, हिमाचल प्रदेश में जो MoU साइन हुआ, उसमें खुद यूनित्स्की पहुंचे हुए हैं। दरअसल बेलारूस की कंपनी की शेयरहोल्डर के British Virgin Islands में रजिस्टर्ड कंपनी है मगर ऐसा कोई डॉक्युमेंट नहीं मिलता कि दोनों में रिश्ता साबित किया जा सके। चूंकि SkyWay बेलारूस में किसी तरह की फाइनैंशल ऐक्टिविटी नहीं करती, किसी से इन्वेस्टमेंट नहीं मांगती, इसलिए बेलारूस में इसपर कोई केस नहीं हो सकता। (कंपनी का स्ट्रक्चर और बेलारूस से बाहर की कंपनियों से लिंक स्थापित करने वाले कुछ सर्टिफिकेट्स की तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें।)

क्या है बेलारूस में स्थित कंपनी का नाम
SkyWay बेलारूस में ЗАО “Струнные технологии” नाम से रजिस्टर्ड है जिसका उच्चारण जाओ “स्ट्रनी टेक्नॉलॉजी” बनता है। इसके अलावा इस कंपनी के बारे में यह इन्फर्मेशन उपलब्ध है:

УНП (Uniform taxpayer number): 192425076
Название (Title): Закрытое акционерное общество «Струнные технологии» (Closed joint-stock company “Strunnye tekhnologii”)
Дата регистрации (Date of registration): 12.02.2015г.
Юридический адрес (Legal address):
220004, Пуховичский район, аг. Новосёлки, ул. Ленинская, 1А
(Belarus, 220004, Minsk region, Pukhovichi district, township Novosyolki, Leninskaya St 1A)
Alternative legal address information (from a different source):
220116, г. Минск, пр. Дзержинского, дом 104, оф. 703Б (Belarus, 220116, Minsk, Dzerzhinski ave 104, office 703Б)

कई बार एनातोली यूनित्स्की के बेटे डेनिस यूनित्सकी (Денис Юницкий) और पत्नी नदेज़ा कोसरेवा (Надежда Косарева) पर भी सवाल उठ चुके हैं मगर वे मीडिया से दूर रहते है। लिथुएनिया में भी बिजनस चलाने की कोशिश की थी यूनित्सकी ने मगर वह फेल हुए तो बेलारूस आ गए। इस संबंध में बैंक ऑफ लिथुएनिया की वेबसाइट पर अलर्ट देखा जा सकता है (इस बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करके पिछली स्टोरी पढ़ें):

बैंक की चेतावनी

Lithuanian:
http://www.lb.lt/lt/naujienos/lietuvos-bankas-ispeja-investuotojus-del-vieso-vertybiniu-popieriu-siulymo-pazeidziant-galiojancius-teises-aktus

English:
http://www.lb.lt/en/news/the-bank-of-lithuania-warns-investors-on-the-public-offer-of-securities-in-violation-of-applicable-laws

कुलमिलाकर देखा जाए तो SkyWay स्कैम नजर आ रही है। कोई भी भौतिकविज्ञानी बता सकता है कि स्काइवे जिस प्रिंसिपल पर कॉन्सेप्ट बनाने का दावा करती है, मेटल या कोई भी अन्य मटीरियल उतना लोड और टेंशन नहीं झेल सकता। बेलारूस में कंपनी ने जो बनाया है, वह उसकी प्रयोगशाला है। इसके अलावा उसने कहीं पर भी किसी देश में कुछ नहीं बनाया है जिसे लोग ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल करते हों। रही बात बेलारूस की स्थित कंपनी की, यहां करीब 20 लोगों का स्टाफ है जिसमें मार्केटिंग और अकाउंटिंग शामिल है। ऐसे में ये हो 360 मिलियन डॉलर्स का इससे बहुत कम भी कुछ डिजाइन करने और इंप्लिमेंट करने में सक्षम नहीं लगते। कंपनी की बेलारूस से बाहर कौन-कौन सी कंपनियां हैं, उनके बारे में पारदर्शिता नहीं है। दरअसल बेलारूस से भले यह बिजनस चला रही हो मगर पैसा कभी भी बेरारूस नहीं आता औऱ सारी डीलिंग ऑफशोर कंपनियों की जरिए होती है। बेलारूस के लोगों से चूंकि कंपनी फंड रेजिंग भी नहीं करती, ऐसे में कोई गड़बड़ न होने की स्थिति में वहां उसे कोई खतरा नहीं। मगर कंपनी की रेप्युटेशन अच्छी नहीं है।

इस MoU को लेकर क्या है संदिग्ध?
हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने अप्रैल के आखिरी महीने में मिंस्क के कुछ वीडियो अपने फेसबुक पेज पर डाले हैं। इसमें वह स्काइवे की टेस्टिंग फसिलिटी में हैं। वहां देखकर पता चलता है कि यह टेस्टिंग ग्राउंड ही पूरा नहीं बना है। यही नहीं, उन्होंने जो वीडियो शेयर किया है, उसमे दिखता है प्लैटफॉर्म भी टेंपररी बना है और जो रेलकार दूर से आता है, वह सही पोजिशन पर नहीं रुकता। वह प्लैटफॉर्म से आगे रुकता है और फिर उसे दोबारा पीछे किया जाता है। यह दिखाता है कि कंपनी अभी तक इस सिस्टम को ढंग से नहीं बना पाई है। हमने पिछले आर्टिकल में बताया था आपको कि पिछले साल दिसंबर में ही इन डब्बों की टेस्टिंग शुरू हुई है। वीडियो देखें:

अप्रैल के आखिर में मिंस्क में ट्रायल देखने के कुछ ही दिनों के अंदर मई में MoU साइन हो जाने में जो तेजी दिखाई गई है, उसपर लोगों का सवाल उठाना इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि यह इलेक्शन इयर है। SkyWay को दिए इंटरव्यू में जब सुधीर शर्मा से पूछा गया कि आप क्यों इस चीज में इंटरेस्टेड हैं तो उन्होंने कहा कि यह सिस्टम भूकंप और ऐक्सिडेंट प्रूफ है और 100 साल लाइफ है। अभी तक यह साफ नहीं है कि सुधीर शर्मा ने किसी एजेंसी के डेटा के आधार पर ये बातें कहीं या फिर उन्हीं बातों को दोहरा दिया, जिनका दावा अपने सिस्टम को लेकर SkyWay करती है। देखें:

बहरहाल, मकसद किसी की नीयत पर सवाल उठाना नहीं है मगर जिन पहलुओं को हमने उजागर किया है, उससे न सिर्फ कंपनी की विश्वसनीयता, बल्कि हिमाचल प्रदेश सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा होता है जिसने संदिग्ध कंपनी के साथ संभवत: बिना प्रॉपर रिसर्च के MoU साइन कर लिया है। कहीं सरकार के साथ ठगी तो नहीं हो गई है? क्योंकि ऐसे ही सवाल लिथुएनिया में भी उठे थे (स्रोत)। हिमाचल प्रदेश में कोई भी चीज दुनिया में पहली बार हो तो यह अच्छी बात है। जरूरी नहीं कि कोई कंपनी किसी नए कॉन्सेप्ट पर पहली बार काम कर रही हो तो उसे इग्नोर कर देना चाहिए। मगर जिस कंपनी को लेकर पारदर्शिता न हो, जिसपर दुनिया भर में सवाल उठे हों, जो अपने काम के लिए अपने ही देश में पहचान न रखती हो, जिसका कॉन्सेप्ट कहीं पर भी धरातल पर उतरा, जिसके कॉन्सेप्ट पर साइंटिस्ट सवाल उठा चुके हों, जिसने पहाड़ी इलाकों को लेकर टेस्टिंग न की हो, जिसका अपना टेस्टिंग ग्राउँड ही अभी पूरा न बन पाया हो, जिसका मालिक विवाद होने पर कोर्ट में अपनी ही कंपनियों से पल्ला झाड़ लेता हो; उस कंपनी से किसी कंसल्टंसी के बिजनस पार्टनर के कहने पर बिना रिसर्च किए तुरंत MoU साइन करना कहां तक सही है? सबसे बड़ी आशंका तो यह है कि SkyWay प्रॉजेक्ट जमीन पर उतरने के बजाय कहीं आसमान में ही न रह जाए। कल को प्रॉजेक्ट को बीच में छोड़कर भाग जाए या प्रॉजेक्ट फेल हो जाए और हादसा हो जाए तो क्या MoU साइन करने वाले जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं? उस स्थिति में क्या वे करोड़ों रुपये अपनी जेब से भरेंगे?

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