शिमला नगर निगम चुनाव: बचत भवन में देखने को मिला हाई वोल्टेज ड्रामा

शिमला।। शिमल नगर निगम चुनाव के नतीजे तो आ गए मगर राजनीतिक ड्रामा अब देखने को मिल रहा है। सोमवार को नए चुने गए पार्षदों ने बचत भवन में शपथ ग्रहण की। मेयर और डेप्युटी मेयर का चुनाव मंगलवार के लिए टलने के बाद अजीब हालात बने। पहले तो बीजेपी कार्यकर्ता नारे लगाने लगे, जिनमें बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजीव बिंदल भी थे। इस पर वहां मौजूदा शिमला से बीजेपी के विधायक सुरेश भारद्वाज ने उन्हें टोक दिया। अमर उजाला के मुताबिक दोनों में वहां बहस हुई और इसके बाद बिंदल वहां से चले गए।

Courtesy: Amar Ujala

यह तो ड्रामे की शुरुआत भी थी। अमर उजाला के मुताबिक जैसे ही मेयर और डेप्युटी मेयर का चुनाव अगले दिन के लिए टला, भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने समर्थन प्राप्त पार्षदों को बचत भवन में ही रोके रखा। इसके बाद उन्हें ह्यूमन चेन बनाकर ऐसे बाहर निकाला मानो कोई खतरा हो। रिपोर्ट के मुताबिक 19 पार्षदों को यहां से 3 छोटी गाड़ियों में ठूंसकर किसी अज्ञात जगह ले जाया गया।

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इस मौके पर सतपाल सत्ती, बिंदल और भारद्वाज समेत कई नेता मौजूद थे। रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी विधायक भारद्वाज का कहना है कि कांग्रेस सरकार हमारे पार्षदों की खरीद-फरोख्त कर सकती है, इसलिए हम अपने पार्षदों को निगरानी में रख रहे है।

हिमाचल के अधिकारों को लेकर गोलमोल जवाब देकर चले गए खट्टर

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, मंडी।। बीजेपी की परिवर्तन रथयात्रा को हरी झंडी दिखाने मंडी आए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रदेश सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने मुख्यमंत्री को भी घेरा और सरकार पर भी प्रश्न खड़े किए। ऐसा लग रहा था मानो हरियाणा के मुख्यमंत्री हिमाचल के हितों के लिए बहुत चिंतित हैं। मगर पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि हरियाणा के साथ हिमाचल के अधिकारों की जो लड़ाई चल रही है, उस पर उनका क्या स्टैंड है, तो वह गोलमोल बातें करते नजर आए। जानें, तीन प्रश्न के जवाब में उन्होंने क्या कहा:

1. भाखड़ा ब्यास लिंक परियोजना में हिमाचल प्रदेश को 7.19 प्रतिशत की हिस्सेदारी देने का फरमान सुप्रीम कोर्ट सुना चुका है, लेकिन यह हिस्सेदारी अभी मिली नहीं है। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को मध्यस्तता करके पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से हिमाचल के हिस्से को अदा करने का आदेश जारी किया है। इस पर जब सीएममनोहर लाल खट्टर से पूछा गया कि क्या आप हिमाचल के अधिकारोंकी पैरवी करेंगे तो सीएम साहब गोलमोल जबाव दे गए। उन्होंने कहा-  इस बारे में मिल-बैठकर बात की जाएगी और जो भी रास्ता बनेगा, वह किया जाएगा।

2. दूसरा प्रश्न था कि बीएसएल प्रॉजेक्ट सुंदरनगर में चीफ इंजीनियर का पद हरियाणा के हिस्से में गया हुआ है। इस पद पर हरियाणा सरकार ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति करती है जिसकी सेवानिवृति को मात्र 6 महीने बचे हों। ऐसे में अधिकारी अपने कार्यकाल का अंतिम समय बिताने यहां आते हैं। इस बारे में जब सीएम मनोहर लाल खट्टर से प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा- इस बारे में विभाग के साथ मिलकर कोईअच्छा रास्ता निकालने का प्रयास किया जाएगा।

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3. बीबीएमबी के सुंदरनगर अस्पताल में भी हरियाणा सरकार के कोटे के डाक्टरों के पद खाली चल रहे हैं। इस पर भी सीएम साहब की प्रतिक्रिया लेनी की कोशिश की गई मगर उन्होंने मीडिया के सवालों की तरफ ध्यान ही नहीं दिया।

देवदार के ‘उल्टे पेड़’ से जुड़ी देवताओं और राक्षस की कहानी

कुल्लू।। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में देवदार का एक ऐसा पेड़ मौजूद हैं जो देखने में ऐसा लगता है मानो उल्टा खड़ा हो। बताया जाता है कि इस पेड़ की उम्र करीब 5000 साल है। वैसे इस तरह के कई पेड़ दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद हैं मगर मान्यता तो मान्यता है। ऐसा नहीं है कि यह देखने में ही ऐसा लगता है मानो जड़ें ऊपर की तरफ हों और टहनियों का झुकाव आम पेड़ों के विपरीत हो, इसके लेकर एक कहानी भी प्रचलित है। इस पेड़ को कहा जाता है- टुंडा राक्षस की केलो। स्थानीय भाषा में देवदार को केलो कहा जाता है। आइए जानते हैं कि टुंडा राक्षस की क्या कहानी है और उसका इस पेड़ से क्या संबध है।

देवदार का यह पेड़ ऊझी घाटी स्थित हलाण के कुम्हारटी में है। फाल्गुन महीने में इस पेड़ के नीचे फागली मेला मनाया जाता है। इस मेले में टुंडा राक्षस एक पात्र होता है। कहा जाता है कि हलाण इलाके के देवता वासुकी नाग ने किसी शक्ति की परीक्षा लेने के लिए इस पेड़ को जमीन से उखाड़कर उल्टा खड़ा कर दिया था। ऐसे में आज भी यह देखने में ऐसा ही लगता है।

आगे जानें, क्या है इसक पेड़ की कहानी (स्रोत):  कहा जाता है कि पुराने समय में ऊझी घाटी के हलाण के पास नगौणी वन में वासुकी नाग तपस्या कर रहे थे। उसी दौरान एक दिव्य शक्ति उनके पास आई और बोलने लगी कि मैं आपकी गोद में बैठना चाहती हूं। वासुकी नाग ने कहा कि मैं कैसे किसी शक्ति को बिना जांचे-परखे गोद में बिठाऊं। इस पर देवता ने उस शक्ति की परीक्षा लेने के लिए सामने उगे देवदार के पौधे को उखाड़ा और जमीन पर उल्टा करके गाड़ दिया। वासुकी नाग ने कहा कि सुबह होने पर भी यह पेड़ सूखना नहीं चाहिए, हरा ही होना चाहिए।

अगली सुबह तक देखने को मिला कि पौधे की जो जड़ें ऊपर की तरफ थीं, उन्हीं में से कोंपलें निकल आईं। ऐसा चमत्कार दिखा दिव्य शक्ति देवता वासुकी नाग के इम्तिहान में पास हो गई। वासुकी ने उस शख्ति से परिचय जानना चाहा तो उसने कहा आप मुझे किसी भी नाम से बुला सकते हैं। इसपर वासुकी ने शक्ति को हरशू नाम दिया। माना जाता है कि हरशू को 18 करडू में से एक माना जाता है और इसे भगवान शिव का रूप माना जाता है। इसी समय से हरशू को वासुकी नाग की पालकी में स्थापित किया जाता है।

बताते हैं जिस दौर में यहां वासुकी नाग रहते थे, टुंडा नाम का राक्ष्स आतंक फैला रहा था। आसपास के सभी देवी-देवता जब उसे वश में न कर सके तो वासुकी नाग से सलाह मांगी गई। उन्होंने कहा कि टुंडा की शादी टिबंर शाचकी से करवा दी जाए। सबने टिबंर शाचकी के सामने प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव के बदले टिबंर शाचकी ने कहा कि मैं तैयार तो हूं मगर साल में एक बार इस उल्टे पेड़ के पास आऊंगी और इस दौरान मुझे खाने-पीने का सारा सामान यहां पहुंचा दिया जाए।

शर्त मान ली गई टिबंर शाचकी का विवाह टुंडा राक्षस से करवा दिया गया। मगर टुंडा राक्षक फिर भी नहीं माना। आखिर में वासुकी नाग ने टुंडा को इस देवदार के पास बांध दिया। देवताओं के पुजारी कहते हैं कि इसी की याद में फागली उत्सव आज भी मनाया जाता है और सांकेतिक रूप से यह पंरपरा निभाई जाती है।

टिबंर शाचकी कौन थी और उसका क्या हुआ?
हो सकता है अब आपके मन में इस कहानी को लेकर कुछ और सवाल उठ रहे हों। जैसे कि टिबंर शाचकी थी कौन और उसका क्या हुआ। चलिए आपको बताते हैं (स्रोत)। कहा जाता है कि टुंडा राक्षस या जिसे टुडिया भी कहा जाता था, वह इंसानों को खाता था। इसने कठोर तप से सिद्धियां प्राप्त की थीं और इसीलिए उसे वश में करना बड़ा मुश्किल काम था। जब सबने यह योजना बना ली कि क्यों न टुंडा की शादी करवा दी जाए और शायद वह सुधर जाए। इसके लिए टिबंर शाचकी नाम की लड़की भी मान गई थी। बताया जाता है कि शाचकी शालंग-कालंग नाम के गांव की युवती थी। वह गरीब दलित परिवार से थी। देवताओं ने उसकी सहमति से उसका विवाह टुंडा से करवाया और उसे उसके देश जाने के लिए भेज दिया।

बताया जाता है कि शाचकी जनहित के लिए राक्षस के साथ शादी करके उसके देश तो गई, पर वह इससे खुश नहीं थी। बाद में उसकी मौत हो गई। यह तो बड़ा अनर्थ हो गया था। बेटी को राक्षस को ब्याहा और वह वहां मगर गई। कहते हैं कि शाप से लोग मरने लगे। कहा जाता है कि देवताओं और ऋषि-मुनियों ने विचार-विमर्श कर टिबंर शाचकी की आत्मा का आह्वान किया और उसे देवी रूप में पूजने का फैसला किया। कहते हैं कि सबसे पहले मनु जी ने उसको अपने गांव में बुलाकर उसका आदर-सत्कार किया। 11 दिनों तक गांव मनाली के घर-घर में अपने साथ ले जाकर उसका आदर-सत्कार और पूजन किया।

कहते हैं कि मनु जी ने उसके साथ आए राक्षसों को मदिरा तो परोसी, लेकिन मांसाहारी भोजन न देने का निर्देश दिया। तब से यहां केवल टिबंर शाचकी को ही माना जाता है, टुंडा राक्षस को कोई नहीं मानता। उसे पूजा भी नहीं जाता। कहते हैं कि उसकी आत्मा तो बिन बुलाए देवता के गूर के शरीर में प्रवेश करती है। लोग उसे सीटियां बजाकर जोर से चिल्लाकर और काहली नामक वाद्य यंत्र बजाकर उसे भगाते हैं।

बताया जाता है कि कि टिबंर शाचकी को जमलू देवता निमंत्रण देकर बुलाते हैं और शांडिल्य ऋषि वापस भेजते हैं। मनाली में फागली उत्सव के बाद दूसरे गांवों में बहुत सारे देवता फागली उत्सव मनाते हैं। कहीं-कहीं मुखौटे पहनकर खेपरा डांस भी होता है, जो कि राक्षसों को समर्पित होता है। अलेऊ, शलिण व जाणा आदि गांवों में खेपरा डांस होता है।

अब वापस उस देवदार के पेड़ पर आते है। स्थानीय लोगों की तो यह भी मान्यता है कि जब देवता के इलाके में कोई प्राकृति विपदा आती है दो देवता इस पेड़ पर बिजली गिराकर इलाके की रक्षा करते हैं। उदाहरण देते हुए लोग बताते हैं कि 8-10 साल पहले इलाके में सूखे जैसे हालात हो गए थे और बीमारियां भी फैलने लगी थी। तभी एक दिन पेड़ पर बिजली गिरी और उसके बाद सब अचानक ठीक हो गया। यह पेड़ पुराना दिखता है और भारी-बर्फबारी के दौरान लद जाता है। इसमें बिजली गिरने के निशान भी देखे जा सकते हैं मगर यह गिरता नहीं है।

मनाली और क्लाथ के बीच जंगल में एक चट्टान के ऊपर एक और ऐसा ही देवदार का वृक्ष है। इसका व्यास 21 फुट और ऊंचाई करीब 75 फुट है। इसकी आयु 1500 साल से पुरानी बताई जाती है। देखने में यह छतरी जैसा लगता है। इसे जमलू केलो कहा जाता है यानी देवता जमलू का देवदार।

कुल्लू की देवी त्रिपुरा सुंदरी ने ऐसे चुना अपना गुर

कुल्लू।। हिमाचल प्रदेश की देव परंपरा निराली है। बहुत से लोग भले ही इसे अंधविश्वास मानते हों मगर प्रदेश में ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जिनका मानना है कि कोई न कोई शक्ति तो है। वैसे भी देव परंपराओं से जुड़ी कुछ बातें ऐसी हैं जो सोचने पर मजबूर करती हैं। उदाहरण के लिए देवी-देवताओं की पालकियां जो आज हम देखते हैं, वे कई साल पुरानी हैं। उनके कई पुजारी रहे, जिन्हें गुर कहा जाता है, और उनके इस दुनिया के चले जाने के बावजूद नए पुजारी आते गए। माना जाता है कि देवता अपने गुर के माध्यम से ही संवाद करते हैं। किसी एक गुर के गुजर जाने के बाद देवता नया गुर किसे चुनता है, यह बहुत दिलचस्प बात है। ऐसा ही देखने को मिला है देवी बाला त्रिपुरा सुंदरी के साथ। बताया जा रहा है कि देवी ने अपना नया गुर चुन लिया है।

कुल्लू जिले के धरोहर गांव नग्गर के नीलकंठ भारद्वाज को देवी त्रिपुरा सुंदरी ने अपना गुर चुन लिया है। 37 साल के नीलकंठ कहते हैं कि कुछ दिन पहले घर में रात को सोए और फिर उन्होंने आधी रात के समय स्वयं को चंद्रखणी में पाया। उन्हें सब कुछ एक सपने जैसा लगा। अचानक देवी त्रिपुरा सुंदरी का ध्यान आया और मैं समझ गया कि मैं यहां क्यों आया हूं।

आगे नीलकंठ बताते हैं, ‘बस फिर क्या था मैंने देवी के आदेशानुसार अपना कार्य किया और सुबह जगती पट परिसर में जा पहुंचा। वहां पर सभी देव कारकून एकत्रित हुए और मुझे देवी त्रिपुरा सुंदरी के गुर के रूप में चुन लिया गया। खास बात यह है कि चंद्रखणी जोत तक पहुंचने के लिए करीब 5-6 घंटों तक घने जंगलों के बीच से खड़ी चढ़ाई तय करके जाना पड़ता है। दिन के समय भी इन घने जंगलों से गुजरने से लोग कतराते हैं। आज से एक साल रहले आधा दर्जन छात्र चंद्रखणी क्षेत्र में भटकने के बाद फंस गए थे और हेलिकॉप्टर के जरिए रेस्क्यू किया गया था।

इस मामले में हिंदी अखबार पंजाब केसरी की रिपोर्ट कहती है कि एक व्यक्ति रात को भोजन करने के बाद अपने घर में सोया और आधी रात को उसने खुद को एक ऊंची पहाड़ी पर पाया। कुछ पल के लिए उस व्यक्ति सोचा कि जिस जगह वह आधी रात को खड़ा है यहां तक पहुंचने के लिए तो कई घने जंगलों को पार करना पड़ता है। आखिर वह यहां पहुंचा कैसे। फिर वह महसूस करता है कि वह देवी बाला त्रिपुरा सुंदरी के एक कार्य को पूरा करने के लिए देवी के आदेश पर ही यहां आया है।’

आगे लिखा है कि देवी के बताए गए कार्य को पूरा करने के बाद वह शख्स कुछ बुरांस के फूल, बेठर (धूप की पत्तियां) व कुछ जड़ी-बूटियां हाथ में लेकर वहां से वापस लौटता है। ब्रह्म मुहूर्त में जब वह घने जंगल से निकलकर रुमसू गांव से गुजरता है तो ग्रामीण उस शख्स को देखते हैं। फिर खबर फैल जाती है कि देवी बाला त्रिपुरा सुंदरी ने अपना गुर चुन लिया है। आगे अखबार लिखता है- ‘जी हां, यह कोई सपना नहीं बल्कि सत्य है।’ बहरहाल, हम इस बात की पुष्टि तो नहीं करते मगर प्रदेश में देव परंपराओं को लेकर कई बातें ऐसी हैं जिनकी साइंटिफिक एक्स्प्लनेशन नहीं है।

कठिन नियमों का पालन करना होगा नीलकंठ को
नीलकंठ देवी के गुर तो बन गए मगर अब उनका जीवन बदलने वाला है। देवी बाला त्रिपुरा सुंदरी को कुल्लू के राज परिवार की 5 कुल देवियों में सबसे ज्येष्ठ माना जाता है। देवी का गुर बनने वाला व्यक्ति कई नियमों में बंधता है। वह अपने सगे संबंधी की मृत्यु पर मुखाग्नि तक नहीं दे सकता, शोक समारोह में शामिल नहीं हो सकता और घर पर शिशु का जन्म हो तब भी बाहर की वक्त बिताना पड़ेगा।

बीजेपी ने 6 साल के लिए पार्टी से निकाले शख्स को 6 दिन के अंदर गले से लगाया

शिमला।। 6 दिन पहले भारतीय जनता पार्टी ने जिस शख्स को 6 साल के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया था, आज उसी को शिमला में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं सिर-आंखों पर बिठाया। दरअसल भले ही शिमला नगर निगम चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं लेकिन बहुमत के लिए 18 सीटें चाहिए थी और बीजेपी को मिलीं 17 सीटें। अब एक शख्स चाहिए था तो पार्टी को पंथाघाटी से आजाद जीते राकेश शर्मा याद आए।

दरअसल ‘अमर उजाला’ की खबर के मुताबिक राकेश शर्मा बीजेपी से टिकट की मांग कर रहे थे मगर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। ऐसे में राकेश आजाद उम्मीदवार के तौर पर ही मैदान में उतर गए। पार्टी ने उनके खिलाफ 11 जून को कार्रवाई की और 6 साल के लिए पार्टी से बाहर निकाल दिया। बीजेपी ने यहां से मोहित ठाकुर को अपना कैंडिडेट बनाया मगर राकेश शर्मा ने उनसे ज्यादा वोट हासिल किए और 45 वोटों से जीत हासिल की।

अब 1 सीट की जरूरत पड़ी तो भाजपा को राकेश की याद आ गई। पार्टी के नेता उनके घर पहुंचे और उन्हें बधाई धी। शनिवार देर शाम व पार्टी के दफ्तर आए । वहां उनका स्वागत किया गया और गले से लगाया गया। अब चर्चा है कि उन्हें  न सिर्फ पार्टी में वापस लिया जाएगा बल्कि डेप्युटी मेयर का पद भी दिया जा सकता है। शर्मा का कहना है कि मैं पार्टी का कार्यकर्ता रहा हूं और आगे भी समर्थन भाजपा का रहेगा।

HRTC के अधिकारी देखें- एक ट्रैवल ब्लॉगर ने खोली ढाबे की पोल

इन हिमाचल डेस्क।। अगर आप हिमाचल प्रदेश से हैं और HRTC की बस से ट्रैवल करते हैं तो आप जानते होंगे कि जहां ये बसें रुकती हैं, उनमें से ज्यादातर जगहों की हालत क्या है। कहीं पर साफ-सफाई नहीं है, कहीं पर टॉइलट नहीं हैं, कहीं पर खाना सही नहीं हैं तो कहीं पर मनमाने दाम वसूले जाते हैं। मगर क्या हो जब यात्रियों को पीने के लिए पानी तक सही न दिया जाए। दिल्ली से हिमाचल के लिए आने वाली विभिन्न बसें हरियाणा में जहां-जहां पर खाना खाने के लिए रोकी जाती हैं, उनकी हालत तो और भी खराब है। बहुत से लोग परिवहन मंत्री जी.एस. बाली को फेसबुक पर लाइव के माध्यम से बताते रहे हैं कि उन्हें किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शिकायत मिलने पर मंत्री की तरफ से ढाबों को बदलने का निर्देश भी जारी कर दिया जाता है और बसें नई जगह रुकने लगती हैं। मगर कुछ ही दिनों में उन ढाबों की भी वही स्थिति हो जाती है।

बहरहाल, एक ट्रैवल ब्लॉग ने यूट्यूब पर वीडियो डाला है जिसमें पिपली के पास के एक ढाबे में फैली गंदगी का जिक्र किया गया है। बताया जा रहा है कि यहां पर पीने लिए फिल्टर्ड पानी तब मौजूद नहीं था और मजबूरी में आपको बॉटल खरीदनी होगी। वीडियो में दिखता है कि ब्लॉगर को यहां से वहां घुमाया जा रहा है पानी के लिए। बीच में वहां चूहे भी दौड़ते हुए दिख रहे हैं। सफाई का आलम भी ठीक नहीं हैं। देखें:

इस तरह के वीडियो दिखाते हैं कि भले ही ढाबों को परिवहन निगम मैनेज न करता हो, मगर अगर वहां पर बसों को रोका जा रहा तो कहीं न कहीं जिम्मेदारी परिवहन निगम के अधिकारियों की भी बनती है। न सिर्फ एक ढाबे को सरसरी निगाह डालकर सिलेक्ट कर लेना चाहिए बल्कि नियमित अंतराल पर वहां चेकिंग भी होनी चाहिए। इस वीडियो में उठाए गए प्रश्नों के संबंध में हमने परिवहन मंत्री जी.एस. बाली के फेसबुक पेज पर मेसेज भेजा था। उन्होंने रविवार शाम को अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट डालकर कहा है कि इस संबंध में कार्रवाई होगी।

पढ़ें: हरकत में आए जी.एस. बाली, कहा- कार्रवाई होगी

ढाबे वाले वीडियो पर हरकत में आए परिवहन मंत्री, कहा- कैंसल करेंगे परमिट

शिमला।। पिछले दिनों HRTC बस से यात्रा कर रहे एक ट्रैवल ब्लॉगर ने यूट्यूब पर वीडियो डाला था जिसमें पिपली (कुरुक्षेत्र) के एक ढाबे की दुर्दशा को दिखाया गया था। यहां न सिर्फ चूहे दौड़ रहे थे बल्कि पीने के लिए साफ पानी भी उपलब्ध नहीं था। ‘इन हिमाचल’ ने इस वीडियो के आधार पर खबर बनाई थी और परिवहन मंत्री के फेसबुक पेज पर मेसेज भेजकर उनसे उनका पक्ष मांगा था। अब परिवहन मंत्री के पेज पर जवाब भी आया है और उसी को उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर भी पोस्ट किया है। मंत्री ने कहा है कि मामले की जांच होगी और अगर ढाबे में वाकई ऐसा पाया गया तो तत्काल प्रभाव से निगम की बसों को वहां रोका जाना बंद कर दिया जाएगा।

पढ़ें: HRTC के अधिकारी देखें- एक ट्रैवल ब्लॉगर ने खोली ढाबे की पोल (वीडियो देखने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें)

परिवहन मंत्री ने फेसबुक पेज पर डाली पोस्ट में लिखा है- यात्रियों को खाने को लेकर होने वाली समस्या से अवगत हूं। यात्रियों को सही दाम पर अच्छा खाना मिले, इसके लिए प्रदेश के अंदर शुरुआत करते हुए HRTC और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने मिलकर 12 जॉइंट खोले हैं जहां 25 रुपये में थाली के जरिये क्वॉलिटी फूड दिया जा रहा है। धीरे-धीरे ऐसे जॉइंट अन्य जगह भी खोले जाएंगे। प्रदेश से बाहर के ढाबों में समस्या कुछ ज्यादा ही है और हम शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई भी करते हैं।

आगे उन्होंने लिखा है- सोशल मीडिया से पिपली के एक ढाबे की शिकायत मिली है। अगर यह सही पाई गई तो इस ढाबे पर निगम की बसें रोकना तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा। अन्य ढाबे वाले भी गांठ बांध लें कि वाजिब दाम पर अच्छा खाना तो दें ही, पीने के स्वच्छ पानी और साफ-सुथरे टॉयलट की भी सुविधा होनी चाहिए। ऐसा न होने पर परमिट कैंसल करने में देर नहीं की जाएगी। विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में पहले ही निर्देश दे दिए गए हैं।

‘इन हिमाचल’ ने इस वीडियो के आधार पर न सिर्फ यात्रियों को होने वाली समस्या का मसला उठाया था बल्कि यह चिंता भी व्यक्त की थी इस तरह की घटनाएं पर्यटकों के बीच प्रदेश की छवि भी गलत बनाती हैं। अब देखना यह है कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है।

मुख्यमंत्री वीरभद्र के इलाके में 4 में से 3 वॉर्डों में हारे कांग्रेस समर्थित कैंडिडेट

शिमला।। प्रदेश की राजधानी शिमला में नगर निगम चुनावों में कांग्रेस को तीन विधानसभा इलाकों में से दो में पड़ने वाले वॉर्डों में एक तरह से हार का सामना करना पड़ा है। सिर्फ कुसुम्पटी में पड़ने वाले वॉर्डों में ही कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों का प्रदर्शन ठीक रहा। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र (शिमला ग्रामीण) में शिमला नगर निगम के चार वॉर्ड पड़ते हैं और इनमे से 3 में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों का हार का सामना करना पड़ा है।  सिर्फ 1 (मज्याठ वॉर्ड) में ही कांग्रेस को जीत मिली है।

शिमला अर्बन सीट की बात करें तो यहां 18 में से 11 सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इस वक्त शिमला शहरी विधानसभा सीट से बीजेपी के सुरेश भारद्वाज विधायक हैं। कुसुम्पटी की बात करें तो यहां पर भी पिछली बार के मुकाबले कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहा है। यहां पर 12 में से 5 कांग्रेस प्रत्याशी ही जीते और 2 वॉर्डों में जीते आजाद उम्मीदवारों ने बाद में कांग्रेस को समर्थन दिया।

इसके अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के वॉर्ड छोटा शिमला में भी कांग्रेस हारी है। वह इस वॉर्ड में रहते हैं मगर उनका यहां वोट नहीं हैं। उन्होंने कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार के पक्ष में यहां परिवहन मंत्री जी.एस. बाली के साथ रोड शो भी किया था।

क्लीनिक की आड़ में नशे का कारोबार करने के आरोप में डॉक्टर गिरफ्तार

कांगड़ा।। कांगड़ा पुलिस ने सरकारी नौकरी से रिटायर्ड आयुर्वेदिक डॉक्टर को नशे का कारोबार करने के आरोप मे गिरफ्तार किया है। नगरोटा बगवां बस अड्डे के पास चल रहे क्लीनिक और डॉक्टर के घर से पुलिस ने प्रतिबंधित दवाइयां भी बराम की हैं।  क्लीनिक चलाने वाले आयुर्वेदिक डॉक्टर को प्रैक्टिस की आड़ में नशे की दवाइयों का कारोबार करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।

पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद इस क्लीनिक पर छापेमारी की। बताया जा रहा है कि पुलिस लंबे समय पर यहां पर नजर रखे हुई थी। गुरुवार देर शाम को पुलिस ने यह कार्रवाई की। तलाशी अभियान में प्रतिबंधित दवाओं के 5983 टैबलट, 940 कैप्स्यूल, 53 इंजेक्शन और 107 बोतलें कफ सिरप बरामद हुआ।

कांगड़ा के एसपी संजीव गांधी ने बताया है कि सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त आयुर्वेदिक चिकित्सक के खिलाफ 22 एनडीपीएस ऐक्ट के तहत मामला दर्ज करके उसे गिरफ्तार किया गया है। डीएसपी सुरिंद्र शर्मा ने बताया कि आरोपी चिकित्सक से प्रतिबंधित नशीली दवाओं के स्रोतों और बिक्री के बारे में पूरी जानकारी हासिल की जाएगी और उसकी संपत्ति व बैंक खातों की भी जांच होगी।

शिमला नगर निगम चुनाव: न बीजेपी की लहर दिखी न कांग्रेस का जलवा, मेयर पद के लिए जोड़-तोड़ शुरू

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। शिमला नगर निगम चुनाव के नतीजे आने के बाद अब महापौर पद के लिए जोड-तोड़ शुरू हो गई है। नतीजों के मुताबिक भाजपा ने 17 सीटों पर कब्जा किया है। कांग्रेस को 13 सीटें मिली हैं। आजाद प्रत्याशी तीन रह गए हैं। जबकि सीपीआई(एम) को एक सीट मिली है। बहरहाल नगर निगम की सत्ता के जादुई 18 के आंकड़े को दोनों ही राजनीतिक दल अपने ही स्तर पर हासिल नहीं कर पाए हैं, लेकिन एक निर्दलीय के समर्थन से भाजपा बहुमत को हासिल कर सकती है। बताया जा रहा है कि एक निर्दलीय बीजेपी की ही विचारधारा का है।

इस बार 34 वॉर्डों में से 20 पर महिलाओं ने कब्जा जमाया है, जो शिमला नगर निगम के लिए अभूतपूर्व है। साल 2012 के निगम चुनाव में 13 महिला पार्षद जीत कर आईं थीं। निगम में इस बार मेयर पद पिछड़ी जाति की महिला के लिए आरक्षित है। इस रेस में वॉर्ड नंबर 4 अनाडेल से जीती भाजपा समर्थित कुसुम सदरेट का नाम आगे चल रहा है। नाभा, अनाडेल और विकासनगर वार्ड अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित है और इनमें से अनाडेल वार्ड से ही भाजपा समर्थित प्रत्याशी जीत दर्ज कर पाई है।

नाभा में कांग्रेस और विकासनगर में निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे हैं। ऐसे में अनाडेल से कांग्रेस समर्थित कुसुम सदरेट के मेयर बनने की संभावनाएं प्रबल नजर आ रही हैं। चुंकि निगम चुनाव में भाजपा समर्थित सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है और उसे बहुमत जुटाने के लिए सिर्फ एक निर्दलीय प्रत्याशी की जरूरत है, ऐसे में नगर निगम में भाजपा का ही मेयर बनेगा। निगम के इतिहास में पहली बार भाजपा को मेयर पद नसीब होगा।

(वीडियो: जीत के बाद जश्न मनाते कार्यकर्ता)

नगर निगम में इस बार पहले ढाई साल एससी महिला और अगले ढाई साल सामान्य महिला के लिए आरक्षित है। निगम के वर्ष 2012 के चुनाव में मेयर और डिप्टी मेयर का सीधा चुनाव हुआ था। मगर इस बार हर वार्ड से चुनकर आए पार्षद मेयर और डिप्टी मेयर चुनेंगे। नगर निगम में मेयर का कार्यकाल भी कम कर दिया गया है। पांच साल की अवधि में दो मेयर बनेंगे, जिनका कार्यकाल ढाई-ढाई साल होगा। दोनों ही बार मेयर का चुनाव पार्षद अपनी सहमति से करेंगे। नगर निगम के इतिहास में यह तीसरी दफा होगा कि इसकी कमान महिला मेयर के हाथों होगी।

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इससे पहले दो बार शिमला नगर निगम का नेतृत्व महिलाएं कर चुकी है। पहले जैनी प्रेम और मधु सूद को शिमला नगर निगम का मेयर बनने का गौरव हासिल है। जैनी प्रेम 1999 में शिमला नगर निगम की मेयर अढ़ाई साल के लिए बनीं थी। वहीं इसके बाद साल 2010 में एक बार फिर नगर निगम की कमान महिला के हाथों आईं। इस बार मधु सूद को नगर निगम का मेयर बनाया गया था। इनका कार्यकाल भी अढ़ाई साल के लिए रहा था। वर्ष 1986 में आदर्श सूद शिमला नगर निगम के पहले मेयर बने थे।