धर्मशाला SkyWay: सपने दिखाने वाली कंपनी से MoU साइन करने में जल्दबाजी क्यों?

धर्मशाला।। धर्मशाला में स्ट्रिंग ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने बेलारूस की जिस कंपनी के साथ MoU साइन किया है, वह न सिर्फ अनुभवहीन है बल्कि विवादित भी है, यह बात हमने पिछली स्टोरी में बताई थी। हमने विस्तार से बताया है कि कैसे कई देशों में इस कंपनी के फंड जुटाने के तरीकों पर सवाल उठ चुके है। इस संबंध में हमने कुछ और तथ्य जुटाए हैं, जिनके बारे में हम इस स्टोरी में जानकारी देंगे। हमने पता लगाया है कि SkyWay कंपनी को बनाने के पीछे जिस शख्स का दिमाग है, उसकी छवि ठीक नहीं है। पूरी दुनिया में SkyWay नाम की  कई कंपनियां बनी और बंद हुई हैं। ऐसे में मौजूदा कंपनी की छवि देखते हुए आशंका यह भी पैदा हो रही है कि धर्मशाला SkyWay के नाम पर ठगी का शिकार हो सकता है। मगर पहले बात कर लेते हैं कि बेलारूस की जिस कंपनी ने अब तक अपने कॉन्सेप्ट को दुनिया में कहीं और इंस्टॉल नहीं किया, जिसके फंड जुटाने के तरीके संदिग्ध हैं, 1980 के दशक से लेकर आज तक जिसका प्रॉजेक्ट कहीं और नहीं लगा, उसे धर्मशाला में काम आखिर मिला कैसे।

अमूमन देखने को मिलता है कि अगर कहीं पर किसी चीज की जरूरत होती है तो यह तलाश की जाती है कि उस जरूरत को कौन पूरा कर सकता है। जब दिल्ली हैवी ट्रैफिक से जूझ रही थी, तब जरूरत महसूस हुई कि यहां वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम होना चाहिए जिससे सड़कों का बोझ कम हो। बात हुई कि यहां मास रैपिड ट्रांजिट के लिए मेट्रो इंस्टॉल होनी चाहिए। फिर तलाश शुरू हुई कि आखिर यह काम दिया किसे जाए क्योंकि भारत में तो किसी को मेट्रो बनाने का अनुभव नहीं था। तब DMRC ने हॉन्ग कॉन्ग MTRC को कंसल्ट किया था जो इस मामले में अनुभवी थी। मगर धर्मशाला में ऐसा नहीं हुआ कि धर्मशाला को किसी वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की जरूरत महसूस हुई हो और उसकी तलाश SkyWay पर आकर खत्म हुई। क्योंकि SkyWay न तो अपनी फील्ड की अनुभवी कंपनी है और न ही यह कोई प्रतिष्ठित कंपनी है कि दुनिया भर में इसका नाम हो। उल्टा यह तो विवादास्पद है। और तो और, इस कंपनी के अपने देश बेलारूस में भी SKyWay के String ट्रांसपोर्ट को टूरिज़म या यातायात के लिए इंस्टॉल नहीं किया गया है।

SkyWay ऐसे पहुंची धर्मशाला
दरअसल स्विट्जरलैंड की एक कंपनी है- Castor Consult AG। इसकी सीईओ Dorothea Jeger ने साल भर पहले एक फेसबुक पेज पर SkyWay की यूनीबस को देखा। रिसर्च किया तो पता चला कि स्काईवे टेक्नॉलजीज़ है बेलारूस में। कंपनी के प्रतिनिधि से संपर्क किया गया। फिर स्विट्जरलैंड में अपने बिजनस पार्टनर राजविंदर से बात की और कहा कि इंडिया में इसका स्कोप है। फिर राजविंदर ने यह प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा को दिया और यहीं से शुरुआत हुई। यह दावा हम नहीं कर रहे बल्कि  इस बात की जानकारी खुद Dorothea Jeger ने दी है। दरअसल स्काईवे ने प्रमोशन के लिए इंटरव्यू लिया है जिसमें उन्होंने यह बात कही है। वीडियो देखें:

Dorothea Jeger के मुताबिक उन्होंने पिछले साल सितंबर में मॉस्को स्थित में ऑफिस में एनातोली यूनित्स्की से मीटिंग की और फिर प्रॉजेक्शन स्टार्ट किया और अप्रैल के आखिरी हफ्ते में हिमाचल से डेलिगेशन को लेकर मिंस्क पहुंच गए(स्रोत)।  इस डेलिगेशन में सुधीर शर्मा के साथ धर्मशाला नगर निगम के प्रतिनिधि भी थे। सुधीर शर्मा ने अपने पेज पर इसकी तस्वीरें भी शेयर की हैं। इस कंसल्टेंसी ने SkyWay को झारखंड में भी कुछ लोगों से मिलवाया। गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने भी SKyWay के साथ लेटर ऑफ इंटेंट साइन किया है।

(L to R) Sudhir Sharma, Dorothea Jeger and Unitsky

यानी यह स्विस कंसल्टेंसी SkyWay के लिए प्रॉस्पेक्ट्स ढूंढ रही है। इस कंपनी की सीईओ Dorothea Jeger धर्मशाला में MoU साइन होते वक्त भी साथ रही। बहरहाल, कंसल्टेंसीज़ का काम ही होता है कंपनियों के प्रॉडक्ट्स या सर्विसेज के लिए क्लाइंट ढूंढना और अपना हिस्सा लेना। मगर प्रश्न उठता है कि जो लोग प्रॉडक्ट खरीद रहे हों, खासकर अपने पैसों के बजाय जनता के पैसों से जनता के लिए कुछ इन्वेस्ट करने जा रहे हों, उन्सें रिसर्च करना चाहिए या नहीं? हमने रिसर्च करके पिछले आर्टिकल में बताया था कि स्काइवे पर लुथिएनिया में सवाल उठ चुके है। इंटरनेट पर ऐसे लिंक्स की भरमार है जिनमें SkyWay Scam और SkyWay Capital Fraud सर्च करें तो असंख्य आर्टिकल मिलते हैं। मगर सिर्फ इंटरनेट की जानकारी पुख्ता नहीं हो सकती। इसके लिए हमने एक विश्वसनीय सूत्र, जो कि पूर्वी यूरोप में प्रतिष्ठित लॉयर है, को SkyWay Technologies के बारे में रिसर्च करने का काम सौंपा। उन्होंने जो जानकारी जुटाई है, वह हैरान करने वाली है। SkyWay टेक्नॉलजी की रेप्युटेशन वहां पर भी ठीक नहीं है और बेलारूस के इंजिनियर्स का मानना है कि स्ट्रिंग ट्रांसपोर्ट सिस्टम व्यावहारिक नहीं है। हम पिछले आर्टिकल में बता चुके हैं कि जिस टेक्नलॉजी को इंस्टॉल करने के लिए SkyWay से MoU साइन किया है, उसे यूनित्स्की ने डिजाइन किया था। धर्मशाला में स्काईवे के साथ MoU साइन करते वक्त यूनित्सकी भी वहां थे। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि बेलारूस के एक मीडिया संस्थान ने जब स्काइवे और यूनित्स्की की संदिग्ध योजनाओं पर सवाल उठाए थे तो यूनित्स्की ने उस मीडिया संस्थान पर केस किया था और कहा था कि मेरा तो SKyWay के साथ कोई रिश्ता ही नहीं। उन्होंने यह तक कह दिया था कि दुनिया में तो स्काईवे नाम की कई कंपनियां है, सबसे मेरा रिश्ता हो जाएगा? जानें, क्या-क्या पता चला तफ्तीश में:

SkyWay की रेप्युटेशन ठीक नहीं है
हमारे सूत्र ने बताया- यूनित्स्की के प्रॉजेक्ट और स्काइवे की रेप्युटेशन ठीक नहीं है। इसके दो मुख्य कारण हैं-

1) वे ऐसा आइडिया बेच रहे हैं जो व्यावहारिक नहीं है। बेलारूस में वैज्ञानिक मानते हैं कि वजन, टेंशन, रेजिस्टेंट और धातु की फिजिकल क्वॉलिटीज़ को देखते हुए वैसी स्ट्रिंग्स बनाना मुश्किल है, जिनकी बात यूनित्सकी करते हैं।

(2) बेलारूस पहला देश नहीं है कि जहां पर यूनित्स्की ने अपना प्रॉजेक्ट शुरू किया है। उन्होंने रूस में टेस्टिंग ग्राउंड बनाया था जो बंद हो गया। यूनित्स्की का दावा है मेरे खिलाफ बड़ी कंपनियों ने साजिश रचकर ऐसा करवाया।

बेलारूस को छोड़कर पूरी दुनिया से फंड जुटा रही है स्काइवे
स्काइवे पूरी दुनिया से फंड रेज़ कर रही है मगर बेलारूस से नहीं, जहां यूनित्स्की रहते है। स्काइवे को बेलारूस में टेस्टिंग ग्राउंड के लिए जमीन भी मिली है। यहां वे कंक्रीट और मेटल के स्ट्रक्चर से कुछ ऐसा बना रहे हैं जो न तो देखने में हाई-टेक लगता है और न ही कोई बड़ा महंगा प्रॉजेक्ट नजर आता है। हो सकता है कि यह जमीन स्काईवे को बेलारूस सरकार ने इन्वेस्टमेंट अग्रीमेंट के तहत दी हो। (हिमाचल सरकार का डेलिगेशन भी मिंस्क स्थित इसी जगह गया था)

स्पैमिंग वाले वीडियो कौन बना रहा है? 
स्काइवे अपने फंड्स को कंप्यूटर जेनरेटेड ड्राइंग्स (प्रॉजेक्ट की ड्राइंग्स ग्राफिक्स से बनाई जाती हैं क्योंकि मिंस्क के टेस्टिंग ग्राउंड के अलावा कंपनी के पास दिखाने को कुछ नहीं है), कार्टून्स पर इन्वेस्ट करती है। कंपनी यूट्यूब पर स्पैम वीडियो भी डालती है जिनके टाइटल इस तरह से है- “Why Skyway is a scam” या “Skyway fraud revealed”. दरअसल बहुत से लोग स्काइवे की संदिग्ध योजनाओं पर शक करके गूगल करते हैं तो उन्हें SkyWay द्वारा बनाए यही वीडियो नजर आते हैं। इन वीडियोज़ में स्काइवे का प्रमोशन किया गया होता है। ऐसे में आशंका यह है कि कंपनी की यह रणनीति भी रहती हो कि अगर कोई स्काईवे की आलोचना वाला असली वीडियो ढूंढना चाहे तो उसे न मिले। स्काइवे ने बहुत सी वेबसाइट्स पर अपना प्रमोशन किया है और यह स्पॉन्सर्ड इन्फर्मेशन सर्च रिजल्ट्स पर सबसे ऊपर आती है ताकि थर्ड पार्टी द्वारा मुहैया करवाई गई जानकारी आसानी से न मिल पाए।

स्पॉन्सर्ड कॉन्टेंट से भरे पड़े हैं सर्च रिजल्ट।

25814000000000 रुपये है इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी होने का दावा
जीरो गिनते थक गए? मजेदार बात यह है कि स्काइवे दावा करती है कि इंडिपेंडेंट इंटरनैशनल ऐप्रेजर्स (जिनका नाम नहीं बताया गया है) के मुताबिक यूनित्स्की की इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर (25 हजार 814 अरब रुपये) है और इसे ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में रजिस्टर्ड कंपनी GTI (ग्लोबल ट्रांसपोर्ट इन्वेस्टमेंट्स) को कॉन्ट्रिब्यूट कर दिया गया है। यानी जिस कॉन्सेप्ट को कोई खरीद नहीं रहा, उस कॉन्सेप्ट की कीमत इतनी ज्यादा कैसे हो सकती है? खासकर स्काइवे यह भी नहीं बताती कि इतना इवैल्युएशन किया किसने। यूनित्स्की एक अन्य कंपनी BVI में यूरोएजियन रेलवे स्काइवे सिस्टम्स होल्डिंग लिमिटेड है। एक अन्य कंपनी UniSky सेशल्स में रजिस्टर की गई है। यूरोएजियन रेल स्काइवे सिस्टम लिमिटेड यूके की कंपनी है। (अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें)

मीडिया पर ही कर दिया था केस, SkyWay से झाड़ा पल्ला
यूनित्स्की ने बेलारूस के मीडिया पर यह कहके केस कर दिया था कि मुझे बेवजह बदनाम किया गया। यूनित्स्की ने तो दावा कर दिया कि मेरा SkyWay से कोई रिश्ता नहीं है और SkyWay तो इंटरेस्ट्डे लोगों का ग्रुप है और एक तरह का क्लब है। इस ग्रुप में मेरी पोजिशन ‘वर्चुअल’ है। बाद में इस मीडिया हाउस ने एक पूरी रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें कंपनी के इन्वेस्टमेंट/स्कैम और ग्रुप ऑफ कंपनी के स्ट्रक्चर को दिखाया। यह आर्टिकल इस साल फरवरी का ही है। सोर्स: https://tech.onliner.by/2017/02/03/sud-skyway (रूसी भाषा में)

एनातोली यूनित्स्की

इस आर्टिकल में कोर्ट में हुई जिरह के अंश भी दिए गए हैं जिन्हें रूसी भाषा से अनूदित करें तो कोर्ट में यूनित्सकी ने कहा मैं रूस का पूर्व नागरिक हूं। उन्होंने तो यह तक कह दिया कोर्ट में कि वेबसाइट में मेरी फोटो लगी है तो इसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं। उन्होंने कहा कि स्काईवे नाम की तो दुनिया में कई कंपनियां होती हैं। यही नहीं उन्होंने बेलारूस से बाहर की अपनी कंपनी के बारे में बताने से भी इनकार कर दिया था। मगर ध्यान रहे, हिमाचल प्रदेश में जो MoU साइन हुआ, उसमें खुद यूनित्स्की पहुंचे हुए हैं। दरअसल बेलारूस की कंपनी की शेयरहोल्डर के British Virgin Islands में रजिस्टर्ड कंपनी है मगर ऐसा कोई डॉक्युमेंट नहीं मिलता कि दोनों में रिश्ता साबित किया जा सके। चूंकि SkyWay बेलारूस में किसी तरह की फाइनैंशल ऐक्टिविटी नहीं करती, किसी से इन्वेस्टमेंट नहीं मांगती, इसलिए बेलारूस में इसपर कोई केस नहीं हो सकता। (कंपनी का स्ट्रक्चर और बेलारूस से बाहर की कंपनियों से लिंक स्थापित करने वाले कुछ सर्टिफिकेट्स की तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें।)

क्या है बेलारूस में स्थित कंपनी का नाम
SkyWay बेलारूस में ЗАО “Струнные технологии” नाम से रजिस्टर्ड है जिसका उच्चारण जाओ “स्ट्रनी टेक्नॉलॉजी” बनता है। इसके अलावा इस कंपनी के बारे में यह इन्फर्मेशन उपलब्ध है:

УНП (Uniform taxpayer number): 192425076
Название (Title): Закрытое акционерное общество «Струнные технологии» (Closed joint-stock company “Strunnye tekhnologii”)
Дата регистрации (Date of registration): 12.02.2015г.
Юридический адрес (Legal address):
220004, Пуховичский район, аг. Новосёлки, ул. Ленинская, 1А
(Belarus, 220004, Minsk region, Pukhovichi district, township Novosyolki, Leninskaya St 1A)
Alternative legal address information (from a different source):
220116, г. Минск, пр. Дзержинского, дом 104, оф. 703Б (Belarus, 220116, Minsk, Dzerzhinski ave 104, office 703Б)

कई बार एनातोली यूनित्स्की के बेटे डेनिस यूनित्सकी (Денис Юницкий) और पत्नी नदेज़ा कोसरेवा (Надежда Косарева) पर भी सवाल उठ चुके हैं मगर वे मीडिया से दूर रहते है। लिथुएनिया में भी बिजनस चलाने की कोशिश की थी यूनित्सकी ने मगर वह फेल हुए तो बेलारूस आ गए। इस संबंध में बैंक ऑफ लिथुएनिया की वेबसाइट पर अलर्ट देखा जा सकता है (इस बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करके पिछली स्टोरी पढ़ें):

बैंक की चेतावनी

Lithuanian:
http://www.lb.lt/lt/naujienos/lietuvos-bankas-ispeja-investuotojus-del-vieso-vertybiniu-popieriu-siulymo-pazeidziant-galiojancius-teises-aktus

English:
http://www.lb.lt/en/news/the-bank-of-lithuania-warns-investors-on-the-public-offer-of-securities-in-violation-of-applicable-laws

कुलमिलाकर देखा जाए तो SkyWay स्कैम नजर आ रही है। कोई भी भौतिकविज्ञानी बता सकता है कि स्काइवे जिस प्रिंसिपल पर कॉन्सेप्ट बनाने का दावा करती है, मेटल या कोई भी अन्य मटीरियल उतना लोड और टेंशन नहीं झेल सकता। बेलारूस में कंपनी ने जो बनाया है, वह उसकी प्रयोगशाला है। इसके अलावा उसने कहीं पर भी किसी देश में कुछ नहीं बनाया है जिसे लोग ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल करते हों। रही बात बेलारूस की स्थित कंपनी की, यहां करीब 20 लोगों का स्टाफ है जिसमें मार्केटिंग और अकाउंटिंग शामिल है। ऐसे में ये हो 360 मिलियन डॉलर्स का इससे बहुत कम भी कुछ डिजाइन करने और इंप्लिमेंट करने में सक्षम नहीं लगते। कंपनी की बेलारूस से बाहर कौन-कौन सी कंपनियां हैं, उनके बारे में पारदर्शिता नहीं है। दरअसल बेलारूस से भले यह बिजनस चला रही हो मगर पैसा कभी भी बेरारूस नहीं आता औऱ सारी डीलिंग ऑफशोर कंपनियों की जरिए होती है। बेलारूस के लोगों से चूंकि कंपनी फंड रेजिंग भी नहीं करती, ऐसे में कोई गड़बड़ न होने की स्थिति में वहां उसे कोई खतरा नहीं। मगर कंपनी की रेप्युटेशन अच्छी नहीं है।

इस MoU को लेकर क्या है संदिग्ध?
हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने अप्रैल के आखिरी महीने में मिंस्क के कुछ वीडियो अपने फेसबुक पेज पर डाले हैं। इसमें वह स्काइवे की टेस्टिंग फसिलिटी में हैं। वहां देखकर पता चलता है कि यह टेस्टिंग ग्राउंड ही पूरा नहीं बना है। यही नहीं, उन्होंने जो वीडियो शेयर किया है, उसमे दिखता है प्लैटफॉर्म भी टेंपररी बना है और जो रेलकार दूर से आता है, वह सही पोजिशन पर नहीं रुकता। वह प्लैटफॉर्म से आगे रुकता है और फिर उसे दोबारा पीछे किया जाता है। यह दिखाता है कि कंपनी अभी तक इस सिस्टम को ढंग से नहीं बना पाई है। हमने पिछले आर्टिकल में बताया था आपको कि पिछले साल दिसंबर में ही इन डब्बों की टेस्टिंग शुरू हुई है। वीडियो देखें:

अप्रैल के आखिर में मिंस्क में ट्रायल देखने के कुछ ही दिनों के अंदर मई में MoU साइन हो जाने में जो तेजी दिखाई गई है, उसपर लोगों का सवाल उठाना इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि यह इलेक्शन इयर है। SkyWay को दिए इंटरव्यू में जब सुधीर शर्मा से पूछा गया कि आप क्यों इस चीज में इंटरेस्टेड हैं तो उन्होंने कहा कि यह सिस्टम भूकंप और ऐक्सिडेंट प्रूफ है और 100 साल लाइफ है। अभी तक यह साफ नहीं है कि सुधीर शर्मा ने किसी एजेंसी के डेटा के आधार पर ये बातें कहीं या फिर उन्हीं बातों को दोहरा दिया, जिनका दावा अपने सिस्टम को लेकर SkyWay करती है। देखें:

बहरहाल, मकसद किसी की नीयत पर सवाल उठाना नहीं है मगर जिन पहलुओं को हमने उजागर किया है, उससे न सिर्फ कंपनी की विश्वसनीयता, बल्कि हिमाचल प्रदेश सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा होता है जिसने संदिग्ध कंपनी के साथ संभवत: बिना प्रॉपर रिसर्च के MoU साइन कर लिया है। कहीं सरकार के साथ ठगी तो नहीं हो गई है? क्योंकि ऐसे ही सवाल लिथुएनिया में भी उठे थे (स्रोत)। हिमाचल प्रदेश में कोई भी चीज दुनिया में पहली बार हो तो यह अच्छी बात है। जरूरी नहीं कि कोई कंपनी किसी नए कॉन्सेप्ट पर पहली बार काम कर रही हो तो उसे इग्नोर कर देना चाहिए। मगर जिस कंपनी को लेकर पारदर्शिता न हो, जिसपर दुनिया भर में सवाल उठे हों, जो अपने काम के लिए अपने ही देश में पहचान न रखती हो, जिसका कॉन्सेप्ट कहीं पर भी धरातल पर उतरा, जिसके कॉन्सेप्ट पर साइंटिस्ट सवाल उठा चुके हों, जिसने पहाड़ी इलाकों को लेकर टेस्टिंग न की हो, जिसका अपना टेस्टिंग ग्राउँड ही अभी पूरा न बन पाया हो, जिसका मालिक विवाद होने पर कोर्ट में अपनी ही कंपनियों से पल्ला झाड़ लेता हो; उस कंपनी से किसी कंसल्टंसी के बिजनस पार्टनर के कहने पर बिना रिसर्च किए तुरंत MoU साइन करना कहां तक सही है? सबसे बड़ी आशंका तो यह है कि SkyWay प्रॉजेक्ट जमीन पर उतरने के बजाय कहीं आसमान में ही न रह जाए। कल को प्रॉजेक्ट को बीच में छोड़कर भाग जाए या प्रॉजेक्ट फेल हो जाए और हादसा हो जाए तो क्या MoU साइन करने वाले जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं? उस स्थिति में क्या वे करोड़ों रुपये अपनी जेब से भरेंगे?

पढ़ें: न सिर्फ अनुभवहीन बल्कि विवादित भी है SkyWay

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