राजनीति चमकाने के लिए लोगों को गुमराह कर रहे हैं गोकुल बुटेल?

  • आई.एस. ठाकुर ।।
पालमपुर से एक शख्स खुद को युवा नेता के तौर पर प्रॉजेक्ट कर रहा है। और तो और, लोग भी उसे हाथोहाथ ले रहे हैं। उसकी हर पोस्ट पर वाह-वाही कर रहे हैं और उसे पालमपुर का भविष्य बता रहे हैं। पालमपुर से विधायक बनने का सपना देख रहा यह शख्स रोज नए-नए दावे करता है और उसके फेसबुक फ्रेंड बिना उन दावों की सचाई जांचे कहते हैं- वाह भाई, क्या शानदार विजन है आपका।
बात गोकुल बुटेल की हो रही है, जो मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार हैं। हाल ही में उन्होंने पालमपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और लगभग हर अखबार ने उसे छापा। किसी भी पत्रकार या अखबार ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि इन दावों में कितनी सच्चाई है। खबर है आईटी पार्क की। कुछ अखबारों ने लिखा है कि कांगड़ा जिले में बनेगा आईटीपार्क, कुछ ने लिखा है कि पालमपुर में बनेगा। कुछ ने लिखा है- 6 माह में होगा काम शुरू। खुद गोकुल ने लिखा है-
‘Announced the upcoming STPI (Software Technology Park of India) IT Park at District Kangra potentially at Bindraban, Jia or Gaggal.’
इस पर लोगों के कॉमेंट आए- वाह गोकुल भाई, आप पालमपुर का अच्छा नेतृत्व कर रहे हैं। कुछ ने लिखा- पालमपुर का भविष्य गोकुल, क्या विज़न है। मगर गोकुल का यह दावा और उनके प्रशंसकों की वाहवाही बहुत ही हास्यास्पद है। सच यह है कि कांगड़ा जिले में आईटी पार्क की स्थापना की चर्चा 2010-11 से चल रही है और इसके लिए जमीन के चयन से लेकर शिलान्यास तक की खबरें आपने पढ़ी होंगी। जिस आईटी पार्क के ऐलान का दावा गोकुल कर रहे हैं, उसके बारे में सच यह है-

– 15 मई, 2013 यानी आज से 3 साल पहले 400 बीघा भूमि का चयन हुआ।

– 13 फरवरी, 2014 को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आईटी पार्क का शिलान्यास किया।

फिर अब काहे का ऐलान और प्रदेश का मीडिया क्यों इस खबर को सुर्खियां दे रहा है? कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि ये सभी खबरें पेड न्यूज हैं। बहरहाल, मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता, क्योंकि बिना सबूत के बातें नहीं करनी चाहिए। फिर भी इतना तो है कि एक ही पक्ष दिखाकर लोगों को भ्रमित करना गलत है।
सच यह भी है कि गोकुल बुटेल के पास कोई अधिकार नहीं कि वह किसी तरह का ऐलान करें। वह मुख्यमंत्री के सलाहकार हैं, जिसका काम मुख्यमंत्री के साथ मशवरा करना और सुझाव देना है। आईटी सलाहकार का पद वैसे भी तुष्टीकरण वाला पद है, जिसका कोई औचित्य नहीं और उनसे पहले हिमाचल में इस पद पर रहा भी नहीं। अमूमन मीडिया, राजनीतिक आदि सलाहकरों की नियुक्ति की जाती है, ताकि वे मुख्यमंत्री निजी तौर पर ब्रीफ कर सकें और ग्राउंड स्थिति से वाकिफ करवाएं।
Gokul Butail
Gokul Butail (Courtesy: Facebook Timeline of Gokul Butail)
आईटी सलाहकार का पद ही इसलिए सृजित किया गया, ताकि वीरभद्र सिंह पालमपुर से अपने खासमखास नेता के पोते को अडजस्ट कर सकें। जी हां, गोकुल बुटेल के दादा कुंज बिहारी लाल बुटेल 2 बार पालमपुर से विधायक रहे हैं और कांग्रेस के सीनियर नेता रहे हैं। मौजूदा विधायक और विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल उनके दादा के भाई हैं। बुटेल परिवार पालमपुर के सबसे संपन्न परिवारों में है और इनके कई एकड़ में चाय के बागान हैं। गोकुल अमेरिका से पढ़कर लौटे और मुख्यमंत्री ने आईटी सलाहकार बना दिया।
मुख्यमंत्री के पास अधिकार है कि वह अच्छे शासन के लिए किसी को भी इस तरह के पद पर नियुक्त करे। मगर गोकुल बुटेल ने ऐसे कामों का क्रेडिट लेने की कोशिश की, जो उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं थे। उदाहरण के लिए आईटी पार्क तब की बात है, जब गोकुल अमेरिका में पढ़ रहे थे। लोग कई अन्य योजनाओं का श्रेय भी गोकुल को दे रहे हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि ई-राशन कार्ड योजना केंद्र सरकार द्वारा प्रमोटेड है, जिसे खाद्य आपूर्ति मंत्रालय ने प्रदेश में शुरू किया था। जगह-जगह पर फ्री वाई-फाई भी कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है।

अगर आप सामान्य योजनाओं का क्रेडिट ले सकते हैं तो महत्वपूर्ण नाकारियों का जिम्मा भी आपको उठाना होगा। हिमाचल प्रदेश सरकार की वेबसाइट दुनिया की सबसे वाहियात साइट्स में है। इस दौर में, जब 60 फीसदी से ज्यादा इंटरनेट यूजरबेस मोबाइल पर शिफ्ट हो गया है, हिमाचल सरकार की वेबसाइट मोबाइल फ्रेंडली नहीं है। यानी मोबाइल पर इस्तेमाल करने के हिसाब से सुविधाजनक नहीं, बल्कि डेस्कटॉप वर्जन खुलता है, जिसमें सूक्ष्मदर्शी यंत्र की मदद से ही कोई चीज़ें पढ़ सकता है. इसे इस्तेमाल करना बड़ी चुनौती है।

Gokul

मुख्यमंत्री कार्यालय से गवर्न होने वाले ई-समाधान की हालत खस्ता है। लोग परेशान हैं शिकायतें करते-करते, कई बार जवाब नहीं आता। अन्य सरकारी वेबसाइटों की हालत भी कमाल ही है।

जहां तक बात है प्रदेश में कंप्यूटर शिक्षा की, वह केंद्र की योजना है और गोकुल जब स्कूल में थे, तभी से चल रही है। तमाम सरकारी विभागों को इंटरनेट से जोड़ना भी केंद्र की योजना है। यूपीए सरकार के वक्त से इसका काम चल रहा है और मोदी सरकार भी इस पर जोर दे रही है। जितनी भी योजनाएं गोकुल ने पालमपुर में गिनाईं, कमोबेश सभी केंद्र की योजनाएं और सभी राज्यों में इस दिशा में काम चल रहा है और कुछ राज्य आगे बढ़ चुके हैं।
सतही दावों पर वाहवाही करने वाले वही लोग हैं, जो वैसे तो समस्या होने पर गालियां देते हैं कि सिस्टम खराब है। जो कहते हैं कि परिवारवाद हावी है और कुछ ढंग का काम नहीं हो रहा। वही ऐसे अचानक अवतरित हुए लोगों का समर्थन करने लगते हैं और उनकी हर बातों पर दावा करते हैं। नेताओं के दावों पर यकीन करने वाले अनपढ़ लोगों और आप जैसे पढ़े-लिखे लापरवाह लोगों में कोई फर्क नहीं है।
गोकुल कहते हैं कि पार्टी लड़ाएगी, तो लड़ूंगा। 2 साल पहले कहीं बाहर से आकर वही शख्स ऐसा दावा कर सकता है, जो राजनीतिक परिवार से हो। वरना 20 सालों से पालमपुर में कांग्रेस के लिए काम कर रहा मेहनती कार्यकर्ता क्यों ऐसी बात नहीं कह पा रहा? राजनीति में रसूख का खेल जारी है, गोकुल बुटेल उसी का एक प्रमाण है। लोगों की आंखों में पट्टी बंधी है। उन्हें प्रभावशाली लोग पसंद हैं, मेहनती लोग नहीं। कोई हैरानी नहीं होगी कि कल को गोकुल विधायक भी बन जाएं। मेरी तरफ से गोकुल और पालमपुर के लोगों के लिए शुभकामनाएं।
(लेखक मूलत: हिमाचल प्रदेश के हैं और पिछले कुछ वर्षों से आयरलैंड में रह रहे हैं। उनसे kalamkasipahi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

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