ऐक्ट्रेस कृष्णा मुखर्जी ने मनाली की वादियों में भूषण ज्वेलर्स के गहने पहन की सगाई

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सोलन।। टीवी सीरियल ‘ये है मोहब्बतें’ स्टार कृष्णा मुखर्जी ने कुछ समय पहले ही सगाई की है। इस अवसर को यादगार बनाने के लिए कृष्णा मुखर्जी ने मनाली की खूबसूरत वादियों को चुना। ख़ास बात ये है कि इस विशेष अवसर पर कृष्णा मुखर्जी ने भूषण ज्वेलर्स के आभूषण पहने।

दरअसल कृष्णा मुखर्जी खूबसूरत पारम्परिक और आधुनिक डिज़ाइन के आभूषणों के साथ इस अवसर को और यादगार बनाना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश के जाने -माने आभूषण विक्रेता भूषण ज्वेलर्स को चुना। भूषण ज्वेलर्स ने उनकी पसंद को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से आभूषण तैयार किये, जिन्हें कृष्णा मुखर्जी और उनकी टीम ने खूब सराहा।

भूषण ज्वेलर्स प्रबंधन की ओर से बातचीत करते हुए विनय गुप्ता ने बताया कि कृष्णा मुखर्जी ने भूषण ज्वेलर्स को चुना इसके लिए वे उनके आभारी है। उन्होंने बताया कि पहले भी कई सेलिब्रिटी भूषण ज्वेलर्स से विशेष मौकों के लिए खरीददारी करते रहे है।

विनय गुप्ता ने कहा कि भूषण ज्वेलर्स के लिए हर ग्राहक महत्वपूर्ण है और अब डिज़ाइनर आभूषणों के लिए हिमाचल वासियों को दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाने की जरुरत नहीं है। अब सोलन स्थित भूषण ज्वेलर्स में ही ग्राहकों को विस्तृत आभूषण रेंज उपलब्ध है।

बिलासपुर: हिरासत में हैं तलवारें लहराने वाले युवक, आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज

बिलासपुर।। बिलासपुर शहर में खुलेआम तलवारें लहराने का वीडियो वायरल होने के मामले में पुलिस ने जानकारी दी है कि इन युवकों के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। युवक पहले से ही पुलिस की हिरासत में हैं।

बिलासपुर पुलिस ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट डालकर लिखा है, “दिनांक 16.09.2022 को बिलासपुर बस स्टैण्ड पुलिस डयूटी कर्मचारी ने पुलिस चौकी शहर में लड़ाई झगड़ा होने वारा सूचना दी। जिस पर स्थानीय पुलिस द्वारा मौका पर त्वरित कार्यवाही करते हुए झगड़ा कर रहे तीन युवकों को नियमानुसार गिरफ्तार करके चिकित्सा परीक्षण उपरांत हवालात में बंद किया गया था।”

“आज दिनांक 17.09.2022 को साकिब चौधरी निवासी H.No. 202 डियारा सैक्टर वार्ड नं 10 बिलासपुर ने एक शिकायत पत्र के माध्यम से पुलिस को बतलाया कि पिछले कल इसका लड़का सोहेल चौधरी अपने दोस्तों के साथ बस-स्टैण्ड के पास जन्मदिन मनाने के लिए गया था तो वहां पर दो युवकों ने इसके साथ झगड़ा किया जो उसी समय आरोपी युवकों को पुलिस ने त्वरित कार्यवाही करते हुए हिरासत में ले लिया था। परन्तु आज इसे सोशल-मीडिया पर वॉयरल हुए विडियो से ज्ञात हुआ कि जिन युवकों ने इसके बेटे के साथ झगड़ा किया था वो हाथों में तलवारें लहरा रहे थे। जिसका विडियो इसके द्वारा पुलिस को उपलब्ध करवाया गया।”

पुलिस ने लिखा है, “शिकायत पत्र व विडियो के आधार पर थाना सदर में मुकदमा नं 210/2022 अधीन धारा 25-54-59 Arms Act के अतंर्गत दर्ज किया गया है। आरोपी युवक पहले से ही पुलिस हिरासत में हैं तथा सदर पुलिस द्वारा मुकदमा की तफ्तीश अम्ल में लाई जा रही है।”

शेफ़ राकेश सेठी ने खोले टीम इंडिया के राज़, बताया- कौन किस चीज़ का है शौक़ीन

मृत्युंजय पुरी, धर्मशाला।। स्मार्ट सिटी धर्मशाला में 18 से 20 सितंबर तक टूरिज्म पर नेशनल कान्फ्रेंस होने जा रही है। इस कान्फ्रेंस में देश भर से राज्यों के पर्यटन मंत्री टूरिज्म पर चर्चा करेंगे। उनकी आवभगत के लिए देश के नामी सेलिब्रिटी शैफ राकेश सेठी धर्मशाला पहुंचे हैं। ज्यादातर समय टीम इंडिया के खाने का जिम्मा संभालने वाले राकेश सेठी ने खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि किस स्टार क्रिकेटर को खाने में क्या पसंद है।

सबसे पहले उन्होंने दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाज पूर्व कप्तान विराट कोहली के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि रन मशीन विराट कोहली को खाने में पालक सबसे ज्यादा पसंद है। इसके बाद वह अन्य हरी सब्जियों की डिमांड करते हैं। उनका खाना बेहद सादा है। उन्होंने बताया कि बाएं हाथ के बैटर शिखर धवन को खाने में यूरोपियन फ्रूट ऐवोकैडो पसंद है। ऐवोकैडो को दर्जनों बीमारियों का दुश्मन व जबरदस्त इम्युनिटी बूस्टर माना जाता है।

इसके अलावा सर के नाम से मशहूर दुनिया के बेहतरीन लैफ्ट आर्म बालिंग आलराउंडर रविंद्र जडेजा को नॉर्थ इंडियन फूड खूब भाता है। सेठी ने बताया कि टीम के अन्य आलराउंडर पांड्या बद्रर्ज को भी उत्तरी भारतीय खाना पसंद आता है। हार्दिक पांड्या मध्यम गति के तेज गेंदबाज होने के साथ साथ हार्ड हिटर भी हैं। इसी तरह कृनाल पांड्या लैफ्ट आर्म ब्रेक गेंदबाज होने के साथ बाएं हाथ के विस्फोटक बल्लेबाज हैं।

सेठी ने कहा कि ये दोनों भाई हर तरह का खाना खा लेते हैं, लेकिन ज्यादातर मांग उतरी भारतीय खाने की रहती है। दूसरी ओर लैग ब्रेक स्पिनर युजवेंद्र चहल को घी के साथ रोटी पसंद है। वहीं पूर्व क्रिकेटर, कोच और दुनिया के नामी कमेंटेटर रवि शास्त्री चिकन और फिश के दीवाने हैं। हालांकि वह स्विमिंग से खुद को फिट रखते हैं। अपनी डिफेंसिव तकनीक के लिए विख्यात पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविड़ पर सेठी ने कहा कि ग्लूटन फ्री खाना पसंद करते हैं। उन्हें गेहूं से बने उत्पाद कम ही रास आते हैं।

ईशान किशन अपने शेड्यूल से बाहर नहीं जाते। हालांकि सभी इंडियन क्रिकेटर्ज में कॉमन यह है कि वे सभी खाने के मामले में बेहद अनुशासित हैं। सेठी ने कहा कि साउथ अफ्रीका, श्रीलंका आदि देशों के क्रिकेटर भी भारतीय खाने को खूब पसंद करते हैं। बहरहाल पर्यटन पर कान्फ्रेंस के बहाने देश का नामी शैफ हिमाचल की ब्रांडिंग में जुट गया है।

हिमाचली धाम परोसी जाएगी
राकेश सेठी ने कहा कि 18 से 20 सितंबर तक धर्मशाला में होने वाली पर्यटन मंत्रियों की नेशनल कान्फ्रेंस में उन्हें खासतौर से हिमाचली धाम खिलाई जाएगी। इससे हिमाचली खाने की ब्रांडिंग भी हो जाएगी। आने वाला साल ईयर आफ मिल्ट के नाम से जाना जाएगा, ऐसे में पर्यटन मंत्रियों को गेहूं, ज्वार, बाजरा (मिलेट) से बनी रागी और डोसा आदि भी परोसे जाएंगे।

कांग्रेस की संस्कृति है वादे करके उन्हें पूरा न करना: स्मृति ईरानी

रामपुर।। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी रामपुर में एक महिला सम्मेलन में शामिल हुईं। सम्मेलन का नाम “नारी को नमन” रखा गया था। स्मृति ईरानी ने कहा कि आज देश के पहले जनसेवक और नए भारत के पथ प्रदर्शक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के का जन्मदिन है। हिमाचल में डबल इंजन सरकार ने हिमाचल के विकास की गाथा को नए क्षितिज पर पहुंचाया हैं। केंद्र में मोदी सरकार और हिमाचल में जयराम सरकार ने मिलकर राज्य की समग्र प्रगति को गति देने के लिए बहुत अच्छा काम किया है।

30 साल बाद रामपुर को संस्कृत कोलाज मिला, लंबे समय से चली आ रही इस मांग को भाजपा सरकार ने इस कार्यकाल में पूरा किया लेकिन दुर्भाग्य से कांग्रेस ने पिछले 30 वर्षों से केवल इसका सपना देखा था। सपने दिखाना कांग्रेस की पुरानी परंपरा है। कांग्रेस ने राज्य और केंद्र में लंबे समय तक सरकार का नेतृत्व किया लेकिन राज्य के लिए कुछ नहीं किया, हमारी सरकार ने रामपुर में उप तहसील दी , यह जयराम सरकार की ओर से इस विधानसभा को एक बड़ा तोहफा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह कांग्रेस का कल्चर है को वो अपनी बात पर कायम नहीं रहते, वे जो कहते हैं उसे कभी पूरा नहीं करते।
कांग्रेस ने सुनिश्चित किया कि अटल सुरंग पूरी न हो, लेकिन मैं भाजपा सरकार की शुक्रगुजार हूं कि यह ऐतिहासिक सुरंग बनकर तैयार हो गई है और आज यह सुरंग विश्व प्रसिद्ध है।

इन दिनों कांग्रेस नेता कांग्रेस छोड़ रहे हैं और हाल ही में बिलासपुर के रहने वाले कांग्रेस नेता रामलाल ठाकुर ने कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा पेश किया है। राम लाल ठाकुर ने भी माना कि कांग्रेस दिशाहीन और नेतृत्वविहीन है और हिमाचल में इस पार्टी में मुख्यमंत्री के कई सारे उम्मीदवार हैं। वैसे इस घटना से कांग्रेस की स्थिति बिल्कुल साफ है हो गई है।

उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजनीति को एक नया दृष्टिकोण दिया है जहां उन्होंने देश की महिलाओं का ध्यान रखा और उन्हें अत्यधिक सम्मान दिया है। नरेंद्र मोदी के भारत का प्रधानमंत्री बनाने से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाएं खुश हैं।
मोदी ने देश को 11 करोड़ और हिमाचल ने 2 लाख से ज्यादा लोगों को शौचालय दिए, कांग्रेस ने इस छोटी सी मांग के बारे में कभी नहीं सोचा। ऐसा करके मोदी ने भारत में महिलाओं की प्रतिष्ठा की रक्षा की है। मोदी ने हमें स्वच्छ भारत अभियान दिया जिसने हमारे राज्य और राष्ट्र की कायाकल्प हुई है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमारे आम जनता के स्वास्थ्य के बारे में कभी नहीं सोचा। जब से केंद्र में भाजपा सरकार सत्ता में आई है, 10 करोड़ से अधिक परिवार अब आयुष्मान भारत के तहत आ गए हैं, जहां उन्हें 5 लाख तक की मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं और हिमाचल में 4.37 लाख परिवार इस लोकप्रिय योजना के तहत कवर किए गए हैं। जयराम सरकार की बदौलत जो लोग आयुष्मान भारत के दायरे में नहीं थे, वे अब हिमकेयर के दायरे में आ गए हैं।

स्मृति ईरानी ने कहा कि डबल इंजन सरकार का फर्क पड़ता है और इसका अंतर साफ है। हमने बिलासपुर में एम्स, ऊना में पीजीआई सेंटर, नालागड़ में मेडिकल डिवाइस पार्क और ऊना में बल्क ड्रग पार्क दिया। कांग्रेस को देखना चाहिए कि डबल इंजन सरकार ने हिमाचल को क्या दिया है। आलोचना करना तो आसान होता है पर तारीफ करना मुश्किल।

भाजपा देश के लोगों के लिए काम कर रही है जबकि कांग्रेस आराम कर रही है। भाजपा गरीबों की सरकार है और हम उनके उत्थान के लिए काम करते हैं। कांग्रेस के सत्ता में वापस आने की कोई गुंजाइश नहीं है। इस अवसर पर मंत्री गोविंद ठाकुर, महिला मोर्चा अध्यक्ष रशीमधर सूद, जिलाध्यक्ष अजय श्याम, अध्यक्ष कौल नेगी, युवराज बोध, अनीता और कुलवीर भी मौजूद थे।

आई.सी.एस.ई स्कूलों की वार्षिक बैठक का आयोजन 16–17 को

धर्मशाला।। उत्तर भारत के आई.सी.एस.ई स्कूलों की ‘ वार्षिक आम बैठक ’ का आयोजन 16 व 17 सितंबर को किया जाएगा। इस बैठक का मुख्य प्रतिपाद्य विषय (थीम )‘ रेजिलिएशन एंड रीइन्वेंशन ’ रहेगा। जिसमें उत्तर भारत के आई.सी.एस.ई स्कूलों के लगभग 140 प्रिंसिपल भाग लेंगे तथा अपने विचारों को साझा करेंगे।

पहले दिन की बैठक के मुख्यातिथि के रूप में जिलाधीश कांगड़ा डॉक्टर निपुण जिंदल व काउंसिल सेक्रेटरी गेरी अरथून होंगे। जबकि दूसरे दिन श्री संजय कुंडू डीजीपी हिमाचल प्रदेश इस बैठक के मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करेंगे।

साथ ही साथ कुल्लू वैली स्कूल के प्रिंसिपल श्री संजीव भारद्वाज, लुइस लोपासेस प्रेसिडेंट (एएसआईएसी) , श्रीमती निर्मल कौर रीजनल सेक्रेटरी (एएसआईएसी) व सेक्रेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल सिस्टर ग्रेसी एमडी विशेष रुप से उपस्थित रहेंगे। प्रस्तुत बैठक का आयोजन डी‘पोलो’ होटल धर्मशाला में किया जाएगा।

मुख्यमंत्री चोर, लुटेरे और डाकू; हम इनको 60 दिन में जेल में ठोकेंगे: मुकेश अग्निहोत्री

डेस्क।। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें चोर, लुटेरा और डाकू करार दिया है। अपने फेसबुक पेज पर डाले एक वीडियो में उन्होंने यह टिप्पणी की है।

एक पत्रकार को दिए साक्षात्कार के अंश साझा करते हुए मुकेश अग्निहोत्री ने लिखा है- “पूरे प्रदेश में लूट का शासन चल रहा है पर मुख्यमंत्री सिर्फ़ राम राज्य जैसी झूठी तस्वीर दिखाने में व्यस्त है। जनता के पैसे से अमृत महोत्सव की आड़ में BJP पार्टी की निजी राजनीतिक रैलियां की जा रही हैं।”

मुकेश अग्निहोत्री वीडियो में कहते हुए दिख रहे हैं, “मुख्यमंत्री एक ऐसी पिक्चर देने की कोशिश करते हैं जैसे कि वो बहुत शरीफ हैं। इस चेहरे के पीछे एक और चेहरा छिपा हुआ है। यह लुटेरों का, डाकुओं का, चोरों का है।”

मंत्रियों पर हमला करते हुए नेता प्रतिपक्ष कहते है, “किस ढंग से 2200 करोड़ रुपये की पानी की पाइप खरीद ली, छोटा सा प्रदेश है। अरे हम इनको ठोकेंगे जेल में। 60 दिन के बाद इनको हिसाब-किताब पता लगेगा, जिन लोगों ने आज अराजकता फैलाई हुई है, जिन्होंने लूट मचाई हुई है।”

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा, “ये समझते हैं कि सत्ता इनकी स्थायी हो गई है और सत्ता से इनको कोई उखाड़ नहीं सकता है।”

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जिंदगी की जंग हार गया रोहित, छोटे भाई ने बिलखते हुए दी मुखाग्नि

मृत्युंजय पुरी, कांगड़ा।। टाण्डा मेडिकल कॉलेज में पिछले छह दिनों से  भर्ती रोहित ने सुबह 4 बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली। रोहित की मौत की खबर जैसे  ही गांव रच्छयालु पहुंची, पूरे गांव मे शोक की लहर दौड़ गई।

गरीब परिवार से सम्बन्ध रखने बाला रोहित अपने परिवार का इकलौता सहारा था। मां का देहांत 2017 में सर्प दंश के कारण हो गया था। पिता बीमार हैं और छोटा भाई अर्पण 12वीं में पड़ता है। गांव मे माहौल बिगड़ने की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने एएसपी बद्री, डीएसपी रामप्रसाद जसवाल और डीएसपी मदन धीमान की निगरानी में रोहित का अंतिम संस्कार करवाया।

ग्राम पंचायत रच्छियालू की प्रधान संजू कुमारी ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस निर्धन परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए और परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। ग्रामीणों ने रोहित को पीटने वाले युवक को भी कड़ी सजा देने की मांग की है। इस समय सचिन नाम अभियुक्त जेल में है।

क्या है मामला
7 सितम्बर को गगल बाजार में धर्मशाला मार्ग पर थाने से मात्र 50 मीटर की दूरी पर मारपीट की घटना हुई थी। ग्रामीणों का आरोप है कि गगल पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। तबीयत बिगड़ने पर रोहित को टांडा मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था।

इस बीच गांव रच्छियालू के ग्रामीणों में गगल पुलिस थाने का घेराव किया था और आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इस पर पुलिस उच्च अधिकारियों ने गगल पुलिस थाना के 6 कर्मचारियों को लाइन हाजिर कर दिया था। मंगलवार को लोगों ने मुख्यमंत्री का काफिला रोककर न्याय की गुहार लगाई थी और सीएम ने जांच का आश्वासन दिया था। इस मामले की जांच डीएसपी राम प्रसाद जसवाल को सौंपी गई है।

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जब ट्वेन्टी टू बुलवाने की ज़िद हो तो फिर बाईस कौन बोले?

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राजेश वर्मा।। बेटे को आवाज देकर कहा कि डायरी में से देखकर मोबाइल नंबर लिखवाना। उसने शुरू किया “नाइन्टी फोर…” मैंने कहा हिंदी में बोलो। वो हंसते हुए बोला- पापा, हिंदी में नहीं आता, मुझे बस “तैंतीस” तक हिंदी में मालूम है, उसके आगे नहीं । प्रश्न खुद से ही था कि जिस भाषा को बोलने व सुनने में हम खुद को सहज महसूस करते हैं, उस भाषा में न तो विद्यालयों में पठन-पाठन किया जा रहा है, न ही घर-परिवार में उसके बारे में चर्चा होती है; फिर बच्चों को कैसे पता चलेगा कि 40 को अंग्रेज़ी में फॉर्टि तो हिंदी में चालीस कहते हैं।

आखिर हमारी हिंदी हमसे दूर क्यों हो गई या हमने इसको दूर क्यों कर दिया? बच्चा अभी चलना-फिरना भी नहीं सीखता और हम उसके मुंह में जबरन अंग्रेजी के शब्द डालने लग जाते हैं। हम इस बात से डर रहे हैं कि हमारे बच्चे गलती से कहीं हिंदी में बात न करने लगें, जिससे कि हमें शर्मिंदगी न झेलनी पड़े। हम तब प्रफुल्लित महसूस करते हैं जब हमारा बच्चा अंग्रेज़ी में गिनती जानता है। लेकिन हिंदी में उसे न एक का पता है, न दस का और न सौ का।

यह कोई प्रफुल्लित होने वाली चीज नहीं है, इससे तो हमारे अंदर के खोखलेपन का पता चलता है। जब तक हम स्वयं अपने देश की धरोहर, अपनी मातृभाषा का सम्मान नहीं करेंगे, तब तक हम इसे इसका खोया हुआ सम्मान दिला नहीं पाएंगे। अपनी भाषा से प्रेम भी राष्ट्रभक्ति है। वहीं, ठीक इसके उल्ट भी ऐसा ही है। किसी भी तरह की भाषा को सीखना, उसे बोलना कोई अपराध नहीं हैं परन्तु अपनी भाषा के प्रति हीन-भावना रखना देश के प्रति गद्दारी के समान हैं।

अक्सर देखने में आता है कि पढ़ा-लिखा युवा वर्ग, जो बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरियां कर रहा है, उसे आज के समय में न तो हिंदी का कोई भविष्य दिखता है, न ही हिंदी में अपना भविष्य दिखाई देता है, क्योंकि वह अपने आस-पास के दायरे में रहकर सोच रहा है। उस दायरे में, जो हमने उसे दिया है।

उसे एक सफल भविष्य चाहिए, जिसमें नौकरी, पैसा व नाम हो। उसके लिए हिंदी का होना जरूरी नहीं लगता। लेकिन जब वही युवा एक क्षितिज पर खड़ा होकर देश के भीतर झांकता है तो उसे अपने ही लोगों के बीच एक खाई नजर आती है। यह खाई इन पढ़े-लिखे युवाओं को ही अकेला खड़ा कर देती है क्योंकि देश में आज भी हिंदी भाषाई ज्यादा हैं। इन पढ़े-लिखे युवाओं में तकनीकी एकता भले ही हो, लेकिन मानवीय एकता के लिए हमें अपनी मातृभाषा की ही जरूरत है। भाषा ही वह इकाई है जो व्यक्ति को आपस में जोड़ती है, व्यक्ति आगे परिवार को जोड़ता है वही परिवार समाज को जोड़ता है और इस तरह समाज से गांव, नगर, शहर व देश बनता है।

हमारे देश की असली पहचान है विविधता, और यह हर चीज में है। धर्म-कर्म से लेकर प्रत्येक क्षेत्र तक फैली विविधता। इसी विविधता की पहचान है- देश के विभिन्न भागों में बोली जाने वाली भाषाओं की विविधता। हर भाषा का अपना वजूद है, पहचान है। इसी विविधता को आपस में एक सूत्र में जोड़ने वाली भाषा है- हिंदी। आप देश के किसी भी कोने से संबंधित हों, लेकिन आपको एक भारतीयता का पहचान करवाती है- हिंदी।

14 सितम्बर 1949 के दिन आजादी के बाद हिंदी को देश की राजभाषा से गौरवान्वित किया गया। सन् 1953 में हुए निर्णय के बाद प्रति वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। संविधान के अनुच्छेद 343 में चाहे हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ व अनुच्छेद 351 के अनुसार बेशक हिंदी का प्रसार बढ़ाने की बात की गई लेकिन शायद यह सब कागजों तक सिमट कर रह गया।

हर साल हिंदी के उत्थान को हिंदी पखवाड़ा, हिंदी सप्ताह, हिंदी दिवस मनाया जाता है सरकारों द्वारा इस उपलक्ष्य को मनाने के लिए थोक में बजट भी उपलब्ध करवाया जाता है। सरकारी व निजी कार्यालयों से लेकर स्कूलों, कॉलेजों, में निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिताएं, चित्र कला प्रतियोगिताएं, कवि सम्मेलन, संगोष्ठियां अर्थात तरह-तरह से हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए समारोह, पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित होते हैं लेकिन इन समारोह में भी बड़े-बड़े नामचीन हस्तियों को ही आमंत्रित किया जाता है भले ही हिंदी की बेहतरी के लिए उनका योगदान नगण्य हो।

क्या एक दिवस, एक सप्ताह, एक पखवाड़ा, या ज्यादा से ज्यादा एक महीने तक हिंदी पर दिखावटी हो हल्ला करके हम इसके अस्तित्व को बचा पाएंगे? शायद हरगिज नहीं। यह सब कुछ भी तब होता है जब सरकारी कार्यालयों में जबर्दस्ती कुछ दिन तक हिंदी की जय करने के आदेश थोपे जाते हैं और इनकी खानापूर्ति महज काग़ज़ काले करके पूरी हो जाती है। अन्य समारोहों में भी हिंदी भाषा के प्रति दरियादिली तब दिखाई देती है जब फंड के रूप में सरकारी प्रोत्साहन मिलता है, तभी शायद हिंदी प्रेम कुछ वक्त के लिए जागता है।

देश का विकास तब होगा जब भाषा का विकास होगा भाषा का विकास तब होगा जब हम व्यक्तिगत रूप से इससे जुड़ेंगे व जोड़ेंगे। हमें यह इंतजार नहीं करना होगा कि आज 14 सितंबर है, हिंदी राष्ट्रीय दिवस या 10 जनवरी अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस है। हमें तो प्रत्येक दिन को हिंदी दिवस समझना चाहिए क्योंकि जब तक आप मन से किसी चीज से नहीं जुड़ते तब तक आप पर चाहे सैकड़ों दिवस थोप दिए जाएं या सैंकड़ों आदेश जबर्दस्ती लागू करवा दिए जाए, उस भाषा का विकास नहीं हो सकता।

आज बेशक चाहे युवा वर्ग हिंदी को लेकर हीन भावना का शिकार है लेकिन यह उसकी कमी नहीं, यह कमी है हमारे संस्कारों की जो हमने हिंदी की बजाय अन्य भाषा में जबरन उस पर थोपे, जिस कारण आज वह खुद को हिंदी में बोलने लिखने से भी शर्म महसूस करने लग गया।

वह भाषा, जिसे विदेशों से लोग सीखने के लिए देश में आते हैं परंतु यहां के नागरिक ही उससे मुख मोड़ रहे हैं। यह आत्मचिंतन का विषय है। हिंदी प्रत्येक भारतीय नागरिक के विकास की नींव हैं। नींव को छोड़कर हम कुछ देर तक जरूर हवाई महल खड़ा कर सकते हैं परन्तु दीर्घकाल तक नहीं। शहरों और गांवों का मतभेद संसाधनों के रूप में ही नहीं, भाषा के रूप में भी है और इस मतभेद को अपनी भाषा से ही दूर किया जा सकता है।

हिंदी ही वह भाषा है जो हमारी अमूल्य संस्कृति को सहेज कर रखे हुए है। विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है हमारी हिंदी भाषा। हम सभी को इसके विकास के लिए न तो किसी दिवस का मोहताज होना चाहिए न ही हमें किसी पुरस्कार या सम्मान की आस रखनी चाहिए कि हमें यह मिलेगा हम तब इसको बढ़ावा देंगे। यदि हम अपनी राष्ट्र भाषा को बढ़ावा देंगे तो यह बढ़ावा भाषा ही नहीं बल्कि देश के विकास को बढ़ावा देने वाली बात होगी। देश के विकास से बड़ा कोई और पुरस्कार नहीं हो सकता।

हमें प्रण लेना चाहिए कि हर दिन अपनी भाषा के नाम हो, हो सके तो हर जरूरी काम अपनी भाषा में हो। हमारे संस्कार ऐसे हों कि आने वाली पीढ़ी में कम से कम अपनी भाषा का मौलिक ज्ञान तो जरूर हो। इसका विकास ना किसी दिवस से संभव होगा न ही विभिन्न आयोजनों से। यह हमारी भाषा है हमें इसको सहेजने की जरूरत है। हमें इससे आत्मीयता से जुड़ने की आवश्यकता है।

(स्वतंत्र लेखक राजेश वर्मा लम्बे समय से हिमाचल से जुड़े विषयों पर लिख रहे हैं। उनसे vermarajeshhctu@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

किसी पद की लालसा में नहीं आया AAP में: राजन सुशांत

फतेहपुर।। पार्टी जो फैसला होगा उसी पर ही चलूंगा, मैं मुख्यमंत्री,विधायक या किसी पद की लालसा से पार्टी में नहीं आया हूं। ये शब्द आज भाजपा से बागी रहे पूर्व सांसद डाक्टर राजन सुशांत ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन करने के उपरांत फतेहपुर मे एक कार्यक्रम के दौरान कहे।

इससे पहले कार्यक्रम मे पंहुचने पर डाक्टर राजन का कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया। कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए सुशांत ने कहा कि कांग्रेस में हम जा नहीं सकते क्योंकि विचारधारा नहीं मिलती है। बीजेपी के अन्दर भ्रष्टाचार देख लिया है, वहां मन नहीं करता है। आ जा के अपनी पुरानी पार्टी ही बचती है जहां मुझे मान सम्मान मिला है। आज अपने घर वापिस आया हूं।

सुशांत ने कहा कि मैंने पार्टी पर कोई शर्म नहीं थोपी है। हमने कहा कि हम‌ समर्पित कार्यकर्ता की तरह काम करेंगे और पार्टी जो भी फैसला करेगी, उसके साथ चलूंगा।

कांग्रेस बताए कि उसने 70 साल में महिलाओं के लिए क्या किया: इंदु गोस्वामी

शिमला।। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवकता अल्का लांबा जो मात्र एक माह पूर्व हिमाचल की प्रभारी नियुक्त हुई है। वो जमीनी हकीकत से अवगत नहीं हैं वे न सिखाएं भाजपा को महिला कल्याण एवं उत्थान। राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी ने अल्का लांबा पर पलटवार करते हुए कहा कि वो हिमाचल एक प्रभारी के नाते आई हैं । पर मुझे उन्हें एक नसीहत देनी है कि वे हिमाचल के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लें। राजनैतिक लाभ लेने के लिए टिप्पणी करने से पहले वह प्रदेश में महिलाओं के लिए चल रही जन कल्याणकारी योजनाओं का विस्तृत अध्ययन करें।

माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पदचिन्हों पर चलते हुए प्रदेश की जयराम सरकार ने आधी आबादी यानि महिलाओं को सबल बनाने के लिए असाधारण कार्य किया है। प्रदेश की सरकार ने पिछले पांच वर्षों में न सिर्फ घरेलु स्तर पर अपितु शिक्षाए कायर्क्षेत्र में भी महिलाओं के जीवन को आसान बनाने का कायर् किया है। प्रदेश सरकार ने नारी शक्ति का सम्मान करते हुए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को चलाया जिनका मुख्य रूप आज प्रदेश की जनता भली भांति अवगत है।

अस्थायी तौर पर पैराशूट द्धारा उतारे गये कांग्रेस के तथाकथित पदाधिकारी अपने अनर्गन बयान जारी करने से पूर्व एक बार प्रदेश की जनता से जमीनी हकीकत जान लें। प्रदेश की जयराम सरकार ने इस बात को भली भांति समझा कि महिलाओं का सशक्तिकरण किये बगैर किसी भी परिवार अथवा समाज का सशक्तिकरण संभव नहीं। इन पांच वर्षों के दौरान प्रदेश की जयराम सरकार ने गृहिणी से लेकर सरकारी अथवा निजि क्षेत्र में कायर्रत हमारी महिला शक्ति के उत्थान के लिए अभूतपूर्व कार्य किया है।

इंदु ने कहा जिस महिला को हिमाचल के मुख्यमंत्री का नाम व कान्फ्रेंस में अपने साथ बैठी महिला नेत्रियों का नाम तक नहीं पता था। वो सीएम जयराम ठाकुर को बार बार जयराम नरेश बोलती रही। उन से कांग्रेस को उम्मीद है कि वे  भडकाऊ टिप्पणीयां करके हिमाचल में चुनाव में मुख्य भूमिका निभाएंगी। कल उन्होंने  अपनी कान्फ्रेंस के दौरान कहा कि हिमाचल की जनता ने भाजपा को जीरो नंबर दिए हैंए मैं कहना चाहुगीं कि वो भाजपा को नहीं कांग्रेस को दिए हैं। क्योंकि प्रदेश सरकार ने महिलाओं को साठ साल की उम्र में  सामाजिक सुरक्षा पेंशनए किराए में 50% छूट व महिला सशक्तीकरण योजनाएं शुरू की है। जबकि कंग्रेस ने 70 साल से महिलाओं का सिफर् शोषण किया है।

प्रदेश सरकार ने सीएम कन्यादान की राशि 31 से 51 हज़ार कीए शगुन योजना शुरू की 31000 रूपये ;बीपीएलद्धए गृहणी सुविधा उज्जवला योजना हर साल 3 निशुल्क सिलेंडरए मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में 35  का अनुदान राशि का प्रदान की जा रही है।  बेटी है अनमोल के अंतगर्त 21000 रूपये की एफ डीए स्थानीय निकाय चुनाव में 50% आरक्षणए कामगार कल्याण बोर्ड , बेटी के जन्म पर 51000 रूपये की एफ डी व पढ़ाई के लिए भी अनुदान दिया जाता है।

इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी से मेरा प्रश्न है कि वे कांग्रेस सरकार के समय महिलाओं के उत्थान के लिए चलाई गई कोई पांच योजनाएं गिनवाएं। आज प्रदेश सरकार के प्रोत्साहन से महिलाएं इतनी सशक्त हैं कि वे अपने मत का प्रयोग करके महिला विरोधी कांग्रेस को बाहर चुनाव में उनका असली चेहरा दिखाएगेंए और रिवाज बदल कर भाजपा को दोबारा प्रदेश की बागडोर सौंपेगी।