रामस्वरूप के प्रदेशाध्यक्ष बनने की चर्चा के बीच धूमल-चंदेल में करीबी

हमीरपुर।।
मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा को हिमाचल बीजेपी का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा चल रही है। इस बीच प्रदेश बीजेपी में हलचल तेज हो गई है। गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को बीजेपी के अगले सीएम कैंडिडेट के तौर पर देखा जा रहा है। रामस्वरूप शर्मा और जयराम ठाकुर से उनकी करीबियों के चलते प्रफेसर प्रेम कुमार धूमल अब बिलासपुर के पूर्व सांसद सुरेश चंदेल को साधने में जुटे हैं। ये दोनों ही नेता अंदर खाने नड्डा के विरोधी हैं और यह बात छिपी नहीं है।

पूर्व सीएम प्रफेसर प्रेम कुमार धूमल व बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेश चंदेल के बीच हुई गुप्त मंत्रणा हुई है। इस समय बीजेपी का प्रदेश स्तर पर सदस्यता अभियान चला हुआ है। संगठन की गतिविधियों को लेकर इस समय हर बीजेपी नेता की नजर एक दूसरे की गतिविधियों पर टिकी हुई हैं। प्रदेश बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं की लंबे अंतराल के बाद हमीरपुर के सर्किट हाउस के बंद कमरे में लंबी गुफ्तगू के कई मतलब निकाले जा रहे हैं।

जब से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के हिमाचल दौरे शुरू हुए हैं तब से बीजेपी व कांग्रेस नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। इसके चलते बीजेपी की राजनीति में भी गर्माहट दिखाई दे रही है। अब हिमाचल बीजेपी का सदस्यता अभियान समाप्ति की ओर है इसलिए बीजेपी आलाकमान संगठन के विभिन्न पदों पर फेरबदल कर सकता है। ‘जागरण’ की खबर के मुताबिक धूमल व चंदेल पहले सर्किट हाउस हमीरपुर में काफी देर तक रुके और फिर उसके बाद नादौन की तरफ रवाना हो गए। नादौन में दोनों नेताओं ने नादौन के पूर्व बीजेपी मंडल अध्यक्ष तारा चंद के बेटे की शादी में शिरकत की।

फाइल फोटो

बिलासपुर जिले से संबध रखने वाले पूर्व सांसद सुरेश चंदेल व नेता प्रतिपक्ष प्रफेसर प्रेम कुमार धूमल के बीच हुई मंत्रणा में दो खास बिंदु सामने आए हैं। पहला यह कि वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी संगठन को मजबूत किया जाए ताकि कांग्रेस को मात दी जा सके। दूसरा यह कि ऐसी रणनीति बनाई जाए जिससे हिमाचल बीजेपी से हाईकमान को यह संदेश दिया जाए कि प्रफेसर प्रेम कुमार धूमल ही एक ऐसे नेता हैं जो प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।

इस संदर्भ बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेश चंदेल से जब मंत्रणा को लेकर पूछा तो उन्होंने बताया कि वह नादौन में बीजेपी नेता के बेटे की शादी समारोह में भाग लेने आए थे। इस बीच वह हमीरपुर में पूर्व सीएम प्रफेसर प्रेम कुमार धूमल के साथ मिले थे। उन्होंने बताया कि संगठन को मजबूत करना ही उनका लक्ष्य है।

नड्डा के हिमाचल दौरे से भी तेज हुईं अटकलें
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के मंडी संसदीय क्षेत्र के दौरे को लेकर सियासी हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि 25 अप्रैल को मंडी में होने वाले नागरिक अभिनंदन समारोह के बहाने जेपी नड्डा हिमाचल में अपनी सियासी जमीन की तलाश करेंगे। केंद्र में रहते हुए नड्डा ने पार्टी संगठन और सरकार में अपनी महत्वपूर्ण जगह बना ली है। उसका उपयोग नड्डा अब हिमाचल की सियासी जमीन को अपने लिए उर्वरा बनाने की कवायद में जुट गए हैं।

मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा और बीजेपी के मंडी संसदीय प्रभारी जयराम ठाकुर भी संगठन और संघ के उसी स्कूल के साथी हैं, जहां से जेपी नड्डा निकले हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि नड्डा मंडी में नागरिक अभिनंदन के बहाने कहीं अपनी सियासी जमीन तो नहीं तलाश रहे हैं।

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कमाई के लिए बंदर पकड़ रहे हैं हिमाचल के बेरोजगार युवक

शिमला।।

पूरा हिमाचल आवारा पशुओं और खासकर बंदरों की वजह से परेशान है। ये न केवल फसलों को चौपट कर रहे हैं, बल्कि आए दिन हमला करके बच्चों और महिलाओं के लिए खतरनाक भी साबित हो रहे हैं। सरकार ने बंदरों पर लगाम लगाने के लिए योजना भी चलाई है, मगर यह सफेद हाथी बनकर रह गई है। यानी बंदर तो कम होते दिख नहीं रहे, लेकिन अब तक सरकार बंदर पकड़ने के लिए 336 लोगों को 3 करोड़ 22 लाख रुपये का भुगतान कर चुकी है।

पिछले दिनों विधानसभा में जानकारी देते हुए राज्य के वन मंत्री ने बताया था कि बंदरों के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए ही आवारा बंदरों को पकड़ने की योजना बनाई गई है। यह योजना अक्टूबर 2011 में शुरू की गई थी। उन्होंने कहा था कि बंदरों को पकड़ने के लिए अब तक 336 लोगों को 3.22 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। 2007 से लेकर अब तक 94,334 बंदरों की नसबंदी भी की जा चुकी है।

सरकारी आंकड़ों का मखौल उड़ा रहे हैं बंदर, अभी भी परेशान हैं किसान

इस हिसाब से देखें तो कुछ लोगों के लिए हिमाचल प्रदेश में बंदर कमाई का जरिया बन गए हैं। वन मंत्री का कहना था कि इस काम में खासतौर से बेरोजगार युवक जुटे हुए हैं। वन्यजीव विभाग नसबंदी के लिए बंदरों को पकड़ने के लिए बंदर 500 रुपए का भुगतान कर रही है।

भले ही किसानों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं, मगर वन्यजीव अधिकारियों का कहना है कि 2013 में बंदरों की गणना में पता चला है कि राज्य में बंदरों की आबादी घट कर 236,000 हो गई है, जबकि 2004 में राज्य में बंदरों की संख्या 319,000 थी। शिमला, सोलन, सिरमौर, बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, मंडी और कांगड़ा जिलों के हजारों किसान बंदरों की वजह से नुकसान उठा रहे हैं। वन्यजीव विभाग का भी अनुमान है कि बंदरों की वजह से 9 लाख किसान प्रभावित हुए हैं।

एक बंदर पकड़ने पर 500 रुपये का भुगतान कर रही सरकार

अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने बंदरों की नसबंदी के लिए सात केंद्र स्थापित किए हैं। इनमें से हर केंद्र एक साल में 5 हजार बंदरों की नसबंदी कर सकता है। इसी तरह के दो और केंद्रों की स्थापना करने की योजना है। नर बंदरों की नसबंदी थर्मोकैट्रिक कॉगलेटिव वैसेक्टॉमी और मादा बंदरों की नसबंदी एन्डोस्कॉपिक थर्मोकॉट्रिक ट्यूबेक्टॉमी तकनीक से की जाती है।

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ऐक्टिव हुए अरुण धूमल, पिता प्रेम कुमार धूमल की जगह लड़ेंगे अगला चुनाव?

शिमला।।
जिस तरह से हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के छोटे बेटे अरुण धूमल अचानक ऐक्टिव हुए हैं, उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि वह राजनीति में आने की तैयारी कर चुके हैं। राजनीति पंडितों का मानना है कि बीजेपी में बिना किसी अहम पद में होने के बावजूद उनका वीरभद्र के खिलाफ मोर्चा खोलना दिखाता है कि अरुण प्रदेश की राजनीति में ऐक्टिव दिखना चाहते हैं।

शनिवार को हमीरपुर बीजेपी एग्जिक्यूटिव के मेंबर अरुण धूमल ने शिमला में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला और एक बार फिर ‘वकामुल्ला’ को लेकर तीखे सवाल किए। उन्होंने पूछा कि मुख्यमंत्री और उनके परिजनों को स्टारबैग एसकॉन कंपनी से किस बात का पैसा मिलता है। गौरतलब है कि पहले भी उन्होंने इसी मुद्दे को लेकर सीएम को घेरा था। एक बार फिर वकामुल्ला के मामले को पार्टी के मंच से उठाना दिखाता है कि यह अब सक्रिय राजनीति में आने का मन बना चुके हैं।

अरुण धूमल (File Photo)

माना जा रहा है कि प्रेम कुमार धूमल अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे और हमीरपुर से अपनी जगह अरुण को उतारेंगे। इसीलिए पार्टी में किसी बड़े पद पर न होने के बावजूद अरुण कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं और पार्टी बाकायदा उन्हें मंच भी दे रही है। जानकारों के मुताबिक प्रेम कुमार धूमल दरअसल समझ चुके हैं कि प्रदेश में बीजेपी अगला चुनाव नए चेहरे के नेतृत्व में लड़ेगी। पीएम मोदी और अमित शाह की साफ नीति रही है कि 70 साल से कम उम्र के लोगों को ही मुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा। तमाम राज्यों में बीजेपी ने यही नीति अमल में लाई है। ऐसे में उन्होंने अपने छोटे बेटे को भी राजनीति में स्थान देने का मन बना लिया है।

तमाम बातों को ध्यान में रखने पर लग रहा है कि आने वाले वक्त में अरुण अपने पिता जी की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इसीलिए वह पिछले कई दिनों से ज्यादा ही सक्रिय हो गए हैं और पत्रकारों को संबोधित करते रहते हैं। वह चाहते हैं कि जनता में उनकी मौजूदगी ज्यादा से ज्यादा बने। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि जल्द ही राज्यों में कई जगह पर नए राज्यपाल नियुक्त किए जाएंगे और भविष्य में प्रेम कुमार धूमल भी यह जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।

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पूरे हिमाचल के लिए मिसाल है- पालमपुर बाइकर्स क्लब

पालमपुर।।

आप हिमाचल से बाहर नौकरी कर रहे हों, बड़ी थका देने वाली जॉब हो आपकी और फिर 2-3 दिन की छुट्टी मिल जाए। आप क्या करेंगे इन छुट्टियों में? जाहिर है, कुछ लोग कहेंगे कि जी लेटकर आराम करेंगे और कुछ कहेंगे कि घूमेंगे-फिरेंगे। मगर हिमाचल प्रदेश के युवाओं की एक टीम ने ऐसा कर दिखाया है, जो पूरे प्रदेश के लिए मिसाल है।

अडवेंचर पसंद करने वाले हिमाचली युवाओं का एक ग्रुप है- पालमपुर बाइकर्स क्लब। जैसा कि नाम से ही साफ है, ये लोग बाइक्स पर घूमना पसंद करते हैं। मगर प्रदेश से बाहर रह रहे ये युवा फन और मस्ती के साथ-साथ समाज के लिए कुछ करने के लिए भी वक्त निकाल लेते हैं।

पालमपुर बाइकर्स क्लब ने पिछले साल सफाई का अभियान छेड़ा था। पालमपुर में कई जगहों पर लोगों द्वारा फैलाए गए कूड़े को क्लब के सदस्यों ने साफ किया था। इस मुहिम को और आगे बढ़ाते हुए क्लब ने पालमपुर में विभिन्न जगहों पर डस्टबिन लगाए हैं। सौरव वन विहार और अवारना गांव में सड़कों के किनारे इन्हें लगाया गया है, ताकि लोग इधर-उधर गंदगी फैलाने के बजाय इन्हें इस्तेमाल करें।
अच्छा काम करने के बाद कितना सुकून मिलता है, यह इनके चहरे देखकर पता चलता है 🙂
ग्रुप के सदस्य विजय चौहान ने बताया कि इस जगह के आसपास पालमपुर बाइकर्स क्लब पहले भी सफाई करता रहा है। इस बार डस्टबिन लगाने का फैसला किया और यह शपथ भी ली गई कि इस इलाके को साफ-सुथरा रखने की जिम्मेदारी भी निभाएंगे।
क्लब ने 3 अप्रैल से 5 अप्रैल तक मल्टी ऐक्टिविटी प्रोग्राम का आयोजन किया था, जिसमें दिल्ली से भी प्रतिभागी आए थे। पालमपुर और आसपास के इलाके की खूबसूरती से प्रभावित ये लोग क्लब द्वारा शुरू की गई पहल से भी प्रभावित हुए बगैर नहीं रह पाए। उन्होंने भी इस काम में योगदान दिया।
कई जगहों पर एक दर्जन डस्टबिन लगाए गए हैं। इनका रख-रखाव भी क्लब के सदस्य ही कर रहे हैं।
चौहान ने बताया कि जिन जगहों पर डस्टबिन लगाए गए हैं, वे टूरिस्ट्स के बीच फेमस हैं मगर वे नगर परिषद की सीमाओं से बाहर हैं। इसलिए कचरे के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में लोग कहीं भी कचरा फेंक देते हैं और वह यहीं पड़ा रहता है। सड़क के किनारे फैली गंदगी की वजह से खूबसूरती पर धब्बा सा लगने लगता था। ऐसे में क्लब ने सोचा कि क्यों न इसे साफ रखने की जिम्मेदारी उठाई जाए।
क्लब ने स्पेसेज़ होम डिकॉर और आदित्य पंडित की मदद से PWD द्वारा मुहैया कराए गए दर्जन भर पुराने कोल तार ड्रमस् को डस्टबिन में बदल दिया। अब इन्हें लगाए एक हफ्ते से ज्यादा वक्त गुजर चुका है और फर्क भी नजर आने लगा है। आसपास फैली गंदगी कम हो रही है और लोग डस्टबिन में ही कूड़ा फेंक रहे हैं।
क्लब के सदस्यों का कहना है कि आगे वे इसी तरह से सामाजिक कार्य करते रहेंगे

पालमपुर बाइकर्स क्लब द्वारा किया गया यह छोटा सा काम हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अगर हम हिमाचल में रह रहे हैं, तो हमारा फर्ज बनता है कि इस तरह की गंदगी फैलाने वालों को रोकें। वक्त मिलने पर ऐसी जगहों की सफाई कर दें, ताकि अगली बार कोई शख्स गंदगी डालने से पहले सौ बार सोचे। टाइम लगेगा, लेकिन लोगों की मानसिकता में बदलाव तो आएगा।

दूसरा तरीका यह हो सकता है कि अगर आप सक्षम हैं और हिमाचल या घर से बाहर जॉब कर रहे हैं, तो अपने स्कूल के दोस्तों या अन्य साथियों के साथ मिलकर छोटा सा ग्रुप बना सकते हैं। उस ग्रुप की मदद से ठीक ऐसा ही कारनामा कर सकते हैं, जैसा पालमपुर बाइकर्स क्लब ने किया। अपनी कहानी आप हमारे साथ शेयर कीजिए, पूरे हिमाचल तक उसे पहुंचाने की जिम्मेदारी ‘इन हिमाचल’ होगी।

जिस तरह से यह ग्रुप बिना किसी स्वार्थ के अपने स्तर पर छोटा सा योगदान दे रहा है, उसी तरह से हम सब छोटी-छोटी जिम्मेदारियां उठाएं, तो बड़ा बदलाव आ सकता है। आइए हिमाचल को स्वच्छ बनाएं, स्वस्थ बनाएं।

हिमाचल में गिर रहा है लिंगानुपात, ऊना की हालत सबसे ज्यादा खराब

शिमला।।
हिमाचल प्रदेश वैसे तो कई मामलों में देश के अन्य राज्यों से आगे है, मगर एक मामले में यह पिछड़ता नजर आ रहा है। प्रदेश में चाइल्ड सेक्स रेशियो यानी कि लिंगानुपात लगातार कम हो रहा है। हालत यह हो गई है कि जहां पूरे देश में 1000 लड़कों पर 919 लड़कियां हैं, वहीं हिमाचल में 1000 लड़कों पर सिर्फ 909 लड़कियां बची हैं।
देश के 10 सबसे खराब लिंगानुपात वाले राज्यों में अब हिमाचल का भी नाम जुड़ गया है। यह बात शर्म के साथ-साथ दुख की भी है, क्योंकि सेक्श रेशियो गिरने की यह वजह प्राकृतिक नहीं लग रही। यह बात पिछले दिनों विधानसभा में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर द्वारा विधानसभा में दी गई जानकारी से साफ हुई है।
ऊना देश के सबसे बदनाम जिलों में एक
प्रदेश में इस मामले में सबसे खराब हालत है ऊना जिले की। ऊना का नाम देश के उन 100 जिलों की लिस्ट में है, जहां का लिंगानुपात कम है। ऊना जिले की पंजाब के साथ लगती 24 पंचायतों में 6 साल तक के बच्चों में सेक्स रेशियो 500 से भी नीचे है। जिले का कुल लिंगानुपात 875 है।
यह सुनकर शायद आप भी परेशान हो जाएं कि ऊना की दो पंचायतों में लिंगानुपात 111 और 167 ही है। इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने पहले से ही राज्य सरकार को नोटिस भेजा हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि ऐसा सामान्य रूप से नहीं हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि कन्या भ्रूण हत्या की वजह से भी ऐसा हो सकता है।
एक स्थानीय पत्रकार ने ‘इन हिमाचल’ को बताया, ‘पंजाब से लगती इन पंचायतों की संस्कृति काफी हद तक पड़ोसी राज्य से मिलती-जुलती है। उठना-बैठना, नातेदारी भी वहीं है और काफी हद तक दोनों समाजों की मानसिकता एक जैसी है। इसलिए वे पुत्रमोह में कन्या भ्रूण हत्या करने से भी पीछे नहीं हटते।’
गौरतलब है कि पंजाब खराब लिंगानुपात के लिए सबसे बदनाम राज्यो में एक है। यहां पर आंकड़ा अभी भी 900 से कम है। विभिन्न रिपोर्ट्स यहां का लिंगानुपात 863 से लेकर 895 तक के बीच बताती हैं। मगर ऊना जिला तो 875 के लिंगानुपात के साथ पंजाब से भी खराब स्थिति में है।
लाहौल स्पीति में सबसे ज्यादा बच्चियां
जो इलाके विकसित माने जाते हैं, वहां पर सेक्स रेशियो बेहद खराब है। मगर जनजातीय इलाकों के आंकड़े बताते हैं कि वहां का समाज आज भी कितना अच्छा स्वच्छ है। लाहौल स्पीति में 1000 लड़कों पर 1033 लड़कियां हैं। यह प्रदेश का एकमात्र जिला है, जहां पर लिंगानुपात 1000 से ज्यादा है।
इसके बाद किन्नौर में 963, कुल्लू में 962, चंबा में 953, सिरमौर में 928, शिमला में 925, मंडी में 916, बिलासपुर में 900, सोलन में 899, हमीरपुर में 887 और कांगड़ा में 876 का लिंगानुपात है। यह ट्रेंड साफ बताता है कि जैसे ही आप ट्राइबल और पहाड़ी इलाकों से मैदानी इलाकों की तरफ आते हैं, सेक्श रेशियो गिरता चला जाता है।

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हमने ऐसा क्यों लिखा कि हिमाचल शर्मसार है?
‘इन हिमाचल’ का मानना है कि गर्व और शर्म उन चीज़ों पर किया जा सकता है, जिसके लिए हम जिम्मेदार हों। हम कहां पैदा होते हैं, यह हमारे हाथ में नहीं होता। लेकिन हम उस जगह को कैसा बनाते हैं, उसके लिए हमारा क्या योगदान रहता है, वह हमारे ऊपर होता है। इसलिए गर्व और शर्म अपने कर्म पर ही आनी चाहिए।
मामला है चाइल्ड सेक्श रेशियो का और हम सभी जानते हैं कि पुत्र लालसा में किस तरह से बच्चियां गर्भ में ही कत्ल कर दी जाती हैं। कई बार सुनने में आता है कि फ्लां कपल ने गर्भपात करवा दिया। गांवों में अभी भी बच्चियों की जन्म के बाद जान लेने की घटनाएं होती हैं, लेकिन वे बाहर नहीं आतीं। तो दोस्तो, यह हमारी ही जिम्मेदारी है कि अपने प्रदेश और देश को बेहतर बनाएं।
हमारी गुजारिश है कि इस तरह का कोई भी मामला सामने आए या जानकारी मिले कि कोई क्लिनिक ऐसा करता है, तो आवाज जरूर उठाएं। अगर हमें हिमाचल प्रदेश पर गर्व है, तो यह बरकरार रहना चाहिए। किसी और को अधिकार मत दीजिए कि वह प्रदेश और देश की छवि को नुकसान पहुंचाए और बच्चियों की  हत्या जैसा घिनौना काम करके प्रकृति से खिलवाड़ करे।

जानते हैं, डंगेहिया किसे कहते हैं? सुनकर तो देखिए

मंडी।।

इन दिनों ‘इन हिमाचल’ आपको हिमाचल प्रदेश की संस्कृति की उन चीज़ों के बारे में बता रहा है, जिन्हें हम भुलाते जा रहे हैं। कुछ दिन पहले हमने आपके साथ शिमला का एक विडियो शेयर किया था, जिसमें वहां के पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाए जा रहे थे। अब हम ला रहे हैं मंडी के वाद्य यंत्रों का एक विडियो। विडियो शूट किया गया है जोगिंदर नगर के चौंतड़ा में।

हेसी, ढोली, नगाड़ची के साथ इसमें आपको एक और कलाकार मिलेगा। है तो यह एक ढोल ही, लेकिन इसे कहते हैं ‘डंगेहिया’। ऐसा क्यों कहते हैं, आप खुद ही देखकर समझ जाएंगे। पूरी ताकत से वह ढोल बजाता है और इससे निकली थाप नाचने पर मजबूर कर देती है। हो सकता है अलग-अलग जगहों पर इसे अलग नाम से पुकारा जाता हो। हम इसे जोगिंदर नगर और आसपास के इलाके के नाम से बता रहे हैं।

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उठाइए लुत्फ।

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16 अप्रैल को ऊना के दो किसानों की प्राइवेट प्रॉपर्टी हो जाएगी जनशताब्दी एक्सप्रेस !

                   16  अप्रैल को ऊना के  दो किसानों की प्राइवेट प्रॉपर्टी हो जाएगी जनशताब्दी एक्सप्रेस !

चौंकिए मत यह ऐतिहासिक फैलसा दिया है जिला ऊना के जस्टिस मुकेश बंसल की अदालत ने। जमीन अधिगृहण के का मुआवजा देने में आनाकानी करने पर अदालत ने  आदेश दिए हैं की  16 अप्रैल तक मुआवजे की रकम जमा करवाई जाए या  गारंटी के लिए   रेलवे की संपत्ति   ऊना डेल्ही जनशताब्दी को मुआवजे के रूप में अटैच किया जाए। इस मामले  रेलवे की कोई अपील दलील नहीं सुनी जाएगी।  रेलवे अब मुआवजे की गारंटी रकम  35  लाख रुपये।  अदालत में जमा नहीं करवाता है तो ब अदालत के कर्मचारियों को 16 अप्रैल तक किसी भी हालत में  ऊना डेल्ही जनशताब्दी को अटैच करने के आदेशों पर तालीम करनी ही होगी।  
 गौरतलब है जिला मुख्यालय के साथ लगते दिलवा गावं के दो किसानों की  की भूमि वर्ष 1998 में रेलवे ने अधिकृत की और उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया।   किसानों ने अदालत में याचिका  दायर की  वर्ष 2011 में अदालत ने फैसला सुनाया की रेलवे जल्द से जल्द किसानों को उचित मुआवजा दे। रेलवे ने इस केस में हाई कोर्ट का रुख किया हाई कोर्ट ने इस मामले में 6 महीने का स्टे लगा दिया और रेलवे को कहा की इस अवधि के दौरान मुआवजा अदालत में जमा करे अन्यथा स्टे वैलिड नहीं रहेगा।  रेलवे ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया न ही अदालत के सामने कोई ठोस वजह बता पाया। इस मामले में अब हाई कोर्ट में भी पुनर्विचार याचिका दायर नहीं हो सकती। 

विडियो: हिमाचल में भयंकर भू-स्खलन की लाइव फुटेज

शिमला।।

कुछ दिन पहले हमने आपको हिमाचल प्रदेश का एक विडियो दिखाया था, जिसमें अचानक आई बाढ़ में एक शख्स बह गया था। प्रदेश में कुदरत कभी भी कैसे भयंकर रूप धारण कर लेती है, इसका एक और विडियो आपके लिए लेकर आए हैं।

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आकाश मेहता नाम के शख्स ने करीब 9 महीने पहले यह विडियो अपलोड किया है। इस विडियो के बारे में बताया गया है कि जब वे लोग किन्नौर जा रहे थे, तभी रामपुर में जोर की गड़गड़ाहट के साथ पहाड़ी की चोटी से चट्टानें और मलबा नीचे की ओर दरकने लगा। धूल का गुब्बार आसमान में उठ रहा था।


जोरदार गर्जना करता हुआ लैंडस्लाइड नीचे बढ़ रहा था, जबकि नीचे के गांव में लोग बेखबर थे। शुक्र मनाइए कि सबकुछ ऊपर ही रुक गया, वरना पूरा का पूरा गांव और कई घर इसके नीचे दब जाते। खुद देखिए यह विडियो और जानिए, खूससूरत प्रकृति कैसे जानलेवा भी बन सकती है।

विडियो: सिरमौर की शादी में सादगी भरा पारंपरिक नृत्य

शिमला।।

(अफसोस की बात है कि हमें एक लड़की की तरफ से यह विडियो हटाने की रिक्वेस्ट मिली थी। उनका कहना था कि इस विडियो में वह भी दिख रही हैं, इसलिए इसे हटा दो। उनके चाचा की शादी का विडियो था और चाचा ने ही यूट्यूब पर अपलोड किया था। हमने कहा कि कॉन्टेंट पब्लिकली उपलब्ध है, इसलिए हटाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। बाद में संभवत: लड़की के चाचा (जिनकी शादी का विडियो था) ने यह विडियो हटा दिया, जिससे दिख नहीं पा रहा है।)

सिरमौर, हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री और प्रदेश के निर्माता कहने जाने वाले डॉक्टर यशवंत सिंह परमार जी की जन्मभूमि है। यह जिला सांस्कृतिक रूप से बेहद समृद्ध है, मगर राजनीतिक उपेक्षा का शिकार रहा है। प्रदेश के दक्षिणी जिले के बारे में अन्य जिले के लोगों को बहुत कम जानकारी है। वहां के  गाने, रिवाज, संस्कृति कैसी है, कम ही लोगों को पता है। शादी का एक विडियो देखिए, जिसमें कितनी सहजता है। न तो ज्यादा बैंड-बाजे, न डीजे… बस शहनाई और ढोल है। लोग खुद गा रहे हैं और झूमते जा रहे हैं। इससे बढ़िया तरीका क्या हो सकता है जश्न मनाने का। विडियो:

काहे का धरना, काहे का आक्रोश? फोटो खिंचवाने का ही था जोश!

शिमला।।

कुछ दिन पहले शिमला में बीजेपी प्रदेश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने आए युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं और बीजेपी कार्यकर्ताओं में भिड़ंत हो गई थी। जमकर मारपीट हुई थी और कई लोग जख्मी हुए थे। झड़प में जख्मी हुए एक बीजेपी कार्यकर्ता को अपनी आंख भी गंवानी पड़ी है। बीजेपी ने मंगलवार को शिमला में प्रदेश सरकार पर गुंडागर्दी करने का आरोप लगाते हुए और बीजेपी कार्यालय पर हुए ‘हमले’ के खिलाफ प्रदर्शन किया। मगर यह प्रदर्शन मजाक बनकर रह गया।

देखिए तस्वीरें और खुद तय कीजिए। धरना और विरोध आक्रोश यानी गुस्से में किया जाता है। उसमें तेवर होते हैं, जो चेहरे पर नजर आते हैं। मगर प्रदेश में राजनीतिक धरने-प्रदर्शन फॉरमैलिटी बनकर रह गए हैं। मानो फोटो खिंचवाने का मौका हो। सब नेता ऐसे ही नजर आए।

‘लो जी, जल्दी खींचो फोटो’
‘फोटो सही आनी चाहिए भाई’
‘मजे हैं, विधानसभा से वॉकआउट करते-करते बोरियत होने लगी थी ‘
‘ए ता बड़े लोग होई गै कट्ठे’
‘स्माइल प्लीज़’
‘अखबार में आना चाहिए’
‘बड़े नेता ही देखे थे ऐसे फोटो खिंचवाते, हम भी खिंचवाएंगी आज’
‘चलो, फोटो तो आई’
‘मेले टाइप की फीलिंग आ रही है’
विक्ट्री सिंबल क्यों बनाते हैं, पता नहीं है
‘चलो, एक और दिन कट गया’
‘मजा आ गया आज तो’