वीरभद्र सिंह ने की चुनावी राजनीति से संन्यास की घोषणा

मंडी।।

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सार्वजनिक मंच से पहली बार कहा कि अब 7वीं बार उन्हें सीएम बनने की इच्छा नहीं है। अब नई पीढ़ी को मौका मिलना चाहिए। हालांकि, उन्होंने कहा कि छठी बार सीएम बना हूं, चाहूं तो सातवीं बार भी बन सकता हूं।


वीरवार को सरकाघाट की गाहर पंचायत के चंदैश में आयोजित जनसभा में सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि राजनीति मेरा पेशा नहीं है। मुख्यमंत्री के रूप में जनता का प्रथम सेवक हूं। प्रदेश का एक समान विकास किया है। विकास भी नशा है। प्रदेश का विकास करवाने के लिए उदार, लेकिन प्रशासन के लिए बड़ा सख्त हूं।

इस बात से अब यह कयास लगाये जा रहे हैं की शिमला ग्रामीण से वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह या बेटा विक्रमादित्य सिंह अगला चुनाव लड़ सकते हैं। परन्तु राजनैतिक पंडित भी नहीं भाप पा रहे की मंडी दौरे पर मुख्यमंत्री का बार बार आना प्रतिभा सिंह के लिए है या विक्रमादित्य सिंह के लिए। कुछ लोगों का मान ना है विक्रम आदित्य सिंह को वीरभद्र सीन मंडी लोकसभा सीट से लड़वाकर केंद्र में भेजने के ज्यादा इच्छुक हैं।

हिमाचल प्रदेश के मुंह के ऊपर तमाचा हैं नीरज भारती

इन हिमाचल डेस्क।।
फेसबुक प्रोफाइल पर लगी हर तस्वीर स्टाइलिश। क्लीन शेव्ड लुक, बढ़िया सूट-बूट, सलीके से लगी टाई, काला चश्मा, जेल लगाकर सेट किए बाल, कलाई पर महंगी घड़ी और पैरों पर चमकते जूते….  देखने में एकदम सभ्य नजर आता है वह। मगर फेसबुक टाइमलाइन पर थोड़ा सा नीचे जाएं, तो कलई खुल जाती है। वाहियात बातों, छिछले कॉमेंट्स, बेढंगी पोस्ट्स और मां-बहन की गालियों के अलावा आपको कुछ नहीं मिलेगा। ऐसा  लगता है मानो किसी जाहिल गंजेड़ी ने ये बातें लिखी हों, क्योंकि प्रोफाइल पर लगी फोटो से वे मैच नहीं करतीं।
नीरज भारती
हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के ज्वाली से विधायक नीरज भारती की। कांगड़ा से पूर्व कांग्रेस सांसद चंद्र कुमार के सुपुत्र नीरज भारती आजकल चीफ पार्ल्यामेंट्री सेक्रेटरी, एजुकेशन हैं। एक तरह से प्रदेश में एजुकेशन डिपार्टमेंट के जूनियर मिनिस्टर। इनका पहनावा तो इस पद के साथ पूरा न्याय करता है, मगर इनकी भाषा और बौद्धिक स्तर सब गोबर कर देता है। हिमाचल प्रदेश का दुर्भाग्य है कि एजुकेशन जैसा अहम विभाग देख रहा शख्स इतना स्तरहीन और जाहिल है। पहली नजर में लगता है कि यह कोई फेक प्रोफाइल है, मगर खुद नीरज भारती ने इन हिमाचल से बातचीत में बताया कि यह असली है (पेज के आखिर में जाकर देखें)।
महिला से गलत व्यवहार
ऊपर हमारे द्वारा इस्तेमाल किए शब्द कठोर जरूर हैं, मगर नीरज भारती की फेसबुक प्रोफाइल पर जाकर आप इसकी पुष्टि कर सकते हैं। हमने आपको बताया था कि कैसे नीरज भारती ने नरेंद्र मोदी को लेकर टिप्पणी की थी और फिर लोगों को गालियां दी थीं। अब फिर महिला के साथ बदतमीजी से बात करने और अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर अभद्र भाषा इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है। कई बार हमने यह मुद्दा उठाया, क्योंकि प्रदेश की इज्जत का सवाल था। मगर किसी और ने इस मुद्दे में रुचि नहीं दिखाई। यही वजह है कि नीरज भारती जैसा शख्स आज बेलगाम हो चुका है।

पढ़ें: नीरज भारती ने इस्तेमाल की अमर्यादित भाषा

अपनी प्रोफाइल पर नीरज भारती कहते हैं कि वह लोगों को उनकी भाषा में ही जवाब दे रहे हैं। जनाब! आपमें और गली के लफंगों में फर्क है या नहीं? हिमाचल प्रदेश के तमाम नेता फेसबुक पर हैं, उनकी टाइमलाइन तो इतनी गंदी नहीं है। फिर आपकी क्यों? मक्खियां गंदगी की तरफ आकर्षित होती हैं भारती जी, सफाई रखिए अपनी टाइमलाइन पर, मक्खियां नहीं आएंगी। अपना नहीं, तो कम से कम अपने पिता और परिवार की इज्जत का ख्याल रखिए।

माना कि कोई शख्स अभद्र भाषा इस्तेमाल कर रहा है, तो क्या नेता को भी उसी के स्तर पर उतर आना चाहिए?
मुख्यमंत्री वीरभद्र को भी शर्म नहीं?
मुख्यमंत्री वीरभद्र का नाम राजनीतिक गलियारे में आज भी इज्जत के साथ लिया जाता है। मगर कई बार नीरज भारती की करतूतें जाहिर होने के बावजूद वह खामोश बैठे रहे। वह शख्स पीएम को गालियां देता रहा, महिलाओं से बदसलूकी करता रहा, मगर मुख्यमंत्री राजनीतिक रोटियां सेंकते रहे और कांग्रेसी ‘राजा साहब’ की जय करते रहे। कहते हैं कि नीरज भारती को सीपीएस इसलिए बनाया गया, क्योंकि वीरभद्र हमेशा ‘अपनों’ का ख्याल रखते हैं। मुख्यमंत्री जी! अगर अपनों का ख्याल रखते हैं, तो इस बात का भी रखा करो कि वे क्या कर रहे हैं।
कांग्रेसियों को तो डूब मरना चाहिए
शर्म तो उन तमाम कांग्रेसियों को भी आनी चाहिए,  ‘राजा जी’ और ‘टीका जी’ का जाप जपे बिना जिनका खाना हजम नहीं होता। अगर उन्हें अपनी पार्टी और अपने प्रदेश की चिंता होती, तो वे जरूर पूछते कि आखिर क्यों इतने सारे विधायकों को नजरअंदाज कर ऐसे शख्स को इस पद पर बनाए रखा गया है? क्यों उसकी तमाम गलतियों को नजरअंदाज किया जा रहा है? क्यों उसे पार्टी और सरकार की इमेज को नुकसान पहुंचाने दिया जा रहा है?
मोदी और अटल के खिलाफ अभद्र भाषा
कहां सोई है हिमाचल बीजेपी?
एक शख्स… कोई ऐरा-गैरा शख्स नहीं, सरकार में शामिल शख्स आपके प्रधानमंत्री और आपकी पार्टी के संस्थापक को  गालियां दे रहा है। वह सामान्य लोगों को भी गालियां दे रहा है, मगर आप खामोश हैं। आपका जमीर नहीं जाग रहा। आपको लगता है कि वह पब्लिसिटी बटोर रहा है, रहने दो। अजी आपको उसकी पब्लिसिटी से क्या लेना-देना? अनुराग ठाकुर, एचपीसीए, धर्मशाला ग्राउंड, क्रिकेट ही आपके लिए मुद्दा बचा है? इन मामलों में तो आप एक-दूसरे का सिर फोड़ने पर उतारू हो जाते हैं। आप सेशन नहीं चलते दे। कोई दूसरी पार्टी का संवैधनिक पद पर बैठा शख्स आपके सम्मान को ठेस पहुंचा रहा है और आप आराम से बैठे हुए हैं? धिक्कार है ऐसी राजनीति पर!
दिव्य हिमाचल पर किया गया प्रहार
प्रदेश का मीडिया क्यों खामोश है?
‘इन हिमाचल’ न्यू मीडिया है और इसकी पहुंच अभी अखबारों जैसी व्यापक नहीं है। मगर दिव्य हिमाचल, दैनिक जागरण, भास्कर, पंजाब केसरी और अमर उजाला जैसे अखबार क्या कर रहे हैं? क्या वे भूल गए हैं कि खबर क्या होती है? क्या उन्हें एक सीपीएस द्वारा गाली देने में खबर नहीं दिखती? या स्थानीय पत्रकार अपने हितों की चिंता करते हुए और संबंध खराब हो जाने के डर से न्यूज लगाने से बच रहे हैं? यही है आपकी पत्रकारिता?

कुछ दिन पहले दिव्य हिमाचल ने खबर छापी थी, तो उस पर भी नीरज भारती ने भला बुरा कहते हुए चुनौती दी थी। इस पर क्या हार मान ली दिव्य हिमाचल ने? एक दिन फ्रंट पेज पर आप नाम और स्क्रीनशॉट के साथ इसकी खबर दिखाइए, अगले दिन से बंदे की अक्ल ठिकाने न आए तो कहना। हम सब पत्रकारिता कर रहे हैं। प्रतियोगिता भाव की बात नहीं है, यह हमारे पेशे की बात है। अगर कोई आपको कुछ कहता है, तो वह पूरी बिरादरी पर  हमला है। आपकी प्रतिष्ठा से हम सबकी प्रतिष्ठा जुड़ी है। आप आगे बढ़िए, हम आपके साथ हैं।


शर्मिंदा तो हम भी हैं
हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हों। हमने नीरज भारती ही नहीं, तमाम मुद्दों को उठाने की कोशिश की है। हमारी पहुंच जरूर कम है, मगर इरादे और जज्बा बड़ा है। अगर नीरज भारती जैसों पर लगाम नहीं लगाई गई, तो एक दिन आएगा, जब हमारे प्रदेश की राजनीति की हालत भी उन प्रदेशों जैसी हो जाएगी, जहां पर ऐसी बातें आम हैं। और अफसोस की बात तो यह है कि उन प्रदेशों में भी ऐसी हरकतें कोई नेता नहीं करता। नीरज भारती जैसे लोग मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के ऊपर कलंक हैं, क्योंकि वह उन्हीं की बदौलत इस पद पर हैं। और पूरे हिमाचल प्रदेश के गाल पर एक तमाचे की तरह हैं, क्योंकिं हमारे प्रदेश की छवि को वह खराब कर रहे हैं और हम खामोश हैं।

हमने नीरज भारती से सवाल करके पूछा कि क्या यह उनकी ही प्रोफाइल है, तो जवाब मिला हां। उनसे जब M***C*** और B****C*** को लेकर सवाल पूछा गया, तो जवाब बेहद मजेदार था। उनका कहना था कि यह Before Christ और Mahan Chanakya भी हो सकता है। ऐसे तर्क तो खुद चाणक्य ने भी नहीं दिए होंगे। खुद देखिए बातचीत का स्क्रीनशॉट:

नीरज भारती का पक्ष

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राम मंदिर के बहाने तोगड़िया का मोदी पर निशाना

राम मंदिर के बहाने तोगड़िया का मोदी पर निशाना : प्रधानमंत्री  पर होने वाली संभावित टिप्पणी  के मद्देनजर समारोह से दूर रहे मुख्य  भाजपा नेता।
विशव हिन्दू परिषद के स्वर्ण जयंती समारोह में विहिप अध्य्क्ष प्रवीण भाई तोगड़िया शिमला पहुंचे।  इस आयोजन में  हिमाचल  विहिप ने भी अपनी ताकत दिखाई।   सम्मेलन में प्रदेश के सभी भागों से आए विहिप के कार्यकर्ताओं ने शिरकत की। यहां साधु-संतों के साथ लामाओं ने भी शिरकत की। विहिप के हिमाचल नेता अमन पुरी ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया। मंच संचालक ने सम्मेलन में कहा कि घर वापसी का कार्यक्रम शुरू होगा। साथ ही बहु लाओ, बेटी बचाओ कार्यक्रम भी शुरू किया जाएगा। रजनी ठुकराल ने सिने तारिका पर निशाना साधते हुए उसकी शादी को लव जेहाद का एक उदाहरण बताया।  आयोजन के केंद्रबिंदु परवीन भाई तोगड़िया के भाषण में उनकी   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रार  यहाँ  भी सपष्ट दिखी राम मंदिर के बहाने तोगड़िया ने मोदी सरकार पर जम कर निशाना साधा।  गौरतलब है की  पत्रवीण तोगड़िया अक्सर मोदी सरकार को इस मुद्दे में घेरते रहे हैं।   और कल ही गृह मंत्री  राजनाथ सिंह ने कहा है की  इस कार्यकाल में  राम मंदिर बनवाना सरकार के बस में नहीं है।  
 गुजरात चुनाव के दौरान नरिंदर मोदी और तोगड़िया के बीच से मतभेद जग जाहिर है परधान मंत्री को अक्सर अपने भाषणों से घेरने वाले तोगड़िया  के कारन कई मंचों पर भाजपा नेताओं को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है।  लव जेहाद के मामले में भी मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन सरीखे दिग्गज भाजपा नेताओं की पत्नियों के हिन्दू होने के कारण भाजपा इस मुद्दे पर कभी सामने नहीं आ पायी है।  इन्ही कुछ कारणों से हिमाचल भाजपा के लगभग सारे बड़े  नेता तोगड़िया के कार्यकर्म से नदारद रहे ताकि उन्हें भी मंच पर असहज स्थिति का सामना न करना पड़े,  हालाँकि संग़ठन में मंडल स्तर के भाजपा कार्यकर्ताओं ने तोगड़िया जी का दिलो जान से स्वागत किया एवं कार्यक्रम को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बड़े  नेताओं के ना आने को केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के दौरे से भी जोड़ा जा रहा है परन्तु अन्य नेता जो  अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के समारोह में भी नहीं थे वो भी यहाँ नहीं फटके।  खैर यह सिर्फ हिमाचल का ही वाक्य नहीं है नरिंदर मोदी के डर से राष्ट्रीय स्तर के पुराने भाजपा नेताओं ने भी विशव हिन्दू परिषद के मंचों से कन्नी काट ली है 
शिमला में विहिप की सभा में उपस्थित जनसमूह 

फ्री वाई-फाई वाला हिमाचल का पहला शहर बनेगा जोगिंदर नगर

जोगिंदर नगर (मंडी)।।

मंडी जिले के जोगिंदर नगर पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कस्बे को कई सौगातें दीं। उन्होंने जोगिंदर नगर को प्रदेश का पहला फ्री वाई-फाई सुविधा देने का ऐलान किया। इसके साथ ही यहां सीसीटीवी भी लगाए जाएंगे, ताकि शहर के चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा सके। नगर पंचायत को अब नगर परिषद का भी दर्जा दे दिया गया है।

आईपीएच मिनिस्टर विद्या स्टोक्स के साथ डोहग में हेलिकॉप्टर से उतरे मुख्यमंत्री की स्वागत टूरिजम और शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा और स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने उनका स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने जनसभा को संबोधित करते हुए ऐलान किया कि जोगिंदर नगर को अब नगर परिषद का दर्जा मिलेगा। वाई-फाई और सीसीटीवी कैमरे के प्रॉजेक्ट की कमान भी नगर परिषद के पास ही रहेगी।

इससे पहले सीएम ने 1.40 करोड़ रुपये की लागत से मचकेहड़, पस्सल और नईनाम कुल्ह सिंचाई योजना का शिलान्यास किया। इसके अलावा 7.51 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले कॉलेज ऑडिटोरियम का भी शिलान्यास किया।

 

सीएम ने 1.45 करोड़ रुपये की लागत से बने अधीक्षण अभियन्ता, लोक निर्माण विभाग सर्कल जोगिंदर नगर के कार्यालय भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने  1.50 करोड़ रुपये की लागत से बने जोगिंदर नगर अस्पताल के अतिरिक्त खंड और  39 लाख रुपये की लागत से पुराने मेला मैदान में बनी पार्किंग का भी लोकार्पण किया। सीएम ने मल्टी स्टोरी पार्किंग बनाने की भी घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने रोपड़ी और द्राहल को हाई स्कूल को सीनियर सेकंडरी के तौर पर बनाने का भी ऐलान किया। गर्ल्स स्कूल जोगिंदर नगर में साइंस ब्लॉग भी बनाया जाएगा, जिसमें 95 लाख रुपये खर्च होंगे।

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हिमाचल के लोक संगीत को फिर से ‘जिंदा’ करना चाहते हैं हम: लमन

नई दिल्ली।।
इन दिनों सोशल मीडिया पर हिमाचल के युवाओं के बीच दो गाने बेहद पॉप्युलर हैं। इन गानों को देश-दुनिया में रह रहे हिमाचलियों ने ख़ासा पसंद किया है। जो लोग पहाड़ी नहीं समझ सकते, वे भी इन मधुर गानों की धुन पर झूमे बिना नहीं रह पाते। हम बात कर रहे हैं हिमाचल के प्रतिभाशाली युवाओं के बैंड ‘लमन’ की, जिन्होंने ‘शंकर संकट हरना’ और ‘काली घघरी’ से धूम मचा दी है।

लमन बैंड 



लमन की ख़ास बात यह है कि वे विडियो के साथ गाने ला रहे हैं। उनके म्यूज़िक विडियो भी कमाल हैं। आधुनिकता से साथ उन्होंने पारंपरिक हिमाचल की संस्कृति का अनूठा संगम पेश किया है। संगीत की मौलिकता से छेड़छाड़ किए बगैर मॉडर्न म्यूज़िकल इंस्ट्रूमेंट्स के साथ किए एक्सपेरिमेंट्स को सुनकर ऐसा लगता है मानो हिमाचल के लोकगीत ने नई करवट ली है। ख़ास बात यह है कि इन गानों को सबसे ज्यादा प्रदेश की उस नई पीढ़ी ने सराहा जिसे अपने रीजनल म्यूजिक से शर्म महसूस होने लगी थी।
हिमाचली संगीत को इस दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे इन युवाओं के लिए संगीत प्रफेशन नहीं, पैशन है।पहाड़ी संगीत की खोई हुई विरासत को उसकी सरलता और मौलिकता के साथ वापस लेकर आना उनका सपना है। ‘इन हिमाचल’ लमन बैंड के सदस्य अभिषेक बिष्ट से लंबी बातचीत की। इस बातचीत में विभिन्न पहलुओं पर बात की गई। हमने जाना कि उनका अब तक का सफर कैसा रहा और आगे का रोडमैप क्या है।

अभिषेक बिष्ट


अभिषेक बिष्ट लमन  बैंड के लीड सिंगर हैं। वह हिमाचल प्रदेश में सुंदरनगर के रहने वाले हैं। अभिषेक वर्तमान में अम्बुजा सीमेंट की  दाड़लाघाट इकाई में बतौर ऑटोमेशन इंजिनियर काम करते हैं। उनके इस जनून के दूसरे साथी हैं शिशिर चौहान, जो शिमला से हैं और मुंबई में संगीत की दुनिया में अपना नाम बनाने की जद्दोजहद में हैं।


अभिषेक, आपके मन में यह जुनून कैसे  पैदा हुआ?

मुझे बचपन से ही संगीत का शौक रहा है। मेरी दादी अक्सर पहाड़ी गाने और भजन आदि गुनगुनाया करती थीं, जिसका मेरे ऊपर बहुत प्रभाव पड़ा।  जिस भजन ने ‘शंकर संकट हरना’ ने हमारे बैंड लमन को पहचान दिलाई है, उसे मैंने  अपनी दादी के मुंह से ही सुना था।


आजकल के युवा सिंगर रॉक और पॉप का रुख कर रहे हैं। फिर आपने हिमाचली म्यूजिक क्यों चुना, इसमें ऐसा क्या खास लगा आपको?

देखिए, पहाड़ी म्यूजिक एकदम सॉफ्ट है। इसके शब्दों में सरलता है और हर फोक सॉन्ग के साथ कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है। पहाड़ों के लोगों ने नदियों, पहाड़ों, जंगलों, पशु-पक्षियों को भी अपने परिवार का एक अंग माना है। पहाड़ी लोकगीतों में नदियों से बाते करने और पक्षियों को भाई बंधु की तरह मानने जैसे उदाहरण भी मिलते हैं।

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कोई उदाहरण देंगे?
हमने एक गाना गाया है- ‘साए-साए मत कर राविये।’ यह गाना चम्बा की ऐतिहासिक संस्कृति और रावी नदी से लोगों के प्यार और बातचीत को ही परिभाषित करता है। यह एक लोकगीत है, जिसे इन्होंने उसी मधुरता से प्राकृतिक चित्रण के साथ पेश करने की कोशिश की है, जिसे काफी सराहना भी मिली है।


बैंड के लिए ‘लमन’ नाम का आइडिया 
कहां से आया?
हम यह चाहते थे कि बैंड  को कुछ ऐसा नाम दिया जाए, जो पहाड़ी संस्कृति के किसी शब्द से जुड़ा हो।  इसी खोजबीन में एक दिन कुल्लू के पारम्परिक नृत्य और गायन का रूप  ‘लामण’ सामने आया।  लामण कुल्लू घाटी में प्रेमी-प्रेमिका की आपसी नोकझोंक से सबंधित गानों के रूप में एक वार्तालाप है। बस यहीं से हमने इस नाम को लमन के रूप में फाइनल कर दिया।

वर्तमान में पहाड़ी संगीत को आप कहां देखते हैं?
राष्ट्रीय प्लैटफॉर्म की बात की जाए, तो हिमाचली संगीत पिछड़ता हुआ नजर आता है। पिछले दशकों में कई गाने संगीतकारों ने दिए, मगर सबका म्यूजिक लगभग एक सा ही रहा है। बॉलिवुड सॉन्ग्स की  कुछ पंक्तियों और धुनों को पहाड़ी संगीत में ऐड कर दिया गया। इस तरह के प्रयोगों ने हिमाचल प्रदेश के संगीत की आत्मा और सरलता का मानों गला ही घोंट दिया। प्रॉब्लम संगीत नहीं, हमारे चित्रण और परिभाषा में है। बस उसे ही दुरुदत करना है। 
आपके विडियो के बहुत चर्चे हैं। इस तरह के विडियो बनाने के पीछे क्या मकसद है?
(अभिषेक ने मुस्कुराते हुए कहा) देखिए, ऑडियो के साथ साथ विडियो का बहुत बड़ा रोल है। आप देखेंगे कि ज्यादातर हिमाचली गाने जो अब तक आए हैं, उनमें विडियो के नाम पर औपचारिकता निभा दी जाती है। उनके विडियो में कहीं पर भी कुछ लोगों को खड़ा कर दिया जाता है और बस बन गया विडियो। यही कुछ कारण रहे कि हिमाचल प्रदेश की नई पीढ़ी और युवा धीरे-धीरे अपने संगीत कला से दूर होने लगे और उन्होंने इसमें दिलचस्पी लेना बंद कर दिया। हमने अपने फिल्मांकन में हिमाचल प्रदेश की संस्कृति, यहां की लोकेशंस खूबसूरती को साथ में संजोया है। आप हैरान होंगे कि हमें कई लोगों के देश-विदेश और बाहरी राज्यों से फ़ोन और मेल आए कि हमें हिमाचल घूमने जाना है, बताइए कि ये लोकेशंस कहां हैं। लोग कहते कि क्या वाकई हिमाचल इतना खूबसूरत है? असल में लोगों को हमने गानों के माध्यम से बताया है कि शिमला और मनाली के अलावा भी हिमाचल में बहुत कुछ है।



भविष्य के लिए आपका क्या रोडमैप है?

कोई रोडमैप ऐसे तय नहीं है, क्योंकि हम प्रफेशन से नहीं बल्कि पैशन से चीजों को देख रहे हैं।  बीइंग अ हिमाचली, हम बस यही रोडमैप लेकर चल रहे हैं कि पहाड़ी संगीत, परम्परागत धुनों और कहानियों को बिना छेड़े नए तरीके से मॉडर्न इंस्ट्रूमेंट्स और विडियो से सामने लाया जाए, ताकि वक़्त के साथ हमारी पीढ़ी हमारी संपन्न ऐतिहासिक विरासत को न भूल जाए। अभी तक के गानों का रेस्पांस जहां तक आया है, उससे यही लगता है कि काफी हद तक हम  इसमें कामयाब भी रहे हैं। अभी हमारी जुलाई तक नई अल्बम भी आने वाली है, जिसमें हमने कुछ ऐसे ही कुछ प्रयोग किए हैं।

‘काली घगरी’ और ‘शिव कैलासों के वासी’ बहुत पसंद किये जा रहे हैं।  आपको अब हिमाचल प्रदेश में सेलिब्रिटी के रूप में देखा जा रहा है…
हा हा हा… नहीं, सेलिब्रिटी तो क्या कह सकते हैं, बस लोगों का प्यार है। यही कलाकार के लिए पूंजी हैं। नई जेनरेशन ने हमारे गाने पसंद किए, सोशल मीडिया पर भारी रेस्पांस मिला, यह देखकर अच्छा लगा। शिव कैलासों के वासी के लिए हमें दूसरे राज्यों से भी कॉल आए कि आपने बहुत अच्छा गया है,  शानदार  है।  देश के बाहर बसे  प्रवासी भारतीयों तक के काल आए कि हिमाचल को इस रूप में देखकर सुनकर वे इमोशनल हो गए।

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आप प्रदेश में स्टेज शो आदि को प्राथमिकता देंगे अगर आपको मंच मिलता है?
देखिए, हमारी प्राथमिकता बस जनता के बीच जाने की है। छोटा-बड़ा मंच हमें मैटर नहीं करता है।  सुंदरनगर के नलवाड़ मेले में भी हमने परफॉर्म किया है। अभी सोलन में ग्रीन हिल्स इंजिनियरिंग कॉलेज के फेस्ट में हम जा रहे हैं। यह हमारे लिए बहुत रोमांच का विषय है। हम दिन-रात उसके लिए तैयारी भी  कर रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से मुझे कभी कभी लगता है कि हमारे प्रदेश में कितने मेले होते हैं। हर जिले का अपना कल्चर है, पर मेलों में होने वाली कल्चरल नाइट्स सारी पंजाबी म्यूजिक ने हैक कर ली है। ऐसा नहीं है कि हम किसी भी तरह के म्यूजिक के  खिलाफ हैं, परन्तु  हमें खुद  को उस लेवल तक लाना होगा कि हमारे म्यूजिक के प्रति भी  लोगों  में वैसी दीवानगी पैदा हो। पर थोड़ा हम सरकार से भी चाहते हैं, प्रदेश के इंस्टिट्यूट्स से भी चाहते हैं, विभिन संस्थाओं से भी हमारी उम्मीद है कि वे हमें मंच पर आने का मौका देते रहें।  

इन हिमाचल के  पाठकों से आप कुछ कहना चाहेंगे?
 ज्यादा तो मैं क्या कहूंगा, पर बस धन्यवाद देता हूं। जो भी प्यार हमें मिला है, वही हमारी पहचान है। प्रशंसा  के साथ-साथ हम अपने चाहने वालों से आलोचना की भी उम्मीद करते हैं, तभी निरंतर सुधार हममें भी हो पाएगा। हम चाहते हैं कि संगीत की फील्ड में शौक रखने वाले लोग किसी भी क्षेत्र के पुराने फोक सॉन्ग की कहानी से हमें अवगत करवाएं, ताकि हम और ज्यादा एक्स्प्लोर  कर पाएं। कई युवा प्रदेश के विभिन संस्थानों में पढ़ते हैं, वहां की कल्चरल कमिटी के हिस्सा हैं। उनसे हम उम्मीद  रखते हैं कि वे अपनी ऐनुअल फेस्ट कल्चरल नाइट्स में लमन बैण्ड को परफॉर्मेंस का मौका दें, ताकि  इस बहाने हम भी ज्यादा से ज्यादा लोगों से रूबरू हो पाएं। बाकी सबके स्नेह  प्रेम और सपोर्ट के हम तहे दिल से आभारी हैं।

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सट्टेबाज से रिश्ते रखने पर घिरे अनुराग ठाकुर

नई दिल्ली।।

हिमाचल प्रदेश से बीजेपी सांसद  और बीसीसीआई के सेक्रेटरी अनराग ठाकुर नए विवाद में फंस गए हैं। खबर है कि इंटरनैशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने एक क्रिकेट सट्टेबाज से रिश्ते रखने के मामले में बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर को चेतावनी दी है। कहा जा रहा है कि अनुराग लगातार एक बुकी से दोस्ती बढ़ा रहे हैं, जिसे लेकर आईसीसी ने आपत्ति जताई है।

अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश क्रिकेट बोर्ड के चीफ भी हैं। हमीरपुर से सांसद अनुराग बीजेपी के यूथ विंग भाजयुमो के अध्यक्ष भी हैं। आईसीसी की ऐंटी-करप्शन ऐंड सिक्यॉरिटी यूनिट (एसीएसयू) की निगरानी वाली लिस्ट में शामिल करण गिलोत्रा नाम से शख्स के साथ अनुराग को कई बार देखा गया है। करण एक सट्टेबाज है।

CNN-IBN ने यह तस्वीर प्रसारित की है

अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि दोनों की मुलाकात का मकसद क्या है। मगर नैशनल न्यूज पेपर्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक इन मुलाकातों के कारण अनुराग सवालों के घेरे में आ गए हैं। जानकारों का मानना है कि आईसीसी की ओर से सवालों के घेरे में रखे गए व्यक्ति के साथ अनुराग की मुलाकात को लेकर बीसीसीआई को असहज स्थिति का सामाना करना पड़ रहा है।

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22 अप्रैल को ही लीक हुई रिपोर्ट के आधार पर बीसीसीआई की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मीडिया में ऐसी तस्वीरों भी सामने आई हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है जिसमें अनुराग उस सट्टेबाज के साथ हैं। न्यूज चैनल आईबीएन की रिपोर्ट के मुताबिक वे एक पार्टी में  एकसाथ केक काटते हुए देखे जाते हैं। केक काटने के बाद तस्वीरों में दोनों एक-दूसरे को केक खिला रहे हैं। इस मीटिंग को लेकर आईसीसी ने बीसीसीआई को ईमेल के जरिए चेताया है।

इस आरोप के चलते बीजेपी को भी शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है।

इस बारे में अभी बीसीसीआई की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। आईसीसी की ओर से डेविड रिचर्डसन ने जगमोहन डालमिया को मेल भेजा है।  हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग के इस नए विवाद ने बीजेपी को भी बैकफुट पर ला खड़ा कर दिया है।

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रामस्वरूप के प्रदेशाध्यक्ष बनने की चर्चा के बीच धूमल-चंदेल में करीबी

हमीरपुर।।
मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा को हिमाचल बीजेपी का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा चल रही है। इस बीच प्रदेश बीजेपी में हलचल तेज हो गई है। गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को बीजेपी के अगले सीएम कैंडिडेट के तौर पर देखा जा रहा है। रामस्वरूप शर्मा और जयराम ठाकुर से उनकी करीबियों के चलते प्रफेसर प्रेम कुमार धूमल अब बिलासपुर के पूर्व सांसद सुरेश चंदेल को साधने में जुटे हैं। ये दोनों ही नेता अंदर खाने नड्डा के विरोधी हैं और यह बात छिपी नहीं है।

पूर्व सीएम प्रफेसर प्रेम कुमार धूमल व बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेश चंदेल के बीच हुई गुप्त मंत्रणा हुई है। इस समय बीजेपी का प्रदेश स्तर पर सदस्यता अभियान चला हुआ है। संगठन की गतिविधियों को लेकर इस समय हर बीजेपी नेता की नजर एक दूसरे की गतिविधियों पर टिकी हुई हैं। प्रदेश बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं की लंबे अंतराल के बाद हमीरपुर के सर्किट हाउस के बंद कमरे में लंबी गुफ्तगू के कई मतलब निकाले जा रहे हैं।

जब से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के हिमाचल दौरे शुरू हुए हैं तब से बीजेपी व कांग्रेस नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। इसके चलते बीजेपी की राजनीति में भी गर्माहट दिखाई दे रही है। अब हिमाचल बीजेपी का सदस्यता अभियान समाप्ति की ओर है इसलिए बीजेपी आलाकमान संगठन के विभिन्न पदों पर फेरबदल कर सकता है। ‘जागरण’ की खबर के मुताबिक धूमल व चंदेल पहले सर्किट हाउस हमीरपुर में काफी देर तक रुके और फिर उसके बाद नादौन की तरफ रवाना हो गए। नादौन में दोनों नेताओं ने नादौन के पूर्व बीजेपी मंडल अध्यक्ष तारा चंद के बेटे की शादी में शिरकत की।

फाइल फोटो

बिलासपुर जिले से संबध रखने वाले पूर्व सांसद सुरेश चंदेल व नेता प्रतिपक्ष प्रफेसर प्रेम कुमार धूमल के बीच हुई मंत्रणा में दो खास बिंदु सामने आए हैं। पहला यह कि वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी संगठन को मजबूत किया जाए ताकि कांग्रेस को मात दी जा सके। दूसरा यह कि ऐसी रणनीति बनाई जाए जिससे हिमाचल बीजेपी से हाईकमान को यह संदेश दिया जाए कि प्रफेसर प्रेम कुमार धूमल ही एक ऐसे नेता हैं जो प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।

इस संदर्भ बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेश चंदेल से जब मंत्रणा को लेकर पूछा तो उन्होंने बताया कि वह नादौन में बीजेपी नेता के बेटे की शादी समारोह में भाग लेने आए थे। इस बीच वह हमीरपुर में पूर्व सीएम प्रफेसर प्रेम कुमार धूमल के साथ मिले थे। उन्होंने बताया कि संगठन को मजबूत करना ही उनका लक्ष्य है।

नड्डा के हिमाचल दौरे से भी तेज हुईं अटकलें
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के मंडी संसदीय क्षेत्र के दौरे को लेकर सियासी हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि 25 अप्रैल को मंडी में होने वाले नागरिक अभिनंदन समारोह के बहाने जेपी नड्डा हिमाचल में अपनी सियासी जमीन की तलाश करेंगे। केंद्र में रहते हुए नड्डा ने पार्टी संगठन और सरकार में अपनी महत्वपूर्ण जगह बना ली है। उसका उपयोग नड्डा अब हिमाचल की सियासी जमीन को अपने लिए उर्वरा बनाने की कवायद में जुट गए हैं।

मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा और बीजेपी के मंडी संसदीय प्रभारी जयराम ठाकुर भी संगठन और संघ के उसी स्कूल के साथी हैं, जहां से जेपी नड्डा निकले हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि नड्डा मंडी में नागरिक अभिनंदन के बहाने कहीं अपनी सियासी जमीन तो नहीं तलाश रहे हैं।

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कमाई के लिए बंदर पकड़ रहे हैं हिमाचल के बेरोजगार युवक

शिमला।।

पूरा हिमाचल आवारा पशुओं और खासकर बंदरों की वजह से परेशान है। ये न केवल फसलों को चौपट कर रहे हैं, बल्कि आए दिन हमला करके बच्चों और महिलाओं के लिए खतरनाक भी साबित हो रहे हैं। सरकार ने बंदरों पर लगाम लगाने के लिए योजना भी चलाई है, मगर यह सफेद हाथी बनकर रह गई है। यानी बंदर तो कम होते दिख नहीं रहे, लेकिन अब तक सरकार बंदर पकड़ने के लिए 336 लोगों को 3 करोड़ 22 लाख रुपये का भुगतान कर चुकी है।

पिछले दिनों विधानसभा में जानकारी देते हुए राज्य के वन मंत्री ने बताया था कि बंदरों के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए ही आवारा बंदरों को पकड़ने की योजना बनाई गई है। यह योजना अक्टूबर 2011 में शुरू की गई थी। उन्होंने कहा था कि बंदरों को पकड़ने के लिए अब तक 336 लोगों को 3.22 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। 2007 से लेकर अब तक 94,334 बंदरों की नसबंदी भी की जा चुकी है।

सरकारी आंकड़ों का मखौल उड़ा रहे हैं बंदर, अभी भी परेशान हैं किसान

इस हिसाब से देखें तो कुछ लोगों के लिए हिमाचल प्रदेश में बंदर कमाई का जरिया बन गए हैं। वन मंत्री का कहना था कि इस काम में खासतौर से बेरोजगार युवक जुटे हुए हैं। वन्यजीव विभाग नसबंदी के लिए बंदरों को पकड़ने के लिए बंदर 500 रुपए का भुगतान कर रही है।

भले ही किसानों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं, मगर वन्यजीव अधिकारियों का कहना है कि 2013 में बंदरों की गणना में पता चला है कि राज्य में बंदरों की आबादी घट कर 236,000 हो गई है, जबकि 2004 में राज्य में बंदरों की संख्या 319,000 थी। शिमला, सोलन, सिरमौर, बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, मंडी और कांगड़ा जिलों के हजारों किसान बंदरों की वजह से नुकसान उठा रहे हैं। वन्यजीव विभाग का भी अनुमान है कि बंदरों की वजह से 9 लाख किसान प्रभावित हुए हैं।

एक बंदर पकड़ने पर 500 रुपये का भुगतान कर रही सरकार

अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने बंदरों की नसबंदी के लिए सात केंद्र स्थापित किए हैं। इनमें से हर केंद्र एक साल में 5 हजार बंदरों की नसबंदी कर सकता है। इसी तरह के दो और केंद्रों की स्थापना करने की योजना है। नर बंदरों की नसबंदी थर्मोकैट्रिक कॉगलेटिव वैसेक्टॉमी और मादा बंदरों की नसबंदी एन्डोस्कॉपिक थर्मोकॉट्रिक ट्यूबेक्टॉमी तकनीक से की जाती है।

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ऐक्टिव हुए अरुण धूमल, पिता प्रेम कुमार धूमल की जगह लड़ेंगे अगला चुनाव?

शिमला।।
जिस तरह से हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के छोटे बेटे अरुण धूमल अचानक ऐक्टिव हुए हैं, उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि वह राजनीति में आने की तैयारी कर चुके हैं। राजनीति पंडितों का मानना है कि बीजेपी में बिना किसी अहम पद में होने के बावजूद उनका वीरभद्र के खिलाफ मोर्चा खोलना दिखाता है कि अरुण प्रदेश की राजनीति में ऐक्टिव दिखना चाहते हैं।

शनिवार को हमीरपुर बीजेपी एग्जिक्यूटिव के मेंबर अरुण धूमल ने शिमला में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला और एक बार फिर ‘वकामुल्ला’ को लेकर तीखे सवाल किए। उन्होंने पूछा कि मुख्यमंत्री और उनके परिजनों को स्टारबैग एसकॉन कंपनी से किस बात का पैसा मिलता है। गौरतलब है कि पहले भी उन्होंने इसी मुद्दे को लेकर सीएम को घेरा था। एक बार फिर वकामुल्ला के मामले को पार्टी के मंच से उठाना दिखाता है कि यह अब सक्रिय राजनीति में आने का मन बना चुके हैं।

अरुण धूमल (File Photo)

माना जा रहा है कि प्रेम कुमार धूमल अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे और हमीरपुर से अपनी जगह अरुण को उतारेंगे। इसीलिए पार्टी में किसी बड़े पद पर न होने के बावजूद अरुण कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं और पार्टी बाकायदा उन्हें मंच भी दे रही है। जानकारों के मुताबिक प्रेम कुमार धूमल दरअसल समझ चुके हैं कि प्रदेश में बीजेपी अगला चुनाव नए चेहरे के नेतृत्व में लड़ेगी। पीएम मोदी और अमित शाह की साफ नीति रही है कि 70 साल से कम उम्र के लोगों को ही मुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा। तमाम राज्यों में बीजेपी ने यही नीति अमल में लाई है। ऐसे में उन्होंने अपने छोटे बेटे को भी राजनीति में स्थान देने का मन बना लिया है।

तमाम बातों को ध्यान में रखने पर लग रहा है कि आने वाले वक्त में अरुण अपने पिता जी की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इसीलिए वह पिछले कई दिनों से ज्यादा ही सक्रिय हो गए हैं और पत्रकारों को संबोधित करते रहते हैं। वह चाहते हैं कि जनता में उनकी मौजूदगी ज्यादा से ज्यादा बने। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि जल्द ही राज्यों में कई जगह पर नए राज्यपाल नियुक्त किए जाएंगे और भविष्य में प्रेम कुमार धूमल भी यह जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।

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पूरे हिमाचल के लिए मिसाल है- पालमपुर बाइकर्स क्लब

पालमपुर।।

आप हिमाचल से बाहर नौकरी कर रहे हों, बड़ी थका देने वाली जॉब हो आपकी और फिर 2-3 दिन की छुट्टी मिल जाए। आप क्या करेंगे इन छुट्टियों में? जाहिर है, कुछ लोग कहेंगे कि जी लेटकर आराम करेंगे और कुछ कहेंगे कि घूमेंगे-फिरेंगे। मगर हिमाचल प्रदेश के युवाओं की एक टीम ने ऐसा कर दिखाया है, जो पूरे प्रदेश के लिए मिसाल है।

अडवेंचर पसंद करने वाले हिमाचली युवाओं का एक ग्रुप है- पालमपुर बाइकर्स क्लब। जैसा कि नाम से ही साफ है, ये लोग बाइक्स पर घूमना पसंद करते हैं। मगर प्रदेश से बाहर रह रहे ये युवा फन और मस्ती के साथ-साथ समाज के लिए कुछ करने के लिए भी वक्त निकाल लेते हैं।

पालमपुर बाइकर्स क्लब ने पिछले साल सफाई का अभियान छेड़ा था। पालमपुर में कई जगहों पर लोगों द्वारा फैलाए गए कूड़े को क्लब के सदस्यों ने साफ किया था। इस मुहिम को और आगे बढ़ाते हुए क्लब ने पालमपुर में विभिन्न जगहों पर डस्टबिन लगाए हैं। सौरव वन विहार और अवारना गांव में सड़कों के किनारे इन्हें लगाया गया है, ताकि लोग इधर-उधर गंदगी फैलाने के बजाय इन्हें इस्तेमाल करें।
अच्छा काम करने के बाद कितना सुकून मिलता है, यह इनके चहरे देखकर पता चलता है 🙂
ग्रुप के सदस्य विजय चौहान ने बताया कि इस जगह के आसपास पालमपुर बाइकर्स क्लब पहले भी सफाई करता रहा है। इस बार डस्टबिन लगाने का फैसला किया और यह शपथ भी ली गई कि इस इलाके को साफ-सुथरा रखने की जिम्मेदारी भी निभाएंगे।
क्लब ने 3 अप्रैल से 5 अप्रैल तक मल्टी ऐक्टिविटी प्रोग्राम का आयोजन किया था, जिसमें दिल्ली से भी प्रतिभागी आए थे। पालमपुर और आसपास के इलाके की खूबसूरती से प्रभावित ये लोग क्लब द्वारा शुरू की गई पहल से भी प्रभावित हुए बगैर नहीं रह पाए। उन्होंने भी इस काम में योगदान दिया।
कई जगहों पर एक दर्जन डस्टबिन लगाए गए हैं। इनका रख-रखाव भी क्लब के सदस्य ही कर रहे हैं।
चौहान ने बताया कि जिन जगहों पर डस्टबिन लगाए गए हैं, वे टूरिस्ट्स के बीच फेमस हैं मगर वे नगर परिषद की सीमाओं से बाहर हैं। इसलिए कचरे के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में लोग कहीं भी कचरा फेंक देते हैं और वह यहीं पड़ा रहता है। सड़क के किनारे फैली गंदगी की वजह से खूबसूरती पर धब्बा सा लगने लगता था। ऐसे में क्लब ने सोचा कि क्यों न इसे साफ रखने की जिम्मेदारी उठाई जाए।
क्लब ने स्पेसेज़ होम डिकॉर और आदित्य पंडित की मदद से PWD द्वारा मुहैया कराए गए दर्जन भर पुराने कोल तार ड्रमस् को डस्टबिन में बदल दिया। अब इन्हें लगाए एक हफ्ते से ज्यादा वक्त गुजर चुका है और फर्क भी नजर आने लगा है। आसपास फैली गंदगी कम हो रही है और लोग डस्टबिन में ही कूड़ा फेंक रहे हैं।
क्लब के सदस्यों का कहना है कि आगे वे इसी तरह से सामाजिक कार्य करते रहेंगे

पालमपुर बाइकर्स क्लब द्वारा किया गया यह छोटा सा काम हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अगर हम हिमाचल में रह रहे हैं, तो हमारा फर्ज बनता है कि इस तरह की गंदगी फैलाने वालों को रोकें। वक्त मिलने पर ऐसी जगहों की सफाई कर दें, ताकि अगली बार कोई शख्स गंदगी डालने से पहले सौ बार सोचे। टाइम लगेगा, लेकिन लोगों की मानसिकता में बदलाव तो आएगा।

दूसरा तरीका यह हो सकता है कि अगर आप सक्षम हैं और हिमाचल या घर से बाहर जॉब कर रहे हैं, तो अपने स्कूल के दोस्तों या अन्य साथियों के साथ मिलकर छोटा सा ग्रुप बना सकते हैं। उस ग्रुप की मदद से ठीक ऐसा ही कारनामा कर सकते हैं, जैसा पालमपुर बाइकर्स क्लब ने किया। अपनी कहानी आप हमारे साथ शेयर कीजिए, पूरे हिमाचल तक उसे पहुंचाने की जिम्मेदारी ‘इन हिमाचल’ होगी।

जिस तरह से यह ग्रुप बिना किसी स्वार्थ के अपने स्तर पर छोटा सा योगदान दे रहा है, उसी तरह से हम सब छोटी-छोटी जिम्मेदारियां उठाएं, तो बड़ा बदलाव आ सकता है। आइए हिमाचल को स्वच्छ बनाएं, स्वस्थ बनाएं।