सोलन में इनोवा ने मजदूरों को टक्कर मारी, 5 की मौत, 4 घायल

सोलन।। सोलन के धर्मपुर में एक सड़क हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई। कालका-शिमला एनएच पर मंगलवार सुबह एक इनोवा ने सड़क किनारे चल रहे मजदूरों को टक्कर मार दी। पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि चार का इलाज चल रहा है। इनमें से दो की हालत गंभीर है जिन्हें पीजीआई चंडीगढ़ भेजा गया है।

सुबह करीब नौ बजे लांबा अस्पताल के सामने यह हादसा हुआ। एनएच 5 पर पेट्रोल पंपर के सामने इनोवा ने मजदूरों को टक्कर मारी। इनोवा का ड्राइवर कसौली का है। मरने वाले और घायल हुए मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार से संबंध रखते हैं।

मैच में पाकिस्तान का सपॉर्ट करने पर लोगों ने घुटने पर बिठवाकर मंगवाई माफी

गोवा।। गोवा में एक शख्स को घुटनों पर बिठाकर भारत माता की जय नारे लगवाने का मामला सामने आया है। इस शख्स पर आरोप है कि उसने पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए क्रिकेट मैच में पाकिस्तान का समर्थन किया।

दरअसल, एक ट्रैवल ब्लॉगर ने गोवा का एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें एक दुकान के सामने से गुजरते हुए उसने टीवी पर क्रिकेट मैच देख रहे दुकानदार से पूछा कि क्या आप इंडिया को सपॉर्ट कर रहे हो। इस पर दुकानदार ने कहा- “नहीं, पाकिस्तान को। क्योंकि ये पूरा मुस्लिम इलाका है।”

वीडियो देखें-

इसके बाद ब्लॉगर ने हैरानी जताते हुए कहा कि कमाल है कि भारत में लोग पाकिस्तान को सपॉर्ट कर रहे हैं। इस वीडियो को पोस्ट करने के बाद कुछ लोगों ने दुकानदार के पास जाकर उसे घुटनों पर बिठाया और भारत माता की जय के नारे लगवाए। दुकानदार ने कहा कि उससे गलती हो गई है और आगे ऐसा कभी नहीं होगा।

यह घटना उत्तरी गोवा के कैलंगुट की है। वहां लोगों का कहना था कि यहां कोई मुस्लिम गली नहीं है और देश को धर्म के आधार पर मत बांटो। इस संबंध में अभी किसी भी पक्ष की ओर से एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई है।

 

कर्मचारी चयन आयोग को बंद कर देना समस्या का हल नहीं है

देवेंद्र।। हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को भंग करने को लेकर बहुत से बेरोजगार प्रतिक्रिया दे रहे हैं कि बहुत बढ़िया हुआ,एकदम सही फैसला, इसे पहले ही बंद कर देना चाहिए था आदि-आदि। क्या यह सचमें सही हुआ। आज जिस लोकसेवा आयोग के माध्यम से भविष्य की भर्तियों की बात सभी कर रहे हैं उस पर भी तो समय-समय पर अंगुलियां उठती आयी हैं। क्या कभी किसी ने इस ओर ध्यान दिया?

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देखा जाए तो प्रदेश के 8 लाख के लगभग शिक्षित बेरोजगारों के लिए चयन आयोग का बंद होना कोई सुखद समाचार नहीं हैं। गुनाह किसी ने किया और सजा किसी और को मिली। एक बेरोजगार के लिए चंबा से हमीरपुर में भर्ती प्रक्रिया में भाग लेना आसान है या चंबा से शिमला जाना? सरकार को यदि करना था तो पेपर चोरी व लीक करने के मामले में दोषियों को ऐसी सजा देनी चाहिए थी कि भविष्य में कोई भी ऐसा करने से पहले सौ बार सोचता।

बेरोजगारों के लिए कर्मचारी चयन आयोग मात्र भर्ती संस्था ही नहीं है बल्कि उनके सपनों को पूरा करने के लिए मां-बाप के बाद कोई दूसरा है तो वो है प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग।

अच्छी बात है प्रदेश सरकार ने इस भ्रष्टाचार को उजागर कर इसका भंडाफोड़ किया, लेकिन क्या ऐसा संभव नहीं हो सकता था कि आयोग को भंग करने की बजाए, पिछले 5 वर्ष की भर्ती प्रक्रियाओं की जांच की जाती और जो भी अनैतिक तरीके से सरकारी सेवा में आए हैं, उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया जाता। यह भी तो संभव था कि आयोग में मौजूदा पूरे स्टाफ को बदल कर इनके स्थान पर नया स्टाफ लगा दिया जाता। इससे कम से कम कर्मचारी चयन आयोग का अस्तित्व तो बरकरार रहता।

मैदानी या लोअर हिल्स वाले हिमाचल के लोगों का जीवन-यापन या तो सरकारी नौकरी पर निर्भर है या फिर दिहाड़ी मजदूरी पर। यहां के लोगों के लिए बागबानी आर्थिकी का जरिया नहीं है। हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, चंबा, मंडी, कुल्लू, लाहौल स्पीति आदि जिलों के बेरोजगार युवाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए शिमला पहुंचने की बजाए हमीरपुर एक सुगम व सस्ता क्षेत्र रहा है, हमीरपुर में कर्मचारी चयन आयोग का गठन भी इसी उद्देश्य के लिए किया गया था। आज कर्मचारी चयन आयोग बंद होने के समाचार से उन हजारों युवाओं को भी ठेस लगी होगी जिन्होंने कड़ी मेहनत से इसी आयोग के माध्यम से नौकरी हासिल की होगी।

ऐसा भी नहीं कि कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से केवल भाजपा के कार्यकाल में ही भर्तियां हुई, सरकार भले भाजपा की रही हो या कांग्रेस की, सभी के कार्यकाल में कर्मचारी आयोग के माध्यम से भर्तियां हुई हैं। इस बार सत्ता परिवर्तन में बेरोजगारों ने भी अहम भूमिका निभाई है, उम्मीद है सरकार भले ही किसी का विश्वास जीतने में पीछे रह जाए लेकिन बेरोजगारों का विश्वास टूटने न पाए क्योंकि बेरोजगार पहले ही बहुत बुरी तरह से टूटा हुआ है।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। उनसे jahubhamblabum@gmail.com पर ईमेल के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है)

HPSSC हमीरपुर को भंग किया गया, अब HPPSC देखेगा सारी भर्तियां

शिमला।। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग (HPSSC) को भंग करने का फैसला किया है। आयोग को बीते साल दिसंबर में जेओए आईटी का पेपर लीक होने के बाद सस्पेंड कर दिया गया था। सीएम ने बताया कि मामले की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद उन्होंने फैसला किया कि आयोग को भंग करना ही उचित होगा।

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सीएम ने कहा, “यह बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि कर्मचारी चयन आयोग में बीते तीन साल से भर्ती परीक्षाओं के पेपर बेचे जा रहे थे। ये पेपर कुछ लोगों की ही बेचे जा रहे थे। जांच रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इसको देखते हुए आयोग को भंग करने का फैसला लिया गया है।”

दरअसल, 25 दिसंबर 2022 को पोस्ट कोड 965 जेओए आईटी की भर्ती परीक्षा होनी थी लेकिन 23 दिसंबर को हमीरपुर विजिलेंस टीम ने चयन आयोग की गोपनीय शाखा की वरिष्ठ सहायक उमा आजाद को पेपर लीक मामले में गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद प्रदेश सरकार ने 26 दिसंबर 2022 को आयोग को निलंबित कर दिया था।

सीएम ने कहा कि नीचे से लेकर ऊंचे स्तर के स्टाफ की पेपर लीक करने में संलिप्तता पाई गई है। उन्होंने कहा कि जांच जारी है, इसलिए अभी वह जानकारियां साझा नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि मामले की पहली चार्जशीट फाइल की जा रही है और जल्द की सप्लिमेंटरी चार्जशीट भी फाइल की जाएगी। अब तक इस मामले में 8 लोगों को चार्जशीट किया गया है।

May be an image of 2 people and text that says "IN HIMACHAL "हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में तीन वर्ष से पेपर बेचने का धंधा चल रहा था| तथ्यों को देखने के बाद आज सुबह जब फाइल आई तो हमने निर्णय लिया कि हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर दिया जाए| हमने पहले कामकाज भंग किया था, अब आयोग ही भंग कर दिया है|" सुखविंदर सिंह सुक्खू, सीएम"

मंगलवार को सीएम ने बताया कि हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग की जिन भर्ती परीक्षाओं के परिणाम आने हैं या जारी हुए हैं, उन सभी की भी जांच की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि आयोग के स्टाफ सरप्लस पूल में डाला गया है और उनसे पूछा जाएगा कि वे किस विभाग में जाना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक नई भर्ती एजेंसी तय नहीं होती, तब तक राज्य लोकसेवा आयोग (HPPSC) ही भर्ती प्रक्रिया पूरी करेगा। सीएम ने कहा कि जिन परीक्षाओं का नतीजा नहीं निकला है, उनकी आगे की प्रक्रिया भी पब्लिस सर्विस कमिशन देखेगा। जिन परीक्षाओं के रोल नंबर जारी हुए हैं, उनकी परीक्षा भी HPPSC करवाएगा।

रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन की मदद पर जो बाइडन पर महाभियोग चलेगा: रिपब्लिकन नेत्री

इन हिमाचल डेस्क।। जॉर्जिया से रिपब्लिकन पार्टी की प्रतिनिधि मॉर्ज्री टेलर ग्रीन ने मांग की है कि यूक्रेन की मदद करने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन के खिलाफ महाभियोग चलाया जाना चाहिए।

ग्रीन ने जो बाइडन की एक पुरानी वीडियो क्लिप शेयर की है।  अप्रैल 2022 की इस क्लिप में बाइडन ने यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के बीच यूक्रेन के नागरिकों की मदद करने के लिए प्रतिबद्धता जता रहे हैं।

ग्रीन ने ट्वीट किया है, “जो बाइडन पर महाभियोग चलेगा। यूक्रेन अमेरिका का 51वां राज्य नहीं है। हम पहले से ही 34 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज में है। रोज हजारों लोग हमारी सीमाओं को पार कर रहे हैं और पूर्वी फलस्तीन में अमेरिकियों को जहर जिया जा रहा है। बहुत हुआ। बाइडन पर महाभियोग चलाया जाए।”

मॉर्ज्री टेलर ग्रीन

बाइडन के खिलाफ महाभियोग कौन लाएगा, कैसे लाएगा, इस बारे में ग्रीन ने कुछ नहीं लिखा।

कील इंस्टिट्यूट के मुताबिक  यूक्रेन को 24 जनवरी 2022 से लेकर 20 नवंबर 2022 तक अमेरिका से 48 बिलियन डॉलर की मदद मिली है।

हाल ही में अमेरिका ने तीन बिलियन डॉलर की सैन्य मदद यूक्रेन को भेजी है ताकि वो रूस से लड़ सके। इसमें तरह तरह के हथियार, होवित्ज़र मिसाइल और ऐंटी टैंक मिसाइल शामिल हैं।

ग्रीन ही नहीं, बहुत सारे रिपब्लिकन यूक्रेन को फंड भेजने का विरोध कर चुके हैं।  ग्रीन ने तो इस मदद की राशि का ऑडिट करवाने की भी मांग की थी।

इस विरोध के बावजूद यूक्रेन को लगता है कि उसे अमेरिका की ओर से मदद मिलना जारी रहेगा।

 

छत्तीसगढ़ में 6 कांग्रेस नेताओं पर ED की छापेमारी, भूपेश बघेल बोले- हताश है बीजेपी

रायपुर।। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार सुबह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के छह नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की है। इन नेताओं में कांग्रेस के पदाधिकारियों के साथ-साथ विधायक भी शामिल हैं। ईडी ने यह कार्रवाई लेवी कोयला घोटाले के संबंध में की है। कांग्रेस का कहना है कि यह कार्रवाई उसके महाधिवेशन को प्रभावित करने के लिए की गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी असल मसलों से ध्यान बंटाने की कोशिश कर रही है।

ईडी की यह कार्रवाई उस समय हुई है जब 24 फरवरी को कांग्रेस का महाधिवेशन होना है। इसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई बडे़ नेता शिरकत करेंगे। ईडी की कार्रवाई को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “अडाणी की सच्चाई खुलने और भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से हताश हो चुकी बीजेपी ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।” उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस पार्टी रायपुर में ED दफ्तर का घेराव करेगी।

भूपेश बघेल का ट्वीट

भूपेश बघेल ने बताया कि जिन लोगों पर ईडी ने छापा मारा है, उनमें कांग्रेस प्रदेश कमेटी के कोषाध्यक्ष, पूर्व उपाध्यक्ष और एक विधायक शामिल हैं।

क्या है कोयला लेवी घोटाला?

ईडी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में जो भी कोयला ट्रांसपोर्ट हुआ, उसमें 25 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली की गई थी। एजेंसी के मुताबिक यह सब व्यापारियों, अफसरों और राजनेताओं की मिलीभगत से हुआ। ईडी का अनुमान है कि 2021 में कुल 500 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई थी। ईडी इस मामले में पहले भी कार्रवाई करके चार करोड़ कैश समेत अन्य संपत्तियां और दस्तावेजों की जब्ती कर चुका है। इस मामले में एक आईएएस अधिकारी और नौ कारोबारी जेल में बंद हैं।

पाकिस्तान को अब तालिबान ने भी दिया झटका, जानें क्या कदम उठाया

डेस्क।। आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब पाकिस्तान को पड़ोसी देश अफगानिस्तान में सत्ता पर बैठे तालिबान ने भी आंखें दिखाना शुरू कर दिया है। तालिबान ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच तोर्खम बॉर्डर को बंद कर दिया है। इस सीमा के माध्यम से ही दोनों देशों के बीच ज्यादा पारिक आदान-प्रदान होता है।

दरअसल, जब से अफगानिस्तान में तालिबान ने सत्ता पर कब्जा किया है, तबसे पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान ने अपनी कार्रवाईयां तेज कर दी हैं। लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों से पाकिस्तान सेना और पुलिस परेशान है। इस बीच पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से इलाज के लिए आने वाले लोगों को रोक दिया।

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इसके बाद तालिबान ने बॉर्डर को बंद करते हुए कहा कि पाकिस्तान अपने वादे पूरे नहीं कर रहा है। वे कौन से वादे हैं, इस बारे में कोई भी जानकारी तालिबान की ओर से नहीं दी गई। तोर्खम के आयुक्‍त का कहना है कि बॉर्डर को यात्रा और ट्रेड के लिए बंद किया गया है।

मौलवी मोहम्‍मद सिद्दीकी तोर्खम के आयुक्त हैं। उन्होंने ट्वीट करके लिखा है, ‘पाकिस्‍तान ने अपने वादों को पूरा नहीं किया, इसी कारण हमने अपने नेतृत्व के निर्देश पर सीमा को बंद किया है।” अफगान प्रशासन ने लोगों को भी इस क्षेत्र की यात्रा करने से बचने की सलाह दी है।

स्मार्ट सिटी का काम लटकाने वाले ठेकेदारों पर लगेगी पेनल्टी: सुधीर शर्मा

मृत्युंजय पुरी, धर्मशाला।। स्मार्ट सिटी धर्मशाला के कार्यों में देरी करने वाले ठेकेदारों को पेनल्टी लगेगी। यह कड़ा फैसला स्मार्ट सिटी प्रबंधन ने लिया है। प्रदेश में नई कांग्रेस सरकार बनने के बाद धर्मशाला में इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। पूर्व शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा के निर्देशों पर स्मार्ट सिटी प्रबंधन इन परियोजनाओं को पूरा करने में जुट गया है।

हाल ही में हुई एक बैठक में स्मार्ट सिटी के जीएम ईं सजीव सैणी कह चुके हैं कि काम में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसा करने वाले ठेकेदारों को पेनल्टी लगाई जाएगी। संजीव सैणी ने बताया कि अभी स्मार्ट रोड, स्ट्रीट लाइटों व अन्य कार्यों को गति देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विद्युत बोर्ड को दिए गए 150 करोड़ रुपए के प्रोजेक्टों को भी और तेजी दी जा रही है। इसमें जीरो टोलरेंस की नीति को अपनाया जा रहा है।

50 प्रोजेक्ट किसी न किसी स्टेज से गुजर रहे
धर्मशाला में मौजूदा समय में 300 करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इनमें अकेले बिजली बोर्ड के बैनर तले ही 150 करोड़ रुपए के काम चल रहे हैं। इस परियोजना के तहत धर्मशाला में 75 प्रोजेक्ट पूरे करने हैं। इनपर कुल 635 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं।

पहले ये प्रोजेक्ट 2019-20 तक पूरे किए जाने थे, लेकिन अब 2023 के अंत तक इनकी डैडलाइन तय की गई है। दिसबंर 2022 तक इनमें से 190 करोड़ 25 प्रोजेक्टों को पूरा कर लिया गया है। बाकी के 445 करोड़ के 50 प्रोजेक्ट किसी न किसी स्टेज से गुजर रहे हैं।

मौके पर देखा जा रहा काम
धर्मशाला से विधायक व पूर्व शहरी विकास मंत्री लगातार मौके पर जाकर इन परियोजनाओं का निरीक्षण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्मार्ट रोड, पार्किंग, वर्कशाप, फुटबाल स्टेडियम व अकादमी जैसे कामों को लगातार तेज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि डैडलाइन को मीट करना चुनौती है। इसके लिए हमें दिन-रात एक करना होगा। पिछली भाजपा सरकार ने इस प्रोजेक्ट को हल्के में लिया, जिसका खामियाजा पूरे शहर को भुगतना पड़ रहा है।

चन्नी बोले- गलती से किसी ने मेरी पगड़ी पर रख दी टोपी, मैं माफी मांगता हूं

शिमला।। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी विवाद में फंस गए हैं। सिख धर्म से संबंधित संस्थाओं और संगठनों ने उनकी उस तस्वीर पर आपत्ति उठाई है, जिसमें उनकी पगड़ी के ऊपर हिमाचली टोपी रखी नजर आ रही है। अब एक ऑडियो वायरल हो रहा है जिसमें कथित तौर पर चन्नी कह रहे हैं कि वह इस घटना के लिए माफी मांगते हैं और उनका इरादा किसी का अपमान करने का नहीं था।

दरअसल पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश सचिवालय पहुंचे चन्नी की एक तस्वीर सामने आई थी जिसमें वह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी कैबिनेट के सदस्यों के साथ खड़े हैं। चूंकि हिमाचल में टोपी पहनाकर सम्मानित करने का रिवाज है तो वहां मौजूद किसी ने उनकी पगड़ी के ऊपर टोपी रख दी।

यह बात अटपटी तो थी ही क्योंकि पगड़ी के ऊपर टोपी नहीं पहनाई जाती। पहले भी हिमाचल आने वाली सिख हस्तियों को सम्मान स्वरूप शॉल ओढ़ाकर या अन्य भेंट देकर सम्मानित किया जाता रहा है। सवाल उठने लगे कि ऐसा करने की क्या आवश्यकता आन पड़ी क्योंकि सिखों के लिए पगड़ी बहुत महत्वपूर्ण होती है।

अब ताजा ऑडियो में एक व्यक्ति द्वारा कथित तौर पर चन्नी को फोन किया गया जिसमें चन्नी ने खेद जताया और कहा कि उनमें से किसी का इरादा गलत करने का नहीं था, बस किसी ने सम्मान के लिए पगड़ी पर टोपी रख दी। उन्होंने कहा कि वह इन तस्वीरों को हटाने का आग्रह कर रहे हैं और किसी भी मंच पर जाकर इसके लिए खेद व्यक्त करने के लिए तैयार हैं।

यह कहा जा सकता है कि चन्नी उन लोगों की अपरिपक्वता के कारण अनावश्यक विवाद में फंसे जो उस कमरे में मौजूद थे और जिन्होंने टोपी पहनाई। इस घटना की वरिष्ठ पत्रकार भी आलोचना कर रहे हैं।

शिरोमणि कमेटी ने भी इस पर आपत्ति जताई है। शिरोमणि कमेटी के सचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि पगड़ी पर टोपी पहनना सिख परंपरा के खिलाफ है और इससे सिखों को ठेस पहुंची है। इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।

इजरायल ने बनाया फिलिस्तीनी कैदियों को देश से निकालने का कानून

इन हिमाचल डेस्क।। इजयराल की संसद ने एक नया कानून पारित किया है। इसके तहत अब इजयराल अपने यहां उन फलस्तीनियों की नागरिकता छीन सकता है जिन्हें उसने आतंकवाद के आरोप में बंदी बनाया हुआ है या फिर जिनपर फलस्तीनी प्रशासन से आर्थिक मदद लेने का आरोप है। ऐसे लोगों को वो अपनी सीमाओं से बाहर भी कर सकता है। इजरायल के इस कदम की आलोचना भी हो रही है।

इजरायल की संसद में पहली बार ऐसा विधेयक लाया गया जिसमें पहली बार अरब आबादी या यूं कहें कि फलस्तीनियों को अपने यहां से डिपोर्ट करने का प्रावधान किया गया था। बुधवार को इस विधेयक के पक्ष में 94 वोट पड़े और विरोध में पड़े, सिर्फ दस।

ये कानून कहता है कि जिन इज़रायली नागरिकता वाले फिर पूर्वी यरूशलम में रहने वाले फलस्तीनियों पर अगर आतंकवादी गतिविधि और फलस्तीनी प्रशासन से किसी तरह की फंडिंग लेने का आरोप सिद्ध होता है तो उनकी नागरिकता के साथ-साथ उनसे यहां रहने का अधिकार भी छीन जा सकता है।

दरअसल अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त फलस्तीनी प्रशासन… इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में इज़रायल की जेलों में बंद या इजरायली सेना की कार्रवाइयों में मारे गए या जख्मी फलस्तीनियों के परिजनों की मदद करता है और उन्हें आर्थिक सहायता भी मुहैया करवाता है। लेकिन इज़रायल का कहना है कि ये हिंसा करने के बदले दिया जाने वाला इनाम है और इस तरह पैसे देना बाकियों को भी हिंसा के लिए उकसाता है।

अब इस कानून को कहा जा रहा है भेदभावपूर्ण, खतरनाक और साथ ही नस्लभेदी भी है क्योंकि ये अलग से फलस्तीनियों के लिए यानी अरब आबादी के लिए बनाया गया है। इजरायल में आतंकवाद या ऐक्ट ऑफ टेररिज़म का मतलब है- राजनीतिक, धार्मिक, राष्ट्रीयता या फिर विचारधारा के आधार पर संपत्ति, लोगों की सेहत और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाना। यहां तक कि ऐसा कुछ करने की आशंका हो, तब भी उसे आतंकवाद माना जा सकता है।

अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, अदाला लीगल सेंटर से संबंध रखने वाले इरशीद कहते हैं कि इस कानून के आधार पर फलस्तीनी कैदियों को देश से निकालना… अंतरराष्ट्रीय कानून को भी उल्लंघन है क्योंकि अगर उनसे नागरिकता छीन ली गई तो वे किसी देश के नागरिक नहीं रहेंगे। वे विस्थापित होकर भी कहां जाएंगे।

अभी तक ये भी स्पष्ट नहीं है कि कितने लोग इससे प्रभावित होंगे। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह मानते हैं कि इजयाल की जेलों मे बंद फल्तीनियों की संख्या 4500 से पांच हजार के बीच हो सकती है। बता दें कि जेल में बंद लोगों को फलस्तीनी हीरो मानते हैं। सवाल ये भी उभर रहे हैं कि  क्या ये कानून उन लोगों के लिए है जो भविष्य में ऐसे मामलों में दोषी पाए जाएंगे या फिर उनके लिए भी है जो जेल में बंद हैं या फिर इसी तरह के मामलों में सजा काट चुके हैं।

लेकिन इन चिंताओं का क्या होगा? आपको बता दें कि भारी उथल-पुथल के बाद इज़रायल में एक बार फिर बिन्यामिन नेतन्याहू प्रधानमंत्री बन गए हैं। उनकी सरकार का रवैया हमेशा से फार राइट या अति दक्षिणपंथी रहा है। इस बार भी उनकी सरकार इसी राह पर चल रही है। बल्कि इस बार तो उसे फार फार राइट माना जा रहा है। फार राइट का मतलब समझिए कि बेहद रूढ़िवादी, बेइंतहहा राष्ट्रवादी और दबंग (निरंकुश)। नेतन्याहू के सत्ता में रहते हमेशा से फलस्तीनी चिंता जताते रहे हैं कि जिस तरह की आक्रामकता से वह यहूदी बस्तियों का विस्तार कर रहे हैं, उससे भविष्य में आज़ाद फलस्तीन बनने की संभावनाओं को ग्रहण लगता जा रहा है। अब नए कानून ने फलस्तीनियों की चिंताएं और बढ़ा दी हैं।