होशियार सिंह केस: पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हैं ये 6 पॉइंट

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इन हिमाचल डेस्क।। वनरक्षक होशियार सिंह की संदिग्ध हालात में मौत का मामला उलझता जा रहा है। भले ही पुलिस ने शुरू में इसे हत्या का मामला बताया था मगर बाद में इसे आत्महत्या में तब्दील कर दिया। ऐसा करने के पीछे पुलिस ने होशियार के कुछ नोट्स, एक चिट्टी, जहर की शीशियों और उल्टी मिलने का हवाला दिया। मगर आप यह जानकर हैरान होंगे कि इनमें से किसी भी चीज की पुष्टि नहीं हुई है और न ही पुलिस यह बता पा रही है कि अगर उसने खुदकुशी की थी तो वह पेड़ पर कैसे जा चढ़ा, उल्टा कैसे लटका था, उसकी शर्ट किसने उतार दी थी और कलाइयों पर खरोंच कैसे आई थी। इन सवालों को लेकर एसपी मंडी प्रेम चंद ठाकुर का जवाब था- पुलिस अभी वेरिफाई कर रही है, अभी एफएसएल की रिपोर्ट आएगी, पुलिस जांच कर रही है, एफएसएल की रिपोर्ट आएगी, पुलिस जांच कर रही है, आरोपियों से पूछताछ हो रही है। अब जांच अधिकारी बदल दिए गए हैं, एसआईटी बनाई गई है और एएसपी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। मगर अब तक की पुलिस की कार्रवाई पर आम जनता ही नहीं, तमाम अखबार और मीडिया सवाल उठा चुके हैं।

सवाल उठता है कि अगर पुलिस इन बातों को लेकिए आश्वस्त ही नहीं है, तो उसे हत्या के मामले को आत्महत्या में बदलने की जल्दबाजी क्यों थी? साफ है, इस पूरे मामले में पुलिस की कार्रवाई पर अगर जनता शक कर रही है तो इसके लिए कोई और नहीं, खुद पुलिस जिम्मेदार है। आइए जानते हैं कि कौन से बिंदु पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हैं-

1. पुलिस के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि होशियार की लाश पेड़ पर उल्टी कैसे टंगी मिली। यहां तक कि हिंदी अखबार अमर उजाला ने इस संबंध में मंडी के एसपी से बात की तो उनका कहना था- पुलिस अभी वेरिफाई कर रही है कि वह पेड़ पर कैसे चढ़ा। जब एफएसएल की रिपोर्ट आएगी, तभी स्थिति साफ होगी।

2. पुलिस होशियार की डायरी और पत्र का हवाला देकर इसे आत्महत्या बता रही है। मगर क्या इसमें लिखावट होशियार की ही है, डायरी के पन्नों पर तारीख पुरानी क्यों है, हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में बातें लिखने का मामला क्या है, इन सवालों का जवाब भी पुलिस के पास नहीं है। ऐसा भी तो हो सकता है कि लगातार होशियार को धमकियां मिल रही हों और उसे लगता हो कि कहीं कोई उसकी कभी जान न ले ले। इसी तनाव में उसने यह सोचकर डायरी में बातें लिख दी हों ताकि उसे कुछ हो जाए तो कम से कम पुलिस को जांच के लिए ऐंगल तो मिले कि उसे किन लोगो से खतरा था। यानी पुलिस तकनीकी पहलुओं पर आश्वस्त हुए बिना ही इन तथाकथित सबूतों के आधार पर मामला आत्महत्या में बदल दिया।

3. हैरानी की बात है कि पुलिस को जहर की शीशियां या ये लेटर और नोट पहले ही दिन क्यों नहीं मिल गए? वैसे भी डायरी तो बैग में मिली थी और बैग उसी दिन मिल गया था जिस दिन शव मिला था। फिर लेटर और डायरे के नोट्स या फिर जहर की शीशियां मिलने में वक्त कैसे लग गया। इससे तो यही साबित होता है कि पुलिस ने मौका-ए-वारदात की ढंग से पड़ताल नहीं की थी।

4. जब अमर उजाला ने एसपी मंडी से पूछा कि मान लीजिए वह जहर खाकर पेड़ पर चढ़ा था तो वह गिरा क्यों नहीं और इसकी कमीज कैसे उतरी थी। जवाब मिला कि अभ उशकी शर्ट किसी और ने उतारी है या खुद उतारी है, इसका पहलू पर पुलिस जांच कर रही है। जब कलाई में आई खरोंचों और कोहने से हाथ तक बाजू सूजने के सवाल किए गए तो उन्होंने कहा- कलाइयों में कोई कट नहीं है। खरोंचें किस चीज की हैं और कोहनी से लेकर बाजू कैसे सूजी है, एफएसएल की रिपोर्ट में सामने आएगा।

अगर पुलिस को इन सवालों के जवाब ही नहीं मिले तो क्या सामान्य तौर पर आत्महत्या का मामला लग रहा है?

5. सबसे बड़ी बात यह है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबित लापता होने के दो दिन बात होशियार की मौत हुई थी। दो दिन तक वह कहां रहा। इसपर एसपी मंडी कहते हैं कि गायब होने वाली पांच तारीख को उसने एक टीचर के यहां ब्रेकफस्ट किया था। इसके बाद दो दिन वह कहां रहा, पुलिस इसकी भी जांच कर रही है।

तो क्या पुलिस के मन में शक पैदा नहीं होता कि कलाइयों में सूजन कहीं बांधे जाने की वजह से न हुई हो और दो दिन उसे कहीं बंधक बनाकर न रखा गया हो और किन्ही हत्याों ने मामले को आत्महत्या का रंग देने की कोशिश की हो?

6. अभी तक पुलिस को मोबाइल डेटा में क्या मिला है, इसपर भी एसपी मंडी का कहना है कि एफएसएल को मोबाइल सौंपा गया है, वहीं से पता चलेगा। यानी अभी रिपोर्ट आई नहीं है। एसपी का कहना है कि अपराधियों से पूछताछ चल रही है।

किसी भी अपराध के मामले में कई तरह के साक्ष्य होते हैं और जब तक साइंटिफिक तरीकों से सबूतों की वेरिफिकेशन नहीं होती, पुलिस की जांत परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर होती है। मगर अभी तक न लिखावट मैच हुई है, न यह साफ हुआ है कि वाकई उसने जहर खाया था, उसकी कलाइयों में सूजन पाई गई, खरोंचें पाई गईं, शव पेड़ पर लटका मिला, शर्ट उतरी हुई थी, मोबाइल डेटा की रिपोर्ट नहीं आई, लापता होने के बाद दो दिन कहां था, इसका जवाब नहीं मिला। बावजूद इसके पुलिस का तुरंत इस मामले को अनवेरिफाइड सबूतों के आधार पर जल्दी ही आत्महत्या के केस में बदलना कहीं न कहीं सवाल तो खड़े करता ही है। इस मामले में हिमाचल की मौजूदा सरकार ही नहीं, प्रदेश की पुलिस पर की भी साख दाव पर लगी है। प्रदेश के लोगों को यह लगता है कि उनका राज्य सबसे अच्छा राज्य है और यहां ईमानदारी है। अगर यहां पर पुलिस जैसी महत्वपूर्ण संस्था से ही भरोसा उठ जाएगा तो यह अच्छी बात नहीं होगी। ऐसे में मंडी पुलिस के कंधों के ऊपर इस वक्त पूरे प्रदेश की उम्मीदों और पूरे महकमे के ईमानदार कर्मचारियों की इज्जत की जिम्मेदारी है।