हिमाचल में न तो धूमल ने मशरूम उगाए न वीरभद्र ने: डॉक्टर चिरंजीत परमार

इन हिमाचल डेस्क।। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करके बताया था कि सोलन में हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने मशरूम के उत्पादन के प्रोत्साहन के लिए बहुत काम किए हैं। इसके बाद मशरूम उत्पादक असोसिएशन ने इस बयान पर आपत्ति जताते हुए क्रेडिट मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को दिया था। मगर हिमाचल प्रदेश के प्रतिष्ठित फ्रूट साइंटिस्ट डॉक्टर चिरंजीत परमार ने लिखा है कि हिमाचल में मशरूम ना तो धूमल ने उगाए, न वीरभद्र सिंह और ना ही उनसे पहले के किसी मुख्यमंत्री ने।

डॉक्टर परमार ने फेसबुक पर अफनी पोस्ट में लिखा है-  ‘हिमाचल में मशरूम ना तो धूमल ने उगाई, न वीरभद्र सिंह और ना ही उनसे पहले के किसी मुख्य मंत्री ने. हिमाचल में मशरूम उगाने के सबसे पहले सफल प्रयत्न किये थे डा. सोही ने पचास के दशक के अंत और साथ के दशल के शुरू में. डा. सोही कृषि विभाग में असिस्टेंट प्लांट पैथोलोजिस्ट (या प्लांट पैथोलोजिस्ट) थे. उनहोंने इस काम की शुरुआत कृषि विभाग के सोलन स्थित एक छोटी सी प्रयोगशाला से शुरू की थी. यह प्रयोगशाला संत ल्यूक्स स्कूल के पास थी. उन के जाने के बाद इस काम को डा. सेठ ने जारे रखा और फैलाया. उसके बाद यह काम जब चम्बाघाट की बिल्डिंग बनी तो वहां शिफ्ट कर दिया गया.’

आगे डॉक्टर परमार लिखते हैं, ‘यह डा. सेठ के प्रयत्नों का ही परिणाम है कि सोलन आज मशरूम टाउन के नाम से जाना जाता है. पता नहीं दिव्य हिमाचल का यह संवाददाता धूमल और वीरभद्र को बीच में कहाँ से ले आया।’ आगे वह लिखते हैं, ‘अगर डेटा चाहिए था कि नौणी यूनिवर्सिटी में किसी से बात कर लेनी थी. डा. सेठ नौणी में प्लांट पैथोलॉजी विभाग के अध्यक्ष थे और मशरूम के खेती के बहुत प्रसिद्द विशेषज्ञ थे. दुर्भाग्य से उनकी अकाल मृत्यु हो गयी थी. बहुत ही दुःख की बात है कि प्रदेश के इन पत्रकारों को केवल मिनिस्टर लोग ही नज़र आते हैं.

हिमाचल की महिला कबड्डी खिलाड़ियों ने नाटी डालकर मनाया जीत का जश्न

इन हिमाचल डेस्क।। इंटरनेट पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें कुछ महिला ऐथलीट्स हिमाचली गानों पर डांस कर रही हैं। इस वीडियो को Pahari Folks नाम के पेज ने शेयर किया है। वीडियो की डिस्क्रिप्शन में लिखा गया है कि यह हिमाचल की महिला कबड्डी टीम है जिसने राष्ट्रीय मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद हिमाचली नाटी डालकर जश्न मनाया था। यह वीडियो दिखाता है कि हिमाचल के लोग कहीं पर भी धूम मचा सकते हैं। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि जश्न मनाने का मजा तभी है जब अपने पहाड़ी गानों पर नाटी डाली जाए 🙂

 

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देवभूमि को बना दिया ‘रेव’भूमि, मणिकर्ण घाटी में सजा नशे का कारोबार

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, कुल्लू।। नशे के लिए बदनाम हो चुकी मणिकर्ण घाटी में अब विदेशियों को लुभाने के लिए रेव, फुलमून और हाफमून पार्टियों के आयोजन हो रहे हैं । मणिकर्ण घाटी के छलाल के जंगल में इसी तरह की पार्टी का आयेाजन होने की जानकारी है जिसमें विदेशी पर्यटकों ने फूहड़ता का नंगा नाच किया है। इतना ही नहीं, इस पार्टी में नशे का कारोबार रातभर होता है। पुलिस को खबर लग चुकी और ऐक्शन ले रही है।

सूत्रों के अनुसार इससे पहले एक फुलमून पार्टी हो चुकी थी और अगले दिन फिर से दूसरी पार्टी का आयोजन की तैयारियां पूरी हो गई थीं।  मगर मणिकर्ण घाटी में आयोजित इस रेव पार्टी पर एसपी कुल्लू ने तुरंत ऐक्शन लिया है। पुलिस ने पाया है कि रेव पार्टी हुई है। ऑर्गनाइजार पर मामला दर्ज करके अगली पार्टी पर रोक लगा दी है। पुलिस टीम को रात को ही मणिकर्ण घाटी रवाना कर दिया गया। एसपी का कहना है कि तरह की पार्टियां किसी भी हालत में नहीं होने दी जायेगी और दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया जाएगा और नशे का कारोबार नहीं होने दिया जाएगा।

Demo Picture

ध्यान देने वाली बात यह है कि विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए व नशे के कारोबार को चमकाने के लिए फुलमून पार्टी का आयोजन होता रहा है। इस तरह की पार्टियों में सबसे पहले विदेशी माफिया सक्रिय है। विदेशियों से सीख लेकर स्थानीय कुछ संलिप्त लोगों ने भी इस तरह की पार्टियों के आयोजन शुरू किए और यह पार्टियां पूरी तरह से सफल भी हुई हैं। मीडिया की नजर में आने के बाद इस तरह की पार्टियों का जब खुलासा हुआ तो पुलिस भी सतर्क हुई है।

फुलमून पार्टी में विदेशी पर्यटकों को मैसेज भेजकर आमंत्रित किया जाता है और पूरे प्रदेश में आए विदेशी पर्यटकों को जब यह गुप्त मैसेज पहुंच जाता है तो वे उस घाटी की ओर रूख कर लेते हैं और इस तरह की पार्टी में शरीक होते हैं। बाकायदा इस तरह की पार्टियों में पर्यटकों से एंट्री फीस 1000 से 2000 तक ली जाती है। उसके बाद पार्टी में प्रवेश करने के बाद अंदर नशे का हर साजो सामान मुहैया होता है। उसके दाम अलग से मनचाहे लिए जाते हैं।

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घाटी में एक बार फिर से विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए इस तरह की पार्टियों का आयोजन होने लगा है। अब देखना यह है कि पुलिस व प्रशासन इस तरह की पार्टियों को लगाम लगाने में कहां तक सफल रहती है।

(Cover Picture भी प्रतीकात्मक है)

धूमल की तारीफ वाले पीएम मोदी के बयान पर मशरूम उत्पादकों ने जताई आपत्ति

सोलन।। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने PMO वाले ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया था जिसमें सोलन में मशरूम उत्पादन के लिए प्रोत्साहन देने के लिए पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल की तारीफ की गई थी। यह ट्वीट दरअसल पीएम द्वारा एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण के अंश से किया गया थआ। इस ट्वीट को कुछ अखबारों ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया था और पूर्व मुख्यमंत्री धूमल के बेटे और हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर ने भी इसका वीडियो अपने फेसबुक पेज से शेयर किया था (वीडियो नीचे है)।

जहां पीएम मोदी के इस ट्वीट को लेकर भाजपा समर्थक वाहवाही बटोरने की कोशिश में जुटे हैं, दूसरी ओर मशरूम उगाने वालों की असोसिएशन ने पीएम मोदी के बयान पर आपत्ति जताई है औऱ कहा है कि उनका यह बयान न सिर्फ गलत बल्कि तथ्यों से परे है।

एक हिंदी अखबार में छपी खबर के मुताबिक मशरूम ग्रोअर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष रत्न ठाकुर, उपाध्यक्ष ज्ञान कश्यप, महासचिव अमर जायसवाल समेत अन्य पदाधिकारियों का कहना है कि पीएम मोदी ने बयान दिया है कि धूमल ने अपने कार्यकाल के दौरान हिमाचल, विशेषकर सोलन जिले में मशरूम उत्पादन के लिए बहुत कार्य किया है; यह बयान बिल्कुल गलत और तथ्यों से परे है। उनका कहना है कि असोसिशन का प्रतिनिधिमंडल धूमल से उनके कार्यकाल के दौरान मिला था और मशरूम को कृषि कार्य घोषित करने की मांग की थी ताकि मशरूम उत्पादकों को राहत मिले। इश बारे में सोलन के उस वक्त के विधायक डॉक्टर राजीव बिंदल औऱ उस वक्त के बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा से भी कई बार गुहार लगाई गई थी मगर केवल निराशा हासिल हुई थी।

असोसिएशन का कहना है कि दिसंबर 2012 में वीरभद्र सरकार बनने के बाद जब असोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल मिला था और मांग रखी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने साल 2013 में अपनी सरकार के पहले बजट में ही मशरूम उत्पादन को कृषि कार्य घोषित करके मशरूम उत्पादकों को राहत पहुंचाई थी।

असोसिएशन के बयान पर यकीन करें तो न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दावा गलत है बल्कि भ्रामक भी है। अनुराग ठाकुर और प्रेम कुमार धूमल का इस बयान को राजनीतिक फायदे के इस्तेमाल करना तो समझ आता है मगर इसके बाद अखबारों द्वारा इसे जांच किए बगैरह बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना भी गलत है। बाकी हकीकत क्या है, यह मशरूम उत्पादक ही बेहतर जानते हैं।

दिल्ली-लेह बस सेवा के लिए HRTC का नाम लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में दर्ज

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। एचआरटीसी के बस चालकों के कई जांबाजी वाले वीडियो वायरल होते रहे हैं लेकिन लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्डस में दिल्ली–लेह सेवा के लिए प्रमाण पत्र मिला है। हालांकि यह रेकॉर्ड अक्तूबर 2016 में दर्ज हो गया था लेकिन अब हिमाचल पथ परिवहन को इसका प्रमाण पत्र मिला है।

देश की राजधानी दिल्ली से लेह को सिर्फ एक बस जोड़ती है और वह बस हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम यानी HRTC की है। गर्म इलाके से लेकर जमा देने वाली ठंड भरे इलाको को जोड़ने वाली यह बस पर्यटकों की पसंद बनी हुई है। दिल्ली से लेह तक के अपने सफर में यह बस दिल्ली व हरियाणा से गुजरती हुई यूटी चंडीगढ पहुंचती है यहां से पंजाब में अपना सफर पूरा करने के बाद हिमाचल में पहुंचती है। इसके बाद जम्मू व कश्मीर में अंतिम पडाव के लिए अपनी रोचक यात्रा शुरू करती है।

हिमाचल में भी गर्म ईलाके में दाखिल होने के बाद धीरे-धीरे लेह की तरफ बढ़ती है। तापमान में मंडी के बाद फिर से गिरावट होने लगती है। आगे यह बस नाली होते हुए रोहतांग में बर्फ की सुरंगनुमा सडक़ से गुजरती है। लेह तक लगभग 1250 किलोमीटर का सफर तय करना होता है। गजब बात यह भी है कि एशिया के सबसे ऊंचे गांव किब्बर में भी रुककर आगे बढ़ती है। यह गांव लगभग 14200 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। इस मार्ग पर आम चालक वाहन चलाने से डरते है। लेकिन एचआरटीसी के दो चालक इस बस को दिल्ली से लेह पहुंचा देते है।

दिलचस्प बात यह है कि लेहवासी भी इस बस में खासकर मनाली तक आने में काफी क्रेजी रहते है। 30 घंटे के सफर में यात्रियों को केलांग में रात्रि ठहराव दिया जाता है। 13 हजार फीट की ऊंचाई पर रोहतांग दर्रा पार करने के बाद इस बस को बारा लाचा व तंगल दर्रा पार करना पडता है जिनकी ऊंचाई क्रमश: 16 हजार 400 फीट व 17 हजार 582 फीट है।

देखें:  HRTC के ड्राइवरों को यूं ही ‘पायलट’ नहीं कहा जाता, देखें वीडियो

 

दिल्ली-शिमला फ्लाइट: एक महीने के अंदर ही रंग दिखाने लगी सरकारी कंपनी

शिमला।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने ही शिमला आकर बड़े शोर-शराबे के बीच शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट के लिए हवाई सेवा की शुरुआत की थी। ‘उड़ान’ सेवा को लॉन्च करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह सेवा ऐसी है कि चप्पल पहनने वाला भी हवाई सफर कर सकेगा। मगर एक महीने के अंदर ही इस सेवा की पोल खुल गई है। दिल्ली-शिमला के बीच हवाई सेवा देने वाली सरकारी कंपनी अलायंस  एयर कंपनी ने सिर्फ मनमर्जी के फ्लाइट से शेड्यूल तय कर रही है बल्कि जब चाहे तब फ्लाइट को रद्द भी कर रही है। इससे पहले ‘इन हिमाचल’ बता चुका है कि कैसे यह हवाई सेवा आम आदमी की पहुंच से बाहर है और एक टिकट की कीमत 18000 रुपये तक पहुंच जा रही है।

शनिवार को सुबह एक ऐसा मामला सामने आया कि शिमला के उपायुक्त रोहन ठाकुर को जांच के आदेश देने पड़े हैं। राजधानी में मौसम खराब होने का बहाना बनाकर दिल्ली से शिमला की फ्लाइट को रद्द कर दिया गया जबकि यहां मौसम बिल्कुल साफ था। उपायुक्त रोहन ठाकुर को इसकी जानकारी दी गई। इस पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से बात की तो उन्हें बताया गया कि जुब्बड़हट्टी का रनवे गीला है। वहीं जब उपायुक्त ने एयरपोर्ट के अधिकारियों से पूछा तो बताया गया कि हवाई पट्टी में कोई दिक्कत नहीं है।

इसके बाद उपायुक्त के स्तर पर समूचे मसले को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सामने उठाया गया। डीसी के दखल के कारण फ्लाईट शिमला के लिए भेजी गई। डीसी ने अब यह मामला उच्चाधिकारियों को जांच के मकसद से भेजा है। डीसी ने सख्त रुख अपनाते हुए हवाई यात्रा सेवा प्रदान करने वाली तमाम एंजेसियों से नियमित उडान के निर्देश दिए है। उन्होंने साफ लहजे में कहा है कि कोताही की सूरत में प्रशासन को सख्त कदम उठाने पर विवश होना पड़ सकता है।

यानी प्रधानमंत्री उद्घाटन कर गए, पीछे से सरकारी कंपनी वही ढीला रवैया अपना रही है। इससे पहले इन हिमाचल ने बताया था कि कैसे यह सेवा आम आदमी की पहुंच से बाहर है। नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

तो क्या हवाई सेवा पर हवा-हवाई बातें करके चले गए पीएम मोदी?

(एमबीएम न्यूज नेटवर्क से इनपुट्स के साथ)

स्वाइन फ्लू से मौतों पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का शर्मनाक और संवेदनहीन बयान

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में स्वाइन फ्लू दस्तक दे चुका है, 4 लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं और कई लोग अस्पताल में जूझ रहे हैं। आलम यह है कि एक-दो बड़े अस्पतालों के अलावा कहीं और स्वाइन फ्लू की दवाइयां नहीं और मंडी और शिमला के अलावा किसी और हॉस्पिटल में टेस्टिंग की सुविधा नहीं। इस बारे में जब मुख्यमत्री वीरभद्र से मीडिया ने पूछा कि सरकार की क्या तैयारी है तो उन्होंने कहा-  होता रहता है ,जहां आबादी होगी वहां कोई न कोई बीमारी तो होगी ही। इसके बाद मुख्यमंत्री बिना कोई चिंता जताए और कड़े कदम उठाने की बात कहे बगैर वहां से मुस्कुराते हुए चले गए।

 

यह दिखाता है कि दांत का इलाज करवाने पीजीआई और आंख का इलाज करने चेन्नई जाने वाले मुख्यमंत्री को हिमाचल की जनता की कितनी फिक्र है। अगर वक्त पर पहचान होती और वक्त पर दवाइयां मिलतीं और इलाज शुरू होता तो लोगों की जान न जाती। जिनके परिवार का एक सदस्य भी गया है, क्या मुख्यमंत्री को अहसास है कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा होगा? पूरा वीडियो देखें, जिसमें आखिर में मुख्यमंत्री का बयान भी है।

यह बयान न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना और संवेदनहीन है बल्कि दिखाता है कि हमारा हितैषी होने का दिखावा करने वाले राजनेताओं को हमारी कितनी फिक्र है। अब भी सरकार नहीं चेती है और स्वाइन फ्लू को लेकर पर्याप्त इंतजाम नहीं उठाए गए हैं। चुनाव का सीजन है तो शायद सारा पैसा घोषणाओं, शिलान्यासों और प्रमोशन पर लग रहा होगा। जनता जाए भाड़ में। ‘इन हिमाचल’ मुख्यमंत्री वीरभद्र के इस बयान की खुलकर आलोचना करता है और इसे शर्मनाक मानता है।

पढ़ें: स्वाइन फ्लू से हिमाचल में 4 की मौत

हिमाचल प्रदेश में स्वाइन फ्लू से 4 की मौत, अलर्ट जारी

शिमला।। एक बार फिर हिमाचल प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामले सामने आने लगे हैं। खबरों के मुताबिक अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। गुरुवार को चार और मामले सामने आए हैं। शिमला के कुपवी के दो बच्चों में भी स्वाइन फअलू पाया गया है। इससे पहले विभाग इसे अज्ञात बीमारी बता रहा था। गौरतलब है कि इलाके में कई बच्चे बुखार से जूझ रहे हैं। अब दो बच्चों में स्वाइन फ्लू होने की रिपोर्ट आने के बाद हेल्थ डिपार्टमेंट ने जांच के िलए फइर से टीमें भेजी हैं। योल और टांडा में दो महिलाओं में स्वाइन फअलू पाया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी कर दिया है।

हेल्थ डिपार्टमेंट ने सभी CMOs को सतर्क रहने और जरूरी इंतजाम करने के लिए कहा है। स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने पर मरीजों को मेडिकल कॉलेजों में भेजने के निर्देश भी दिए गए हैं। जिला अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के लिए स्पेशल वॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं। ‘अमर उजाला’ की रिपोर्ट के मुताबिक स्वाइन फ्लू से अब कांगड़ा के दो, सिरमौर के एक और शिमला में एक टूरिस्ट की मौत हो चुकी है। पिछले दिनों 56 मरीजों में स्वाइन फ्लू के लक्षण नजर आए। इनमें 14 की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है। कुपवी में बुखार से एक बच्चे की मौत हो चुकी है। अभी इसमें मौत के कारणों की पुष्टि नहीं हुई है।

स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर का कहना है कि पिछले कुछ सालों से स्वाइन फ्लू जनवरी से मार्च महीने के बीच सर्दियों के मौसम में ही होता रहा है। इस फ्लू के मई महीने में हमला करने के बाद ये आशंका है कि कहीं इसका स्ट्रेन ही न बदल गया हो। अगर स्ट्रेन बदल गया होगा तो ये चिंताजनक बात होगी। प्रयोगशालाओें में इसकी जांच चल रही है। उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू का टेस्ट इस वक्त आईजीएमसी शिमला और जोनल होस्पिटल मंडी में हो रहा है।

हर रोज 1 लाख रुपये से ज्यादा कमाकर दे रहा है शिमला के जाखू मंदिर के लिए बना रोपवे

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। हिमाचल प्रदेश की राजधानी का पहला रोपवे कमाऊ पूत साबित हो रहा है। जाखू मंदिर के लिए बने रोपवे का संचालन करने वाली कंपनी यहां पर रोजाना एक लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर रही है। राजधानी आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों के लिए रोपवे आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सिर्फ पांच मिनट में आराम से जाखू पहुंचा जा सकता है। इन दिनों टूरिस्ट सीजन चल रहा है और पीक पर है। रोजाना सैकड़ों यात्री रोपवे का सफर कर रहे हैं। वीकेंड पर सैलानियों की संख्या बढ़ जाती है। माना जा रहा है कि अगले महीने जब पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, जाखू रोपवे की कमाई और ज्यादा हो जाएगी।

 

रोपवे का संचालन करने वाली कंपनी प्रति व्यक्ति 550 रुपये फीस (आने-जाने) ले रही है जबकि एक तरफ जाने का किराया प्रति व्यक्ति 300 रुपये है। रोप-वे के अपर और लोअर स्टेशन के बीच दो-दो केबिन चलाए जा रहे हैं। एक केबिन में एकसाथ छह लोग बैठ सकते हैं। इस तरह रोप-वे के द्वारा एक वक्त पर कुल 24 लोग यात्रा कर सकते हैं।

 

कंपनी के अधिकारियों के अनुसार पर्यटन सीजन के चलते बड़ी तादाद में सैलानी जाखू रोपवे की सैर कर रहे हैं, जिससे रोपवे से अच्छा मुनाफा हो रहा है। टूरिस्ट्स की सुविधा के लिए कंपनी अब रोपवे के लोअर टर्निमल यूएस क्लब में रेस्तरां खोलने की तैयारी में है। यहां पर लोग ब्रेकफस्ट, लंच, डिनर और फास्ट फूड का लुत्फ उठा सकेंगे। रोपवे के अप्पर टर्निमल जाखू में हनुमान मंदिर तक जाने के लिए पक्का रास्ता बनाया जा रहा है। इसके अलावा कंपनी बहुत जल्द रोपवे के लिए ऑनलाइन टिकट प्रक्रिया भी शुरू कर रही है।

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गौरतलब है कि पिछले महीने की 10 तारीख को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जाखू रोपवे का उद्घाटन किया था। इसे बनने में 10 साल का वक्त लगा है। स्विट्जरलैंड की तकनीक पर बनाए गए इस रोप-वे के निर्माण पर जेक्सन कंपनी ने करीब 30 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

हिमाचल में स्कूलों के बाद अब कॉलेजों में भी मोबाइल और फेसबुक बैन

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में स्कूलों के बाद अब सरकारी डिग्री कॉलेजों में भी मोबाइल फोन के सार्वजनिक इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। शिक्षक स्टाफ रूम और विद्यार्थी स्पेशल जोन में ही मोबाइल का इस्तेमाल कर सकेंगे। विद्यार्थियों के लिए कॉलेज परिसर में स्पेशल जोन बनाए जाएंगे। वाईफाई से जुड़े कॉलेजों में सोशल नेटवर्किंग साइटों को भी बंद किया जाएगा।

बुधवार को राजधानी शिमला में ‘उच्च शिक्षा के समक्ष चुनौतियां’ विषय पर आयोजित सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए प्रधान सचिव शिक्षा आर.डी. धीमान ने प्रिंसिपलों को इन आदेशों पर सख्ती से पालन के निर्देश दिए। ‘अमर उजाला’ अखबार की रिपोर्ट के मु्ताबिक धीमान ने कहा कि अगर कक्षाओं या परिसर में किसी सार्वजनिक स्थान पर शिक्षक या विद्यार्थी मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। धीमान ने कहा कि कई कॉलेजों में फ्री वाईफाई सुविधा का गलत इस्तेमाल हो रहा है।

वाईफाई सुविधा दे रही कंपनियों से बात कर जल्द ही सोशल नेटवर्किंग साइटों को बंद किया जाएगा। कॉलेजों में मोबाइल पर रोक के पीछे दलील दी गई है कि परिसर में बैठकर कई विद्यार्थी मोबाइल पर बातचीत या फिर सोशल नेटवर्किंग साइटों में व्यस्त रहते हैं। विशेष जोन होंगे तो विद्यार्थी मोबाइल पर बात करने के अलावा पढ़ाई के मकसद से इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकेंगे।