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Monday, September 15, 2025
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घोटाले से पर्दा उठाने का दावा करने वाला कर्मचारी नेता सस्पेंड

शिमला।। कर्मचारी परिसंघ के अध्यक्ष विनोद कुमार को हिमाचल प्रदेश सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले विनोद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कुछ घोटालों से पर्दा उठाने का दावा किया था। बागवानी निदेशक डॉक्टर एच.एस. बाजवा ने शुक्रवार को विनोद कुमार के सस्पेंशन ऑर्डर जारी किए थे।

निलंबन के साथ ही सरकार ने विनोद कुमार को चंबा स्थित डेप्युटी डायरेक्टर ऑफिस से अटैच कर दिया है। खास बात यह है कि उनके सस्पेंशन से पहले ही बागवानी निदेशालय ने शिमला से उन्हें सिरमौर ट्रांसफर कर दिया था।

अपने ट्रांसफर के खिलाफ विनोद हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल चले गए। अभी मामला निपटा भी नहीं है कि उन्हें सस्पेंड कर दिया गया । अमर उजाला के मुताबिक इससे पहले साल 2013 में विनोद को पांगी स्थानांतरित किया गया लेकिन वहां से भी कोर्ट के आदेश पर ऑर्डर कैंसल कर दिया था। इसके बाद 2015 में भी उन्हें किन्नौर भेजा गया था और इस आदेश को भी वापस लेना पड़ा था।

क्या है विनोद का दावा
विनोद कुमार ने आरोप लगाया था कि गैर कृषि एवं बचत सहकारी सोसायटी में गत चार वर्षो में करीब 90 लाख रुपये का गोलमाल किया गया है। उन्होंने कहा था कि उनके पास गोलमाल के पूरे दस्तावेज हैं और जल्द इसकी चार्जशीट तैयार कर राज्यपाल को सौपेंगे।

न धूमल और न नड्डा, हिमाचल बीजेपी का नेतृत्व कर सकते हैं अजय जम्वाल

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में इस साल चुनाव होने वाले हैं और इसके लिए तमाम सियासी दल अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। इस बीच हलचल बढ़ाने वाली खबर यह आ रही है कि बीजेपी को हिमाचल प्रदेश में एक और चेहरा मिलने वाला है। यह खबर नड्डा और धूमल, दोनों कैंपों के समर्थकों की धड़कनें बढ़ा सकती है क्योंकि बीजेपी संगठन में अहम भूमिका निभा रहे अजय जम्वाल हिमाचल वापसी करने वाले हैं।

‘इन हिमाचल’ को नई दिल्ली के सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस वक्त उत्तर-पूर्वी राज्यों में बीजेपी संगठन की जिम्मेदारियां संभाल रहे मंडी जिले के अजय जम्वाल इस बार हिमाचल के विधानसभा चुनावों में सक्रिय हिस्सा लेने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी उन्हें जोगिंदर नगर विधानसभा सीट से टिकट देने वाली है। यही नहीं, अगर बीजेपी चुनावों में जीत हासिल करके सरकार बनाने में कामयाब रहती है तो जम्वाल को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।

अमित शाह के साथ अजय जम्वाल
अमित शाह के साथ अजय जम्वाल

कौन हैं अजय जम्वाल?
मंडी जिले के जोगिंदर नगर के रहने वाले अजय जम्वाल यहां के वरिष्ठ बीजेपी नेता रहे कर्नल गंगा राम जम्वाल के बेटे हैं।अजय जम्वाल ने साल 1984 में मंडी के वल्लभ राजकीय कॉलेज में ग्रैजुएशन की और फिर एचपीयू शिमला में 1989 को एबीवीपी के प्रचारक के रूप में राजनीतिक सफर शुरू किया। सोलन से उन्होंने शुरुआत की और करीब 7 साल तक यहां रहे। 1991 में अरुणाचल प्रदेश में तीन साल तक रहे और 1995 में आरएसस (संघ) में आकर लेह-लद्दाख में प्रचारक रहे।

इसके बाद सक्रिय राजनीति में एंट्री हुई और बीजपी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर का संगठन मंत्री बनाया। यहां बीजेपी को 16 सीटें जीतने में कामयाबी मिली। बाद में पंजाब में आए और करीब 7 साल तक संगठन मंत्री की जिम्मेदारियां संभालीं। बीजेपी-अकाली सरकार यहां रिपीट करने में कामयाब रही। फिर अरुणाचल में 3 साल का अनुभव होने की वजह से असम चुनाव से पहले उन्हें नॉर्थ-ईस्ट की जिम्मेदारी दी गई। नतीजा यह रहा कि आज असम मे बीजेपी सरकार है।

अजय जम्वाल के पक्ष में हैं बहुत सी बातें
गौरतलब है कि मोदी और अमित शाह के युग का आगाज होने के बाद से हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी चुनाव से पहले किसी को भी सीएम कैंडिडेट घोषित करने से बचती रही है। साथ ही जीत होने के बाद नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाया गया है और वह भी उन लोगों को, जिनकी संघ और संगठन से करीबी रही है। हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में यही देखने को मिला है। हिमाचल को लेकर भी बीजेपी अभी तक इसी नीति पर चलती हुई दिख रही है, क्योंकि अभी तक यहां भी किसी को सीएम कैंडिडेट घोषित करने को लेकर कोई संकेत नहीं दिया गया है। इस बात को लेकर धूमल खेमा पहले से ही चिंता में दिख रहा है।

अजय जम्वाल के साथ सतपाल सत्ती
अजय जम्वाल के साथ सतपाल सत्ती

पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश आए पीएम मोदी ने कहा था कि हिमाचल को ऐसा नेतृत्व चाहिए जो सरकार एक बार आए तो कम से कम 10-15 साल टिके। माना जा रहा है कि उनका इशारा पार्टी के मौजूदा नेतृत्व की तरफ था, क्योंकि हिमाचल में न तो शांता कुमार और न ही प्रेम कुमार धूमल सरकार को रिपीट करवा पाए हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि जेपी नड्डा केंद्रीय मंत्री पद छोड़कर हिमाचल आ सकते हैं और उन्हें निर्णायक भूमिका दी जा सकती है। मगर ताजा डिवेलपमेंट बताते हैं कि नड्डा केंद्र में ही रहेंगे और धूमल को भी यह जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि 70 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को पार्टी अब अहम पद देने से बच रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि युवा नेतृत्व तैयार किया जा सके जो आने वाले 15-20 साल तक जिम्मेदारी निभाए। ये सब बातें जम्वाल के पक्ष में जाती हैं।

धूमल कैंप को लगेगा डबल झटका
जम्वाल के हिमाचल आने की खबर धूमल कैंप के लिए इसलिए भी झटका देने वाली है क्योंकि एक तो जम्वाल के आने से धूमल के सीएम बनने की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी। साथ ही अजय जम्वाल जोगिंदर नगर से चुनाव लड़ सकते है। मौजूदा समय में जोगिंदर नगर से प्रेम कुमार धूमल के समधी (अनुराग ठाकुर के ससुर) और वरिष्ठ बीजेपी नेता गुलाब सिंह ठाकुर बीजेपी के विधायक हैं। ऐसे में उनकी जगह जम्वाल का चुनाव लड़ना बड़ा परिवर्तन होगा। गौरतलब है कि गुलाब सिंह ठाकुर भी उम्रदराज हो चुके हैं और पिछले साल उनके बेटे सोमेंद्र ठाकुर जिला परिषद का चुनाव भी नहीं जीत सके थे। ऐसे में पार्टी उनकी जगह कोई यंग चेहरा देना चाहेगी और परिवाद के ठप्पे से भी बचना चाहेगी।

जोगिंदर नगर में अजय जम्वाल के चुनाव लड़ने के लिए हालात काफी अनुकूल हैं, क्योंकि उनके पिता सम्मानित समाजसेवी रहे हैं। साथ ही अजय छोटे भाई पंकज जम्वाल लगातार यहां सक्रिय हैं। पंकज इस वक्त मंडी जिले के बीजेपी महामंत्री हैं। स्टूडेंट पॉलिटिक्स में एबीवीपी से जुड़े रहे पंकज अब बीजेपी संगठन में हैं और मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद रामस्वरूप शर्मा के करीबी हैं। 2014 से जोगिंदर नगर हलके में रामस्वरूप शर्मा जहां-जहां गए हैं, पंकज जम्वाल उनके साथ गए है। उस वक्त उनके इस कदम के राजनीतिक मायने भले ही समझ न आ रहे हों, मगर अब साफ हो रहा है कि उनकी यह कवायद थी जनता से सीधा संपर्क बनाने की ताकि बड़े भाई अजय के लिए रास्ता आसान किया जाए।

…मगर सीट निकालना हो सकता है मुश्किल
लेकिन यह राह आसान नहीं है क्योंकि गुलाब सिंह ठाकुर को टिकट नहीं मिला तो वह मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। गुलाब सिंह ठाकुर काफी पॉप्युलर नेता हैं और वोटरों का एक बड़ा हिस्सा उनका कट्टर समर्थक है। ऐसे में गुलाब सिंह को विश्वास में लिए बिना सीट निकालना मुश्किल है। गुलाब सिंह का अगर टिकट कटता है तो उन्हें पता है कि उनकी परिवार की राजनीति के युग का भी अंत हो सकता है, इसलिए वह बड़ा कदम उठा सकते हैं।

फिर नड्डा और धूमल क्या होगा?
लंबे समय से चर्चा चल रही है कि धूमल सक्रिय चुनाव में हिस्सा न लेकर पार्टी के लिए प्रचार करेंगे और चुनाव के बाद उन्हें राज्यपाल बनाकर कहीं भेजा जा सकता है। अगर केंद्र से इस तरह का कोई संकेत मिलता है तो धूमल उसे मानने में आनाकानी नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हें पता है कि बेटे अनुराग ठाकुर को अभी कई साल राजनीति करनी है, ऐसे में पार्टी के साथ चलना ही अच्छा होगा। उधर नड्डा का इंतजार कर रहे समर्थकों के हाथ भी कुछ नहीं लगेगा। सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी चाहते हैं कि नड्डा केंद्रीय मंत्रिमंडल में ही रहें और साथ में दिल्ली में बैठकर संगठन की जिम्मेदारियों को भी निभाएं। ऐसे में अजय जम्वाल को हिमाचल लाने के कदम पीछे नड्डा भी हो सकते हैं, क्योंकि उनके जम्वाल से अच्छे रिश्ते हैं। केंद्र मे रहकर नड्डा हमेशा चाहेंगे कि उनका करीबी प्रदेश में शीर्ष पद पर हो।

बिलासपुर कांड: घायलों ने दी कांग्रेस MLA बंबर ठाकुर को क्लीन चिट

बिलासपुर।। पिछले हफ्ते बिलासपुर शहर के डियारा में दो गुटों के बाद हुई मारपीट में विधायक बंबर ठाकुर के बेटे पर भी आरोप लगा था। मगर इस मामले में अब नया मोड़ आ गया है। घटना में घायल हुए युवकों और उनके परिजनों ने विधायक बंबर ठाकुर या उनके बेटे को क्लीन चिट दे दी है।

हिंदी अखबार जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक जख्मी युवकों और उनके परिजनों का कहना है कि विधायक और उनके बेटे का इस वारदात से कोई लेना-देना नहीं है। नका कहना है कि इस मामले में नशे का कारोबार करने वाला एक शख्स ही मुख्य आरोपी है। उन्होंने प्रशासन और सरकार से इस शख्स को शहर से बाहर करने की मांग की है।

बिलासपुर सदर से कांग्रेस विधायक बंबर ठाकुर

बिलासपुर सदर से कांग्रेस विधायक बंबर ठाकुर

खबर के मुताबिक शनिवार को विद्युत विश्राम गृह बिलासपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मारपीट में जख्मी रोहित सोनी, अंकित टंडन की मां बीना टंडन, पिता अशोक कुमार और बबली आदि ने बताया कि मारपीट मामले में विपक्षी दल बिना वजह विधायक और उनके बेटे के नाम को घसीट रहे हैं, जबकि मारपीट के मुख्य आरोपी और उसके साथी शहर में बिना किसी डर के घूम रहे हैं।

सरकारी जमीनों के कब्जाधारियों के लिए नीति बनाएगी वीरभद्र सरकार

शिमला।। जिस साल चुनाव होना होता है, उस साल सरकारें लोगों को लुभाने के  लिए कई तरह के प्रलोभन भरे फैसले लेती है। मगर जिस तरह का फैसला हिमाचल प्रदेश सरकार ने लिया है, वह चौंकाने वाला है। प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश सरकारी भूमि पर स्वामित्व अधिकार प्रदान करने के लिए योजना बनाएगी ताकि सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले हजारों कब्जाधारकों को राहत पहुंचे।

शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस स्कीम को बनाने की मंजूरी दे दी गई है। अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक इसके साथ ही सरकारी भूमि पर कब्जों को लेकर गठित की गई हाईपावर कमिटी की सिफारिशों को भी मंजूरी दे दी गई है। अब सरकार 28 फरवरी को हाईकोर्ट में इस पॉलिसी और स्कीम को पेश कर सकती है।

VBS%2B2.jpgगौरतलब है इससे पहले भी प्रदेश सरकार ने अवैध कब्जों को मान्यता देने का ऐलान किया था, मगर प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार को इसके लिए फटकार लगाई थी। विस्तृत खबर आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते है

हिमाचल की क्रिकेटर निकिता चौहान ने 170 बॉलों में बनाए 213 रन

शिमला।। यह हैं हिमाचल प्रदेश की क्रिकेट निकिता चौहान, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के खिलाफ धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए 24 चौके और 6 छक्के जड़ डाले। 170 बॉलों में 213 रन बनाकर नॉट आउट रहने वाली निकिता शिमला से हैं।

अंडर-23 महिला इंटर जोनल क्रिकेट टूर्नामेंट में निकिता ने अपने बल्ले से जमकर कहर बरपाया। अमृतसर के खालसा कॉलेज में आयोजित टूर्नमेंट में निकिता का प्रदर्शन इस प्रतियोगिता में किसी ऑरलाउंड खिलाड़ी का बेस्ट प्रदर्शन रहा।
निकिता का स्कोर टूर्नमेंट का बेस्ट पर्सनल स्कोर है।

निकिता का स्कोर टूर्नमेंट का सबसे ज्यादा स्कोर भी है। इस कमाल की बैटिंग की मदद से हिमाचल ने जम्मू-कश्मीर की टीम को रिकॉर्ड 266 रनों से हराया।

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213 रन नॉटआउट हिमाचल की किसी महिला खिलाड़ी का अब तक का बेस्ट स्कोर भी है। शिमला के कोटखाई की रहने वाली निकिता आलराउंडर हैं। उन्होंने अभी तक इस टूर्नमेंट में 360 रन बना लिए हैं।

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एचपीसीए की धर्मशाला अकादमी में कोचिंग लेने वाली निकिता इससे पहले भी कई मैचों में अच्छा प्रदर्शन कर चुकी हैं। बैटिंग के अलावा बोलिंग और फील्डिंग में भई उनका प्रदर्शन अच्छा रहता है।

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निकिता के पिता सुधीर कुमार ने इस उपलब्धि पर खुशी जताई है। हमारी तरफ से भी निकिता को शुभकामनाएं।

जागरूकता की कमी: 25 साल की उम्र में छठी बार मां बनी अंजुम

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, पांवटा साहिबा।।  25 साल की उम्र में आज जहां प्रदेश की बेटियां पढ़ाई में आगे बढ़ रही हैं, कुछ जॉब कर रही हैं, कुछ ने अपना बिजनस स्थापित किया है तो कुछ खेल या कला-संस्कृति के क्षेत्र में नाम कमा रही हैं। मगर इस बीच ऐसी खबरें विचलित करती हैं जहां पर 25 साल की एक महिला को छठी बार मां बनना पड़ा और वह भी पुत्र लालसा यानी बेटे की चाहत की वजह से।

मेहरूवाला गांव की 25 साल की अंजुम आज छठी बार मां बन गईं। इतनी कम उम्र में हर साल एक प्रसूति देखकर हर कोई दंग भी है। दरअसल पांच बेटियों के बाद अंजुम को बेटा हुआ है। इसलिए यह साफ दिखता है कि बेटे की चाहत की वजह से यह हुआ है।

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Image courtesy: MBM News Network

यहां अंजुम को कोई दोष नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उसे सजा भुगतनी पड़ी है परिवार और समाज की मानसिकता की। जहां बेटियों को कुछ नहीं समझा जाता और बेटों की चाहत में महिलाओं को बच्चे पैदा करने वाली मशीन बना दिया जाता है। इससे यह भी पता चलता है कि सरकारी योजनाओं की क्या स्थिति है प्रदेश में।

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पुरुवाला के नजदीक अंजुम ने छठे बच्चे को जन्म दिया। पहली बेटी ने अभी ठीक से स्कूल जाना भी शुरू नहीं किया है। लेकिन उसकी चार नन्हीं बहनें व एक भाई भी मां के आसपास ही लिपटे रहते हैं। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बच्चों की परवरिश कैसे होगी और उन्हें जन्म देने वाली मां की क्या हालत होगी।

इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय शर्मा से बातचीत की गई। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं को काउंसलिंग के माध्यम से ही लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चूंकि मामला अब ध्यान में आ गया है, लिहाजा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि महिला के बच्चों का स्वास्थ्य ठीक है, कहीं वे कुपोषण के शिकार तो नहीं हैं।

बिलासपुर प्रकरण: क्या है कांग्रेस MLA बंबर ठाकुर के बेटे की भूमिका?

बिलासपुर।। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में कांग्रेस के विधायक बंबर ठाकुर के बेटे पर जो आरोप लगे हैं और उसके बाद जो सियासत हो रही है, उसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। जहां कुछ अखबारों ने खुलकर घटनाक्रम में आरोपियों के नाम लिखे तो कुछ अखबारों ने नाम लेने से बचने की कोशिश की। कुछ ऑनलाइन पोर्टल्स ने एक ही पक्ष रखा और कुछ ने मामले को गोल-मोल कर दिया। ऐसे में साफतौर पर पता नहीं चल रहा कि क्या हो रहा है। ‘इन हिमाचल’ ने कुछ चश्मदीदों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने खुलकर सामने आने से इनकार कर दिया। हम भी यह नहीं चाहते थे कि गुप्त रहने वालों के आधार पर कोई रिपोर्ट लिखी जाए। इसलिए हमने फैसला किया कि हिमाचल प्रदेश के प्रतिष्ठित अखबारों की रिपोर्ट्स के आधार पर कड़ियां जोड़ी जाएं और मामले को समझने की कोशिश की जाए। इस संकलन में हमारी तरफ से कोई भी फैक्ट वेरिफाई नहीं किया गया, बस अन्य अखबारों से जानकारियां जुटाई गई हैं। जिन अखबारों ने कांग्रेस नेता का नाम नहीं लिखा, समझा जा सकता है कि उनका इशारा किस ओर था। आप मूल खबर को पढ़ने के लिए लिंकों पर क्लिक कर सकते हैं, जो हमने टेक्स्ट के साथ दिए हैं।

हुआ क्या था?
सबसे पहले जानते हैं कि हुआ क्या। अमर उजाला की एक खबर का शीर्षक है- हमलावरों को छोड़ने पर भड़के लोग, पुलिस पर बरसाए पत्थर, लाठीचार्ज। इसमें लिखा है- ‘हिमाचल के बिलासपुर जिले के डियारा सेक्टर में युवकों पर जानलेवा हमले के बाद शुरू हुआ विवाद और गहराता जा रहा है। देर रात दो बजे तक हंगामे के बाद शनिवार को भी माहौल तनावपूर्ण रहा। आरोपी को शाम आठ बजे जमानत मिलने की खबर सुनते ही लोगों का गुस्सा भड़क उठा। मौके पर पहुंची पुलिस से भी लोगों की धक्कामुक्की हो गई। आरोपी युवक के घर के बाहर जुटी भीड़ ने पुलिस प्रशासन और कांग्रेस विधायक बंबर ठाकुर के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।’
बिलासपुर सदर से कांग्रेस विधायक बंबर ठाकुर

बिलासपुर सदर से कांग्रेस विधायक बंबर ठाकुर

आरोप लगाया जा रहा है कि मारपीट करने वालों में विधायक बंबर ठाकुर का बेटा भी था। मगर आज पंजाब केसरी की खबर के मुताबिक बंबर ठाकुर कहते हैं, ‘दो गुटों की लड़ाई में भाजपा बेवजह मेरे बेटे का नाम घसीट रही है जबकि सच्चाई यह है कि मेरा बड़ा बेटा मारपीट प्रकरण के दिन चंबा में था। नाना की मृत्यु के चलते वह अपनी माता को लाने के लिए चंबा के भरमौर गया हुआ था।’

मगर उस दिन अमर उजाला की खबर में लिखा था- ‘पुलिस की क्यूआरटी (क्यूक रिस्पांस टीम) की दो गाड़ियां आरोपी के घर के बाहर लगाई गईं। पुलिस ने मौका देखते ही करीब साढ़े 12 बजे आरोपियों को गाड़ियों में भरना शुरू किया। भारी मशक्कत के बाद करीब 17 लोगों को गाड़ियों में ले जाया गया। इनमें विधायक का बेटा भी शामिल था

अब सच कौन कह रहा है और झूठ कौन, इसका फैसला हम नहीं कर सकते। मगर कई अखबारों ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से लिखा है कि बंबर ठाकुर अपनी गाड़ी में अपने बेटे को बिठाकर ले गए। पंजाब केसरी ने खबर छापी थी, जिसका टाइटल था- दबंग विधायक के बेटे की गुंडागर्दी पर भड़के लोग, तोड़फोड़-पथराव के बाद तनाव। इसमें लिखा है- ‘बताया जा रहा है कि भीड़ व अंधेरे का लाभ उठाते हुए हमलावर मौके से फरार हो गए। इस दौरान बंबर ठाकुर भी मौके पर पहुंचे तथा अपने बेटे को गाड़ी में बैठाकर ले गए। नेता की इस हरकत पर स्थानीय जनता भड़क गई तथा रात को 2 बजे तक लोग सिटी चौकी के पास डटे रहे। मामले के तूल पकडऩे पर हरकत में आई पुलिस ने 6 हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया।’

अमर उजाला ने तो यहां तक लिखा है- ‘सवाल यह भी है कि अपना और अपने पुत्र का मामले से कोई सरोकार नहीं होने का दावा करने वाले उक्त नेता का पुत्र आखिर आरोपियों के कमरे में क्या कर रहा था? जो लड़कियां साथ थीं, वे क्या कर रही थीं। इनके साथ तीन माह का नवजात बच्चा भी था। कुछ और लड़के भी कमरे में थे, वे भी 18 साल से कम उम्र के थे। आरोपियों के कमरे में तेजधार हथियार भी थे।’ इस खबर को आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं। अब लड़कियों के भागने वाले इस प्रकरण का एक विडियो हमें यूट्यूब पर मिला, जिसे किसी विवेक ठाकुर नाम के शख्स ने डाला है। हम इस विडियो की पुष्टि नहीं कर सकते, मगर इसमें टाइटल है- बंबर का बेटा। इसमें लड़कियां भागती हुई नजर आ रही हैं।

गौरतलब है कि अब बंबर ठाकुर ने इस मामले को नशाखोरी का मामला बना दिया है। उनका कहना है कि यह झड़प नशे के कारोबार से जुड़े लोगों के बीच हुई औऱ उनके बेटे का नाम बेवजह घसीट दिया गया। अब कभी कांग्रेस इस मामले पर शक्ति प्रदर्शन कर रही है तो कभी बीजेपी मशाल की बात कर रही है। कुल मिलाकर देखा जाए तो यह प्रकरण हिमाचल के लिए शर्मनाक है। ईटीवी ने इस खबर को प्रमुखता से जगह दी, जिसमें टीवी पर बंबर के बेटे को एक तस्वीर में पिस्तौल के साथ पोज़ करते दिखाया गया है।

इस तरह की तस्वीरें अगर किसी अन्य राज्य के विधायक के बेटे ने डाली होती या ऐसी हरकत की होती तो नैशनल मुद्दा बन गया होता, मीडिया कवर कर रहा होता। मगर घटना हिमाचल की है और सत्ताधारी पार्टी का है। उम्मीद तो नहीं की जा सकती कि पुलिस बिना दबाव के काम करेगी या फिर सरकार कोई निष्पक्ष जांच करवाएगी। इस दौर में खुलकर सच्ची कहानी बताने भी शायद ही कोई आएगा। मगर प्रतिष्ठित अखबार अगर कई सालों से हिमाचल में छप रहे हैं तो हम इतना मान ही सकते हैं कि इनकी रिपोर्ट झूठी नहीं है। और ये रिपोर्टें इशारा करती हैं कि कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है। वैसे भी बंबर ठाकुर की खुद की इमेज इतनी साफ नहीं है। वह डॉक्टर को तबादला करने की धमकी देने के आरोपों में घिरे है।

In Himachal की राय: इस तरह से गुंडागर्दी हिमाचल की संस्कृति नहीं है। हिमाचल प्रदेश को इस राजनीति का और सरकार की चुप्पी का विरोध करना होगा, वरना वह दिन दूर नहीं जह यहां की राजनीति भी कुछ अन्य बदनाम राज्यों की तरह गंदी और गुंडागर्दी भरी हो जाएगी।

जानवरों से भरे हिमालय के घने जंगल में अकेली रहती है यह बुजुर्ग महिला

कुल्लू।। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला, जहां पर है ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क। घना जंगल, जहां पर प्रकृति अपने स्वाभाविक रूप में है। इस जगह पर इंसानी दखल पर रोक है, क्योंकि जंगली जानवरों और वनस्पतियों के लिए समर्पित है यह जगह। रात तो क्या, दिन में भी यहां जंगली जानवरों का साम्राज्य रहता है। मगर इसी बियाबान में रह रही है 80 साल से ज्यादा उम्र की एक महिला।

महिला का नाम है चतरी देवी। साल 1999 में जब इस इलाके को नैशनल पार्क घोषित किया गया था, तब यहां के बाशिदों को हटाकर और जगह बसाया गया। बाकी परिवार को घर खाली करके चले गए, मगर चतरी देवी ने ऐसा नहीं किया। अधिकारियों ने कानून का हवाला दिया, मुआवजे की बात की मगर चतरी देवी जाने को तैयार नहीं हुई। मगर क्यों? इसका जवाब देते हुए वह कहती हैं, ‘मैंने अपनी जिंदगी के अनमोल पल इसी जगह बिताए हैं। मायके से विदा हुई तो पति के साथ यहीं रही, यहीं बच्चे जन्मे, उन्हें पाला-पोला। मेरे पति ने इसी घर में आखिरी सांस ली है। मैं कैसे इस घर को छोड़ दूं, मैं भी यहीं प्राण त्यागूंगी।’

चतरी देवी
चतरी देवी

यह कहते हुए चतरी देवी भावुक हो जाती हैं और उनकी आंखें भर आती हैं। अधिकारियों ने चतरी देवी को पार्क के बाहर जमीन देने की पेशकश भी की थी लेकिन वह तैयार नहीं हुईं। उनका कहना है कि 20 साल पहले पति चंदे राम ने बड़े अरमानों के साथ फिर से यह घर बनाया था। घर के आसपास के खेतों में खेती करते आ रहे हैं हम, अब क्यों जाएं यहां से। गौरतलब है कि चतरी घर के आसपास के खेतों मे कुछ न कुछ बोती हैं और उसकी देख-रेख में वक्त बिताती हैं।

चतरी देवी के तीन बेटे हैं और 9 पोते-पोतियां। ये सभी नैशनल पार्क से बाहर जाकर बस गए हैं। वस वही अकेले यहां रह रही हैं। उम्र और भावनाओं का ख्याल करते हुए चतरी के परिवार से कोई न कोई रात को साथ रहने के लिए यहां आता है और सुबह चला जाता है।

साल 2014 में ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क को यूनेस्को ने धरोहर में शामिल किया हुआ है। 250 स्क्वेयर किलोमीटर में फैले इस पार्क में तेंदुए और रीछ जैसे कई खूंखार जानवर हैं। मगर चतरी कहती हैं कि मुझे उनसे डर नहीं लगता। कई बार ये जानवर घर तक आ जाते हैं घूमते हुए, मगर हमला नहीं करते। चतरी कहती हैं कि न तो मैं उनके रास्ते में आती हूं न वे मेरे रास्ते में आते हैं।

रो पड़ेंगे हिमाचल के वीर शहीद की बहादुर बेटी की बातें सुनकर

कांगड़ा।। हो सकता है कि हममें से ज्यादातर शायद पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकवादी हमले को भूल गए हों। मगर इस हमले में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद होने वालों के परिजन इस बात को कभी नहीं भूल सकते। ‘इन हिमाचल’ लंबे समय से देख रहा था कि बहुत से लोग एक वीडियो को शेयर कर रहे हैं। इस वीडियो में एक शहीद की बेटी बता रही थी कि कैसे उसे अपने पिता की शहादत की खबर मिली। सच कहे तो इस वीडियो को देखने की हिम्मत ही हम नहीं जुटा सके, क्योंकि शुरुआती कुछ सेकंड्स ही हृदय को चीरकर रख देने वाले थे।

इस वीडियो में हिमाचल प्रदेश के शाहपुर के वीर शहीद संजीवन राणा की बहादुर बेटी शिवानी राणा बता रही थी उस दिन का हाल। इस बेटी की आंखों से बहते आंसुओं ने हमें द्रवित कर दिया और चाहकर भी हम उसकी पूरी बात सुनने की हिम्मत नहीं जुटा पाए और बीच में ही वीडियो को छोड़ दिया।

Cry

मगर फिर भी हमने हिम्मत करके इसे देखा और आज आप सभी के साथ शेयर कर रहे हैं। क्योंकि यह दर्द सिर्फ शहीद संजीवन राणा की बेटी शिवानी राणा का नहीं, बल्कि उन तमाम बेटियों, बेटों, माओं, पत्नियों, पिताओं, परिजनों और दोस्तों का है, जो अपनों को अचानक किसी वजह से खो देते हैं। हिम्मत रखकर आप भी देखें यह वीडियो:

उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने वैलेनटाइन्स डे को बताया भगत सिंह का शहीदी दिवस

वैलेनटाइंस डे के विरोध के नाम पर अमर शहीदों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का शहादत दिवस गिनाने का फर्जी मेसेज इस कदर वायरल हो गया है कि हिमाचल प्रदेश के मंत्री तक अछूते नहीं रहे। प्रदेश के उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने अपने पेज से एक पोस्ट डाली है, जिसमें उन्होंने कहा है कि आज के दिन वैलेनटाइंस तो है मगर शहीदों को फांसी दी गई थी। आगे उन्होंने कुछ और भी लिखा है, जिसका मतलब भगवान जाने क्या है।

इस पेज से मंत्री के दौरों की तस्वीरें और अन्य जानकारियां पोस्ट होती हैं जो ऑफिशली ही पोस्ट की जा सकती हैं। बहुत से लोगों ने मंत्री को इस गलती का अहसास कराने के लिए कॉमेंट किए हैं मगर खबर लिखने जाने तक पोस्ट न तो ठीक हुई थी न ही हटाई गई थी।

Mukesh-Agni

पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 7 अक्तूबर 1930 को फांसी की सजा सुनाई गई थी। 14 फरवरी 1931 को लॉर्ड इरविन के सामने पंडित मदन मोहन मालवीय ने मर्सी पिटिशन यानी दया याचिका डाली थी जो बाद में खारिज हो गई थी। आखिरकार इन तीनों वीर सपूतों को 23 मार्च 1931 को लाहौर में फांसी दे दी गई थी। शहीदों को इन हिमाचल का नाम और देशवासियों के अपील की कृपया शहीदों के बारे में सही जानकारी जुटाएं। इसमें शहीदों की भी इज्जत है और हमारी भी।