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Tuesday, September 16, 2025
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Impact: बीड़-बिलिंग में बिना लॉग बुक भरे उड़ान भर रहे पायलट्स के लाइसेंस जब्त

बैजनाथ।। कांगड़ा जिले की दुनिया भर में प्रसिद्ध पैराग्लाइडिंग साइट बीड़-बिलिंग में करीब 12 पायलटों के लाइसेंस जब्त कर लिए गए है। पर्यटन विभाग के DTDO जगन ठाकुर ने 5 सदस्यों की टीम के साथ यह कार्रवाई की। टीम ने गुरुवार को पैराग्लाइडिंग साइट का सरप्राइज इंस्पेक्शन किया और वे यह देखकर सरप्राइज्ड रह गए कि लगभग एक दर्जन पायलट लॉग बुक नहीं भर रहे थे।

गौरतलब है कि ‘In Himachal’ ने कुछ दिन पहले मुद्दा उठाया था कि यहां से  ऐसे पायलट भी उड़ान भर रहे हैं जिन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है। साथ ही पर्यटकों से दुर्व्यवहार के मामलों को लेकर भी हमने प्रश्न उठाया था कि कोई बीड़ और बिलिंग में कोई भी रेग्युलेटरी बॉडी या उनके प्रतिनिधि न होने की वजह से वहां पर कल को कोई अप्रिय घटना हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा।

‘इन हिमाचल’ ने कुछ दिन पहले एक युवती द्वारा पायलट पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए जाने वाली खबर कवर करते हुए लिखा था, ‘बीड़-बिलिंग में शरारती तत्वों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। यहां पर टेंडम फ्लाइट्स तो भरी जा रही हैं मगर यह निगरानी करने के लिए कोई अधिकृत संस्था नहीं है जो लोग यहां टूरिस्ट्स को अपने साथ उड़ा रहे हैं, उनकी क्वॉलिफिकेश क्या है या वे कितने ट्रेन्ड हैं। इससे वे अपने साथ-साथ बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स की जान भी जोखिम में डाल रहे हैं। कुछ टूरिस्ट्स यहां तक शिकायत कर चुके हैं कि पायलट्स चरस और गांजा पीकर उड़ाने भरते हैं।’

पढ़ें: पायलट पर युवती ने लगाया छेड़छाड़ का आरोप

अब विभाग ने हरकत में आते हुए बी.पी.ए. के प्रतिनिधियों से बैठक कर 15 मई को सभी पायलटों के दस्तावेजों की जांच करने के साथ-साथ उनके मेडिकल और बीमा को सुनिश्चित करने का फैसला लिया है। बिलिंग पैराग्लाइडिंग असोसिएशन के के प्रतिनिधि सुरेश ठाकुर का कहना है कि  सोमवार तक पैराग्लाडिंग की उड़ानें पूरी तरह बंद रहेंगी।

हिमाचल प्रदेश के मंत्री कर्ण सिंह का दिल्ली एम्स में निधन

नई दिल्ली।। हिमाचल प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कर्ण सिंह नहीं रहे। गुरुवार रात दो बजे दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया। आयुर्वेद एवं सहकारिता मंत्री रहे कर्ण सिंह पिछले कुछ समय से किडनी की समस्या से जूझ रहे थे। वह अपने पीछे पत्नी शिवानी सिंह और बेटे आदित्यविक्रम सिंह को छोड़ गए हैं। गौरतलब है कि कर्ण सिंह के एक बेटे का काफी साल पहले एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। कुल्लू राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले कर्ण सिंह बीजेपी नेता और कुल्लू के विधायक महेश्वर सिंह के छोटे भाई थे।

कर्ण काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने उनका विभाग अपने पास ले लिया था। कर्ण सिंह का जन्म 14 अक्टूबर 1957 को हुआ था। पॉलिटिकल साइंस में बीएस ऑनर्स की पढ़ाई की। वह तीन बार विधायक रहे और 2 बार मंत्री बने। कर्ण सिंह पहली बार 1990 में बीजेपी के टिकट पर बंजार से विधायक बने। 1998 में भी इसी सीट पर बीजेपी के टिकट से जीतकर विधायनसभा पहुंचे। तब उन्हें प्राथमिक शिक्षा मंत्री बनाया गया था। 2003 में उन्हें मनाली से उतारा गया मगर वह चुनाव हार गए।

राजनीतिक मतभेद के चलते कर्ण सिंह ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस जॉइन की। 2012 में बंजार से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की। वीरभद्र कैबिनेट में उन्हें आयुर्वेद और सहकारिता मंत्री बनाया गया था।

शहीद बलदेव कुमार शर्मा के परिवार से किए वादे भूल गई सरकार

इन हिमाचल डेस्क।। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में 25 जवान शहीद हो गए। यह पहली घटना नहीं थी। CRPF के जवान लगातार अशांत इलाकों में निष्ठा से जुटे हुए हैं। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के सूबेदार बलदेव कुमार शर्मा और उनकी बटालियन पिछले साल मई महीने में मणिपुर में एक जगह पर हुए भूस्खलन को ठीक की जांच कर रहे थे। इसी दौरान उनपर हमला कर दिया गया है। सूबेदार बदलेव कुमार शर्मा इस हमले में शहीद हो गए। सूबेदार शर्मा के परिवार को  आज तक सरकार की ओर से आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला है। बस 5 लाख में से 1.5 लाख रुपये मिले हैं जिससे जीवनयापन मुश्किल है। परिवार को नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था मगर शहीद का बेटा आज तक उस नौकरी को पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। परिवार के सामने कई चुनौतियां हैं। बेटी प्रियंका कहती है कि पैसों से क्या होगा, मेरे पिता तो वापस नहीं आएंगे। वह याद करके बताती है कि कैसे उसके पिता अक्सर सुबह ब्रश करते समय उसके साथ मजाक किया करते थे। उस खेल को वो याद करके रो देती है।

इंडियाटाइम्स ने #ChildrenOfTerror #COTSeason2 के तहत इस बार शहीद शर्मा के परिवार से बात की है और उनकी समस्याओं को सामने लाने की कोशिश है। यह एक तरह से कोशिश है लोगों के हृदय बदलने की। खासकर उन लोगों की जो हिंसा के जरिए अपनी मांगों को मनवाने की सोच रखते हैं। इन बच्चों के दर्द को समझकर शायद चरमपंथ की राह पर निकले लोगों को दिल पसीज जाए। देखें, शहीद की बेटी प्रियंका शर्मा से बातचीत:

इससे पहले इंडियाटाइम्स हिमाचल प्रदेश के अन्य शहीदों के बच्चों की समस्याएं भी इस सीरीज के तहत उठा चुका है। देखें-

भावुक कर देती हैं शहीद आर.के. राणा की बहादुर बेटियों की बातें

रो पड़ेंगे हिमाचल के वीर शहीद की बहादुर बेटी की बातें सुनकर

धर्मशाला SkyWay: सपने दिखाने वाली कंपनी से MoU साइन करने में जल्दबाजी क्यों?

धर्मशाला।। धर्मशाला में स्ट्रिंग ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने बेलारूस की जिस कंपनी के साथ MoU साइन किया है, वह न सिर्फ अनुभवहीन है बल्कि विवादित भी है, यह बात हमने पिछली स्टोरी में बताई थी। हमने विस्तार से बताया है कि कैसे कई देशों में इस कंपनी के फंड जुटाने के तरीकों पर सवाल उठ चुके है। इस संबंध में हमने कुछ और तथ्य जुटाए हैं, जिनके बारे में हम इस स्टोरी में जानकारी देंगे। हमने पता लगाया है कि SkyWay कंपनी को बनाने के पीछे जिस शख्स का दिमाग है, उसकी छवि ठीक नहीं है। पूरी दुनिया में SkyWay नाम की  कई कंपनियां बनी और बंद हुई हैं। ऐसे में मौजूदा कंपनी की छवि देखते हुए आशंका यह भी पैदा हो रही है कि धर्मशाला SkyWay के नाम पर ठगी का शिकार हो सकता है। मगर पहले बात कर लेते हैं कि बेलारूस की जिस कंपनी ने अब तक अपने कॉन्सेप्ट को दुनिया में कहीं और इंस्टॉल नहीं किया, जिसके फंड जुटाने के तरीके संदिग्ध हैं, 1980 के दशक से लेकर आज तक जिसका प्रॉजेक्ट कहीं और नहीं लगा, उसे धर्मशाला में काम आखिर मिला कैसे।

अमूमन देखने को मिलता है कि अगर कहीं पर किसी चीज की जरूरत होती है तो यह तलाश की जाती है कि उस जरूरत को कौन पूरा कर सकता है। जब दिल्ली हैवी ट्रैफिक से जूझ रही थी, तब जरूरत महसूस हुई कि यहां वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम होना चाहिए जिससे सड़कों का बोझ कम हो। बात हुई कि यहां मास रैपिड ट्रांजिट के लिए मेट्रो इंस्टॉल होनी चाहिए। फिर तलाश शुरू हुई कि आखिर यह काम दिया किसे जाए क्योंकि भारत में तो किसी को मेट्रो बनाने का अनुभव नहीं था। तब DMRC ने हॉन्ग कॉन्ग MTRC को कंसल्ट किया था जो इस मामले में अनुभवी थी। मगर धर्मशाला में ऐसा नहीं हुआ कि धर्मशाला को किसी वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की जरूरत महसूस हुई हो और उसकी तलाश SkyWay पर आकर खत्म हुई। क्योंकि SkyWay न तो अपनी फील्ड की अनुभवी कंपनी है और न ही यह कोई प्रतिष्ठित कंपनी है कि दुनिया भर में इसका नाम हो। उल्टा यह तो विवादास्पद है। और तो और, इस कंपनी के अपने देश बेलारूस में भी SKyWay के String ट्रांसपोर्ट को टूरिज़म या यातायात के लिए इंस्टॉल नहीं किया गया है।

SkyWay ऐसे पहुंची धर्मशाला
दरअसल स्विट्जरलैंड की एक कंपनी है- Castor Consult AG। इसकी सीईओ Dorothea Jeger ने साल भर पहले एक फेसबुक पेज पर SkyWay की यूनीबस को देखा। रिसर्च किया तो पता चला कि स्काईवे टेक्नॉलजीज़ है बेलारूस में। कंपनी के प्रतिनिधि से संपर्क किया गया। फिर स्विट्जरलैंड में अपने बिजनस पार्टनर राजविंदर से बात की और कहा कि इंडिया में इसका स्कोप है। फिर राजविंदर ने यह प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा को दिया और यहीं से शुरुआत हुई। यह दावा हम नहीं कर रहे बल्कि  इस बात की जानकारी खुद Dorothea Jeger ने दी है। दरअसल स्काईवे ने प्रमोशन के लिए इंटरव्यू लिया है जिसमें उन्होंने यह बात कही है। वीडियो देखें:

Dorothea Jeger के मुताबिक उन्होंने पिछले साल सितंबर में मॉस्को स्थित में ऑफिस में एनातोली यूनित्स्की से मीटिंग की और फिर प्रॉजेक्शन स्टार्ट किया और अप्रैल के आखिरी हफ्ते में हिमाचल से डेलिगेशन को लेकर मिंस्क पहुंच गए(स्रोत)।  इस डेलिगेशन में सुधीर शर्मा के साथ धर्मशाला नगर निगम के प्रतिनिधि भी थे। सुधीर शर्मा ने अपने पेज पर इसकी तस्वीरें भी शेयर की हैं। इस कंसल्टेंसी ने SkyWay को झारखंड में भी कुछ लोगों से मिलवाया। गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने भी SKyWay के साथ लेटर ऑफ इंटेंट साइन किया है।

(L to R) Sudhir Sharma, Dorothea Jeger and Unitsky

यानी यह स्विस कंसल्टेंसी SkyWay के लिए प्रॉस्पेक्ट्स ढूंढ रही है। इस कंपनी की सीईओ Dorothea Jeger धर्मशाला में MoU साइन होते वक्त भी साथ रही। बहरहाल, कंसल्टेंसीज़ का काम ही होता है कंपनियों के प्रॉडक्ट्स या सर्विसेज के लिए क्लाइंट ढूंढना और अपना हिस्सा लेना। मगर प्रश्न उठता है कि जो लोग प्रॉडक्ट खरीद रहे हों, खासकर अपने पैसों के बजाय जनता के पैसों से जनता के लिए कुछ इन्वेस्ट करने जा रहे हों, उन्सें रिसर्च करना चाहिए या नहीं? हमने रिसर्च करके पिछले आर्टिकल में बताया था कि स्काइवे पर लुथिएनिया में सवाल उठ चुके है। इंटरनेट पर ऐसे लिंक्स की भरमार है जिनमें SkyWay Scam और SkyWay Capital Fraud सर्च करें तो असंख्य आर्टिकल मिलते हैं। मगर सिर्फ इंटरनेट की जानकारी पुख्ता नहीं हो सकती। इसके लिए हमने एक विश्वसनीय सूत्र, जो कि पूर्वी यूरोप में प्रतिष्ठित लॉयर है, को SkyWay Technologies के बारे में रिसर्च करने का काम सौंपा। उन्होंने जो जानकारी जुटाई है, वह हैरान करने वाली है। SkyWay टेक्नॉलजी की रेप्युटेशन वहां पर भी ठीक नहीं है और बेलारूस के इंजिनियर्स का मानना है कि स्ट्रिंग ट्रांसपोर्ट सिस्टम व्यावहारिक नहीं है। हम पिछले आर्टिकल में बता चुके हैं कि जिस टेक्नलॉजी को इंस्टॉल करने के लिए SkyWay से MoU साइन किया है, उसे यूनित्स्की ने डिजाइन किया था। धर्मशाला में स्काईवे के साथ MoU साइन करते वक्त यूनित्सकी भी वहां थे। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि बेलारूस के एक मीडिया संस्थान ने जब स्काइवे और यूनित्स्की की संदिग्ध योजनाओं पर सवाल उठाए थे तो यूनित्स्की ने उस मीडिया संस्थान पर केस किया था और कहा था कि मेरा तो SKyWay के साथ कोई रिश्ता ही नहीं। उन्होंने यह तक कह दिया था कि दुनिया में तो स्काईवे नाम की कई कंपनियां है, सबसे मेरा रिश्ता हो जाएगा? जानें, क्या-क्या पता चला तफ्तीश में:

SkyWay की रेप्युटेशन ठीक नहीं है
हमारे सूत्र ने बताया- यूनित्स्की के प्रॉजेक्ट और स्काइवे की रेप्युटेशन ठीक नहीं है। इसके दो मुख्य कारण हैं-

1) वे ऐसा आइडिया बेच रहे हैं जो व्यावहारिक नहीं है। बेलारूस में वैज्ञानिक मानते हैं कि वजन, टेंशन, रेजिस्टेंट और धातु की फिजिकल क्वॉलिटीज़ को देखते हुए वैसी स्ट्रिंग्स बनाना मुश्किल है, जिनकी बात यूनित्सकी करते हैं।

(2) बेलारूस पहला देश नहीं है कि जहां पर यूनित्स्की ने अपना प्रॉजेक्ट शुरू किया है। उन्होंने रूस में टेस्टिंग ग्राउंड बनाया था जो बंद हो गया। यूनित्स्की का दावा है मेरे खिलाफ बड़ी कंपनियों ने साजिश रचकर ऐसा करवाया।

बेलारूस को छोड़कर पूरी दुनिया से फंड जुटा रही है स्काइवे
स्काइवे पूरी दुनिया से फंड रेज़ कर रही है मगर बेलारूस से नहीं, जहां यूनित्स्की रहते है। स्काइवे को बेलारूस में टेस्टिंग ग्राउंड के लिए जमीन भी मिली है। यहां वे कंक्रीट और मेटल के स्ट्रक्चर से कुछ ऐसा बना रहे हैं जो न तो देखने में हाई-टेक लगता है और न ही कोई बड़ा महंगा प्रॉजेक्ट नजर आता है। हो सकता है कि यह जमीन स्काईवे को बेलारूस सरकार ने इन्वेस्टमेंट अग्रीमेंट के तहत दी हो। (हिमाचल सरकार का डेलिगेशन भी मिंस्क स्थित इसी जगह गया था)

स्पैमिंग वाले वीडियो कौन बना रहा है? 
स्काइवे अपने फंड्स को कंप्यूटर जेनरेटेड ड्राइंग्स (प्रॉजेक्ट की ड्राइंग्स ग्राफिक्स से बनाई जाती हैं क्योंकि मिंस्क के टेस्टिंग ग्राउंड के अलावा कंपनी के पास दिखाने को कुछ नहीं है), कार्टून्स पर इन्वेस्ट करती है। कंपनी यूट्यूब पर स्पैम वीडियो भी डालती है जिनके टाइटल इस तरह से है- “Why Skyway is a scam” या “Skyway fraud revealed”. दरअसल बहुत से लोग स्काइवे की संदिग्ध योजनाओं पर शक करके गूगल करते हैं तो उन्हें SkyWay द्वारा बनाए यही वीडियो नजर आते हैं। इन वीडियोज़ में स्काइवे का प्रमोशन किया गया होता है। ऐसे में आशंका यह है कि कंपनी की यह रणनीति भी रहती हो कि अगर कोई स्काईवे की आलोचना वाला असली वीडियो ढूंढना चाहे तो उसे न मिले। स्काइवे ने बहुत सी वेबसाइट्स पर अपना प्रमोशन किया है और यह स्पॉन्सर्ड इन्फर्मेशन सर्च रिजल्ट्स पर सबसे ऊपर आती है ताकि थर्ड पार्टी द्वारा मुहैया करवाई गई जानकारी आसानी से न मिल पाए।

स्पॉन्सर्ड कॉन्टेंट से भरे पड़े हैं सर्च रिजल्ट।

25814000000000 रुपये है इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी होने का दावा
जीरो गिनते थक गए? मजेदार बात यह है कि स्काइवे दावा करती है कि इंडिपेंडेंट इंटरनैशनल ऐप्रेजर्स (जिनका नाम नहीं बताया गया है) के मुताबिक यूनित्स्की की इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर (25 हजार 814 अरब रुपये) है और इसे ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में रजिस्टर्ड कंपनी GTI (ग्लोबल ट्रांसपोर्ट इन्वेस्टमेंट्स) को कॉन्ट्रिब्यूट कर दिया गया है। यानी जिस कॉन्सेप्ट को कोई खरीद नहीं रहा, उस कॉन्सेप्ट की कीमत इतनी ज्यादा कैसे हो सकती है? खासकर स्काइवे यह भी नहीं बताती कि इतना इवैल्युएशन किया किसने। यूनित्स्की एक अन्य कंपनी BVI में यूरोएजियन रेलवे स्काइवे सिस्टम्स होल्डिंग लिमिटेड है। एक अन्य कंपनी UniSky सेशल्स में रजिस्टर की गई है। यूरोएजियन रेल स्काइवे सिस्टम लिमिटेड यूके की कंपनी है। (अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें)

मीडिया पर ही कर दिया था केस, SkyWay से झाड़ा पल्ला
यूनित्स्की ने बेलारूस के मीडिया पर यह कहके केस कर दिया था कि मुझे बेवजह बदनाम किया गया। यूनित्स्की ने तो दावा कर दिया कि मेरा SkyWay से कोई रिश्ता नहीं है और SkyWay तो इंटरेस्ट्डे लोगों का ग्रुप है और एक तरह का क्लब है। इस ग्रुप में मेरी पोजिशन ‘वर्चुअल’ है। बाद में इस मीडिया हाउस ने एक पूरी रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें कंपनी के इन्वेस्टमेंट/स्कैम और ग्रुप ऑफ कंपनी के स्ट्रक्चर को दिखाया। यह आर्टिकल इस साल फरवरी का ही है। सोर्स: https://tech.onliner.by/2017/02/03/sud-skyway (रूसी भाषा में)

एनातोली यूनित्स्की

इस आर्टिकल में कोर्ट में हुई जिरह के अंश भी दिए गए हैं जिन्हें रूसी भाषा से अनूदित करें तो कोर्ट में यूनित्सकी ने कहा मैं रूस का पूर्व नागरिक हूं। उन्होंने तो यह तक कह दिया कोर्ट में कि वेबसाइट में मेरी फोटो लगी है तो इसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं। उन्होंने कहा कि स्काईवे नाम की तो दुनिया में कई कंपनियां होती हैं। यही नहीं उन्होंने बेलारूस से बाहर की अपनी कंपनी के बारे में बताने से भी इनकार कर दिया था। मगर ध्यान रहे, हिमाचल प्रदेश में जो MoU साइन हुआ, उसमें खुद यूनित्स्की पहुंचे हुए हैं। दरअसल बेलारूस की कंपनी की शेयरहोल्डर के British Virgin Islands में रजिस्टर्ड कंपनी है मगर ऐसा कोई डॉक्युमेंट नहीं मिलता कि दोनों में रिश्ता साबित किया जा सके। चूंकि SkyWay बेलारूस में किसी तरह की फाइनैंशल ऐक्टिविटी नहीं करती, किसी से इन्वेस्टमेंट नहीं मांगती, इसलिए बेलारूस में इसपर कोई केस नहीं हो सकता। (कंपनी का स्ट्रक्चर और बेलारूस से बाहर की कंपनियों से लिंक स्थापित करने वाले कुछ सर्टिफिकेट्स की तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें।)

क्या है बेलारूस में स्थित कंपनी का नाम
SkyWay बेलारूस में ЗАО “Струнные технологии” नाम से रजिस्टर्ड है जिसका उच्चारण जाओ “स्ट्रनी टेक्नॉलॉजी” बनता है। इसके अलावा इस कंपनी के बारे में यह इन्फर्मेशन उपलब्ध है:

УНП (Uniform taxpayer number): 192425076
Название (Title): Закрытое акционерное общество «Струнные технологии» (Closed joint-stock company “Strunnye tekhnologii”)
Дата регистрации (Date of registration): 12.02.2015г.
Юридический адрес (Legal address):
220004, Пуховичский район, аг. Новосёлки, ул. Ленинская, 1А
(Belarus, 220004, Minsk region, Pukhovichi district, township Novosyolki, Leninskaya St 1A)
Alternative legal address information (from a different source):
220116, г. Минск, пр. Дзержинского, дом 104, оф. 703Б (Belarus, 220116, Minsk, Dzerzhinski ave 104, office 703Б)

कई बार एनातोली यूनित्स्की के बेटे डेनिस यूनित्सकी (Денис Юницкий) और पत्नी नदेज़ा कोसरेवा (Надежда Косарева) पर भी सवाल उठ चुके हैं मगर वे मीडिया से दूर रहते है। लिथुएनिया में भी बिजनस चलाने की कोशिश की थी यूनित्सकी ने मगर वह फेल हुए तो बेलारूस आ गए। इस संबंध में बैंक ऑफ लिथुएनिया की वेबसाइट पर अलर्ट देखा जा सकता है (इस बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करके पिछली स्टोरी पढ़ें):

बैंक की चेतावनी

Lithuanian:
http://www.lb.lt/lt/naujienos/lietuvos-bankas-ispeja-investuotojus-del-vieso-vertybiniu-popieriu-siulymo-pazeidziant-galiojancius-teises-aktus

English:
http://www.lb.lt/en/news/the-bank-of-lithuania-warns-investors-on-the-public-offer-of-securities-in-violation-of-applicable-laws

कुलमिलाकर देखा जाए तो SkyWay स्कैम नजर आ रही है। कोई भी भौतिकविज्ञानी बता सकता है कि स्काइवे जिस प्रिंसिपल पर कॉन्सेप्ट बनाने का दावा करती है, मेटल या कोई भी अन्य मटीरियल उतना लोड और टेंशन नहीं झेल सकता। बेलारूस में कंपनी ने जो बनाया है, वह उसकी प्रयोगशाला है। इसके अलावा उसने कहीं पर भी किसी देश में कुछ नहीं बनाया है जिसे लोग ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल करते हों। रही बात बेलारूस की स्थित कंपनी की, यहां करीब 20 लोगों का स्टाफ है जिसमें मार्केटिंग और अकाउंटिंग शामिल है। ऐसे में ये हो 360 मिलियन डॉलर्स का इससे बहुत कम भी कुछ डिजाइन करने और इंप्लिमेंट करने में सक्षम नहीं लगते। कंपनी की बेलारूस से बाहर कौन-कौन सी कंपनियां हैं, उनके बारे में पारदर्शिता नहीं है। दरअसल बेलारूस से भले यह बिजनस चला रही हो मगर पैसा कभी भी बेरारूस नहीं आता औऱ सारी डीलिंग ऑफशोर कंपनियों की जरिए होती है। बेलारूस के लोगों से चूंकि कंपनी फंड रेजिंग भी नहीं करती, ऐसे में कोई गड़बड़ न होने की स्थिति में वहां उसे कोई खतरा नहीं। मगर कंपनी की रेप्युटेशन अच्छी नहीं है।

इस MoU को लेकर क्या है संदिग्ध?
हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने अप्रैल के आखिरी महीने में मिंस्क के कुछ वीडियो अपने फेसबुक पेज पर डाले हैं। इसमें वह स्काइवे की टेस्टिंग फसिलिटी में हैं। वहां देखकर पता चलता है कि यह टेस्टिंग ग्राउंड ही पूरा नहीं बना है। यही नहीं, उन्होंने जो वीडियो शेयर किया है, उसमे दिखता है प्लैटफॉर्म भी टेंपररी बना है और जो रेलकार दूर से आता है, वह सही पोजिशन पर नहीं रुकता। वह प्लैटफॉर्म से आगे रुकता है और फिर उसे दोबारा पीछे किया जाता है। यह दिखाता है कि कंपनी अभी तक इस सिस्टम को ढंग से नहीं बना पाई है। हमने पिछले आर्टिकल में बताया था आपको कि पिछले साल दिसंबर में ही इन डब्बों की टेस्टिंग शुरू हुई है। वीडियो देखें:

अप्रैल के आखिर में मिंस्क में ट्रायल देखने के कुछ ही दिनों के अंदर मई में MoU साइन हो जाने में जो तेजी दिखाई गई है, उसपर लोगों का सवाल उठाना इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि यह इलेक्शन इयर है। SkyWay को दिए इंटरव्यू में जब सुधीर शर्मा से पूछा गया कि आप क्यों इस चीज में इंटरेस्टेड हैं तो उन्होंने कहा कि यह सिस्टम भूकंप और ऐक्सिडेंट प्रूफ है और 100 साल लाइफ है। अभी तक यह साफ नहीं है कि सुधीर शर्मा ने किसी एजेंसी के डेटा के आधार पर ये बातें कहीं या फिर उन्हीं बातों को दोहरा दिया, जिनका दावा अपने सिस्टम को लेकर SkyWay करती है। देखें:

बहरहाल, मकसद किसी की नीयत पर सवाल उठाना नहीं है मगर जिन पहलुओं को हमने उजागर किया है, उससे न सिर्फ कंपनी की विश्वसनीयता, बल्कि हिमाचल प्रदेश सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा होता है जिसने संदिग्ध कंपनी के साथ संभवत: बिना प्रॉपर रिसर्च के MoU साइन कर लिया है। कहीं सरकार के साथ ठगी तो नहीं हो गई है? क्योंकि ऐसे ही सवाल लिथुएनिया में भी उठे थे (स्रोत)। हिमाचल प्रदेश में कोई भी चीज दुनिया में पहली बार हो तो यह अच्छी बात है। जरूरी नहीं कि कोई कंपनी किसी नए कॉन्सेप्ट पर पहली बार काम कर रही हो तो उसे इग्नोर कर देना चाहिए। मगर जिस कंपनी को लेकर पारदर्शिता न हो, जिसपर दुनिया भर में सवाल उठे हों, जो अपने काम के लिए अपने ही देश में पहचान न रखती हो, जिसका कॉन्सेप्ट कहीं पर भी धरातल पर उतरा, जिसके कॉन्सेप्ट पर साइंटिस्ट सवाल उठा चुके हों, जिसने पहाड़ी इलाकों को लेकर टेस्टिंग न की हो, जिसका अपना टेस्टिंग ग्राउँड ही अभी पूरा न बन पाया हो, जिसका मालिक विवाद होने पर कोर्ट में अपनी ही कंपनियों से पल्ला झाड़ लेता हो; उस कंपनी से किसी कंसल्टंसी के बिजनस पार्टनर के कहने पर बिना रिसर्च किए तुरंत MoU साइन करना कहां तक सही है? सबसे बड़ी आशंका तो यह है कि SkyWay प्रॉजेक्ट जमीन पर उतरने के बजाय कहीं आसमान में ही न रह जाए। कल को प्रॉजेक्ट को बीच में छोड़कर भाग जाए या प्रॉजेक्ट फेल हो जाए और हादसा हो जाए तो क्या MoU साइन करने वाले जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं? उस स्थिति में क्या वे करोड़ों रुपये अपनी जेब से भरेंगे?

पढ़ें: न सिर्फ अनुभवहीन बल्कि विवादित भी है SkyWay

धर्मशाला: अनुभवहीन ही नहीं बल्कि विवादित भी रही है बेलारूस की कंपनी SkyWay

धर्मशाला।। हिमाचल प्रदेश ने बेलारूस की एक कंपनी के साथ धर्मशाला में स्काइवे ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी शुरू करने के लिए एक अग्रीमेंट साइन किया है। SkyWay टेक्नॉलजी कॉर्पोरेशन के साथ इसके लिए MoU साइन हुआ है। SkyWay बेलारूस की ट्रांसपोर्ट और इन्फ्रास्ट्रचरल डिवेलपमेंट कंपनी है। हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने कहा कि धर्मशाला पहला ऐसा शहर होगा जिसमें यह ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी उचित रेट पर उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि 1 किलोमीटर स्काइवे ट्रैक डिवेलप करने में 38 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने बताया कि इससे न सिर्फ पर्यटकों को लाभ होगा बल्कि स्थानीय लोग इसके जरिए सामान भी ढो सकेंगे। SkyWay नाम की जिस कंपनी के साथ MoU साइन हुआ है, उसके बारे में In Himachal ने रिसर्च किया तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। यूरोप में इस कंपनी के फंड जुटाने के तरीके पर सवाल उठ चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस कंपनी ने अभी तक पूरी दुनिया में कहीं पर भी वैसा स्ट्रिंग ट्रांसपोर्ट सिस्टम स्थापित नहीं किया है, जैसा वह धर्मशाला में स्थापित करने जा रही है। अभी तक उसका कॉन्सेप्ट सिर्फ कॉन्सेप्ट है और धरातल पर टेस्टिंग फील्ड से बाहर नहीं निकला है। यानी धर्मशाला में वह पहली बार ऐसा सिस्टम कमर्शल स्केल पर लगा रही होगी।

90 के दशक में रूस से अलग हुए बेलारूस की कंपनी SkyWay विभिन्न देशों में कंपनियां बनाकर अपने इस कॉन्सेप्ट को बेचने की कोशिश कर रही है, मगर वहां सफलता मिलती नहीं दिख रही। इस कंपनी ने बेलारूस की राजधानी मिंस्क में अपना एक “टेक्नोपार्क” बनाया है जहां पर वह अपने कॉन्सेप्ट की टेस्टिंग करती है और जो लोग उसके प्रॉजेक्ट में रुचि लेते हैं, उन्हें यहां पर डेमो दिया जाता है। अभी भारत में दो जगह इस कंपनी को अपना आइडिया बेचने में कामयाबी मिली है- झारखंड और हिमाचल प्रदेश। झारखंड में तो इस कंपनी और एक अन्य कंपनी के साथ वहां की सरकार ने सिर्फ ‘लेटर ऑफ इंटेंट’ साइन किया है मगर हिमाचल में ‘MoU’ साइन कर लिया गया है। लेटर ऑफ इंटेंट में किसी तरह की बाध्यता नहीं होती जबकि MoU आपको बाध्य बनाता है। चिंता की बात यह है कि कल को इस कंपनी का प्रॉजेक्ट फेल भी हो सकता है, उसके लिए जिम्मेदार क्या वे लोग नहीं होंगे जिन्होंने बिना रिसर्च के यह MoU साइन किया। इंटरनेट पर विभिन्न पोर्टल्स पर सबसे बड़ा सवाल इस कंपनी के फंड जुटाने के तरीकों पर उठाया गया है। यूरोपीय देशों में इसे लेकर कई विवाद रहे। हमने विभिन्न स्रोतों से जानकारियां जुटाईं जिनमें से कुछ इंटरनैशनल न्यूज पोर्टल हैं तो कुछ जानकारियां हमें इस कंपनी की वेबसाइट से ही मिलीं। इस आर्टिकल में In Himachal ने अपनी तरफ से कुछ भी दावा नहीं किया है। इस जानकारी के आधार पर वे सवाल जरूर खड़े किए गए हैं जो आम नागरिकों के जहन में आते हैं। सभी बातों के लिए उनका सोर्स साथ में दिया गया है जहां जाकर आप  (स्रोत )  पर क्लिक करके जानकारी वेरिफाई कर सकते हैं।

पैसा कहां से लाती है SkyWay?
प्रश्न उठता है कि पूरी दुनिया में जब किसी ने भी कमर्शल लेवल पर SkyWay की सेवाएं नहीं लीं तो उसके पास Techno Park में प्रोटोटाइप (शुरुआती मॉडल) तैयार करने का पैसा कहां से आया? इस सवाल का जवाब यह है कि कंपनी अफिलिएट मार्केटिंग से क्राउडफंडिंग से पैसे जुटाती है। 2014 की शुरुआत से उसने पैसे जुटाना शुरू किया है। 2014 में यूरोप के देश लिथुएनिया के बैंक ऑफ लिथुएनिया ने इन्वेस्टर्स को चेताया था- ‘अज्ञात लोग लिथुएनिया के निवासियों को ‘नेक्स्ट जेनरेशन स्ट्रिंग ट्रांसपोर्ट’ में इन्वेस्ट करने के लिए अपनी प्राइेवेट लिमिटेड कंपनी यूरोएज़ियन रेल स्काइवे सिस्टम्स लिमिटेड के ऑनलाइन शेयर खरीदने के लिए आमंत्रित किया है। इसके लिए इस कंपनी ने संबंधित अथॉरिटी से अप्रूवल नहीं लिया है (स्रोत) ।’  उसी साल SkyWay के मालिक यूनित्स्की ने लिथुएनिया में Rail Skyway System Ltd. के नाम से कंपनी रजिस्टर कर ली।

लिथुएनिया में लगे थे फर्जीवाड़े के आरोप
लिथुएनिया के कई प्रतिष्ठित एनालिस्ट्स जिनमें स्वेडबैंक के इकॉनमिस्ट Nerijus Mačiulis भी शामिल थे, ने आशंका जताई थी कि यूनित्स्की (स्काइवे के मालिक) की कमर्शल स्कीमें स्कैम भरी हो सकती हैं क्योंकि इन्वेस्टर्स को लंदन स्थित कुछ तगड़ी कंपनियों का हवाला दिया जा रहा था (स्रोत)। ये कंपनियां थीं- यूरोएज़ियन रेल स्काइवे सिस्टम्स, अमेरिकन रेल स्काइवे सिस्टम्स लिमिटेड, अफ्रीकन रेल स्काइवे सिस्टम लिमिटेड, ऑस्ट्रेलियन ऐंड ओशनिक रेल स्काइवे सिस्टम्स लिमिटेड और लिथुएनिया में नई खोली गई रेल स्काइवे सिस्टम्स लिमिटेड (इन हिमाचल ने पाया कि इनमें कुछ कंपनियां अब डिसॉल्व की जा चुकी हैं)। इन सभी कंपनियों ने अपना कैपिटल 235.1 बिलियन ब्रिटिश पाउंड बताया था। कंपनियों के मालिक यूनित्स्की की इन कंपनियों में 10 पर्सेंट हिस्सेदारी थी। इस हिसाब से तो कंपनी के मालिक यूनित्स्की को फोर्ब्स के 10 सबसे अमीर लोगों की सूची में आ जाना चाहिए था यानी बिल गेट्स जैसे अरबपतियों की श्रेणी में। मगर फोर्ब्स की सूची में उनका कहीं पर भी नाम नहीं (स्रोत)

लिथुएनियन बैंक के सुपरविजन डिपार्टमेंट ने ऐलान किया था कि यूनित्स्की की कंपनी जो बिजनस बता रही है, उसमें फाइनैंशल पिरामिड के कोई संकेत नहीं है। यही नहीं, सुपरविजन डिपार्टमेंट ने लिथुएनिया के प्रॉसिक्यूटर जनरल के ऑफिस में गैरकानूनी व्यावसायिक गतिविधि और फ्रॉड के शक में शिकायत दी थी। लिथुएनिया में तो इस कंपनी पर यह आरोप भी लगे थे कि रूस के नागरिक की यह कंपनी, जिसकी फंडिंग साफ नहीं है, हमारे यहां NATO के बेस के पास टेस्टिंग फसिलिटी बनाना चाहती है तो यह नैशनल सिक्यॉरिटी के लिए खतरा है (स्रोत)। भारी विरोध के बाद कंपनी को लिथुएनिया से हटकर बेलारूस की राजधानी मिंस्क में यह टेस्टिंग फसिलिटी बनानी पड़ी जिसे उसने टेक्नो पार्क का नाम दिया है।

पूरी दुनिया में कहीं नहीं है फंक्शनिंग कमर्शल SkyWay
सबसे पहली बात तो यह है कि SkyWay दरअसल बेलारूस के एक इंजिनियर और इन्वेंटर एनातोली यूनित्सकी (Anatoly Yunitskiy) की कंपनी है। एनातोली 1980 के दशक से अपने इस स्ट्रिंग ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बात कर रहे हैं मगर पूरी दुनिया में कहीं भी इसके लिए अब तक रुचि पैदा नहीं हुई। इसके बाद एनातोली की कंपनी SkyWay ने कई नामों से कंपनियां खड़ी कीं। SkyWay जिस ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बात कर रहा है, वह दुनिया में कहीं पर भी ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। सिर्फ बेलारूस की राजधानी मिंस्क में स्काइवे ने खुद अपना एक टेक्नो पार्क बनाया है, जहां पर उसने अपने प्रॉजेक्ट के प्रोटोटाइप (शुरुआती मॉडल) लगाना शुरू किया है ताकि ग्राहकों को डेमो दिया जा सके(स्रोत) ध्यान रहे कि यह पार्क बनकर पूरा नहीं हुआ है और इसपर काम चल रहा है। कंपनी का खुद कहना है कि 2018 तक यह पूरा होगा। इसके अलावा दुनिया भर में कहीं पर भी आपको फंक्शिनिंग स्काइवे नहीं मिलेगा। 2016 में रूस की ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री की एक्सपर्ट काउंसिल ने माना की SkyWay स्ट्रिंग टेक्नॉलजी इनोवेटिव है और अधिक जानकारी जुटाई जानी चाहिए। मगर इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है कि सरकार ने स्काईवे से कुछ खरीदा है या कॉन्ट्रैक्ट किया है या नहीं।

दरअसल अभी तक टेस्टिंग के फेज में ही है स्ट्रिंग रेल
पहला स्ट्रिंग रेल टेस्ट ट्रैक 2001 में रूस के कस्बे ऑजियरी (Ozyory) में बनाया गया था। इस टेस्ट ट्रैक की लंबाई सिर्फ 150 मीटर थी। फंडिंग न मिलने की वजह से इन्वेंटर इस टेस्ट ट्रैक के लिए रेलकार नहीं बना बना पाए थे। इसलिए उन्होंने ट्रैक पर दौड़ाने के लिए मॉडिफाइड ट्रक इस्तेमाल किया था जिसमें सड़क वाले पहियों को हटाकर लोहे वाले पहिए लगाए गए थे। बाद में इस प्रॉजेक्ट को यूएन हैबिटैट से फंडिंग मिली। प्रक्रिया से ही साफ हो चुका होगा कि यह जुगाड़ से किया गया एक्सपेरिमेंट था।

रूस वाली टेस्टिंग फसिलिटी

साल 2008 में खाबरोव्स्क (Khabarovsk) में पायलट रूट बनाने की योजना बनाई गई। मगर मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ रेलवे इंजिनियरिंग के स्पेशलिस्ट्स ने प्रॉजेक्ट का नेगेटिव असेसमेंट दिया और कहा कि इसे जमीन पर नहीं उतारा जा सकता (स्रोत)। 2013 में न्यू साउथ वेल्स में रिसर्च करके पैसेंजर रेल के तौर पर स्ट्रिंग ट्रांसपोर्ट सिस्टम की व्यावहारिकता पर और शोध किया गया।

6 महीने पहले ही तैयार हुए हैं रेलकार
पूर्वी यूरोप के बेलारूस में मिंस्क के मारियाना होर्का (Maryina Horka) में प्रोटोटाइप ईकोटेक्नोपार्क सेटअप किया जा रहा है जिसमें टेस्ट ट्रैक हैं जहां कंपनी अपनी टेक्नॉलजी को शोकेस करती है। इस प्रॉजेक्ट को 2018 तक पूरा करने का टारगेट रखा गया है। कंपनी ने रेलवे एग्जिबिशन इनोट्रांस 2016 में अर्बन रेलकार (जिसमें लोग बैठेंगे) U4-210 और पर्सनल लाइट रेलकार U4-621 के सैंपल शोकेस किए थे। 2016 के आखिर तक कंपनी ने U4-621 के ट्रायल शुरू कर दिए थे। यानी कंपनी ने कुछ ही महीने पहले रेलकार बनाकर दिखाए और वह भी पहली बार टेस्टिंग के लिए (स्रोत)। इसमें भी रोज बड़ी संख्या में लोग ट्रैवल नहीं करते, इसलिए यह सिर्फ कॉन्सेप्चुअल बात है कि यह सिस्टम ऐक्सिडेंट प्रूफ है।

यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि जब 1 किलोमीटर के ट्रैक के लिए 38 करोड़ रुपये खर्च होने वाले हों, उसके लिए ऐसी कंपनी को क्यों पकड़ा जा रहा है कि जिसे प्रैक्टिकल अनुभव नहीं है। ठीक है कि नई कंपनियों को मौका दिया जाना चाहिए क्योंकि कहीं न कहीं से तो शुरुआत होनी चाहिए। मगर दुनिया जब यूरोप में ही इसे ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा तो हिमाचल प्रदेश ने आधे-अधूरे प्रॉजेक्ट को क्यों लागू करने का फैसला किया? इस प्रॉजेक्ट की फाइनैंशल फिजिबिलिटी क्या है? इस प्रॉजेक्ट के लिए MoU साइन करने से पहले कौन-कौन विभागों के इंजिनियर्स ने सहमति दी थी? किस आधार पर दावा किया जा रहा है कि 100 साल तक यह टिकेगी? ‘इन हिमाचल’ का मानना है कि जनता के टैक्स के पैसे को यूं ही किसी कंपनी के एक्सपेरिमेंट के लिए तो नहीं बहाया जा सकता, इसलिए कोई भी कदम उठाने से पहले रिसर्च करना जरूरी है। एक नागरिक के तौर पर चिंता करना जरूरी है कि सरकार ने MoU साइन करने से पहले कंपनी के बारे में उचित रिसर्च किया था या नहीं। जब इंटरनेट पर ही इतनी सारी जानकारी जुटाने में हम कामयाब हुए तो प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि आधिकारिक सूत्रों से कंपनी और उसकी योग्यता के बारे में रिसर्च करवाया जाए।

पढ़ें: सपने दिखाने वाली कंपनी से MoU में जल्दबाजी क्यों?

वायरल हुआ हिमाचली युवकों का मनोरंजक वीडियो ‘पहाड़ी लोगों के प्रकार’

इन हिमाचल डेस्क।। फेसबुक शुरुआत में दोस्तों और रिश्तेदारों वगैरह से जुड़ने का भर का एक जरिया था मगर आज यह बहुत बड़ा प्लैफॉर्म बन चुका है। समाचार से लेकर मनोरंजन तक आप यहां पा सकते हैं। इंटरनेट की पहुंच जैसे-जैसे भारत में बढ़ रही है, वैसे-वैसे लोग स्मार्टफोन खरीद रहे हैं और फेसबुक व यूट्यूब आदि भी इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे भारतीयों की क्रिएटिविटी को भी एक मंच मिला है। पूरी दुनिया में फेसबुक पर बहुत से आर्टिस्ट मनोरंजक वीडियो बनाते हैं और वे खूब पसंद किए जाते है। भारत में भी ऐसे कई यूट्यूबर्स हैं जिनके फनी वीडियो छाए हुए हैं। हिमाचल प्रदेश भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। हम अभी तक आपको कई कलाकारों से मिलवा चुके हैं और उनके वीडियो भी दिखा चुके हैं। आज हम आपको Pahaadi Highlanders से मिलवाने जा रहे हैं जो हिमाचल प्रदेश के कलाकार हैं।

पहाड़ी हाइलैंडर्स का एक वीडियो फेसबुक पर खूब पसंद किया जा रहा है। इसका टाइटल है- TYPE OF PAHADI GUYS यानी पहाड़ी आदमियों के प्रकार। जैसा कि नाम से साफ है, इसमें मजे लेते हुए हल्का-फुल्का व्यंग्य किया गया है। देखें:

इस तरह के वीडियोज और कॉन्टेंट के लिए Like करें इन हिमाचल का फेसबुक पेज: In Himachal on facebook

अब बंबर ठाकुर ने रामलाल ठाकुर पर लगाया करोड़ों के करप्शन का आरोप

बिलासपुर।। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में घमासान मचा हुआ है। पहले प्रदेश कांग्रेस महासचिव रामलाल ठाकुर ने बिलासपुर सदक के एमएलए बंबर ठाकुर पर 200 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था। अब बंबर ने पलटवार करते हुए रामलाल ठाकुर और उनके बेटे पर करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप जड़ा है। उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाते हुए रामलाल ठाकुर को चुनौती दी कि सीबीआई और कोर्ट को लिखित शिकायत दें और उसपर मैं भी दस्तखत करूंगा। बंबर ने रामलाल के बेटे पर आरोप लगाया कि कीरतपुर से धराड़सानी तक का फोरलेन निर्माण का जो ठेका लिया है, उसके लिए रेत-बजरी और पत्थर कहां से आ रहे हैं।

बंबर ठाकुर ने कहा, ‘खाला खड्ड से रेत-बजरी रामलाल के लोग निकाल रहे थे और नाम मेरा लिया जा रहा था। मामला तब सामने आया जब एसएचओ बरमाणा ने कार्रवाई की और ट्रकों को पकड़ा पकड़े गए सभी लोग रामलाल ठाकुर और रणधीर शर्मा के थे। रही बात खैर कटान मामले की तो हाईकोर्ट के जज से जांच करने की मांग मैंने खुद की थी। राम लाल ठाकुर ने तो सीमेंट कंपनी में अपने बेटे की 200 बोगियां लगा गरीब लोगों के रोजगार का हक मारा है। उनमें नियमों को ताक पर रखकर ओवरलोडिंग की जा रही है। नौ टन की जगह 40 टन लाया जा रहा है, उसका टैक्स कौन भरेगा?’

बंबर ने कहा, ‘श्री नयना देवी के पांच ब्लॉकों में खैर के हजारों पेड़ काटे गए। रामलाल ठाकुर ने इसकी जांच की मांग क्यों नहीं की?” बंबर ने कहा कि रामलाल ठाकुर, सुरेश चंदेल और रणधीर शर्मा की मिलीभगत है। राम लाल और सुरेश चंदेल ने बस अड्डे के पास जमीन पर बहुमंजिला भवन तैयार किया है जिससे 10 लाख किराया आता है। उन्होंने कहा, ‘भाजपा के सुरेश चंदेल के साथ मिलकर रामलाल मुझे बदनाम करने का षड्यंत्र रचते रहे हैं। अब उन्होंने आरोप लगाकर साफ कर दिया है कि षडयंत्रकारी कौन है।

रामलाल ने कहा, ‘मैंने एमएलए बनने से पहले एक बस खरीदी, कारोबार बढ़ता गया और पांच बसें हो गईं। इसके बाद हैंडपंप लगाने वाली मशीनें खरीदी और जेसीबी भी खरीदी। विधायक बनने से पहले मैंने करोड़ों कमाए और लोगों में बांट भी दिए। मगर रामलाल ठाकुर बताएं कि वह एमएलए बनने से पहले क्या थे और उनके पास करोड़ों-अरबों की जायदाद कहां से आई?’ इसके जवाब में रामलाल ठाकुर ने कहा, ‘मेरे बेटे के कारोबार की बीजेपी सात बार जांच करवा चुकी है। मेरा बेटा कारोबारी है और किसी संवैधानिक पद पर नहीं है। बेटे की कंपनी पंजीकृत है। सभी बोगियां फाइनांस कंपनी से लोन लेकर खरीदी गई हैं। बस अड्डे के पास जो दुकान है, सोसायटी की है। विधायक अपनी खाल बचाने के लिए ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं।’

गौरतलब है कि कांग्रेस के इन नेताओं का एक-दूसरे की पोल खोलना पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। पहले ही मुख्यमंत्री के करप्शन के मामले में बैकफुट पर आई कांग्रेस अब और नुकसान झेलती दिख रही है। रामलाल ठाकुर ने बंबर पर 200 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है। यही नहीं, रामलाल ने आरोप लगाया है कि बंबर ठाकुर के पंजाब के तस्करों से रिश्ते है। उन्होंने बंबर पर फोरलेन हाइवे के एक ऑफिसर से 1 लाख रुपये बतौर कमिशन लेने का भी आरोप जड़ा। उन्होंने कहा कि बंबर खैर के पेड़ो के कटान से लेकर अवैध खनन में जुटे हैं और मेरे पास पूरे सबूत हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मांग की है कि इन आरोपों की जांच सीबीआई से करवाई जाए।

पढ़ें: बंबर ठाकुर पर रामलाल ठाकुर ने लगाए गंभीर आरोप

कंडाघाट थाने के 18 पुलिकर्मियों का तबादला: बाबा अमरदेव की पहुंच का असर?

सोलन।। सोलन के कंडाघाट के रामलोक के विवादित बाबा अमरदेव ने आखिरकार अपनी राजनीतिक पहुंच का असर दिखा दिया है। एक महिला को तलवार से हमला करके घायल करने वाले इस बाबा की स्थानीय लोगों ने पिटाई कर दी थी। इस बाबा के दरबार कई केंद्रीय मंत्री घुटने टेका करते थे मगर खुद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की तस्वीरें सामने आई थीं जिसमें वह बाबा का हालचाल जानने अस्पताल आए थे। सीएम से मुलाकात के 48 घंटों के अंदर ही कंडाघाट पुलिस स्टेशन पर तैनात 18 पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया है। पूरे इलाके में लोग पुलिसकर्मियों के इस तबादले को बाबा अमरदेव के हिमाचल सरकार के एक मंत्री से रिश्ते और मुख्यमंत्री से मुलाकात के साथ जोड़ रहे हैं। एसपी सोलन ने कंडाघाट के एसएचओ दलीप सिंह समेत 18 पुलिस कर्मियों का तबादला किया है। एसआई संदीप कुमार को एसएचओ कंडाघाट लगाया गया है। चूंकि, रविवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अस्पताल जाकर बाबा अमरदेव से मुलाकात की थी। ऐसे में इस कार्रवाई को उस मुलाकात के असर के रूप में देखा जा रहा है।

गौरतलब है कि यह वही बाबा है जिसके ऊपर सरकारी जमीन पर कब्जा करने, जंगली जानवरों के अंगों और अवशेषों की तस्करी का आरोप है। पुलिस और सीआईडी की टीम ने यहां छापा मारकर तेंदुए की चार खालें और बहुत सी तलवारें बरामद की थीं। इसके बाद ग्रामीणों का आरोप है कि इस बाबा ने महिला पर तलवार से हमला कर दिया जिसमें वह बुरी तरह जख्मी हो गई। इसके बाद गुस्साए लोगों ने बाबा पर हमला कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाबा संदिग्ध गतिविधियों में शामिल है और मौजूदा सरकार के कई मंत्रियों की शह मिली हुई है। लोगों का कहना है कि अब ये आरोप सही साबित होते नजर आ रहे है।

ठाकुर कौल सिंह (बाएं) और शांडिल के साथ बाबा अमरदेव

चर्चा है कि बाबा अमरदेव ने कंडाघाट पुलिस की शिकायत सीएम से की और एक मंत्री ने भी मुख्यमंत्री पर दबाव डाला। इसके बाद आनन-नन में कंडाघाट पुलिस के हरेक कर्मचारी का तबादला कर दिया गया है। इस कदम से पुलिसकर्मियों मे भी नाराजगी देखे को मिल रही है। ‘एमबीएम न्यूज नेटवर्क’ के पास आई ट्रांसफर लिस्ट को देखें तो सोलन में 63 पुलिसकर्मियों के तबादले हुए है। यह भी कहा जा रहा है कि महिला पुलिसकर्मियों तक को नहीं बख्शा गया है।

कौन है बाबा अमरदेव
स्थानीय लोगों के मुताबिक मंदिर स्थित बाबा के दरबार में कई बड़े मंत्री और अधिकारी हाजिरी लगाने आते रहते हैं, जिनमें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री व सोलन के विधायक डॉ. कर्नल धनीराम शांडिल भी हैं। बाबा अमरदेव की संदिग्ध गतिविधियों पर ग्रामीणों की नजर काफी दिनों से है। कई बार पुलिस में इसके खिलाफ सूचना भी दी जाती रही थी। इस साल अप्रैल में पुलिस और सीआईडी की टीम ने सटीक जानकारी मिलने के बाद मंदिर में संयुक्त रूप से छापेमारी की।

पुलिस जब मंदिर के भीतर घुसी तब बाबा तेंदुए की खाल पर बैठा हुआ था। जब उनको आसन से उठाया गया तब उस पर और तीन खालें बिछी हुई थीं। इसके बाद मंदिर में से एक और खाल बरामद की गई। गिरफ्तार किए जाने पर बाबा अपने बचाव में इसे भक्तों का दिया हुआ उपहार बता रहा था।

बाबा अमरदेव तेंदुओं की खालों के साथ

सरकारी जमीन कब्जाने का आरोप, मंत्री की शह
गौरतलब है कि रामलोक मंदिर कुछ ही वक्त पहले बनना शुरू हुआ है, अब तक इसमें लाखों रुपये लगाए जा चुके हैं। मंदिल के लिए सरकारी जमीन कब्जाने का भी आरोप है। यहां पर राम परिवार की विशाल मूर्तियों के अलावा हनुमान जी की साढ़े 10 फुट ऊंची 11 मुखी मूर्ति की स्थापना की गई है। स्थानीय लोगों के मुताबिक कुछ ही समय पहले प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं सहकारिता मंत्री ने यहां के मंदिर की 108 सीढ़ियों के लिए अपने बजट से मुहैया कराया था। बाबा इस घटना के बाद फिर अपने आश्रम लौट आया और कुछ ही दिनों बाद महिला पर तलवार से हमला करने की घटना सामने आ गई।

बाबा अमरदेव ने सुरक्षा को लेकर हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी और कोर्ट के आदेश पर सरकार ने सुरक्षा पर भी दी है। स्थानीय लोगों का कहना है बाबा बनावटी बातें करता है और मासूम लोगों को धर्म और आस्था के नाम पर ठग रहा है। ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो बाबा को गलत मानने को तैयार नहीं है।

प्रश्न यह है कि क्या मंदिर, धर्म के नाम पर किसी को भी सरकारी जमीन पर कब्जा करने, मासूम जानवरों को मारकर उनकी खाल पर विराजने और महिलाओं पर तलवार से हमला करने का लाइसेंस मिल जाता है? क्या ऐसा करने वाले लोग ही धर्म और आस्था के लिए खतरा नहीं हैं? इस मामले में जांच की जरूरत है मगर जब सरकार के मंत्री ही ऐसे तत्वों से करीबी रिश्ते रखेंगे और पुलिसकर्मियों के तबादले होंगे तो किससे उम्मीद रखी जाए।

पढ़ें: नए विवाद में फंसा सोलन का हाई प्रोफाइल बाबा

(एमबीएम न्यूज नेटवर्क से ली गई जानकारी के साथ)

लजीज ही नहीं, सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं ‘आक्खे’ या ‘येलो हिमालयन रास्पबेरी’

प्रतीक बचलस।। हिमाचल प्रदेश प्राचीन काल से ही जड़ी बूटियों से समृद्ध रहा है।  यहां कई जड़ी-बूटियां तथा बड़े ही दुर्लभ प्रकार के फल भी पाए जाते हैं। आज हम सब एक ऐसे ही फल के बारे में जानेंगे। आक्खे (Yellow Himalayan Raspberry) हिमाचल में पाई जाने वाली एक बेरी है। यह मुख्यत: उत्तराखंड, हिमाचल, पंजाब, नेपाल,असम तथा कश्मीर में पाए जाते हैं। इसका बोटैनिकल नाम Rubus ellipticus है। इसके पौधे 700 – 2000 मी. तक कि ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इसके पौधों में फूल मुख्यत: फरबरी के अंत और मार्च की शुरुआत तक आते हैं। मार्च और अप्रैल से लेकर मई तक इसमें फल लगते रहते हैं जो देखने में लजीज होती हैं। ध्यान रहे, इसकी टहनियां कंटीली होती हैं।

आक्खे सेहत के लिए भी अच्छे हैं। शोध में इसमें कई गुणकारी चीजे जैसे कि विटामिन सी , फ़ास्फ़रोस, कैल्शियम, मैग्नीशियम व आयरन पाए गए हैं। इन सब से हम ये पता लगा सकते है कि ये एक बहुत अच्छा ऐंटीऑक्सिडेंट हो सकता है क्योंकि ऐंटीऑक्सिडेंट मुख्यता विटामिन ए(A),सी (C), ई(E) व क (K) में पाए जाते हैं व इसमे विटामिन सी(C) पाया गया है। ऐंटीऑक्सिडेंट हमारे शरीर मे मौजूद फ्री रेडिकल्स को खत्म करता है। ये फ्री रेडिकल्स हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते है। इनसे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा होता है। इनमे से कैंसर मुख्य बीमारी है।य दि हम ऐंटीऑक्सिडेंट्स का पर्याप्त मात्रा में सेवन करते हैं तो हम स्वस्थ रहेंगे। इसके अलावा विटामिन सी ऐंन्टी एजिंग यानी कि बुढ़ापा आने से रोकने में सहायक है। विटामिन सी शरीर की त्वचा को बूढ़ा करने वाले फैक्टर को कम करता है और त्वचा जवान रहती है। इस सब से हमे ये पता चलता है कि ये कितना गुणकारी है।

आक्खे

यदि सरकार का ध्यान इसकी खेती की तरफ जाए तो शायद किसानों को कुछ लाभ हो सकता है।सरकार ने फलों की खेती पर ठीक ध्यान दिया है, उन्होंने 1985 में डॉक्टर वाई .एस .परमार विश्वविद्यालय बागवानी व वानिकी शिक्षा संस्थान की स्थापना की है व वहाँ कई शोध हो रहे हैं जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे रहे है। परंतु इस फल को अनदेखा किया जा रहा है। इसे महज एक घास-फूस और कंटीली झाड़ी समझकर नजरअंदाज किया जा रहा है। प्रदेश सरकार हमेशा से ही फलों उगाने के लिए बागवानों को प्रेरित करती रही है। अभी सरकार सेब की बागवानी या अन्य फलों की बागवानी को प्रोत्साहित कर रही है। ऐसा नहीं है कि सरकार गलत कर रही है। ऐसे प्रयासों की सराहना होनी चाहिए मगर सरकार को आक्खों की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। इसपर रिसर्च भी करना चाहिए ताकि पुष्टि हो जाए कि यह फायदेमंद है या नहीं।

आक्खों की खेती का एक फायदा यह भी है कि इसपर ज्यादा खर्च नहीं उठाना पड़ेगा। इसे कहीं भी लगाया जा सकता है। खाद की भई जरूरत नहीं होती क्योकि कहीं भी उग सकता है। इससे किसानों को फायदा होगा। इनका जूस, शेक और आइसक्रीम बनाकर आर्थिक लाभ लिया जा सकता है।

(लेखक हिमाचल प्रदेश के ऊना से हैं और नैशनल ऐग्री फूड बायोटेक्नॉलजी रिसर्च इंस्टिट्यूट में सेवाएं दे चुके हैं। उनसे prateekdcoolest120@gmail com पर संपर्क किया जा सकता है।)

बंबर ठाकुर पर रामलाल ठाकुर ने लगाया 200 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप

बिलासपुर।। अक्सर विवादों में रहने वाले बिलासपुर सदर से कांग्रेस के विधायक बंबर ठाकुर पर उन्हीं की पार्टी के प्रदेश महासचिव रामलाल ठाकुर ने 200 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है। यही नहीं, रामलाल ने आरोप लगाया है कि बंबर ठाकुर के पंजाब के तस्करों से रिश्ते है। उन्होंने बंबर पर फोरलेन हाइवे के एक ऑफिसर से 1 लाख रुपये बतौर कमिशन लेने का भी आरोप जड़ा। उन्होंने कहा कि बंबर खैर के पेड़ो के कटान से लेकर अवैध खनन में जुटे हैं और मेरे पास पूरे सबूत हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मांग की है कि इन आरोपों की जांच सीबीआई से करवाई जाए। बंबर ठाकुर ने इन आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि जांच से मुझे कोई परहेज नहीं है।

रामलाल ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बंबर को घेरते हुए पूछा कि बिलासपुर में तय माइनिंग क्षेत्र न होने के बावजूद फोरलेन के लिए रेत-बजरी और पत्थर कहां से आ रहा है और इसके अनुमति पत्र किसके नाम पर हैं। उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बंबर ने सरकार को पिछले 4 साल में 200 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। उन्होंने कहा कि फोरलेन के कामों में किसके टिप्पर लगे हैं, यह भी चेक होना चाहिए। राम लाल ठाकुर ने कहा, ‘इससे पहले कि एक व्यक्ति की वजह से पार्टी को नुकसान हो, मुख्यमंत्री को कड़े कदम उठाने चाहिए।’ नीचे देखें एक पेज द्वारा शेयर किया गया वीडियो:

रामलाल ठाकुर ने विधायक पर दादागिरी के भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अगर कोई आवाज उठाए तो उसे धमकाया जाता है या फिर उसका तबादला कर दिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘महिला RTO को धमकाने और DFO से मारपीट का मामला सबको पता है। पंजाब के तीन-चार लोग खैर की तस्करी में लगे हैं। इस बारे में पंजाब के एक विधायक ने शिकायत भी की थी कि ये लोग बीजेपी से जुड़े हैं मगर उनका बिलासपुर सदर के विधायक के साथ है।’ रामलाल ठाकुर ने कहा कि सभी विभागों के अधिकारी डर के मारे कुछ नहीं बोल रहे हैं और सबसे खराब हालत पुलिस की है।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले बंबर ठाकुर के बेटे पर मारपीट के आरोप लगे थे। इसके बाद लोगों ने आंदोलन भी किया था मगर अब वह मामला गोल हो गया है। इस बार उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता ने बंबर पर आरोप लगाए हैं जो काफी संगीन हैं। जानें, अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक रामलाल ठाकुर ने बंबर पर कौन से 10 मुख्य आरोप लगाए हैं:

  1. बंबर ठाकुर ने 200 करोड़ रुपये का घोटाला किया है।
  2. बंबर के रिश्ते पंजाब के तस्करों से हैं।
  3.  फोरलेन हाइवे के एक अफसर से 1 लाख रुपये कमिशन लिया।
  4. खैर के पेड़ों की तस्करी करने वालों से हैं विधायक के रिश्ते।
  5. अवैध खनन में जुटे हैं विधायक, मेरे पास इसके सबूत भी हैं।
  6. 4 साल में सरकार को लगाया 200 करोड़ का चूना।
  7. फोरलेन के कामों में किसके टिप्पर लगे हैं, जांच हो।
  8. दादागिरी करते हैं विधायक, धमकाया जाता है और तबादले किए जाते हैं।
  9. महिला RTO को धमकाया गया, DFO से मारपीट की गई।
  10. सभी विभाग दहशत में, पुलिस की हालत भी पतली है।

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