हिमाचल में गिर रहा है लिंगानुपात, ऊना की हालत सबसे ज्यादा खराब

शिमला।।
हिमाचल प्रदेश वैसे तो कई मामलों में देश के अन्य राज्यों से आगे है, मगर एक मामले में यह पिछड़ता नजर आ रहा है। प्रदेश में चाइल्ड सेक्स रेशियो यानी कि लिंगानुपात लगातार कम हो रहा है। हालत यह हो गई है कि जहां पूरे देश में 1000 लड़कों पर 919 लड़कियां हैं, वहीं हिमाचल में 1000 लड़कों पर सिर्फ 909 लड़कियां बची हैं।
देश के 10 सबसे खराब लिंगानुपात वाले राज्यों में अब हिमाचल का भी नाम जुड़ गया है। यह बात शर्म के साथ-साथ दुख की भी है, क्योंकि सेक्श रेशियो गिरने की यह वजह प्राकृतिक नहीं लग रही। यह बात पिछले दिनों विधानसभा में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर द्वारा विधानसभा में दी गई जानकारी से साफ हुई है।
ऊना देश के सबसे बदनाम जिलों में एक
प्रदेश में इस मामले में सबसे खराब हालत है ऊना जिले की। ऊना का नाम देश के उन 100 जिलों की लिस्ट में है, जहां का लिंगानुपात कम है। ऊना जिले की पंजाब के साथ लगती 24 पंचायतों में 6 साल तक के बच्चों में सेक्स रेशियो 500 से भी नीचे है। जिले का कुल लिंगानुपात 875 है।
यह सुनकर शायद आप भी परेशान हो जाएं कि ऊना की दो पंचायतों में लिंगानुपात 111 और 167 ही है। इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने पहले से ही राज्य सरकार को नोटिस भेजा हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि ऐसा सामान्य रूप से नहीं हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि कन्या भ्रूण हत्या की वजह से भी ऐसा हो सकता है।
एक स्थानीय पत्रकार ने ‘इन हिमाचल’ को बताया, ‘पंजाब से लगती इन पंचायतों की संस्कृति काफी हद तक पड़ोसी राज्य से मिलती-जुलती है। उठना-बैठना, नातेदारी भी वहीं है और काफी हद तक दोनों समाजों की मानसिकता एक जैसी है। इसलिए वे पुत्रमोह में कन्या भ्रूण हत्या करने से भी पीछे नहीं हटते।’
गौरतलब है कि पंजाब खराब लिंगानुपात के लिए सबसे बदनाम राज्यो में एक है। यहां पर आंकड़ा अभी भी 900 से कम है। विभिन्न रिपोर्ट्स यहां का लिंगानुपात 863 से लेकर 895 तक के बीच बताती हैं। मगर ऊना जिला तो 875 के लिंगानुपात के साथ पंजाब से भी खराब स्थिति में है।
लाहौल स्पीति में सबसे ज्यादा बच्चियां
जो इलाके विकसित माने जाते हैं, वहां पर सेक्स रेशियो बेहद खराब है। मगर जनजातीय इलाकों के आंकड़े बताते हैं कि वहां का समाज आज भी कितना अच्छा स्वच्छ है। लाहौल स्पीति में 1000 लड़कों पर 1033 लड़कियां हैं। यह प्रदेश का एकमात्र जिला है, जहां पर लिंगानुपात 1000 से ज्यादा है।
इसके बाद किन्नौर में 963, कुल्लू में 962, चंबा में 953, सिरमौर में 928, शिमला में 925, मंडी में 916, बिलासपुर में 900, सोलन में 899, हमीरपुर में 887 और कांगड़ा में 876 का लिंगानुपात है। यह ट्रेंड साफ बताता है कि जैसे ही आप ट्राइबल और पहाड़ी इलाकों से मैदानी इलाकों की तरफ आते हैं, सेक्श रेशियो गिरता चला जाता है।

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हमने ऐसा क्यों लिखा कि हिमाचल शर्मसार है?
‘इन हिमाचल’ का मानना है कि गर्व और शर्म उन चीज़ों पर किया जा सकता है, जिसके लिए हम जिम्मेदार हों। हम कहां पैदा होते हैं, यह हमारे हाथ में नहीं होता। लेकिन हम उस जगह को कैसा बनाते हैं, उसके लिए हमारा क्या योगदान रहता है, वह हमारे ऊपर होता है। इसलिए गर्व और शर्म अपने कर्म पर ही आनी चाहिए।
मामला है चाइल्ड सेक्श रेशियो का और हम सभी जानते हैं कि पुत्र लालसा में किस तरह से बच्चियां गर्भ में ही कत्ल कर दी जाती हैं। कई बार सुनने में आता है कि फ्लां कपल ने गर्भपात करवा दिया। गांवों में अभी भी बच्चियों की जन्म के बाद जान लेने की घटनाएं होती हैं, लेकिन वे बाहर नहीं आतीं। तो दोस्तो, यह हमारी ही जिम्मेदारी है कि अपने प्रदेश और देश को बेहतर बनाएं।
हमारी गुजारिश है कि इस तरह का कोई भी मामला सामने आए या जानकारी मिले कि कोई क्लिनिक ऐसा करता है, तो आवाज जरूर उठाएं। अगर हमें हिमाचल प्रदेश पर गर्व है, तो यह बरकरार रहना चाहिए। किसी और को अधिकार मत दीजिए कि वह प्रदेश और देश की छवि को नुकसान पहुंचाए और बच्चियों की  हत्या जैसा घिनौना काम करके प्रकृति से खिलवाड़ करे।

जानते हैं, डंगेहिया किसे कहते हैं? सुनकर तो देखिए

मंडी।।

इन दिनों ‘इन हिमाचल’ आपको हिमाचल प्रदेश की संस्कृति की उन चीज़ों के बारे में बता रहा है, जिन्हें हम भुलाते जा रहे हैं। कुछ दिन पहले हमने आपके साथ शिमला का एक विडियो शेयर किया था, जिसमें वहां के पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाए जा रहे थे। अब हम ला रहे हैं मंडी के वाद्य यंत्रों का एक विडियो। विडियो शूट किया गया है जोगिंदर नगर के चौंतड़ा में।

हेसी, ढोली, नगाड़ची के साथ इसमें आपको एक और कलाकार मिलेगा। है तो यह एक ढोल ही, लेकिन इसे कहते हैं ‘डंगेहिया’। ऐसा क्यों कहते हैं, आप खुद ही देखकर समझ जाएंगे। पूरी ताकत से वह ढोल बजाता है और इससे निकली थाप नाचने पर मजबूर कर देती है। हो सकता है अलग-अलग जगहों पर इसे अलग नाम से पुकारा जाता हो। हम इसे जोगिंदर नगर और आसपास के इलाके के नाम से बता रहे हैं।

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उठाइए लुत्फ।

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16 अप्रैल को ऊना के दो किसानों की प्राइवेट प्रॉपर्टी हो जाएगी जनशताब्दी एक्सप्रेस !

                   16  अप्रैल को ऊना के  दो किसानों की प्राइवेट प्रॉपर्टी हो जाएगी जनशताब्दी एक्सप्रेस !

चौंकिए मत यह ऐतिहासिक फैलसा दिया है जिला ऊना के जस्टिस मुकेश बंसल की अदालत ने। जमीन अधिगृहण के का मुआवजा देने में आनाकानी करने पर अदालत ने  आदेश दिए हैं की  16 अप्रैल तक मुआवजे की रकम जमा करवाई जाए या  गारंटी के लिए   रेलवे की संपत्ति   ऊना डेल्ही जनशताब्दी को मुआवजे के रूप में अटैच किया जाए। इस मामले  रेलवे की कोई अपील दलील नहीं सुनी जाएगी।  रेलवे अब मुआवजे की गारंटी रकम  35  लाख रुपये।  अदालत में जमा नहीं करवाता है तो ब अदालत के कर्मचारियों को 16 अप्रैल तक किसी भी हालत में  ऊना डेल्ही जनशताब्दी को अटैच करने के आदेशों पर तालीम करनी ही होगी।  
 गौरतलब है जिला मुख्यालय के साथ लगते दिलवा गावं के दो किसानों की  की भूमि वर्ष 1998 में रेलवे ने अधिकृत की और उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया।   किसानों ने अदालत में याचिका  दायर की  वर्ष 2011 में अदालत ने फैसला सुनाया की रेलवे जल्द से जल्द किसानों को उचित मुआवजा दे। रेलवे ने इस केस में हाई कोर्ट का रुख किया हाई कोर्ट ने इस मामले में 6 महीने का स्टे लगा दिया और रेलवे को कहा की इस अवधि के दौरान मुआवजा अदालत में जमा करे अन्यथा स्टे वैलिड नहीं रहेगा।  रेलवे ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया न ही अदालत के सामने कोई ठोस वजह बता पाया। इस मामले में अब हाई कोर्ट में भी पुनर्विचार याचिका दायर नहीं हो सकती। 

विडियो: हिमाचल में भयंकर भू-स्खलन की लाइव फुटेज

शिमला।।

कुछ दिन पहले हमने आपको हिमाचल प्रदेश का एक विडियो दिखाया था, जिसमें अचानक आई बाढ़ में एक शख्स बह गया था। प्रदेश में कुदरत कभी भी कैसे भयंकर रूप धारण कर लेती है, इसका एक और विडियो आपके लिए लेकर आए हैं।

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आकाश मेहता नाम के शख्स ने करीब 9 महीने पहले यह विडियो अपलोड किया है। इस विडियो के बारे में बताया गया है कि जब वे लोग किन्नौर जा रहे थे, तभी रामपुर में जोर की गड़गड़ाहट के साथ पहाड़ी की चोटी से चट्टानें और मलबा नीचे की ओर दरकने लगा। धूल का गुब्बार आसमान में उठ रहा था।


जोरदार गर्जना करता हुआ लैंडस्लाइड नीचे बढ़ रहा था, जबकि नीचे के गांव में लोग बेखबर थे। शुक्र मनाइए कि सबकुछ ऊपर ही रुक गया, वरना पूरा का पूरा गांव और कई घर इसके नीचे दब जाते। खुद देखिए यह विडियो और जानिए, खूससूरत प्रकृति कैसे जानलेवा भी बन सकती है।

विडियो: सिरमौर की शादी में सादगी भरा पारंपरिक नृत्य

शिमला।।

(अफसोस की बात है कि हमें एक लड़की की तरफ से यह विडियो हटाने की रिक्वेस्ट मिली थी। उनका कहना था कि इस विडियो में वह भी दिख रही हैं, इसलिए इसे हटा दो। उनके चाचा की शादी का विडियो था और चाचा ने ही यूट्यूब पर अपलोड किया था। हमने कहा कि कॉन्टेंट पब्लिकली उपलब्ध है, इसलिए हटाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। बाद में संभवत: लड़की के चाचा (जिनकी शादी का विडियो था) ने यह विडियो हटा दिया, जिससे दिख नहीं पा रहा है।)

सिरमौर, हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री और प्रदेश के निर्माता कहने जाने वाले डॉक्टर यशवंत सिंह परमार जी की जन्मभूमि है। यह जिला सांस्कृतिक रूप से बेहद समृद्ध है, मगर राजनीतिक उपेक्षा का शिकार रहा है। प्रदेश के दक्षिणी जिले के बारे में अन्य जिले के लोगों को बहुत कम जानकारी है। वहां के  गाने, रिवाज, संस्कृति कैसी है, कम ही लोगों को पता है। शादी का एक विडियो देखिए, जिसमें कितनी सहजता है। न तो ज्यादा बैंड-बाजे, न डीजे… बस शहनाई और ढोल है। लोग खुद गा रहे हैं और झूमते जा रहे हैं। इससे बढ़िया तरीका क्या हो सकता है जश्न मनाने का। विडियो:

काहे का धरना, काहे का आक्रोश? फोटो खिंचवाने का ही था जोश!

शिमला।।

कुछ दिन पहले शिमला में बीजेपी प्रदेश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने आए युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं और बीजेपी कार्यकर्ताओं में भिड़ंत हो गई थी। जमकर मारपीट हुई थी और कई लोग जख्मी हुए थे। झड़प में जख्मी हुए एक बीजेपी कार्यकर्ता को अपनी आंख भी गंवानी पड़ी है। बीजेपी ने मंगलवार को शिमला में प्रदेश सरकार पर गुंडागर्दी करने का आरोप लगाते हुए और बीजेपी कार्यालय पर हुए ‘हमले’ के खिलाफ प्रदर्शन किया। मगर यह प्रदर्शन मजाक बनकर रह गया।

देखिए तस्वीरें और खुद तय कीजिए। धरना और विरोध आक्रोश यानी गुस्से में किया जाता है। उसमें तेवर होते हैं, जो चेहरे पर नजर आते हैं। मगर प्रदेश में राजनीतिक धरने-प्रदर्शन फॉरमैलिटी बनकर रह गए हैं। मानो फोटो खिंचवाने का मौका हो। सब नेता ऐसे ही नजर आए।

‘लो जी, जल्दी खींचो फोटो’
‘फोटो सही आनी चाहिए भाई’
‘मजे हैं, विधानसभा से वॉकआउट करते-करते बोरियत होने लगी थी ‘
‘ए ता बड़े लोग होई गै कट्ठे’
‘स्माइल प्लीज़’
‘अखबार में आना चाहिए’
‘बड़े नेता ही देखे थे ऐसे फोटो खिंचवाते, हम भी खिंचवाएंगी आज’
‘चलो, फोटो तो आई’
‘मेले टाइप की फीलिंग आ रही है’
विक्ट्री सिंबल क्यों बनाते हैं, पता नहीं है
‘चलो, एक और दिन कट गया’
‘मजा आ गया आज तो’

विडियो: माल मिलेगा?

MTV इंडिया का एक विडियो देखिए, जिसमें तीन दोस्त माल की तलाश में निकले हैं। जानिए, कैसा ‘माल’ चाहिए उन्हें..

सर्दियां लंबी खिंचने से सेबों की पैदावार पर असर

शिमला।।

सर्दियां लंबी खिंच जाने की वजह से हिमाचल प्रदेश के सेब इंडस्ट्री पर नुकसान के बादल मंडरा रहे हैं। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में हर साल सेबों का करीब 3,500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। मगर इस बार लगातार हो रही बारिश और ओले वगैरह गिरने की वजह से पैदावार में कमी देखने को मिली है।


सर्दियां लंबी खिंच जाने की वजह से सेब का आकार छोटा रह जाता है। जाहिर है, इससे बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा ओले गिरने और तेज बारिश होने से भी नुकसान हो जाता है। सर्दियां बढ़ने की वजह से पेड़ों को सही पोषण नहीं मिल पाता है, जिससे पैदावार घट जाती है।

हिमाचल के किसान आस लगाए बैठे हैं कि कब धूप निकले और उन्हें थोड़ी राहत मिले।

विचारधाराओं के चलते भिड़ती यंग ब्रिगेड का कर्ज चुका पाएंगी पार्टियां?

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हिमाचल प्रदेश का युवा भी अब सहनशीलता और उस भाईचारे की सीमा से बाहर जाता जा रहा है जो इस प्रदेश के गौरवशाली इतिहास और  यहाँ के मानुस की आज भी एक वैश्विक पहचान है। 

सुरक्षा के लिहाज से राजधानी को किसी भी प्रदेश का सब से चौक चौबंद सिटी माना जाता है।  पर हाल में ही सरकार और अफसरशाही की नगरी शिमला में घटित हुए  घटनाक्रमों ने मन को बहुत आहात किया है।  राजनैतिक लहरों पर सवार युवकों का आपस में भिड़ जाना और एक नौजवान का उसमे आँख गवां देना बहुत ही दुखद है।  और हैरानी की बात है की इस पर  अभी तक कोई कार्रवाई भी नहीं हो पायी है।  खैर यह तो प्रशाशन की नाकामी और लचरपन का साक्षात उदहारण है।  परन्तु एक सवाल मन में यह भी उठा विचारधारा के नाम पर जिस आम कार्यकर्ता ने अपनी आँख गवा दी उस कार्यकर्ता से सबन्धित  उसकी   राजनैतिक पार्टी कैसे  उसके  कर्ज और निष्ठां को चूका पाएगी। 

हिमाचल प्रदेश की राजनीति के अतीत में मैं झांकता हूँ तो  जाने कैसे लोगों को  विभिन पार्टी और उसके आकाओं ने  सिर्फ व्यक्तिगत निष्ठा के बदले विधानसभा टिकटों से अलंकृत किया है  जिनका मैं यहाँ वर्णन करना नहीं चाहता यहाँ तो लोगो ने संग़ठन निष्ठा पर क़ुरबानी दी है । जब कोई नेता स्वर्गवासी होता है उसके बच्चों बीवी को टिकट थम दिया जाता है चाहे वो राजनीति का क ख ग भी नहीं जानते हों।  और कहा जाता है फलां नेता बड़ा महान था इसलिए उसके घर वालों को आगे लेकर उसे सच्ची श्रन्द्जलि दी गयी है यह हिमाचल ही  नहीं हिन्दोस्तान की राजनीति का ऐतिहासिक और निरंतर चलता हुआ सत्य है।  
पार्टी संग़ठन के लिए सर फ़ुड़वाने वाले और आँख तक गवा देने वाले युवा  कार्यकार्तिओं को क्या उनका राजनितिक दल विधानसभा में जाने के लिए अपनी आवाज बुलंद करने के लिए टिकट थमा सकता हैं , मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है जब वो चापलूसों को  बिना किसी योग्यता के टिकट थमा सकते हैं तो उस युवा जोश का कर्ज भी उन्हें अदा करना चाहिए जिसने अपनी आँख गवाए है , यह आने वाला समय बताएगा पर हर पार्टी की रीढ़ यह युवा अपना हक़ नहीं  मांगेगे  तो इन्हे सिर्फ विरोध प्रदर्शनों में आने वाली भीड़ के रूप में ही गिना जाएगा। राजनैतिक घाघों और सरमायेदार लोगों को यह घटनाएँ सिर्फ एक राजनैतिक मुद्दा ही नजर आएँगी।  प्रशाहन की करवाई और  न्याय का तराजू  तो सत्ता के दबाब से तो किसी भी तरफ झुक जाता है।  पर आने वाला वक़्त यह   फैसला करेगा की आँख तक संग़ठन  के नाम पर गवां देने वाले एक साधारण कार्यकर्ता को उसकी पार्टी आंतरिक रूप से क्या न्याय दे पाएगी।  प्रशानिक न्याय  तो द्रोपदी का चीर है पर  आंतरिक न्याय तो  बनता है , दिया भी जा सकता है  क्या भविष्ये में  यह कहकर इस कर्ज को थोड़ा कम करने की कोशिश  नहीं की जा सकती   ???    संग़ठन  के लिए इतनी बड़ी क़ुरबानी पर ऐसे कार्यकर्ताओं  को क्यों ना  मौका दिया जाए  उन्हें अपने  गृह  क्षेत्र  से विधानसभा में आने का।  क्या  आम नौजवान इन वर्कर्स के लिए पार्टयों में इतनी संवेदना है या नौजवान यूँ ही भीड़ का हिस्सा हो रहा है उस दौर में जब वो अपनी इच्छाशक्ति   से  कुछ भी अलग कर सकता है 
इस लेख में लेखक और विचारक के तौर पर मेरी सवेदना  एवं  समर्थन  किसी  पार्टी या व्यक्ति विशेष से नहीं है  किसी को क्या मिले या न मिले  इस का निर्धारक मैं नहीं हो सकता ,   यह घटना तो मात्र एक  सूक्षम उदहारण  है पर मेरे मन में की  यह जिज्ञासा  सामरिक और वैश्विक और  हर राजनैतिक दल के लिए है मैंने तो  बस इतिहास  में  सरसरी निगाह  डालकर एक  सवाल खड़ा किया है  जिसका जबाब भविष्ये के गर्भ में है।
लेखक : आशीष नड्डा
लेखक हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला से सबंधित हैं और राष्ट्रीय प्रीद्योगिकि संस्थान  डेल्ही में शोध छात्र हैं।
 पाठक हमें अपने लेख inhimachal.in@gmail.com पर मेल कर सकते हैं। 

माँ चिंतपूर्णी क्षेत्र में गिरे गोल्फ बाल आकार के ओले

माँ चिंतपूर्णी क्षेत्र में गिरे गोल्फ बाल आकार के ओले  : नीचले हिमाचल में भी कड़ाके की ठण्ड 


हिमाचल प्रदेश में मां चिंतपूर्णी मंदिर जाने वाले भक्तों के लिए एक खबर है। दरअसल, चिंतपूर्णी मंदिर में मां के दर्शन के लिए जाने वाले भक्तों को एतिहात बरतने की जरूरत है। क्योंकि यहां पर बर्फ के ओलों के चलते मौसम बेहद खराब हो गया है, जिस वजह से श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

मुबारकपुर से ले कर भरवईं तक के रास्तो में डेढ़ फुट बर्फ़ की चादर बिछ गई है जिस के कारण ट्रैफि़क जाम हो गया है। मौसम में अचानक आई इस तबदीली के साथ तापमान भी नीचे गिर गया है। पूरे इलाको में करीब आधे घंटे तक ओले गिरते रहे और गौलफबाल के आकार जितने बर्फ़ के गोले पूरी सड़क पर बिछ गए।