पत्रकार मृत्युंजय पुरी ने किया करोड़ों के काले धंधे का पर्दाफाश

धर्मशाला। ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि सबको खबरें देने वाले पत्रकार खुद ही खबर बन जाएं। हिमाचल में ऐसा ही देखने को मिला जब एक पत्रकार ने न सिर्फ एक बड़ी खबर सबके सामने लाई बल्कि एक बड़े गोरखधंधे को भी पोल खोल दी। हिमाचल में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सबसे पुराने पत्रकारों में शुमार मृत्युंजय पुरी का नाम इन दिनों चर्चा में है। मृत्युंजय पुरी ने हाल ही में ऐसे रैकिट का पर्दाफाश किया है जो लोगों के बैंक खाते खुलवाकर खाताधारकों को बिना बताए करोड़ों का लेनदेन कर रहा था।

कांगड़ा शहर के निकट घुरकड़ी के रहने वाले मृत्युंजय पुरी की कर्मभूमि इन दिनों धर्मशाला शहर है। वह चंडीगढ़ समेत कई शहरों में विभिन्न मीडिया संस्थानों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। फील्ड रिपोर्टिंग का अनुभव रखने वाले पुरी ने इस केस की सूचना मिलने पर पहले तथ्य जुटाए, उसके बाद पुलिस की इस केस को हल करने में मदद की। यही कारण है कि अब तक इस मामले में पुलिस 11 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। मामले का पटाक्षेप होने के बाद एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री ने बाकायदा प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कहा कि पुरी की मदद से यह केस सॉल्व हुआ है।

बड़ा रैकिट
लोगों के बैंक खाते खुलवाकर खाताधारकों को बिना बताए उनके खातों से करोड़ों रुपये के अवैध लेनदेन मामले में कांगड़ा पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से दो लोग हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ और पपरोला से हैं, जबकि पुलिस ने पंजाब के मोहाली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के नौ लोगों को भी गिरफ्तार किया है। आरोपियों से पुलिस ने अब तक 13 लैपटॉप, 38 मोबाइल, 34 डेबिट-क्रेडिट कार्ड और 33 सिम कार्ड के अलावा अन्य सामान बरामद किया है।

पुलिस अधीक्षक कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री ने बताया कि 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि अभी मुख्य सरगना समेत और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। जिनके खाते से और जिन बैंकों से लेनदेन हुआ है, उन्हें भी जांच के दायरे में लिया जाएगा।

अभी इस लेनदेन को ऑनलाइन सट्टा और गेमों में लगाए जाने के तथ्य सामने आए हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि एसएचओ सुरेंद्र कुमार की अगवाई में गठित टीम ने मोहाली के चार फ्लैटों में दबिश दी थी, जिनमें से दो फ्लैट से नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर वहां पर से संदिग्ध सामान जब्त किया है। जब्त मोबाइल, लैपटॉप और हार्ड डिस्क से डाटा की जांच होगी।

इस मामले को सामने लाने वाले पत्रकार मृत्युंजय पुरी की क्राइम समेत कई अन्य मुद्दों पर अच्छी पकड़ है। कई मामलों में ऐसा देखा गया है जब धर्मशाला ही नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य हिस्सों के लोगों ने भी अपराध या अन्य विषयों से परेशान होकर पुरी से संपर्क साधा और पुरी ने उनकी आवाज उठाई। इस बार उन्होंने ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जिसकी गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती थीं। जांच के बाद इस मामले में अभी और भी कई जानकारियां सामने आ सकती हैं।

चिट्टा नाम का ड्रग आख़िर है क्या, हेरोइन या मेथ या फिर दोनों?

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने सोलन के परवाणु में तीन युवकों से 22.29 ग्राम चिट्टा (हेरोइन) और 1.56 ग्राम मेथाम्फेटामीन बरामद किया है। ये युवक चंडीगढ़ और पंजाब के रहने वाले हैं।

मेथाम्फेटामीन (methamphetamine) या मेथ वही ड्रग है जिसके इर्द-गिर्द नेटफ्लिक्स की पॉप्युलर सीरीज Breaking Bad बनाई गई थी। यह ड्रग न सिर्फ हेरोइन की तुलना में ज्यादा नशीला होता है बल्कि इसकी लत लगने पर इससे पीछा छुड़ाना भी बहुत मुश्किल होता है।

ड्रग्स में आजकल जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा होती है, वह है चिट्टा। आए दिन पढ़ने को मिलता है कि चिट्टे के साथ इतने लोग गिरफ्तार या इतना चिट्टा बरामद। पंजाबी और उसकी उपभाषाओं या बोलियों में चिट्टा का मतलब होता है- सफेद। पहले पंजाब में सिर्फ हेरोइन को चिट्टा कहा जाता था क्योंकि इसका रंग सफेद होता था। मगर अब चिट्टे की परिभाषा, व्यापक हो गई है।

हेरोइन तो अफीम से बनने वाला ड्रग है लेकिन अब और भी कई सिंथेटिक ड्रग्स इस्तेमाल होने लगे हैं जो देखने में सफेद ही होते हैं। इस कारण उन्हें भी चिट्टा ही कहा जाने लगा है। ये सिंथेटिक ड्रग्स हैं- MDMA , जिसे ecstasy भी कहा जाता है, LSD (lysergic acid diethylamide ) और मेथाम्फेटामीन (methamphetamine)।

यानी चिट्टा कोई एक ड्रग नहीं है। वह हेरोइन भी हो सकता है, मेथाम्फेटामीन भी, MDMA भी और LSD भी। इसलिए किसी को ड्रग्स के साथ पकड़ा जाए और वह सफेद रंग का हो तो यह लैब टेस्टिंग के बाद ही पक्के तौर पर पता चल पाता है कि कौन सा सिंथेटिक ड्रग है। मगर कॉमन भाषा में उसे चिट्टा कह दिया जाता है और अखबार भी वैसे ही छाप देते हैं। हालांकि, इस बार खबर यह आई है कि हिमाचल पुलिस ने युवकों ने चिट्टा (हेरोइन) भी पकड़ा है और मेथ भी। आइए जानते हैं, कितना खतरनाक होता है मेथ।

ये दोनों ही ड्रग्स, हेरोइन और मेथ, हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम के लिए उत्तेजक की तरह काम करते हैं। यानी हमारे दिमाग और रीढ़ की हड्डी के बीच के उस महत्वपूर्ण हिस्से की गतिविधियों को बढ़ा देता है, जिसका काम शरीर के विभिन्न हिस्सों से सिग्नल लेना है और कोई हरकत करने के लिए संदेश भेजना है। इन दोनों ड्रग्स को कई तरह से लिया जाता है। सीधे मुंह से निगलकर, नाक से सूंघकर, धुएं के जरिए, नस में इंजेक्शन लगाकर, मांसपेशियों में इंजेक्शन लगाकर या फिर त्वचा के बाहरी हिस्से में इंजेक्शन लगाकर। इसके अलावा गूदा या योनि में रखकर भी इसे इस्तेमाल किया जाता है।

तो इस लेख में इन्हीं दो ड्रग्स के बारे में जानिए, कितने खतरनाक हैं ये। पहले बात करेंगे हेरोइन की, फिर मेथ की। चूंकि मेथ अब ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है, इसलिए उसके ऊपर जरा विस्तार से जानेंगे।

क्या है हेरोइन (heroin)
हेरोइन ऐसा नशीला पदार्थ है जिसे लोग आनंद के लिए लेना शुरू करते हैं और फिर इसके गुलाम बनकर रह जाते हैं। आपने मॉरफ़ीन का नाम सुना है?  जी हां, वही मॉरफीन जो दवा है और गंभीर दर्द से बचाने के लिए मरीजों को दी जाती है। मॉरफीन और हेरोइन, दोनों ही अफीम से तैयार होते हैं। फर्क इतना है कि मॉरफीन की तुलना में हेरोइन करीब तीन गुना ज्यादा स्ट्रॉन्ग होता है।

मॉरफीन एक दवा है और मेडिकल फील्ड में ही इसे इस्तेमाल किया जाता है। अमूमन आप इसे आप ब्लैक मार्केट में नहीं पा सकते। जबकि हेरोइन ब्लैक मार्केट में ही उपलब्ध होता है।  मॉरफीन तैयार करने में सावधानी बरती जाती है, हर चीज का ध्यान रखा जाता है क्योंकि इसका इस्तेमाल औषधि के रूप में होता है। जबकि हेरोइन को अवैध ढंग से बिना ध्यान दिए तैयार कर दिया जाता है क्योंकि इसे नशे के लिए इस्तेमाल करना होता है।

क्या है मेथाम्फेटामीन
अगर आपने नेटफ्लिक्स पर Breaking Bad देखा होता तो आप Methamphetamine (मेथाम्फेटामीन) या मेथ (Meth) से परिचित होंगे। लैब में बनाए जाने वाले इस नशीले पदार्थ के क्रिस्टल स्वरूप को Crystal Meth कहते है।

क्रिस्टल से लेकर पाउडर तक मिलता है मेथ का

1893 में खोजे गए इस ड्रग का असर यह होता है कि कम मात्रा में लिया जाए तो आनंद का अनुभव होता है, आदमी ज्यादा अलर्ट हो जाता है, उसकी कॉन्सेन्ट्रेशन बढ़ जाती है और अगर कोई थक गया तो उसकी एनर्जी बढ़ती है। इससे भूख कम हो जाती है और वजन कम करने में मदद मिलती है। लेकिन यह पढ़कर खुश होने की जरूरत नहीं है कि ये तो फायदेमंद है।

इसकी जरा सी भी ज्यादा डोज मतिभ्रम, मिर्गी जैसे दौरे पड़ने और दिमाग में खून का रिसाव होने जैसी हालत पैदा कर देती है। आदमी अपने मूड पर कंट्रोल नहीं कर पाता और अजीब व्यवहार करने लगता है। यही नहीं, ऐसे शोध भी हैं कि इस कारण इंसान की यौन इच्छाएं बेहद बढ़ जाती हैं और वे कई दिनों तक सेक्स के जुनून के आगे मजबूर हो जाते हैं, वे संतुष्ट नहीं हो पाते।

इंसान को बदलकर रख देता है मेथ

मेथ को दवा के तौर पर कम ही इस्तेमाल किया जाता है मगर नशे के लिए इसे बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। बाकी देशों में तो इसके मेडिकल यूज के उदाहरण नहीं मिलते, मगर अमरीका में मेथ को ADHD नाम के डिसऑर्डर के इलाज के लिए अप्रूव किया गया है। यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति को अपने आसपास की चीजें समझने में दिक्कत होती है, वह कॉन्सेन्ट्रेट नहीं कर पाता और कई बार उसका व्यवहार उसकी उम्र के अनुरूप नहीं होता।

इसके अलावा अमरीका में बच्चों और व्यस्कों में मोटापे का इलाज करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। मगर बावजूद इसके बहुत ही दुर्लभ मामलों में इसे इस्तेमाल किया जाता है और वह भी पूरी निगरानी के साथ। ऐसा इसलिए क्योंकि इस ड्रग के दुरुपयोग की आशंकाएं ज्यादा रहती हैं। अमरीका में हालात ये हैं कि ‘पार्टी ऐंड प्ले’ में यह खूब यूज होता है। पार्टी ऐंड प्ले में लोग इंटरनेट डेटिंग साइट के माध्यम से आपस में जुड़ते हैं, इस ड्रग को लेते हैं और फिर सेक्स करते हैं। मेथ कुछ इस तरह से असर डालता है कि लोग कई दिनों तक सेक्स में डूबे रहते हैं।

नुकसान
मौज-मौज में आनंद के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मेथ आदमी को बर्बाद कर देता है। आइए पहले शारीरिक नुकसान की बात करते हैं। चिट्टे की लत के शिकार लोगों के दांत समय से पहले टूटना शुरू हो जाते हैं। इस हालत को मेथ माउथ कहा जाता है। ये उन लोगों में ज्यादा होता है, जो ड्रग को इंजेक्शन के माध्यम से लेते है। भूख कम लगना, ज्यादा ही ऐक्टिव हो जाना, ज्यादा पसीना निकलना, मुंह सूखना, दिल की धड़कन कभी तेज होना तो कभी कम हो जाना, बीपी बढ़ना या घटना, सांस तेजी से लेना, स्किन ड्राई हो जाना, धुंधला दिखाई देना, दस्त या कब्ज होना और देखने में पीले से नजर आना। ये सब मेथ के साइड इफेक्ट हैं।

मेथ माउथ

चूंकि मेथ के नशे में आदमी सेक्स के आगे मजबूर होता है तो वह यह भी नहीं सोचता कि कहां किससे और किस हालत में सेक्स कर रहा है। इस कारण यौन रोगों के फैलने की आशंका बनी रहती है। अक्सर देखा गया है कि ड्रग्स लेने वाले अपने ग्रुपों में रहते हैं, उनके बीच इस तरह का अनप्रॉटेक्टेड सेक्स होने के कारण इन रोगों के फैलने की आशंका ज्यादा होती है। ऊपर से वे एक ही सीरिंज इस्तेमाल करते हैं तो हैपेटाइटस से लेकर एचआईवी तक से संक्रमित हो सकते हैं।

दूसरी बात आती है कि मानसिक नुकसान की। बेचैनी, अवसाद, आत्महत्या का विचार और मन में अजीब कल्पनाएं करने की स्थिति इस ड्रग से पैदा हो जाती है। इससे न्यूरोटॉक्सिसिटी हो जाती है और पूरे शरीर का सिस्टम गड़बड़ा जाता है। अब नशे के आदी लोगों को पता तो है नहीं कि किस मात्रा में ड्रग उनके लिए तुरंत जानलेवा हो सकता है। उन्हें क्वॉलिटी और क्वॉन्टिटी का होश नहीं रहता। इसलिए जरा सी ओवरडोज़ उनका खेल खत्म कर सकती है। जैसे कि दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है, पेशाब करने में दर्द होने लगता है तो कई बार पेशाब आता ही नहीं, भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है, शरीर का तापमान बढ़ जाता है, घबराहट होने लगती है।

इनमें सबसे खराब स्थिति है साइकोसिस। इस स्थिति में आदमी यह फर्क नहीं कर पाता कि वह असल जिंदगी में है या ख्वाब देख रहा है। वह कल्पनाएं करने लगता है। दिमाग उसे अजीब चीजें दिखाता है। और कई बार इलाज न मिले समय पर तो 5–15% लोग पूरी तरह रिकवर नहीं हो पाते। यानी यूं समझ लें कि उनका दिमाग हमेशा के लिए हिल जाता है। वे अपना स्थायी नुकसान कर बैठते है।

खतरनाक है लत
एक बारे जिसे लत लग जाए, उसके लिए इसे छोड़ना मुश्किल है। एक शोध के मुताबिक, मेथ के आदी 61 लोगों को इलाज के एक साल बाद फिर से इलाज के लिए लाना पड़ा। और उनमें से आधे लोग आगे के 10 सालों में फिर से मेथ इस्तेमाल करने लगे। समस्या ये है कि इसकी लत से बाहर निकालने के लिए इलाज का कोई एकदम प्रभावी तरीका अभी तक नहीं मिल पाया है। इसके लिए अभी कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरपी को ही इस्तेमाल किया जाता है। यानी काउंसलिंग आदि से आदमी से व्यवहार को बदलने की कोशिश की जाती है।

जो लोग मेथ इस्तेमाल करते हैं, धीरे-धीरे उन्हें डोज़ बढ़ानी बड़ती है क्योंकि शरीर में ड्रग के लिए धीरे-धीरे टॉलरेंस पैदा हो जाती है। अन्य ड्रग्स की तुलना में यह टॉलरेंस बहुत तेजी से पैदा होती है। इस कारण अगर किसी को चिट्टे से दूर करना हो, बड़ी मुश्किल हो जाती है। ऐसे समझिए कि किसी से मेथ छुड़ाने से ज्यादा आसान है कोकीन छुड़ाना।

अगर किसी से मेथ छुड़ाया जाए तो वो बेचैन हो जाता है। उसे तलब लगती है ड्रग की। मूड बदलता रहता है, थकान होती है। भूख बहुत बढ़ जाती है। कई बार वह सुस्त हो जाता है। हताश हो जाता है। या तो नींद उड़ जाती है या फिर उसे बहुत नींद आती है। वह अजीब-अजीब सपने देखता है।

दूर रहने में ही है भलाई

दूरी में ही भलाई
1893 में जापान के केमिस्ट नगाइ नगायोशी ने मेथ डिवेलप किया था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी में ये टैबलेट के तौर पर बिकने लगा था। जर्मन सैनिक परफॉर्मेंस बढ़ाने के लिए इसे इस्तेमाल करते थे। मगर इतिहासकारों ने लिखा है कि वे सैनिक जॉम्बी जैसी हरकतें करते थे। उनका दिमाग सुन्न सा हो जाता था। दो-तीन इसी के नशे में रहते थे। कई बार आम नागरिकों को मार देते तो कई बार अपने ऑफिसरों पर हमला कर देते।

बीच में इसे दवा के तौर पर भी इस्तेमाल किया गया मगर देखा गया कि फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा हैं, इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया या सीमित कर दिया गया। लेकिन यही मेथ आज हेरोइन के साथ मिलकर पंजाब और हिमाचल को अपनी गिरफ्त में ले चुका है। आए दिन ऐसी खबरें छप रही हैं जिसमें चिट्टे की लत के शिकार बच्चे अपने माता-पिता से मारपीट कर रहे हैं या घर का सामान तक बेच रहे हैं।

ड्रग्स की इस समस्या के लिए कौन जिम्मेदार है और इससे कैसे निपटा जा सकता है, इस पर जल्द बात करेंगे। तब तक आप In Himachal से जुड़िए रहिए, हमारे फेसबुक पेज को लाइक कीजिए। इस आर्टिकल को शेयर कीजिए और युवाओं को पढ़ाइए।

निवेश बढ़ाने के लिए धारा 118 के तहत अनुमति देने में लाएंगे तेजी: सीएम सुक्खू

शिमला।। हिमाचल प्रदेश को देश का इंडस्ट्रियल हब बनाने की दिशा में किए जा रहे कामों की जानकारी देते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार कई नीतियां लेकर आई है ताकि निवेश को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य बीस हजार करोड़ का निवेश लाना है ताकि चालीस से पचास हजार लोगों को रोजगार मिल सके। सीएम ने कहा कि सरकार इस दिशा में विभिन्न कदम उठाने के साथ-साथ जमीन खरीदने के लिए धारा 118 के तहत अनुमति देने की प्रक्रिया में भी तेजी लाई जाएगी।

सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सीएम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देश के पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में विकसित करने के लिए, राज्य सरकार द्वारा कई नई नीतियां अपनाई गई हैं, जैसे कि राज्य वित्त निगम और नए उद्योगों की स्थापना के लिए राष्ट्रीयकृत बैंकों के माध्यम से सस्ती बिजली, आसान ऋण सुविधाएं देना।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों को कम दर पर जमीन उपलब्ध करवाई जा रही है और उन्हें सेल्स और परचेज़ टैक्स से भी छूट दी जा रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश टेनेंसी ऐंड लैंड रिफॉर्म्स ऐक्ट 1972 की धारा 118 के तहत जमीन खरीदने के लिए मिलने वाली इजाजत में हो रही देरी के विषय पर भी काम करेगी।

पढ़ें- धारा 118: हिमाचल में जमीन खरीदने में रही है बाबों की मौज

सीएम ने कहा कि राज्य के बाहर निकटतम रेलवे स्टेशन से कच्चे माल की ढुलाई के शुल्क पर रियायतें प्रदान की जा रही हैं, साथ ही अन्य सीमांत लाभों का प्रावधान भी किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में स्थापित 99 प्रतिशत उद्यम सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। उद्योग विभाग इन उद्यमों की समस्याओं की पहचान करने और उनके उपयुक्त निवारण के लिए विस्तृत सर्वेक्षण करेगा। प्रदेश में ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए यूनिटी मॉल की स्थापना की जाएगी।

राज्य सरकार हिमाचल में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए उद्योगपतियों से अनिवार्यता प्रमाणपत्र की अनिवार्यता को समाप्त करने पर विचार कर रही है। सुक्खू ने कहा कि नई औद्योगिक नीति में इस संबंध में प्रावधान किया जाएगा। सीएम ने कहा कि इसके अलावा, उद्योग विभाग में निवेश प्रोत्साहन ब्यूरो की स्थापना की जा रही है, जो मौजूदा सिंगल विंडो सिस्टम की जगह लेगा। यह ब्यूरो संभावित निवेशकों को एक ही छत के नीचे सभी मंजूरी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में सामाजिक और शैक्षणिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए भी काम करेगी ताकि वहां काम करने वालों को रहने के लिए अच्छा माहौल मिले।

आसान भाषा में समझें, हिमाचल की धारा 118 आखिर क्या है

रितेश कपरेट बने सीएम सुक्खू के OSD (Political Affairs)

शिमला।। रितेश कपरेट बने मुख्यमंत्री के OSD (Political Affairs)। कांग्रेस में विभिन्न दायित्व संभाल चुके कपरेट सरकार और पार्टी में समन्वय बिठाने की जिम्मेदारी संभालेंगे।

कांग्रेस सरकार में नवीन नियुक्ति के तहत रितेश कपरेट को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का विशेष कार्याधिकारी (OSD) राजनीतिक मामले ( Political Affairs) नियुक्त किया गया है। कपरेट कांग्रेस के केंद्रीय संगठन और प्रादेशिक संगठन के साथ सरकार का सामंजस्य देखेंगे तथा कांग्रेस के पदाधिकारियों का मुख्यमंत्री के साथ तालमेल देखेंगे।

रितेश मूल रूप से शिमला जिला से संबंध रखते हैं और कांग्रेस छात्र विंग एनएसयूआई से राजनीति की शुरुआत की। राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस संगठन में चुनाव के तहत नियुक्तियों की शुरुआत की गई तब कपरेट युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव चुनकर आए। गौरतलब है कि उस दौरान युवा संगठन में चुनकर आए अन्य प्रतिनिधि अनिरुद्ध सिंह, विक्रमादित्य सिंह, रघुवीर सिंह बाली और आशीष बुटेल पहले से ही सरकार का मुख्य हिस्सा हैं इसी कड़ी में कपरेट का नाम भी जुड़ गया है। कपरेट चालीस वर्ष की अल्पायु में ही जिला शिमला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी बने थे।

रितेश मुख्यमंत्री सुक्खू के करीबी माने जाते हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री सुक्खू जब चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष थे उस समय कपरेट प्रदेश महासचिव के रूप में उनके साथ अटैच थे तथा अध्यक्ष के सारे प्रदेश कार्यक्रम कारडीनेट करते थे।

अक्टूबर 2017 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव कपरेट को सुक्खू ने शिमला ग्रामीण का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था। तत्कालीन सीएम वीरभद्र ने इसका विरोध किया था। उनके दवाब के आगे कांग्रेस संगठन ने यशवंत छाजटा शिमला ग्रामीण का अध्यक्ष बना दिया और कपरेट को संगठन सचिव बना दिया। मगर सुक्खू अड़ गए और कपरेट को शिमला ग्रामीण का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए रखा।

कपरेट को मुख्य तौर पर संगठन का व्यक्ति माना जाता है। कांग्रेस संगठन के विभिन्न विंग्स में लंबे अनुभव के तहत उन्हें यह कार्यभार सौंपा गया है।

सोलन में इनोवा ने मजदूरों को टक्कर मारी, 5 की मौत, 4 घायल

सोलन।। सोलन के धर्मपुर में एक सड़क हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई। कालका-शिमला एनएच पर मंगलवार सुबह एक इनोवा ने सड़क किनारे चल रहे मजदूरों को टक्कर मार दी। पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि चार का इलाज चल रहा है। इनमें से दो की हालत गंभीर है जिन्हें पीजीआई चंडीगढ़ भेजा गया है।

सुबह करीब नौ बजे लांबा अस्पताल के सामने यह हादसा हुआ। एनएच 5 पर पेट्रोल पंपर के सामने इनोवा ने मजदूरों को टक्कर मारी। इनोवा का ड्राइवर कसौली का है। मरने वाले और घायल हुए मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार से संबंध रखते हैं।

मैच में पाकिस्तान का सपॉर्ट करने पर लोगों ने घुटने पर बिठवाकर मंगवाई माफी

गोवा।। गोवा में एक शख्स को घुटनों पर बिठाकर भारत माता की जय नारे लगवाने का मामला सामने आया है। इस शख्स पर आरोप है कि उसने पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए क्रिकेट मैच में पाकिस्तान का समर्थन किया।

दरअसल, एक ट्रैवल ब्लॉगर ने गोवा का एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें एक दुकान के सामने से गुजरते हुए उसने टीवी पर क्रिकेट मैच देख रहे दुकानदार से पूछा कि क्या आप इंडिया को सपॉर्ट कर रहे हो। इस पर दुकानदार ने कहा- “नहीं, पाकिस्तान को। क्योंकि ये पूरा मुस्लिम इलाका है।”

वीडियो देखें-

इसके बाद ब्लॉगर ने हैरानी जताते हुए कहा कि कमाल है कि भारत में लोग पाकिस्तान को सपॉर्ट कर रहे हैं। इस वीडियो को पोस्ट करने के बाद कुछ लोगों ने दुकानदार के पास जाकर उसे घुटनों पर बिठाया और भारत माता की जय के नारे लगवाए। दुकानदार ने कहा कि उससे गलती हो गई है और आगे ऐसा कभी नहीं होगा।

यह घटना उत्तरी गोवा के कैलंगुट की है। वहां लोगों का कहना था कि यहां कोई मुस्लिम गली नहीं है और देश को धर्म के आधार पर मत बांटो। इस संबंध में अभी किसी भी पक्ष की ओर से एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई है।

 

कर्मचारी चयन आयोग को बंद कर देना समस्या का हल नहीं है

देवेंद्र।। हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को भंग करने को लेकर बहुत से बेरोजगार प्रतिक्रिया दे रहे हैं कि बहुत बढ़िया हुआ,एकदम सही फैसला, इसे पहले ही बंद कर देना चाहिए था आदि-आदि। क्या यह सचमें सही हुआ। आज जिस लोकसेवा आयोग के माध्यम से भविष्य की भर्तियों की बात सभी कर रहे हैं उस पर भी तो समय-समय पर अंगुलियां उठती आयी हैं। क्या कभी किसी ने इस ओर ध्यान दिया?

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देखा जाए तो प्रदेश के 8 लाख के लगभग शिक्षित बेरोजगारों के लिए चयन आयोग का बंद होना कोई सुखद समाचार नहीं हैं। गुनाह किसी ने किया और सजा किसी और को मिली। एक बेरोजगार के लिए चंबा से हमीरपुर में भर्ती प्रक्रिया में भाग लेना आसान है या चंबा से शिमला जाना? सरकार को यदि करना था तो पेपर चोरी व लीक करने के मामले में दोषियों को ऐसी सजा देनी चाहिए थी कि भविष्य में कोई भी ऐसा करने से पहले सौ बार सोचता।

बेरोजगारों के लिए कर्मचारी चयन आयोग मात्र भर्ती संस्था ही नहीं है बल्कि उनके सपनों को पूरा करने के लिए मां-बाप के बाद कोई दूसरा है तो वो है प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग।

अच्छी बात है प्रदेश सरकार ने इस भ्रष्टाचार को उजागर कर इसका भंडाफोड़ किया, लेकिन क्या ऐसा संभव नहीं हो सकता था कि आयोग को भंग करने की बजाए, पिछले 5 वर्ष की भर्ती प्रक्रियाओं की जांच की जाती और जो भी अनैतिक तरीके से सरकारी सेवा में आए हैं, उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया जाता। यह भी तो संभव था कि आयोग में मौजूदा पूरे स्टाफ को बदल कर इनके स्थान पर नया स्टाफ लगा दिया जाता। इससे कम से कम कर्मचारी चयन आयोग का अस्तित्व तो बरकरार रहता।

मैदानी या लोअर हिल्स वाले हिमाचल के लोगों का जीवन-यापन या तो सरकारी नौकरी पर निर्भर है या फिर दिहाड़ी मजदूरी पर। यहां के लोगों के लिए बागबानी आर्थिकी का जरिया नहीं है। हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, चंबा, मंडी, कुल्लू, लाहौल स्पीति आदि जिलों के बेरोजगार युवाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए शिमला पहुंचने की बजाए हमीरपुर एक सुगम व सस्ता क्षेत्र रहा है, हमीरपुर में कर्मचारी चयन आयोग का गठन भी इसी उद्देश्य के लिए किया गया था। आज कर्मचारी चयन आयोग बंद होने के समाचार से उन हजारों युवाओं को भी ठेस लगी होगी जिन्होंने कड़ी मेहनत से इसी आयोग के माध्यम से नौकरी हासिल की होगी।

ऐसा भी नहीं कि कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से केवल भाजपा के कार्यकाल में ही भर्तियां हुई, सरकार भले भाजपा की रही हो या कांग्रेस की, सभी के कार्यकाल में कर्मचारी आयोग के माध्यम से भर्तियां हुई हैं। इस बार सत्ता परिवर्तन में बेरोजगारों ने भी अहम भूमिका निभाई है, उम्मीद है सरकार भले ही किसी का विश्वास जीतने में पीछे रह जाए लेकिन बेरोजगारों का विश्वास टूटने न पाए क्योंकि बेरोजगार पहले ही बहुत बुरी तरह से टूटा हुआ है।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। उनसे jahubhamblabum@gmail.com पर ईमेल के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है)

HPSSC हमीरपुर को भंग किया गया, अब HPPSC देखेगा सारी भर्तियां

शिमला।। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग (HPSSC) को भंग करने का फैसला किया है। आयोग को बीते साल दिसंबर में जेओए आईटी का पेपर लीक होने के बाद सस्पेंड कर दिया गया था। सीएम ने बताया कि मामले की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद उन्होंने फैसला किया कि आयोग को भंग करना ही उचित होगा।

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सीएम ने कहा, “यह बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि कर्मचारी चयन आयोग में बीते तीन साल से भर्ती परीक्षाओं के पेपर बेचे जा रहे थे। ये पेपर कुछ लोगों की ही बेचे जा रहे थे। जांच रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इसको देखते हुए आयोग को भंग करने का फैसला लिया गया है।”

दरअसल, 25 दिसंबर 2022 को पोस्ट कोड 965 जेओए आईटी की भर्ती परीक्षा होनी थी लेकिन 23 दिसंबर को हमीरपुर विजिलेंस टीम ने चयन आयोग की गोपनीय शाखा की वरिष्ठ सहायक उमा आजाद को पेपर लीक मामले में गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद प्रदेश सरकार ने 26 दिसंबर 2022 को आयोग को निलंबित कर दिया था।

सीएम ने कहा कि नीचे से लेकर ऊंचे स्तर के स्टाफ की पेपर लीक करने में संलिप्तता पाई गई है। उन्होंने कहा कि जांच जारी है, इसलिए अभी वह जानकारियां साझा नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि मामले की पहली चार्जशीट फाइल की जा रही है और जल्द की सप्लिमेंटरी चार्जशीट भी फाइल की जाएगी। अब तक इस मामले में 8 लोगों को चार्जशीट किया गया है।

May be an image of 2 people and text that says "IN HIMACHAL "हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में तीन वर्ष से पेपर बेचने का धंधा चल रहा था| तथ्यों को देखने के बाद आज सुबह जब फाइल आई तो हमने निर्णय लिया कि हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर दिया जाए| हमने पहले कामकाज भंग किया था, अब आयोग ही भंग कर दिया है|" सुखविंदर सिंह सुक्खू, सीएम"

मंगलवार को सीएम ने बताया कि हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग की जिन भर्ती परीक्षाओं के परिणाम आने हैं या जारी हुए हैं, उन सभी की भी जांच की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि आयोग के स्टाफ सरप्लस पूल में डाला गया है और उनसे पूछा जाएगा कि वे किस विभाग में जाना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक नई भर्ती एजेंसी तय नहीं होती, तब तक राज्य लोकसेवा आयोग (HPPSC) ही भर्ती प्रक्रिया पूरी करेगा। सीएम ने कहा कि जिन परीक्षाओं का नतीजा नहीं निकला है, उनकी आगे की प्रक्रिया भी पब्लिस सर्विस कमिशन देखेगा। जिन परीक्षाओं के रोल नंबर जारी हुए हैं, उनकी परीक्षा भी HPPSC करवाएगा।

रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन की मदद पर जो बाइडन पर महाभियोग चलेगा: रिपब्लिकन नेत्री

इन हिमाचल डेस्क।। जॉर्जिया से रिपब्लिकन पार्टी की प्रतिनिधि मॉर्ज्री टेलर ग्रीन ने मांग की है कि यूक्रेन की मदद करने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन के खिलाफ महाभियोग चलाया जाना चाहिए।

ग्रीन ने जो बाइडन की एक पुरानी वीडियो क्लिप शेयर की है।  अप्रैल 2022 की इस क्लिप में बाइडन ने यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के बीच यूक्रेन के नागरिकों की मदद करने के लिए प्रतिबद्धता जता रहे हैं।

ग्रीन ने ट्वीट किया है, “जो बाइडन पर महाभियोग चलेगा। यूक्रेन अमेरिका का 51वां राज्य नहीं है। हम पहले से ही 34 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज में है। रोज हजारों लोग हमारी सीमाओं को पार कर रहे हैं और पूर्वी फलस्तीन में अमेरिकियों को जहर जिया जा रहा है। बहुत हुआ। बाइडन पर महाभियोग चलाया जाए।”

मॉर्ज्री टेलर ग्रीन

बाइडन के खिलाफ महाभियोग कौन लाएगा, कैसे लाएगा, इस बारे में ग्रीन ने कुछ नहीं लिखा।

कील इंस्टिट्यूट के मुताबिक  यूक्रेन को 24 जनवरी 2022 से लेकर 20 नवंबर 2022 तक अमेरिका से 48 बिलियन डॉलर की मदद मिली है।

हाल ही में अमेरिका ने तीन बिलियन डॉलर की सैन्य मदद यूक्रेन को भेजी है ताकि वो रूस से लड़ सके। इसमें तरह तरह के हथियार, होवित्ज़र मिसाइल और ऐंटी टैंक मिसाइल शामिल हैं।

ग्रीन ही नहीं, बहुत सारे रिपब्लिकन यूक्रेन को फंड भेजने का विरोध कर चुके हैं।  ग्रीन ने तो इस मदद की राशि का ऑडिट करवाने की भी मांग की थी।

इस विरोध के बावजूद यूक्रेन को लगता है कि उसे अमेरिका की ओर से मदद मिलना जारी रहेगा।

 

छत्तीसगढ़ में 6 कांग्रेस नेताओं पर ED की छापेमारी, भूपेश बघेल बोले- हताश है बीजेपी

रायपुर।। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार सुबह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के छह नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की है। इन नेताओं में कांग्रेस के पदाधिकारियों के साथ-साथ विधायक भी शामिल हैं। ईडी ने यह कार्रवाई लेवी कोयला घोटाले के संबंध में की है। कांग्रेस का कहना है कि यह कार्रवाई उसके महाधिवेशन को प्रभावित करने के लिए की गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी असल मसलों से ध्यान बंटाने की कोशिश कर रही है।

ईडी की यह कार्रवाई उस समय हुई है जब 24 फरवरी को कांग्रेस का महाधिवेशन होना है। इसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई बडे़ नेता शिरकत करेंगे। ईडी की कार्रवाई को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “अडाणी की सच्चाई खुलने और भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से हताश हो चुकी बीजेपी ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।” उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस पार्टी रायपुर में ED दफ्तर का घेराव करेगी।

भूपेश बघेल का ट्वीट

भूपेश बघेल ने बताया कि जिन लोगों पर ईडी ने छापा मारा है, उनमें कांग्रेस प्रदेश कमेटी के कोषाध्यक्ष, पूर्व उपाध्यक्ष और एक विधायक शामिल हैं।

क्या है कोयला लेवी घोटाला?

ईडी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में जो भी कोयला ट्रांसपोर्ट हुआ, उसमें 25 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली की गई थी। एजेंसी के मुताबिक यह सब व्यापारियों, अफसरों और राजनेताओं की मिलीभगत से हुआ। ईडी का अनुमान है कि 2021 में कुल 500 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई थी। ईडी इस मामले में पहले भी कार्रवाई करके चार करोड़ कैश समेत अन्य संपत्तियां और दस्तावेजों की जब्ती कर चुका है। इस मामले में एक आईएएस अधिकारी और नौ कारोबारी जेल में बंद हैं।