क्यों भूल रहे हम चिलडू, ऐंकलियां और तिल-चौली की लोहड़ी 

राजेश वर्मा।। हिमाचल प्रदेश में भी लोहड़ी का त्यौहार बहुत से जिलों में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने मायके में आती हैं। विशेष तरह का पकवान जिसे अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, इन्हें चिलडू, ऐंकलियां, ऐंकलू, बबरू, पटांडें आदि कहा जाता है।

आज आधुनिकता के दौर में गांव में फिर भी ये पकवान बनाया, पकाया व खिलाया जाता है लेकिन अब तो धीरे-धीरे इसे बनाने वाले व पकाने वाले भी मुंह मोड़ रहे हैं। नए चावलों के आटे से यह ऐंकलियां बनाई जाती है, पहले इस आटे को अच्छी तरह घोलकर तवे पर गोल-गोल घुमाते हुए रोटी के आकार में फैलाया जाता है फिर पकने के बाद इसे दूध-शक्कर के साथ या माह की बनी दाल में देसी घी डालकर खाया जाता है।

यह पकवान केवल पेट की भूख ही शांत नहीं करता बल्कि अपनों को भी अपनत्व में बांधकर रखता है। सगे-संबंधी हों या आस-पड़ोस सभी मेहमान व मेजबान बनकर कभी इसके स्वाद को चखते थे लेकिन आज के दौर में शायद यह अपने घर की चारदीवारी तक ही सिमट कर रहा गया है अब न तो सगे संबंधियों के पास आने जाने के लिए पर्याप्त समय है और न ही अब अहम के चलते आस-पड़ोस के लोग एक दूसरे के घरों में आते जाते हैं।
ऐसे त्योहारों के अवसर पर जिन संयुक्त परिवारों में किसी समय 25-30 पारिवारिक सदस्य इकट्ठे होकर बड़े चाव से मिल बैठकर खाना खाते थे, वे परिवार टूटने के बाद अब एक दूसरे के घर आने-जाने में भी संकोच करते हैं।
सच कहें तो “ऐंकलियां, चिलडू, ऐंकलू, बबरू, पटांडें” तो अब भी उसी चावल के आटे से बन रहे हैं लेकिन खाने खिलाने वालों की शायद मानसिकता बदल गई है। बस रह गए हम-आप अपने ही घरों में अकेले खाने व बनाने वाले। लोहड़ी के अवसर पर तिल-चौली भी बनाई जाती है और एक दूसरे को बांटी जाती है। हफ्ता पहले छोटी लोहड़ी भी आती है उस दिन से लेकर लोहड़ी तक बच्चे घरों-घरों में जाकर लोहड़ी मांगते हैं। अगले दीन माघी का त्यौहार होता है लोग तीर्थ स्थलों पर स्नान व दान-पुण्य करते हैं। घरों में इस दिन खिचड़ी बनायी जाती है।
वर्तमान की गांव में बसने वाली पीढ़ी को तो फिर भी त्यौहारों के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी है लेकिन नगरों व शहरों में बसने वाले बच्चों के लिए त्यौहार कोरा काग़ज़ बनते जा रहे हैं। आज जरूरत है हमें इन त्यौहारों को सहेज कर रखने कि ताकि हम इन्हें अपनी भावी पीढियों में हस्तांतरित कर सके और आगे चलकर यही त्यौहार व संस्कार परिवारों को जोड़ने की कड़ी बने रहें।
(स्वतंत्र लेखक राजेश वर्मा लम्बे समय से हिमाचल से जुड़े विषयों पर लिख रहे हैं। उनसे vermarajeshhctu@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

जब मीडिया भी जाति के आधार पर सरकार के फैसलों को आंकने लग जाए

देवेश वर्मा।। हिमाचल प्रदेश में मंत्रिमंडल बनने के तुरंत बाद लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाला मीडिया के कुछेक पत्रकारों ने ये प्रश्न उठाने शुरू कर दिए कि ब्राह्मणों को मंत्रिमंडल में स्थान क्यों नहीं मिला? कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल में ठाकुरों से ही ज्यादातर विधायक मंत्री बना डाले। इसी तरह एक वर्ग यह कहता नजर आया कि कांग्रेस का हाईकमान अनुसूचित जाति से ज्यादा मंत्री बनाने के पक्ष में है।

ये सब बातें जब प्रदेश का एक आम प्रदेशवासी देख रहा होगा तो वह यह सोचने पर तो मजबूर हुआ होगा कि क्या उसने जाति को देखकर वोट दिया था? और ये जो मंत्री बने हैं क्या ये अपनी जाति वर्ग के लिए ही बने हैं? क्या ये अन्य समुदायों या जाति के लोगों के हित की बात नहीं करेंगे? हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं, कोई भी निर्वाचित विधायक मंत्री बना है वह पूरे प्रदेश के लिए योग्यता व वरिष्ठता के आधार पर बना है न कि जाति की संख्या आधार पर और इनका कार्य सभी के लिए निष्पक्ष होगा न कि पक्षपाती।

कुछ मीडिया के लोग कह रहे कि फलां जिले से कोई नहीं बना, फलां से इतने बना दिए। योग्यता न तो जाति की मोहताज है न किसी क्षेत्र विशेष की। एक आम निरक्षर इंसान इन बातों को करता हो तब भी बात गले उतरती है लेकिन बड़े-बड़े राष्ट्रीय व प्रादेशिक मीडिया घरानों से जुड़े पत्रकारों की फेसबुक टाईमलाईन पर ऐसी बातें देख सुनकर लगता है कि कहीं न कहीं ऐसे लोग जातिवाद को ख़त्म करने की बजाए बढ़ाने के लिए ज्यादातर जिम्मेदार हैं या फिर इनके निजी हित जाति के टैग से जुड़े होते हैं जो मनमाफिक पूरे न होने के चलते ये मीडिया की आड़ में अपने निजी विचारों को इस तरह भड़ास के माध्यम से निकालते हैं।

आजतक हमने ऐसे मीडिया बंधुओं को यह कहते नहीं सुना कि फलां जाति का मंत्री बना था और उसने अपनी ही जाति के लोगों की मदद नहीं की। निवेदन है ऐसे मीडिया बंधुओं से कि शांत प्रदेश में अशांति न फैलाएं मंत्री जो भी बने उसे काम से आंकिए न कि जाति के ठप्पे से। वैसे भी प्रदेश के कई क्षेत्रों में जातिवाद का जहर अभी भी फैला हुआ है उसे निकालने की बजाए कम करने का काम करें।

(लेखक हमीरपुर से संबंध रखते हैं। उनसे writerdeveshverma@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

हिमाचल का अपना एक भी 24×7 टीवी चैनल क्यों नहीं है?

डॉ. राकेश शर्मा।। यह एक बड़ी चिंता का विषय है कि क्यों कोई उद्यमी हिमाचल में एक ऐसा पूर्णकालिक टीवी चैनल नहीं चला पा रहा जो इस पहाड़ी प्रदेश की समाचार और कला एवं संस्कृति की प्यास बुझा सके। दूरदर्शन शिमला के सन्दर्भ में प्रयास हालाँकि विगत वर्षों में केंद्र सरकार में हिमाचल के नेतृत्व ने काफी आगे बढ़ाए हैं परन्तु अभी भी ये अपर्याप्त हैं। यह लोगों की पहुंच से दूर हैं क्योंकि अधिकांश डीटीएच प्लेटफार्म ने इसे शामिल नहीं किया और न ही लोगों ने इसकी मांग उठाई क्योंकि अभी इसमें कला एवं संस्कृति के लिए बेहद कम अवधि/सामग्री है और यह दिनभर राष्ट्रीय समाचार चैनल के ही स्वरूप में ही है। ऐसा भी नहीं है कि लोगों की अपने न्यूज़ चैनल प्रति मांग नहीं क्योंकि समाचार के लिए सोशल मीडिया के ज़रिये कानों को खरोंचती आवाज़ें, हास परिहास को अंजाम देती मुख-मुद्राएं, और मनघडंत गप्पें जनता को जैसे तैसे बांधे हुए हैं। हालाँकि सभी को यह भी याद दिलवाती है कि क्यों नामी टीवी चैनल समाचार वाचक की आवाज़, उच्चारण और सूरत को चयन का पैमाना बनाते हैं।

हिमाचल भारत का एक ऐसा प्रदेश है जहाँ आज भी 90% जनता गाँव में बसती है। अधिकाँश गाँव दुर्गम पहाड़ियों के बीचो-बीच हैं जहाँ आकाशवाणी के सिग्नल तक पहुंचाना मुश्किल हैं, फ़ोन व इंटरनेट तो और भी कठिन। उधर अख़बारों के पाठक तो शहरों कस्बों में भी कम होने लगे हैं। ऐसे में दशकों से लोग आकाशवाणी पर शाम सात बजकर पचास मिनट के प्रादेशिक समाचार भी जैसे तैसे शॉर्ट वेव, मीडियम वेव के ज़रिए आज तक सुनते आए हैं। हालाँकि कुछ जगह तक स्मार्ट फ़ोन व इंटरनेट डेटा भी पहुँच चुका है परन्तु प्रामाणिक प्रादेशिक खबरों के लिए आज भी आकाशवाणी पर ही अधिक निर्भरता है। सैटेलाइट टी वी की भी पहुँच बढ़ी है परन्तु उनमें हिमाचल के अपने समाचार एवं कला-संस्कृति प्रदर्शन का बड़ा अभाव है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि केरल, उत्तराखंड, सिक्किम जैसे छोटे प्रदेश भी जब अपने पांच सात चैनल चला सकते हैं तो हिमाचल अपना एक सम्पूर्ण चैनल क्यों नहीं चला पा रहा।

जहाँ यह एक ओर प्रदेश की उद्यमशीलता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है वहीं यह प्रदेश के सर्वाधिक शिक्षित कहलाने वाले जनमानस को भी कटघरे में खड़ा करता है जो ऐसे उद्यमों के लिए सही मांग पेश ही नहीं कर पा रहा। यह कारण विज्ञापनों का अभाव इन उद्यमों को आर्थिक तौर पर अव्यवहार्य बनाता है। हालांकि चुनाव के आस पास कुछ बाहरी राज्यों के टी वी उद्यम/चैनल हमें कभी पंजाब हरयाणा के साथ जोड़ देते हैं तो कभी जम्मू लद्दाख के साथ । दूसरी ओर, ‘दूरदर्शन हिमाचल’/ ‘दूरदर्शन शिमला’ का सफ़र विगत वर्षों में डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुँचा तो ज़रूर है परन्तु सभी प्लेटफॉर्म में यह उपलब्ध न हो पाना और दिन भर एक राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल के स्वरुप में ही इसका चलना प्रदेश में लोगों को आकर्षित नहीं कर पा रहा। हालांकि, प्रदेश की विविध कला एवं संस्कृति बारे इसमें कार्यक्रम अगर बढ़ें तो लोग आकाशवाणी की भांति इससे जुड़ना चाहेंगे वर्ना चलता फ़िरता गपोड़ी शंख सोशल मीडिया ही लोगों को भटकाते/भड़काते हुए आगे बढ़ेगा जो समाज में औसत एवं मनमाफ़िक नैरेटिव सैट करने में भी सक्षम है क्योंकि अधिकांश जन-मानस सही गलत आकलन करने में असमर्थ है। इसके परिणाम, प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक माहौल के लिए दीर्घकाल में बहुत बुरे साबित हो सकते हैं। ऐसे विषय बारे प्रदेश के संजीदा जन-नुमांयदों, नीति निर्धारकों, लेखकों/पत्रकारों एवं समस्त बुद्धिजीवी वर्ग को समाज में सजगता की लौ जलानी चाहिए।

दुर्गम पहाड़ी प्रदेश में उद्यमियों और निवेशकों को विशेष सम्मान के साथ देखना होगा क्योंकि उनका यहाँ टिक पाना कई मायनों में कठिन होता है। एक या दो पूर्णकालीन चैनल चलाने में कोई उद्यम अगर सामने आए तो साक्षर प्रदेश के सभी लोगों का मौलिक कर्तव्य बनता है कि ऐसे उद्यम को सहारा दें और उसे फलने फूलने में मदद करें। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कम जनसंख्या घनत्व एवं अधिक लागत से उद्यम को पहाड़ में जीवित रख पाना बेहद कठिन होता है। इस दिशा में प्रदेश के सभी जिलों के लोगों को एक समरूप हिमाचलीयत में गर्व महसूस करना होगा जो प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक कारक सिद्ध होगा।

प्रदेश के नेतृव को भी अपने हिस्से के ईमानदार प्रयत्न करने चाहिए कि ताकि दूरदर्शन का अपना पूर्णकालिक चैनल अच्छे से विकसित हो पाए, जनता को जोड़ पाए। फिर यह स्वतः ही मनोरंजन के साथ साथ प्रदेश में सही दिशा की अनेकों जानकारियों/ कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचा पाएगा। ऐसे में दूरदर्शन, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग और भाषा एवं संस्कृति विभाग के अनेकों महत्वपूर्ण लक्ष्यों/कार्यों की पूर्ति भी करेगा। इस दिशा में अगर प्रदेश सरकार सांस्कृतिक सामग्री मुहैया करवाए या फ़िर वित्तीय/कमर्शियल हिस्से में भागीदार बन पाए तो भला हमारा ही होगा। ऐसा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि प्रदेश के अनेकों हित साधने वाले उद्यम में हिस्सेदारी उस संकीर्ण सोच को लांघती है जो मात्र केंद्र के वित्त-पोषण के आगे सोच ही नहीं बढ़ा पाती। इसका जीवंत उदाहरण हमारे रेलवे फाटक और राजधानी के संकरे मार्ग हैं जो पूर्ण राज्यत्व के 50 वर्ष बाद ही बदले हैं जब केंद्र से वित्तीय मदद मिलने लगी।

कुल मिलाकर, इस पहाड़ी प्रदेश की जनता और उसके नुमांयदों को एक बड़े विजन के साथ प्रदेश के दीर्घकालीन व्यापक सामाजिक एवं आर्थिक विकास बारे नीतिगत सोच विकसित करनी होगी। सूचना, समीक्षा एवं लोक-संस्कृति सहेजने बारे हिमाचल का एक अपना पूर्णकालिक टी वी चैनल इस दिशा में एक आवश्यक पहल साबित होगी।

(लेखक डॉ. राकेश शर्मा हिमाचल के समसामयिक विषयों के समीक्षक हैं)

अनाथ बच्चों के लिए ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष’ शुरू करने का एलान

शिमला।। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों और असहाय व्यक्तियों के लिए विशेष कोष बनाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जानकारी दी कि ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष’ का गठन किया जा रहा है। 101 करोड़ रुपये के इस फंड के माध्यम से अनाथ बच्चों की पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी उठाई जाएगी।

सीएम ने कहा कि अनाथालयों में रह रहे या अन्य रिश्तेदारों के यहां रह रहे बच्चों की उच्च शिक्षा का वहन इसी कोष से किया जाएगा। उन्हें जेब खर्च देने का भी प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विधायक इस कोष में अपने पहले वेतन से एक एक लाख रुपये देंगे और बीजेपी के विधायक ऐसा करेंगे तो उनका भी स्वागत है।

सीएम ने स्वयं को बेसहारा लोगों के प्रति संवेदनशील बताते हुए कहा कि सरकार बने हुए 21 दिन हो गए हैं और सरकार ने सजगता दिखाई है। सुख्खू ने कहा कि सीएम पद की शपथ लेने के बाद वह सचिवालय नहीं, बल्कि बालिका आश्रम गए। उन्होंने वहां बच्चों से बहुत कुछ सीखा। जिनका कोई नहीं है, वे किस प्रकार से जीवन जी रहे हैं, यह सब देखा। इसके बाद वह मशोबरा वृद्धाश्रम गए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब 21 दिन बाद सरकार ने सुखाश्रय कोष बनाने का निर्णय किया है। सबका यह मत था कि ऐसी योजना लाई जाए, जो सब बंधनों से दूर हो। उन्होंने कहा कि पूरे हिमाचल में अनाथाश्रमों में लगभग छह हजार लोग होंगे। अभी हिमाचल सरकार की योजना के तहत अनाथाश्रमों में रहने वालों बच्चों को 12वीं कक्षा की पढ़ाई तक सरकार की ओर से मदद मिलती है मगर आगे भी उन्हें पढ़ाई के लिए मदद दी जाएगी।

नववर्ष की पूर्व संध्या पर पुलिस ने ढूंढ निकाली 9 दिन से लापता किशोरी

पावंटा साहिब।। पावंटा साहिब पुलिस ने करीब 10 दिन से लापता एक किशोरी को ढूंढ निकाला है। 14 साल की यह किशोरी 22 दिसंबर से लापता थी।

यूपी के लखीमपुर की रहने वाली एक महिला ने पुलिस को शिकायत दी थी कि उसकी बेटी लापता हो गई है। 35 वर्षीय महिला का कहना था कि उसने बेटी को अपने स्तर पर सब जगह ढूंढ लिया है मगर उसका कुछ पता नहीं चल रहा।

पुलिस ने शिकायत मिलने पर आईपीसी की धारा 363 के तहत मामला दर्ज किया था। 31 दिसंबर को पुलिस ने टेक्नॉलजी का इस्तेमाल और सूचनाओं के आधार पर कार्यवाही की और लड़की को यूपी के लखीमपुर से ढूंढ निकाला।

अटल के जन्मदिन पर इंदिरा को श्रद्धांजलि देकर क्या संदेश दे गए CM सुक्खू?

इन हिमाचल डेस्क।।  दिल्ली में कोरोना संक्रमण के बाद स्वस्थ होने के बाद हिमाचल लौटने से पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी स्मृति संग्रहालय पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। इस संबंध में उनके आधिकारिक फेसबुक पेज पर लाइव भी किया गया है जिसमें वह सफदरजंग रोड पहुंचे और पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी।

हालांकि, न तो आज इंदिरा गांधी की जयंती थी और न ही पुण्य तिथि। वैसे तो किसी को याद करने के लिए कोई खास दिन तय नहीं होता मगर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐसा एक खास कारण से किया है। दरअसल, आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन था। अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री ने न तो दिल्ली में उन्हें श्रद्धांजलि दी और न ही हिमाचल आकर। इस संबंध में उनके सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी कोई पोस्ट नहीं है।

अमूमन यह देखा गया है कि किसी भी पार्टी के नेता, विशेेषकर मुख्यमंत्री, अन्य पार्टी की बड़ी हस्तियों, विशेषकर दिवंगत प्रधानमंत्रियों को उनकी जयंती या पुण्य तिथि पर जरूर याद करते हैं। हिमाचल में भी यही परंपरा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व प्रेम कुमार धूमल भी रिज मैदान जाकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि देते रहे हैं। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अटल के जन्मदिन पर उन्हें किसी भी तरह से श्रद्धांजलि न देकर और विशेष तौर पर इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि देकर एक तरह से संदेश देने की कोशिश की है। यह संदेश पार्टी आलाकमान के लिए है कि वह गांधी परिवार के लिए पूरी तरह निष्ठावान हैं।

सूचना एवं जन संपर्क विभाग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इंदिरा गांधी संग्रहालय में कहा कि स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश की एकता व अखंडता के लिए दिए गए सर्वाेच्च बलिदान को सदैव याद रखा जायेगा। उन्होंने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में अनेक ऐसे अभूतपूर्व निर्णय लिए जिन्होंने भारत के विकास को नवीन दिशा प्रदान की। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी को उनके विराट व्यक्तित्व और जन-जन के हित में लिए गए निर्णयों के लिए सदैव स्मरण रखा जाएगा।”

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल को देश के मानचित्र पर एक राज्य के रूप में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ही स्थापित किया। उनके इस निर्णय से हिमाचल के विकास को उचित दिशा प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करने और प्रदेश वासियों की चिर लंबित मांग को पूर्ण करने के लिए हिमाचल वासी सदैव उन्हें याद रखेंगे।

कैबिनेट के फैसले वो लोग पलट रहे, जिन्होंने अभी MLA की शपथ नहीं ली: जयराम ठाकुर

शिमला।। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बीजेपी विधायक दल का नेता चुने जाते ही आक्रामक तेवरों के साथ नई भूमिका की शुरुआत की है।  रविवार को पत्रकार वार्ता में जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार को दिशाहीन नेताओं का समूह करार देते हुए कहा कि पिछले दो हफ्तों में हिमाचल में अव्यवस्था की स्थिति बन गई है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी सरकार ने इतना निराश किया कि दस दिन के अंदर ही जनता सड़कों पर उतर आई है।  जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने 10 दिन के अंदर अपनी गारंटियां पूरी करने की बात की थी लेकिन सब चीजें बंद करते-करते उसने शायद उसने मंत्रिमंडल के गठन की व्यवस्था को भी बंद करने का फैसला कर लिया है।

सुबह चौड़ा मैदान स्थित विलीज़ पार्क में बीजेपी के विधायकों की बैठक में सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद जयराम ठाकुर ने पार्टी के सभी विधायकों का आभार प्रकट किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का भी धन्यवाद किया। इसके बाद वह पत्रकारों को संबोधित करते हुए वह कांग्रेस सरकार पर हमलावर रहे।

जयराम ठाकुर ने कहा, “हमने जनादेश का सम्मान किया है और उसे स्वीकर किया है। अबकी बार जनादेश 0.9% वोटों के अंदर से कांग्रेस को मिला है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि हिमाचल की जनता ने लगभग बराबरी का जनादेश दोनों दलों को दिया है लेकिन लोकतंत्र में ज्यादा सीटें वाला सत्ता में जाता है और कम वाला विपक्ष में।  ऐसे में अब बीजेपी विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए आपके समक्ष है।”

हिमाचल में चल रही है कांग्रेस की बंद एक्सप्रेस’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “हम उम्मीद कर रहे थे कि हिमाचल प्रदेश की नई सरकार चुनाव के समय किए अपने वादों को पूरा करेगी। कहा था कि 10 दिन के अंदर ओपीएस लागू कर देंगे, 1500 रुपये महिलाओं के खाते में आना शुरू हो जाएंगे और हिमाचल में 1 लाख बेरोजगार नौजवानों को सरकारी नौकरी दी जाएगी। ये चुनावों से पहले और बाद भी लगातार कहा गया। लेकिन विचित्र परिस्थिति है कि हिमाचल में सरकार बने 14 दिन हो गए लेकिन काम कुछ नहीं हो रहा। कांग्रेस सरकार ने 11 तारीख से लेकर अब तक ‘बंद-बंद-बंद’ और ‘डीनोटिफाई- डीनोटिफाई-डीनोटिफाई’ का राग छेड़ा हुआ है। सरकार बनते ही उद्योग बंद, पटवार सर्कल बंद,  स्वास्थ्य संस्थान बंद।”

ठाकुर ने कहा, “सरकार को रिव्यू करने का अधिकार है लेकिन 1 अप्रैल के बाद हिमाचल में खुले संस्थानों को डीनोटिफाई करना गैरकानूनी है। वह भी ऐसे संस्थानों को, जिनमें से कई महीनों से काम कर रहे हैं। एक तरह से हिमाचल में कांग्रेस की ‘बंद एक्सप्रेस’ शुरू हो गई है।”

जो अभी विधायक नहीं बने, वे बदल रहे कैबिनेट के फैसले’
बीजेपी विधायक दल के नेता ने कहा, “हमने अपनी सरकार के पहले दिन एक बात कही थी कि बदले की भावना से काम नहीं करेंगे। और जो कहा था, उसका हमने पांच साल अक्षरश: पालन किया। हमने कहा था कि पिछली सरकार के फैसलों को रिव्यू करेंगे लेकिन इस तरह से संस्थानों को बंद नहीं किया था। आज इन्होंने ऐसे एसडीएम दफ्तर बंद कर दिए, जहां पर इलेक्शन की प्रक्रिया तक संपन्न हुई।”

उन्होंने कहा कि एसडीएम को जूडिशल पावर होने के कारण हाई कोर्ट की एक कमेटी भी ऑफिस खोलने की सिफारिश करती है। ऐसे में एसडीएम ऑफिस को डीनोटिफाई करने का क्या मतलब है कि कांग्रेस अब कोर्ट से भी ऊपर हो गई। PWD के जिन दफ्तरों में कई महीनों से काम चल रहा था, अधिकारी बैठ रहे थे, उन्हें भी बंद कर दिया गया।

पूर्व सीएम ने कहा, “अभी तक इनका मंत्रिमंडल भी नहीं बना। कैबिनेट के फैसले कैबिनेट ही निरस्त कर सकती है। लेकिन इनकी कैबिनेट अभी बैठी ही नहीं। बता रहे हैं कि इन्होंने अपने विधायकों की कमेटियां बनाई हैं और उन कमेटियों की सिफारिश पर ये फैसले हो रहे हैं। जिन्होंने अभी तक विधायक की शपथ नहीं ली, वे लोग कैबिनेट के फैसले को बदल रहे हैं। ये तो संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पूरे देश में हिमाचल का तमाशा बन गया है कि क्या हो रहा है। कांग्रेस के लोग भी हैरान-परेशान हैं।”

जयराम ठाकुर ने इस विषय पर कानूनी पहलुओं पर विमर्श करने की बात कही। उन्होंने कहा, “हिमाचल में पहली बार इतने कम समय में सरकार के खिलाफ जनता सड़कों पर उतरी है। ऐसा कांग्रेस कार्यकाल में ही संभव हुआ है। हमने राज्यपाल जी से भी बात की है। उनसे कहा कि आप पड़ताल कीजिए कि क्या सरकार इस तरह से कैबिनेट के फैसले पलट सकती है।”

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के लोग कह रहे हैं कि हम रिव्यू करेंगे, रद्द नहीं करेंगे और संस्थानों को दोबारा खोलेंगे। लेकिन सवाल यह है कि दोबारा खोलना है तो रद्द करने का क्या मतलब है?

पुलिस का मजाक बना रहे सरकार में बैठे लोग
जयराम ठाकुर ने हाल ही में लीक हुए JOA IT के पेपर को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “वे हमारा तो बहुत मार्गदर्शन करते थे मगर अब पेपर लीक हो गया तो उसमें भी अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार हैं जो देश के इकलौते मीडिया सलाहकार हैं जो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। और उसमें भी उन्होंने पुलिस की जांच को प्रभावित करने वाली बातें कर दीं।  अभी मामले की जांच चल रही है लेकिन सारी डीटेल मीडिया में दे दी। यह आपका कार्य नहीं है। पुलिस के जांच अधिकारी और डीजीपी को यह काम करने देते। आपका तरीका जांच को प्रभावित करता है। लेकिन यह अजीब व्यवस्था है कि मीडिया अडवाइजर समेत तीन लोगों को कैबिनेट रैंक दे दिया गया है जबकि अभी कैबिनेट का गठन नहीं हुआ है।”

‘विधानसभा सत्र में घेरेंगे दिशाहीन सरकार को’
जयराम ठाकुर ने कहा कि 14 दिन में सरकार की नाकामियों की इतनी बड़ी सूची हो गई है कहने के लिए समय कम पड़े। उन्होंने कहा, “इस सरकार में कोई तारतम्य नहीं है। मुख्यमंत्री एक दिशा में चल रहे हैं, उपमुख्यमंत्री दूसरी दिशा में और बाकी लोग अलग दिशा में। कुल मिलाकर सभी दिशाहीन हैं। जो फिजूलखर्ची रोकने की बातें करते थे, वे उपमुख्यमंत्री कह रहे हैं कि मुझे मुख्यमंत्री के बराबर प्रोटोकॉल दो, मेरे वाहनों के काफिले में निजी एस्कॉर्ट से लेकर लोक पुलिस स्टेशन से लेकर डिस्ट्रिक्ट पुलिस के वाहन भी चलने चाहिए। अब देखना है कि आगे वे फिजूलखर्ची रोकने के लिए क्या करेंगे।”

पूर्व सीएम ने कहा कि मौजूदा सरकार को लेकर अखबारों में लिखा जा रहा है कि इसकी शुरुआत अच्छे मुहूर्त में नहीं हुई और अस्थिरता बनी रहेगी। मैं कहना चाहता हूं कि ये अस्थिरता हमारी वजह से नहीं, उनकी अपनी वजह से होगी। 14 दिन के कार्यकाल में ही सरकार हर मोर्चे पर असफल हो गई है। अधिकारियों तक को पता नहीं चल रहा कि क्या करना है।  हम विधानसभा के अंदर और बाहर, दोनों जगह इस सरकार के गलत फैसलों और कदमों का विरोध करते रहेंगे।

जयराम ठाकुर होंगे नेता प्रतिपक्ष, इस बार की विधानसभा में ये कारनामा करने वाले इकलौते विधायक

इन हिमाचल डेस्क ।। हिमाचल प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नाम पर मुहर लग गई है। बीजेपी ने अपनी पुरानी रिवायत जारी रखी है। जो भी मुख्यमंत्री रहे होते हैं उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया जाता है। नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए जयराम ठाकुर के अलावा ऊना से विधायक सतपाल सिंह सत्ती और सुलह से विधायक विपिन परमार के नाम की चर्चा भी थी। अंत में पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री और छठी बार चुनकर विधानसभा पहुंचे जयराम ठाकुर को यह जिम्मेदारी सौंपी है। रविवार को हुई बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया है। मौजूदा विधानसभा में लगातार छह बार जीत कर पहुंचने वाले जयराम ठाकुर एकमात्र नेता हैं। हालांकि मौजूदा विधानसभा में छह या इससे अधिक बार जीतने का रिकॉर्ड अन्य नेताओं के नाम भी है लेकिन लगातार कोई भी नेता जीत हासिल नहीं कर पाया है।

साल 1998 में पहली बार चच्योट विधानसभा सीट चुनकर आए जयराम ठाकुर ने जीत का यह सिलसिला 2022 तक बरकरार रखा है। वहीं इस बार जयराम ने जीत के अंतर का भी रिकॉर्ड (38 हजार से अधिक) बनाया है। ऐसा रिकॉर्ड जो प्रदेश के कई बड़े दिग्गज नेता नहीं बना पाए। साथ ही इस बार के चुनावों में पार्टी में अपने काम की बदौलत अपने कद को और मजबूती देने का काम किया है। इस बार बीजेपी बेशक चुनाव हार गई हो लेकिन जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया है। मंडी जिले के अंतर्गत आने वाली 10 में से 9 सीटों पर पार्टी को जीत मिली है। अपने काम की बदौलत ही जयराम ठाकुर ने पार्टी और संगठन दोनों में अच्छी पकड़ बनाई हुई है। यही वजह है कि उनकी मृदुभाषी-स्वच्छ छवि और काम के दम पर बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उन्हें चुना है।

जयराम ठाकुर का राजनीतिक सफर
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को मंडी जिले की थुनाग तहसील के तांदी गांव में एक किसान परिवार में हुआ। जयराम ठाकुर के पिता राजमिस्त्री का काम करते थे, उनके परिवार में तीन भाई और दो बहनें हैं। जयराम ठाकुर की प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई है। जबकि स्नातक की पढ़ाई उन्होंने मंडी के बल्लभ कॉलेज से पूरी की। वहीं उन्होंने अपनी एमए की पढ़ाई चंडीगढ़ में रहते हुए पंजाब विश्वविद्यालय से पूरी की है। छात्र जीवन में ही उन्होंने एबीवीपी का दामन थाम लिया और छात्र राजनीति में अपने करियर की शुरुआत की। साल 1995 में जयराम ठाकुर ने जयपुर की डॉ. साधना सिंह से शादी की। जयराम ठाकुर की दो बेटियां हैं।

छात्र जीवन में जयराम ठाकुर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद समर्पित कार्यकर्ता रहे और छात्र संगठन में काम करते हुए अलग-अलग दायित्व निभाए। 1984 में एबीवीपी से छात्र राजनीति में आए और कला संकाय में पढ़कर सीआर जीते। 1986 में एबीवीपी की प्रदेश इकाई में संयुक्त सचिव बने। 1989 से 1993 तक एबीवीपी की जम्मू-कश्मीर इकाई में संगठन सचिव रहे। यहां से संगठन में इन्हें काफी अच्छी पकड़ मिली।

जब 1993 में घरवालों ने किया विरोध और चुनाव हारे जयराम
जयराम ठाकुर का राजनीति से दूर-दूर तक का कोई नाता नहीं था। जयराम ठाकुर के राजनीति में जाने को लेकर उनके परिवार में कोई खुश नहीं था। पहले तो छात्र जीवन में घर परिवार से दूर जम्मू-कश्मीर जाकर एबीवीपी का प्रचार किया। जब 1992 में घर लौटे तो साल 1993 में जयराम ठाकुर को बीजेपी ने चच्योट (सराज) विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया।

घरवालों को इसका पता चला तो उन्होंने विरोध किया। चुनाव लड़ने के लिए परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत नहीं थी तो घरवालों की ओर से चुनाव नहीं लड़ने की सलाह दी गई। लेकिन जयराम ठाकुर ने अपने दम पर राजनीति में डटे रहने का निर्णय लिया और विधानसभा चुनाव लड़ा। वे यह चुनाव हार गए। 1998 में बीजेपी ने फिर जयराम ठाकुर पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट दी। इस बार इन्होंने जीत हासिल की और उसके बाद विधानसभा चुनाव में कभी हार का मुंह नहीं देखा।

राजनीतिक सफर के पड़ाव
– 1998 में जयराम पहली बार चच्योट सीट से जीते और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए।
– 2000 से 2003 तक वह मंडी जिला भाजपा अध्यक्ष रहे।
– 2003 में दूसरी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे।
– 2003 से 2005 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे।
– 2006 में उन्हें प्रदेशाध्यक्ष का पद मिला।
– 2007 में तीसरी बार चुनाव जीते और धूमल सरकार में पंचायतीराज मंत्री भी रहे। वहीं उन्होंने भाजपा के अध्यक्ष के तौर पर चुनावों में जीत दर्ज न करने के मिथक को भी तोड़ा
– डीलिमिटेशन के बाद उन्होंने 2012 में सराज से चुनाव लड़ा और लगातार चौथी बार विधानसभा पहुंचे।
– 2017 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए पांचवीं बार निर्वाचित हुए और 27 दिसंबर को उन्होंने हिमाचल प्रदेश के 14 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथग्रहण की।
– 2022 में लगातार छह बार जीत के रिकॉर्ड के साथ-साथ सबसे अधिक जीत के अंतर (38 हजार से अधिक) का भी रिकॉर्ड बनाया।

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जयराम सरकार ने पांच साल में लिया 25 हजार करोड़ का कर्ज: मुकेश अग्निहोत्री

शिमला।। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश पर 70 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है जिसमें से 25 हजार करोड़ रुपये पिछली बीजेपी सरकार ने महज पांच में लिया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र लाना है या नहीं, यह बात कैबिनेट तय करेगी।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अपने सभी चुनावी वादों को पूरा करेगी। यह कैसे होगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “संसाधन जुटाने, एक्साइज़ से राजस्व बढ़ाने, माइनिंग सेक्टर से रॉयल्टी लेने, पड़ोसी राज्यों से हिमाचल के हक का हिस्सा लेने, फिजूलखर्ची रोकने और केंद्र से वित्तीय सहायता लेने पर सरकार का फोकस रहेगा।”

समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार का पहला बजट आर्थिक स्थिति और विकास कार्यों के रोडमैप पर रोशनी डालेगा।

घरेलू हिंसा के आरोपों पर बोले विक्रमादित्य सिंह, होली लॉज पर मां भीमाकाली का आशीर्वाद

इन हिमाचल डेस्क।। शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने होली लॉज में मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इसमें उन्होंने सरकार, ओपीएस के मुद्दे और मंत्रिमंडल के गठन पर बात कही। इस दौरान पत्रकारों ने विक्रमादित्य पर पत्नी सुदर्शना चुंडावत की ओर से लगाए गए घरेलू हिंसा के आरोपों पर भी सवाल किए। इस पर विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि धुएं को निकलने के लिए आग की जरूरत है। वह जानते हैं कि कौन इस षड्यंत्र के पीछे है। होली लॉज पर मां भीमाकाली का आशीर्वाद है। जनता ने उन्हें जो मैनडेट दिया है वह बताता है कि जनता उनके साथ है।

विक्रमादित्य सिंह ने इस मामले पर यह भी कहा कि पिछले तीन साल से यह मामला चल रहा है, लेकिन अब कुछ लोग जानबूझकर इसे उछाल रहे हैं। यह एक पारिवारिक मामला है जिसे न्यायिक प्रक्रिया से सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय ही इस मुद्दे को क्यों उछाला गया। उनके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र रचा जा रहा है। इसके पीछे कौन-कौन हैं जल्द ही उनका भी खुलासा किया जाएगा।

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प्रत्रकारों की ओर से सवाल किया गया कि कांग्रेस ने सरकार बनने के दस दिन के भीतर ओपीएस बहाल करने का वादा किया था लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया हैं। कांग्रेस के वादों को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर हैं जिस पर कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने उन्हें सयंम रखने की हिदायत दी और कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने चुनावों में जो 10 गारंटी दी हैं उन्हें जल्द चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।

‘मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पूरा होगा ओपीएस का वादा’
विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वह हमेशा टू-वे कम्युनिकेशन में विश्वास रखते हैं। इसकी शुरुआत सीएम सुक्खू ने कर दी है। उन्होंने विश्वास जताया कि जो मैनडेट जनता ने कांग्रेस पर जताया है उसके लिए सरकार और प्रशासन तैयार है और कांग्रेस सभी वादे पूरे करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को पूरा करेगी। हर महिला को 1500 रुपये, युवाओं के लिए 680 करोड़ के आर्थिक पैकेज सहित सभी गारंटियों को पूरा किया जाएगा।

‘केंद्र सरकार नहीं छीन सकती हिमाचल का हक’
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि राहुल गांधी ने भी संगठन और सरकार को तालमेल से काम करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि महायुद्ध तो अभी आना है जो 2024 के लोकसभा चुनाव हैं। इसे भी जीतना है और इसके लिए हम तैयार हैं। सरकार रिसोर्सिज को जनरेट कर आय के साधनों को मजबूत करने का काम करेगी। केंद्र सरकार के साथ मिलकर कार्य करना होगा। पीएम मोदी ने कहा था कि हिमाचल मेरा दूसरा घर है तो यह रिश्ता बरकरार रहना चाहिए।

विक्रमादित्य सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से बड़ा दिल दिखाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था भले ही पार्टी अलग है लेकिन वीरभद्र मेरे मित्र हैं। ऐसा ही रिश्ता केंद्र और राज्य का होना चाहिए। पार्टी के साथ विचारों की लड़ाई तो आगे भी रहेगी लेकिन हिमाचल का जो अधिकार है उसे केन्द्र सरकार छीन नहीं सकती है।

‘जयराम ठाकुर कहते थे विक्रमादित्य सिंह जल्दी में है’
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि 5 साल सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में सभी प्रदेश के विकास में सहयोग देंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि जो वादे किए हैं पूरे किए जाएंगे। अभी मंत्रिमंडल का गठन नहीं हुआ है। इसके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से हिमाचल सरकार पर की गई टिप्पणी को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि भगवंत मान अपना राज्य संभाले हमारी चिंता न करें। हमें उनसे सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं। जयराम ठाकुर कहते थे विक्रमादित्य सिंह जल्दी में है अभी तो पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकारी आवास भी नहीं छोड़ा। इतनी जल्दी टिका टिप्पणी न करें थोड़ा संयम रखें।

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