इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में इस साल चुनाव होने वाले हैं और इसके लिए तमाम सियासी दल अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। इस बीच हलचल बढ़ाने वाली खबर यह आ रही है कि बीजेपी को हिमाचल प्रदेश में एक और चेहरा मिलने वाला है। यह खबर नड्डा और धूमल, दोनों कैंपों के समर्थकों की धड़कनें बढ़ा सकती है क्योंकि बीजेपी संगठन में अहम भूमिका निभा रहे अजय जम्वाल हिमाचल वापसी करने वाले हैं।
‘इन हिमाचल’ को नई दिल्ली के सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस वक्त उत्तर-पूर्वी राज्यों में बीजेपी संगठन की जिम्मेदारियां संभाल रहे मंडी जिले के अजय जम्वाल इस बार हिमाचल के विधानसभा चुनावों में सक्रिय हिस्सा लेने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी उन्हें जोगिंदर नगर विधानसभा सीट से टिकट देने वाली है। यही नहीं, अगर बीजेपी चुनावों में जीत हासिल करके सरकार बनाने में कामयाब रहती है तो जम्वाल को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।
कौन हैं अजय जम्वाल?
मंडी जिले के जोगिंदर नगर के रहने वाले अजय जम्वाल यहां के वरिष्ठ बीजेपी नेता रहे कर्नल गंगा राम जम्वाल के बेटे हैं।अजय जम्वाल ने साल 1984 में मंडी के वल्लभ राजकीय कॉलेज में ग्रैजुएशन की और फिर एचपीयू शिमला में 1989 को एबीवीपी के प्रचारक के रूप में राजनीतिक सफर शुरू किया। सोलन से उन्होंने शुरुआत की और करीब 7 साल तक यहां रहे। 1991 में अरुणाचल प्रदेश में तीन साल तक रहे और 1995 में आरएसस (संघ) में आकर लेह-लद्दाख में प्रचारक रहे।
इसके बाद सक्रिय राजनीति में एंट्री हुई और बीजपी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर का संगठन मंत्री बनाया। यहां बीजेपी को 16 सीटें जीतने में कामयाबी मिली। बाद में पंजाब में आए और करीब 7 साल तक संगठन मंत्री की जिम्मेदारियां संभालीं। बीजेपी-अकाली सरकार यहां रिपीट करने में कामयाब रही। फिर अरुणाचल में 3 साल का अनुभव होने की वजह से असम चुनाव से पहले उन्हें नॉर्थ-ईस्ट की जिम्मेदारी दी गई। नतीजा यह रहा कि आज असम मे बीजेपी सरकार है।
अजय जम्वाल के पक्ष में हैं बहुत सी बातें
गौरतलब है कि मोदी और अमित शाह के युग का आगाज होने के बाद से हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी चुनाव से पहले किसी को भी सीएम कैंडिडेट घोषित करने से बचती रही है। साथ ही जीत होने के बाद नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाया गया है और वह भी उन लोगों को, जिनकी संघ और संगठन से करीबी रही है। हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में यही देखने को मिला है। हिमाचल को लेकर भी बीजेपी अभी तक इसी नीति पर चलती हुई दिख रही है, क्योंकि अभी तक यहां भी किसी को सीएम कैंडिडेट घोषित करने को लेकर कोई संकेत नहीं दिया गया है। इस बात को लेकर धूमल खेमा पहले से ही चिंता में दिख रहा है।
पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश आए पीएम मोदी ने कहा था कि हिमाचल को ऐसा नेतृत्व चाहिए जो सरकार एक बार आए तो कम से कम 10-15 साल टिके। माना जा रहा है कि उनका इशारा पार्टी के मौजूदा नेतृत्व की तरफ था, क्योंकि हिमाचल में न तो शांता कुमार और न ही प्रेम कुमार धूमल सरकार को रिपीट करवा पाए हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि जेपी नड्डा केंद्रीय मंत्री पद छोड़कर हिमाचल आ सकते हैं और उन्हें निर्णायक भूमिका दी जा सकती है। मगर ताजा डिवेलपमेंट बताते हैं कि नड्डा केंद्र में ही रहेंगे और धूमल को भी यह जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि 70 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को पार्टी अब अहम पद देने से बच रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि युवा नेतृत्व तैयार किया जा सके जो आने वाले 15-20 साल तक जिम्मेदारी निभाए। ये सब बातें जम्वाल के पक्ष में जाती हैं।
धूमल कैंप को लगेगा डबल झटका
जम्वाल के हिमाचल आने की खबर धूमल कैंप के लिए इसलिए भी झटका देने वाली है क्योंकि एक तो जम्वाल के आने से धूमल के सीएम बनने की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी। साथ ही अजय जम्वाल जोगिंदर नगर से चुनाव लड़ सकते है। मौजूदा समय में जोगिंदर नगर से प्रेम कुमार धूमल के समधी (अनुराग ठाकुर के ससुर) और वरिष्ठ बीजेपी नेता गुलाब सिंह ठाकुर बीजेपी के विधायक हैं। ऐसे में उनकी जगह जम्वाल का चुनाव लड़ना बड़ा परिवर्तन होगा। गौरतलब है कि गुलाब सिंह ठाकुर भी उम्रदराज हो चुके हैं और पिछले साल उनके बेटे सोमेंद्र ठाकुर जिला परिषद का चुनाव भी नहीं जीत सके थे। ऐसे में पार्टी उनकी जगह कोई यंग चेहरा देना चाहेगी और परिवाद के ठप्पे से भी बचना चाहेगी।
जोगिंदर नगर में अजय जम्वाल के चुनाव लड़ने के लिए हालात काफी अनुकूल हैं, क्योंकि उनके पिता सम्मानित समाजसेवी रहे हैं। साथ ही अजय छोटे भाई पंकज जम्वाल लगातार यहां सक्रिय हैं। पंकज इस वक्त मंडी जिले के बीजेपी महामंत्री हैं। स्टूडेंट पॉलिटिक्स में एबीवीपी से जुड़े रहे पंकज अब बीजेपी संगठन में हैं और मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद रामस्वरूप शर्मा के करीबी हैं। 2014 से जोगिंदर नगर हलके में रामस्वरूप शर्मा जहां-जहां गए हैं, पंकज जम्वाल उनके साथ गए है। उस वक्त उनके इस कदम के राजनीतिक मायने भले ही समझ न आ रहे हों, मगर अब साफ हो रहा है कि उनकी यह कवायद थी जनता से सीधा संपर्क बनाने की ताकि बड़े भाई अजय के लिए रास्ता आसान किया जाए।
…मगर सीट निकालना हो सकता है मुश्किल
लेकिन यह राह आसान नहीं है क्योंकि गुलाब सिंह ठाकुर को टिकट नहीं मिला तो वह मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। गुलाब सिंह ठाकुर काफी पॉप्युलर नेता हैं और वोटरों का एक बड़ा हिस्सा उनका कट्टर समर्थक है। ऐसे में गुलाब सिंह को विश्वास में लिए बिना सीट निकालना मुश्किल है। गुलाब सिंह का अगर टिकट कटता है तो उन्हें पता है कि उनकी परिवार की राजनीति के युग का भी अंत हो सकता है, इसलिए वह बड़ा कदम उठा सकते हैं।
फिर नड्डा और धूमल क्या होगा?
लंबे समय से चर्चा चल रही है कि धूमल सक्रिय चुनाव में हिस्सा न लेकर पार्टी के लिए प्रचार करेंगे और चुनाव के बाद उन्हें राज्यपाल बनाकर कहीं भेजा जा सकता है। अगर केंद्र से इस तरह का कोई संकेत मिलता है तो धूमल उसे मानने में आनाकानी नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हें पता है कि बेटे अनुराग ठाकुर को अभी कई साल राजनीति करनी है, ऐसे में पार्टी के साथ चलना ही अच्छा होगा। उधर नड्डा का इंतजार कर रहे समर्थकों के हाथ भी कुछ नहीं लगेगा। सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी चाहते हैं कि नड्डा केंद्रीय मंत्रिमंडल में ही रहें और साथ में दिल्ली में बैठकर संगठन की जिम्मेदारियों को भी निभाएं। ऐसे में अजय जम्वाल को हिमाचल लाने के कदम पीछे नड्डा भी हो सकते हैं, क्योंकि उनके जम्वाल से अच्छे रिश्ते हैं। केंद्र मे रहकर नड्डा हमेशा चाहेंगे कि उनका करीबी प्रदेश में शीर्ष पद पर हो।