एमबीएम न्यूज नेटवर्क, सोलन।। सोलन शहर से सटे इलाके ओच्छघाट में सनसनीखेज वारदात सामने आई है। बाजार में स्थित घर में ही युवती का गला रेतकर हत्या कर दी गई है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने आरोपी की शिनाख्त कर ली है।
वारदात के सामने आते ही समूचे इलाके में सनसनी फैल गई है। एसपी मोहित चावला खुद अपनी टीम के साथ मौके पर तफतीश में लग गए हैं। फिलहाल यही पता चला है कि किसी जान पहचान के शख्स के साथ कहासुनी होने पर ही इस वारदात को अंजाम दिया गया है। पुलिस अभी यह कहने की स्थिति में नहीं है कि पीडिता नाबालिग थी या नहीं, क्योंकि उम्र को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
पुलिस को इस सनसनीखेज वारदात की सूचना डेढ बजे के आसपास मिली थी। एसपी मोहित चावला ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को बताया कि प्रथम दृष्ट्या में गला रेतने से युवती की हत्या लग रही है। लेकिन फोरेंसिक जांच के साथ- साथ पोस्टमार्टम के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क, ऊना।। पिछले दिनों कांगड़ा से ऊना ट्रांसफर हुए हिमाचल प्रदेश पुलिस के अधिकारी संजीव गांधी ने नई पोस्टिंग पर भी नशे के कारोबारियों के होश उड़ा दिए हैं। एसपी गांधी ने 37 साल के नाइजीरियन युवक इमेका को 471.70 ग्राम हेरोइन और 0.56 ग्राम कोकीन के साथ पकड़ा है। अंतरराज्यीय गिरोह के इस सदस्य से सीरींज और नशा तोलने के लिए वेइंग मशीन भी मिली है।
बताया जा रहा है कि बरामद किए गए नशे के सामान की कीमत अंतररराष्ट्रीय बाजार में 30 लाख के आसपास हो सकती है। गिरफ्तार नाइजीरियन मूल का आरोपी दिल्ली में बैठकर अपना कारोबार चला रहा था। दरअसल 8 अगस्त के एक मामले के बाद गांधी की टीम चुप नहीं बैठी। इस मामले में मोगा के रहने वाले मनोज कुमार को 6 ग्राम हेरोइन के साथ पकडा गया था। इसके बाद ही पुलिस मनोज से यह पता लगाने में लगी रही कि नशे का सामान प्रदेश में कहां से पहुंच रहा है।
कड़ियों को जोड़ते हुए गांधी की टीम नाइजीरियन मूल के सप्लायर तक पहुंचने में कामयाब हो गई। पिछले 15 दिन में ऊना पुलिस ने एनडीपीएस के 9 मामलों में 12 नशा कारोबारियों को गिरफ्तार किया है। 15 अगस्त को भी मंडी के रहने वाले चरस तस्कर के कब्जे से 2 किलो खेप बरामद की थी। नशे की तस्करी करने वाले शातिर व चालाक होते है, लेकिन खाकी भी एक कदम आगे चलने में सफल हो रही है।
एसपी संजीव गांधी का कहना है कि ताजा मामले में भी पुलिस जड तक पहुंचने की कोशिश में लगी है। सनद रहें कि हेरोइन की बरामदगी महज 2 से 5 ग्राम के बीच ही होती है, लेकिन इस मामले में आधा किलो के करीब बरामदगी हुई है जो प्रदेश में अपनी तरह का एक रिकार्ड भी हो सकता है।
इन हिमाचल डेस्क।। भोटा में एचआरटीसी बस हादसे की खबर कौन फैला रहा है? इस सवाल का जवाब है- वेबकूफ। जी हां, इंटरनेट यानी ‘वेब’ पर बेवकूफी करने वालों को ‘वेबकूफ’ कहना सही होगा। आए दिन कोई न कोई किसी की पोस्ट शेयर कर देता है जिसमें धर्मशाला-शिमला बस के भोटा में हादसे की चपेट में आने का दावा किया गया होता है। कहा गया होता है कि इसमें 22 लोगों की मौत हो गई। मगर यह खबर और तस्वीरें न सिर्फ झूठी हैं बल्कि कानूनी कार्रवाई को भी न्योता देती हैं।
दरअसल 21 मई को इसी साल शिमला से धर्मशाला जा रही एचआरटीसी की एक बस हादसे की चपेट में आ गई। तीखे मोड़ पर बस पलट गई। इसमें करीब 20 सवारियां बैठी थीं जिन्हें चोट आई है। तीन घायलों को भोटा में फर्स्ट एड देने के बाद हमीरपुर हॉस्पिटल रेफर किया गया था। इस हादसे में किसी की मौत नहीं हुई थी। विस्तृत खबर आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं। मगर शरारती तत्वों ने इक खबर के साथ छेड़छाड़ की, किन्हीं अन्य हादसों की तस्वीरें जोड़ीं और मृतकों की संख्या 22 बताकर अपने पेज पर शेयर करना शुरू कर दिया। उदाहरण नीचे देखें, फिर आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है।
फर्जी वीडियो के साथ फर्जी खबर
फर्जी तस्वीरों के साथ नकली खबर
इसके बाद विभिन्न पेज और लोग देखादेखी में इस खबर को शेयर करते रहे। उनके दिमाग में एक बार भी ख्याल नहीं आया कि एक बार जांच ही लें कि खबर असली है या नहीं। बस धड़ाधड़ शेयर करना है, चाहे झूठ हो। मई महीने से चला झूठ का यह सिलसिला आज अगस्त तक जारी है। आए दिन कोई न कोई गैर-जिम्मेदार पेज इस खबर को शेयर करता है और उसके फॉलोअर आगे शेयर करते रहते हैं। किसी दोस्त की टाइमलाइन पर कोई पोस्ट दिखई नहीं कि शेयर करने और टैग करने में लोग जुट जाते हैं मानो इसके बिना तो जानकारी पहुंचेगी ही नहीं।
क्यों ऐसी खबरें फैलाते हैं लोग? बहुत से स्मार्ट लोगों को पता है कि सोशल मीडिया यूज़ कर रही जनता में ‘वेबकूफ़ों’ की संख्या ज्यादा है। उन्हें पता है कि लोगों को जानकारी के नाम पर डराने, उन्हें खुश करने वाली, उन्हें हैरान करने वाली या फिर इमोशनल रूप से अपील करने वाली कोई पोस्ट डालेंगे तो वे शेयर करेंगे। इसीलिए वे सनसनी फैलाते हैं। अपने मंसूबे में वे कामयाब रहते हैं। उनकी पोस्ट वायरल हो जाती है और उनके पेज के लाइक बढ़ने लगते हैं। फिर आराम से वे मजे लेते हैं। उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि इससे क्या नुकसान हो रहा है। अफवाह फैलाने वाले लोग उन लोगों की वजह से कामयाब होते हैं जो लापरवाह होते हैं और अपनी समझ का इस्तेमाल नहीं करते।
जनता को क्या करना चाहिए? सबसे पहले तो यह बात गांठ बांध लें कि सोशल मीडिया में झूठ की भरमार रहती है। सिर्फ स्थापित समाचार पत्रों, समाचार चैनलों, प्रतिष्ठित वेबसाइटों और विश्वसनीय न्यूज एजेंसियों की खबरों पर ही भरोसा करें। ऐसा नहीं कि ‘लहरिया खबरिया’ या ‘घातक खबर’ जैसे पेजों पर डाली पोस्ट को सच मान लिया जाए। साथ ही शक करने की आदत डालें। अगर लगे कि खबर नकली हो सकती है, तो तुरंत उस क्षेत्र की प्रतिष्ठित वेबसाइट जाकर क्रॉस चेस करें कि वाकई ऐसा हुआ है या नहीं।
ऑनलाइन पोर्टल पढ़ने की आदत डालें जब आप घंटों फेसबुक पर वक्त बिता सकते हैं तो क्या 5 मिनट आपको न्यूज पोर्टलों पर जाकर खबर पढ़ने में नहीं लग सकते? अगर आप खुद को जानकारियों से अपडेट रखेंगे तो कोई आपको ‘वेबकूफ’ नहीं बना पाएगा। साथ ही अगर आपको लगता है कि आपके किसी दोस्त ने गलत जानकारी वॉट्सऐप या फेसबुक पर शेयर की है तो उसे टोकें और समझाएं। न कि आंख मूंदे उसे आगे बढ़ा दें।
इस तरह के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से आप उन लोगों को परेशान करते हैं जिनसे फेक न्यूज जुड़ी होती है। 2 महीने पुरानी खबर को गलत ढंग से पढ़कर वह शख्स परेशान हो सकता है जिसका अपना उसी बस से जा रहा है, जिसकी आज आपने फेक न्यूज शेयर की। हम यह मान रहे हैं कि अगर आप फेसबुक यूज कर रहे हैं तो यह तो तय है कि आप साक्षर हैं यानी पढ़-लिख सकते हैं। इसलिए पढ़ने-लिखने की योग्यता का फायदा उठाएं, सच्ची खबरें पढ़ें, न कि झूठी खबरें फैलाएं। वरना ऐसा न हो कि अफवाह फैलाने के जुर्म में आप मुश्किल में फंस जाएं।
इन हिमाचल डेस्क।। सोशल मीडिया का दौर है, ऐसे में एक घटना को लेकर 100 कहानियां सामने आ जाती हैं। कुछ सच्ची होती हैं तो कुछ झूठी। कुछ में सच और झूठ का घालमेल होता है। कोटरोपी में आए भूस्खलन को लेकर कई तरह की खबरें आई हैं। जैसे कि कुछ लोगों का दावा था कि हर 20 साल में यहां बड़ा भूस्खलन होता है तो कुछ का कहना था कि इस हादसे की भविष्यवाणी पहले ही हो गई थी। मगर इस हादसे को लेकर एक पोर्टल ने ऐसी कहानी छापी जो हटकर थी। उसका शीर्षक था- क्या किसी खगोलीय घटना की वजह से कोटरोपी में हुआ भूस्खलन? क्या है सच, जानने के आखिर तक पढ़ें, जानकारी रोचक और ज्ञानवर्धक है।
खगोलीय मतलब मतलब ऐस्ट्रोनॉमिकल। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 12 अगस्त को उल्कापात (उल्काएं गिरना) की घटना होनी थी। दुनिया के कई हिस्सों में उस रात उल्काएं गिरने के नजारों को लोगों ने कैद किया। चूंकि इस घटना को लेकर वैज्ञानिकों से पहले से ही बताया था, ऐसे में कुछ लोगों द्वारा आशंका जताई जाने लगी कि कहीं 12 अगस्त को कोटरोपी में कोई उल्कापिंड तो नहीं गिर गया था जिससे भूस्खलन हो गया। पोर्टल ने अपनी खबर में लिखा था कि लोगों ने भूस्खलन से पहले एक धमाके की आवाज भी सुनी थी। कहीं वह धमाका उल्कापिंड गिरने की वजह से तो नहीं हुआ था। और तो और कुछ लोगों ने कहा कि जहां पर भूस्खलन हुआ है, वहां पर बने गड्ढे पर काले निशान भी हैं जो उल्कापिंड के हो सकते हैं।
गड्ढे के बीच में बने काले निशान को उल्कापिंड के गिरने की वजह से हुआ निशान बताया जा रहा है। ऐसा उल्कापिंड जो वायुमंडल में पूरी तरह जल नहीं पाया।
कितना दम है इस थ्योरी में? ऊपर वाली थ्योरी पहली नजर में तो काफी दमदार लगती है। लगता है कि हो सकता है कि जब पूरी दुनिया में उल्कापिंड गिरने थे, वैसे में एक बड़ा उल्कापिंड यहां गिर गया हो और उसकी वजह से पहाड़ी ढह गई हो। मगर इस थ्योरी पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल लगता है। ‘इन हिमाचल’ ने इस संबंध में विभिन्न भौतिक शास्त्रियों से बात की और सच का पता लगाने की कोशिश की।
12 अगस्त को चरम पर था परसीएड उल्कापात
सबसे पहले तो बात कर लेते हैं कि 12 अगस्त को कौन सी खगोलीय घटना होने वाली थी। दरअसल 12 अगस्त को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में देखी गई उल्कापिंड गिरने की घटना ‘परसीएड उल्कापात’ या ‘Perseid meteor shower’ के नाम से पहचानी जाती है। धरती पर यह घटना तब होती है जब सूरज का चक्कर काटते वक्त पृथ्वी उस ‘स्विफ्ट-टटल’ नाम के धूमकेतु के पीछे रह गई धूल और अन्य पिंडों वाले क्षेत्र से होकर गुजरती है।
स्विफ्ट टटल नाम का यह धूमकेतु हर 133 साल में सूरज का चक्कर पूरा करता है। हर साल अगस्त महीने में पृथ्वी इस इलाके से होकर गुजरती है। परसीएड के उल्कापिंड दरअसल स्विफ्ट-टटल धूमकेतु के टुकड़े हैं। जब पृथ्वी इन टुकड़ों वाले इलाकों से होकर गुजरती है तो कुछ टुकड़े पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की वजह से खिंचे चले आते हैं। मगर चूंकि ये छोटे टुकड़े हैं, इसलिए वायुमंडल में प्रवेश करते ही घर्षण की वजह से हवा में ही जल जाते हैं। रात के आसमान में ये लंबी धारी सी छोड़ते हुए जलते हैं। धरती पर इनकी राख ही पहुंच पाती है।
परसीएड्स की 2010 की तस्वीर (WIkipedia)
इन्हें परसीएड्स इसलिए कहा जाता है क्योंकि देखने में ये पर्सियस (Perseus) जिसे हिंदी में परशु या फरसा करते हैं, के वार की तरह लगता है। पृथ्वी इस इलाके से 17 जुलाई से लेकर 24 अगस्त के बीच गुजर रही है इस साल। मगर वैज्ञानिकों के मुताबिक 12 अगस्त वह दिन था जब वह इस इलाके के बीचोबीच थी, जहां पर उल्कापिंड ज्यादा थे।
तो क्या हिमाचल में भी गिर सकते थे परसीएड्स? गिरने की बात बाद में, पहले बात कर लेते हैं कि ये परसीएड्स कहां से दिख सकते हैं। परसीएड्स उत्तरी गोलार्ध यानी नॉर्दर्न हेमिस्फियर से साफ दिखते हैं। चूंकि भारत भी इसमें शामिल है, इसलिए यहां से भी इन्हें देखा जा सकता है। मगर धूमकेतू की पूंछ के धूल और पिंडों से भरे जिस इलाके से होकर पृथ्वी गुजरती है, वहां पर ज्यादा बड़े उल्कापिंड नहीं हैं। अगर इतने बड़े उल्कापिंड होते तो वर्षों से इस धूमकेतु को स्टडी कर रहे वैज्ञानिक और खगोलशास्त्री पहले ही चेता देते।
इस धूमकेतु के अधिकतर पिंड पृथ्वी के वायमुंडल में प्रवेश करने बाद धरती से 80 किलोमीटर ऊपर ही जल जाते हैं। ऐसे में यह संभावना न के बराबर है कि यहां पर कोई उल्कापिंड गिरा हो। अगर वह गिरा भी होता अधजला होता चमक छोड़ रहा होता। चूंकि इसका साइज बड़ा होता तो इसके जलने की लपट की रोशनी ऐसी होती कि पूरे इलाके में दिन की तरह उजाला हो गया होता। जैसे कि वीडियो मे देखें
फिर लोगों को धमाका किस चीज़ का सुनाई दिया? उल्कापिंड वाली थ्योरी देने वाले पोर्टल ने लिखा कि लोगों को पहले धमाका सुनाई दिया था। प्रत्यक्षदर्शियों का भई कहना था कि उनको ऐसा लगा जैसे बम गिरा हो। दरअसल जब धरती का कोई बड़ा हिस्सा गिरता है, उसमें चट्टानें, जमीन का बड़ा हिस्सा, मिट्टी, लताएं, बूटे, मलबा… न जाने क्या-क्या होता है। जब यह अलग होता है तो इससे बहने से बहुत जोरदार गर्जन पैदा होती है और दूर तक शॉकवेव (लहर सी) भी जाती है। और हां, लैंडस्लाइड होने के लिए बारिश का होना जरूरी नहीं है। यह लंबे समय से चल रहे भूगर्भीय तनाव और प्रेशर की वजह से भी आता है। दोनों बातों के लिए हिमाचल के किन्नौर का ही उदाहरण देखें:
भूस्खलन वाली जगह जलने जैसे निशान किस चीज के हैं? जिन निशानों को जलने के निशान बताया जा रहा है, वह दरअसल मिट्टी का रंग है। गहराई में विभिन्न खनिज पदार्थों और चट्टानों की वजह से रंग अलग हो जाता है। इसी तरह से कुछ निशान सड़क के बहे हुए हिस्से के भी हैं जो काले नजर आ रहे हैं। इसलिए यह सामान्य बात है।
क्या है निष्कर्ष? कुल मिलाकर बात यह है कि स्पष्ट हो चुका है कि कोटरोपी में जहां पर भूस्खलन हुआ, वहां पहले भी भूस्खलन आता रहा है। पिछले कुछ दिनों से गांव के पीछे जमीन पर दरारें भी आ गई थीं। कुछ लोग मकान खाली करके जा भी चुके थे और कई बार पहले भी छोटे भूस्खलन होने पर ग्रामीण जंगल मे रात काट चुके हैं। यह कुदरत की चेतावनी थी जिसे पहले समझ जाना चाहिए था। यह स्वाभाविक रूप से आया भूस्खलन है, इसमें खगोलीय घटना जिम्मेदार नहीं है। यह सही है कि वैज्ञानिक हर उल्कापिंड पर नजर नहीं रख सकते, मगर वैज्ञानिक आधार पर किया गया विश्लेषण बताता है कि कोटरोपी का भूस्खलन किसी खगोलपिंड के गिरने से नहीं हुआ।
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एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राज्य सरकार ने जेलों में बंद सैकड़ों कैदियों की सजा को कम किया है। जेलों में बंद उन 495 कैदियों की सजा कम की गई है, जिनके आचरण को अच्छा माना गया है। इन 495 कैदियों की 15 दिनों से लेकर दो महीने तक की सजा को सरकार ने माफ किया है। जेल विभाग ने सभी जेलों को आदेश जारी किया है।
हिमाचल प्रदेश पुलिस महानिदेशक सोमेश गोयल के मुताबिक पांच साल से अधिक और दस वर्ष तक के कारावास कैदियों को दो माह, तीन वर्ष से अधिक और पांच वर्ष तक कारावास कैदियों को 45 दिन, एक वर्ष से अधिक और तीन वर्ष तक के कारावास कैदियों को एक माह तथा तीन माह से अधिक और एक वर्ष तक के कारावास कैदियों की सजा में 15 दिनों की कटौती कर दी है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बताया कि जेल विभाग की तरफ से जिन कैदियों की सिफारिश प्राप्त होने के बाद उनको यह राहत दी जा रही है। कैदियों का चाल चलन ठीक होने पर उन्हें रिहा किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता दिवस एवं गणतन्त्र दिवस पर कैदियों की रिहाई और सजा राहत दी जाती रही है। पिछले साल मुख्यमंत्री ने अपनी शक्तियों को इस्तेमाल करते हुए विभिन्न जेलों में बंद 428 कैदियों की सजा में कटौती की थी।
मंडी।। हिमाचल प्रदेश के मंडी में 48 लोगों की जिंदगी छीनने वाले भूस्खलन को लेकर पता चल रहा है कि इस मामले में प्रशासन की भी लापरवाही रही है। भूस्खलन होने की आशंका के चलते गांव खाली हो गए थे मगर नैशनल हाइवे 154 को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया था। यह दावा हिंदी अखबार अमर उजाला ने किया है।
कोटरोपी में पहाड़ दरकने से यात्रियों से भरी दो बसें मलबे में दब गई थीं। एक बस पहले ही भूस्खलन की चपेट में आ गई थी मगर अन्य गाड़ियों को आगाह करने और उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। अगर वहां पुलिस वैन ड्यूटी पर होती तो अन्य वाहनों को रोका जा सकता था।
लोगों का दावा- प्रशासन को दी थी सूचना
अखबार के मुताबिक मलबे में दबे रवां गांव के बाशिंदों का कहना है कि पिछले साल भी जिला प्रशासन को उन्होंने इस बारे में सूचित किया था। पिछले दिनों बरसात में पहाड़ियों से पत्थर गिरने पर उन्होंने कई बार जंगल में शरण ली थी। यहां तक कि वन विभाग ने भी उन्हें कई बार यहां से हटाया है।
एनएच पर ट्रैफिक रोकना संभव नहीं: प्रशासन
लोगों के दावे से साफ़ है कि प्रशासन को भी जानकारी थी यहां क्या हो सकता है। मगर यहां पर संजीदगी नहीं बरती गई। हालांकि जिला प्रशासन का तर्क है कि एनएच पर यातायात को रोका नहीं जा सकता है और यह एनएच तो सामरिक रूप से भी महत्व है। मगर क्या सगजता नहीं बरती चाहिए?
मगर ऐसा क्यों नहीं किया गया? हिमाचल प्रदेश में जहां पर भी आशंका होती है बड़ा भूस्खलन हो सकता है, वहां पर पुलिस के जवान तैनात रहते हैं। वे नजर रखते हैं कि कहीं कोई हलचल तो नहीं हो रही। इसी आधार पर वे सीटी बजाकर दूसरी तरफ से आ रहे वाहनों को रोक देते हैं। मनाली जाने वाली राजमार्ग पर भी इन्हीं दिनों यही व्यवस्था की गई है। मगर कोटरोपी में ऐसा नहीं हुआ।
मंडी जिले के पद्धर के पास कोटरोपी में बहुत बड़े भूस्खलन से भारी नुकसान हुआ है। घटना रात करीब साढ़े 12 बजे की है।
प्रशासन ने कहा- इतनी बड़ी आपदा की आशंका नहीं थी अखबार के मुताबिक डीसी मंडी संदीप कदम ने भी माना है कि यहां पर लैंडस्लाइड की जानकारी थी, मगर इतनी बड़ी त्रासदी का अंदाजा नहीं था। एसपी अशोक कुमार का कहना है कि न तो जिला प्रशासन और न ग्रामीणों की तरफ से उन्हें भूस्खलन की आशंका की सूचना मिली थी। ऐसी सूचना होती तो रात को जरूर वहां फोर्स लगाई जाती।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क, कुल्लू।। हिमाचल पुलिस ने खनाग के माशनूनाला में बस दुर्घटना को अंजाम देने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने उसे औट के पास गिरफ्तार किया है। इसे भी हादसे के दौरान चोटें पहुंची है जिसे एक निजी वाहन में कुल्लू लाया जा रहा था।
अपनी गाड़ी निकालने के चक्कर में छीन ली कई जिंदगियां
पुलिस ने व्यक्ति को गिरफ्तार कर क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में उपचार के लिए पहुंचा दिया है। पुलिस ने बंजार निवासी इंद्र सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इंद्र सिंह टैक्सी चालक है और बताया जा रहा है कि उक्त टैक्सी चालक ने अपनी टैक्सी को यहां से आगे निकालने के लिए बस को आगे करने की कोशिश की और इस दौरान बस में ब्रेक नहीं लगी और बस सडक़ से नीचे जा गिरी। उस वक्त ड्राइवर और कंडक्टर बस में नहीं थे।
मदद करते स्कूली बच्चे
हादसा होता देख वह बस से कूद गया इस दौरान उक्त टैक्सी चालक को भी चोटें पहुंची और बस करीब एक किलोमीटर सडक़ से नीचे जा गिरी। लिहाजा घटना को अंजाम देने के बाद उक्त व्यक्ति को टैक्सी में कुल्लू लाया जा रहा था और पुलिस ने उसे औट के पास से गिरफ्तार कर लिया है।
एसपी कुल्लू शालिनी अग्निहोत्री ने बताया कि पुलिस ने घटना को अंजाम देने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है और उसे उपचार के लिए क्षेत्रीय अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है जहां उसका उपचार चल रहा है।
परिवहन मंत्री ने दिए जांच के आदेश
नाहन में एमबीएम न्यूज नेटवर्क के सवाल के जवाब पर परिवहन मंत्री जीएस बाली ने जांच के आदेश जारी होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि चालकों व परिचालकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि जब भी बस को कहीं पार्क करें तो टायर में गुटका जरूर लगाएं। बाली ने हादसे के मृतकों के प्रति संवेदनाएं भी प्रकट की हैं। उन्होंने कहा कि हादसे के पीछे किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शिमला।। शिमला के गुड़िया केस को लेकर मीडिया और जनता की भागीदारी पर व्यंग्य करने में हिमाचल प्रदेश सरकार के डिप्टी एडवोकेट जनरल विनय शर्मा सीमाओं को लांघते नजर आए। उन्होंने कोटरोपी में आए भूस्खलन को लेकर एक व्यंग्यात्मक पोस्ट डाली जिसमें उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मीडिया और जनता पर प्रहार करने की कोशिश की। उन्होंने एक फेसबुक लाइव में यह भी कहा कि बीजेपी द्वारा प्रदेश को बदनाम करने से नाराज देवताओं के गुस्से की वजह से कोटरोपी में घटना हुई है।
जिस हादसे में 40 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं, उसे लेकर ऐसी पोस्ट डालना और ऐसी टिप्पणियां करना आलोचना का विषय बन गया है। गौरतलब है कि इससे पहले उन्होंने मीडिया के एक हिस्से और गुड़िया के परिजनों पर प्रदेश को बदनाम करन का आरोप लगाते हुए केस करने की बात भी कही थी।
‘देवताओं के गुस्से से हुई कोटरोपी में घटना’ उनका दावा है कि कोटरोपी का हादसा देवताओं के गुस्से की वजह से हुआ है क्योंकि वह बीजेपी द्वारा हिमाचल बदनाम करके यूपी बिहार बनाने की कोशिशों से नाराज हैं। एक फेसबुक लाइव में उन्होंने कहा कि इसलिए बेहतर होगा कि प्रदेश की जनता ‘देव तुल्य राजा वीरभद्र सिंह’ को फिर से मुख्यमंत्री बनाएं। उनके वीडियो का इस बयान वाला हिस्सा नीचे है, पूरा फेसबुक लाइव आप यहां क्लिक करके देख सकते हैं।
कोटरोपी के बहाने कोटखाई पर उठाए सवाल
अक्सर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल करने के लिए पहचाने जाने वाले सीपीएस नीरज भारती के बचाव में पोस्टें लिखने वाले विनय शर्मा ने इस पोस्ट के जरिए यह जताने की कोशिश की थी कि मीडिया और लोगों ने बिना वजह कोटखाई केस में सनसनी बनाई है। कोटखाई केस में पुलिस की जांच पर सवाल उठाए जाने की तर्ज पर उन्होंने कुछ मनगढंत सवाल कोटरोपी की घटना को लेकर बनाए थे। उन्होंने यह पोस्ट डाली तो भारी आलोचना होने पर डिलीट करनी पड़ी। मगर ‘In Himachal’ के पास इसका स्क्रीनशॉट है और कुछ पाठकों ने भी इस संबंध में जानकारी दी है।
आलोचना के बाद यह पोस्ट हटा दी गई.
गुड़िया के परिजनों पर भी की थी टिप्पणी
कोटखाई के गुड़िया प्रकरण में मीडिया की सक्रियता पर प्रश्न उठाए जा सकते हैं और कुछ पत्रकारों द्वारा किए गए शुरुआती हवा-हवाई दावों की भी आलोचना की जा सकती है। लोकतंत्र में अगर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाने का अधिकार है तो ऐसा करने वालों की आलोचना भी की जा सकती है। अपनी बात रखने में कोई बुराई नहीं है मगर इस तरह से संवेदनहीनता बरतना लोगों को रास नहीं आया है। लोग मुख्यमंत्री के खास समझे जाने वाले अधिवक्ता की इस पोस्ट की तुलना मुख्यमंत्री के ही उन बयानों से कर रहे हैं जिसमें उन्होंने सीबीआई जांच की मांग करने वाली जनता को जरूरत से ज्यादा होशियार बताया था। अगर आप नीचे दी गई पोस्ट को नहीं पढ़ पा रहे हैं तो यहां क्लिक करें
वीडियो आदि के जरिए विनय शर्मा का कहना है कि कोटखाई केस को लेकर इसलिए माहौल बनाया गया ताकि वीरभद्र सरकार के लिए मुश्किलें पैदा की जा सकें। बहरहाल, यह उनकी सोच हो सकती है और इसमें कुछ गलत नहीं, मगर फिलहाल वह अपनी संवेदनहीन पोस्ट की वजह से चर्चा मे हैं।
शिमला।। कोटखाई रेप ऐंड मर्डर केस में नेपाली मूल के आरोपी सूरज की पुलिस हिरासत में संदिग्ध हालात में हुई मौत को लेकर नई जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि कोटखाई थाने में तैनात रहे संतरी ने सीबीआई को बयान दिया है कि राजू ने लॉकअप में सूरज को मेरे सामने नहीं मारा।
हिंदी अखबार अमर उजाला की मंगलवार को पहले पन्ने पर छपी रिपोर्ट कहती है कि यह संतरी उस रात तीन घंटों के लिए राजू और सूरज पर निगरानी के लिए तैनात था। अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि संतरी ने बताया है कि थाना प्रभारी ने मुंशी से लॉकअप खुलवाया था और वह सूरज को बाहर लेकर गया था। उसके बाद जब तक वह ड्यूटी पर रहा, राजू वहां अकेला ही था।
संतरी ने कहा कि सूरज को कब वापस लाया गया, इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि तब तक मेरी ड्यूटी खत्म हो गई थी। जब उससे पूछा गया कि पुलिस को अलग बयान क्यों दिया तो संतरी ने कहा कि पुलिस ने पहले से ही लिखे बयान पर मेरे हस्ताक्षर करवाए हैं।
गौरतलब है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सूरज के शव पर बेल्ट और डंडों के निशान मिले थे। उसके प्राइवेट पार्ट पर भी चोट की गई थी। अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि संतरी के बयान के बाद सीबीआई अब थाना प्रभारी और अन्य पुलिसकर्मियों से कड़ी पूछताछ कर रही है।
कुल्लू।। प्रदेश में लगातार हो रही दुखद घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। स्वतंत्रता दिवस की सुबह एचआरटीसी की एक बस खाई में लुढ़कने से 5 लोगों की मौत और करीब एक दर्जन के घायल होने की ख़बर है। हैरानी की बात यह है कि बताया जा रहा है कि किसी शख्स ने बस खाई में लुढ़काई है।
जानकारी के मुताबिक खड़ी बस पर चढ़कर ड्राइविंग सीट पर जाकर छेड़छाड़ करने के आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने उसे भुंतर से गिरफ्तार किया है और उससे पूछताछ की जा रही है। इस बीच मौके से लोगों ने शवों को उठाने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि आरोपी को उनके बवाले किया जाए।
घटना कुल्लू जिला के आनी के माशणू नाला के पास की है। नाले में पानी ज्यादा होने की वजह से यहां पर बसों की अदला बदली की गई थी। जिस वक्त ड्राइवर और कंडक्टर चाय पी रहे थे, किसी शख्स ने बस चला दी और यह हादसा हो गया। नीचे देखें पाठक द्वारा भेजा गया वीडियो, जो विचलित कर सकता है।
अभी तक 5 लोगों की मौत की ही खबर है। प्रशासनिक अमला घटनास्थल के लिए रवाना हो गया है। इससे पहले स्थानीय लोगों ने अपने स्तर पर बचाव की कोशिशें शुरू कर दी थीं।
मदद करते स्कूली बच्चे
बस खाई में ऐसे लुढ़क रही थी मानो पत्थर पलटियां खाते हुए गिर रहा हो। कई मीटर तक पलटियां खाने की वजह से बस की छत छिटककर दूर जा गिरी। इस वजह से नुकसान ज्यादा हो गया।
बस की छत
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि कुछ लोग गंभीर रूप से जख्मी हैं और मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। घायलों को ऐंबुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचाया गया।