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Sunday, September 14, 2025
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राजनीति चमकाने के लिए लोगों को गुमराह कर रहे हैं गोकुल बुटेल?

  • आई.एस. ठाकुर ।।
पालमपुर से एक शख्स खुद को युवा नेता के तौर पर प्रॉजेक्ट कर रहा है। और तो और, लोग भी उसे हाथोहाथ ले रहे हैं। उसकी हर पोस्ट पर वाह-वाही कर रहे हैं और उसे पालमपुर का भविष्य बता रहे हैं। पालमपुर से विधायक बनने का सपना देख रहा यह शख्स रोज नए-नए दावे करता है और उसके फेसबुक फ्रेंड बिना उन दावों की सचाई जांचे कहते हैं- वाह भाई, क्या शानदार विजन है आपका।
बात गोकुल बुटेल की हो रही है, जो मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार हैं। हाल ही में उन्होंने पालमपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और लगभग हर अखबार ने उसे छापा। किसी भी पत्रकार या अखबार ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि इन दावों में कितनी सच्चाई है। खबर है आईटी पार्क की। कुछ अखबारों ने लिखा है कि कांगड़ा जिले में बनेगा आईटीपार्क, कुछ ने लिखा है कि पालमपुर में बनेगा। कुछ ने लिखा है- 6 माह में होगा काम शुरू। खुद गोकुल ने लिखा है-
‘Announced the upcoming STPI (Software Technology Park of India) IT Park at District Kangra potentially at Bindraban, Jia or Gaggal.’
इस पर लोगों के कॉमेंट आए- वाह गोकुल भाई, आप पालमपुर का अच्छा नेतृत्व कर रहे हैं। कुछ ने लिखा- पालमपुर का भविष्य गोकुल, क्या विज़न है। मगर गोकुल का यह दावा और उनके प्रशंसकों की वाहवाही बहुत ही हास्यास्पद है। सच यह है कि कांगड़ा जिले में आईटी पार्क की स्थापना की चर्चा 2010-11 से चल रही है और इसके लिए जमीन के चयन से लेकर शिलान्यास तक की खबरें आपने पढ़ी होंगी। जिस आईटी पार्क के ऐलान का दावा गोकुल कर रहे हैं, उसके बारे में सच यह है-

– 15 मई, 2013 यानी आज से 3 साल पहले 400 बीघा भूमि का चयन हुआ।

– 13 फरवरी, 2014 को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आईटी पार्क का शिलान्यास किया।

फिर अब काहे का ऐलान और प्रदेश का मीडिया क्यों इस खबर को सुर्खियां दे रहा है? कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि ये सभी खबरें पेड न्यूज हैं। बहरहाल, मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता, क्योंकि बिना सबूत के बातें नहीं करनी चाहिए। फिर भी इतना तो है कि एक ही पक्ष दिखाकर लोगों को भ्रमित करना गलत है।
सच यह भी है कि गोकुल बुटेल के पास कोई अधिकार नहीं कि वह किसी तरह का ऐलान करें। वह मुख्यमंत्री के सलाहकार हैं, जिसका काम मुख्यमंत्री के साथ मशवरा करना और सुझाव देना है। आईटी सलाहकार का पद वैसे भी तुष्टीकरण वाला पद है, जिसका कोई औचित्य नहीं और उनसे पहले हिमाचल में इस पद पर रहा भी नहीं। अमूमन मीडिया, राजनीतिक आदि सलाहकरों की नियुक्ति की जाती है, ताकि वे मुख्यमंत्री निजी तौर पर ब्रीफ कर सकें और ग्राउंड स्थिति से वाकिफ करवाएं।
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Gokul Butail (Courtesy: Facebook Timeline of Gokul Butail)
आईटी सलाहकार का पद ही इसलिए सृजित किया गया, ताकि वीरभद्र सिंह पालमपुर से अपने खासमखास नेता के पोते को अडजस्ट कर सकें। जी हां, गोकुल बुटेल के दादा कुंज बिहारी लाल बुटेल 2 बार पालमपुर से विधायक रहे हैं और कांग्रेस के सीनियर नेता रहे हैं। मौजूदा विधायक और विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल उनके दादा के भाई हैं। बुटेल परिवार पालमपुर के सबसे संपन्न परिवारों में है और इनके कई एकड़ में चाय के बागान हैं। गोकुल अमेरिका से पढ़कर लौटे और मुख्यमंत्री ने आईटी सलाहकार बना दिया।
मुख्यमंत्री के पास अधिकार है कि वह अच्छे शासन के लिए किसी को भी इस तरह के पद पर नियुक्त करे। मगर गोकुल बुटेल ने ऐसे कामों का क्रेडिट लेने की कोशिश की, जो उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं थे। उदाहरण के लिए आईटी पार्क तब की बात है, जब गोकुल अमेरिका में पढ़ रहे थे। लोग कई अन्य योजनाओं का श्रेय भी गोकुल को दे रहे हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि ई-राशन कार्ड योजना केंद्र सरकार द्वारा प्रमोटेड है, जिसे खाद्य आपूर्ति मंत्रालय ने प्रदेश में शुरू किया था। जगह-जगह पर फ्री वाई-फाई भी कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है।

अगर आप सामान्य योजनाओं का क्रेडिट ले सकते हैं तो महत्वपूर्ण नाकारियों का जिम्मा भी आपको उठाना होगा। हिमाचल प्रदेश सरकार की वेबसाइट दुनिया की सबसे वाहियात साइट्स में है। इस दौर में, जब 60 फीसदी से ज्यादा इंटरनेट यूजरबेस मोबाइल पर शिफ्ट हो गया है, हिमाचल सरकार की वेबसाइट मोबाइल फ्रेंडली नहीं है। यानी मोबाइल पर इस्तेमाल करने के हिसाब से सुविधाजनक नहीं, बल्कि डेस्कटॉप वर्जन खुलता है, जिसमें सूक्ष्मदर्शी यंत्र की मदद से ही कोई चीज़ें पढ़ सकता है. इसे इस्तेमाल करना बड़ी चुनौती है।

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मुख्यमंत्री कार्यालय से गवर्न होने वाले ई-समाधान की हालत खस्ता है। लोग परेशान हैं शिकायतें करते-करते, कई बार जवाब नहीं आता। अन्य सरकारी वेबसाइटों की हालत भी कमाल ही है।

जहां तक बात है प्रदेश में कंप्यूटर शिक्षा की, वह केंद्र की योजना है और गोकुल जब स्कूल में थे, तभी से चल रही है। तमाम सरकारी विभागों को इंटरनेट से जोड़ना भी केंद्र की योजना है। यूपीए सरकार के वक्त से इसका काम चल रहा है और मोदी सरकार भी इस पर जोर दे रही है। जितनी भी योजनाएं गोकुल ने पालमपुर में गिनाईं, कमोबेश सभी केंद्र की योजनाएं और सभी राज्यों में इस दिशा में काम चल रहा है और कुछ राज्य आगे बढ़ चुके हैं।
सतही दावों पर वाहवाही करने वाले वही लोग हैं, जो वैसे तो समस्या होने पर गालियां देते हैं कि सिस्टम खराब है। जो कहते हैं कि परिवारवाद हावी है और कुछ ढंग का काम नहीं हो रहा। वही ऐसे अचानक अवतरित हुए लोगों का समर्थन करने लगते हैं और उनकी हर बातों पर दावा करते हैं। नेताओं के दावों पर यकीन करने वाले अनपढ़ लोगों और आप जैसे पढ़े-लिखे लापरवाह लोगों में कोई फर्क नहीं है।
गोकुल कहते हैं कि पार्टी लड़ाएगी, तो लड़ूंगा। 2 साल पहले कहीं बाहर से आकर वही शख्स ऐसा दावा कर सकता है, जो राजनीतिक परिवार से हो। वरना 20 सालों से पालमपुर में कांग्रेस के लिए काम कर रहा मेहनती कार्यकर्ता क्यों ऐसी बात नहीं कह पा रहा? राजनीति में रसूख का खेल जारी है, गोकुल बुटेल उसी का एक प्रमाण है। लोगों की आंखों में पट्टी बंधी है। उन्हें प्रभावशाली लोग पसंद हैं, मेहनती लोग नहीं। कोई हैरानी नहीं होगी कि कल को गोकुल विधायक भी बन जाएं। मेरी तरफ से गोकुल और पालमपुर के लोगों के लिए शुभकामनाएं।
(लेखक मूलत: हिमाचल प्रदेश के हैं और पिछले कुछ वर्षों से आयरलैंड में रह रहे हैं। उनसे kalamkasipahi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

नोट:
 आप भी अपने लेख inhimachal.in@gmail.com पर भेज सकते हैं। हमारे यहां छपने वाले लेखों के  लिए लेखक खुद जिम्मेदार है। ‘इन हिमाचल’ किसी भी वैचारिक लेख की बातों और उसमें दिए तथ्यों के प्रति उत्तरदायी नहीं है। अगर आपको कॉन्टेंट में कोई त्रुटि या आपत्तिजनक बात नजर आती है तो तुरंत हमें इसी ईमेल आईडी पर मेल करें। 

संसद में कांग्रेस और हिमाचल विधानसभा में बी जे पी का एक ही एजेंडा “वाकआउट”

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  • विकास राणा

  हिमाचल प्रदेश विधानसभा का सेशन मजाक का सेशन हो गया है।  जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने उनके ऊपर सत्ता पक्ष को घेरने की जगह विपक्ष सिर्फ वाकऑउट पर केंद्रित है जो की अफ़सोस का विषय है।  विपक्षी नेता प्रेम कुमार धूमल के नेर्तित्व में रोज रोज के वाकऑउट से जनता अब उकताने लगी है।  प्रदेश भाजपा वाकऑउट का कारण वीरभद्र सिंह के ऊपर लगे  ई डी आरोपों और कारवाई  पर सदन में चर्चा को बताती है।  हालाँकि न्यायालय में मामला होने पर सदन में इस पर चर्चा का कोई तुक नहीं बनता है।

अगर सदन में चर्चा से कुछ इस मामले में निकल कर आएगा तो न्यायालय किस लिए हैं।  सदन में इस मामले की आड़ में सिर्फ एक दूसरे पर कीचड फेंकने की राजनीति को बल मिलेगा।  विपक्ष मामले में कई बार  स्पीकर से इस बारे में बात कर चूका है परन्तु स्पीकर का जबाब वही है जो हमेशा रहा है।  ऐसे ही प्र्शन काल में भी विपक्ष का मंत्रियों से सत्ता पक्ष से प्रदेश के बेरोजगारों से सबंधित प्र्शन पूछने की जगह सदन से वाकऑउट कर देना आम आदमी की उम्मीदों का गला घोंटना हैं
प्रदेश की खराब सड़कों शिमला सोलन में फैले पीलिया के प्रति जबाबदेही लोअर हिमाचल में सीमित होती खेती बेरोजगारों की बढ़ती फ़ौज के लिए सरकार ने क्या किया सरकार की जबाबदेहि सुनिश्चित करने की जगह सदन से बाहर चले जाना कहाँ तक उपयुक्त है।
लोकसभा में भी यही हो रहा है वहां कांग्रेस जो कर रही है यहाँ हिमाचल  में धूमल के नेर्तत्व  में भाजपा भी वही कर रही है।  क्या भाजपा नेता अपने प्रधानमंत्री की बात से इत्तफाक नहीं रखते जो सदन को सुचारु चलाने के लिए उन्होंने लोकसभा में कही थी ?
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कुलमिलाकर सिर्फ वीरभद्र विरोध पर टिकी  प्रदेश भाजपा के पास जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरने की जगह क्रिकेट और वीरभद्र विरोध के अलावा कोई एजेंडा नहीं है।  बी जे पी सत्ता में तो आना चाहती है पर वो सत्ता में आकर कैसे हिमाचल प्रदेश की ज्वलंत समस्या को सुलझाएंगे इस बारे में किसी रोडमैप पर बात नहीं करती है।  सब स्कूटर क्रिक्केट पर केंद्रित विपक्ष अगर जनहित के मुद्दों को समस्याओं को मंत्रियों के सामने नहीं रखेगा तो जनता को जबाब कैसे मिलेगा।
आरोपों में घिरे वीरभद्र सिंह का क्या होता है यह देखना जांच एजेंसियों का कार्य है और भारत की न्याययिक व्ययवस्था इस पर अपने हिसाब से फैसला लेगी।  प्रदेश का आम व्यक्ति सिर्फ अपने विद्याक से यह उम्मीद करता है की सदन में वो उसकी समस्याओं  जुड़े प्रश्न लेकर जाए उनके निदान में भूमिका बने।  न की अपने पार्टी विशेष के अजेंडे में केंद्रित रहे।
कुलमिलाकर हिमाचल प्रदेश विधानसभा में जो भी हो रहा है यह प्रदेश के विकास में अवरोधक और भविष्य के लिए घातक है।

‘हिमाचल और किन्नौर से मेरा एक रिश्ता बन गया’

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रोहित वर्मा 
मैं उत्तर प्रदेश के मुजफरनगर के रहने वाला हूँ।  हिमाचल प्रदेश से मेरा एक पुराना रिश्ता रहा है।  चाहे वो बचपन में घर वालों के साथ देवभूमि के शक्तिपीठों ज्वाला जी और कांगड़ा की देवीयों के दर्शन करने के लिए जाना हुआ हो या  कालेज समय में हर सेमस्टर  एग्जाम से पहले माता नैना देवी से आशिर्वाद लेना हो।  शिमला कुफरी की मेरी कई यात्राएं इसकी गवाह रही हैं की हिमाचल प्रदेश की मेरे लिए क्या अहमियत है ।
वक़्त के साथ साथ कालेज लाइफ भी खत्म हो गई और कहीं  नौकरी भी लग गई जेब में चंद पैसे आ गए फिर एक सिलसिला शुरू हुआ हिमाचल को एक्सप्लोर करने का शोघी राजगढ़ कसौली कसोल मणिकरण तोश आदि  की ख़ाक छानने के बाद इस बार ऐसी जगह पहुंचे की वहां की खूबसूरती देख कर मन वैरागी हो गया।

हुआ यूँ की दिल्ली की दौड़धूप की जिंदगी और सॉफ्टवेयर इंजीनियर की रूटीन जॉब के बीच अभी होली की पांच छुट्टियां आ गई तो मैंने और मेरे दोस्त रवि ने प्लान बनाया की क्यों न इनका सदुपयोग किया जाए।  हिमाचल के बारे में पढ़ते पढ़ते अचानक मेरी नजर एक आर्टिकल पर पड़ी जिसमे हिमाचल प्रदेश के जिला किन्नौर के छितकुल का जिक्र था।  फिर क्या बुलेट की सर्विस करवाई गर्म कपडे  जरुरत का सामान बैग में पैक किया और निकल पड़े दिल्ली से किन्नौर के सफर पर।

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दो पहिए जो ले गए जन्नत की ओर



शिमला तक तो पहले भी गए ही थी उसके आगे जो हमारा पहला पड़ाव  था वो था रामपुर बुशेहर।  अब हम ठहरे फक्कड़ सन्यासी सस्ते में विस्वास रखने वाले धर्मशाला में रात गुजारी सुबह माँ भीमाकाली का आशीर्वाद लेने सराहन पहुँच गए।  वहां के लोगों से बात करने पर पता चला इस मंदिर का सबन्ध महाभारत काल से है।  काष्ठ कला का अलग ही नमूना यह मंदिर पहाड़ी शैली में बना है और अपने आप में अनूठा है।  वहां का वातावरण एकदम सुन्दर और शांत।  जैसे ही बाहर आए पारम्परिक वेशभूषा पहने हुए पहाड़ी औरतों ने घेर लिया और होली पर रंग लगाने को कहा।  एक तो होली का पर्व मैं ठहरा इसका शौकीन जम के होली खेली और आगे बढ़ गए।

एक तरफ खड़ा शांत पहाड़ दूसरी तरफ शोर मचाती मचलती सतलुज और बीच में सर्पीली सड़क पर हम चले जा रहे थे की एक भव्य गेट  दिखा।  यह किन्नर प्रदेश भोलेनाथ की धरती किन्नौर का प्रवेश द्वार था।
 एक बात की दाद मैं हिमाचल प्रदेश की सरकार को देता हूँ की इन पहाड़ों और विपरीत परिस्थितियों के बीच भी जहाँ तक हो सकता था सड़क की गुणवत्ता बरकरार रखी गई थी।  परन्तु जैसे ही कड़छम पहुंचे मन दुःखी हो गया देखा सारा पहाड़ सड़क पर और निकलने का कोई रास्ता आगे नहीं।  तभी एक मुसाफिर ने बताया की नीचे से नई सड़क बनी है।  करीब दो महीने से लैंड स्लाइड के कारण रास्ता बंद था।  आगे चलकर एक चौराहे से हमने सांगला का रूख किया।
सतलुज की अविरल धारा

गरूर के साथ सफेद चादर ओढ़े खड़े  पर्वतराज हिमालय का असली रूप अब दिखने लगा था। ऊबड़ खाबड़ रास्ते से होते हुए थकान भी अब हावी होने लगी थी की एक पहाड़ की ओट से जैसे आगे मोड़ मुड़ा तो जो देखा हम अवाक रह गए अद्भुत नैसर्गिक शांत एक घाटी सामने थी यह सांगला घाटी थी।  वहां की हवा में एक संगीत था।  हर तरफ ताज़गी का एहसास था।  हमने रात इसी जन्नत में गुजारने का फैसला लिया।

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चलना ही जिंदगी है

अगले दिन हम आगे बढे रकछम गावँ में मार्च महीने में भी बर्फ का दिखना हमारे लिए अजूबे से कम नहीं था।  रास्ते में हम रुके लोगों से बात करी उनका रहन सेहन जाना और पहुंचे  छितकुल  उस बॉर्डर की तरफ से भारत का  आखिरी  गांव।  सुंदरता की हद कहाँ तक हो सकती है यह छितकुल गांव को देख कर समझा जा सकता है।  ऐसे जगह जिसकी कल्पना हम स्वप्नों में करते हैं यह उस से भी परे था।

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मेरे मुल्ख का एक कोना



वहां फौजी भाई लोगों से भी बात हुई।  उन्होंने हमें चाय पिलाई हमने उनके साथ भी गपशप की।  और अगली सुबह इस जन्नत को भारी मन से विदा कहते हुए रास्ते के हर मोड़ को फिर आने का वादा करते हुए अठखेलिया करती हुई सतलुज के साथ साथ हम भी रामपुर शिमला और फिर दिल्ली की ओर आ गए। हिमाचल प्रदेश और किन्नौर के बारे में मैं बस यह कहना चाहूंगा की पहाड़ का मजा मंजिल में नहीं सिर्फ सफर में है चलते जायो और यहाँ की ताज़ा हवा ,  खूबसूरती के साथ बहते जाओं

 “लेखक मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुजफरनगर  जनपद के रहने वाले हैं और हिमाचल प्रदेश से विशेष लगाव रखते हैं ” 

प्रवर्तन निदेशालय के पास हैं वीरभद्र सिंह को गिरफ्तार करने लायक सबूत!

इन हिमाचल डेस्क।।

हिमाचल प्रदेश के सीएम वीरभद्र सिंह पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। इंग्लिश अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जांच के दौरान सबूत मिले हैं कि वीरभद्र सिंह ने आय से अधिक संपत्ति इकट्ठा करने के मामले में अपना बचाव करने के लिए फर्जीवाड़ा किया है।

TOI के मुताबिक ED का मानना है कि ये सबूत काटे नहीं जा सकते। जांच के दौरान सामने आया है कि वीरभद्र सिंह ने डॉक्यूमेंट्स के साथ छेड़छाड़ की और पिछले डेट्स के स्टाम्प पेपर बनवाकर सेब के व्यापारियों से बैक डेट पर अग्रीमेंट बनाए। इससे इनकम में अचानक आए उछाल को जस्टिफाई करने की कोशिश की गई।

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गौरतलब है कि इनकम टैक्स के छापे पड़ने के बाद सीएम ने  2008-09 से 2011-12 की ड्यूरेशन के लिए संशोधित रिटर्न फाइल किया था। छापों से पहले वीरभद्र ने 2011 में अपनी आमदनी 47.35 लाख बताई थी, मगर जांच शुरू होने के बाद उन्होंने यह 6.57 करोड़ बताई।

वीरभद्र आय से अधिक संपत्ति मामले में पहले से ही सीबीआई की जांच के दायरे में है। उन्हें मनी लॉन्डरिंग के अलावा कागजात से छेड़छाड़ के मामले में भी अरेस्ट किया जा सकता है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ सुधीर शर्मा के खिलाफ बना एक पोस्टर

धर्मशाला।।

हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा के खिलाफ डाला गया एक पोस्टर वायरल हो गया है। विभिन्न पेजों और व्यक्तियों द्वारा इस पोस्टर को शेयर किया जा रहा है। इस पोस्टर में सुधीर शर्मा से सवाल पूछा गया है कि आप केंद्र की योजनाओं पर अपनी फोटो लगवाकर बैनर क्यों बनवा रहे हैं।गौरतलब है कि सुधीर शर्मा को धर्मशाला नगर निगम चुनावों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह यहीं से विधायक भी हैं। माना जा रहा है कि इस दौरान हो रही राजनीति के तहत ही यह पोस्टर शेयर किया जा रहा है। इसके साथ ही यह सवाल भी पूछा गया है कि जोगिंदर नगर को फ्री वाई-फाई देने का वादा कहां गया।

SUdhir Sharma

इस पोस्टर में NULM योजना का जिक्र किया गा है। साथ ही कहा गया है कि राज्य सरकार के कार्यों का भी बोर्ड बनवाया जाए। वादे पूरे न करने का भी आरोप लगाया गया है। नीेचे इस पोस्टर वाली ही एक पोस्ट इंबेड की गई है।

सुधीर शर्मा जबाब दो ।
Posted by Pavan Rana on Friday, March 25, 2016

हिमाचल के जागरूक युवाओं के लिए खास मंच: Youth In Himachal

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इन हिमाचल एक अलग तरह की सीरीज़ लेकर आ रहा है। हिमाचल प्रदेश के युवा अपने राज्य के जुड़े विषयों पर क्या सोचते हैं, यह सीरीज़ इसी के बारे में होगी। हम विभिन्न विषयों को लेकर प्रदेश के विवेकशील युवाओं से फेसबुक के जरिए सवाल पूछेंगे और उसपर उनकी राय मांगेंगे। सवाल हिमाचल प्रदेश की समस्याओं से जुड़ा हो सकता है, राजनीति से जुड़ा हो सकता है, कला या संस्कृति से जुड़ा हो सकता है या हस्तियों पर हो सकता है। 
Youth-in-Himachal
दरअसल यह कोई जनरल नॉलेज का टेस्ट नहीं होगा। बस विचार जाने जाएंगे। फिर हम उन विचारों को तस्वीर के साथ अपने पेज पर शेयर करेंगे। उस तस्वीर के नीचे प्रदेश के जागरूक युवा कॉमेंट करके बहस को आगे बढ़ाएंगे। वे अपनी सहमतियां या असहमतियां कॉमेंट करके जताएंगे। इस तरह से हमारा इरादा न सिर्फ प्रदेश को लेकर व्यापक समझ पैदा करना है, बल्कि समस्याओं और मुद्दों को सार्थक दिशा देना भी है। इस सीरीज़ की पहली कड़ी सोमवार को प्रकाशित की जाएगी।
पाठक खुद भी किसी मामले पर अपनी राय जाहिर कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर #YouthInHimachal हैश टैग के साथ कोई पोस्ट डालनी होगी। ध्यान रहे, पोस्ट की प्रिवेसी सेटिंग Public होनी चाहिए। आप इस तरह की पोस्ट को हमारे फेसबुक पेज www.facebook.com/inhp.in पर भी पोस्ट कर सकते हैं। हम खुद अच्छी पोस्ट्स के विषयों को उठाकर अपने पेज पर पब्लिश करेंगे।

बी जे पी नारी एवं युवा शक्ति विंग की सरदारी कांगड़ा को !

इन हिमाचल डेस्क।
मिशन 2017 की तैयारी में जुडी  हिमाचल प्रदेश बी जे पी पिछली बार की तरह इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।  इसी फेरहिस्त में पार्टी संगठन ने  जिला कांगड़ा को ख़ास तवज्जो देने का फैसला किया है।   गौरतलब है की पिछली बार कांगड़ा में पार्टी को आपसी गुटबाजी के कारण कांगड़ा से सत्ता से बाहर होना पड़ा था।
पार्टी इस बार इस तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती इसलिए फूंक फूंक कर कदम रख रही है इसी कड़ी में।  कांगड़ा को तवज्जो देते हुए यह फैसला लिया गया है की।  महिला मोर्चा की सरदारी के साथ युवा मोर्चा की सरदारी भी कांगड़ा को दी जाए।
महिला मोर्चा की अद्यक्ष के लिए पूर्व छात्र नेता एवं 90 के दशक से पार्टी से जुडी रहीं तेजतर्रार महिला नेत्री ” इंदु गोस्वामी”  के नाम को लगभग फाइनल माना जा रहा है।  इंदु गोस्वामी बैजनाथ हलके से सबंध रखती हैं और लम्बे अनुभव के साथ पार्टी संग़ठन में उनकी खासी पकड़ मानी जाती रही है।

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इंदु गोस्वामी
युवा मोर्चा की बात की जाए तो कांगड़ा से विशाल चौहान का नाम भी लगभग तय ही है।  विशाल चौहान भी छात्र नेता रहे हैं और अभी युवा मोर्चा में सक्रिय पदाधिकारी हैं।  हालाँकि उनके ऊपर जिम्मेदारी भी काफी  रहेगी क्योंकि अंदरखाते कहा जाता रहा है की  अनुराग ठाकुर और नरेंद्र  अत्त्री के बाद  मोर्चा के अद्यक्ष बने वर्तमान अध्य्क्ष सुनील ठाकुर अनुराग एवं अत्री   के स्तर का कार्य नहीं कर पाए हैं।  युवा मोर्चा की पकड़ युवायों में कुछ वर्षों में ढीली हुई है।  पार्टी के ही एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की वर्तमान अध्य्क्ष के दौर में युवा मोर्चा सिर्फ शिमला तक ही सीमित रह गया है जिसे फैलाव देने की आवश्यकता है।  अब विशाल चौहान इस जिम्मेदारी को कैसे निभाते हैं यह भविष्य के गर्भ में छुपा है।

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विशाल चौहान

किसी के साथ जबरदस्ती होली खेलना आपको जेल पहुंचा सकता है

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इन हिमाचल डेस्क।।
होली पर लोगों की जुबान पर ‘बुरा न मानो होली है’ का जुमला चढ़ा रहता है, मगर किसी का बुरा मानना आपको जेल तक पहुंचा सकता है। किसी की इच्छा के खिलाफ जाकर उससे जबरन होली खेलना आपको जेल पहुंचा सकता है। किसी पर जबरन रंग डालना, पानी गिराना, पानी के गुब्बारे फेंकना और उसे किसी भी तरह से परेशान करना न सिर्फ गलत है, बल्कि इसके लिए कानूनन सजा भी मिल सकती है।
देखने को मिलता है कि होली के कई दिन पहले से ही लोग अपने घरों में छिपकर नीचे सड़क से होकर आ-जा रहे लोगों पर पानी के गुब्बारे फेंकते रहते हैं। ऐसा करने वालों में बच्चों की तादाद ज्यादा होती है मगर पैरंट्स भी चुपचाप खड़े यह सब देखकर मजा लेते रहते हैं। होली के बहाने अक्सर कुछ किशोर लड़कियों को ज्यादा टारगेट बनाकर रखते है। लेकिन यह सब करना महंगा पड़ सकता है। अगर आपकी किसी हरकत से किसी को चोट पहुंचती है या उसे असुविधा होती है, तो वह आपको कोर्ट ले जा सकता है, जहां से आपको कड़ी सजा मिल सकती है।
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साभार; CNN
ईस्ट ऑफ कैलाश में रहने वाले अटल गुलानी बताते हैं कि पिछले साल होली से एक दिन पहले उन्हें खबर मिली कि उनके दोस्त का ऐक्सिडेंट हो गया है। वह जैसे ही हॉस्पिटल जाने के लिए अपनी बाइक पर निकले, किसी ने उनपर पानी से भरा गुब्बारा फेंक दिया। यह गुब्बारा सीधा उनकी आंख में आकर लगा और वह बाइक से गिरकर घायल हो गए और कलाई में फ्रैक्चर आ गया।
इसी तरह से अमर कॉलोनी के एक गर्ल्स पीजी में रहने वाली रिचा वर्मा को होली से नफरत हो चुकी है। वह बताती हैं, ‘पिछले हफ्ते मैं रिक्शा पर ऑफिस से लौट रही थी। जैसे ही मैं गली में दाखिल हुई, सड़क के दोनों ओर बने घरों से पानी भरे गुब्बारों की बरसात होने लगी। ये सब करने वाले 13-14 साल के लड़के थे। मैं उन्हें रोकती रही, लेकिन वे दूर से गुब्बारे फेंकते रहे। मैं पूरी तरह से भीग चुकी थी। रोना सा आ रहा था। इन लड़कों के पैरंट्स उन्हें रोकने के बजाय वहां पर खड़े हंस रहे थे।’
जो कुछ अटल और रिचा के साथ वह हुआ, वह गलत होने के साथ-साथ गैरकानूनी भी था। अगर उन्होंने पुलिस से इसकी शिकायत की होती उनके साथ ऐसी हरकत करने वालों को कोर्ट से सजा और जुर्माना दोनों हो सकता था। कानून के जानकार बताते हैं कि होली के नाम पर किसी भी तरह की बदतमीजी कानूनन अपराध है। गुब्बारे फेंकना, अचानक से पानी गिराना, रंग लगा देना या छूना एक तरह से दूसरों को चोट पहुंचाने वाले ऐक्शन है, जिसके लिए आईपीसी में सजा का प्रावधान है। अगर किसी को पकड़कर रंग लगाया जाता है तो मामला और भी गंभीर हो जाता है।
1. अगर रंग, पानी या गुब्बारे फेंकने से किसी को चोट लगती है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 319 के तहत मामला दर्ज हो सकता है। अगर चोट गंभीर हो तो धारा 323 भी लगेगी। इसके साथ ही धारा 268 के तहत सार्वजनिक स्थान पर लोगों के लिए असुविधा पैदा करने का मामला भी लग सकता है।
2. अगर लड़कियों के साथ ये सब हरकतें की जाएं, तो इसे ईव-टीजिंग यानी छेड़छाड़ की कैटिगरी में रखा जा सकता है। इसके लिए आईपीसी की धाराओं 509, 294 और 354 के तहत मामला दर्ज होगा।
 
3. ऊपर सभी बताई गई बातों के अलावा अगर और किसी तरह का नुकसान होता है तो उससे जुड़ी धाराओं का मामला भी दर्ज किया जा सकता है।
 
4. अगर ये सब हरकतें करने वाले आरोपी नाबालिग हैं, तो मुकदमा जुवेनाइल कोर्ट में चलेगा और उनके पैरंट्स को सह-आरोपी बनाया जा सकता है।
 
इसलिए होली उसी के साथ खेलें, जो आपके साथ खेलना चाहता हो। पैरंट्स को भी ख्याल रखना होगा कि उनके बच्चे कुछ ऐसा ही तो नहीं कर रहे, वरना उन्हें खुद भी सह-आरोपी बनना पड़ सकता है। किसी भी व्यक्ति को आपके द्वारा पहुंचाया गया नुकसान कानून की नजर में नुकसान ही है, कम से कम कोर्ट में तो ‘बुरा न मानो होली है’ की दलील नहीं चलेगी।

कार्यकरणी गठन से नाखुश वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता ने अमित शाह को लिखा पत्र



इन हिमाचल डेस्क 

बीजेपी प्रसिडेंट सतपाल सत्ती ने अपनी कार्यकरणी का विस्तार कर दिया है जिसमे कई नए पुराने चेहरों को जगह दी गई है।  कुछ लोग और पुराने कार्यकर्ता अपना नाम न देखकर नाराज भी पाए गए हैं।  जो भी है यह पार्टी का आंतरिक मामला है पर इन हिमाचल को ऐसे ही किसी नाराज वरिष्ठ कार्यकर्ता का मेल प्राप्त हुआ जिसमें उन्होंने अमित शाह को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी अलग ही तरीके से व्यक्त की है। यहाँ आपको हम वो पत्र लिखने वाले की भाषा में ही  दिखा रहे हैं पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया दें

” आदरणीय
श्री अमित भाई शाह जी
राष्ट्रीय अद्यक्ष भारतीय जनता पार्टी

सादर प्रणाम आपके संज्ञान में अवश्य यह बात आई होगी की हिमाचल प्रदेश भाजपा  अध्य्क्ष श्री सतपाल सिंह सत्ती जी ने अपनी कार्यकरणी का गत दिवस गठन कर लिया है।  मेरी तरह और अन्य लोगों की तरह आप देखेंगे तो यह नयी कार्यकरणी सिर्फ पुरानी बोतल में नई शराब की तरह है या यूँ कहें की लक्सेरी बस में बैठे लोगों की बस सीट बदल दी गई है। 
महोदय मैं 1985 से पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता हूँ इससे पहले के विद्यार्थी परिषद के जीवन को तो मैं गिन ही नहीं रहा हूँ।  महोदय मेरे जैसे सैंकड़ों कार्यकर्ता लोगों की  उम्मीद  हर बार की तरह इस बार भी टूट  गयी है की उन्हें भी कभी संग़ठन में किसी पद पर  बिठाया जाएगा।   आखिर हम जैसे लोगों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है हम लोग न पार्टी टिकट चाहते हैं न लाल बत्ती के सपने देखते हैं बस दिन रात पार्टी के कार्यों में लगे हुए हैं की देश में भाजपा का परचम हो।  आखिर हैं तो हम भी इंसान एक चपरासी भी लम्बी नौकरी के बाद सोचता है उसे कलर्क प्रोमोट कर दिया जाए  ऐसे ही हम भी सोचते हैं की  पार्टी सरकार में न सही संग़ठन में ही हमें  जिम्मेदारी सौंपे  पर यहाँ तो हमारा प्रोमोशन चैनल ही अवरूद्ध है।  
 
यहाँ  मास्टर आफ आल हैं  हमारा नंबर आता ही नहीं  जिन्हे विधायक बनना है  वही संग़ठन में भी हैं।  जिन्हे चेयरमैन बनना है वो भी संग़ठन में है।  जनाब  जब यही लोग सब कुछ घूम घूम कर होते रहेंगे तो  हमारा क्या होगा।  
  बहुत क्रांतिकारी विचारों से राजनीति में आए  थे  भले जमाने में पिताजी ने  खेती के दम पर शहर  पढ़ने भेजा था अपने गावं के इकलौते लड़के थे जो  कालेज की देहलीज़ तक पहुंचे थे  पार्टी के लिए मार खाई गावं गावं घूमे पोस्टर लगाए  पढ़ाई लिखाई सब चौपट की।  
उस जमाने में  तुरंत नौकरी लग जाती थी  एक इंटरव्यू  में लगभग फाइनल  काम था  पर जिस दिन इंटरव्यू था उस दिन हम   जोशी आडवाणी के  साथ कारसेवक बनकर आयोध्या पहुँच गए थे।  पिताजी ने बहुत रोका नहीं माने  पार्टी के लिए चले गए।  पर मिला क्या  पाव के पंजे भी घिसट  घिसट के छोटे  हो गए हैं पर हम उस समय भी कार सेवक थे आज भी कार सेवक ही हैं।  मोदी जी तो चाय बेच के प्रधानमंत्री बन गए पर हम तो  चाय बेचने के लायक भी आज नहीं रहे।  
 
इस बारे में  जब बड़े नेता से बात करो तो कहा जाता है की  ” अभी कार्य करते रहिये संग़ठन में जल्द ही आपको लिया जाएगा ”  धूमल साब हमारे सामने सामने  आए  थे सांसद बने  फिर मुख्यमंत्री हो गए  एक दिन पता चला उनका कोई बेटा भी है ” अनुराग ठाकुर ” अभी नाम ही सुना था की वो फुर्र से सांसद भी हो गए और राष्ट्रीय मोर्चा के अद्यक्ष भी बन गए , बरागटा जी का बेटा  आज  सुना है कोई इंचार्ज बना हुआ है  दिल्ली में  , कुल्लू  में पढ़ने वाले गोविन्द ठाकुर हमारे दौर के थे  जब तक हमें शादी के लिए लड़की  मिली तब तक वो  दो बार विधायक  भी हो गए।   रैली के लिए लोगों को ढोते रह गए  गावँ गावं से।  अब तो बीवी भी ताने मारती है  नेता तो तुम क्या बनते पर ठेकदार तक नहीं बन पाए।  जब जब पार्टी की सरकार आई लोगों ने सरकार आने पर  ट्रांसफर करवा के पैसे कमाए  कुछ ठेकदार हो गए  और हम  दीन दयाल जी का   “एकात्म मानवतावाद ”  और शांता कुमार का अंतोदय पाठ  रटते रह  गए।   
 
 
 
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 अंत में  सब तरफ से हारकर  भलेमानस लोगों के कहने पर हमने  भी अपनी शैली बदली  यानी  भाजपा से हटकर  नेता के पीछे लगने लगे  कई  गुट बदले पर कोई मेहरबान नहीं हुआ।    ये शांता जी भी बड़े जालिम निकले  सोचा था कभी हमारा  उद्धार करेंगे पर  इन्हे भी  कपूर  निक्का , परमार  परवीन जी ही भाए।   धूमल जी की आँख में कभी हम सुहाए ही नहीं और नड्डा  जी से जादू की जफ्फी  और प्यारी मुस्कान  के अलावा हमारे हिस्से में कुछ आया नहीं।  
 
महोदय  अब  किसी  छोटे पद  की लालसा  भी करो  तो बड़े नेता प्यार से समझाते हुए कह देते हैं  की ” अरे भाई पुराने आदमी हो पार्टी के अब इस  छोटे पद पर अच्छे थोड़ी लगेगा।  दिल तो करता है यह बोल दे पुराने हैं तो अद्यक्ष क्यों नहीं बना देते  छोटे बड़े के बहाने क्यों बनाते हो जब नहीं देना है कुछ तो सीधे बोलो  / 
  
आज के  विधायकों के और पार्टी के कारदारों के घरों का यह हाल है की  अभी  बाप पीछे हटा नहीं उनके स्कूल जाने वाले बच्चे  सफ़ेद कपडे पहनकर अपनी राजनीति पुष्ट करने में लगे हैं।  युवा मोर्चा तो  भारतीय जनता युवा मोर्चा नहीं  बल्कि  भाजपा  नेता पुत्र  एडजस्टमेंट मोर्चा हो गया है।   महोदय आखिर हममे और कांग्रेस में फिर क्या फर्क रह गया है ? कांग्रेस तो एक  पप्पू को एडजस्ट करने में लगी है।  यहाँ तो सप्पू , टप्पू , नप्पु  झप्पू  आदि बहुत  बच्चे लाइन में हैं।  
1985  से पार्टी मे घिसटते हुए कार्यकर्ता  का टैग लगाये हुए  मेरे जैसे कई लोग अभी भी राज्य कार्यकारणी में नाम आने की राह देख रहे हैं। और कुछ लोग हवाई सफर करते हुए  मीलों आगे चले गए हैं   अब यह टैलेंट है या सेटलमेंट कौन  जाने  
हर बार  कार्यकरणी  बनने से पहले  बड़े नेता लोगों के चक्कर लगाते थे  की इस बार कुछ होगा इस बार पक्का होगा उस बार पक्का होगा परन्तु  अब तो टुकुर टुकुर उम्मीदों को ढोती  यह आँखे भी अंधी हो चली हैं।  
दुखी हूँ पर अनुशाशन का पक्का हूँ।  क्या करूँ पुराना आदमी हूँ  संस्कार समेटे हुए हूँ।  आपको खीज में पत्र लिखा उसमे नाम भी लिख दिया मीडिया को भी दे रहा हूँ पर वहां नाम नहीं दूंगा। नहीं तो बड़े नेता  जो कार से उतरते चढ़ते हुए जरा सा देखकर मुस्कुरा देते हैं नाम ले के पुकार देते हैं तो वो भी बंद हो जाएगा।  अब इसी सहारे तो समाज में टिके हुए हैं।   चार ज्ञान की बाते कहीं चौक पर पेल देते हैं तो लोग सुन लेते हैं की जानकार आदमी है पार्टी का बड़े लोग जानते हैं इसे।  अगर यह भी बंद हो गया तो गावं मोहल्ले में वही इज़्ज़त रह जाएगी जो घर में बीवी  बच्चों के सामने है।  इसलिए मीडिया में  नाम देने का रिस्क नहीं ले सकता 
इसी के साथ  शब्दों को विराम देता हूँ आपके पत्र का इंतज़ार रहेगा।  मेरा वक़्त तो गया पर उम्मीद है मेरी भावनाओं को पढ़कर आप उन नौजवानों के लिए भविष्ये में कोई एंट्री स्कीम पार्टी संग़ठन में लेकर आएंगे जिनका कोई माई बाप गॉडफादर पार्टी में नहीं है।  “
 
धन्याबाद 
 
एक भड़का हुआ  भाजपाई 
पद -कार्यकर्ता 
अनुभव – 31 वर्ष  ” 
 
 
 
 
 
 

आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक से फलों की बागवानी करने लगे है अब लाहौल-स्पीति के किसान

केलांग।।
 
जिला में बागबानी के प्रति युवा किसानों का रुझान बढ़ रहा है और इस क्षेत्र में नए फलदार सेब के पौधे लगाने के साथ-साथ किसानों द्वारा आधुनिक तकनीक को भी अपनाया जा रहा है। जिला में पिछले एक दशक में कई हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में फलदार पौधे लगाए गए हैं और हज़ारों टन सब्जियों का उत्पादन भी दर्ज किया है। पट्टन घाटी के युवा किसान और बागवान आशीष ने बताया कि पिछले दस बर्ष में जिला के हज़ारों हेक्टेयर क्षेत्र में सरकारी मदद और अपने आप किसानों बागवानों ने फलदार सेब के पौधे लगाए हैं और इन पौधों से फलों का उत्पादन शुरू भी हो चूका है। इसी प्रकार कई हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों द्वारा ऑर्गेनिक सब्जियां उगाई गई हैं और इस क्षेत्र में पिछले सालों में टनों के हिसाब से सब्जियों का उत्पादन हुआ है। किसानों द्वारा कई हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती भी की जा रही है और इनसे हज़ारों के हिसाब से स्टीक्स का उत्पादन किया गया है।
 
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जाहलमा गाँव के एक युवा किसान ने बताया कि किसानों को सब्जियों के उत्पादन को वैज्ञानिक और आधुनिक तकनीक के साथ भी जोड़ा जा रहा है। अब तक किसानों द्वारा कई हेक्टेयर क्षेत्र में पोलीहाउस की स्थापना की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि बाकि जिलों में सरकार सब्जी और फल उत्पादक किसानों को विभाग द्वारा प्लास्टिक क्रेट 50 से 80 प्रतिशत अनुदान पर दिए जाते हैं । लाहौल में भी सब्जी उत्पादक किसानों को आधुनिक कृषि के लिए मिनी किट भी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए।
 
उदयपुर उपमंडल के एक युवा किसान वीरेंदर बताते हैं ” कैसे अधिकारी और बड़े अफसरों ने (जिसमें डी सी भी परिवार के साथ शामिल था) किसानों के नाम पर 25-30 लाख खर्च कर हवाई जहाज में सफ़र कर बड़े बड़े स्टार होटलों में केरल घूम कर आये हैं अगर इस पैसे से लाहौल के किसानों को हिमाचल और पंजाब में स्थित एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी या हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी में ट्रेनिंग देते तो कुछ लाभ होता मगर अफसरों ने नेताओं के चमचों के साथ किसानों का पैसा मौज मस्ती में उड़ा लिया, हैरानी पूछने वाला कोई नहीं है।”
 
किसानों ने मांग की है की आलू और मटर के बीज पर सरकार को अनुदान देना चाहिए और बागबानी अधिकारियों को निर्देश दिए जाने चाहिए कि वे जिला में सेब,अखरोट व भौगोलिक स्थिति में मुताबिक अन्य फलों के बाग लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करें।
उन्होंने यह भी कहा कि बागवानी अधिकारी अधिक से अधिक किसानों को संपर्क करें और उनके बीच बैठकर विभाग की योजनाओं की जानकारी दें और उन्हें फलों और सब्जियों की आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक अपनाने के लिए भी प्रेरित करें।