नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे कम भ्रष्ट राज्य है हिमाचल प्रदेश

इन हिमाचल डेस्क।। नीति आयोग ने देश के 20 राज्यों में एक सर्वे कराया है ताकि भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सके। इस सर्वे में पता चला है कि हिमाचल प्रदेश सबसे कम भ्रष्ट राज्य है। हिमाचल के साथ-साथ केरल और छत्तीसगढ़ भी देश के अन्य राज्यों की तुलना में कम करप्ट हैं। इस सर्वे के मुताबिक जिन लोगों से इस संबंध में बातचीत की गई थी, उनमें से सिर्फ 3 पर्सेंट को काम करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ी थी।

नीति आयोग ने इस सर्वे में कर्नाटक को सबसे भ्रष्ट प्रदेश पाया है। करप्शन के मामले में इसके बाद आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर और फिर पंजाब का नंबर आता है। 20 राज्यों में शहरी और ग्रामीण इलाकों के 3 हजार लोगों की राय ली गई। इस दौरान पूछा गया कि पिछले 1 साल के दौरान सरकारी काम करवाने में कितनी बार करप्शन से वास्ता पड़ा। पता चला कि पूरे देश में करीब 1 तिहाई लोगों को कम से कम एक बार रिश्वत देनी पड़ी। इससे पता चलता है कि हिमाचल प्रदेश की स्थिति अन्य राज्यों से कितनी अच्छी है।

गौरतलब है कि साल 2005 में भी इस तरह का एक सर्वे किया गया था। उस सर्वे में 53% लोगों ने माना था कि उन्हें रिश्वत देनी पड़ी थी। इस तरह से 2005 के मुकाबले करप्शन कम होता नजर आ रहा है। इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि साल 2017 में 20 राज्यों के 10 सरकारी महकमों में लोगों ने 6,350 करोड़ रुपये घूस के तौर पर दिए जबकि 2005 में यह आंकड़ा 20,500 करोड़ रुपये था।

इस सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा लोगों का मानना है कि  2016 के आखिर में सरकार द्वारा उठाए गए नोटबंदी के कदम के बाद करप्शन में कमी आई है।

इस सर्वे की रिपोर्ट पर आपकी क्या राय है, कॉमेंट करके बताएं।

18 साल की लड़की से करवाई जा रही थी 12 साल के लड़के की शादी

सिरमौर।। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में पुलिस और महिला एवं बाल कल्याण विभाग की टीम ने एक बाल विवाह को रुकवाने में कामयाबी हासिल की है। यहां माजरा की बंगाला बस्ती में 12 साल के लड़के का विवाह लगभग 18 साल की युवती के साथ करवाया जा रहा था। पुलिस ने बारात निकलने से पहले ही शादी रुकवा दी।  इस दौरान तेज कार्रवाई के लिए पहचानी जाने वाली एसपी सौम्या सांबशिवन भी मौजूद रहीं। उन्होंने लोगों को समझा कर शादी रुकवाई।

पुलिस ने दुल्हा और दुल्हन दोनों के पिताओं को गिरफ्तार कर लिया है। ‘अमर उजाला’ की।खबर के अनुसार माजरा की बंगाला बस्ती में गुरुवार को एक नाबालिग की बारात जानी थी। इसके लिए बस्ती में ही शादी की रस्म होनी थी, लेकिन ऐन मौके पर संयुक्त टीम ने शादी को रुकवा दिया।

सबसे पहले महिला एवं बाल कल्याण विभाग को इसकी सूचना मिली थी। फिर पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस अधीक्षक सौम्या सांबशिवन, सीडीपीओ पांवटा रूपेश और जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम मौके पर पहुंची और परिजनों को समझाने का प्रयास किया। वहां पर कुछ समय के लिए हंगामा भी हुआ, लेकिन परिजन मान गए।

एसपी सौम्या सांबशिवन के अनुसार जिस बच्चे की शादी हो रही थी उसकी उम्र 12 वर्ष है। लड़की की उम्र का पूरा पता नहीं लग सका है मगर वह 18-19 वर्ष की प्रतीत हो रही है। लड़का स्थानीय है जबकि लड़की हरियाणा के कुरुक्षेत्र की है।

ये हैं देवभूमि हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों के प्रमुख मंदिर

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प्रतीक बचलस।। हिमाचल को प्राचीन काल से ही देवभूमि के नाम से संबोधित किया गया है। यदि हम कहें कि हिमाचल देवी-देवताओं का निवास स्थान है तो बिल्कुल भी गलत नही होगा। हमारे कई धर्मग्रन्थों में भी हिमाचल वाले क्षेत्र का वर्णन मिलता है। महाभारत, पद्मपुराण और कनिंघम जैसे धर्मग्रन्थों में इस भू-भाग का जिक्र कई बार आता है। इस सब से हम अनुमान लगा सकते है कि यह पवित्र भूमि आदि काल से ही देवी-देवताओं की प्रिय रही है। इसलिए ऐसी पावन धरा पर जन्म लेना और यहां जीने का अवसर मिलना सौभाग्य की बात है। आज हम हिमाचल के अलग-अलग जिलो में महत्वपूर्ण मंदिरों की बात करेंगे।

हमीरपुर
हमीरपुर में वैसे तो अनगिनत मंदिर है परंतु इस जिले के कुछ महत्वपूर्ण मंदिर इस तरह से हैं:
1. बाबा बालक नाथ: यह मंदिर शिवालिक पहाड़ियों पे स्थित है। यह हमीरपुर के दियोटसिद्ध में स्थित है।
2. मुरली मनोहर मंदिर: यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण राजा संसारचंद ने 1790 में कराया था।
3.गौरी शंकर मंदिर: यह मंदिर हमिरपुर के सुजानपुर टिहरा में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा संसारचंद ने 1793 ई. में करवाया था।

बिलासपुर
बिलासपुर जिला प्राचीन समय में कहलूर के नाम से जाना जाता था। इस जिले के महत्वपूर्ण मंदिर है:
1. श्री नैना देवी मंदिर: यह एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। न सिर्फ हिमाचल बल्कि पूरे भारत वर्ष में इसकी मान्यता है। यह इक्यावन(51) शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहां सती के नैन गिरे थे। इस मसन्दिर का निर्माण वीरचंद ने करवाया था।
2. गोपाल जी मंदिर: यह मंदिर भी भगवान मदन गोपाल को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण राजा आनंद चंद ने 1938 ई. में करवाया था।
3. देवभाटी मंदिर: देवभाटी मंदिर ब्रह्मपुखर का निर्माण राजा दीपचंद ने करवाया था।

ऊना
ऊना जिले के लोग बड़े धार्मिक विचारों के है। यहां के विभिन्न मंदिर इस प्रकार है:
1. चिंतपूर्णी मंदिर: यह मंदिर भी हिमाचल में ही नही अपितु भारत वर्ष में प्रसिद्ध है। यह भी एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है ऐसी मान्यता है कि यहाँ माता का मस्तक गिरा था। इसलिए माता को छिन्नमस्ता भी कहते हैं। कुछ मान्यताएं कहती हैं कि यहां देवी के चरण गिरे थे।
2.भ्रमोति: यह मंदिर भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। आप मे से बहुत कम इसके बारे में जानते होंगे क्योंकि ब्रह्मा जी के पूरे संसार मे केवल दो ही मंदिर है एक पुष्कर राजस्थान व दूसरा यहां ऊना में, परन्तु ये पुष्कर जितना प्रसिद्ध नहीं है।
3.गरीब नाथ: यह मंदिर बहुत ही सुंदर जगह पर है। यह मंदिर सतलुज नदी के भीतर बना हुआ है तथा मंदिर में जाने के लिए नाव पे जाना पड़ता है। यहां पर शिवजी की भी एक बहुत ही सुंदर प्रतिमा है।

सोलन
सोलन में बहुत मंदिर है आपको यह जानकर खुशी होगी कि सोलन शहर का नाम वहां की देवी शूलिनी के नाम पर ही पड़ा है। यहां के प्रमुख मंदिर है:
1. शूलिनी देवी: यह मंदिर सोलन में ही स्थित है। हर वर्ष यहां पर शूलिनी माता का मेला लगता है। यह मेला एक सप्ताह तक चलता है।
2.जटोली मंदिर: यह मंदिर ओचघाट के समीप है। यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। इसका नाम शिव की लम्बी लम्बी जटाओं से पड़ा है।
3. काली का टिब्बा: यह सोलन के चैल में स्थित काली देवी का मंदिर है। यहाँ से आप चुरचांदनी और शिवालिक पहाड़ियों का मनोरम दृश्य देख सकते है।

सिरमौर
सिरमौर में हिमाचल के काफी पवित्र स्थान है यहाँ भगवान परशुराम की माता रेणुका जी का मंदिर है व ऐसी मान्यता है कि वे यहां झील के रूप मे हैं।अन्य मुख्य मंदिर इस प्रकार है:
1. शिर्गुल मंदिर: यह मंदिर चूड़धार पहाड़ी पर स्थित है।यह मंदिर भगवान शिर्गुल को समर्पित है। यह बहुत ही ऊंचाई पर स्थित है लगभग 3647 मी. ,यहां भगवान शिव की प्रतिमा है।
2. गायत्री मंदिर: गायत्री माता को वेदों की माता भी कहा जाता है। यह मंदिर रेणुका में स्थित है। इस का निर्माण महात्मा पराया नंद ब्रह्मचारी ने करवाया था।
3. बाला सुंदरी मंदिर: यह मंदिर सिरमौर के त्रिलोकपुर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण दीप प्रकाश ने 1573 ई. में करवाया था यरह माता बाल सुंदरी को समर्पित है।
मंडी
मंडी को हिमाचल की छोटी काशी भी कहते है। यहाँ पर इक्यासी(81) मंदिर है जबकि वाराणसी में अस्सी(80) मंदिर है। जिले के मुख्य मंदिर इस प्रकार है:
1. भूतनाथ मंदिर: राजा अजबर सेन ने इस मंदिर का निर्माण 1526 ई. में करवाया था।यह मंदिर मंडी में स्थित है।
2 श्यामाकाली मंदिर: यह मन्दिर मंडी में स्थित है तथा इसका निर्माण राजा श्यामसेन ने करवाया था।
3 पराशर मंदिर: यह मंदिर बाणसेन ने बनवाया था। यह मंडी की प्रसिद्ध झील पराशर के किनारे स्थित है।

शिमला
हिमाचल की राजधानी शिमला तो आप सब से परिचित ही है। आप सब को यह जान कर हैरानी होगी कि शिमला का नाम भी किसी देवी के नाम पर पड़ा है। जी हाँ शिमला का नाम श्यामला देवी से पड़ा है। श्यामला देवी भगवती काली का दूसरा नाम है। यहाँ के प्रमुख मंदिर है:
1. जाखू मंदिर: ऐसी मान्यता है कि जब श्री हनुमान जी लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लेने गए थे तो उन्होंने यहां पर विश्राम किया था।यह मंदिर शिमला के जाखू में स्थित है। यह भगवान हनुमान जी को समर्पित है।यहाँ हनुमान जी की 108 फुट ऊंची मूर्ति बनाई गई है।
2. सूर्य मंदिर: यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। कोणार्क के बाद ये दूसरा सूर्य मंदिर है भारत में। यह शिमला के ‘नीरथ ‘ में स्थित है।
3 कालीबाड़ी मंदिर: यह मंदिर शिमला में स्थित है। यह मंदिर काली माता को समर्पित है।इन्हें ही श्यामला देवी भी कहा जाता है। इन्ही के नाम पर शिमला शहर का नामकरण हुया है।

कुल्लू
कुल्लू में बहुत देवी देवताओं ने वास किया था। कुल्लू राजवंश की कुल देवी माता हिडिम्बा को माना जाता है। निरमण्ड को कुल्लू की छोटी काशी कहते हैं।यहाँ के मुख्य मंदिर इस प्रकार है:
1. हिडिम्बा देवी: हिडिम्बा देवी का मंदिर मानाली में स्थित है जिसे कुल्लू के राजा बहादुर सिंह ने 1553 ई. में बनवाया था। हिडिम्बा देवी भीम की पत्नी थी। यह मंदिर पैगोडा शैली का बना हुआ है। इस मंदिर में हर वर्ष मई के महीने में डूंगरी मेला लगता है।
2. बिजली महादेव मंदिर: यह मंदिर कुल्लू से 14 किलोमीटर दूर ब्यास नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यहां शिवलिंग पर बिजली गिरती है।
3. जामलु मंदिर: यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध मलाणा गांव में स्थित है। मलाणा गांव में पूरे विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र आज भी मन जाता है। यह मंदिर जमदग्नि ऋषि को समर्पित है।

कांगड़ा
कांगड़ा जिला भी पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है यहाँ का ब्रृजेश्वरी मन्दिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते है व उनकी कई मनोकामनाएं पूर्ण होती है।यहाँ के मुख्य मंदिर इस प्रकार है:
1. बृजेश्वरी मंदिर: यह मंदिर 51 शक्ति पीठो में से एक है। यहां माता सती का धड़ गिरा था। यह मंदिर कांगड़ा बस स्टॉप से 3 कम की दूरी पर स्थित है।
2. मसरूर मंदिर: इस मंदिर को रॉक कट मंदिर भी कहते है। यह पांडवो द्वारा निर्मित बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यह भगवान शिव को समर्पित है। इसे हिमाचल का अजंता भी कहते है।यह मंदिर कांगड़ा के नगरोटा सूरियां में स्थित है।
3. ज्वालामुखी मंदिर: यह भी 51 शक्तिपीठों में से एक एक है।यहाँ माता सत्ती की जीभ गिरी थी। अकबर ने यहाँ सोने का छतर चढ़ाया था जो माता ने स्वीकार नहीं किया व वह किसी अन्य धातु में परिवर्तित हो गया। महाराजा रणजीत सिंह ने यहाँ 1813 ई . में स्वर्ण जल का गुम्बद बनवाया था। यह कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी में स्थित है।

किन्नौर
यहाँ हिमाचल के अति प्राचीन मंदिर मिलते है।ऐसा मानना है कि पांडव अपने अज्ञात वास के दौरान यहाँ रहे थे।यहाँ के मंदिरों में मुख्यता लकडी व पत्थरो पे शिल्प के नमूने मिलते है।यहाँ के मुख्य ममंदिर इस प्रकार है:

1.चंडिका मंदिर: यह मंदिर किन्नौर के कोठी में स्थित है तथा यह माता चंडिका को समर्पित है। चंडिका बाणासुर की पुत्री थी। चंडिका माता को दुर्गा माता का स्वरूप माना जाता है।
2. माठि देवी मंदिर: यह मंदिर छितकुल जो भारत का आखिरी गांव है वहाँ स्थित है। छितकुल गांव के लोग माठि देवी को बहुत मानते है।
3. मोरंग मंदिर किन्नौर: यह पांडवो द्वारा निर्मित बहुत ही सुंदर मन्दिर है। यह पहाड़ की चोटी पर स्थित है तथा प्राचीन समय में पांडवो ने इस के निर्माण करवाया था। किन्नौर के लोग आज भी इस मंदिर को बड़ा मानते है।

चम्बा
चम्बा जिला को शिव भूमि भी कहा जाता है।यहाँ शिव जी का निवास स्थान मणिमहेश भी है।हर वर्ष लोग मणिमहेश की यात्रा में बड़ चड कर भाग लेते है।यह यात्रा मुख्यता जुलाई -अगस्त मास में होती है।यहां के अन्य मुख्य मंदिर है:
1. लक्ष्मी देवी मंदिर: इस मंदिर का निर्माण साहिल वर्मन द्वारा कराया गया था।यह चम्बा में स्थित है।यह मुख्यता छह मंदिरो का समूह है।
2 . सुई माता मंदिर: यह मंदिर माता नैना देवी जो साहिल वर्मन की पत्नी थी उनको समर्पित है।माता नैना देवी ने चम्बा में पानी लाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था।यहाँ हर वर्ष उनकी याद में सुई मेला लगता है।
3. मणिमहेश मंदिर: इस मन्दिर का निर्माण मेरु वर्मन ने करवाया था।चम्बा के भरमौर में चौरासी मंदिरो का समूह भी है।मणिमहेश यात्रा के समय इन मंदिरो के दर्शन जरूर करते है श्रद्धालु।

लाहौल स्पीति
लाहौल स्पीति हिमाचल का सबसे दुर्गम व सबसे बड़ा जिला है। यहाँ के लोग मुख्यता हिन्दू व बौद्ध धर्म को मानते है।यहाँ के प्रसिद्ध मंदिर इस प्रकार है:
1. मृकुला देवी: यह मंदिर लाहौल के उदयपुर में स्थित है।इस मंदिर का निर्माण अजय वर्मन द्वारा करवाया गया था।यह मुख्यता लकड़ी से बना हुआ मंदिर है।
2. त्रिलोकीनाथ मंदिर: यह मंदिर लाहौल स्पीति के उदयपुर में स्थित है। यहाँ पर अविलोकतेश्वर की मूर्ति है। यह मंदिर हिंदुयों और बोध दोनों सम्प्रदायों के लिए पूजनीय है।
3. गुरु घंटाल गोम्पा: Gandhola Monastery लाहौल के तुपचलिंग गांव में स्थित है। यहाँ अविलोकतेश्वर की 8 वीं शताब्दी की मूर्ति है जिसका निर्माण पद्मसंभव नर करवाया था। यहाँ हर वर्ष जून माह में घंटाल उत्सव मनाया जाता है।

आशा है आप सब को यह छोटा सा प्रयास पसंद आया होगा। अगर आपको लगता है कि इस सूची में और मंदिर भी शामिल होने चाहिए थे तो कॉमेंट करके बताएं।

(लेखक हिमाचल प्रदेश के ऊना से हैं और नैशनल ऐग्री फूड बायोटेक्नॉलजी रिसर्च इंस्टिट्यूट में कार्यरत हैं। उनसे prateekdcoolest120@gmail com पर संपर्क किया जा सकता है।)

प्रधानमंत्री मोदी ने वीरभद्र सिंह पर कसा तंज और जनता से पूछा सवाल

शिमला।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला के रिज मैदान से जनसभा को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर बिना नाम लिए हमला किया। पीएम ने कहा कि शायद ही किसी मुख्यमंत्री ने वकीलों के बीच इतना समय बिताया हो। इसके बाद पीएम मोदी ने कहा- समझ गए? फिर भीड़ से आवाज आई- हां। इसपर उन्होंने कहा कि बड़े समझदार हो, इसीलिए मैं हिमाचल के लोगों का इतना सम्मान करता हूं।

हमेशा की तरह नरेंद्र मोदी रैली में आई भीड़ की तारीफ करना नहीं भूले। उन्होंने कहा, ‘आज मैं जो दृश्य देश रहा हूं, जहां दूर-दूर तक मेरी नजर पड़ रही है, लोग ही लोग हैं।’

रिज मैदान पर जनसभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

पीएम ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी बेईमानी से नहीं बल्कि ईमानदारी से आगे बढ़ना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘आज के युवा मेरे से कंधा से कंधा मिलाना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि जिन्होंने गरीबों को लूटा है, उन्हें वापस लौटाना पड़ेगा। जब तक ऐसा नहीं हो जाता, मैं चैन से नहीं बैठूंगा।’

शिमला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की 10 खास बातें

शिमला।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिमला से ‘उड़ान’ योजना का शुभारंभ किया है। शिमला के जुब्बलहट्टी एयरपोर्ट से उन्होंने इस सस्ती हवाई सेवा का आगा किया। इसके साथ ही उन्होंने बिलासपुर के बंदला गांव में खुलने वाले देश के पहले हाइड्रो इंजिनियरिंग कॉलेज का शिलान्यास भी किया। इसके बाद वह शिमला शहर पहुंचे। उन्होंने मॉल रोड पर रोड शो किया। रोड शो एजी चौक से रामचंद्र चौक तक हुआ। इस दौरान बहुत लोग इकट्ठे हुए थे। प्रधानमंत्री ने रिज स्थित मंच से बोलते हुए अपने भाषण में हिमाचल संबंधित कौन सी 10 मुख्य बातें कहीं, पढ़ें:

1. 20 साल पहले कार्यकर्ता के तौर पर हिमाचल आया था आज फिर उसी मंच से बोलने का मौका मिला। आपने बुलाया और हम चले आए।

2. कुछ राज्यों के सीएम वकीलों के साथ ज्यादा वक्‍त बिताते हैं। वो जनता को क्या देखेंगे। (वीरभद्र सिंह पर तंज)

3. हिमाचल के लोग डिजिटल करंसी का इस्तेमाल करें, इससे टूरिजम का विकास होगा। BHIM ऐप यूज करो। हिमाचल में टूरिज्म की संभावना बहुत ज्यादा।

4. हिमाचल के लोगों पर मेरा अधिकार है, मैंने आपका नमक खाया है। अब फायदा उठाना आपके हाथ है। भारत सरकार हर वक्‍त आपके साथ।

5. यहां की हर समस्या जानता हूं। OROP हम लेकर आए हैं। हिमाचल देवभूमि ही नहीं वीरभूमि भी है।

6. नौजवानों के लिए रोजगार, किसानों के लिए सिंचाई, बुजुर्गों के लिए दवाई देंगे।

7. हम पीएम कृषि सिंचाई योजना, पीएम फसल बीमा योजना लाए। हिमाचल के किसान फसल बीमा योजना का लाभ उठाए।

8. वीरभूमि की वीर माताओं को नमन जो देश के 125 करोड़ लोगों की रक्षा कर रहे हैं।

9. अब आम आदमी शिमला में हवाई जहाज से यात्रा करेगा। एक घंटे में दिल्ली पहुंचेंगे।

10. अब उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली की ताजा हवा हिमाचल में आ रही है (चुनाव के संदर्भ में)। ईमानदारी पर देश चले। हिमाचल में भी ईमानदारी के युग का इंतजार।

स्वारघाट आईटीआई में भूत का खौफ, बेहोश हो जाती हैं छात्राएं

बिलासपुर।। राजकीय आईटीआई स्वारघाट में इन दिनों अजीब माहौल देखने को मिल रहा है। पिछले 1 हफ्ते से यहां से पढ़ाई कर रहीं 4-5 लड़कियां भूत-भूत कगते हुए घबरा जाती हैं और जमीन पर रेंगने लगती हैं। कुछ बेहोश भी हो जाती हैं। ऐसा ही मंगलवार सुबह साढ़े 9 बजे दोबारा हुआ। बाजार के बीच में स्थित आईटीआई में राष्ट्रगान के दौरान 5 छात्राएं बेहोश हो गईं और चिल्लाने लगीं। अजीबो-गरीब आवाजें निकाल रही लड़कियों से सभी डर गए। पास से ही किसी केमिस्ट शॉप से भी किसी को बुलाया गया मगर हालात में सुधार नहीं हुआ। संस्थान प्रबंधन ने तंत्र-मंत्र का सहारा लेने का फैसला किया।

प्रबंधन के सदस्यों ने छात्राओं के हाथ-पैर की मालिश की और परिजनों को सूचित कर दिया। संस्थान में लोगों का जमघट लग गया था। कुछ लोग मोबाइल पर मंत्र चलाकर इन लडकियों सुना रहे थे। कुछ सिर पर नींबू और मिर्च सिर पर घुमा रहे थे। आखिर में स्थानीय मस्जिद से मौलवी को बुलाया गया। मौलवी ने आते ही हाथ में पानी लिया और कुछ कहा। फिर उसने उस पानी से महिलाओं के मुंह पर छींटे मारे। थोड़ी देर में 4 लड़कियां तो होश में आ गईं लेकिन एक चिल्लाती रही। मौलवी का कहना था कि यह भूत-प्रेत का मामला नहीं है।

प्रबंधन ने मौलवी को बुलाया।

उधर सड़क से गुजर रहा एक बाबा भी मामले का पता चलने पर आईटीई में घुस आया। वह कहने लगा कि मेरे होते हुए कोई भूत किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। काफी देर तक ड्रामा चलता रहा। आखिर में परिजन अपनी बेटियों को घर ले गए। तब जाकर सब कुछ शांत होता दिखने लगा।  आई.टी.आई. प्रबंधन का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से लड़कियों के साथ ये घटनाएं हो रही हैं। पहले यह घटनाएं संस्थान के कमरे में जाने पर होती थीं लेकिन आज तो प्रार्थना सभा में ही लड़कियां चीखने-चिल्लान लगीं। बेहोश होने वाली छात्राओं में 1 विवाहित तथा 4 अविवाहित हैं।

सड़क से जा रहा एक बाबा भी कैंपस में घुस आया।

मौलवी का कहना है कि इंस्टिट्यूट में भूत-प्रेत जैसा कुछ नहीं है, मगर अभिभावकों का कहना है कि संस्थान में आते ही उनके बच्चों को कुछ हो जाता है। सिर्फ 5 छात्राओं के साथ ही इस तरह की घटनाएं हो रही है। इसलिए आईटीआई प्रबंधन ने मनोचिकित्सकों की मदद लेने के बजाय इन छात्राओं के पैरंट्स से कहा है कि कुछ दिन बच्चियों को न भेजें ताकि वे आराम कर सकें। साथ ही इस बीच प्रबंधन यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि अन्य छात्रों पर क्या असर होता है।

इन हिमाचल की राय: इन हिमाचल का मानना है कि सरकारी संस्थानों को साइंटिफिक अप्रोच अपनानी चाहिए। संस्थान में तांत्रिकों को बुलाना सही नहीं है। इसके लिए बेहतर होता कि यह जानने की कोशिश की जाती कि इन 5 बच्चियों के साथ समस्या क्या है। अक्सर देखने को आता है कि कोई एक शख्स निजी परेशानी की वजह से अजीब व्यवहार करता है और भ्रम का शिकार होता है और बाकी लोग घबराकर या उसके प्रभाव में आकर वैसा ही व्यवहार करने लग जाते हैं। इस प्रक्रिया को ‘मास हिस्टीरिया’ कहा जाता है यानी एकसाथ बहुत से लोगों का अजीब तरह से व्यवहार करना। यह सामान्य घटना है और मनोचिकित्सकों की मदद ली जानी चाहिए। झाड़-फूंक के चक्कर में इन बच्चों के मन में और गहरा डर बैठ सकता है।

नए विवाद में फंसा तेंदुओं की खाल वाला सोलन का ‘हाई-प्रोफाइल’ बाबा

सोलन।। आपको याद होगा कि कुछ महीने पहले सोलन के एक बाबा से तेंदुओं की खालें मिली थीं। उस वक्त मीडिया में मामला उछला था कि इस बाबा के बड़े ऊंचे लिंक हैं और इसी वजह से यह अक्सर विवादों के बावजूद बच जाता है। अब इसी बाबा का नया कारनामा सामने आया है। साधुपुल में श्रीराम लोक मंदिर के बाबा अमरदेव पर अब आरोप लगा है कि उसने एक महिला पर तेजधार हथियारों से हमला किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके बाद गांव वाले भड़क गए जिसके बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और हालात सुधारने में जुट गई। इसके बाद बाबा को पुलिस स्टेशन ले जाया गया और बयान दर्ज किया गया। वहीं घायल महिला को इलाज के लिए कंडाघाट अस्पताल ले जाया गया है।

लोगों का कहना है कि उन्हें उम्मीद कम ही है कि न्याय मिलेगा क्योंकि बाबा की ऊंची पहुंच। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि घायल महिला को लोगों ने खुद जैसे-तैसे क्षेत्रीय अस्पताल पहुंचाया मगर बाबा को पुलिस वीआईपी. बनाकर अपने वाहन में सोलन पहुंचा। बताया जाता है कि मामले की शिकायत लेकर ग्रामीण एसपी सोलन से भी मिले हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि वे इसकी शिकायत लेकर पीएम मोदी से मिलने के लिए शिमला जाएंगे।

कौल सिंह ठाकुर (बाएं) और धनीराम शांडिल के साथ बाबा अमरदेव

बाबा पर लगे हैं कई आरोप
ध्यान देने वाली बात यह है कि अप्रैल 2016 में पुलिस की टीम ने इस बाबा के से तेंदुए की चार खालें बरामद की थीं। इस मामले में बाबा अमरदेव को हिरासत में भी लिया गया लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। इसके अलावा बाबा के आश्रम श्रीराम लोक मंदिर पर सरकारी भूमि पर कब्जा करने का आरोप लगा था। इस मामले में 19 अप्रैल 2016 को मंदिर को जिला प्रशासन ने नोटिस भी जारी किया था। अब यह नया मामला है जिसमें महिला पर हमला करने का आऱोप लगा है।

कई मंत्री लगाते हैं हाजिरी
पंजाब केसरी ने दावा किया है कि बाबा के पास सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री धनीराम शांडिल लगभग हर कार्यक्रम में जाते हैं। स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर व वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौर भी यहां पर अकसर आते हैं। इसके अलावा प्रदेश के कई अधिकारी बाबा के पास हाजिरी भरते हैं। इससे पहले यह बाबा मीडिया कर्मचारियों के गले काटकर उनकी माला बनाने की धमकी भी दे चुका है।

IIT मंडी के बोटैनिकल गार्डन से लोग चुरा रहे सामान, पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई

मंडी।। जब किसी जगह पर कोई बड़ा संस्थान खुलता है तो उस जगह के विकास की रफ्तार तेज हो जाती है। पहले तो वहां के लिए अच्छी सड़क बनती है, स्वास्थ्य और पानी जैसी बुनियादी जरूरतों की तरफ सरकारें लापरवाही नहीं बरततीं। सबसे खास बात यह कि स्थानीय लोगों को विभिन्न तरह का रोजगार मिलता है। इसलिए यह स्थानीय लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस संस्थान के सफल होने में पूरी मदद करें। मगर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का कमांद पूरे प्रदेश के लिए शर्म का विषय बनता जा रहा है। यहां पर आईआईटी जैसे संस्थान में चोरियों की घटनाएं दिनोदिन बढ़ती जा रही हैं।

मंडी के फ्रूट साइंटिस्ट डॉक्टर चिरंजीत परमार आईआईटी मंडी में बोटैनिकल गार्डन की स्थापना में जुटे हैं। यह प्रदेश का अपनी तरह का पहला ऐसा गार्डन होगा जिसमें हिमाचल में पाए जाने वाेल पेड़-पौधे पाए जाएंगे। यहां पर लिंगड़, दरेगल, काफल, आखे और तरड़ी तक लगाई जा रही है। आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि यह कितना अहम और महत्वपूर्ण प्रॉजेक्ट है।  (डॉक्टर चिरंजीत परमार की पोस्ट)

अब तक यहां 164 विभिन्न किस्म के पेड़-पौधे लगाए जा चुके हैं। चाय का बागान लगाया गया और कुछ अन्य किस्मों को भी यहां लाने की तैयारी की जा रही है। आईआईटी जैसे संस्थान में इस तरह पहल भी अनोखी है। यहां सिंचाई की व्यवस्था के लिए करीब एक किलोमीटर की दूरी से पानी लाया गया मगर किसी ने 1200 मीटर प्लास्टिक का पाइप चोरी कर लिया। दूर से विभिन्न किस्म के पेड़-पौधे लाए गए थे मगर उन्हें भी चुरा लिया गया। यही नहीं, जनसत्ता अखबार का कहना है कि 191 पौधों की अब तक चोरी हो चुकी है। मेडिसनल प्लांट गार्डन के लिए पानी की बड़ी टंकी लगाई गई थी मगर उसे भी लोग चुरा ले गए। अब वहां नई टंकी लानी पड़ी है।

इस संबंध में डॉक्टर परमार पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मिले मगर अब तक किसी को पकड़ा नहीं जा सका है। कमांद जैसी छोटी जगह पर 1200 मीटर प्लास्टिक पाइप को ढूंढना कोई मुश्किल काम नहीं था मगर पुलिस के ढीले रवैये से चोरों की हिम्मत बढ़ती जा रही है। डॉक्टर परमार ने आखिर में थक-हारकर अपील की है, ‘कमांद गाँव वालो बोटैनिकल गार्डन को लगने दो. इस से और आपके यहाँ बन रहे आई आई टी जैसे संस्थान से आपको और आपकी आने वाले पीढ़ियों को बहुत लाभ होगा. किसी इलाके में इतने बड़े संस्थान बहुत भाग्य से खुलते हैं. इस लिए मेरी आप सब से हाथ जोड़ कर प्रार्थना है कि कृपा करके इसकी स्थापना में सहयोग करें और रुकावटें ना खड़ी करें.’

इस पूरे मामले में शक स्थानीय शरारती तत्वों पर जाता है क्योंकि कोई बार-बार बड़ी ही सफाई से चोरी को अंजाम दे रहा है। साथ ही पुलिस पर भी प्रश्न खड़े होते हैं क्योंकि वह इस मामले की रिपोर्ट ही लिखने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि यह वही कमांद है, जहां आईआईटी कैंपस में साल 2015 जून में खूनी संघर्ष हुआ था। स्थानीय मजदूरों और पंजाब के ठेकेदार के कथित बाउंसर्स के बीच हुई इस संघर्ष में पंजाब के 4 युवकों की मौत हो गई थी। शायद शरारती तत्वों के हौसलों को पुलिस और बढ़ने देना चाहती है। इसीलिए कमांद एक बार फिर हिमाचल के लिए शर्म का विषय बनता जा रहा है। पहले इस तरह का हत्याकांड न तो कभी प्रदेश में कहीं हुआ था और न ही इस तरह की चोरियों के लिए हिमाचल की पहचान है। यदि चोर बाहरी हैं, तब उनका पता लगाना भी पुलिस का काम है। मगर पुलिस तो हाथ पर हाथ धरे बैठी है। यह कमांद से स्थानीय लोगों की भी जिम्मेदारी है कि पता लगाएं कि कौन ऐसे काम करके उनके इलाके का नाम खराब कर रहा है।

शहीद सुरेंद्र को 3 साल की बेटी ने दी मुखाग्नि, नम हुई सबकी आंखें

मंडी।। छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में शहीद नेरचौक के सुरेंद्र कुमार का सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ पैतृक गांव के समीप श्मशानघाट नेरढांगू में अंतिम संस्कार किया गया। पार्थिव शरीर लाए सीआरपीएफ जवानों और जिला पुलिस की सशस्त्र टुकड़ी ने हवाई फायर कर शहीद को सलामी दी। शहीद की 3 साल की बेटी एलिना ने अपने शहीद पिता की पार्थिव देह को मुखाग्नि दी। मासूम बच्ची को कुछ पता नहीं चल रहा था कि क्या हो रहा है। यह देख हर किसी की आंखें नम थीं।

बेटी एलिना हालात से अनजान है। बस अपनी दादी और मां को देखकर रोए जा रही है। उस बेचारी को तो यह भी नहीं पता था कि अचानक इतने लोग क्यों इकट्ठा हुए हैं। देखें, एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा पोस्ट किया गया वीडियो:
 

छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन में तैनात नेरचौक के 33 साल के सिपाही सुरेंद्र रविवार को नक्सली हमले में शहीद हो गए थे। सुरेंद्र 2003 में CRPF में भर्ती हुए थे। उन्होंने 6 साल श्रीनगर में अपनी सेवाएं दी। सुरेंद्र पिछले तीन सालों से छत्तीसगढ़ के सुकमा में सेवारत थे। लगभग 14 साल सीआरपीएफ की नौकरी में सुरेंद्र कुमार ने पहले भी दो बार नक्सलियों के हमले का सामना किया था। वह अपने पीछे माता विमला देवी, पत्नी किरण, तीन साल की बेटी एलिना और भाई जितेंद्र को छोड़ गए हैं।

कैदियों का वीडियो डालने पर सस्पेंड हुए कॉन्स्टेबल ने शुरू की भूख हड़ताल

इन हिमाचल डेस्क।। कुछ दिन पहले मॉडल सेंट्रल जेल कंडा (शिमला) में फेसबुक यूज कर रहे कैदियों का वीडियो डालने पर सस्पेंड हुए वॉर्डन भानु पराशर ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। ‘इन हिमाचल’ को ‘समाचार फर्स्ट’ पोर्टल से एक वीडियो मिला है जिसमें भानु बता रहे हैं कि मैंने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। उनका कहना है कि मैंने सच के लिए आवाज उठाई है और कुछ गलत नहीं किया। उन्होंने यह मांग भी की है कि जेल के डॉक्युमेंट्स वगैरह की जांच सीबीआई से होनी चाहिए। गौरतलब है कि भानु ने न सिर्फ कैदियों का वीडियो डाला था, जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप भी लगाए थे। दूसरी तरफ जेल प्रशासन ने आरोपों का खंडन किया था और कहा था कि भानु परमार पहले से ही अनुशासनहीन है।

 

इस नए वीडियो में भानु का कहना है कि मेरी तबीयत खराब हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि पता नहीं मेरे जीते जी मेरी आवाज सुनी जाए या नहीं, मगर जांच की रिपोर्ट अगर मेरी मौत के बाद भी आती है औप मैं गलत पाया गया तो मुझे दोषी करार दिया जाए। देखें वीडियो:

जेल प्रशासन पर लगाए थे गंभीर आरोप
भानु पराशर ने आरोप लगाए थे कि कैदी जेल में कई स्तर पर सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है। कैदी संवेदनशील जगहों पर पहुंच जाते हैं और अधिकारियों के कैबिन तक आ जाते हैं। इंटरनेट, मोबाइल फोन और दूसरे गैजट्स का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। यहां तक कि कैदी बिना परोल भी जेल से बाहर जाते हैं। जेल के बाहर इसके लिए कई गाड़ियां भी खड़ी रहती हैं। भानु का कहना है कि उसने इस मामले की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से भी की मगर उसके बदले सस्पेंशन लेटर थमा दिया गया। भानु का कहना है कि इस दौरान मुझे प्रताड़ित भी किया गया और गालियां तक दी गईं। यहां तक फेसबुक पर पोस्ट्स लाइक करने वाले सहयोगी पुलिकर्मियों को भी तंग किया जा रहा है। भानु का कहना है कि इस जेल की बात नहीं है, अन्य जगहों पर भी वह इस तरह की खामियों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं मगर बदले में कार्रवाई ही झेलनी पड़ी है। 5 महीने से तनख्वाह तक रोकी गई है।

जेल सुपरिटेंडेंट ने भानु को बताया था अुशासनहीन
‘समाचार फर्स्ट’ ने जेल सुपरिटेंडेंट शेर चंद से भी बात की। उनका कहना था कि सारे आरोप निराधार हैं और आरोप लगाने वाला पुलिसकर्मी खुद ही अनुशासनहीन है। उसके खिलाफ कई बार विभागीय कार्रवाई की जा चुकी है। शेर चंद ने कहा कि इस कर्मी ने नाम में दम कर रखा है। जब पोर्टल ने शेर चंद से पूछा कि क्या जेल मैनुअल में कैदियों को सोशल मीडिया यूज करने की इजाजत देने का प्रावधान है, तो शेर चंद ने इनकार किया मगर कहा कि वे सोशल मीडिया नहीं, बल्कि हमारी वेबसाइट पर काम कर रहे थे। जब पूछा गया कि वेबसाइट पर स्टाफ क्यों नहीं काम कर रहा तो शेर चंद ने कहा कि अच्छे कैदियों को प्रोत्साहित करने के लिए हम कई स्तर पर कार्य चलाते हैं।

वीडियो में खुली थी जेल प्रशासन के दावों की पोल
शेर चंद का यह दावा झूठ साबित होता दिखता है, क्योंकि साफ दिख रहा है कि वे कैदी फेसबुक पर एक बच्चे की फोटो को प्रोफाइल पिक्चर सेट कर रहे थे। वे दोनों अकेले ही थे और वीडियो बनाने वाले ने जब उनसे पूछा तो सकपका गए।

कैदी फेसबुक ही यूज कर रहे थे। यह देखें स्क्रीन पर क्या खुला है।

प्रश्न यह है कि दोनों कैदी अगर पढ़े लिखे थे और उनसे वेबसाइट के लिए भी सेवा ली जा रही थी, तो उस वक्त निगरानी के लिए कोई औऱ वहां मौजूद क्यों नहीं था? हैं तो आखिर कैदी ही, फिर क्या गारंटी की वे इंटरनेट से किसी साजिश को अंजाम नहीं देंगे या किसी अन्य आपराधिक गतिविधि की योजना नहीं बनाएंगे। प्रश्न यह भी है कि जब वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि फेसबुक इस्तेमाल हो रही थी, क्यों जेल सुपरिटेंडेंट झूठ बोल रहे हैं? प्रश्न यह भी है कि अगर आरोप लगाने वाला पुलिसकर्मी भानु पराशर अगर पहले भी अनुशासनहीता कर चुका है, तब इसका मतलब यह नहीं कि वीडियो में जो दिख रहा है कि वह झूठ है।