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Saturday, September 13, 2025
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मंडी भूस्खलन: मृतकों और घायलों की सूची जारी

मंडी।। पठानकोट-मंडी एनएच पर पद्धर के पास कोटरोपी में हुए भूस्खलन में अब तक 7 लोगों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है। डीसी मंडी ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर इसकी जानकारी दी है। अभी मृतकों में 2 लोगों की ही पहचान हो पाई है।

पढ़ें: मंडी के कोटरोपी में भयंकर भूस्खलन से तबाही

डीसी मंडी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मृतकों में 2 लोगों की पहचान हुई है। इनमें एक जोगिंदर नगर की सुरुचि ठाकुर और दूसरी सरकाघाट की नेहा हैं। अन्य पांच लोगों की शिनाख्त अभी नहीं हो पाई है।

इसके अलावा हादसे में घायल पांच लोग मंडी जोनल हॉस्पिटल में ऐडमिट किए गए हैं। इनमें मंजू (20) करसोग, शुभम (21) शिमला, सुचित्रा (19) शिमला ज्योति शर्मा (18) शिमला और अनीता (23) जोगिंदर नगर शामिल है।

पढ़ें: एचआरटीसी के इन रूटों की बसें आई चपेट में

प्रशासन की तरफ से हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।उपायुक्त कार्यालय मंडी पर इन नंबरों पर फोन किया जा सकता है- 01905-226201, 02, 03, 04. एचआरटीसी ने भी दो नंबर जारिए किए हैं- 01905 235538 और 9418001051.

 

मंडी में भूस्खलन से भारी तबाही, तस्वीरें और वीडियो

मंडी।। हिमाचल प्रदेश के मंडी में भारी बारिश के बाद पहाड़ी दरकने से भारी नुकसान हुआ है। पठानकोट मंडी NH पर पद्धर से 5 किलोमीटर दूर कोटरोपी में बहुत बड़ा लैंडस्लाइड हुआ है। इससे NH का करीब 300 मीटर हिस्सा बह गया है। एचआरटीसी की दो बसें इस लैंडस्लाइड की चपेट में आई हैं जिससे 50 यात्रियों के दब जाने की आशंका है। जोगिंदर नगर से मंडी के बीच कोई यात्रा न करें, सड़क बंद है। (अपडेट की गई ताज़ा ख़बर यहां क्लिक करके पढ़ें)

पढ़ें: HRTC के इन रूटों की बसें आईं लैंडस्लाइड की चपेट में

कोटरोपी में रात करीब साढ़े 12 बजे यह भूस्खलन उसी जगह पर हुआ है जहां से चुक्कू के लिए सड़क जाती है। पहाड़ी का मलबा बहुत ऊपर से गिरा है और जैसा कि आप तस्वीर में देख सकते हैं, मलबा बहुत ज्यादा है। इसकी चपेट में एक मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग भी आई है। कोटरोपी का रेन शेल्टर भी गायब है। घटनास्थल पर पहुंचे स्थानीय निवासी हेमसिंह ठाकुर ने फेसबुक पर वीडियो बनाया है, जिसे आप नीचे देख सकते हैं:

परिवहन मंत्री जी.एस. बाली ने बताया है कि निगम की दो बसें इस लैंडस्लाइड की चपेट में आई हैं- मनाली-कटड़ा और मनाली चंबा। एचआरटीसी की जिस बस से 4 शव बरामद होने की बात कही जा रही है, उससे ज्यादातर सवारियां पहले ही उतर चुकी थीं।

भूस्खलन की चपेट में आई बस

मगर दूसरी बस, जो सवारियों से पूरी भरी थी, मलबे में दबी हुई है। परिवहन मंत्री ने 50 यात्रियों के दबने की आशंका जताई है।

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साथ ही आशंका यह भी है कि कुछ और वाहन और लोग भी इस मलबे में दबे हो सकते हैं।

अभी तक मौतों और नुकसान के बारे में आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है मगर राहत और बचाव कार्य की कोशिश जारी है और खबर लिखे जाने तक एक जेसीबी वहां काम कर रही थी।

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और संसाधन जुटाए जा रहे हैं और प्रशासनिक अमला और आसपास के लोग भी मदद के लिए आगे आए हैं।हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं जो इस तरह से हैं- प्रशासन: 01905 226201, 226202, 226203 HRTC: 01905 235538 और 9418001051

तस्वीरें: देखें, कितने बड़े इलाके में हुआ लैंडस्लाइड 

(यह खबर अपडेट की जा रही है)

 

मंडी लैंडस्लाइड: इन रूटों की 2 बसों से 50 यात्री बहे

मंडी।। मंडी जिले के कोटरोपी में आई प्राकृतिक आपदा में हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की दो बसों के दबने की पुष्टि हुई है। परिवहन मंत्री जी.एस. बाली ने बताया है कि मनाली-कटड़ा और चंबा-मनाली रूट की बसें इस लैंडस्लाइड की चपेट में आई हैं और करीब 50 लोगों के बह जाने की खबर है।

पढ़ें: मंडी के कोटरोपी में बहुत बड़ा भूस्खलन, भारी नुकसान

परिवहन मंत्री ने फेसबुक पेज पर डाले स्टेटस में लिखा है, ”मंडी जिले के कोटरोपी में रात को बारिश के बाद हुए भूस्खलन में परिवहन निगम की दो बसें भी चपेट में आ गईं। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में करीब 50 लोगों के बह जाने की आशंका है। इनमें एक बस चंबा-मनाली और दूसरी मनाली-कटड़ा है।”

आगे वह लिखते हैं, ”रात 2 बजे से राहत व बचाव कार्य जारी हैं और मैं खुद लगातार जिला प्रशासन व अन्य संबंधित अधिकारियों के संपर्क में हूं। मामले की गंभीरता को देखते हुए सेना को भी बुलाया गया है। जल्द ही हेल्पलाइन नंबर इसी स्टेटस पर अपडेट किया जाएगा।”

इस हादसे में एचआरटीसी की एक बस दब गई थी। ज्यादातर सवारियां उतर गई थीं। बाद में कुछ को बचाया गया। 4 शव भी निकाले गए हैं।

वहीं जानकारी मिल रही है कि मनाली-कटड़ा बस से कुछ यात्रियों को बचाया गया है मगर दुर्भाग्य से मनाली-चंबा बस का कुछ पता नहीं चल पा रहा है। बताया जा रहा है कि यह बस यात्रियों से पूरी तरह भरी हुई थी।

तस्वीरें: देखें, कितने बड़े इलाके में हुआ लैंडस्लाइड

इस संबंध में हेल्पलाइन नंबर या अन्य जानकारी मिलने पर हम अपडेट करेंगे।

तस्वीरें देखें और जानें, कितना बड़ा है मंडी में हुआ लैंडस्लाइड

पहली तस्वीर पर क्लिक करने के बाद स्वाइप करें, ठीक उसी तरह जैसे स्मार्टफोन की गैलरी में तस्वीरों को देखने के लिए करते हैं।

पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें

30 हजार रुपये किलो बिकती है हिमाचल में उगने वाली गुच्छी

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विवेक अविनाशी।। गुच्छी सिर्फ प्राकृतिक तौर पर उगती है। इसकी खेती करने में अभी वैज्ञानिकों को सफलता नहीं मिली है। इसके न तो आज तक बीज तैयार हो पाए और न ही उगाने की कोई और विधि का पता चल पाया। यही कारण है कि इसकी कीमत 20 से 30 हजार रुपए प्रति किलो तक है।

 

वैज्ञानिकों के अनुसार गुच्छी में कार्बोहाईड्रेट की मात्रा शून्य होती है। यह हृदय रोग, नियूरेपिक, मोटापा और सर्दी-जुखाम जैसी बीमारियों से लड़ने में रामबाण साबित होती है। इसका इस्तेमाल कई घातक बीमारियों को ठीक करने वाली दवाइयों के निर्माण में भी होता है। इसीलिए डॉक्टर भी इसे संजीवनी मानते हैं।

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हिमाचल में कुल्‍लू, शिमला के उपरी इलाकों, सोलन, सिरमौर में कई लोग इसे बेचकर लाखों रुपया तक कमा लेते हैं। बादलों से गहरा रिश्ता है हिमाचल की गुच्छियों का हिमाचल के उपरी पहाड़ी इलाकों में पैदा होने वाली गुच्छियों का बादलों और आसमानी बिजली से गहरा रिश्ता है। कहते हैं जितने अधिक बादल गरजते हैं और बिजली चमकती है उतने ही अधिक मात्र में यह गुच्छियाँ धरती से फूटती हैं।

 

पैदा होने के तीन-चार दिन में यह गुछियाँ तीन से चार इंच तक लम्बी हो जाती हैं। इनका रंग गहरा भूरा या फिर हल्का भूरा होता है। प्रायः यह गुच्छियाँ देवदार और कैल के जंगलों के इलावा सेब, नाशपाती के पुराने बागीचों और कैंथ के पेड़ों के पास मिलती हैं। हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में 5000 फीट से दस हजार फीट की उंचाई वाले क्षेत्रों में यह गुच्छियाँ उंचाई वाले क्षेत्रों में मिल जाती हैं।

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बुजर्गों का कहना है गुच्छियाँ अमूमन पाक़-साफ़ दिलवालों को ही मिलती हैं। कुछ का तो यह भी कहना है कि सांवले चेहरे वालों को ही गुच्छियां जंगलों में नज़र आती हैं। जंगलों में इन गुच्छियों को तलाश करने के लिए काफ़ी मशक्कत करनी पडती है। कुल्लू जनपद के एक महाशय के अनुसार डेढ़ किलो गुछियां बटोरने के लिए 100 से अधिक गांवों की ख़ाक छाननी पडती है। ये गुच्छियां जंगलों में दरख्तों के नीचे या पुराने ठूंठों के के साथ भी पैदा होती है। जंगलों में आग के बाद बचे अवशेषों पर भी यह गुच्छियाँ पैदा होती हैं।

 

पहाड़ों में ताज़ी गुच्छियों को इकट्ठा कर सुखाया जाता है ताकि विशेष अवसरों पर इस का व्यंजन के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। पहाड़ की शाही दावतों में “गुच्छी वाली मदरे” और “गुच्छी पुलाव” का विशेष स्थान है। काबुली चना युक्त गुच्छी वाला मदरा पहाड़ का अति स्वादिष्ट व्यंजन है। गुछियों में आयरन, कैल्शियम और विटामिन”बी” तथा “डी” की भारी मात्र होती है। सुखी गुच्छियों का बाज़ार भाव 15,000 रूपये से लेकर 25,000 रूपये प्रति किलो तक है। हिमाचल प्रदेश में गुच्छियों का व्यापार 30 करोड़ रुपये से भी अधिक का होता है।

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प्रायः प्रदेश के प्रसिद मेलों- कुल्लू का दशहरा, रामपुर के लवी, मंडी की शिवरात्री और चंबा के मिंजर मेले में लोग इन सुखी गुच्छियों को बेचने आते हैं।

 

(लेखक हिमाचल प्रदेश के हितों के पैरोकार हैं और जनहित के मुद्दों पर लंबे समय से लिख रहे हैं। इन दिनों ‘इन हिमाचल’ के नियमित स्तंभकार हैं। उनसे vivekavinashi15@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

देखें और जानें, कैसे बनाएं अरबी के पत्तों के पतरोड़े

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश का शायद ही कोई बाशिंदा ऐसा होगा जिसे अरबी के पत्तों से बनाए जाने वाले स्नैक्स ‘पतरोड़े’ या ‘पतरोड़ू’ पसंद न हों। इन्हें आप तलने के बाद पकौड़ों के रूप में भी खा सकते हैं और सिर्फ उबालकर घी या मक्खन के साथ रोटी के साथ भी खा सकते हैं। कुछ लोग कढ़ी में भी पतरोड़ू को ठीक उसी तरह से डालते हैं, जैसे पकौड़े डाले जाते हैं।

 

बहरहाल, पतरोड़े या पतरोड़ू देखने में जितने आकर्षक लगते हैं, खाने में उतने ही लजीज होते हैं। अगर आपको नहीं पता कि कैसे इन्हें तैयार किया जाता है तो नीचे वीडियो देखें और आसानी से सीखें:

वीडियो: समाचार फर्स्ट से साभार

इंटरव्यू में बाहर हुई रिटन की ‘सेकंड टॉपर’ ने PM को लिखी चिट्ठी

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) के काम करने के तौर-तरीकों को लेकर अभ्यर्थियों द्वारा सवाल उठाने का सिलसिला जारी है। साक्षात्कार के आधार पर ही स्कूल और कॉलेजों में लेक्चरर्स की भर्ती की जा रही है। मगर अभ्यर्थी सवाल उठा रहे हैं कि छंटनी परीक्षा के टॉपर्स को साक्षात्कार में कम अंक देकर बाहर का रास्ता क्यों दिखाया जा रहा है।

 

ताजा मामला धर्मशाला की 34 साल की मोनिका डोगरा से जुड़ा है। मोनिका का कहना है कि वह पीजीटी पद के इंग्लिश सब्जेक्ट की छंटनी की परीक्षा में सेकंड टॉपर बनती हैं मगर इंटरव्यू में मुझे सिर्फ 52 अंक दिए गए। उनका कहना है कि एक तरफ तो सरकार इंटरव्यू खत्म करने की बात कर रही है मगर यहां इंरटव्यू में कम अंक मिलने पर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।

 

यह स्पष्ट करना जरूरी है कि आयोग ने जब पदों के लिए विज्ञापन निकाला था तो स्पष्ट किया था कि अंतिम चयन साक्षात्कार के आधार पर ही होगा। मगर अभ्यर्थियों का आरोप है कि सबकुछ सोची-समझी नीति के तहत हो रहा है। आरोप है कि अंतिम रिजल्ट पहले जारी कर दिया गया और उसके दो-तीन हफ्ते बाद बताया गया कि इंटरव्यू और रिटन में किसके कितने नंबर आए। आरोप है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि चुने गए उम्मीदवारों की जॉइनिंग हो जाए।

भर्ती का विज्ञापन (Image: MBM News Network)

अभ्यर्थी आरोप लगा रहे हैं कि अगर आयोग पारदर्शिता बरत रहा है तो छंटनी परीक्षा के साथ-साथ साक्षात्कार में हासिल किए गए अंकों को चंद रोज में ही क्यों नहीं जारी कर किया जा रहा।

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34 वर्षीय मोनिका सामान्य वर्ग में तीसरी बार इंटरव्यू में अपीयर हुई थीं। एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मोनिका डोगरा ने अपनी आपबीती सुनाने के लिए संपर्क किया। उन्होंने बताया कि तकरीबन एक सप्ताह पहले प्रधानमंत्री कार्यालय को भी आयोग की धांधली बारे अवगत करवाया गया था, जहां से फिलहाल कोई जवाब नहीं मिला है।

पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी (Image: MBM News Network)

मोनिका ने बताया कि जून महीने में साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था, लेकिन लिखित परीक्षा में सेकंड टॉपर होने के बावजूद पद के लिए अयोग्य करार दे दिया गया। 34 वर्षीय मोनिका बताती हैं कि उन्होंने सामान्य वर्ग के तमाम चयनित प्रत्याशियों की सूची अपने स्तर पर तैयार की हैं, जिसमें दूध का दूध, पानी का पानी हो रहा है।

मोनिका

मोनिका ने कहा कि इस बाबत वह कानूनी राय भी ले रही हैं। पूछे जाने पर मोनिका ने बताया कि साक्षात्कार के दौरान 10-12 सवाल पूछे थे, जिसमें से केवल एक का जवाब नहीं दे पाई थी। अब ऐसा लग रहा है कि राजनीतिक सिफारिश न होने की वजह बाहर कर दिया गया।

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(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित की गई है)

हिमाचल में बन रही 16 दवाइयों के सैंपल फेल

सोलन।। हिमाचल प्रदेश में बन रही 16 दवाइयों के सैंपल फेल हो गए हैं। इन दवाइयों में ऐंटी-बायोटिक, ऐंटी-एलर्जी और आयरन की गोलियां शामिल हैं।

 

खास बात यह है कि इन 16 में से 12 दवाइयां बद्दी इंडस्ट्र्लियल एरिया की कंपनियों में बन रही थीं। बद्दी के अलावा काला अंब, नालागढ़, पावंटा साहिब और कुमारहट्टी की एक-एक कंपनी के सैंपल फेल हुए हैं।

 

केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की तरफ से पूरे देश के लिए जुलाई महीने के ड्रग अलर्ट में कुल 41 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इनमें से 16 हिमाचल से होना बताता है कि यहां की कंपनियों कितनी लापरवाही बरत रही हैं। पिछले एक साल में जिन 267 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं उनमें से 88 दवाओं का उत्पादन हिमाचल में हुआ है।

 

इस बीच राज्य दवा नियंत्रक बद्दी नवनीत मागवाह का कहना है कि हिमाचल में मौजूद उन सभी दवा उद्योगों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं जिनकी गुणवत्ता खराब पाई गई है। इन कंपनियों को अब इन दवाओं के बैच देश भर के बाजारों से वापस मंगवाकर नष्ट करने होंगे।

CBI जांच में खुली पुलिस की लापरवाही की पोल: मीडिया रिपोर्ट

शिमला।। शिमला के बहुचर्चित गुड़िया रेप ऐंड मर्डर केस की जांच में पुलिस द्वारा इन्वेस्टिगेशन में लापरवाही बरतने की बात सामने आ रही है। हिंदी अखबार पंजाब केसरी की रिपोर्ट का कहना है कि पुलिस ने गुड़िया के शव का पोस्टमॉर्टम कराने के बाद सैंपल्स को अस्पताल से फरेंसिक लैब तक पहुंचाने में 4 दिन लगा दिए। वह भी तब, जब आईजीएमसी शिमला से जुन्गा फरेंसिक लैब तक गाड़ी से जाने में सिर्फ 1 घंटे का टाइम लगता है।

 

इतना बड़ा मामला होने के बावजूद अधिकारी शायद 2 दिन की छुट्टियां बीतने का इंतजार करते रहे। दो दिन छुट्टियों के बाद भी दूसरे वर्किंग डे पर ये सैंपल लैब में पहुंचे। जानकारों का कहना है कि इस तरह की देरी की वजह से सैंपल्स के नेचर में बदलाव आ सकता है यानी जांच में दिक्कत आ सकती है और इस केस में भी ऐसा ही हुआ।

 

अखबार ने लिखा है कि  विशेष परिस्थितियों में प्रयोगशाला में अवकाश वाले दिन भी जांच होती है। फरेंसिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि इतने वक्त में नमूने अपने नेचर को बदल भी सकते हैं। इससे सही रिजल्ट नहीं आ सकता है। इसी से फोरेंसिक विशेषज्ञों को काफी मुश्किल आई।

 

लैब से एक्सपर्ट को नहीं बुलाया गया था
अखबार का कहना है कि जांच मे एक लापरवाही यह भी सामने आई है जकि जब आईजीएमसी के स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमॉर्टम किया, उश दौरान पुलिस के जांच अधिकारी मौके पर थे। मगर जहां पर आगे की जांच होनी थी, उस लैब से एक्सपर्ट को नहीं बुलाया गया था। जो एक्सपर्ट 6 जुलाई को दांदी के जंगल में था, वह भी पोस्टमॉर्टम के दौरान वहां नहीं था। अखबार का कहना है कि फरेंसिक निदेशालय के विशेषज्ञ का कहना है कि विसरा और अन्य जरूरी हिस्सों को लैब में भेजा जाता तो जांच में आसानी होती।

बंदरों के हमले में घायल हुए बुजुर्ग की मौत

मंडी।। हिमाचल प्रदेश में बंदरों के हिंसक व्यवहार की खबरें नई नहीं हैं। ताजा मामले में बंदरों से हमले से एक बुजुर्ग की मौत हो गई। मामला हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का है।

 

पैलेस कॉलोनी में रहने वाले 62 साल अमरजीत सिंह घर से दुकान के लिए निकले थे। जैसे ही वह घर की सीढ़ियां उतरने लगे, बंदर उनके चेहरे पर झपट पड़े। बंदर के नाखून चुभने से अमरजीत का संतुलन बिगड़ा और वह सीढ़ियों से गिर गए।

 

जख्मी हालत में उन्हें मंडी अस्पताल पहुंचाया गया मगर डॉक्टरों ने वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया।

इस तरह के कई मामले अब तक सामने आ चुके हैं। करीब चार साल पहले समखेतर मोहल्ले में किराये के मकान में रह रही कॉलेज छात्रा निशा छत पर कपड़े सुखाने गई थी। इस दौरान बंदरों ने उस पर हमला कर दिया। वह भी सीढ़ियों से सिर के बल गिर गई थी और उसकी आंखों की रोशनी चली गई थी।

 

अप्रैल 2015 में कांगड़ा के नूरपुर में एक बुजुर्ग पर बंदरों के झुंड ने हमला कर दिया था। बुरी तरह से जख्मी होने के बाद उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ में दम तोड़ दिया था। इसी तरह विभिन्न इलाकों में लोग गंभीर रूप से जख्मी होते रहे हैं।

 

इस मामले में सरकारें वादे तो करती हैं मगर अब तक कुछ होता नजर नहीं आया है।