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Monday, September 15, 2025
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मुख्यमंत्री वीरभद्र ने फिर तोड़ी मर्यादा, बीजेपी विधायक पर की निजी टिप्पणी

कांगड़ा।। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का नाम हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सुलझे हुए राजनेता के तौर पर लिया जाता है, मगर उन्होंने एक जनसभा में निजी टिप्पणी कर डाली। बनखंडी में जनसभा में उन्होंने देहरा के विधायक रविंद्र रवि को लेकर कहा- मैं रविंद्र रवि को उस समय से जानता हूं, जह वह राजनीति में नहीं थे और पालमपुर में एक खोखे में अंडर गारमेंट्स बेचा करते थे और आज दौलतमंद हो गए हैं।

‘अमर उजाला’ की रिपोर्ट के मुताबिक आगे उन्होंने कहा कि एक-एक की हिस्ट्री जानता हूं कि कौन कितने पानी में हैं। षड्यंत्रकारी जो खेल खेल रहे हैं मैं उसका चैंपियन हूं और यह आखिरी चेतावनी है। षड्यंत्र से राजनीति नहीं चलती है और न ही ऐसे लोग कामयाब हो पाते हैं।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी को गैरजरूरी और अमर्यादित माना जा रहा है। प्रबुद्ध तबके में चर्चा है कि पहली बात तो मुख्यमंत्री को यह समझनी चाहिए कि कोई कैसा भी काम करता हो, उसकी इज्जत करनी चाहिए। यह बताने का क्या तुक बनता है कि पहले वह फ्लां काम करता था और आज यह काम करता है।

जिस दौरान मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी की, लोग हंसते नजर आए। इससे साफ पता चलता है कि जनता के बीच किसी का मखौल उड़ाने के इरादे से यह टिप्पणी की गई थी, जो कि और भी गलत है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब मुख्यमंत्री ने किसी काम के आधार पर बांटा है। उन्होंने एक बार पहले भी सफाई कर्मचारियों को हेय बताते हुए भाजपा पर टिप्पणी की थी। उस पर आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

लेख: मुख्यमंत्री जी, सफाई कर्मचारी होने में क्या बुराई है?

धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने पर मुख्यमंत्री वीरभद्र ने लिया यू-टर्न

शिमला।। यह तो आप सभी ने अखबारों में पढ़ा या टीवी न्यूज पर सुना होगा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी राजधानी बनाने का ऐलान किया है। मगर अब, उस ऐलान के कई दिन बाद मुख्यमंत्री ने इस बात को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह घोषणा पुरानी है और इसे सिर्फ दोहराया गया है। यानी मुख्यमंत्री अब इस मामले में गोलमोल बातें करते नजर आ रहे हैं। अब बयान से पलटने पर लगता है कि मुख्यमंत्री ने किसी खास मकसद से यह चुनावी ऐलान किया था, मगर जब फायदा होता नजर नहीं आया तो स्पष्टीकरण दे दिया।

हिंदी अखबार ‘अमर उजाला’ की रिपोर्ट के मुताबिक वीरभद्र ने कहा है कि धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाए जाने की घोषणा पुरानी है। इसे महज दोहराया गया है। उन्होंने कहा, ‘शिमला से धर्मशाला के लिए कोई सरकारी दफ्तर शिफ्ट नहीं किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि धर्मशाला पहले से ही दूसरी राजधानी है। वहां कई महत्त्वपूर्ण दफ्तर हैं। हर साल विधानसभा का शीतकालीन सत्र वहां होता है। हिमाचल की एकता और अखंडता के लिए यह कदम उठाया गया है। सूबे के सभी क्षेत्र के लोगों को यह एहसास दिलाना जरूरी है कि वे हिमाचल का अहम अंग हैं।’

वीरभद्र सिंह
वीरभद्र सिंह

मुख्यमंत्री अब भले ही लाख स्पष्टीकरण दें, मगर उनके मंत्री तक उनके ऐलान पर खुशी जाहिर कर चुके हैं। आप विडियो में देख सकते हैं कि कैबिनेट मंत्री सुधीर शर्मा ने भी कहा था कि मुख्यमंत्री राजधानी का दर्जा देने की बात कही है।

मगर अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का कहना है, ‘दूसरी राजधानी बनेगी ये नहीं कहा था, बल्कि यह कहा था कि धर्मशाला दूसरी राजधानी है। वहां विधानसभा का भवन बन गया है। एक सत्र वहां पर होता है। कुछ अर्से तक सरकार वहां से चलती है। ये सोचा-समझा कदम है। इसका मतलब यह नहीं है कि यहां से सारे दफ्तर यहां से वहां शिफ्ट हो जाएंगे। कुछ समय के लिए जब सरकार जाएगी तो आवश्यक अफसर वहां जाएंगे। यह होता रहा है। यह कोई नई घोषणा नहीं है। धर्मशाला के महत्व को बढ़ाने के लिए यह जरूरी है।’

चर्चा है कि अपने करीबी और शहरी विकास मत्री सुधीर शर्मा, जो धर्मशाला के विधायक हैं, का माहौल बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने ऐसा ऐलान किया था, मगर जब सोशल मीडिया पर इस सतही घोषणा की आलोचना हुई और जमीन पर कोई माहौल नहीं बना, तो सीएम अपने स्टैंड को बदल रहे है।

पढ़ें: हिमाचल दूसरी राजधानी चाहता है या इन सवालों के जवाब?

हिमाचल की शिव्या पठानिया को मिला ‘बेस्ट राइजिंग ऐक्ट्रेस’ अवॉर्ड

इन हिमाचल डेस्क।। टीवी सीरियल एक रिश्ता साझेदारी का में लीड रोल निभाने वालीं हिमाचल की बेटी शिव्या पठानिया को ‘बेस्ट राइजिंग ऐक्ट्रेस’ का अवॉर्ड मिला है। कलाकार परिवार फाउंडेशन संस्था की ओर से यह अवॉर्ड मिला है। शिव्या  शिमला के खलीणी की रहने वाली हैं। सोनी में प्रसारित होने वाली इस सीरियल में शिव्या पठानिया ने एक मॉडर्न लड़की का किरदार निभाया है।

शिव्या पठानिया
शिव्या पठानिया

शिव्या साल 2013 में मिस शिमला रह चुकी हैं। उन्होंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई हेनोल्ट पब्लिक स्कूल शिमला से की है। उसके बाद उन्होंने चितकारा यूनिवर्सिटी से बीटेक किया और यहीं से ऑडिशन के बाद साल 2014 में मुंबई पहुंचीं। बिलासपुर में भी शिव्या के घर हैं और ननिहाल रोहड़ू में है। दिव्या को यह पुरस्कार 25वें साल के कलाकार अवॉर्ड्स समारोह में 22 जनवरी 2017 को साइंस सिटी ऑडिटोरियम कोलकाता में दिया गया है।

अवॉर्ड
अवॉर्ड

शिव्या की मॉडलिंग की कुछ तस्वीरें:

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वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी पर लगा गंभीर आरोप

कांगड़ा।। कार्यक्रमों के दौरान मंच पर नाचने और गाने के लिए चर्चा में रहने वाले वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी अब नए विवाद में फंस गए हैं। उनके ऊपर अपने बॉडीगार्ड्स से मिलकर एक बस ड्राइवर से मारपीट का आरोप लगा है। लोगों का कहना है कि दोपहर तीन बजे के करीब इंदौरा के गांव चलोह में स्कूल बस लेकर जा रहे ड्राइवर से गाड़ी को पास न देने को लेकर बहस हो गई, जिसके बाद मारपीट हुई।

आरोप है कि वन मंत्री ने इस दौरान अपने अंगरक्षकों के साथ कथित तौर पर बस ड्राइवर से न केवल मारपीट की बल्कि गंगथ पुलिस को बुलवाकर राजीनामा लिखवा लिया और बस का चालान भी कटवा दिया। अमर उजाला की वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक आरोप है कि घटना के तीन दिन बाद भी पुलिस ने शिकायत तक दर्ज नहीं की, जिससे गुस्साए ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की।

वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी का कहना है कि बस ड्राइवर तेज रफ्तार में था। उनकी गाड़ी के ड्राइवर ने किसी तरह स्कूल बस के साथ टक्कर होने से बचाई। लिहाजा, उन्होंने गंगथ पुलिस को मौके पर बुलाकर बस ड्राइवर पर नियमानुसार कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने कहा है कि मारपीट के आरोप सरासर झूठे हैं और मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है।

जवाली के कार्यवाहक डीएसपी धर्म चंद वर्मा ने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी मीडिया से ही मिली है। अब इस घटना की जांच के आदेश संबंधित पुलिस चौकी को दिए हैं। इस मामले में जांच के बाद ही उचित कार्रवाई होगी।

देखें, आखिर क्यों नाचने लग जाते हैं वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी

देखें: एक दौर में ऐसा था अपना हिमाचल और आज हमने….

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इन हिमाचल डेस्क।। देश नया-नया आजाद हुआ था और साल 1948 में सरकार ने फिल्म डिविजन की स्थापना की। बाद में जब फिल्मों का चलन बढ़ने लगा, टीवी का चलन शुरू हुआ और भारत में दूरदर्शन की शुरुआत हुई, फिल्म डिविजन ने डीडी के लिए कार्यक्रम वगैरह बनाना शुरू किया। उसी दौर में फिल्म डिविजन ने भारत के विभिन्न इलाकों और वहां की लोक संस्कृति पर डॉक्यूमेंट्रीज बनाईं। पंजाब के उत्तर में कांगड़ा और कुल्लू घाटियों (आज दोनों हिमाचल प्रदेश के जिले हैं) पर एक फिल्म बनाई गई, जो दिखाती है कि हमारा हिमाचल आज से 40 साल पहले तक कैसा था।

इस फिल्म को यूट्यूब पर वैसे तो आजादी से पहले के हिमाचल के टाइटल से किसी ने अपलोड किया है, मगर उस दौर मे कलर विडियोग्रफी के बारे में किसी ने सुना तक नहीं था। बहरहाल, आप देखें कि पहले हिमाचल कैसा सादगी भरा था:

हिमाचल के नेताओं की बेशर्मी की पोल खोलती हैं टांडा मेडिकल कॉलेज की ये 10 तस्वीरें

डेस्क।। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज, टांडा, हिमाचल प्रदेश। कागजी रूप में हिमाचल का सबसे बड़ा अस्पताल, मगर हकीकत में हिमाचल का सबसे बिगड़ा अस्पताल। पिछले दिनों जब एक दुर्घटना के पीड़ितों को टांडा रेफर किया जाने लगा तो जख्मी लोग बोले- कहीं और भेज दो, टांडा मत भेजो। आखिर क्या वजह है कि टांडा जाने से कतराते हैं लोग? प्रदेश की सरकारें और केंद्र में बैठे प्रदेश के नुमाइंदे लाख दावे करें, मगर हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत क्या है, इसकी पोल टांडा मेडिकल कॉलेज की हालत खोल देती है। जिस प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्री सीने में दर्द होने पर पीजीआई चंडीगढ़ जाए, मुख्यमंत्री दांतों का इलाज करने के चंडीगढ़ जाए, उस प्रदेश के अस्पताल कैसे होंगे, अंदाजा लगाया जा सकता है। मगर इन तस्वीरों को देखकर आपको शर्म आ जाएगी अपने नुमाइंदों पर, जो चुनाव आने पर विकास के दावे कर रहे हैं और हर काम का क्रेडिट लेने पर उतारू हैं।

बीते वर्ष नवंबर में एक हिमाचल वासी युवक विनोद कुमार के पिता जी की टांग में फ्रेक्चर आ गया। डांटा मेडिकल कॉलेज के ऑर्थो वॉर्ड में उन्हें ऐडमिट किया गया। अब जाहिर है प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल होगा तो उम्मीद रहती है सब कुछ बेहतर होगा। मगर वहां की हालत देखकर विनोद कुमार सन्न रह गए। अखबारों में जो वह पढ़ते आए थे, हालात उससे कहीं खराब थे। पीने के पानी का सही इंतजाम नहीं, टॉइलट में सही इंतजाम नहीं, दीवारें ऐसीं कि कभी भी कुछ गिर जाए, पानी लीक हो रहा है, कूड़ेदान लबालब हैं, न कोई ढंग की सफाई है न और व्यवस्था। यहां कोई स्वस्थ आदमी किसी बीमार को लेकर आए तो खुद बीमार होकर लौटे। नीचे देखें वे 10 तस्वीरें, जो सरकारों और राजनेताओं के दावों की पोल खोलती हैं। मुख्यमंत्री और खासकर स्वास्थ्य मंत्री इन तस्वीरों को गौर से देखें और शर्म करें। उम्मीद है कि सभी पार्टियों के अंध समर्थकों की भी नींद खुलेगी, क्योंकि परमात्मा न करे कोई हादसा उनके साथ पेश आए और इसी हॉस्पिटल में ऐडमिट होना पड़े।

सीलिंग उखड़ी हुई है। कभी भी किसी पर गिर सकती है।
सीलिंग उखड़ी हुई है। कभी भी किसी पर गिर सकती है।
जुगाड़तंत्र पर चला है काम
जुगाड़तंत्र पर चला है काम
दीवारों से प्लास्टर तक उखड़ रहा है। निर्माण का स्तर भी घटिया।
दीवारों से प्लास्टर तक उखड़ रहा है। निर्माण का स्तर भी घटिया।
पीने के पानी की व्यवस्था ऐसी हो तो व्यक्ति बीमार हो जाए
पीने के पानी की व्यवस्था ऐसी हो तो व्यक्ति बीमार हो जाए
लोगों को मजबूरी में यहीं से पानी लेना पड़ता है
लोगों को मजबूरी में यहीं से पानी लेना पड़ता है
कीचड़ से सने फर्श को शायद सदियों से साफ नहीं किया गया
कीचड़ से सने फर्श को शायद सदियों से साफ नहीं किया गया
छत पर पाइप साफ नजर आते हैं, जिनमें जंग लग चुका है।
छत पर पाइप साफ नजर आते हैं, जिनमें जंग लग चुका है।
स्ट्रेचर पर लगे खून तक को साफ नहीं किया गया है।
स्ट्रेचर पर लगे खून तक को साफ नहीं किया गया है।
यह वॉशरूम की हालत है
यह वॉशरूम की हालत है
कूड़ेदान को वक्त-वक्त पर खाली नहीं किया जाता
कूड़ेदान को वक्त-वक्त पर खाली नहीं किया जाता

अगर अब भी अपनी उपलब्धियां गिनाते घूम रहे नेताओं को और उनका अंध समर्थन करने वालों को शर्म नहीं आएगी तो प्रदेश का परमात्मा ही मालिक है।

सभी तस्वीरें हमें पाठक विनोद कुमार ने भेजी हैं। आप भी इस तरह की तस्वीरें वगैरह inhimachal.in@gmail.com पर भेज सकते हैं।

हिमाचल प्रदेश की ये पांच बेटियां सेना में बनीं लेफ्टिनेंट

शिमला।। आज अच्छी खबर हिमाचल की बेटियों को लेकर। हिमाचल प्रदेश की बेटियों ने सेना में नर्सिंग का एग्जाम निकालकर लेफ्टिनेंट के तौर पर नियुक्ति पाई है। अभी हमारे पास जिन पांच बेटियों की जानकारी मिली है, उसे आपसे साथ शेयर कर रहे हैं:

1. रोहिणी गुशपा

रोहिणी
रोहिणी

सबसे पहले बोत रोहिणी गुशपा की, जो लाहौल-स्पीति से पहली महिला लेफ्टिनेंट बनी हैं। उन्होंने सेना नर्सिंग सेवा पास करके यह कामयाबी हासिल की है। वह 8 फरवरी को जोधपुर के मेडिकल हॉस्पिटल में जॉइनिंग देंगी।

2. मोनिका

मोनिका
मोनिका

अब बात डेढल गांव की मोनिका की। धर्मपुर उपमंडल के सिधपुर पंचायत के डेढल गांव की मोनिका सेना में लेफ्टिनेंट बन गईं हैं। मोनिका इससे पहले स्टाफ नर्स के पद पर भी चुनी गई थीं और उनकी पोस्टिंग नेरचौक मंडी में हुई थीं। उन्होंने बताया कि उनका टेस्ट सितंबर 2016 में लखनऊ में हुआ था, जिसमें उनका चयन हुआ है। वह आठ फरवरी को झारखंड के रांची में सेना में ज्वाइनिंग देंगी।

3. कंचन बाला

Kanchanकंचन बाला भी लेफ्टिनेंट बनी हैं। तहसील बल्ह के मुंदड़ू गांव की कंचन बाला ने मिलिट्री नर्सिंग सर्विस के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन की परीक्षा पास कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। कंचन बाला 8 फरवरी 2017 से अपनी सेवाएं देंगी।

4. निशा कुमारी

Nishaबल्ह क्षेत्र की नगर पंचायत रिवालसर के वार्ड नंबर 2 की निशा कुमारी ने सेना में लेफ्टिनेंट बनकर इलाके का नाम रोशन किया है। उन्होंने सेना की राष्ट्रीय परीक्षा सितंबर में लखनऊ में दी थी। उन्होंने इस परीक्षा में देशभर में पांचवां स्थान हासिल किया। वह आठ फरवरी से हिसार में अपनी सेवाएं देंगी।

5. अंजना कटोच

अंजना
अंजना

पालमपुर के अरला गांव की बेटी अंजना कटोच भी सेना में लेफ्टिनेंट बन गईं हैं। अंजना आठ फरवरी को वेस्ट बंगाल के कैल्कुलम में एयरफोर्स के हास्पिटल में बतौर लेफ्टिनेंट ज्वाइनिंग देंगी। अंजना के पिता रंजीत सिंह का 2009 में देहांत हो गया था। वह बीएसएफ में हेड कांस्टेबल थे।

तस्वीरें और जानकारी ‘अमर उजाला’ वेबसाइट के हवाले से आभार सहित 

बेटे विक्रमादित्य को शिमला रूरल सीट से लड़वाना चाहते हैं वीरभद्र

शिमला।। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह का नाम शिमला रूरल सीट के लिए प्रपोज किया है। गौरतलब है कि अब तक मुख्यमंत्री अपने बेटे के चुनाव में उतरने के सिर्फ संकेत देते रहे हैं।

खबर है कि वीरभद्र सिंह ने अपने सरकारी आवास ओकओवर में शिमला ग्रामीण क्षेत्र से आए कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों बातचीत के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि मेरी शुभकामनाएं विक्रमादित्य के साथ हैं।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र इस वक्त खुद शिमला रूरल सीट से विधायक हैं। वह खुद कहां से चुनाव लड़ेंगे, इस बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी है।

हिमाचल में खाया जाता है डंक मारने वाली बिच्छू बूटी का साग

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विवेक अविनाशी।। गर्मियों के मौसम में हिमाचल की नैसर्गिक आभा को निहारने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। पहाड़ की सर्पीली सडकों से गुजरते हुए किनारों पर लगी खरपतवार को देख कर आकर्षित होना तो स्वभाविक है लेकिन किसी कांटेदार पती को छूने के बाद हाथों में जलन हो तो चौंकियेगा नही..यह वही ऐण है जिस के साग़ का पहाड़ों के व्यंजनों में अहम स्थान है।
हिंदी में इस ऐण को बिच्छूबूटी कहते हैं और इसका वैज्ञानिक नाम Urtica dioica है। इसके तीखे नुकीले काँटों में फार्मिक एसिड होता है जो त्वचा में जलन पैदा करता है।
बिच्छू बूटी


वैसे तो यह हिमालय के सभी क्षेत्रों में पाई जाती है और बहुपयोगी मानी जाती है लेकिन हिमाचल में इस की नर्म और ताज़ी पतियों को चिमटे से इकट्ठा कर थोड़ी देर धूप में सुखाने के बाद मिटटी की हांडी में सरसों के साग़ की तरह घोट कर मक्की के आटे की रोटी साथ इस का सेवन अत्यंत ही लज़ीज़ और पोष्टिक माना जाता है।चिमटे से बिच्छूबूटी के नर्म सिरे को तोड़ कर उसे धूप में सूखा  लिया जाता है और फिर पानी में उबालने के बाद पीस कर साग़ तैयार कर लिया जाता है।

ऐण के कोमल पत्तों का साग उबले हुए देसी अडों और आलू के साथ।
चंबा जनपद के घुमन्तु गद्दी परिवारों में ऐण का साग़ इस मौसम में खूब बनाया जाता है क्योंकि सर्दियों में बिच्छूबूटी मुरझा जाती है। यह खरपतवार तीन से सात फीट लम्बी होती है। इस पर प्रजाति के अनुरूप सफेद अथवा पीले फूल लगते हैं। इसकी सुखी पतियाँ मवेशी भी खा लेते हैं। तितलियों और पतंगों के लार्वों को भी बिच्छूबूटी खूब पसंद है। कहते हैं शरीर के जो अंग सुन्न पड जाते हैं उन पर बिच्छूबूटी लगाने से रक्त-संचार फिर शुरू हो जाता है।
ऐण के महीन कांटों से होने वाले फफोले
विश्व के जिस भाग में भी बिच्छूबूटी उपलब्ध है वहां इसकी पतियों के रस और तने का इस्तेमाल विभिन्न तरीकों से किया जाता है। यह भी सूचना है कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कपास की कमी के कारण जर्मन सेनाओं की वर्दियां बिच्छूबूटी के तनों के रेशे से तैयार की गयीं थीं।  कहते हैं तिब्बत के महान संत मिलरेपा ने 12 वर्ष  तपस्या के दौरान  केवल बिच्छूबूटी का ही सेवन किया था।उनके बाल और चमड़ी भी हरे रंग की हो गई थी। उत्तराखंड में बिच्छूबूटी को कंदाली व सिसुन्णा कहते है। कश्मीर में इसे सोय के नाम से जाना जाता है।
(लेखक हिमाचल प्रदेश के हितों के पैरोकार हैं और राज्य को लेकर लंबे समय से लिख रहे हैं। इन दिनों इन हिमाचल के नियमित स्तंभकार हैं। उनसे vivekavinashi15@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

मृत पाई गईं हिमाचल प्रदेश की ऐक्ट्रेस और मॉडल ऋचा धीमान

धर्मशाला। एक दुख भरी खबर है। हिमाचल प्रदेश की जानी-मानी मॉडल औक ऐक्ट्रेस ऋचा धीमान अब इस दुनिया में नहीं रहीं। हिंदी अखबार पंजाब केसरी की खबर के मुताबिक शुक्रवार को किराए के मकान में उन्होंने खुदकुशी कर ली। हालांकि पुलिस ने मामला दर्ज करके मौत की वजहों की छानबीन शुरू कर दी है।

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अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ऋचि गमरु में एक किराए में रहती थीं। शुक्रवार सुबह 11.15 बजे धर्मशाला पुलिस को सूचना मिली कि गमरु में किराए के मकान में रह रही एक युवती दरवाजा नहीं खोल रही है। जब जांच की गई तो वह युवती कमरे के अंदर पंखे से फंदे पर लटकती हुई पाई गई।

इस युवती की पहनान ऋचा धीमान (24) पुत्री चमन लाल धीमान निवासी मलां,  तहसील नगरोटा बगवां जिला कांगड़ा के रूप में हुई है। ऋचा धीमान लंबे समय से मॉडलिंग कर रही थीं और हिमाचल में जाना माना चेहरा बन चुकी थीं। हिमाचली परिधान में उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर हिमाचल के लोगों की पहचान बनी हुई थी।

ऋचा की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर हिमाचल प्रदेश की पहचान बन गई है।
ऋचा की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर हिमाचल प्रदेश की पहचान बन गई है।

इस बीच ऋचा की माता की शिकायत के आधार पर मामला आई.पी.सी. की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने मौके पर एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है।

यकीन नहीं होता कि कुछ वक्त पहले चहकते हुए हिमाचली म्यूजिक विडियोज में रंग भरने वाली प्रदेश की यह बेटी अब इस दुनिया में नहीं है। इन हिमाचल की टीम श्रद्धांजलि अर्पित करती है। उनके कुछ विडियो नीचे हैं, जो हमें यूट्यूब पर मिले:


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