स्कूलों में बच्चों के पैसों से नेताओं और चमचों को क्यों दिए जाते हैं मोमेंटो?

देवेंद्र।। सरकारी स्कूलों में वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह हो रहे हैं। आपको पता होगा कि इन समारोहों में स्कूली बच्चों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया जाता है और यही इन समारोहों का मुख्य उद्देश्य है। लेकिन ठहरिए, बात यहीं खत्म नहीं हो जाती। असल कहानी कुछ और है।

समारोह में बुलाया किसे जाता है? नेता जी को या सत्ताधारी दल से जुड़े नुमाइंदों को। असल में ये कार्यक्रम अब वार्षिक पारितोषिक समारोह नहीं रहे। ये तो नेताओं और उनके साथ आए लोगों को मोंमटो, स्मृति चिह्न वितरण समारोह बनकर रह गए हैं।

मुख्यातिथि द्वारा पहले ही लिस्ट सौंप दी जाती है कि मेरे इस फलां चमचे को मोमेंटो, शॉल या टोपी देकर सम्मानित किया जाए। कई बार तो इस सूची में 20 से लेकर 50-50 लोग होते हैं। अफसोस कि ऐसे-ऐसे लोगों को भी सम्मानित किया जाता है, जिनका उस विद्यालय या वहां पढ़ने वाले बच्चों के हित में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से एक पैसे तक का योगदान नहीं होता।

इन लोगों को भेंट किया जाने वाला स्मृति चिन्ह 200 रुपये से लेकर 2500 तक की कीमत का होता है। लेकिन स्कूली बच्चों को दिया जाने वाले पुरस्कार 50 रुपए से लेकर 200 रुपये तक की कीमत का होता है।

ये कैसी अंधेरगर्दी है कि बच्चों के लिए बच्चों द्वारा आयोजित समारोह को ये नेता और तथाकथित समाजसेवी लूटकर ले जाते हैं। बच्चों के हिस्से बस बूंदी-बदाना आता है और बाकी सारे मेवे और धाम अति विशिष्ट लोग उड़ा ले जाते हैं।

क्या आपको यह प्रश्न खुद से नहीं पूछना चाहिए कि आपके बच्चे के कार्यक्रम में स्कूल वाले रेवड़ियों की तरह नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं को स्मृति चिन्ह क्यों बांटते फिरते हैं?

कई जगह स्कूल मुखिया व स्टाफ अपने निजी हित साधने के लिए भी ऐसा करते हैं। आखिर क्या यह पैसा स्कूल मुखिया या नेता अपनी जेब से देते हैं? नहीं, यह पैसा या तो अभिभावकों से इकट्ठा किया जाता है या फिर स्कूल के स्टाफ से चाहते न चाहते इसके लिए योगदान लिया जाता है।

वर्तमान सरकार यदि इस तरह के आयोजनों में हो रहे इस खेल को बंद कर दे तो इससे व्यवस्था परिवर्तन तो होगा ही, साथ ही बच्चे भी लाभान्वित होंगे।

कार्यकर्ताओं व अन्य लोगों को पुरस्कृत करने से कहीं अच्छा है, स्कूली आयोजनों में भाग लेने वाले प्रत्येक बच्चे को पुरस्कृत किया जाए। इससे भविष्य में उसे और बेहतर व अलग करने की प्रेरणा मिलेगी।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। उनसे Writerdevender@gmail.com पर ईमेल के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है)

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