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Tuesday, September 16, 2025
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चंडीगढ़ के मॉल में हिमाचली नाटी ने मचाया धमाल, वीडियो वायरल

इन हिमाचल डेस्क।। ‘नाटी’ हिमाचल प्रदेश का पारंपरिक लोकनृत्य है। एकसाथ ग्रुप में पारंपरिक लोकधुनों या हिमाचली गानों पर किया जाने वाला यह डांस भले ही हिमाचल से बाहर लोकप्रियता न बटोर पाया हो मगर हिमाचल में इसका क्रेज बना हुआ है। प्रदेश में कोई भी उत्सव या पर्व होने पर लोग बेशक डीजे आदि पर पंजाबी और बॉलिवुड गानों पर नाचते हों, बीच-बीच में वो हिमाचली गीतों पर नाटी डालना नहीं भूलते। बेशक वे ग्रुप में डांस न करते हों मगर स्वतंत्र होकर अकेले-अकेले नाटी की भाव-भंगिमाओं में डांस करते हैं। यह बात भी है कि आजकल लोग पारंपरिक वेशभूषा के साथ नाटी डालते नजर नहीं आते। खासकर युवा पीढ़ी में यह ट्रेंड देखने को नहीं मिलता। मगर स्कूल-कॉलेजों के कार्यक्रमों में बच्चों की कोशिश रहती है कि वे नाटी को पेश करें। कई तरह के प्रयोग भी बच्चे करते हैं जो अच्छे बन पड़ते हैं। जैसे कि इंग्लिश गानों पर नाटी डालना या फिर आधुनिक या सामान्य परिधान में ही पारंपरिक गीतों पर नाटी डालना। यह सब लोगों को पसंद या नापसंद आ सकते हैं मगर कुलमिलाकर देखा जाए तो प्रदेश की इस लोकसंस्कृति को बचाए रखने में इनका बहुत योगदान है।

 

अब हम आपको दिखाने जा रहे हैं कि पालमपुर की कृतिका परमार द्वारा अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर अपलोड किया गया वीडियो। चंडीगढ़ के Elante Mall में स्टूडेंट्स द्वारा नृत्य प्रस्तुति दी गई (फ्लैश मॉब के नाम पर) जिसमें विभिन्न गानों के साथ हिमाचली गानों पर नाटी भी पेश की गई। मॉल के बीचोबीच की जा रही इस नाटी को बहुत से लोगों ने देखा। मॉल में आई हिमाचली कम्यूनिटी के साथ-साथ अन्य राज्यों के लोगों को भी हिमाचल प्रदेश की नाटी की झलक देखे को मिली। इसके बाद अब सोशल मीडिया पर तेजी से यह वीडियो वायरल हो रहा है। आप भी देखें। नाटी कुछ सेकंड्स बाद शुरू होगी:

अगर आप भी किसी कार्यक्रम में जाते हैं या इस तरह का कोई अच्छा वीडियो आपके पास आता है तो हमारे साथ शेयर करना न भूलें। आप हमारे फेसबुक पेज पर मेसेज कर सकते हैं या फिर Inhimachal.in@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं।

शिमला हवाई सेवा पर हवा-हवाई बातें करके चले गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?

इन हिमाचल डेस्क।। उड़ान योजना का आरंभ करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला में बड़ी-बड़ी बातें की थीं। उनका कहना था कि यह ऐसी हवाई सेवा है जिसमें ‘हवाई चप्पल’ पहनने वाला आदमी भी यात्रा कर सकेगा। उनका अर्थ था कि आमतौर हवाई सेवा के किराए महंगे होते हैं और गरीब आदमी उन्हें अफॉर्ड नहीं कर सकता मगर इस योजना के बाद सस्ते किराए में कोई भी यात्रा कर सकेगा। प्रधानमंत्री ने शिमला के जुब्बड़हट्टी से दिल्ली के बीच चलने वाली एयर सर्विस की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि इससे न सिर्फ हिमाचल प्रदेश के टूरिज़म को बूस्ट मिलेगा बल्कि हिमाचल के लोग इमर्जेंसी की स्थिति में कम किराए पर तुरंत दिल्ली पहुंच सकेंगे। पहली नजर में इन घोषणाओं को सुनकर अच्छा लगता है मगर अब पीएम के ये दावे हवा-हवाई होते नजर आ रहे हैं। दरअसल इस योजना को लेकर अब भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। जानें, क्या है इस एयर सर्विस की स्थिति:

दिल्ली से शिमला के बीच 42 सीटों वाला विमान उड़ान भरेगा मगर शिमला से दिल्ली आते वक्त इसमें कुल 35 यात्री और शिमला से दिल्ली 14 यात्री ही जा सकेंगे। वैसे तो शिमला से दिल्ली के लिए 28 सीटें मंजूर हैं मगर अभी 14 ही सीटें ही भरी जा रही हैं। शिमला एयरपोर्ट का रनवे छोटा होने, इंजन क्षमता और मौसम को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया जा रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस उड़ान सेवा में दोनों तरफ आधे टिकट ही सस्ते रेट पर मिलेंगे। यह रेट है 1920 रुपये और टैक्स मिलाकर ग्राहकों को 2021 रुपए चुकाने होंगे। बाकी टिकटों को मार्केट रेट पर खरीदना होगा जो कि बुक कराने की डेट के आधार पर 5000 से 19000 हजार रुपये तक हो सकते हैं।

नियम के अनुसार दिल्ली से शिमला आते वक्त 25 में से 17 सीटें ही 2021 रुपये की होंगी। इसी तरह से नियमों के अनुसार शिमला से दिल्ली के लिए मंजूर 28 सीटों में से सिर्फ 14 सीटें सस्ती होनी हैं। चूंकि अभी सिर्फ 14 ही यात्री दिल्ली ले जाए जा रहे हैं, इसलिए ये सभी 14 टिकट सस्ते खरीदे जा सकते हैं। ‘पंजाब केसरी’ की रिपोर्ट का तो कहना है कि अभी 10 लोगों को ही दिल्ली ले जाया जा रहा है।

अगर स्थिति यह है तो प्रश्न उठता है कि इस योजना का लाभ क्या होगा, क्योंकि हमने देखा कि दिल्ली से शिमला और शिमला से दिल्ली की फ्लाइट्स की आने वाले कुछ हफ्तों की सीटें पहले ही बुक हो चुकी हैं। शिमला से दिल्ली की फ्लाइट्स तो जून तक बुक हुई पड़ी हैं क्योंकि 14 ही सीटें दिल्ली के लिए उपलब्ध हैं और सभी सस्ती हैं। दिल्ली से शिमला के लिए सस्ते टिकटों की भी यही स्थिति है। अगर कोई तुरंत दिल्ली से शिमला आना चाह रहा हो तो उसे महंगा टिकट खरीदना होगा।

दिल्ली से शिमला फ्लाइट की स्थिति।

इस तरह से वह पॉइंट तो खत्म हो जाता है कि कोई इमर्जेंसी की स्थिति में इस विमान सेवा को इस्तेमाल करेगा। अगर किसी को तुरंत एयर सर्विस से दिल्ली निकलना हो तो वह उसे जून के बाद का इंतजार करना होगा जिसका कोई मतलब नहीं है। इसी तरह से जब सस्ते टिकट उपलब्ध नहीं हैं तो उसे 9000 रुपये तक में दिल्ली से शिमला का टिकट खरीदना पड़ सकता है। 9000 रुपये में एयरसेवा से शिमला देने के बजाय कोई भी बस सेवा से आकर या प्राइवेट टैक्सी हायर करके पूरे परिवार के साथ शिमला आ सकता है।

शिमला से दिल्ली की सीटें जून तक बुक

आलम यह है कि गुरुवार को पीएम मोदी ने भले ही आधिकारिक रूप से इस योजना को लॉन्च किया है मगर एयर इंडिया के कस्टमर केयर सेंटर पर अब तक इस योजना की कोई जानकारी नहीं है। ‘अमर उजाला’ अखबार का दावा है कि कंपनी के कस्टमर केयर नंबर 1800 180 1407 पर संपर्क करके फ्लाइट की जानकारी लेने की कोशिश की गई तो दूसरी तरफ से ऐसी कोई जानकारी न होने की बात कही गई।

प्रश्न यह भी उठता है कि जब रनवे छोटा है, इंजन की क्षमता आदि कम है तो शिमला से दिल्ली की उड़ान के लिए 28 सीटें किस आधार पर मंजूर की गईं और अब सिर्फ 14 यात्री ही क्यों ले जाए रहे हैं? जिस विमान के ट्रायल पर 28 सीटें मंजूर की, उसके बजाय ऐसा विमान क्यों उड़ाया जा रहा है जो सिर्फ 14 ही यात्रियों को लेकर जुब्बड़हट्टी से उड़ान भर सकता है। जब यह योजना पूरी तरह से क्रियान्वित ही नहीं हो पा रही है तो इसका उद्घाटन करके श्रेय लूटने की जल्दबाजी क्या थी? इस तरह की महंगी यात्राएं तो पहले भी शुरू होकर बंद हो चुकी हैं और प्रदेश के अन्य एयरपोर्ट्स पर पहले ही चल रही हैं। फिर इसे लेकर माहौल बनाने की क्या जरूरत थी?

गौरतलब है प्रधानमंत्री ने हिमाचल दौरे पर इस योजना से शुभारंभ और हाइड्रो इंजिनियरिंग कॉलेज के शिलान्यास के अलावा रिज से सिर्फ राजनीतिक भाषण दिया है, हिमाचल के लिए किसी और योजना या तोहफे का ऐलान नहीं किया है। सोशल मीडिया पर यही मुद्दा छाया है कि यह उड़ान सेवा सफेद हाथी बनकर रह जाएगी। यह स्कीम इसलिए भी नई नजर नहीं आ रही क्योंकि बहुत बाद की बुकिंग करवाने पर किसी भी रूट के टिकट बहुत सस्ते मिलते हैं और तुरंत लेने पर महंगे। स्पेशल ऑफर आने पर तो ये 2000 रुपये से भी सस्ते होते हैं। उडान योजना नई बोतल में पुरानी शराब लग रही है।

नुकसान करवा सकती है पीएम के सामने धूमल समर्थकों की नारेबाजी

इन हिमाचल डेस्क।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिमाचल दौरे को लेकर बीजेपी ने बड़े स्तर पर तैयारी की थी और शिमला रैली में उसका नतीजा देखने को भी मिला। ऐतिहासिक रिज मैदान पर बीजेपी कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा था। प्रदेश के कोने-कोने से पार्टी कार्यकर्ता शिमला पहुंचे थे। पार्टी संगठन ने इस रैली को कामयाब बनाने के लिए पूरी मेहनत की थी। मौजूदा विधायकों के अलावा विभिन्न विधानसभाओं से पार्टी विधायक रहे नेताओं और पदाधाकारियों ने अपने स्तर पर ज्यादा से ज्यादा लोग लाने की कोशिश की थी। कुल-मिलाकर पार्टी की यह कोशिश सफल हुई और रिज मैदान पर तिल धरने को भी जगह नहीं बची थी। इससे यह संकेत तो मिला कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं का जोश इस वक्त पूरे उफान पर है, मगर यह भी नजर आया कि खेमों में बंटी हुई है। खेमेबाजी का सबसे बड़ा सबूत उस वक्त देखने को मिला जब शिमला के रिज पर कार्यकर्ताओं का एक समूह एक नेता विशेष के पक्ष में नारे लगा रहा था। शुरू से लेकर आखिर तक यह समूह उस नेता के पक्ष में नारेबाजी करता रहा। क्षेत्र विशेष से आए कार्यकर्ताओं के इस समूह की यह हरकत उस नेता के लिए नुकसानदेह साबित होती दिख रही है, जिसके पक्ष में वे नारे लगा रहे थे। बीजेपी हाईकमान के पास यह संदेश गया है कि उक्त नेता ने इन समर्थकों के जरिए अपना शक्ति प्रदर्शन करने की कोशिश की है।

शिमला में रैली के दौरान देखा गया कि एक हिस्से में बैठे कार्यकर्ता बार-बार नारेबाजी कर रहे थे। उनकी पार्टी का सबसे बड़ा नेता और देश का प्रधानमंत्री मंच पर बैठा हुआ था मगर वह उसके समर्थन में नारेबाजी करने के बजाय पूर्व सीएम और विधानसभा मे नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल लेते हुए नारेबाजी कर रहा था। यह समूह शुरू से लेकर आखिर तक नारेबाजी करता रहा। यह नारेबाजी उस वक्त भी जारी रही जब बीजेपी के अन्य वरिष्ठ नेता और यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी भाषण दे रहे थे। जब धूमल खुद भाषण देने आए तो समर्थकों का यह समूह और जोश से नारे लगाने लगा। नारे कुछ इस तरह से थे-धूमल जी आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं। आलम यह रहा कि खुद धूमल को कहना पड़ा कि मैं आगे तो तभी बढ़ूंगा जब आप लोग चुप होंगे। इसके बाद रिज मैदान के कार्यकर्ताओं के बीच ठहाके गूंज उठे। उस वक्त तो बात मजाक में आई-गई हो गई मगर ‘इन हिमाचल’ को सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस हरकत पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व गंभीर है और इस कदम को अनुशासनहीनता मान रहा है। पार्टी आलमाकमान को लगातार हो रही इस नारेबाजी से संदेश गया है कि इन समर्थकों की नारेबाजी के जरिए अपनी ताकत और प्रासंगिकता दिखाई जा रही थी।

दरअसल हर बार किसी न किसी को सीएम कैंडिडेट बनाकर लड़ती रही बीजेपी ने इस बार पत्ते नहीं खोले हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए बहुत कम वक्त रह गया है मगर इस बार यह नहीं बताया गया कि पार्टी किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। ऐसे में अपने-अपने नेता के सीएम कैंडिडेट बनने का ख्वाब देख रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं में बेचैनी बढ़ती जा रही है। पिछली बार तक यह साफ रहता था कि बीजेपी प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी। मगर इस बार बीजेपी ने राष्ट्रीय स्तर पर ही अपनी रणनीति बदल दी है। हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में बीजेपी बिना किसी को सीएम कैंडिडेट बनाए चुनाव लड़ी और सफलता हासिल की। इससे बीजेपी को पार्टी की गुटबाजी और भितरघात से बचने में भी सफलता मिली। अब इसी रणनीति को वह हिमाचल प्रदेश में भी लागू करने की तैयारी में है। पार्टी नहीं चाहती कि अब तक शांता और धूमल खेमों में बंटी रही बीजेपी अब आगे भी इसी तरह बंटी रहे। इस संबंध में आलाकमान पहले भी निर्देश देता रहा है मगर रिज पर इन निर्देशों का खुलकर उल्लंघन हुआ।

गौरतलब है कि बीजेपी हर विधानसभा चुनाव से पहले अपनी एक टीम तैनात करती है जो उस राज्य का सर्वे करती है। गुपचुप काम करने वाली यह टीम देखती है कि उस राज्य में क्या-क्या मुद्दे हैं जिन्हें उठाया जा सकता है। यह मौजूदा सरकार की कमजोरियों को पकड़ती है और साथ ही संगठन की कमियों पर भी रिपोर्ट बनाती है। यह स्थानीय मीडिया और सोशल मीडिया पर भी नजर रखती है। यह देखा जाता है अपनी पार्टी का कौन सा नेता पार्टी लाइन से हटकर संगठन के बजाय सेल्फ प्रमोशन के लिए बयानबाजी कर रहा है या मीडिया को मैनेज कर रहा है। शिमला रैली के बाद विभिन्न अखबारों में और पत्रिकाओं में इस तरह के आर्टिकल्स की बाढ़ आ गई थी जिनमें दावा किया जा रहा है कि शिमला रैली मोदी के बजाय धूमल मय हो गई क्योंकि लोग धूमल के पक्ष में नारे लगाते रहे। ‘इन हिमाचल’ को सूत्रों ने बताया है कि इस संदर्भ में भी इस टीम ने एक रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट भी धूमल के खिलाफ जा सकती है।

इस टीम में शामिल होने का दावा करने वाले एक शख्स ने नाम न बताने की शर्त पर ‘इन हिमाचल’ को बताया, ‘पार्टी आलाकमान ने पहले ही साफ किया है कि चुनाव से पहले सभी को एकजुट होना है। मुख्यमंत्री कौन बनेगा कौन नहीं, यह तब की बात होगी जब मिलकर चुनाव जीतेंगे। पार्टी में अगर आप हैं तो सीएम क्या किसी भी पद के लिए दावेदारी जताने का आपको अधिकार है। अगर चुनाव जीतने से पहले ही कोई व्यक्ति या नेता खुद को मीडिया या अन्य माध्यमों के जरिए सक्षम दिखाने की कोशिश करता है तो वह अनुशासनहीनता है। बेहतर हो कि अगर किसी को शंका है तो वह आलाकमान से स्पष्ट बात करे न कि अप्रत्यक्ष रूप से दबाव बनाने की कोशिश करे।’ जब इनसे पूछा गया कि समर्थक तो अपनी तरफ से भी नारेबाजी कर सकते हैं, इसके लिए नेता को कैसे जिम्मेदार माना जा सकता है, तो जवाब मिला, ‘देखिए समर्थकों को सही दिशा-निर्देश देना नेताओं का काम है। प्रधानमंत्री अगर आ रहे हों तो समर्थकों को ब्रीफ किया जाना चाहिए क्या करना है क्या नहीं। और फिर प्रदेश में और भी तो वरिष्ठ नेता हैं, उनके समर्थकों ने तो उनके पक्ष में इस तरह से नारेबाजी नहीं की। नेताओं को समझना चाहिए कि इस तरह की हरकतें न सिर्फ पार्टी को कमजोर करती हैं बल्कि अन्य कार्यकर्ताओं का मनोबल भी तोड़ती हैं।’

गौरतलब है कि शिमला में रैली के दौरान शांता कुमार, जेपी नड्डा और अनुराग ठाकुर के पक्ष में भी नारे लगे थे मगर जोरदार नारेबाजी धूमल के पक्ष में ही हुई थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार अब हिमाचल की राजनीति में रुचि नहीं रख रहे इसलिए उनकी तरफ से किसी तरह की कोई दावेदारी अब बाकी नहीं रही है। नड्डा खुद हिमाचल लौटने के इच्छुक लगते हैं मगर वह सार्वजनिक मंचों से कभी भी ऐसी बात कहते नजर नहीं आते जिससे लगे कि वह दावेदारी पेश कर रहे हों। संभवत: यह परिपक्वता इसलिए भी है क्योंकि अब वह बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन में अहम भूमिका में हैं और जब चाहें हिमाचल लौट सकते हैं। अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद बीजेपी में नड्डा को अहम भूमिका रही है क्योंकि जब नड्डा भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, उसके बाद अमित शाह भाजयुमो के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बने थे। बीजेपी पार्ल्यामेंट्री बोर्ड के मेंबर जेपी नड्डा लोकसभा चुनाव से लेकर विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट आवंटन में मुख्य भूमिका में रहे थे। विश्लेषकों का यह भी मानना है कि शायद नड्डा अब हिमाचल लौटने के बजाय केंद्र में ही रहेंगे और वहां बड़ी जिम्मेदारी संभालते रहेंगे। मगर बीच-बीच में ऐसी खबरें भी आती रही हैं कि नड्डा की भूमिका टिकट आवंटन में अहम रहेगी और वह अपने किसी खास व्यक्ति को हिमाचल का सीएम बना सकते हैं।

उधर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि धूमल जैसे अनुभवी नेता को Between the lines पढ़ना चाहिए। उन्हें देखना चाहिए हर जगह पर बीजेपी नए और युवा चेहरों को सीएम बना रही है। वैसे भी 70+ को बड़ी जिम्मेदारी न देने की बीजेपी की रणनीति भी धूमल के सीएम के तौर पर भविष्य पर सवालिया निशान लगाती है। ऊपर से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी हिमाचल दौरे के दौरान कर चुके हैं कि अब हिमाचल में बीजेपी को ऐसा नेतृत्व चाहिए जो कम से कम 20-25 साल टिक सके। उनका इशारा धूमल की तरफ ही माना जा रहा है क्योंकि धूमल और शांता कभी भी हिमाचल में बीजेपी की सरकार को लगातार रिपीट करवाने में नाकाम रहे हैं। ऐसे में बावजूद इसके पीएम के शो में समर्थकों का नारेबाजी करना या आए दिन अनुराग ठाकुर का उनके पक्ष में बयानबाजी करना फायदे के बजाय नुकसान करवा सकता है। यह न सिर्फ उनके लिए, बल्कि उनके बेटे अनुराग ठाकुर के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है कि क्योंकि भविष्य में अनुराग ठाकुर को भी हिमाचल प्रदेश की राजनीति करनी है। विश्लेषकों का कहना है कि इसलिए उन्हें दूरदृष्टि अपनाते हुए संगठन के अनुरूप चलना चाहिए। उत्साह में अप्रत्यक्ष रूप से भी दावेदारी पेश करना पांव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा साबित हो सकता है।

रोमांचित कर देगी HRTC बस से की गई सबसे जटिल इलाके की यात्रा

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इन हिमाचल डेस्क।। एक यूट्यूब चैनल है ‘Himalayan Roads‘ जिसमें दुनिया की सबसे खतरनाक सड़कों में शुमार हिमालय की पर्वतमालाओं पर बनी सड़कों के रोमांचक वीडियो देखे जा सकते हैं। इसमें अधिकतर वीडियो हिमाचल प्रदेश के विभिन्न इलाकों के हैं। ये वीडियो दिखाते हैं कि पहाड़ की सड़कें कितनी अडवेंचरस और खतरनाक हैं। जाहिर है इनमें खूबसूरती तो देखने को मिलती ही है। इस यूट्यूब चैनल ने नया वीडियो पोस्ट किया है, जिसका टाइटल है- Nerve-Racking Himalayan Ride in an HRTC Bus.

इसका अर्थ हुआ- HRTC की बस से हिमालय की रोमांचित कर देने वाली यात्रा। इसमें HRTC के ड्राइवरों के स्किल्स भी देखने को मिलते हैं कि वे कितने मुश्किल हालात में ड्यूटी करते हैं और कितनी खतरनाक सड़कों पर बस चलाते है। उनके ऊपर जिम्मेदारी होती है बस पर सवार लोगों की जिंदगी की। क्योंकि एक गलती और बस कई फीट गहरी खाई में। बचने की संभावनाएं लगभग शून्य। रेस्क्यू के लिए भी कब कौन आएगा, कोई तय नहीं।

 

छोटी सी गलती भी जानलेवा हो सकती है।

 

हिमाचल प्रदेश के चर्चित फटॉग्रफर हिमांशु खागटा ही इस वीडियो के डायरेक्टर और एडिटर हैं। उन्होंने बहुत खूबसूरती से इस वीडियो को बनाया है। तो नीचे देखिए आप यह वीडियो और घर पर बैठकर निकल जाइए रोमांचित कर देने वाली यात्रा पर, HRTC बस के जरिए।

 


‘इन हिमाचल’ का यह भी मानना है कि इन इलाकों की सड़कों की दशा सुधारने की दिशा में केंद्र और प्रदेश दोनों सरकारों को गंभीरता से सोचना होगा। आज टेक्नॉलजी के दौर में सबकुछ संभव है। ऐसी सड़कें बनाई जा सकती हैं जो प्रतिकूल मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों में भी सुरक्षित बनी रहें।

नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे कम भ्रष्ट राज्य है हिमाचल प्रदेश

इन हिमाचल डेस्क।। नीति आयोग ने देश के 20 राज्यों में एक सर्वे कराया है ताकि भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सके। इस सर्वे में पता चला है कि हिमाचल प्रदेश सबसे कम भ्रष्ट राज्य है। हिमाचल के साथ-साथ केरल और छत्तीसगढ़ भी देश के अन्य राज्यों की तुलना में कम करप्ट हैं। इस सर्वे के मुताबिक जिन लोगों से इस संबंध में बातचीत की गई थी, उनमें से सिर्फ 3 पर्सेंट को काम करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ी थी।

नीति आयोग ने इस सर्वे में कर्नाटक को सबसे भ्रष्ट प्रदेश पाया है। करप्शन के मामले में इसके बाद आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर और फिर पंजाब का नंबर आता है। 20 राज्यों में शहरी और ग्रामीण इलाकों के 3 हजार लोगों की राय ली गई। इस दौरान पूछा गया कि पिछले 1 साल के दौरान सरकारी काम करवाने में कितनी बार करप्शन से वास्ता पड़ा। पता चला कि पूरे देश में करीब 1 तिहाई लोगों को कम से कम एक बार रिश्वत देनी पड़ी। इससे पता चलता है कि हिमाचल प्रदेश की स्थिति अन्य राज्यों से कितनी अच्छी है।

गौरतलब है कि साल 2005 में भी इस तरह का एक सर्वे किया गया था। उस सर्वे में 53% लोगों ने माना था कि उन्हें रिश्वत देनी पड़ी थी। इस तरह से 2005 के मुकाबले करप्शन कम होता नजर आ रहा है। इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि साल 2017 में 20 राज्यों के 10 सरकारी महकमों में लोगों ने 6,350 करोड़ रुपये घूस के तौर पर दिए जबकि 2005 में यह आंकड़ा 20,500 करोड़ रुपये था।

इस सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा लोगों का मानना है कि  2016 के आखिर में सरकार द्वारा उठाए गए नोटबंदी के कदम के बाद करप्शन में कमी आई है।

इस सर्वे की रिपोर्ट पर आपकी क्या राय है, कॉमेंट करके बताएं।

18 साल की लड़की से करवाई जा रही थी 12 साल के लड़के की शादी

सिरमौर।। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में पुलिस और महिला एवं बाल कल्याण विभाग की टीम ने एक बाल विवाह को रुकवाने में कामयाबी हासिल की है। यहां माजरा की बंगाला बस्ती में 12 साल के लड़के का विवाह लगभग 18 साल की युवती के साथ करवाया जा रहा था। पुलिस ने बारात निकलने से पहले ही शादी रुकवा दी।  इस दौरान तेज कार्रवाई के लिए पहचानी जाने वाली एसपी सौम्या सांबशिवन भी मौजूद रहीं। उन्होंने लोगों को समझा कर शादी रुकवाई।

पुलिस ने दुल्हा और दुल्हन दोनों के पिताओं को गिरफ्तार कर लिया है। ‘अमर उजाला’ की।खबर के अनुसार माजरा की बंगाला बस्ती में गुरुवार को एक नाबालिग की बारात जानी थी। इसके लिए बस्ती में ही शादी की रस्म होनी थी, लेकिन ऐन मौके पर संयुक्त टीम ने शादी को रुकवा दिया।

सबसे पहले महिला एवं बाल कल्याण विभाग को इसकी सूचना मिली थी। फिर पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस अधीक्षक सौम्या सांबशिवन, सीडीपीओ पांवटा रूपेश और जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम मौके पर पहुंची और परिजनों को समझाने का प्रयास किया। वहां पर कुछ समय के लिए हंगामा भी हुआ, लेकिन परिजन मान गए।

एसपी सौम्या सांबशिवन के अनुसार जिस बच्चे की शादी हो रही थी उसकी उम्र 12 वर्ष है। लड़की की उम्र का पूरा पता नहीं लग सका है मगर वह 18-19 वर्ष की प्रतीत हो रही है। लड़का स्थानीय है जबकि लड़की हरियाणा के कुरुक्षेत्र की है।

ये हैं देवभूमि हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों के प्रमुख मंदिर

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प्रतीक बचलस।। हिमाचल को प्राचीन काल से ही देवभूमि के नाम से संबोधित किया गया है। यदि हम कहें कि हिमाचल देवी-देवताओं का निवास स्थान है तो बिल्कुल भी गलत नही होगा। हमारे कई धर्मग्रन्थों में भी हिमाचल वाले क्षेत्र का वर्णन मिलता है। महाभारत, पद्मपुराण और कनिंघम जैसे धर्मग्रन्थों में इस भू-भाग का जिक्र कई बार आता है। इस सब से हम अनुमान लगा सकते है कि यह पवित्र भूमि आदि काल से ही देवी-देवताओं की प्रिय रही है। इसलिए ऐसी पावन धरा पर जन्म लेना और यहां जीने का अवसर मिलना सौभाग्य की बात है। आज हम हिमाचल के अलग-अलग जिलो में महत्वपूर्ण मंदिरों की बात करेंगे।

हमीरपुर
हमीरपुर में वैसे तो अनगिनत मंदिर है परंतु इस जिले के कुछ महत्वपूर्ण मंदिर इस तरह से हैं:
1. बाबा बालक नाथ: यह मंदिर शिवालिक पहाड़ियों पे स्थित है। यह हमीरपुर के दियोटसिद्ध में स्थित है।
2. मुरली मनोहर मंदिर: यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण राजा संसारचंद ने 1790 में कराया था।
3.गौरी शंकर मंदिर: यह मंदिर हमिरपुर के सुजानपुर टिहरा में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा संसारचंद ने 1793 ई. में करवाया था।

बिलासपुर
बिलासपुर जिला प्राचीन समय में कहलूर के नाम से जाना जाता था। इस जिले के महत्वपूर्ण मंदिर है:
1. श्री नैना देवी मंदिर: यह एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। न सिर्फ हिमाचल बल्कि पूरे भारत वर्ष में इसकी मान्यता है। यह इक्यावन(51) शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहां सती के नैन गिरे थे। इस मसन्दिर का निर्माण वीरचंद ने करवाया था।
2. गोपाल जी मंदिर: यह मंदिर भी भगवान मदन गोपाल को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण राजा आनंद चंद ने 1938 ई. में करवाया था।
3. देवभाटी मंदिर: देवभाटी मंदिर ब्रह्मपुखर का निर्माण राजा दीपचंद ने करवाया था।

ऊना
ऊना जिले के लोग बड़े धार्मिक विचारों के है। यहां के विभिन्न मंदिर इस प्रकार है:
1. चिंतपूर्णी मंदिर: यह मंदिर भी हिमाचल में ही नही अपितु भारत वर्ष में प्रसिद्ध है। यह भी एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है ऐसी मान्यता है कि यहाँ माता का मस्तक गिरा था। इसलिए माता को छिन्नमस्ता भी कहते हैं। कुछ मान्यताएं कहती हैं कि यहां देवी के चरण गिरे थे।
2.भ्रमोति: यह मंदिर भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। आप मे से बहुत कम इसके बारे में जानते होंगे क्योंकि ब्रह्मा जी के पूरे संसार मे केवल दो ही मंदिर है एक पुष्कर राजस्थान व दूसरा यहां ऊना में, परन्तु ये पुष्कर जितना प्रसिद्ध नहीं है।
3.गरीब नाथ: यह मंदिर बहुत ही सुंदर जगह पर है। यह मंदिर सतलुज नदी के भीतर बना हुआ है तथा मंदिर में जाने के लिए नाव पे जाना पड़ता है। यहां पर शिवजी की भी एक बहुत ही सुंदर प्रतिमा है।

सोलन
सोलन में बहुत मंदिर है आपको यह जानकर खुशी होगी कि सोलन शहर का नाम वहां की देवी शूलिनी के नाम पर ही पड़ा है। यहां के प्रमुख मंदिर है:
1. शूलिनी देवी: यह मंदिर सोलन में ही स्थित है। हर वर्ष यहां पर शूलिनी माता का मेला लगता है। यह मेला एक सप्ताह तक चलता है।
2.जटोली मंदिर: यह मंदिर ओचघाट के समीप है। यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। इसका नाम शिव की लम्बी लम्बी जटाओं से पड़ा है।
3. काली का टिब्बा: यह सोलन के चैल में स्थित काली देवी का मंदिर है। यहाँ से आप चुरचांदनी और शिवालिक पहाड़ियों का मनोरम दृश्य देख सकते है।

सिरमौर
सिरमौर में हिमाचल के काफी पवित्र स्थान है यहाँ भगवान परशुराम की माता रेणुका जी का मंदिर है व ऐसी मान्यता है कि वे यहां झील के रूप मे हैं।अन्य मुख्य मंदिर इस प्रकार है:
1. शिर्गुल मंदिर: यह मंदिर चूड़धार पहाड़ी पर स्थित है।यह मंदिर भगवान शिर्गुल को समर्पित है। यह बहुत ही ऊंचाई पर स्थित है लगभग 3647 मी. ,यहां भगवान शिव की प्रतिमा है।
2. गायत्री मंदिर: गायत्री माता को वेदों की माता भी कहा जाता है। यह मंदिर रेणुका में स्थित है। इस का निर्माण महात्मा पराया नंद ब्रह्मचारी ने करवाया था।
3. बाला सुंदरी मंदिर: यह मंदिर सिरमौर के त्रिलोकपुर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण दीप प्रकाश ने 1573 ई. में करवाया था यरह माता बाल सुंदरी को समर्पित है।
मंडी
मंडी को हिमाचल की छोटी काशी भी कहते है। यहाँ पर इक्यासी(81) मंदिर है जबकि वाराणसी में अस्सी(80) मंदिर है। जिले के मुख्य मंदिर इस प्रकार है:
1. भूतनाथ मंदिर: राजा अजबर सेन ने इस मंदिर का निर्माण 1526 ई. में करवाया था।यह मंदिर मंडी में स्थित है।
2 श्यामाकाली मंदिर: यह मन्दिर मंडी में स्थित है तथा इसका निर्माण राजा श्यामसेन ने करवाया था।
3 पराशर मंदिर: यह मंदिर बाणसेन ने बनवाया था। यह मंडी की प्रसिद्ध झील पराशर के किनारे स्थित है।

शिमला
हिमाचल की राजधानी शिमला तो आप सब से परिचित ही है। आप सब को यह जान कर हैरानी होगी कि शिमला का नाम भी किसी देवी के नाम पर पड़ा है। जी हाँ शिमला का नाम श्यामला देवी से पड़ा है। श्यामला देवी भगवती काली का दूसरा नाम है। यहाँ के प्रमुख मंदिर है:
1. जाखू मंदिर: ऐसी मान्यता है कि जब श्री हनुमान जी लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लेने गए थे तो उन्होंने यहां पर विश्राम किया था।यह मंदिर शिमला के जाखू में स्थित है। यह भगवान हनुमान जी को समर्पित है।यहाँ हनुमान जी की 108 फुट ऊंची मूर्ति बनाई गई है।
2. सूर्य मंदिर: यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। कोणार्क के बाद ये दूसरा सूर्य मंदिर है भारत में। यह शिमला के ‘नीरथ ‘ में स्थित है।
3 कालीबाड़ी मंदिर: यह मंदिर शिमला में स्थित है। यह मंदिर काली माता को समर्पित है।इन्हें ही श्यामला देवी भी कहा जाता है। इन्ही के नाम पर शिमला शहर का नामकरण हुया है।

कुल्लू
कुल्लू में बहुत देवी देवताओं ने वास किया था। कुल्लू राजवंश की कुल देवी माता हिडिम्बा को माना जाता है। निरमण्ड को कुल्लू की छोटी काशी कहते हैं।यहाँ के मुख्य मंदिर इस प्रकार है:
1. हिडिम्बा देवी: हिडिम्बा देवी का मंदिर मानाली में स्थित है जिसे कुल्लू के राजा बहादुर सिंह ने 1553 ई. में बनवाया था। हिडिम्बा देवी भीम की पत्नी थी। यह मंदिर पैगोडा शैली का बना हुआ है। इस मंदिर में हर वर्ष मई के महीने में डूंगरी मेला लगता है।
2. बिजली महादेव मंदिर: यह मंदिर कुल्लू से 14 किलोमीटर दूर ब्यास नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यहां शिवलिंग पर बिजली गिरती है।
3. जामलु मंदिर: यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध मलाणा गांव में स्थित है। मलाणा गांव में पूरे विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र आज भी मन जाता है। यह मंदिर जमदग्नि ऋषि को समर्पित है।

कांगड़ा
कांगड़ा जिला भी पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है यहाँ का ब्रृजेश्वरी मन्दिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते है व उनकी कई मनोकामनाएं पूर्ण होती है।यहाँ के मुख्य मंदिर इस प्रकार है:
1. बृजेश्वरी मंदिर: यह मंदिर 51 शक्ति पीठो में से एक है। यहां माता सती का धड़ गिरा था। यह मंदिर कांगड़ा बस स्टॉप से 3 कम की दूरी पर स्थित है।
2. मसरूर मंदिर: इस मंदिर को रॉक कट मंदिर भी कहते है। यह पांडवो द्वारा निर्मित बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यह भगवान शिव को समर्पित है। इसे हिमाचल का अजंता भी कहते है।यह मंदिर कांगड़ा के नगरोटा सूरियां में स्थित है।
3. ज्वालामुखी मंदिर: यह भी 51 शक्तिपीठों में से एक एक है।यहाँ माता सत्ती की जीभ गिरी थी। अकबर ने यहाँ सोने का छतर चढ़ाया था जो माता ने स्वीकार नहीं किया व वह किसी अन्य धातु में परिवर्तित हो गया। महाराजा रणजीत सिंह ने यहाँ 1813 ई . में स्वर्ण जल का गुम्बद बनवाया था। यह कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी में स्थित है।

किन्नौर
यहाँ हिमाचल के अति प्राचीन मंदिर मिलते है।ऐसा मानना है कि पांडव अपने अज्ञात वास के दौरान यहाँ रहे थे।यहाँ के मंदिरों में मुख्यता लकडी व पत्थरो पे शिल्प के नमूने मिलते है।यहाँ के मुख्य ममंदिर इस प्रकार है:

1.चंडिका मंदिर: यह मंदिर किन्नौर के कोठी में स्थित है तथा यह माता चंडिका को समर्पित है। चंडिका बाणासुर की पुत्री थी। चंडिका माता को दुर्गा माता का स्वरूप माना जाता है।
2. माठि देवी मंदिर: यह मंदिर छितकुल जो भारत का आखिरी गांव है वहाँ स्थित है। छितकुल गांव के लोग माठि देवी को बहुत मानते है।
3. मोरंग मंदिर किन्नौर: यह पांडवो द्वारा निर्मित बहुत ही सुंदर मन्दिर है। यह पहाड़ की चोटी पर स्थित है तथा प्राचीन समय में पांडवो ने इस के निर्माण करवाया था। किन्नौर के लोग आज भी इस मंदिर को बड़ा मानते है।

चम्बा
चम्बा जिला को शिव भूमि भी कहा जाता है।यहाँ शिव जी का निवास स्थान मणिमहेश भी है।हर वर्ष लोग मणिमहेश की यात्रा में बड़ चड कर भाग लेते है।यह यात्रा मुख्यता जुलाई -अगस्त मास में होती है।यहां के अन्य मुख्य मंदिर है:
1. लक्ष्मी देवी मंदिर: इस मंदिर का निर्माण साहिल वर्मन द्वारा कराया गया था।यह चम्बा में स्थित है।यह मुख्यता छह मंदिरो का समूह है।
2 . सुई माता मंदिर: यह मंदिर माता नैना देवी जो साहिल वर्मन की पत्नी थी उनको समर्पित है।माता नैना देवी ने चम्बा में पानी लाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था।यहाँ हर वर्ष उनकी याद में सुई मेला लगता है।
3. मणिमहेश मंदिर: इस मन्दिर का निर्माण मेरु वर्मन ने करवाया था।चम्बा के भरमौर में चौरासी मंदिरो का समूह भी है।मणिमहेश यात्रा के समय इन मंदिरो के दर्शन जरूर करते है श्रद्धालु।

लाहौल स्पीति
लाहौल स्पीति हिमाचल का सबसे दुर्गम व सबसे बड़ा जिला है। यहाँ के लोग मुख्यता हिन्दू व बौद्ध धर्म को मानते है।यहाँ के प्रसिद्ध मंदिर इस प्रकार है:
1. मृकुला देवी: यह मंदिर लाहौल के उदयपुर में स्थित है।इस मंदिर का निर्माण अजय वर्मन द्वारा करवाया गया था।यह मुख्यता लकड़ी से बना हुआ मंदिर है।
2. त्रिलोकीनाथ मंदिर: यह मंदिर लाहौल स्पीति के उदयपुर में स्थित है। यहाँ पर अविलोकतेश्वर की मूर्ति है। यह मंदिर हिंदुयों और बोध दोनों सम्प्रदायों के लिए पूजनीय है।
3. गुरु घंटाल गोम्पा: Gandhola Monastery लाहौल के तुपचलिंग गांव में स्थित है। यहाँ अविलोकतेश्वर की 8 वीं शताब्दी की मूर्ति है जिसका निर्माण पद्मसंभव नर करवाया था। यहाँ हर वर्ष जून माह में घंटाल उत्सव मनाया जाता है।

आशा है आप सब को यह छोटा सा प्रयास पसंद आया होगा। अगर आपको लगता है कि इस सूची में और मंदिर भी शामिल होने चाहिए थे तो कॉमेंट करके बताएं।

(लेखक हिमाचल प्रदेश के ऊना से हैं और नैशनल ऐग्री फूड बायोटेक्नॉलजी रिसर्च इंस्टिट्यूट में कार्यरत हैं। उनसे prateekdcoolest120@gmail com पर संपर्क किया जा सकता है।)

प्रधानमंत्री मोदी ने वीरभद्र सिंह पर कसा तंज और जनता से पूछा सवाल

शिमला।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला के रिज मैदान से जनसभा को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर बिना नाम लिए हमला किया। पीएम ने कहा कि शायद ही किसी मुख्यमंत्री ने वकीलों के बीच इतना समय बिताया हो। इसके बाद पीएम मोदी ने कहा- समझ गए? फिर भीड़ से आवाज आई- हां। इसपर उन्होंने कहा कि बड़े समझदार हो, इसीलिए मैं हिमाचल के लोगों का इतना सम्मान करता हूं।

हमेशा की तरह नरेंद्र मोदी रैली में आई भीड़ की तारीफ करना नहीं भूले। उन्होंने कहा, ‘आज मैं जो दृश्य देश रहा हूं, जहां दूर-दूर तक मेरी नजर पड़ रही है, लोग ही लोग हैं।’

रिज मैदान पर जनसभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

पीएम ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी बेईमानी से नहीं बल्कि ईमानदारी से आगे बढ़ना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘आज के युवा मेरे से कंधा से कंधा मिलाना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि जिन्होंने गरीबों को लूटा है, उन्हें वापस लौटाना पड़ेगा। जब तक ऐसा नहीं हो जाता, मैं चैन से नहीं बैठूंगा।’

शिमला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की 10 खास बातें

शिमला।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिमला से ‘उड़ान’ योजना का शुभारंभ किया है। शिमला के जुब्बलहट्टी एयरपोर्ट से उन्होंने इस सस्ती हवाई सेवा का आगा किया। इसके साथ ही उन्होंने बिलासपुर के बंदला गांव में खुलने वाले देश के पहले हाइड्रो इंजिनियरिंग कॉलेज का शिलान्यास भी किया। इसके बाद वह शिमला शहर पहुंचे। उन्होंने मॉल रोड पर रोड शो किया। रोड शो एजी चौक से रामचंद्र चौक तक हुआ। इस दौरान बहुत लोग इकट्ठे हुए थे। प्रधानमंत्री ने रिज स्थित मंच से बोलते हुए अपने भाषण में हिमाचल संबंधित कौन सी 10 मुख्य बातें कहीं, पढ़ें:

1. 20 साल पहले कार्यकर्ता के तौर पर हिमाचल आया था आज फिर उसी मंच से बोलने का मौका मिला। आपने बुलाया और हम चले आए।

2. कुछ राज्यों के सीएम वकीलों के साथ ज्यादा वक्‍त बिताते हैं। वो जनता को क्या देखेंगे। (वीरभद्र सिंह पर तंज)

3. हिमाचल के लोग डिजिटल करंसी का इस्तेमाल करें, इससे टूरिजम का विकास होगा। BHIM ऐप यूज करो। हिमाचल में टूरिज्म की संभावना बहुत ज्यादा।

4. हिमाचल के लोगों पर मेरा अधिकार है, मैंने आपका नमक खाया है। अब फायदा उठाना आपके हाथ है। भारत सरकार हर वक्‍त आपके साथ।

5. यहां की हर समस्या जानता हूं। OROP हम लेकर आए हैं। हिमाचल देवभूमि ही नहीं वीरभूमि भी है।

6. नौजवानों के लिए रोजगार, किसानों के लिए सिंचाई, बुजुर्गों के लिए दवाई देंगे।

7. हम पीएम कृषि सिंचाई योजना, पीएम फसल बीमा योजना लाए। हिमाचल के किसान फसल बीमा योजना का लाभ उठाए।

8. वीरभूमि की वीर माताओं को नमन जो देश के 125 करोड़ लोगों की रक्षा कर रहे हैं।

9. अब आम आदमी शिमला में हवाई जहाज से यात्रा करेगा। एक घंटे में दिल्ली पहुंचेंगे।

10. अब उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली की ताजा हवा हिमाचल में आ रही है (चुनाव के संदर्भ में)। ईमानदारी पर देश चले। हिमाचल में भी ईमानदारी के युग का इंतजार।

स्वारघाट आईटीआई में भूत का खौफ, बेहोश हो जाती हैं छात्राएं

बिलासपुर।। राजकीय आईटीआई स्वारघाट में इन दिनों अजीब माहौल देखने को मिल रहा है। पिछले 1 हफ्ते से यहां से पढ़ाई कर रहीं 4-5 लड़कियां भूत-भूत कगते हुए घबरा जाती हैं और जमीन पर रेंगने लगती हैं। कुछ बेहोश भी हो जाती हैं। ऐसा ही मंगलवार सुबह साढ़े 9 बजे दोबारा हुआ। बाजार के बीच में स्थित आईटीआई में राष्ट्रगान के दौरान 5 छात्राएं बेहोश हो गईं और चिल्लाने लगीं। अजीबो-गरीब आवाजें निकाल रही लड़कियों से सभी डर गए। पास से ही किसी केमिस्ट शॉप से भी किसी को बुलाया गया मगर हालात में सुधार नहीं हुआ। संस्थान प्रबंधन ने तंत्र-मंत्र का सहारा लेने का फैसला किया।

प्रबंधन के सदस्यों ने छात्राओं के हाथ-पैर की मालिश की और परिजनों को सूचित कर दिया। संस्थान में लोगों का जमघट लग गया था। कुछ लोग मोबाइल पर मंत्र चलाकर इन लडकियों सुना रहे थे। कुछ सिर पर नींबू और मिर्च सिर पर घुमा रहे थे। आखिर में स्थानीय मस्जिद से मौलवी को बुलाया गया। मौलवी ने आते ही हाथ में पानी लिया और कुछ कहा। फिर उसने उस पानी से महिलाओं के मुंह पर छींटे मारे। थोड़ी देर में 4 लड़कियां तो होश में आ गईं लेकिन एक चिल्लाती रही। मौलवी का कहना था कि यह भूत-प्रेत का मामला नहीं है।

प्रबंधन ने मौलवी को बुलाया।

उधर सड़क से गुजर रहा एक बाबा भी मामले का पता चलने पर आईटीई में घुस आया। वह कहने लगा कि मेरे होते हुए कोई भूत किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। काफी देर तक ड्रामा चलता रहा। आखिर में परिजन अपनी बेटियों को घर ले गए। तब जाकर सब कुछ शांत होता दिखने लगा।  आई.टी.आई. प्रबंधन का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से लड़कियों के साथ ये घटनाएं हो रही हैं। पहले यह घटनाएं संस्थान के कमरे में जाने पर होती थीं लेकिन आज तो प्रार्थना सभा में ही लड़कियां चीखने-चिल्लान लगीं। बेहोश होने वाली छात्राओं में 1 विवाहित तथा 4 अविवाहित हैं।

सड़क से जा रहा एक बाबा भी कैंपस में घुस आया।

मौलवी का कहना है कि इंस्टिट्यूट में भूत-प्रेत जैसा कुछ नहीं है, मगर अभिभावकों का कहना है कि संस्थान में आते ही उनके बच्चों को कुछ हो जाता है। सिर्फ 5 छात्राओं के साथ ही इस तरह की घटनाएं हो रही है। इसलिए आईटीआई प्रबंधन ने मनोचिकित्सकों की मदद लेने के बजाय इन छात्राओं के पैरंट्स से कहा है कि कुछ दिन बच्चियों को न भेजें ताकि वे आराम कर सकें। साथ ही इस बीच प्रबंधन यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि अन्य छात्रों पर क्या असर होता है।

इन हिमाचल की राय: इन हिमाचल का मानना है कि सरकारी संस्थानों को साइंटिफिक अप्रोच अपनानी चाहिए। संस्थान में तांत्रिकों को बुलाना सही नहीं है। इसके लिए बेहतर होता कि यह जानने की कोशिश की जाती कि इन 5 बच्चियों के साथ समस्या क्या है। अक्सर देखने को आता है कि कोई एक शख्स निजी परेशानी की वजह से अजीब व्यवहार करता है और भ्रम का शिकार होता है और बाकी लोग घबराकर या उसके प्रभाव में आकर वैसा ही व्यवहार करने लग जाते हैं। इस प्रक्रिया को ‘मास हिस्टीरिया’ कहा जाता है यानी एकसाथ बहुत से लोगों का अजीब तरह से व्यवहार करना। यह सामान्य घटना है और मनोचिकित्सकों की मदद ली जानी चाहिए। झाड़-फूंक के चक्कर में इन बच्चों के मन में और गहरा डर बैठ सकता है।