नववर्ष की पूर्व संध्या पर पुलिस ने ढूंढ निकाली 9 दिन से लापता किशोरी

पावंटा साहिब।। पावंटा साहिब पुलिस ने करीब 10 दिन से लापता एक किशोरी को ढूंढ निकाला है। 14 साल की यह किशोरी 22 दिसंबर से लापता थी।

यूपी के लखीमपुर की रहने वाली एक महिला ने पुलिस को शिकायत दी थी कि उसकी बेटी लापता हो गई है। 35 वर्षीय महिला का कहना था कि उसने बेटी को अपने स्तर पर सब जगह ढूंढ लिया है मगर उसका कुछ पता नहीं चल रहा।

पुलिस ने शिकायत मिलने पर आईपीसी की धारा 363 के तहत मामला दर्ज किया था। 31 दिसंबर को पुलिस ने टेक्नॉलजी का इस्तेमाल और सूचनाओं के आधार पर कार्यवाही की और लड़की को यूपी के लखीमपुर से ढूंढ निकाला।

अटल के जन्मदिन पर इंदिरा को श्रद्धांजलि देकर क्या संदेश दे गए CM सुक्खू?

इन हिमाचल डेस्क।।  दिल्ली में कोरोना संक्रमण के बाद स्वस्थ होने के बाद हिमाचल लौटने से पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी स्मृति संग्रहालय पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। इस संबंध में उनके आधिकारिक फेसबुक पेज पर लाइव भी किया गया है जिसमें वह सफदरजंग रोड पहुंचे और पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी।

हालांकि, न तो आज इंदिरा गांधी की जयंती थी और न ही पुण्य तिथि। वैसे तो किसी को याद करने के लिए कोई खास दिन तय नहीं होता मगर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐसा एक खास कारण से किया है। दरअसल, आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन था। अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री ने न तो दिल्ली में उन्हें श्रद्धांजलि दी और न ही हिमाचल आकर। इस संबंध में उनके सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी कोई पोस्ट नहीं है।

अमूमन यह देखा गया है कि किसी भी पार्टी के नेता, विशेेषकर मुख्यमंत्री, अन्य पार्टी की बड़ी हस्तियों, विशेषकर दिवंगत प्रधानमंत्रियों को उनकी जयंती या पुण्य तिथि पर जरूर याद करते हैं। हिमाचल में भी यही परंपरा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व प्रेम कुमार धूमल भी रिज मैदान जाकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि देते रहे हैं। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अटल के जन्मदिन पर उन्हें किसी भी तरह से श्रद्धांजलि न देकर और विशेष तौर पर इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि देकर एक तरह से संदेश देने की कोशिश की है। यह संदेश पार्टी आलाकमान के लिए है कि वह गांधी परिवार के लिए पूरी तरह निष्ठावान हैं।

सूचना एवं जन संपर्क विभाग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इंदिरा गांधी संग्रहालय में कहा कि स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश की एकता व अखंडता के लिए दिए गए सर्वाेच्च बलिदान को सदैव याद रखा जायेगा। उन्होंने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में अनेक ऐसे अभूतपूर्व निर्णय लिए जिन्होंने भारत के विकास को नवीन दिशा प्रदान की। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी को उनके विराट व्यक्तित्व और जन-जन के हित में लिए गए निर्णयों के लिए सदैव स्मरण रखा जाएगा।”

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल को देश के मानचित्र पर एक राज्य के रूप में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ही स्थापित किया। उनके इस निर्णय से हिमाचल के विकास को उचित दिशा प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करने और प्रदेश वासियों की चिर लंबित मांग को पूर्ण करने के लिए हिमाचल वासी सदैव उन्हें याद रखेंगे।

कैबिनेट के फैसले वो लोग पलट रहे, जिन्होंने अभी MLA की शपथ नहीं ली: जयराम ठाकुर

शिमला।। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बीजेपी विधायक दल का नेता चुने जाते ही आक्रामक तेवरों के साथ नई भूमिका की शुरुआत की है।  रविवार को पत्रकार वार्ता में जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार को दिशाहीन नेताओं का समूह करार देते हुए कहा कि पिछले दो हफ्तों में हिमाचल में अव्यवस्था की स्थिति बन गई है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी सरकार ने इतना निराश किया कि दस दिन के अंदर ही जनता सड़कों पर उतर आई है।  जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने 10 दिन के अंदर अपनी गारंटियां पूरी करने की बात की थी लेकिन सब चीजें बंद करते-करते उसने शायद उसने मंत्रिमंडल के गठन की व्यवस्था को भी बंद करने का फैसला कर लिया है।

सुबह चौड़ा मैदान स्थित विलीज़ पार्क में बीजेपी के विधायकों की बैठक में सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद जयराम ठाकुर ने पार्टी के सभी विधायकों का आभार प्रकट किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का भी धन्यवाद किया। इसके बाद वह पत्रकारों को संबोधित करते हुए वह कांग्रेस सरकार पर हमलावर रहे।

जयराम ठाकुर ने कहा, “हमने जनादेश का सम्मान किया है और उसे स्वीकर किया है। अबकी बार जनादेश 0.9% वोटों के अंदर से कांग्रेस को मिला है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि हिमाचल की जनता ने लगभग बराबरी का जनादेश दोनों दलों को दिया है लेकिन लोकतंत्र में ज्यादा सीटें वाला सत्ता में जाता है और कम वाला विपक्ष में।  ऐसे में अब बीजेपी विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए आपके समक्ष है।”

हिमाचल में चल रही है कांग्रेस की बंद एक्सप्रेस’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “हम उम्मीद कर रहे थे कि हिमाचल प्रदेश की नई सरकार चुनाव के समय किए अपने वादों को पूरा करेगी। कहा था कि 10 दिन के अंदर ओपीएस लागू कर देंगे, 1500 रुपये महिलाओं के खाते में आना शुरू हो जाएंगे और हिमाचल में 1 लाख बेरोजगार नौजवानों को सरकारी नौकरी दी जाएगी। ये चुनावों से पहले और बाद भी लगातार कहा गया। लेकिन विचित्र परिस्थिति है कि हिमाचल में सरकार बने 14 दिन हो गए लेकिन काम कुछ नहीं हो रहा। कांग्रेस सरकार ने 11 तारीख से लेकर अब तक ‘बंद-बंद-बंद’ और ‘डीनोटिफाई- डीनोटिफाई-डीनोटिफाई’ का राग छेड़ा हुआ है। सरकार बनते ही उद्योग बंद, पटवार सर्कल बंद,  स्वास्थ्य संस्थान बंद।”

ठाकुर ने कहा, “सरकार को रिव्यू करने का अधिकार है लेकिन 1 अप्रैल के बाद हिमाचल में खुले संस्थानों को डीनोटिफाई करना गैरकानूनी है। वह भी ऐसे संस्थानों को, जिनमें से कई महीनों से काम कर रहे हैं। एक तरह से हिमाचल में कांग्रेस की ‘बंद एक्सप्रेस’ शुरू हो गई है।”

जो अभी विधायक नहीं बने, वे बदल रहे कैबिनेट के फैसले’
बीजेपी विधायक दल के नेता ने कहा, “हमने अपनी सरकार के पहले दिन एक बात कही थी कि बदले की भावना से काम नहीं करेंगे। और जो कहा था, उसका हमने पांच साल अक्षरश: पालन किया। हमने कहा था कि पिछली सरकार के फैसलों को रिव्यू करेंगे लेकिन इस तरह से संस्थानों को बंद नहीं किया था। आज इन्होंने ऐसे एसडीएम दफ्तर बंद कर दिए, जहां पर इलेक्शन की प्रक्रिया तक संपन्न हुई।”

उन्होंने कहा कि एसडीएम को जूडिशल पावर होने के कारण हाई कोर्ट की एक कमेटी भी ऑफिस खोलने की सिफारिश करती है। ऐसे में एसडीएम ऑफिस को डीनोटिफाई करने का क्या मतलब है कि कांग्रेस अब कोर्ट से भी ऊपर हो गई। PWD के जिन दफ्तरों में कई महीनों से काम चल रहा था, अधिकारी बैठ रहे थे, उन्हें भी बंद कर दिया गया।

पूर्व सीएम ने कहा, “अभी तक इनका मंत्रिमंडल भी नहीं बना। कैबिनेट के फैसले कैबिनेट ही निरस्त कर सकती है। लेकिन इनकी कैबिनेट अभी बैठी ही नहीं। बता रहे हैं कि इन्होंने अपने विधायकों की कमेटियां बनाई हैं और उन कमेटियों की सिफारिश पर ये फैसले हो रहे हैं। जिन्होंने अभी तक विधायक की शपथ नहीं ली, वे लोग कैबिनेट के फैसले को बदल रहे हैं। ये तो संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पूरे देश में हिमाचल का तमाशा बन गया है कि क्या हो रहा है। कांग्रेस के लोग भी हैरान-परेशान हैं।”

जयराम ठाकुर ने इस विषय पर कानूनी पहलुओं पर विमर्श करने की बात कही। उन्होंने कहा, “हिमाचल में पहली बार इतने कम समय में सरकार के खिलाफ जनता सड़कों पर उतरी है। ऐसा कांग्रेस कार्यकाल में ही संभव हुआ है। हमने राज्यपाल जी से भी बात की है। उनसे कहा कि आप पड़ताल कीजिए कि क्या सरकार इस तरह से कैबिनेट के फैसले पलट सकती है।”

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के लोग कह रहे हैं कि हम रिव्यू करेंगे, रद्द नहीं करेंगे और संस्थानों को दोबारा खोलेंगे। लेकिन सवाल यह है कि दोबारा खोलना है तो रद्द करने का क्या मतलब है?

पुलिस का मजाक बना रहे सरकार में बैठे लोग
जयराम ठाकुर ने हाल ही में लीक हुए JOA IT के पेपर को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “वे हमारा तो बहुत मार्गदर्शन करते थे मगर अब पेपर लीक हो गया तो उसमें भी अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार हैं जो देश के इकलौते मीडिया सलाहकार हैं जो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। और उसमें भी उन्होंने पुलिस की जांच को प्रभावित करने वाली बातें कर दीं।  अभी मामले की जांच चल रही है लेकिन सारी डीटेल मीडिया में दे दी। यह आपका कार्य नहीं है। पुलिस के जांच अधिकारी और डीजीपी को यह काम करने देते। आपका तरीका जांच को प्रभावित करता है। लेकिन यह अजीब व्यवस्था है कि मीडिया अडवाइजर समेत तीन लोगों को कैबिनेट रैंक दे दिया गया है जबकि अभी कैबिनेट का गठन नहीं हुआ है।”

‘विधानसभा सत्र में घेरेंगे दिशाहीन सरकार को’
जयराम ठाकुर ने कहा कि 14 दिन में सरकार की नाकामियों की इतनी बड़ी सूची हो गई है कहने के लिए समय कम पड़े। उन्होंने कहा, “इस सरकार में कोई तारतम्य नहीं है। मुख्यमंत्री एक दिशा में चल रहे हैं, उपमुख्यमंत्री दूसरी दिशा में और बाकी लोग अलग दिशा में। कुल मिलाकर सभी दिशाहीन हैं। जो फिजूलखर्ची रोकने की बातें करते थे, वे उपमुख्यमंत्री कह रहे हैं कि मुझे मुख्यमंत्री के बराबर प्रोटोकॉल दो, मेरे वाहनों के काफिले में निजी एस्कॉर्ट से लेकर लोक पुलिस स्टेशन से लेकर डिस्ट्रिक्ट पुलिस के वाहन भी चलने चाहिए। अब देखना है कि आगे वे फिजूलखर्ची रोकने के लिए क्या करेंगे।”

पूर्व सीएम ने कहा कि मौजूदा सरकार को लेकर अखबारों में लिखा जा रहा है कि इसकी शुरुआत अच्छे मुहूर्त में नहीं हुई और अस्थिरता बनी रहेगी। मैं कहना चाहता हूं कि ये अस्थिरता हमारी वजह से नहीं, उनकी अपनी वजह से होगी। 14 दिन के कार्यकाल में ही सरकार हर मोर्चे पर असफल हो गई है। अधिकारियों तक को पता नहीं चल रहा कि क्या करना है।  हम विधानसभा के अंदर और बाहर, दोनों जगह इस सरकार के गलत फैसलों और कदमों का विरोध करते रहेंगे।

जयराम ठाकुर होंगे नेता प्रतिपक्ष, इस बार की विधानसभा में ये कारनामा करने वाले इकलौते विधायक

इन हिमाचल डेस्क ।। हिमाचल प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नाम पर मुहर लग गई है। बीजेपी ने अपनी पुरानी रिवायत जारी रखी है। जो भी मुख्यमंत्री रहे होते हैं उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया जाता है। नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए जयराम ठाकुर के अलावा ऊना से विधायक सतपाल सिंह सत्ती और सुलह से विधायक विपिन परमार के नाम की चर्चा भी थी। अंत में पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री और छठी बार चुनकर विधानसभा पहुंचे जयराम ठाकुर को यह जिम्मेदारी सौंपी है। रविवार को हुई बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया है। मौजूदा विधानसभा में लगातार छह बार जीत कर पहुंचने वाले जयराम ठाकुर एकमात्र नेता हैं। हालांकि मौजूदा विधानसभा में छह या इससे अधिक बार जीतने का रिकॉर्ड अन्य नेताओं के नाम भी है लेकिन लगातार कोई भी नेता जीत हासिल नहीं कर पाया है।

साल 1998 में पहली बार चच्योट विधानसभा सीट चुनकर आए जयराम ठाकुर ने जीत का यह सिलसिला 2022 तक बरकरार रखा है। वहीं इस बार जयराम ने जीत के अंतर का भी रिकॉर्ड (38 हजार से अधिक) बनाया है। ऐसा रिकॉर्ड जो प्रदेश के कई बड़े दिग्गज नेता नहीं बना पाए। साथ ही इस बार के चुनावों में पार्टी में अपने काम की बदौलत अपने कद को और मजबूती देने का काम किया है। इस बार बीजेपी बेशक चुनाव हार गई हो लेकिन जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया है। मंडी जिले के अंतर्गत आने वाली 10 में से 9 सीटों पर पार्टी को जीत मिली है। अपने काम की बदौलत ही जयराम ठाकुर ने पार्टी और संगठन दोनों में अच्छी पकड़ बनाई हुई है। यही वजह है कि उनकी मृदुभाषी-स्वच्छ छवि और काम के दम पर बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उन्हें चुना है।

जयराम ठाकुर का राजनीतिक सफर
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को मंडी जिले की थुनाग तहसील के तांदी गांव में एक किसान परिवार में हुआ। जयराम ठाकुर के पिता राजमिस्त्री का काम करते थे, उनके परिवार में तीन भाई और दो बहनें हैं। जयराम ठाकुर की प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई है। जबकि स्नातक की पढ़ाई उन्होंने मंडी के बल्लभ कॉलेज से पूरी की। वहीं उन्होंने अपनी एमए की पढ़ाई चंडीगढ़ में रहते हुए पंजाब विश्वविद्यालय से पूरी की है। छात्र जीवन में ही उन्होंने एबीवीपी का दामन थाम लिया और छात्र राजनीति में अपने करियर की शुरुआत की। साल 1995 में जयराम ठाकुर ने जयपुर की डॉ. साधना सिंह से शादी की। जयराम ठाकुर की दो बेटियां हैं।

छात्र जीवन में जयराम ठाकुर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद समर्पित कार्यकर्ता रहे और छात्र संगठन में काम करते हुए अलग-अलग दायित्व निभाए। 1984 में एबीवीपी से छात्र राजनीति में आए और कला संकाय में पढ़कर सीआर जीते। 1986 में एबीवीपी की प्रदेश इकाई में संयुक्त सचिव बने। 1989 से 1993 तक एबीवीपी की जम्मू-कश्मीर इकाई में संगठन सचिव रहे। यहां से संगठन में इन्हें काफी अच्छी पकड़ मिली।

जब 1993 में घरवालों ने किया विरोध और चुनाव हारे जयराम
जयराम ठाकुर का राजनीति से दूर-दूर तक का कोई नाता नहीं था। जयराम ठाकुर के राजनीति में जाने को लेकर उनके परिवार में कोई खुश नहीं था। पहले तो छात्र जीवन में घर परिवार से दूर जम्मू-कश्मीर जाकर एबीवीपी का प्रचार किया। जब 1992 में घर लौटे तो साल 1993 में जयराम ठाकुर को बीजेपी ने चच्योट (सराज) विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया।

घरवालों को इसका पता चला तो उन्होंने विरोध किया। चुनाव लड़ने के लिए परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत नहीं थी तो घरवालों की ओर से चुनाव नहीं लड़ने की सलाह दी गई। लेकिन जयराम ठाकुर ने अपने दम पर राजनीति में डटे रहने का निर्णय लिया और विधानसभा चुनाव लड़ा। वे यह चुनाव हार गए। 1998 में बीजेपी ने फिर जयराम ठाकुर पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट दी। इस बार इन्होंने जीत हासिल की और उसके बाद विधानसभा चुनाव में कभी हार का मुंह नहीं देखा।

राजनीतिक सफर के पड़ाव
– 1998 में जयराम पहली बार चच्योट सीट से जीते और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए।
– 2000 से 2003 तक वह मंडी जिला भाजपा अध्यक्ष रहे।
– 2003 में दूसरी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे।
– 2003 से 2005 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे।
– 2006 में उन्हें प्रदेशाध्यक्ष का पद मिला।
– 2007 में तीसरी बार चुनाव जीते और धूमल सरकार में पंचायतीराज मंत्री भी रहे। वहीं उन्होंने भाजपा के अध्यक्ष के तौर पर चुनावों में जीत दर्ज न करने के मिथक को भी तोड़ा
– डीलिमिटेशन के बाद उन्होंने 2012 में सराज से चुनाव लड़ा और लगातार चौथी बार विधानसभा पहुंचे।
– 2017 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए पांचवीं बार निर्वाचित हुए और 27 दिसंबर को उन्होंने हिमाचल प्रदेश के 14 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथग्रहण की।
– 2022 में लगातार छह बार जीत के रिकॉर्ड के साथ-साथ सबसे अधिक जीत के अंतर (38 हजार से अधिक) का भी रिकॉर्ड बनाया।

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जयराम सरकार ने पांच साल में लिया 25 हजार करोड़ का कर्ज: मुकेश अग्निहोत्री

शिमला।। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश पर 70 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है जिसमें से 25 हजार करोड़ रुपये पिछली बीजेपी सरकार ने महज पांच में लिया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र लाना है या नहीं, यह बात कैबिनेट तय करेगी।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अपने सभी चुनावी वादों को पूरा करेगी। यह कैसे होगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “संसाधन जुटाने, एक्साइज़ से राजस्व बढ़ाने, माइनिंग सेक्टर से रॉयल्टी लेने, पड़ोसी राज्यों से हिमाचल के हक का हिस्सा लेने, फिजूलखर्ची रोकने और केंद्र से वित्तीय सहायता लेने पर सरकार का फोकस रहेगा।”

समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार का पहला बजट आर्थिक स्थिति और विकास कार्यों के रोडमैप पर रोशनी डालेगा।

घरेलू हिंसा के आरोपों पर बोले विक्रमादित्य सिंह, होली लॉज पर मां भीमाकाली का आशीर्वाद

इन हिमाचल डेस्क।। शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने होली लॉज में मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इसमें उन्होंने सरकार, ओपीएस के मुद्दे और मंत्रिमंडल के गठन पर बात कही। इस दौरान पत्रकारों ने विक्रमादित्य पर पत्नी सुदर्शना चुंडावत की ओर से लगाए गए घरेलू हिंसा के आरोपों पर भी सवाल किए। इस पर विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि धुएं को निकलने के लिए आग की जरूरत है। वह जानते हैं कि कौन इस षड्यंत्र के पीछे है। होली लॉज पर मां भीमाकाली का आशीर्वाद है। जनता ने उन्हें जो मैनडेट दिया है वह बताता है कि जनता उनके साथ है।

विक्रमादित्य सिंह ने इस मामले पर यह भी कहा कि पिछले तीन साल से यह मामला चल रहा है, लेकिन अब कुछ लोग जानबूझकर इसे उछाल रहे हैं। यह एक पारिवारिक मामला है जिसे न्यायिक प्रक्रिया से सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय ही इस मुद्दे को क्यों उछाला गया। उनके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र रचा जा रहा है। इसके पीछे कौन-कौन हैं जल्द ही उनका भी खुलासा किया जाएगा।

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प्रत्रकारों की ओर से सवाल किया गया कि कांग्रेस ने सरकार बनने के दस दिन के भीतर ओपीएस बहाल करने का वादा किया था लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया हैं। कांग्रेस के वादों को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर हैं जिस पर कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने उन्हें सयंम रखने की हिदायत दी और कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने चुनावों में जो 10 गारंटी दी हैं उन्हें जल्द चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।

‘मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पूरा होगा ओपीएस का वादा’
विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वह हमेशा टू-वे कम्युनिकेशन में विश्वास रखते हैं। इसकी शुरुआत सीएम सुक्खू ने कर दी है। उन्होंने विश्वास जताया कि जो मैनडेट जनता ने कांग्रेस पर जताया है उसके लिए सरकार और प्रशासन तैयार है और कांग्रेस सभी वादे पूरे करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को पूरा करेगी। हर महिला को 1500 रुपये, युवाओं के लिए 680 करोड़ के आर्थिक पैकेज सहित सभी गारंटियों को पूरा किया जाएगा।

‘केंद्र सरकार नहीं छीन सकती हिमाचल का हक’
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि राहुल गांधी ने भी संगठन और सरकार को तालमेल से काम करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि महायुद्ध तो अभी आना है जो 2024 के लोकसभा चुनाव हैं। इसे भी जीतना है और इसके लिए हम तैयार हैं। सरकार रिसोर्सिज को जनरेट कर आय के साधनों को मजबूत करने का काम करेगी। केंद्र सरकार के साथ मिलकर कार्य करना होगा। पीएम मोदी ने कहा था कि हिमाचल मेरा दूसरा घर है तो यह रिश्ता बरकरार रहना चाहिए।

विक्रमादित्य सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से बड़ा दिल दिखाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था भले ही पार्टी अलग है लेकिन वीरभद्र मेरे मित्र हैं। ऐसा ही रिश्ता केंद्र और राज्य का होना चाहिए। पार्टी के साथ विचारों की लड़ाई तो आगे भी रहेगी लेकिन हिमाचल का जो अधिकार है उसे केन्द्र सरकार छीन नहीं सकती है।

‘जयराम ठाकुर कहते थे विक्रमादित्य सिंह जल्दी में है’
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि 5 साल सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में सभी प्रदेश के विकास में सहयोग देंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि जो वादे किए हैं पूरे किए जाएंगे। अभी मंत्रिमंडल का गठन नहीं हुआ है। इसके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से हिमाचल सरकार पर की गई टिप्पणी को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि भगवंत मान अपना राज्य संभाले हमारी चिंता न करें। हमें उनसे सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं। जयराम ठाकुर कहते थे विक्रमादित्य सिंह जल्दी में है अभी तो पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकारी आवास भी नहीं छोड़ा। इतनी जल्दी टिका टिप्पणी न करें थोड़ा संयम रखें।

यह भी पढ़ें – सीमेंट प्लांट बंद रहे तो टूटेगी आपकी भी कमर, हिमाचल को होगा गंभीर नुकसान

सीमेंट प्लांट बंद रहे तो टूटेगी आपकी भी कमर, हिमाचल को होगा गंभीर नुकसान

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में सीमेंट के दो प्लांट बंद होने से चिंता का मौहाल पैदा हो गया है। हालांकि, यह कोई पहला मौका नहीं है जब हिमाचल प्रदेश में सीमेंट फैक्ट्रियां बंद हुई हों। यह देखा जाता रहा है कि पहले भी हिमाचल के सीमेंट प्लांट संचालकों ने अलग अलग कारणों का हवाला देकर सीमेंट उत्पादन रोका है (यहां टैप करके पढ़ें)। हालांकि, बाद में उत्पादन फिर शुरू कर दिया गया। इस बार भी माना जा रहा है कि सीमेंट प्लांट संचालकों और ट्रक ऑपरेटरों के बीच सहमति बनने के बाद काम शुरू हो सकता है। लेकिन सवाल उठता है कि अगर अडाणी से स्वामित्व वाली बरमाणा और दाड़लाघाट सीमेंट फैक्ट्रियों में उत्पादन लंबे समय तक रुकता है तो इसका क्या असर होगा?

सबसे पहला असर तो इस फैक्ट्रियों से प्रत्यक्ष रोजगार पा रहे कर्मचारियों पर पड़ेगा। इनमें कंपनी के विभिन्न अनुभागों में काम कर रहे मजदूर, कर्मचारी और अधिकारी हैं। यहां रोजगार पाने वालों में उन परिवारों के लोग भी हैं जिनकी जमीन फैक्ट्री या फिर खनन वाली जगह में गई है। वे सब अचानक बेरोजगार हो जाएंगे।

इसके बाद उन लोगों का नंबर आता है जो इन फैक्ट्रियों में ढुलाई के लिए ट्रक आदि चलाते हैं। इन ट्रकों से न सिर्फ प्लांट के संचालन के लिए जरूरी उपकरण और अन्य साजो-सामान ढोए जाते हैं बल्कि रॉ मटीरियल, जैसे कि क्लिंकर और फाइनल प्रॉडक्ट यानी कि सीमेंट की बोरियों की भी ढुलाई होती है। फैक्ट्री बंद होने से न सिर्फ ट्रक मालिकों को नुकसान होगा बल्कि ट्रक चलाने वाले ड्राइवर और हेल्पर आदि भी बुरी तरह प्रभावित होंगे।

आपने देखा होगा कि बरमाणा और दाड़लाघाट, दोनों ही जगहों पर और साथ ही जहां से सीमेंट फैक्ट्रियों से जुड़े ट्रक गुजरते हैं, वहां पर ट्रक की मरम्मत करने वालों, पंक्चर लगाने और धुलाई आदि करने का एक उद्योग सा विकसित हो गया है। ट्रक नहीं चलेंगे तो इन सभी दुकानों में काम नहीं आएगा। इससे न सिर्फ मकैनिक बेरोजगार होंगे बल्कि जिन लोगों से उन्होंने किराये पर दुकान ली है, उन लोगों की भी आमदनी घटेगी। इसी तरह का असर हाईवे के किनारे के ढाबों और चाय-स्नैक्स की दुकानों पर भी पढ़ेगा।

इन सबके प्रभावित होने का अर्थ है- इन सभी के परिवारों का प्रभावित होना। वे आर्थिक नुकसान के कारण कई समस्याओं का सामना करेंगे। घर का खर्च चलाना मुश्किल हो सकता है, किसी का इलाज प्रभावित हो सकता है, किसी का प्रॉजेक्ट अधूरा छूट सकता है तो बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो सकती है।

ढुलाई के काम में चले ट्रक बड़ी मात्रा में ईंधन की खपत करते हैं। जब ये ट्रक नहीं चलेंगे तो पेट्रोल-डीज़ल पंपों में सेल घटेगी। इससे संचालकों के साथ-साथ सीधा असर सरकार के राजस्व पर भी पड़ेगा। ज्यादा असर हिमाचल प्रदेश सरकार को पड़ेगा क्योंकि अभी शराब और पेट्रोल-डीज़ल ही है जो जीएसटी से बाहर हैं और राज्य सरकार जिन पर टैक्स लगाकर सीधी आमदनी करती है। इससे प्रदेश का सरकार का राजस्व घटेगा।

साथ ही, हिमाचल में उत्पादन न होने के कारण अचानक सीमेंट की शॉर्टेज हो जाएगी। ऐसी स्थिति आने भी लगी है। इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास का काम प्रभावित होगा। न सिर्फ विभिन्न जगहों पर चल रहे सरकारी निर्माण कार्य (सड़क, भवन, डंगे आदि) प्रभावित होंगे बल्कि आम लोग जो अपने घर या दुकान आदि का निर्माण करवा रहे हैं, उन्हें भी दिक्कतें आएंगी। यह स्थिति लंबी खिंची तो सीमेंट अन्य राज्यों से बड़ी मात्रा में लाना पड़ेगा। इससे ढुलाई का खर्च बढ़ने से कंस्ट्रक्शन की कुल लागत बढ़ जाएगी।

इन सब बातों का प्रभाव हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी पर बुरी तरह पड़ेगा। एक तो सरकार के स्तर पर और दूसरा आम आदमी के स्तर पर। बेरोजगारी तो बढ़ेगी ही, विकास कार्य दो तरह से ठप होंगे- एक तो सरकार के पास आमदनी कम रह जाएगी, दूसरा लागत बढ़ जाएगी। जिन लोगों ने लंबे समय से पैसे आदि जमा करके अभी किसी तरह का कंस्ट्रक्शन करवाने की योजना बनाई होगी, उन्हें घाटा उठाना पड़ सकता है या फिर अपना काम बाद के लिए टालना पड़ सकता है। दोनों ही स्थितियों में उन्हें महंगाई की मार झेलनी होगी।

जब एक बड़े वर्ग की खरीदने की क्षमता प्रभावित होती है तो मार्केट पर भी बुरा असर पड़ता है। इन सब बातों को देखते हुए यह बहुत जरूरी हो गया है कि सरकार किसी तरह से इस पूरे मामले सा समाधान निकाले। वरना हिमाचल में एक बड़ा वर्ग आर्थिक संकट की ओर बढ़ सकता है।

मंत्रिमंडल का गठन करने की कोई जल्दबाजी नहीं है: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू

नई दिल्ली।। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सु्क्खू ने कहा है कि उन्हें मंत्रिमंडल का विस्तार करने की कोई जल्दबाजी नहीं है। उन्होंने दिल्ली में पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि विधानसभा के शीत सत्र के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा।

गौरतलब है कि अभी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने ही शपथ ली है। हिमाचल में ऐसा पहली बार हुआ है जब मुख्यमंत्री के शपथ लेने के इतने दिन बाद भी मंत्रियों ने शपथ नहीं ली है।

अभी विधायकों ने शपथ नहीं ली है। वे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में शपथ लेंगे। माना जा रहा है कि धर्मशाला में 22 दिसंबर से सत्र शुरू हो सकता है। ऐसी स्थिति में इसके बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।

यह संभवत: पहला मौका होगा जब हिमाचल विधानसभा के पहले सत्र में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत दो ही लोगों का मंत्रिमंडल होगा।

ऐसे में यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस नेताओं का सरकार बनने के 10 दिन के अंदर ओपीएस की बहाली करने का वादा पूरा हो पाएगा या नहीं। हालांकि, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, दोनों मिलकर यह फैसला ले सकते है।

सरकार बदलते ही एकाएक क्यों बंद हो जाते हैं हिमाचल में सीमेंट प्लांट?

शिमला ।। हिमाचल प्रदेश के एसीसी बरमाणा और अंबुजा सीमेंट प्लांट में प्रोडक्शन तुरंत बंद कर दिया गया है। कंपनी प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन के बीच ढुलाई भाड़े को लेकर बात फंस गई है। बताया जा रहा है कि इसी के चलते कंपनी प्रबंधन की ओर से तुरंत प्रभाव से दोनों ही सीमेंट प्लांट को बंद कर दिया गया है। साथ ही प्लांट में कार्य कर रहे कर्मचारियों को भी ड्यूटी में आने के लिए मना कर दिया गया है। गौरतलब रहे कि यह पहला मौका नहीं है जब हिमाचल में किसी सीमेंट प्लांट को बंद किया गया है।

दरअसल सीमेंट फैक्ट्री का इतिहास देखें तो हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के साथ ही किसी न किसी बात पर पहले भी सीमेंट फैक्ट्री में प्रोडक्शन बंद कर दिया गया था। दिसंबर 2007 में हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और एक साल के भीतर ही बरमाणा स्थित एसीसी सीमेंट प्लांट को बंद कर दिया गया। कंपनी ने इसके पीछे की वजह बताई कि सीमेंट की डिमांड बहुत कम हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि उस दौरान प्रोडक्शन बंद करने के एक महीने पहले ही एसीसी और अंबुजा ने प्रति बैग दाम में 2 से 6 रुपये की कटौती की थी। हालांकि फिर भी कंपनी ने प्रोडक्शन बंद किया और साथ ही एक्साइज ड्यूटी को युक्तिसंगत करने के भी आग्रह किया।

इसके बाद दिसंबर 2012 में हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनी थी। उस दौरान भी हिमाचल प्रदेश में एसीसी फैक्ट्री में प्रोडक्शन को कुछ दिन के लिए बंद कर दिया गया। उस दौरान भी वजहें बताई गई कि कंपनी को क्लींकर के लिए इन्वेंटरी बिल्डअप करना है। साथ ही इंपोर्ट को लेकर सरकारी स्तर पर जुड़ी कुछ बातों को भी उठाया गया।

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पहले दो बार जब कंपनी ने सीमेंट प्लांट में प्रोडक्शन बंद किया उस समय कंपनी का संचालन किसी और के पास था, जबकि इस बार अंबुजा और एसीसी का संचालन एक ही ग्रुप अदाणी कंपनी के पास है। अब एक बार फिर प्रदेश के दो बड़े सीमेंट प्लांट में प्रोडक्शन बंद कर दिया गया है। हालांकि इस बार वजह ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन के साथ ढुलाई भाड़े पर सहमति न बनना बताया जा रहा है, लेकिन कंपनी की ओर से जो लैटर लिखे गए हैं उसमें कहानी कुछ और है। क्योंकि कुछ लोगों का कहना है कि इस मामले में कमीशन के खेल भी जुड़े हुए होते हैं।

इस पूरे मामले में मुख्य सचिव आरडी धीमान ने कहा कि इस मसले को सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं। डीसी सोलन और बिलासपुर को विवाद सुलझाने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि जो भी समस्याएं आ रही हैं उसे जल्द से जल्द दूर किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी हालत में प्लांट्स बंद नहीं होने देगी।

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पत्नी सुदर्शना की शिकायत पर विक्रमादित्य सिंह और अन्य के खिलाफ वॉरन्ट

शिमला।। शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह पर उनकी पत्नी सुदर्शना ने घरेलू हिंसा का आरोप लगाया है। सुदर्शना ने 17 अक्तूबर 2022 को इस संबंध में शिकायत दर्ज करवाई थी जिसकी खबर अब सामने आई है। इस मामले पर विक्रमादित्य सिंह ने पत्रकारों से कहा है कि ये आरोप झूठे हैं और इनका जवाब कोर्ट में दिया जाएगा।

सुदर्शना की ओर से दायर मामले में राजस्थान के उदयपुर कोर्ट ने नवंबर में हुई पहली सुनवाई में पति विक्रमादित्य सिंह, सास प्रतिभा सिंह, ननद अपराजिता और ननदोई अंगद सिंह और चंडीगढ़ निवासी अमरीन को गैर जमानती वॉरंट जारी कर बुधवार 14 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने को कहा था।

क्या है मामला
सुदर्शना ने महिला संरक्षण अधिनियम की धारा 20 के तहत उदयपुर कोर्ट में शिकायत दर्ज करके घरेलू हिंसा का आरोप लगाया है। अदालत से अपील की गई है ससुराल वालों को हिंसा करने से रोकें और अलग से रहने के लिए मकान की व्यवस्था करने के आदेश दें।

वहीं विक्रमादित्य सिंह की ओर से इस मामले में सार्वजनिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, अमर उजाला के मुताबिक, उन्होंने फोन पर कहा है कि ये सोची-समझी साजिश है और पारिवारिक मामले को इस समय इसलिए उजागर किया गया ताकि राजनीतिक नुकसान पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह मामला अभी लंबित है और वॉरन्ट कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है।