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Sunday, September 14, 2025
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एग्ज़ाम में फेल हुए या कम नंबरों से पास हुए छात्रों और उनके पैरंट्स के नाम एक ख़त

आई.एस. ठाकुर।।

सबसे पहले तो हिमाचल प्रदेश के बोर्ड एग्ज़ाम्स में पास होने वालों को बधाई और साथ ही इन हिमाचल को भी, जिसने इस बार दसवीं के टॉपर्स की कोई फोटो नहीं डाली। दरअसल मेरे लिए यह खबर अहमियत नहीं रखती कि किसने टॉप किया और कितने नंबर लाए। मेरे लिए वह खबर झकझोर देने वाली थी, जिसमें पढ़ा कि एक बच्ची ने नंबर कम आने पर खुदकुशी कर ली। वही नहीं, हर साल न जाने कितने ही बच्चे कम नंबर आने पर डिप्रेशन में चले जाते हैं और इस तरह के कदम उठाते हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि मेरिट में आने वाले बच्चे बधाई के पात्र हैं और उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। इसके लिए उन्होंने जो मेहनत की है, उसके लिए वे इस लाइमलाइट के हकदार भी हैं। मगर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इसी लाइमलाइट को देखते हुए कुछ पैरंट्स अपने बच्चों से भी ऐसी ही उम्मीदें पालने लगते हैं। वे अपनी इच्छाएं और सपने अपने बच्चों पर थोप दिया करते हैं। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे भी शानदार नंबर लाएं और इस तरह उनका ”नाम रोशन” करें।

बहुत से पैरंट्स इसके लिए अपने बच्चों को हर वक्त पढ़ने के लिए कहते हैं। कुछ बच्चे तो पढ़ाई में रम जाते हैं, लेकिन जिस तरह हाथ की पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं, सभी बच्चों की नेचर एक जैसी नहीं होती। हर कोई पढ़ाई में उतना तेज नहीं होता। हो सकता है कि किताबें पढ़ने में उसकी रुचि न हो, मगर वह किसी अन्य मामले में बहुत होशियार हो। हो सकता है कि वह गणित में उतना अच्छा न करता हो, मगर भाषा और साहित्य पर उसकी पकड़ अच्छी हो। हो सकता है उसकी साइंस में रुचि न हो, मगर इतिहास में बड़ा मन लगता हो। हो सकता है वह इस सब के इतर खेलकूद में ज्यादा रुचि रखता हो। इस तरह के बच्चे बार-बार पढ़ाई के लिए कहे जाने पर प्रेशर में चले जाते हैं। न तो वे अपना मनपसंद ही कुछ पाते हैं औऱ न ही पढ़ाई में ही अच्छा कर पाते हैं।
कई पैरंट्स को तो मैंने देखा है कि वे अपने बच्चों के अंकों की तुलना अन्य रिश्तेदारों के बच्चों के अंकों से करते हैं। वे अपने बच्चों का डांटते हैं, उसे सजा देते हैं और कई बार पिटाई भी करते हैं। सोचिए, बाल मन पर इसका क्या असर पड़ता होगा। साथ ही हमें यह भी समझना होगा कि बहुत ज्यादा अंक लाने बच्चों में से कुछ ”पढ़ाकू” और ”रट्टामार” भी होते हैं। भले ही वे इस तरह की परीक्षाओं में नंबर ले आते हों, मगर उनका व्यवहारिक ज्ञान ज़ीरो होता है।  इस तरह के अंक लाने का फायदा भी क्या है?आपने देखा होगा कि बहुत नंबर लाने वाले बच्चे आगे चलकर कई बार फिसड्डी भी साबित होते हैं तो कई बार औसत प्रदर्शन करने वाले बच्चे आगे चलकर बहुत कामयाब हो जाते हैं।
मेरी गुजारिश है अध्यापकों, अभिभावकों और पत्रकारों से कि मेरिट और ज्यादा नंबर लाने को इस तरह से ग्लैमराइज न करें। और अपने बच्चों को नंबर लाने के बजाय उसकी रुचि को समझें। देखें कि वह क्या करना चाहते हैं। उस ओर ज्यादा ध्यान दें। पढ़ाई पर भी ध्यान दें, मगर उसकी रुचि का ख्याल रखें। अगर बच्चा अपनी मर्जी से कुछ कर रहा होगा तो पढ़ने में भी वह जरूर ध्यान देगा। उसे ज्यादा नंबर लाने वाले बच्चों का नहीं, उन लोगों का उदाहरण दीजिए जो जीवन में कामयाब हैं। उन्हें बताइए कि वे कैसे उस स्तर तक पहुंचे। साथ ही बच्चों को अपनी इच्छा के हिसाब से सब्जेक्ट न पढ़ाएं। उससे पूछें कि रुचि किसमें है। जबरन डॉक्टर या इंजिनियर बनाने की न सोचें। अब दौर गया कि यही दो प्रफेशन थे। अब हजारों प्रफेशन हैं, जहां पर सम्मान और खूब पैसे वाली नौकरियां मिलती हैं। बच्चों को बच्चे ही रहने दें, उन्हें मशीन न बनाएं।

सबूत: इसलिए हुआ जोगिंदर नगर बस हादसा, कोई ऐक्शन लेगा?

  • आई.एस. ठाकुर
  • मंडी जिले के जोगिंदर नगर में बस हादसे की खबर ने हिलाकर रख दिया। खासकर उस तस्वीर में, जिसमें एक बच्चे का शव फर्श पर गिरा हुआ था। पिछले दिनों मैं भारत आया हुआ था और कांगड़ा से जोगिंदर नगर होते हुए मनाली गया था। सड़क की हालत ऐसी थी कि खुद हमारी गाड़ी कई जगहों पर हादसों की शिकार होने से बाल-बाल बची। जोगिंदर नगर से मंडी की सड़क की हालत तो ऐसी है कि इससे बेहतर कच्ची सड़क ही होती। मगर कच्ची सड़क के अलावा और भी चीज़ें देखने को मिलीं, वे थीं मोड़ों पर की गई बेतरतीब खुदाई या फिर पत्थरों के ढेर। कई जगहों पर पेड़ों की टहनियां सड़क पर झुकी हुई हैं तो कई जगहों पर रिफ्लेक्टर नहीं लगे। रात को गाड़ी चलाते वक्त रिफ्लेक्टर न होने पर आप सीधे खाई से नीचे गिरेंगे, इसकी संभावनाएं ज्यादा हैं।पढ़ें: हिमाचल में कब तक होती रहेंगी सड़क दुर्घटनाएंमैंने जोगिंदर नगर हादसे की खबर आने के बाद पड़ताल करना शुरू किया तो पाया कि जोगिंदर नगर में पिछले कुछ महीनों में दर्जन भर सड़क हादसे हो चुके हैं और इतने ही लोग जान भी गंवा चुके हैं। कई जगहों पर तो परिवार के परिवार खत्म हो गए। अधिकतर जगहों पर हादसों की वजह थी- खराब सड़कें। यानी PWD विभाग द्वारा आधी-अधूरी बनाई गई सड़कें या फिर गलत ढंग से बनाई गई सड़कें। आप यकीन नहीं करेंगे कि कुछ जगहों पर तो खड़ी ढलान पर सड़क बना दी गई है। जिस किसी अधिकारी ने उस सड़क को बनाने की परमिशन दी होगी या तो उसने भांग खाई होगी या फिर वह नंबर वन नालायक रहा होगा। इन बातों पर बाद में आएंगे, पहले देखते हैं कि जोगिंदर नगर में बस खाई में क्यों गिरी। नीचे दिख रही तस्वीर पर जरा गौर करें-

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    यहीं से नीचे गिरी थी बस। (साभार: फेसबुक)
    यही वह जगह है, जहां से पास लेते वक्त धर्मशाला से रिकॉन्गपिओ जा रही बस खाई से नीचे गिर गई।- आप देख सकते हैं कि इस जगह पर पहले सड़क चौड़ी है और फिर अचानक चौड़ाई खत्म हो गई है।- यहां पर लोगों के पैरों के नीचे आपको नाली खुदी हुई दिख रही होगी।- सड़क किनारे कोई पैरापिट और रिफ्लेक्टर (जो लाइट पड़ने पर चमकते हैं) नहीं हैं।- सड़क की हालत भी खस्ता है।यह सही है कि ड्राइवर ने अधीरता दिखाते हुए गलत जगह पर पास लेने की कोशिश की। मगर उसने पहले चौड़ी जगह देखी होगी और इसी वजह से यह फैसला लिया होगा। मगर कंडक्टर ने बताया है कि जैसे ही पास लेने की कोशिश की, बस दाहिनी तरफ को झुकी और खाई में गिर गई। साफ है कि बस के दाहिनी तरफ के टायर इस नाली में गिरे और बस एक तरफ झुक गई। फिर जब तक ड्राइवर ने संभले की कोशिश की, आगे सड़क खत्म हो गई और बस सीधे नीचे जा गिरी। दिन में तो अंदाजा हो जाता है कि सडक कहां खत्म हो रही है और कहां पर खाई है। मगर रात को रिफ्लेक्टर या चूने वाले पत्थर न हों तो पता नहीं चलता। इसी वजह से ड्राइवर ने गलत जगह पर पास लेने की कोशिश की।साथ ही आप ये जो नाली देख रहे हैं, दरअसल यह ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) बिछाने के लिए की गई खुदाई है। नियम कहते हैं कि सड़क पर ढांग की तरफ केबल नहीं बिछाए जा सकते, उन्हें सिर्फ वैली साइड में बिछाया जा सकता है। मगर इस जगह पर केबल को दाहिनी तरफ यानी ढांक की तरफ बिछाया गया था, जो नियमों का साफ उल्लंघन है। यही नहीं, केबल बिछाने के बाद सही से लेवलिंग (भरान) नहीं की गई थी, जिस वजह से नाली बन गई थी। इसमें रात को क्या, दिन में भी कोई बस हादसे की शिकार हो सकती है।- क्या PWD विभाग की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह केबल बिछाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे?-  क्या PWD विभाग खुद दोषी नहीं है, जो सड़कों के पैचवर्क और इसका ख्याल रखने के लिए उत्तरदायी है?- क्या इन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी या अब तक हुए हजारों हादसों के बाद इस हादसे को भी भगवान की मर्जी समझकर और मुआवजा बांटकर भुला दिया जाएगा?दरअसल हम कभी ऐसे हादसों पर सख्त कदम नहीं उठाते और इसी वजह से लापरवाहियां होती हैं। मैं दुनिया के कई देशों में देख चुका हूं कि सड़कों को लेकर वे बड़े संजीदा होते हैं। कहीं पर भी बिना प्लैनिंग और सही तैयारी के सड़कें नहीं बनतीं। काम होता है तो प्रॉपर होता है। केयर प्रॉपर होती है और हादसे होने पर जांच होती है और जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलता है और सजा भी होती है। मगर अपने यहां कोई कुछ नहीं पूछता। और जो लोग कहते हैं कि आप हमेशा बाहर का उदाहरण देकर भारत को नीचा दिखाते हैं, उन्हें पहले ही कह दूं कि सच को स्वीकार करना चाहिए और दूसरों की अच्छाइयों को अपनाना चाहिए।क्यों आज तक किसी भी हादसे के कारणों को ढूंढने की कोशिश नहीं की गई और क्यों आज तक किसी को दोषी नहीं पाया गया और क्यों सजा नहीं हुई? यही रवैया है कि सड़कें बनाने वाले इंजिनियर अपने दफ्तरों में मौज काटते हैं और अनपढ़ लेबर और मेट वगैरह के हाथों जिम्मा दे देते हैं। न तो वे चेकिंग करते हैं कि क्या बन रहा है, न कोई सुझाव देते हैं। इसीलिए कहीं पर ढलान में सड़क बन जाती है तो कहीं पर बैंकिंग गलत कर दी जाती है। क्योंकि इन बाबुओं को पता है कि कुछ भी हो जाए, इन पर कोई आंच नहीं आने वाली। सरकारें मुआवजा देंगी और अपने राजनीतिक दांव-पेंच में लग जाएंगी। इस मामले में भी ऐसा ही होगा। सबूत सामने हैं, मगर सब कोई आंखें मूंदकर बैठे रहेंगे।(लेखक हिमाचल प्रदेश से संबंद्ध रखते हैं और इन दिनों आयरलैंड में हैं। उनसे kalamkasipahi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

    पालमपुर बाइकर क्लब ने स्वच्छ्ता के लिए बाइक रैली से दिया सन्देश

    इन हिमाचल डेस्क
    समाजसेवा एवं पर्यावरण सरंक्षण के क्षेत्र में पालमपुर क्षेत्र में पहचान बना चुके  युवा प्रोफेसनल युवकों के संगठन पालमपुर बाइकर क्लब ने स्वछता के प्रति जागरूकता का सन्देश देने के लिए पालमपुर कस्बे में बाइक रैली का आयोजन किया।  इस मौके पर बहुत से स्थानीय एवं बाहर से आये लोगों ने भी भाग लिया।
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    ऐतिहासिक न्यूगल कैफे से शुरू हुई यह रैली पुरे शहर का चक्कर लगाते हुए सुभाष चौक पर खत्म हुई।  युवा वर्ग की इस मुहीम को इलाके में सराहा जा रहा है।  गौरतलब है की इस से पहले भी पालमपुर बाइकर क्लब पर्यावरण सरंक्षण ख़ास कर पालमपुर शहर और आस पास के इलाकों को स्वच्छ रखने के लिए स्वछता अभियान चलाता रहा है।  इसी कड़ी में क्लब ने निटवर्ती सौरभ वन विहार में अपने स्तर पर डस्टबीन स्थापित किये थे।
    क्लब के मेंबर विजयन्द्र्र चौहान ने इन हिमाचल को बताया की।  बाइक रेल्ली से हमारा उद्देश्य इस क्षेत्र में लोगों को अपने आसपास की स्वछता के लिए जागरूक एवं संवेदनशील बनाना है  उन्होंने कहा पालमपुर हिमाचल प्रदेश के सबसे खूबसूरत कस्बों में से एक है।  कुदरत ने इसे बहुत सुंदरता बक्शी है।  यहाँ के नागरिक होने के नाते हमारा फर्ज है हम इसे बनाए रखें।  सरकार के साथ साथ हर जन की यह ड्यूटी है इसी सन्देश के तहत यह रैली निकली गयी थी।  ऐसे युवा अगर हर शहर गावं में अपना अपना संगठन बनाए और इस दिशा में कार्य करे तो हमारा हिमाचल सुंदर रहेगा
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    उन्होंने कहा भविष्य में भी हम ऐसे अभियानों को बढ़ावा देते रहेंगे और  क्षेत्र के लिए कुछ नया करते रहेंगे।
    हम यहाँ बताना चाहते हैं की पालमपुर बाइकर क्लब पालमपुर क्षेत्र के युवकों की एक संस्था है।  जो अड्वेंटर ट्रेकिंग आदि गतिविधियों में  विस्वास रखने के साथ साथ  सामाजिक क्षेत्र में भी भागिदार होते रहते हैं।

    मंत्री की पोस्ट पर पत्रकार का अभद्र कॉमेंट, OSD ने दिया जवाब

    शिमला।।

    सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहने वाले हिमाचल प्रदेश के परिवहन मंत्री जी.एस. बाली के फेसबुक पेज पर एक पत्रकार और मंत्री के ओएसडी के बीच तू-तू, मै-मैं का मामला सामने आया है। मंत्री की पोस्ट पर दैनिक भास्कर के पत्रकार अधीर रोहाल ने एक कॉमेंट किया, जिसकी भाषा एक पत्रकार होने के नाते शालीन नहीं कही जा सकती।

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    इस  कॉमेंट में उन्होंने शिकायत भरे लहजे में कहा कि मंत्री का फोन उठाने वाला हमेशा मंत्री के मीटिंग में होने की बात कहता है और उनका एक चमचा लाल बत्ती की गाड़ी में आकर वॉल्वो को लेट करवाता है। यही नहीं, इस कॉमेंट में मंत्री के OSD (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) विकास सिंघा का नाम लिखकर उन्हें चमचा कहा गया है और मंत्री को अपने स्टाफ को सुधारने की नसीहत दी गई है।

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    इस कॉमेंट पर करारा जवाब देते हुए खुद विकास सिंघा कॉमेंट किया और पूछा कि आप सबूत पेश करें कि कब ऐसा हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि जब मंत्री मीटिंग में होंगे तो यही कहा जाएगा कि मीटिंग में होंगे। साथ ही सिंघा ने बताया कि मैं OSD हूं और कानूनन हमें मंत्री के साथ ट्रैवल करने का अधिकार है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मैं खुद पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुका हूं और प्रतिष्ठित इंग्लिश अखबारों के लिए काम कर चुका हूं। इसलिए मुझे आप ठीक उसी तरह से चमचा नहीं कह सकते, जैसे आपको फ्लां अखबार का टट्टू नहीं कहा जा सकता।

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    मंत्री के OSD ने लिखा है कि फोन न उठाने की बात गलत है और अपने ऑफिस के लोगों से पूछ सकते हैं, जो रोज अपडेट लेते हैं। आखिर में पत्रकार को नसीहत देते हुए कहा गया है कि कृपया रात के 1 बजे के बजाय दिन में कॉमेंट करें ताकि आपकी कॉमेंट लिखने की मानसिक अवस्था पर कोई संदेह नहीं कर सके।

    गौरतलब है कि पत्रकारों के बीच यह कॉमेंट चर्चा का विषय बन गया है।  एक वरिष्ठ पत्रकार ने ‘इन हिमाचल’ को बताया कि अनुभवी पत्रकार द्वारा इस तरह की भाषा इस्तेमाल करना और यह भी न जानना कि कोई अधिकारी है या नहीं, उसका क्या काम होता है और फिर उसे चमचा कह देना गलत है। उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत खुन्नस का मामला ज्यादा प्रतीत हो रहा है।

    मंत्री बसें खरीदने में व्यस्त डिप्पुओं में एक के बाद एक खाद्यान के सैंपल फेल !

    इन हिमाचल डेस्क
    हिमाचल प्रदेश की आम ग्रामीण जनता के स्वास्थय के साथ खिलवाड़ की इंतहा हो गई है।  सरकारी डिप्पों से एक के बाद एक खाद्यान आइटम के सैंपल फेल पाए जा रहे हैं अभी कुल्लू के डिप्पुयों से  चावल के  सेम्पल फेल होने की खबर खत्म नहीं हुई थी की अब लेवि चीनी के लिए गए 17 सेम्पल  के भी फेल होने की खबर अख़बारों में प्रमुखता से छपी है।
    हिमाचल प्रदेश की 90 % जनता डिप्पों से राशन लेती है जिस गति से हर वस्तु के सेम्पल फ़ैल होने  की ख़बरें आ रहीं है इस से जनता के बीच डर की स्थिति बानी हुई है साथ ही सरकार और खाद्यान विभाग की  टेन्डर प्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई है।  आखिर ऐसे कैसे लोगों को टेंडर मिल रहे हैं जो हिमाचल के भोले भाले लोगों को खाद्य वस्तुयों के नाम पर कुछ भी खिला दे रहे हैं।
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    गौरतलब है की इस से पहले भी प्रदेश में तेल आदि के सैंपल फेल होते रहे हैं। इन मामलों में अभी तक विभाग की कारवाई संतोषजनक नहीं पाई गई है।  मिलावटी सामान बेचने के कड़े प्रावधान कानून में दर्ज हैं परन्तु छोटे मोठे फाइन और टेंडर लेने वाली फर्म को ब्लैकलिस्ट करने का आश्वासन  देने के अलावा विभाग कुछ ख़ास नहीं कर पाया है।
    ऐसा उस विभाग में हो रहा है जो सरकार में सबसे तेज़ तर्रार माने जाने वाले मंत्री जी एस बाली के पास है।  खाद्य आपूर्ति के साथ परिवहन और टेक्नीकल एजुकेशन देखने वाले बाली शायद इस मंत्रालय की जिम्मेदारी से न्याय नहीं कर पा रहे हैं उनकी अधिक दिलचस्बी परिवहन निगम के सुधारों में ज्यादा नजर आ रही है।  जो भी है लेकिन आम जनता के  स्वास्थ्य से  प्रदेश में खुला  खिलवाड़ हो रहा है परन्तु कोई भी कार्रवाई अभी तक शून्य पाई गई है।  लोगों का कहना है की जब कानून में मिलावट करने वालों के लिए सख्त  प्रावधान हैं तो  सरकार को टेंडर लेकर मिलावटी सामान सप्लाई करने वाली फर्मों के खिलाफ जुर्माने के साथ साथ कानूनी कार्रवाई भी अमल में लानी चाहिए

    सरकार गिरने के धूमल के कयासों को जयराम ने बताया बेवजह का राग !

    सरकार गिरने के धूमल के कयासों  को जयराम ने बताया बेवजह का राग  !

    मंडी

    भाजपा के धड़ेबाजी समय समय पर बाहर निकलती आती रही है।  इसी कड़ी में मंडी के कद्दावर नेता पूर्व मन्त्रीं एवं सिराज से भाजपा विधायक जय राम ठाकुर ने मंडी में पत्रकार वार्ता के दौरान कुछ ऐसा कहा की भाजपा काडर में खलबली मच गई।

    पत्रकार ने जब प्रदेश में  सरकार गिरने की स्थिति में जल्द चुनाव होने के आसार पर पूछा तो जयराम तपाक से बोले कार्यकर्ता चुनाव होने का इंतज़ार कर रहे है सरकार गिरने का नहीं। जय राम यहीं नहीं रुके साथ में यह भी कहा की कुछ लोग बेवजह कई सालों से सरकार गिरने की अफवाह फैला रहे हैं।   विदित है की नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल अक्सर यह कहते हुए आ रहे है की सरकार कार्यकाल पूरा नहीं करेंगे और गिर जाएगी।
    अब इसका क्या मतलब निकाला जाए की धूमल जो अक्सर कहते हैं उसे जयराम ने बेवजह की बयानबाज़ी का तमगा दे दिया है।
    इसके बाद मुख्यमंत्री कैंडिडेट के बारे में जब जय राम से पुछा गया तो यहाँ भी पूर्व मुख्यमन्त्रीं और नेता प्रतिपक्ष का नाम लेने से जयराम ने परहेज किया और कहा की   भाजपा आलाकमान तय करेगा मुख्यमन्त्रीं कौन होगा।  जयराम ठाकुर के इन बयनों की राजनीति  क्षेत्र में बहुत चर्चा है।  गौरतलब है की प्रदेश राजनीति में जय राम ठाकुर को शांता कुमार और जे पी नड्डा का करीबी माना जाता रहा है।
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    भाजपा की नई पीढ़ी में जयराम ठाकुर सबसे कद्दावर नेता है जो लगतार चुनाव जीतकर आ रहे हैं और प्रदेश भाजपा के अद्यक्ष तक रह चुके हैं।  मुख्यमंत्री के लिए भी उनके नाम पर चर्चा चलती रही है।  हालाँकि जय राम ठाकुर ने खुद इसकी रफ इशारा भी किया और कहा की इस बार जिला मंडी प्रदेश की राजनीति की दिशा तय करेगा।

    प्रदेश राजनीति में बाली शांता जुगलबंदी के मायने !

    सुरेश चंबयाल

    हिमाचल की राजनीति में आजकल खासे किस्से उभर कर सामने आ रहे हैं एक तरफ धूमल एवं वीरभद्र परिवारों की आपसी खींचतान चरम पर है तो दूसरी तरफ टांडा मेडिकल कालेज में सराय के शिलान्यास कार्यक्रम में वीरभद्र शांता कुमार की जुगलबंदी अलग ही कहानी ब्यान करती है।  वीरभद्र धूमल को घेरने के लिए शांता कुमार की शालीनता के तीर को हमेशा तरकश में रखते हैं।  वहीँ शांता कुमार बेशक मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांग चुके हों परन्तु शिलान्यास के लिए उन्हें ही बुलाते हैं।
    खैर यह तो काफी पहले से चल रहा है वैसे भी बुढ़ापे में बुजुर्गों का आपसी प्रेम बढ़ ही जाता है , शांता कुमार कांगड़ा घाटी से एकछत्र नेता रहे हैं।  बेशक उन्होंने चुनाव हारे भी हो फिर भी कांगड़ा में जितना असर शांता कुमार का रहा है उतना किसी का नहीं रहा है।  हालाँकि भाजपा कांग्रेस में भी  कंवर दुर्गा चंद. जी एस बाली  रविंदर सिंह रवि , चन्द्र कुमार सत महाजन पंडित संत राम जैसे दिग्गज कांगड़ा से निकल कर  आये हैं या हैं परन्तु इन सबका प्रभाव एक विधानसभा क्षेत्र तक ज्यादा सीमित रहा है।  पिछले 50 वर्षों की राजनीति पर अगर नजर दौड़ाई जाएँ तो दोनों दलों में से शांता कुमार ही ऐसे नेता रहे हैं जिन्हे किसी ख़ास क्षेत्र का न कहते हुए विशुद्ध कांगड़ा का सर्वमान्य लीडर कहा जा सकता है इसी कांगड़ा के दम पर शांता कुमार दो बार प्रदेश के मुख्यमन्त्रीं भी बने।
    अब बात करते हैं मोजुदा दौर की शांता कुमार अब बुजुर्ग हो चले  हैं सम्भवत् राजनितिक सक्रियता के रूप में उनकी यह अंतिम पारी है।  शांता कुमार के बाद ऐसा कोई नहीं दिखता जो दोनों दलों में पुरे कांगड़ा का नेता माना जाए।   तमाम विरोध के बावजूद पिछले चुनाव में देखा गया की कांग्रेस जनों के अंदर भी शांता के लिए इमोशनल फेवर था।  शांता कुमार को वर्तमान राजनीति के परिपेक्ष में आदर्श नेता माना जाता रहा है।  इसलिए विरोधी भी उनकी इज़्ज़त लगातार करते रहे हैं।
    शांता कुमार के बाद एक नेता जो नूरपुर से लेकर ज्वालाजी और देहरा से लेकर बैजनाथ तक फैली कांगड़ा सल्तनत के दम पर हिमाचल का मुख्यमन्त्रीं बंनने का सपना संजोए हुए दिख रहा है तो वो नगरोटा के क्षत्रप लीडर जी एस बाली हैं।  1998 में शांता कुमार की प्रदेश राजनीति से  विदाई के बाद धूमल वीरभद्र के हाथों में बंटती आ रही मुख्यामंत्री की कुर्सी पर अब कांगड़ा से जी एस बाली ने दावेदरी ठोकने का अभियान शुरू  कर दिया है।  इसी तर्ज में बाली सिर्फ  नगरोटा का लीडर होने की अपनी इमेज को तोड़कर कम से कम कांगड़ा चम्बा का लीडर होने के बाद इस छवि को प्रदेश स्तर पर ले जाने के लिए दिलोजान से लगे हुए  हैं।  इसी कड़ी में बाली ने सोसल मीडिया के उन अस्त्रों का सहारा ठोक बजाकर लेना शुरू कर दिया है जिनपर कांग्रेस जन ज्यादा विस्वास नहीं करते हैं।  बाली इस समय सोशल मीडिया पर प्रदेश के सबसे एक्टिव नेता है जो समस्याओं का समाधान भी इसी प्लेटफॉर्म से कर रहे हैं। बाली कहीं न कहीं चाहते हैं की जनता यह न सोचे वो सिर्फ नगरोटा के नेता है बल्कि कम से कम उनके गृह जिले के लोग उन्हें पार्टीबाजी से ऊपर उठकर ऐसे नेता के रूप में देखें जो राजनीति में हाशिये पर गए इस जिले को मुख्यमंत्री पद भी दिलवा सकता है।
    यूँ तो बाली के सबंध  विपक्ष के हर नेता से ठीक रहे हैं चाहे वो प्रेम कुमार धूमल हों या शांता कुमार हों। परन्तु कांगड़ा में बाली अब शांता कुमार का स्थान विशेष रूप से लेने के लिए उनके ऊपर ज्यादा मेहरबान हैं इसी कड़ी में टांडा मेडिकल कालेज की सराय निर्माण के लिए धन उपलब्ध करवाने के लिए बाली का शांता को लीक से हटकर  धन्याबाद देना हो या नए चलने वाले वॉल्वो रुट श्रीनगर धर्मशाला बस को शांता से झंडी दिखलाकर  विदा करवाने की रणनीति हो।  इसे सम्मान  कहें या स्वार्थ   बाली भविष्ये में शांता काडर को और शांता कुमार के मौन फेवर को अपने लिए भी प्रयोग करना चाहते हैं।  कहा जाता रहा है की शांता कुमार कांगड़ा में जब चन्द्र कुमार से हारे थे उस समय ओ बी सी वोटर्स का बहुत बड़ा रोल था।  बाली हैं तो ब्राह्मण पर उनका नगरोटा मॉडल आफ डेवलपमेंट ओ बी सी मतदाता पर ही चला है 70 % OBC बाहुल्य सीट से बाली लगातार जीतकर आ रहे हैं शांता का मौन समर्थन अगर मिलता है तो ब्राह्मण वोट बैंक भी बाली के साथ जा सकता है।
    हालंकि यह सब इतना आसान भी नहीं है बाली को टक्कर विपक्ष से इतनी नहीं है जितनी अपनी पार्टी के सेनापतियों से है।  राजा के ख़ास प्यादे मजबूती से बाली के आसपास मोर्चों पर घाटी में मौजूद हैं चाहे वो सुधीर शर्मा हों , पवन काजल हों नीरज भारती हो या संजय रतन हो।  कांगड़ा किले के सेनापतियों में नूरपुर के किले से बाली को थोड़ी बहुत मदद है थोड़ा बाली पालमपुर से भी आशा रख सकते हैं बाकी कांगड़ा की हमीरपुर मंडी और ऊना से लगती सीमायों पर बैठे राजा के प्रहरी क्या बाली को पुरे  कांगड़ा का सर्वमान्य लीडर होने देंगे जो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचने के लिए बहुत जरुरी है इस पर संदेह है।  नगरोटा में बाली की सोनिया के स्वागत में होने वाली प्रस्तावित रैली राजनीति में इस दबंग नेता के अरमानों का पहला शक्ति प्रदर्शन होगी.. . . ऐसा राजनीतिक पंडित कह रहे हैं।
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    बाकी लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है कांगड़ा की जनता क्या बाली में अपने अरमानों को शिमला की सरदारी के रूप में देखती है या नहीं यह आने वाला वक़्त ही बताएगा।  परन्तु फिलहाल के क्रियाकलाप और शांता कुमार के प्रति बाली के हालिया सम्मान से यह पता जरूर चलने लगा है की २०१७ में अगर कांग्रेस हाई कमान ने हरी झंडी दे दी तो बाली पुरे बल प्रयोग के साथ कांगड़ा दुर्ग के दम  पर शिमला के लिए चढ़ाई को तैयार होने वाले हैं।  और ऐसा तो राजा वीरभद्र सिंह  की बाली के रास्ते में  आने वाली कूटनीति का तोड़ बाली भी कांगड़ा से शांता की शालीनता और मौन फेवर से देने की सोच रहे है , यही इसी जुगलबंदी के मायने फिलहाल लग रहे हैं।

    ऋतिक रोशन को प्यार करने लग गईं थी कंगना !

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    ऋतिक रोशन और कंगना कंगना रनौत का विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. कंगना रनौत की ऋतिक रोशन को लिखे गए सारे ईमेल इंटरनेट पर लीक हो चुके हैं। ये ईमेल कंगना ने उसी बहरूपिए को लिखे हैं जो खुद को ऋतिक रोशन बताकर उनसे बात कर रहा था। लेकिन कंगना का कहना है कि ये जाली ईमेल आई डी ऋतिक की ही है जो उनसे बात कर रहे थे।इन हिमाचल

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    लेकिन अब कंगना रनौत की ऋतिक रोशन को लिखे गए सारे ईमेल इंटरनेट पर लीक हो चुके हैं। ये ईमेल कंगना ने उसी बहरूपिए को लिखे हैं जो खुद को ऋतिक रोशन बताकर उनसे बात कर रहा था। लेकिन कंगना का कहना है कि ये जाली ईमेल आई डी ऋतिक की ही है जो उनसे बात कर रहे थे।
    ऋतिक रोशन को कंगना ने भेजे थे ये मेल…
    17 अगस्त 2014 कंगना ने लिखा कि कभी कभी मैं हर चीज को लेकर अनश्यॉर महसूस करती हूं। क्या वाकई हमारे बीच प्यार है या ये सिर्फ फैंटेसी है? क्या हमारा प्यार रियल है या मैं किसी इमेजनरी इंसान से बात करती रहती हूं? तुम मुझसे कभी बात क्यों नहीं करते? क्या हो अगर एक दिन मैं तुमसे मिलूं और तुम मुझसे कहो कि तुम्हें कुछ नहीं मिला, तुम मुझे जानते तक नहीं, तुमने मुझसे कभी प्यार नहीं किया, तब मैं क्या करूंगी? क्या मैं कभी इस दर्दनाक हकीकत से उबर पाऊंगी?
    कुछ दिन बाद तुम्हारा गाना बहुत अच्छा है मैंने इसे दोबारा देखा। उम्मीद करती हूं मैंने जो लिखा उसके बारे में तुम बुरा नहीं मानोगे। मैं माफी मांगती हूं अगर तुम्हें बुरा लगा तो। मैं बहुत दुखी हूं कि हम बात नहीं करते। मुझे पाया है कि मुझे एसपरजर्स सिंड्रोम है। मैं इसके लेकर तनाव में हूं। अगर तुम्हें समय मिले तो पढऩा। मैं इस सिंड्रोम का 98 प्रतिशत तक शिकार हूं।
    3 सितंबर 2014 तुम्हें इस तरह ईमेल भेजना और उनका कोई जवाब न मिलना मेरे लिए बहुत मुश्किल है।
    4 अक्टूबर 2014 मैं सुबह उठते ही सबसे पहले तुम्हें गूगल करती हूं। तुम्हारी को नई तस्वीर तुम्हारे बारे में कोई खबर या तुम्हारा कोई इंटरव्यू ढूंढने की कोशिश करती हूं ताकि अपना दिन शुरू कर सकूं। मुझे उम्मीद है जल्द ही तुम्हें गूगल पर ढूंढने की बजाए मैं तुमसे बात कर, तुम्हारी आवाज सुनकर अपना दिन शुरू कर सकूंगी।
    9 अक्टूबर 2014 असल में मैं खुश हूं कि तुमने फोन नहीं उठाया, मैं तुमसे क्या कहती? मैं कैसा साउंड करती? तुम्हें हाय कहने का सही तरीका क्या होता? मेरे मन में बहुत से सवाल हैं। आई लव यू जान
    1 नवंबर 2014 मैं तैयार हूं
    2 नवंबर 2014 बेबी मुझे यकीन नहीं हो रहा मैं तुमसे मिली। तुम बहुत सैक्सी लगते हो। मैं अब अपने बिस्तर पर हूं, लेकिन एसआरके के घर के बारह करीब 30 मिनट तक मैं रुकी रह गई। वहां प्रशंसकों की इतनी भीड़ थी। मुझे कुछ याद नहीं मैंने जो भी तुमसे कहा। मैं बहुत नरवस था और तुम्हारे साथ अलग ही इंसान बन गई थी। मैं एक टीनएजर की तरह नरवस हो रही हूं। मुझे यह फीलिंग अच्छी लग रही है। मैं सोचती हूं तब क्या होगा जब तुम मुझे खींच कर अपने करीब लाओगे और मुझे किस करोगे। मैं पक्का बेहोश होने वाली हूं।
    13 नवंबर 2014 मैं ये भी सोच रही हूं कि जब तुम अपने नए घर में शिफ्ट हो रहे होगे बेबी, जब तुम्हारा किचन तैयार हो रहा होगा तो मैं उसे सजाऊंगी। मैं नहीं चाहती कि कोई और ये काम करे। तुम्हें स्टाफ की जरूरत होगी। हमें लोगों के इंटरव्यू लेने होंगे। मैं तुम्हारे स्टाफ को तुम्हारी जरूरतों के हिसाब से ट्रेन करूंगी।
    (सौजन्य विराट पोस्ट)

    देखें: हिमाचल की बेटी कशिका पटियाल नए म्यूज़िक वीडियो में

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    हिमाचल प्रदेश के बैंड लमण के गाने ‘पिया न जा’ में नज़र आई प्रदेश की बेटी कशिका पटियाल ऐक्टिंग और मॉडलिंग की दुनिया में लगातार आगे बढ़ रही है।

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    कशिका ने पंजाबी वीडियो सॉन्ग ‘बेवफा’ में काम किया है। मासूम चेहरे वाली कशिका इसमें बहुत आकर्षक लगी हैं।

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    इस वीडियो को लांच होने के 24 घंटों के अंदर यूट्यूब पर साढ़े 3 लाख से ज़्यादा हिट्स मिल चुके हैं।

    पोल: कांग्रेस के अगले CM के लिए जी.एस. बाली लोगों की पहली पसंद

    इन हिमाचल डेस्क।।
    आय से अधिक संपत्ति के मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का भविष्य कोर्ट में अटका पड़ा है। सीबीआई ने कहा है कि उसके पास वीरभद्र के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस तरह के सबूतों की जानकारी मीडिया में आई है, वे वीरभद्र की गिरफ्तारी के लिए काफी हैं। कांग्रेस हाईकमान भी इस बात से वाकिफ है और किसी तरह का संकट पैदा न हो, इसलिए मंथन चल रहा है। फॉर्म्यूला निकाला गया है कि सीएम के साथ डेप्युटी सीएम भी होगा, जो भविष्य में पार्टी की कमान संभाल सके।
    इस तरह की खबरों को ध्यान में रखते हुए इन हिमाचल में अपने पाठकों से एक पोल पूछा था, जिसमें 84789 लोगों ने जवाब दिया है। पोल की सेटिंग ऐसी थी कि एक यूजर एक ही बार जवाब दे सकता था। हमने 4 प्रमुख नेताओं के नाम देते हुए पूछा था कि वे कांग्रेस में किसी अगला मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। इन नेताओं में कौल सिंह ठाकुर, जी.एस. बाली, विद्या स्टोक्स और सुधीर शर्मा थे।
    इस पोल के नतीजों में परिवहन, तकनीकी शिक्षा और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री जी.एस बाली सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं। उन्हें सबसे ज्यादा लोगों ने वोट किया है। 55 फीसदी लोगों ने बाली को मुख्यमंत्री के तौर पर पसंद बताया है। बाकी तीनों नेताओं को कुल मिलाकर 45 फीसदी वोट मिले हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि बाली की लोकप्रियता कौल सिंह ठाकुर, सुधीर शर्मा और विद्या स्टोक्स के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
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    परिवहन मंत्री जी.एस. बाली (Image Courtesy: Amar Ujala)
    दूसरे नंबर स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर रहे, जिन्हें 24 फीसदी वोट पड़े। इसके बाद शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा रहे, जिन्हें 15 प्रतिशत वोट पड़े। विद्या स्टोक्स 6 फीसदी वोटों के साथ आखिर में रहीं। पोलिंग के दौरान मतदान के आंकड़े में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ। जी.एस. बाली सबसे आगे रहे। पहले दिन कौल सिंह ठाकुर सबसे पीछे रहे थे, मगर बाद में वह दूसरे नंबर पर आ गए।
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    पाइ चार्ट
    गौरतलब है कि कांगड़ा से दिग्गज और तेज-तर्रार नेता जी.एस. बाली ने हाल ही में फेसबुक पेज GS Bali पर जोरदार उपस्थिति दर्ज करवाई है। मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक वह अक्सर अपने मंत्रालयों द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हैं और मेसेज के जरिए मिली समस्याओं का समाधान भी करते हैं। वह सुझाव भी आमंत्रित करते रहे हैं, जिनके आधार पर कई फैसले लिए गए हैं। युवाओं के साथ दो-तरफा संवाद स्थापित करने की वजह से भी बाली की लोकप्रियता बढ़ी है।
    संभव है कि कौल सिंह ठाकुर को पिछले दिनों चर्चित रही ऑ़डियो सीडी की वजह से नुकसान झेलना पड़ा है। इसके अलावा अपने काम के जरिए भी वे लोगों को प्रभावित करने में नाकामयाब रहे हैं। विद्या स्टोक्स जहां अस्वस्थ हो चुकी हैं, वहीं सुधीर शर्मा ने युवाओं के बीच कुछ हद तक पहुंच बनाई है। हाल ही में धर्मशाला में नगर निगम चुनाव में भी कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों की जीत का श्रेय उन्हें दिया जा रहा है।
    सोशल मीडिया पर हुई रायशुमारी का आंकड़ा असल में जमीनी स्तर पर की गई रायशुमारी के आंकड़े के बराबर होता है, यह नहीं कहा जा सकता। मगर सोशल मीडिया पर प्रदेश युवाओं से लेकर उम्रदराज़ लोगों तक की मौजूदगी हाल में बढ़ी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि जमीनी स्तर पर राय में बहुद ज्यादा फर्क नहीं होगा।
    गौरतलब है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पूरी तरह से बैकफुट पर आए हैं। अभी तक आलाकमान को विश्वास में लेने में कामयाब रहे वीरभद्र अपनी लड़ाई में अकेले पड़ते जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नहीं चाहती कि उसके दामन पर और दाग लगे, क्योंकि स्कूटर पर सेब ढोने और छापेमारी के बाद पिछले इनकम टैक्स रिटर्न ज्यादा भरने से साफ दिखता है कि कुछ न कुछ तो गोलमाल किया गया है।