हिमाचल प्रदेश के लिए लॉन्च हुआ बहुत काम का मोबाइल ऐप Hp-MeraHunar App

शिमला।। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एक ऐप और वेबसाइट को लॉन्च किया है। जॉब या रोगजार ढूंढ रहे लोगों के लिए MeraHunar नाम से ऐप ला चुकी कंपनी ‘हुनर प्लेसमेंट सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड’ ने हिमाचल के लिए HP-MeraHunar नाम से ऐप बनाया है जो एंड्रॉयड और iOS दोनों पर उपलब्ध है। यह ऐप स्किल्ड लोगों को रोजगार ढूंढने और अन्य लोगों को अपने कामों के लिए स्किल्ड लोग ढूंढने में मदद करता है। यानी यह दोनों तरफ से फायदेमंद है।

इस ऐप पर जाकर हिमाचल प्रदेश में स्वरोजगार से जुड़े लोग या स्किल्ड व्यक्ति, जैसे मकैनिक, कारपेंटर, प्लमर, इलेक्ट्रीशन, ब्यूटीशन आदि रजिस्टर कर सकते हैं और बता सकते हैं कि किस काम के लिए कितने पैसे लेते हैं। उन्हें साइनअप करके अपना पता और फोन नंबर इसमें ऐड करना होगा। इससे इस ऐप के जरिए जरूरतमंद लोग उन्हें हायर करने के लिए तलाश सकेंगे।

अगर किसी को अगर कोई काम करवाना है और उसके लिए मकैनिक, कारपेंटर या ब्यूटीशन आदि की जरूरत होगी तो उसे भी इसी ऐप में जाना होगा, अपनी इलाके की डीटेल डालनी होगी। इसके बाद अपने इलाके में मौजूद प्रफेशनल लोगों की लिस्ट नजर आएगी, जिनके साथ उनका रेट भी लिखा होगा। यहां से वे उन्हें कॉल करके संपर्क कर सकते हैं। इस ऐप के अलावा वेबसाइट पर जाकर भी यह काम किया जा सकता है।

बेशक यह प्राइवेट कंपनी द्वारा बनाया गया ऐप है और इसका मालिकाना हक उस कंपनी के ही पास है, मगर HP-MeraHunar वेबसाइट पर लिखा गया है कि यह ऐप हिमाचल सरकार का इनिशिटव है। ऐप और वेबसाइट में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की तस्वीरें नजर आती हैं और हिमाचल प्रदेश कौशल विकास से जुड़ा उनका एक संदेश भी। वेबसाइट में बताया गया है कि यह सर्विस मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आईटी सलाहकार गोकुल बुटेल की पहल है।

यह ऐप काफी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें अपनी तहसील के स्तर पर प्रफेशनल लोगों को हायर किया जा सकता है। इससे स्किल्ड लोगों को काम ढूंढना आसान हो जाएगा और लोगों को भी मिस्त्री वगैरह ढूंढने में मशक्कत नहीं करनी होगी। ध्यान दें कि अधिकतर अखबारों में इस ऐप का नाम Mera Hunar HP बताया गया है और इससे न तो वेबसाइट मिल पा रही है और न ही कि ऐप। ऐप और वेबसाइट का सही नाम और पता नीचे दिया गया है।

इस ऐप डाउनलोड करने के लिए गूगल प्ले स्टोर पर जाकर HP-MeraHunar टाइप करें या यहां क्लिक करें

वेबसाइट का अड्रेस है- http://www.hpmerahunar.com

इस वीडियो को देखकर स्पीति घाटी के किब्बर गांव से प्यार हो जाएगा आपको

इन हिमाचल डेस्क।। जब कभी यह चर्चा होती है कि धरती में स्वर्ग किसे कहा जाए। कुछ लोग कहते हैं कि कश्मीर धरती का स्वर्ग है तो कुछ लोग कहते हैं कि स्विट्जरलैंड धरती का स्वर्ग है। दरअसल इस तरह की उपमाएं उन्हीं जगहों को दी जाती हैं जो ज्यादा एक्सप्लोर हो गई होती हैं। वरना पूरी की पूरी धरती स्वर्ग है और अनेक जगहें एक से बढ़कर एक हैं। ऐसे ही हिमाचल प्रदेश का लाहौल-स्पीति जिला भी है। यहां स्पीति घाटी में एक गांव है- किब्बर।

अब तो बहुत से लोग लाहौल-स्पीति घूमने आने लगे हैं और किब्बर में चहल-पहल रहने लगी है। मगर फिर भी हिमाचल में घूमने आने वाले अधिकतर लोग दो-चीन जगहों के बारे में ही जानते है।

वीकेंड पर मूड फ्रेश करने के लिए धर्मशाला, मलानी, कसोल, कुफरी आदि का रुख करने वाले शायद यह नहीं जानते कि और कितनी सारी जगहें है यहां एक्सप्लोर करने के लिए।

PixelDo Media ने किब्बर का वीडियो यूट्यूब पर डाला है जिसे ड्रोन से शूट किया गया है। इस वीडियो में किब्बर इतना खूबसूरत नजर आया है कि आपका भी वहां जाने को जी चाहेगा। देखें:

उपेक्षा की शिकार हिमाचल के जोगिंदर नगर की हॉलेज ट्रॉली

मंडी।। हिमाचल प्रदेश में टूरिजम की अपार संभावनाएं हैं मगर कुछ ही जगहों का विकास टूरिजम के नाम पर हो पाया है और वह भी कुछ खास नहीं है। शिमला, मनाली, कुल्लू और धर्मशाला ही सबसे ज्यादा टूरिस्ट्स (धार्मिक पर्यटन से अलावा) खींचते हैं। हिमाचल प्रदेश में असंख्य वादियां हैं जहां का सौंदर्य ऐसा है कि सिर्फ प्रमोशन की जरूरत है, टूरिस्ट प्लेस के तौर पर वे जगहें खुद ही पॉप्युलर हो जाएंगी। मगर हिमाचल की सरकारें इसे लेकर इतनी लापरवाह हैं कि नई जगहों का विकास करना तो दूर, पुरानी जगहों का भी भट्टा बिठा दिया गया है।

मंडी जिले के जोगिंदर नगर में देश का पहला मेगावॉट क्षमता का हाइड्रो इलेक्ट्रिप पावर हाउस बना था। इसे बनाया था अंग्रेजों ने और वह भी आजादी से कई साल पहले। मशीनें कम होती थीं उन दिनों और संसाधन भी। बरोट में ऊहल नदी के पानी को रोककर वहां से टनल बनाकर इश ओर जोगिंदर नगर में निकालना था और शानन नामक स्थान पर पावर हाउस बनना था। अंग्रेजों ने पहले पठानकोट से जोगिंदर नगर तक रेलवे ट्रैक बिछाया और फिर जोगिंदर नगर के शानन से लेकर ऊपर पहाड़ी तक हॉलेज ट्रॉली सिस्टम स्थापित किया जो दूसरी तरफ बरोट में उतारा गया। इन्हीं के जरिए भारी मशीनरी बरोट पहुंचाई गई और बिजली तैयार की गई। यह अलग बात है कि उस दौर में अंग्रेज इतना कर गए क्योंकि अब इस जगह का भट्ठा बैठा हुआ है।

विंच कैंप से दिखता खूबसूरत नजारा जिसमें बारिश होती हुई दिख रही है।
विंच कैंप से दिखता खूबसूरत नजारा जिसमें बारिश होती हुई दिख रही है।

जिस ट्रॉली को अंग्रेजों ने बनाया था, वह अपनी तरह की एशिया की इकलौती ट्रॉली है। इसमें लोहे के रस्सों के सहारे ट्रॉली को ऊपर खींचा जाता है और ट्रॉली लोहे के ट्रैक पर (जो ट्रेन जैसे होते हैं) ऊपर चढ़ती और उतरती है। पहले यह ट्रॉली बरोट तक जाती थी मगर कई सालों से इसे इस ओर ही रखा जाता था। एक ट्रॉली 18 नंबर तक जाती है और उससे आगे की यहां से विंच कैंप तक। मगर अब इसकी हालत यह है कि खराब हो जाए तो कई महीनों तक बंद रहती है। ऐसा इसलिए क्योंकि शानन पावर प्रॉजेक्ट अभी पंजाब के पास है। 1925 में जोगिंदर सेन और पंजाब सरकार के बीच इसे लेकर समझौता हुआ था 99 साल की लीज का जो 1924 में खत्म होगी। लीज खत्म होता देख न तो पंजाब सरकार इस पावर हाउस पर ध्यान दे रही है और न ही हिमाचल सरकार से पंजाब से लेने के लिए कभी गंभीर दिखी है। नतीजा यह रहा है कि नुकसान हिमाचल को हो रहा है।

यह ट्रॉली जहां से गुजरती है, रोमांचक नजारा देखने को मिलता है। किसी शख्स ने इसका वीडियो बनाकर यूट्यूब पर शेयर किया है, जिसे देखकर आपको मजा आ जाएगा। मन में यह ख्याल भी उठेगा कि सरकारें कितनी लापरवाह हैं:

कैमरे में Live कैद हुए हिमाचल के कुछ बड़े भूस्खलन

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इन हिमाचल डेस्क।। पहाड़ों में भूस्खलन या लैंडस्लाइड्स की समस्या अक्सर रहती है। खासकर बरसात के दिनों में यह समस्या बहुत बढ़ जाती है क्योंकि पानी रिसने के जमीन अपने ही वजन की वजह से खिसकरने लगती है। मगर सबसे बड़ा कारण जो भूस्खलन के लिए जिम्मेदार है, वह है कटाव। सड़कें बनाने के लिए या अन्य निर्माण कार्यों के लिए जब भी जमीन खोदी जाती है या चट्टानों को हिलाया जाता है, वह कमजोर हो जाती है और भूस्खलन होने लगता है।

हिमाचल प्रदेश में आए दिन कहीं न कहीं भूस्खलन होते हैं और लोगों के पास कैमरे वाले फोन होने के कारण उन्हें रिकॉर्ड भी किया गया है। पेश है ऐसे ही 5 बड़े भूस्खलनों का एक वीडियो यूट्यूब से:

कुछ और वीडियो भी हैं जिनपर आप नीचे नजर डाल सकते हैं। वीडियो रिपीट नहीं है, दोनों के थमनेल एक जैसे हैं।:

और यह देखिए अंधाधुंध निर्माण की वजह से होने वाला नुकसान। वीडियो सोलन में घर के ढहने का है:

22 साल की जबना चौहान ने पेश की मिसाल, पीएम मोदी करेंगे सम्मानित

मंडी।। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज हल्के में थरजूण नाम की पंचायत है। यहां की प्रधान हैं जबना चौहान। उम्र 22 साल है मगर उपलब्धियां बहुत ज्यादा। हर तरफ से तारीफ और अवॉर्ड बटोर चुकीं जबना अब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर गुजरात के गांधीनगर में होने जा रहे राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी। वह यहां अन्य महिलाओं को जागरूक करेंगी शराब के नशे से मुक्ति और स्वच्छता को लेकर। यहां उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी सम्मानित भी करेंगे।

मंडी जिले की सबसे कम उम्र की पंचायत प्रधान जबना चौहान की राज्यपाल भी तारीफ कर चुके हैं। जबना चैहान स्वच्छता व शराबबंदी पर अपनी पंचायत में शानदार काम कर चुकी हैं और प्रदेश के सामने मिसाल पेश कर चुकी हैं। जबना चौहान ने मात्र एक साल में पंचायत में शराबबंदी की पहल कर वह काम करके दिखाया है जिसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।

जबना चौहान गुजरात वाले कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रविवार को मंडी से रवाना हो गई हैं। इससे पहले थरजूण पंचायत ने जिला में स्वच्छता के क्षेत्र में प्रथम स्थान हासिल किया है जिसके लिए जबना चौहान को मुख्यमंत्री ने मंडी दौरे के दौरान बैस्ट प्रधान के अवॉर्ड से सम्मानित किया था। अब जबना चौहान 7 व 8 मार्च को गुजरात के गांधीनगर में होने वाले राष्ट्रीय स्तर के स्वच्छ शक्ति कार्यक्रम में भाग लेंगी और देशभर से हजारों की तादाद में आने वाली महिलाओं को स्वच्छता व शराबबंदी के प्रति जागरूक करेंगी।

वायरल हुआ मस्ती में डांस करते हिमाचल के लोगों का वीडियो

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इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश का लोकनृत्य या फोक डांस पड़ोसी राज्यों के मुकाबले अलग सा है। किसी भी जगह के नाच को गानों से अलग नहीं किया जा सकता। प्रदेश के लोकगीत थोड़े धीमे होते हैं। आज जहां तेज बीट पर फास्ट रिदम वाले गानों का चलन है, मगर प्रदेश में गाने धीमी लय वाले होते हैं। अब गानों के आधार पर डांस भी वैसा ही होता है। एकदम डूबकर किया जाने वाला, जिसमें संगीत की लय में मग्न होकर लचीलेपन के साथ शरीर के हर हिस्से को इस्तेमाल किया जाता है।

पहाड़ी डांस की खासियत यह है कि इसमें फ्लो पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। कदमों का मूवमेंट, कमर का मूवमेंट, कलाइय़ों का मूवमेंट और गर्दन का मूवमेंट संगीच ते आधार पर होता है। वैसे नाचना एक तरह से मन और आत्मा की खुशी का इजहार है। नाचने का आनंद तभी है जब इंसान फ्री होकर नाचे, दिल में खुशी और चेहरे में मुस्कान के साथ। कोई अच्छा डांस कर रहा हो या बुरा, यह अहमियत नहीं रखता। अहम यह है कि वह डांस कर रहा है। क्योंकि अगर कोई सीखकर विशेष स्टेप में डांस कर रहा है तो बाकी उसे देखकर खुश हो सकते हैं, मगर डांस करने वाले के लिए यह आनंददायक नहीं होता क्योंकि उसका पूरा ध्यान डांस से स्टेप्स पर रहता है। मगर हिमाचली डांस में इस तरह का कोई बंधन नहीं। इसी तरह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। देखिए प्रदेश के इन लोगों को मस्ती में नाचते हुए, जिसे नाचने वाले भी इंजॉय कर रहे हैं और आसपास खड़े लोग भी। 🙂

हिमाचल के एयरपोर्ट्स रोमांचक भी है और खतरनाक भी, देखें

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश की तीन प्रमुख हवाई पट्टियों से टेक ऑफ और लैंडिंग रोमांचक अनुभव है। रोमांचक इसलिए कि पहाड़ों के बीच बनी एयरस्ट्रिप के पास बहुत खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। खतरनाक इसलिए क्योंकि ये पतली एयरस्ट्रिप्स हैं और आसपास या तो ढांक है या फिर पहाड़ी। इसलिए अनाड़ी पायलट्स या फिर एक छोटी सी चूक खतरनाक साबित हो सकती है।

कांगड़ा के गग्गल स्थित एयरपोर्ट (धर्मशाला, कुल्लू के भुंतर और शिमला के जुबलहट्टी स्थित एयरस्ट्रिप के कुछ वीडियो यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। नीचे देंखे डेली हिमाचल द्वारा कंपाइल किया गया वीडियो:

बजट सेशन के दूसरे ही दिन बीजेपी विधायकों का सदन से वॉकआउट

शिमला।। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा दिन हंगामेदार रहा। पिछले 4 सालों में वॉकआउट के लिए बदनाम हो चुके बीजेपी विधायकों ने एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में वॉकआउट कर दिया। गौरतलब है कि लगभग हर सत्र में बीजेपी विधायक वॉकआउट करते रहे हैं। संसद में जनता से जुड़े सवाल उठाने के बजाय और तथ्यों व तर्कों से सरकार की खबर लेने के बजाय इसी तरीके को अपनाया जाता रहा है। उम्मीद की जा रही थी कि बजट सेशन में ऐसा नहीं होगा, मगर फिर वॉकआउट कर दिया गया।

दरअसल प्रश्नकाल के दौरान प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई परियोजनाओं की लंबित डीपीआर को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने हुए। कैबिनेट मंत्री कौल सिंह ठाकुर के जवाब से असंतोष जताते हुए विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। कौल सिंह पर गलत जानकारी देकर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया गया। इस पर कौल सिंह ने विपक्ष को चुनौती दी कि अगर ऐसा है तो मेरे खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ले आएं। इसपर प्रश्नकाल खत्म होने के कुछ समय पहले ही सदन ने वॉकआउट कर दिया। इस साल बजट सत्र में बीजेपी का यह पहला वाकआउट है।

बीजेपी विधायक रविंद्र रवि ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनाओं की डीपीआर से जुड़ा सवाल किया था। उनका कहना था कि मंत्री ने लिखित उत्तर में आधी अधूरी जानकारी दी है। कृषि मंत्री सुजान सिंह पठानिया की अनुपस्थिति में स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश सरकार ने कृषि सिंचाई योजनाओं की अब तक 1857 डीपीआर केंद्र को भेजी हैं। इन डीपीआर में 7 मध्यम सिंचाई परियोजनाओं से जुड़ी हैं। 5667.54 करोड़ की इन सभी डीपीआर से लगभग 1 लाख 86 हजार 18 हैक्टेयर क्षेत्र सिंचित होना है। कौल सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को इन डीपीआरों को स्टेट टैक्निकल एडवाइजर कमेटी की मंजूरी के बाद भेजा गया है। मगर केंद्र ने इन्हें ठंडे बस्ते में डाला हुआ है। ये डीपीआर हिमाचल को वापिस भी नहीं जा रही हैं। केंद्र सरकार इन डीपीआर को लेकर गंभीर नहीं है।

कौल सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार से डीपीआर स्वीकृति करने बारे केंद्र से कई बार आग्रह भी किया गया। इस बाबत अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कई पत्र केंद्र सरकार को लिखे। लेकिन डीपीआरों को नामंजूर करके केंद्र सरकार पैसा जारी नहीं कर रहा है। भाजपा के महेश्वर सिंह ने अनुपूरक सवाल में कुल्लू जिला की प्रीणी-बिजली महादेव मध्यम सिंचाई परियोजना की लंबित डीपीआर का मुद्दा उठाया। लंबित डीपीआरों पर भाजपा विधायकों रविंद्र रवि और महेंद्र सिंह की कौल सिंह से नोकझोंक हुई। दोनों ने अधूरी डीपीआर भेजने का आरोप राज्य सरकार पर जड़ा। बाद में नारेबाजी करते हुए भाजपा विधायक सदन से बाहर चले गए।

यह भी पढ़ें: आदत से मजबूर होकर भाजपा विधायकों ने फिर किया वॉकआउट

…और धूमल ने एक बार फिर कर दिया वॉकआउट का ऐलान

(एमबीएम न्यूज नेटवर्क की इनपुट सहित)

सोलन की बेटी बलजीत कौर को एवरेस्ट फतह करने पर मिला रक्षा मंत्री मेडल

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, सोलन।। डिग्री कॉलेज सोलन की एनसीसी कैडेट बलजीत कौर को साहसिक कार्य के लिए रक्षा मंत्री पदक से सम्मानित किया गया है। इस बेटी की उपलब्धि से डिग्री कॉलेज का नाम हिमाचल में ही नहीं, बल्कि देशभर में रोशन हुआ है।

एनसीसी कैडेट बलजीत कौर ने 22 मई, 2015 को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था। बलजीत की इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रक्षा मंत्री पदक से सम्मानित किया। यह सम्मान डिग्री कॉलेज सोलन और पूरे प्रदेश को गौरवान्वित करता है।

बलजीत कौर
बलजीत कौर

बलजीत कौर ने आम ग्रामीण परिवार से संबंध रखने के बाद वीरांगना की भांति दुर्गम परिस्थितियों की परवाह किए बगैर इस मुकाम को हासिल किया जो कि पूरे क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरक बनकर उभरी हैं। वर्तमान में बलजीत छठे सत्र की छात्रा हैं, जिनका मुख्य विषय हिंदी है। वह मूल रूप से जिला सोलन की सतडोल पंचायत के पंजड़ोल गांव के अमरीक सिंह व शांति देवी की बेटी हैं।

एवरेस्ट फतेह करने के लिए पदक।
एवरेस्ट फतेह करने के लिए मिला पदक।

बलजीत ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने से पूर्व कड़ा परिश्रम करने के बाद प्रशिक्षण हासिल किया। 7जनवरी से 3 फरवरी 2015 तक दार्जलिंग में बेसिक कोर्स किया। हिमाचल प्रदेश के माउंट देऊ टिब्बा मनाली जिसकी ऊंचाई 6001 मीटर है, 20 मई से 25 जून 2015 तक चढ़ाई की। उत्तराखंड की माउंट त्रिशूल चोटी की चढ़ाई की, जिसकी ऊंचाई 7120 मीटर है। यह चढ़ाई बलजीत ने 25 अगस्त से 3 अक्टूबर 2015 तक पूरी की।

सोलन से हैं बलजीत
सोलन से हैं बलजीत

एक जनवरी से 30 जनवरी, 2016 तक सियाचीन ग्लेशियर में प्रशिक्षण प्राप्त किया। एक मार्च से 30 मार्च, 2016 तक डीजी एनसीसी परेड ग्राउंड नई दिल्ली में शारीरिक फिटनैस प्रशिक्षण प्राप्त किया। 31 मार्च से 7 जून तक विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की और 22 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया।

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देखें, ये हैं हिमाचल में HRTC के 5 सबसे खतरनाक रूट

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डेस्क।। हिमाचल प्रदेश रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन या एचआरटीसी हिमाचल प्रदेश की लाइफलाइन है। दुर्गम से दुर्गम इलाकों में एचआरटीसी की बसें लोगों को मुख्य धारा से जोड़ती हैं। कुछ इलाकों की भौगोलिक परिस्थितियां तो कुछ जगहों पर सरकारों की लापरवाही सड़कों को खतरनाक बना देती हैं। मगर इन खतरनाक रूटों पर भी HRTC के कुशल ड्राइवर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

देखें, HRTC के लिए हिमाचल के पांच सबसे खतरनाक रूट, डेली हिमाचल के सौजन्य से: