रातोरात बदल गया रिवालसर झील का रंग, हजारों मछलियां मरीं

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एमबीएम न्यूज नेटवर्क, मंडी।। हिमाचल प्रदेश की प्रमुख प्राकृतिक झीलों में शुमार और तीन धर्मों की पवित्र संगम स्थली रिवालसर झील के पानी का रंग अचानक मटमैलो हो गया है। इस वजह से अब तक हजारों मछलियां मर चुकी हैं और बाकी मरने की कगार पर हैं। स्थानीय लोगों और प्रशासन की तरफ से मछलियों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है। इस बीच रिवालसर झील के पानी का अचानक से रंग बदलना और मछलियों का इतनी तादाद में मरने की वजहों का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब झील में मछलियां मरी हैं। मगर इस बार तो झील रंग भी बदला है और मछलियां बड़ी तादाद में मरी हैं।

रिवालसर कस्बे में पवित्र झील में प्रदूषण होने से और ऑक्सिजन की मात्रा कम होने से यहां पर हजारों की संख्या में मछलियां मर चुकी हैं।

प्रशासनिक अमला और मत्स्य विभाग के अधिकारी मौके पर डटे हुए हैं और यहां से मरी हुई मछलियों को बोट के सहारे बाहर निकाल कर डम्प करने का कार्य किया जा रहा है।

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हजारों मछलियां मर चुकी हैं।

रिवालसर झील में बेहोश और मौत से लड़ाई लड़ रही मछलियों को स्थानीय लोगों और प्रशासन की मदद से सुन्दरनगर झील और नहर में छोडा जा रहा है।

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बोट की मदद से निकाली जा रही हैं मछलियां

प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार रिवालसर की पवित्र झील के पानी का रंग अचानक बदलने और इतनी बड़ी मात्रा में मछलियों के मरने के रहस्य का अभी तक पता नहीं चल पाया है।

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ढेर लग चुके हैं मछलियों के

विभाग के अनुसार बीती शाम को मतस्य विभाग की टीम ने पानी के सैंपल ले लिए हैं और उन्हें जांच के लिए लैब भेजा गया है जिसकी रिपोर्ट दो से तीन दिनों में आ सकती है।

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स्थानीय लोगों ने रिवालसर झील के रखरखाव में कमी को ही इस हादसे की वजह बताया है और सरकार और प्रशासन से जल्द ही इस बारे में कडे कदम उठाने का आग्रह किया है ताकि अभी भी मौत से जूझ रहीं हजारों मछलियों और झील को बचाया जा सके। प्राचीन धरोहरों और प्राकृतिक सौंदर्य को बचाने और सहेजने के लिए प्रशासन और सरकार कितनी सजग है इसका अंदाजा मिटने की कगार पर खडी रिवालसर की पवित्र झील से सहज ही लगाया जा सकता है। शायद सरकार और प्रशासन इस तरफ समय रहते गौर करते तो आज यह नौबत ही नहीं आती।