कतांडा बीट में वन विभाग की जांच कमेटी को मिले 395 पेड़ों के ठूंठ

मंडी।। फॉरेस्ट गार्ड होशियार सिंह की मौत के बाद वन विभाग द्वारा बनाई गई विभागीय जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है जिसमें कतांडा के जंगल से 395 पेड़ काटे जाने का जिक्र किया है। कमेटी का कहना है कि 395 में से 161 नए और 234 ठूंठ पुराने हैं। साथ ही टीम को 25 पेड़ों की लकड़ी भी मिली थी।

हिंदी अखबार अमर उजाला की खबर के मुताबिक इस रिपोर्ट से कतांडा में अवैध कटान की तस्दीक हुई है। अब सरकार को फैसला लेना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रववाई करनी है। खबर के मुताबिक शुक्रवार को सौंपी गई रिपोर्ट में चौथी और पांचवी श्रेणी के 104 पेड़ कटने की भी पुष्टि हुई है। इनमें से कुछ पेड़ स्थानीय लोगों द्वारा विभिन्न अवसरों पर काटे गए थे।

साल 2011-2012 और 2013-2014 में अलॉट हुए 208 पेड़ों की लकड़ी वन विभाग की थी। खबर के मुताबिक कमेटी के अध्यक्ष एफसीसीएफ एच.एस. डोगरा ने कहा है कि कमेटी ने इलाके की फैक्चुअल स्टेटस रिपोर्ट सरकार को दे दी है।

शूलिनी मेला: बड़ी बहन दुर्गा से मिलने निकलीं छोटी बहन शूलिनी माता

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, सोलन।। हर साल की तरह इस बार भी सोलन में आयोजित होने वाला राज्य स्तरीय शूलिनी मेला 23 जून से शुरू हो गया है। यह मेला ऐतिहासिक ठोडो मैदान में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शुक्रवार को सोलन गांव में विराजमान मां शूलिनी देवी अपनी बड़ी बहन दुर्गा से मिलने के लिए गर्भगृह से बाहर निकली। मां शूलिनी पूरे शहर की परिक्रमा करने के उपरांत रात्रि के वक्त गंज बाजार स्थित मां दुर्गा के मंदिर में ठहरेंगी। पूरे तीन दिन तक मां दुर्गा के मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु शीश नवाने पहुंचेंगे। मेले के अंतिम देर सांय दोनों बहनें एक वर्ष के लिए फिर जुदा हो जाएंगी और मां शूलिनी अपने स्थान पर चली जाएंगी।

माना जाता है कि माता शूलिनी सात बहनों में से एक थी। अन्य बहनें हिंगलाज देवी, जेठी ज्वाला जी, लुगासना देवी, नैना देवी और तारा देवी के नाम से विख्यात हैं। माता शूलिनी देवी के नाम से ही सोलन शहर का नामकरण हुआ था। सोलन नगर बघाट रियासत की राजधानी हुआ करती थी। इस रियासत की नींव राजा बिजली देव ने रखी थी। बारह घाटों से मिलकर बनने वाली बघाट रियासत का क्षेत्रफल 36 वर्ग मील में फैला हुआ था। इस रियासत की प्रारंभ में राजधानी जौणाजी, तदोपरांत कोटी और बाद में सोलन बनी। राजा दुर्गा सिंह इस रियासत के अंतिम शासक थे।

शूलिनी माता का मंदिर

रियासत के विभिन्न शासकों के काल से ही माता शूलिनी देवी का मेला लगता आ रहा है। जनश्रुति के अनुसार बघाट रियासत के शासक अपनी कुलश्रेष्ठा की प्रसंन्नता के लिए मेले का आयोजन करते थे। लोगों का विश्वास है कि माता शूलिनी के प्रसन्न होने पर क्षेत्र में किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा व महामारी का प्रकोप नहीं होता है बल्कि सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है। मेले की यह परंपरा आज भी कायम है। बदलते परिवेश के बावजूद भी यह मेला अपनी प्राचीन परंपरा को संजोए हुए है।

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इस मेले का इतिहास बघाट रियासत से जुड़ा है। माता शूलिनी बघाट रियासत के शासकों की कुल श्रेष्ठा देवी मानी जाती हैै। वर्तमान में माता शूलिनी का मंदिर सोलन शहर के दक्षिण में शीली मार्ग के किनारे विद्यमान है। इस मंदिर में माता शूलिनी के अतिरिक्त शिरगुल देवता, माली देवता इत्यादि की प्रतिमाएं मौजूद है। सोलन जिला के अस्तित्व में आने के पश्चात् इसका सांस्कृतिक महत्व बनाए रखने व इसे और आकर्षक बनाने के अलावा पर्यटन की दृष्टि से बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तरीय मेले का दर्जा प्रदान किया गया और इसे तीन दिवसीय उत्सव का स्वरुप प्रदान किया गया है। इसके फलस्वरूप अब इस मेले को परंपरागत ढ़ंग से मनाए जाने के साथ-साथ समाज के बदलते प्रारूप के अनुरूप इसे ग्रीष्मोत्सव के रूप में ढाला गया है।

यह मेला प्राचीन व आधुनिक संस्कृति का एक अनोखा संगम बनकर उभरा है। मेले का शुभारंभ हर वर्ष माता शूलिनी देवी की शोभा यात्रा से होता है, जिसमें माता की पालकी के अलावा विभिन्न धार्मिक झांकियां निकाली जाती है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग माता शूलिनी के दर्शन व मनौती अर्पित करके सुख समृद्धि के लिए आर्शीवाद प्राप्त करते हैं। पारंपरिक लोक वाद्यों एवं लोक धुनों के बीच जब माता की पालकी शहर से गुजरती है तो मनमोहक दृष्य देखते ही बनता है जो हर व्यक्ति को भक्ति व आन्नंद सागर में डूबने को मजबूर करता है। शोभायात्रा के संपन्न होने के पश्चात् माता की पालकी शहर के मध्य स्थित माता के एक अन्य मंदिर में तीन दिन तक लोगों के दर्शनार्थ रखी जाती है। प्रदेश सरकार द्वारा मां शूलिनी मंदिर को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से माता शूलिनी मंदिर न्यास का गठन किया गया है।

सुसाइड नोट के आधार पर शिमला के SP पर लगा आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप

शिमला।।  शिमला के एसपी डीडब्ल्यू नेगी का नाम आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में आया है। किन्नौर जिले के रिकांगपिओ थाने में दर्ज एक आत्महत्या मामले में मृतक के पास सुसाइड नोट मिला है जिसमें एसपी समेत तीन पुलिसकर्मियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है। लिखा है कि प्रताड़ना से तंग आकर मैं सुसाइड कर रहा हूं। किन्नौर पुलिस ने मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। इस मामले में डीडब्ल्यू नेगी का कहना है कि मरने वाला व्यक्ति मेरा रिश्तेदार था। उन्होंने कहा, ‘सुसाइड नोट में नाम आने से हैरान हूं। मेरा नाम क्यों लिखा यह पता नहीं। मैंने तो इस रिश्तेदार ही हमेशा मदद ही की है। मामले की जांच चल रही है, सच सामने आ जाएगा।’

क्या है मामला
13 जून को रारंग पंचायत के 45 वर्षीय खयाडुप ज्ञाछो का शव रिकॉन्गपिओ टैक्सी स्टैंड के पास मिला था। ज्ञाछो की पत्नी भजन देवी ने पुलिस को शिकायत में कहा था कि पति ने जहर खाकर जान दी है। पत्नी के अनुसार सुसाइड नोट में  ज्ञाछो ने तीन पुलिस अधिकारियों के नाम और रैंक लिखकर बताया है कि मैं इनकी प्रताड़ना से तंग आकर सुसाइड कर रहा हूं। इसमें एसपी शिमला डीडब्ल्यू नेगी, पूह थाने के एएसआई रमेश और हेड कांस्टेबल हुकुम का नाम था।

हिंदी अखबार अमर उजाला की रिपोर्ट कहती है, ‘अफसरों ने सुसाइड नोट को नजरंदाज कर अज्ञात के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा में मामला दर्ज कर लिया। एएसआई रमेश और हेड कांस्टेबल हुकुम को लाइन हाजिर भी किया गया। लेकिन एसपी के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही पूछताछ की गई है। एसपी किन्नौर ने मामला दर्ज होने की पुष्टि तो की, लेकिन जांच जारी होने का हवाला देकर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। उधर, डीजीपी संजय कुमार ने कहा कि कोई भी सुसाइड नोट में किसी का नाम लिखकर आत्महत्या कर ले तो उससे गुनाह साबित नहीं होता। मामले की जांच चल रही है। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’

अखबार ने इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए हैं और कहा है कि एक जैसे मामलों में पुलिस की कार्रवाई का तरीका अलग है। अखबार लिखता है- ‘एक जैसे दो मामलों की जांच में जुटी पुलिस दोनों मामलों की कार्रवाई में अलग-अलग रुख अपना रही है। मंडी में फॉरेस्ट गार्ड होशियार सिंह के मामले में पुलिस ने इन्हीं धाराओं में मुकदमा दर्ज कर वन विभाग के एक बीओ समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन किन्नौर में मामला दर्ज होने के 10 दिन बाद भी पुलिस अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है।’

बिलासपुर में सरकारी भूमि पर कब्जा करने से रोकने पर वनरक्षकों पर हमला

बिलासपुर।। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में पंजगाई वन खंड के वनरक्षक रिंकू कुमार और वन कर्मचारी हरि राम पर गुरुवार को शरारती तत्वों द्वारा हमला करने का मामला सामने आया है। हिमाचल प्रदेश फॉरेस्ट असोसिएशन बिलासपुर के प्रधान सुशील कुमार ने इस घटना की निंदा की है।

आरोप है कि गुरुवार रात करीब 7 बजे जब विभाग के उक्त दोनों कर्मचारी मुगरानी पीर की गश्त करके वापस अपने आवास की ओर जा रहे थे तो रानीकोटला निवासी एक व्यक्ति सरकारी भूमि पर एक टीनपोश लगाकर कब्जा करने की कोशिश कर रहा था। इसका वहां पर स्थानीय लोग भी विरोध कर रहे थे। वनरक्षक और वन कर्मचारी ने भी इसका विरोध किया तो वह शख्स शरारती तत्वों के साथ शराब के नशे में धुत्त होकर वनरक्षक के आवास पर पथराव करने लगा। आरोप है कि उसने गाली-गलौच कर जान से मारने की धमकी भी दी।

वनरक्षक ने घटना की जानकारी तुरंत वन खंड अधिकारी को दी, जिसपर बी.ओ. पंजगाई स्टाफ सहित मौके पर पहुंचे और आरोपियों के खिलाफ पुलिस चौकी खारसी में मामला दर्ज करवा दिया। इस मामले की जांच कर रहे पुलिस चौकी खारसी के अधिकारी जसवंत सिंह ने का कहना है कि पुलिस ने आई.पी.सी. की धारा 336, 504, 506 व 34 के तहत मामला दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी है।

पहाड़ी फिल्म ‘सांझ’ के चौथे गाने ‘धीमे-धीमे’ का वीडियो यूट्यूब पर रिलीज

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में बनी बड़े स्केल की पहली पहाड़ी फिल्म ‘सांझ’ का चौथा गाना रिलीज किया गया है। पिछले दिनों पर पर्दे पर नजर आई निर्माता-निर्देश अजय सकलानी की इस फिल्म को दर्शकों के बड़े वर्ग ने सराहा था। इसके बाद यूट्यूब पर एक-एक करके जारी किए जा रहे गाने भी बहुत से लोगों को पसंद आए हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए फिल्म का गाना ‘धीमे-धीमे’ रिलीज कर दिया गया है। इस गाने के बोल पहाड़ी में हैं। गाना उदासी भरा है और फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाते हुए इसे इस्तेमाल किया गया है। पिछले गानों की ही तरह इसमें हिमाचल प्रदेश की वादियों और यहां के रहन-सहन की झलक देखने को मिलती है।

धीमे-धीमे का म्यूजिक वीडियो देखें:

इससे पहले कुछ अन्य गाने भी रिलीज हो चुके हैं जिन्हें आप नीचे देख सकते हैं। शुरुआत देवा मेरे से:

इसके बाद ‘पुछे अम्मा’ गाने को रिलीज किया गया था:

‘धीमे-धीमे’ से पहले ‘दिल जो कहे’ गाना यूट्यूब पर पोस्ट किया गया था। देखें:

महाकाल मंदिर बैजनाथ: कोई नहीं लगा पाया इस पवित्र मंदिर के एक रहस्य का पता

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कांगड़ा।। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बहुत से प्रसिद्ध मंदिर हैं। यहां पर बैजनाथ नाम की जगह है जहां पर भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। मगर यहीं से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर एक और शिव मंदिर है, जिसका नाम है- महाकाल मंदिर। इस मंदिर को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। इस जगह पर मेलों का आयोजन भी होता है। आज हम आपको इसी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।

माना जाता है कि यहां पर जो शिवलिंग है, वह भगवान शिव के तेज से प्रकट हुआ था। खास बात यह है कि यहां शिवलिंग पर चढ़ने वाला पानी या दूध कहीं भी बाहर निकलता नजर नहीं आता। कहा जाता है कि कई लोग यह जानने की कोशिश कर चुके हैं मगर किसी को पता नहीं चला। यह रहस्य आज तक बरकरार है।

जैसा कि हिमाचल के बहुत से मंदिरों को लेकर मान्यता है, इस मंदिर को लेकर भी यह कहा जाता है कि पांडवों ने इसका निर्माण करवाया था। कहते हैं कि मंदिर बनवाने के बाद पांडवों ने माता कुंती के साथ यहां पर महाकाल की आराधना की थी। इस मंदिर को लेकर एक और खास बात यह है कि इसे अघोरी साधकों और तंत्र विद्या का केंद्र माना जाता है। यहां पर शिव के साथ अपरोक्ष रूप से महाकाली का वास भी बताया जाता है। पहले ऐसी मान्यता थी कि अगर यहां कोई शव जलने न आए तो घास का पुतला जलाया जाता था।

मान्यता यह भी है कि सप्तऋषि जब इस क्षेत्र के प्रवास पर थे, तब सात कुंडों की स्थापना की गई थी। इनमें से चार कुंड- ब्रह्म कुंड, विष्णु कुंड, शिव कुंड और सती कुंड आज भी मंदिर में मौजूद हैं। तीन कुंड- लक्ष्मी कुंड, कुंती कुंड और सूर्य कुंड मंदिर परिसर के बाहर हैं।

बताया जाता है कि ब्रह्म कुंड का पानी पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शिव कुंड के पानी से महाकाल का अभिषेक किया जाता है और इस पानी को नहाने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सती कुंड के पानी को इस्तेमाल नहीं कहा जाता। कहा जाता है कि यहां पर किसी दौर में 3 रानियां सती हुई थीं।

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में साल 1905 में भीषण भूकंप आया था जिसमें भारी तबाही मचाई थी। उस भूकंप में इस मंदिर का एक बड़ा हिस्सा ढह गया था। उस हिस्से को दोबारा बनाया गया है। खास बात यह है कि यहां पर दुर्गा मंदिर की स्थापना मंडी के राजा ने करीब साढ़े चार सौ साल पहले की थी।  मगर राजा के इकलौते बेटे का निधन हो गया था तो उसने मूर्ति की स्थापना करने से इनकार कर दिया। कहा जाता है कि इसके बाद जो भी मूर्ति की स्थापना करना चाहता, उसके या उसके परिजनों के साथ कोई हादसा हो जाता। ऐसे में कई सालों बाद साल 1982 में स्वामी रामानंद ने यहां पर दुर्गा प्रतिमा स्थापित की थी। वैसे इस जगह पर एक शनि मंदिर भी है।

दृष्टिहीन युवती से गैंगरेप मामले में प्रशासन को तुरंत मुआवजा और मदद मुहैया करवाने के निर्देश

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, मंडी।। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सिराज क्षेत्र में एक दृष्टिहीन युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार मामले में राष्ट्रीय एससीएसटी आयोग (NCSC) ने पीडिता के घर का दौरा किया। आयोग ने जिला प्रशासन को रेप पीड़िता को उचित मुआवजा देने और सहायता देने के निर्देश दिए। राष्ट्रीय एससीएसटी आयोग की सदस्या डा. स्वराज विद्वान ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए यह जानकारी दी। (कवर इमेज में डॉक्टर स्वराज)

डॉक्टर स्वराज का कहना है कि देवभूमि में इस तरह की घटनाएं परेशान करती हैं मगर ऐसे समय में पीड़ित युवती की मदद करने कोई नही आया। उन्होंने प्रदेश सरकार को संवेदनहीन करार देते हुए कहा कि प्रदेश में किसी विकलांग और अनुसूचित जाति व जनजाति युवती के साथ समूहिक दुराचार होता है लेकिन ऐसे में प्रदेश सरकार का कोई प्रतिनिधी मदद के लिए आगे नहीं आता है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि और तो और हिमाचल प्रदेश का एससी व एसटी निगम, महिला आयोग और न ही किसी तरह के संगठन पीडित युवती को सहायता प्रदान करने के लिए नहीं पहुंचे। राष्ट्रीय एससी व एसटी आयोग ने इस संदर्भ में जिला प्रशासन को रेप पीडिता को केन्द्र सरकार से मिलने वाली लगभग 8 लाख की धनराशी यथाशीघ्र देने के निर्देश दिये। साथ ही इन्होनें प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री को भी इस मामले में विभिन्न निगमों और आयोगों की लापरवाही को मद्देनजर उचित कार्यवाही करने का आग्रह भी किया है।

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डॉ. स्वराज विद्वान ने बताया कि अभी पीड़ित युवती अस्वस्थ चल रही है और उसने पढने का इच्छा जाहिर की है ,जिसके लिए राष्ट्रीय एससीएसटी आयोग अपनी तरफ से पूरा सहयोग करेगा। इन्होने आम लोगों और सामाजिक और धर्मिक संगठनों से भी युवती की हर सम्भव सहायता करने की अपील की है। उन्होंने इस मामले को उठाने के लिए मीडिया का भी शुक्रिया अदा किया।

शिमला भी बनेगा ‘स्मार्ट सिटी’, केंद्र द्वारा जारी तीसरी लिस्ट में मिली जगह

शिमला।। प्रदेशवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। हिमाचल का एक और शहर स्मार्ट सिटी बनने जा रहा है। यह शहर कोई और नहीं बल्कि प्रदेश की राजधानी शिमला है। गौरतलब है कि पिछली बार हिमाचल से धर्मशाला का चुनाव हुआ था।

शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने 30 और शहरों को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने की घोषणा की है। इस परियोजना के तहत यह स्मार्ट सिटी की तीसरी लिस्ट है। 30 शहरों का चयन प्रतिस्पर्धा के आधार पर किया गया। इसमें त्रिवेंद्रम पहले और शिमला 15वें पायदान पर रहा।

केंद्र सरकार द्वारा जारी इस तीसरी लिस्ट के साथ ही स्मार्ट सिटी की लिस्ट में अब 90 शहरों के नाम शामिल हो गए हैं। सरकार ने 2020 तक देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने का लक्ष्य रखा है।

83 साल के हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह आज 83 साल के हो गए हैं। 23 जून 1934 को उनका जन्म मौजूदा शिमला जिले के सराहन में हुआ था। 6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र यहां पर सबसे ज्यादा वक्त तक इस पद पर बने रहने वाले शख्स हैं। 5 बार वह लोकसभा के लिए भी चुने जा चुके हैं और केंद्र में अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं। खास बात यह है कि आज तक वह कोई भी चुनाव नहीं हारे हैं। प्रदेश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में गिने जाने वाले वीरभद्र सिंह इन दिनों आय से अधिक संपत्ति मामले में घिरे हुए हैं और जमानत पर चल रहे हैं।

 

जन्मदिन के मौके पर मुख्यमंत्री को बधाइयां और शुभकामनाएं मिल रही हैं। विभिन्न नेताओं और नेता बनने के इच्छुक लोगों ने अखबारों पर विज्ञापन देकर बधाइयां दी हैं। मुख्यमंत्री के आवास पर भी लोगों का जमावड़ा लगा है जिसका लाइव वीडियो मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज से प्रसारित किया गया। देखें:

एक अन्य वीडियो:

CID टीम ने दर्ज किए होशियार सिंह के परिजनों के बयान; अवैध कटान की जांच शुरू

मंडी।। जंगल में संदिग्ध हालात में मृत पाए गए वन रक्षक होशियार सिंह की मौत के मामले को लेकर सीआईडी की विशेष टीम गुरुवार को जंजैहली पहुंची। यहां टीम ने  झरोटी गांव में मृतक फॉरेस्ट गार्ड की दादी और चाचा समेत अन्य परिजनों से बात की और उनके बयान दर्ज किए। सीआईडी ने परिजनों ने होशियार की मनोदशा के बारे में सवाल किए और पढ़ाई इत्यादि समेत कई जानकार जुटाए।

सीआईडी ने होशियार की डायरी में लिखे नोट की हैंडराइटिंग समेत कुछ अन्य रिपोर्ट्स पर भी बातचीत की। सीआईडी. क्राइम के डीएसपी भूपेंद्र बरागटा ने बताया कि टीम ने होशियार सिंह के घर जाकर परिजनों के बयान दर्ज किए गए हैं। होशियार के मोबाइल की डिटेल और जीपीएस डीटेल्स की रिपोर्ट भी जल्दी FSL से मिलने वाली है। उन्होंने कहा कि इसके बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकता है।

इस बीच पुलिस ने वन विभाग की तरफ से अवैध कटान की शिकायत मिलने पर एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। वन विभाग ने एफआईआर करीब 10 दिन बात की है जब हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया था। शिकायत मिलते ही करसोग पुलिस की टीम ने कटांडा बीट के जंगल का दौरा किया और कटे हुए पेड़ों के वीडियो बनाए। एएसपी. मंडी कुलभूषण का कहना है कि पुलिस टीम कटांडा बीट की जांच की जा रही है और तथ्य मिलेंगे तो उनके आधार पर कार्रवाई होगी।