कुल्लू की पूनम ने घर बैठे जमाया करोड़ों का कारोबार

कुल्लू।। ‘इन हिमाचल’ वक्त-वक्त पर आपको हिमाचल के उन कामयाब लोगों के बारे में बताता रहता है जो स्वरोजगार के जरिए न सिर्फ खुद अच्छा-खासा कमा रहे हैं बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं। आज हम आपको कुल्लू जिले के भुंतर इलाके की पूनम के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने रसोई में काम करते-करते बड़ा काम कर दिखाया। उनके उत्पाद को  आज देश ही नहीं बल्कि देश के भी कई हिस्सों में भेजा जाता है और इससे करोड़ों की कमाई होती है।

हिंदी पोर्टल ‘समाचार फर्स्ट’ लिखता है कि भुंतर की एक गृहिणी पूनम घई ने अपने हाथों से बने मसालों को रेडिमेड तड़के की महक देते हुए सात समंदर पार के देशों में पहुंचा दिया है। पूनम के इस हुनर और मेहनत को देखते हुए उद्योग विभाग ने भी उसकी मदद की जिसके बाद वह इस मुकाम तक पहुंच पाई है। आज देश के साथ-साथ विदेशी बाजारों में भी पूनम का रेडी टू कुक स्पाइस मिक्स रेडिमेड तड़का इस्तेमाल किया जा रहा है, और लोग इसे काफी पसंद भी कर रहे हैं।

अन्य लोगों को भी मिल रहा है रोजगार (Image: Samachar First)

पूनम भुंतर में रहती हैं, उन्हें बचपन से ही स्वादिष्ट और जायकेदार भारतीय व्यंजन का बहुत शौक रहा है। वह अपनी रसोई में नित नए-नए प्रयोग करती रहती थी। तरह-तरह के व्यंजन तैयार करके अपने परिजनों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों को जब वह परोसतीं तो सभी उंगुलियां चाटते रह जाते और उनकी पाक-कला की तारीफ किए बगैर नहीं रहते। कई महिलाएं विशेषकर विदेशों में बसीं उनकी रिश्तेदार अक्सर उनसे विभिन्न व्यंजनों की रेसिपी पूछती रहती थीं।

आप भी सीखें, पूनम ने कैेस बढ़ाया बिजनस
कुछ साल पहले पूनम ने घर में ही मसालों के पैकेट और रेडिमेड तड़का ‘रेडी टू कुक स्पाइस मिक्स’ तैयार करके अपने रिश्तेदारों में बांटना शुरू किए। फिर उन्होंने इस कारोबार में ही हाथ आजमाने का निर्णय लिया। उन्होंने आरआर एंटरप्राइजेज के नाम से मसालों का घरेलू उद्योग आरंभ किया। उद्योग विभाग ने राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण मिशन के तहत आरआर एंटरप्राइजेज को 33.33 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की। पूनम ने बताया कि उन्होंने अपने कारोबार के विस्तार के लिए खाद्य प्रसंस्करण मिशन के अंतर्गत 18 लाख रुपये का ऋण लिया, जिस पर उद्योग विभाग ने लगभग छह लाख रुपये की सब्सिडी दी। उद्योग विभाग की इस सब्सिडी योजना ने उनके कारोबार को पंख लगा दिए। अब वे निमकिश ब्रैंड के नाम से विभिन्न भारतीय व्यंजनों के लिए कई प्रकार के मसाले तैयार कर रहे हैं।

आरआर एंटरप्राइजेज का रेडिमेड तड़के ‘रेडी टू कुक स्पाइस मिक्स’ की बाजार में विशेषकर विदेशों में मांग तेजी से बढ़ रही है। इसमें विभिन्न मसालों के अलावा तड़के का पूरा सामान जैसे-प्याज, लहसुन और अदरक इत्यादि का मिश्रण किया जाता है। इस उत्पाद ने रसोई में तड़के के सामान को तैयार करने का झंझट ही खत्म कर दिया है। विशेषकर कामकाजी महिलाओं के लिए यह रेडिमेड तड़का एक वरदान साबित हो रहा है, क्योंकि इससे उनके समय की काफी बचत होती है। भारत के अलावा कनाडा, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों में इसकी काफी मांग है। पूनम ने बताया कि वह घर में ही 15 अन्य महिलाओं को रोजगार दे रही हैं और उनका सालाना टर्नओवर एक करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसमें से 60 प्रतिशत माल विदेशों को निर्यात किया जा रहा है।

छात्रों से जुड़ी मांगों के लिए पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगी एबीवीपी

शिमला।। छात्र संगठन एबीवीपी 3 से 20 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश में आंदोलन करने जा रहा है। छात्र संगठन छात्रों की मांगों को लेकर कॉलेज, जिला व राज्य स्तर पर धरने देगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की प्रांत मंत्री हेमा ठाकुर ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि प्रांत कार्यकारिणी की बैठक में इन आंदोलनों की रूपरेखा तैयार की गई। उन्होंने बताया कि एबीवीपी हिमाचल प्रदेश की प्रांत कार्यकारिणी बैठक 25 व 26 जून को नूरपुर जिला कांगड़ा में सम्पन्न हुई जिसमें प्रांत भर के पदाधिकारियों ने भाग लिया।

हेमा ने बताया कि इस बैठक में विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ नागेश ठाकुर विशेष रूप से उपस्थित रहे। बैठक में विद्यार्थी परिषद के कार्यों की समीक्षा व आगामी योजना बनाई गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय विद्यार्थी परिषद ने रूसा, फीस वृद्धि व केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित आदि मुद्दों को लेकर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। हेमा ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में सरकार ने नए कालेज तो खोल दिए हैं लेकिन यहां न तो मूलभूत सुविधाएं हैं और न ही शिक्षक।

छात्र नेत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार बेरोजगारों को नौकरी देने की बजाय सेवानिवृत्त शिक्षकों की पुन: नियुक्त कर रही है। इसके अलावा स्कूलों की बात की जाए तो स्कूलों में 8वीं तक के बच्चों को फेल न करके शिक्षा की गुणवत्ता कम हो रही है। हेमा ने सरकार पर माफिया को संरक्षण देने का आरोप भी लगाया।

पंप खराब, फिल्टर पुराने, लीकेज ही लीकेज: इसीलिए पानी के लिए तरस रहा है शिमला

शिमला।। प्रदेश की राजधानी होने के बावजूद शिमला शहर के कई इलाके पानी के लिए तरसते रहते हैं। अब नगर निगम चुनावों के बाद नए पार्षद चुने गए हैं और नए मेयर और डिप्टी मेयर ने पद संभाला है। प्राथमिकता देते हुए इन लोगों ने फैसला किया कि क्यों न सबसे पहले शहर की पानी की समस्या को दूर करने की दिशा में कदम उठाए जाएं। दफ्तर आकर जिम्मेदारी संभालने के अदले दिन ही मेयर कुसुम सदरेट और डिप्टी मेयर राकेश शर्मा बुधवार को गुम्मा पेयजल परियोजना की जांच करने पहुंचे। अंग्रेजों के दौर की बनी इस परियोजना से ही शहर को मुख्य रूप से पानी की आपूर्ति होती है। वहां पहुंचकर मेयर, डिप्टी मेयर और पार्षद हैरान रह गए।

मेयर, डिप्टी मेयर और पार्षदों को पहले तो प्रॉजेक्ट के कर्मचारियों ने वे टैंक दिखाए जो अंग्रेजों के दौर में बने थे। 1920-21 के दौरान के ये टैंक, मशीनें, फिल्टर सिस्टम और पंपिंग देख सभी अभिभूत नजर आए। मगर कुछ ही पलों में उत्साह नाराजगी और हताशा में बदलता गया। आलम यह था कि ज्यादा पंप खराब थे। 16 में से सिर्फ 3 पंप ही काम कर रहे थे और फिल्टर सिस्टम को भी लंबे अरसे से बदला नहीं गया था। यही नहीं, जगह-जगह कीमती पेयजल लीक भी हो रहा था। बताया जा रहा है कि इस प्रॉजेक्ट से करीब 21 एमएलडी तक पानी शिमला शहर को सप्लाई किया जा सकता है मगर इन दिनों सिर्फ 11-14 एमएलडी पानी ही सप्लाई हो रहा है। वॉटर लिफ्टिंग सेंटर में गड़बड़ियों की शिकायत है। 16 में से 3 पंप काम कर रहे हैं और एक स्टैंडबाइ है।

कई पंप खराब पड़े हैं

मेयर कुसुम सदरेट ने कहा कि यहां पर वॉटर लिफ्टिंग सिस्टम में खामियां पाई गईं। जो भी कमियां पाई गई हैं उन्हें चर्चा के लिए सदन के सामने रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि लिफ्टिंग की समस्या को सुधारने के लिए जल्द टेंडर प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। उन्होंने निगम आयुक्त से गुम्मा पंप स्टेशन की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है।

अब भी राजनीति चालू है
जाहिर है, पानी की समस्या अगर शहर में है तो उससे पार्टी का संबंध नहीं, जनता के हित की बात है। मगर मामले में राजनीतिक खेमेबाजी अभी भई जारी है। गुम्मा के प्रॉजेक्ट की विजिट के लिए सभी पार्षदों को सूचित किया गया था मगर कांग्रेस के पार्षद इसमें नहीं आए। मेयर और डिप्टी मेयर को मिलाकर 18 पार्षद ही साथ गए थे।

लेह को हिमाचल होते हुए रेलवे ट्रैक से जोड़ने के लिए सर्वे शुरू

हिंदी टैब, शिमला।। चीन लगातार भारत पर सेना को पीछे हटाने के लिए दबाव बना रहा है। यह पहला मामला नहीं है जब चीन ऐसे धौंस दिखाने की कोशिश कर रहा हो। अक्सर वह ऐसा करता रहता है। मगर भारत सरकार ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के मकसद से उसके साथ लगती सीमा पर अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने पर जोर दिया है। इसीलिए लेह तक रेल पहुंचाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। लद्दाख तक ट्रेन पहुंचाने के लिए हिमाचल प्रदेश का रूट पकड़ा जाएगा। बिलासपुर से मनाली होते हुए जम्मू-कश्मीर के लेह तक ब्रॉड गेज लाइन बिछाने के फाइनल लोकेशन सर्वे को मंजूरी दे दी गई है।

लेह रेलवे 498 किलोमीटर लंबा होगा और अनुमान है कि इस पर 22,832 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। बिलासपुर-लेह रेलवे लाइन का पहला सर्वे 2008-09 में कागजों एलाइनमेंट का निर्धारण कर किया गया। यह हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर, मंडी, कुल्लू, लाहौलस्पीति होते हुए जम्मू-कश्मीर में लेह तक जाता है। इसमें 25 रोड ओवरब्रिज, 22 रोड अंडरब्रिज/सबवे के अलावा 23 लेवल क्रासिंगों के प्रावधान के साथ सौ किलोमीटर की अधिकतम रफ्तार से ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव किया गया था। इस लाइन के लिए हिमाचल प्रदेश में 2700 हेक्टेयर जमीन तथा जम्मू व कश्मीर में 1249 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता आंकी गई थी। पूरी परियोजना में 240 किलोमीटर का हिस्सा सुरंगों से होकर जाएगा, जिसमें सबसे बड़ी सुरंग 17 किलोमीटर लंबी होगी। इसके अलावा इस पर 75 किलोमीटर कुल लंबाई वाले बड़े पुलों तथा तीन किलोमीटर कुल लंबाई वाले छोटी पुलियों की जरूरत पड़ेगी। यह पूरा ट्रैक इलेक्ट्रिक होगा।

अपनी खूबियों के कारण यह परियोजना विश्व में अनोखी परियोजना होगी। मसलन, यह विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ट्रैक में से एक होगा, जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 600 मीटर से लेकर 5300 मीटर तक होगी। यह शिवालिक, हिमालय तथा झंकार की विकराल पर्वत श्रृंखलाओं से होकर गुजरेगा। पूरी परियोजना सीस्मिक जोन 4 और 5 के बीच पड़ेगी, जिसमें कहीं ऊंचे पहाड़ होंगे तो कहीं टेढ़े-मेढ़े नदी-नाले और गहरी घाटियों का विस्तार होगा। भूभौगोलिक क्षेत्र के लिहाज से यह परियोजना ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल परियोजना से भी ज्यादा दुर्गम इलाकों से होकर गुजरेगी। इसीलिए इसके कार्यान्यवन के लिए आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का निर्णय लिया गया है। ताकि इसे सर्वाधिक कुशल, सुरक्षित और किफायती तरीके से पूरा किया जा सके। पहले चरण की जिम्मेदारी राइट्स को 2016 में सौंपी जा चुकी है और इसका कार्य प्रगति पर है। फाइनल लोकेशन सर्वे तीन चरणों में होगा और उम्मीद है कि यह मार्च 2019 तक पूरा हो जाएगा।

सबक लें टूरिस्ट: देखें, कैसे धर्मशाला के भागसूनाग नाले में फंस गए युवक

धर्मशाला।। बरसात का मौसम आ गया है और नदी-नाले उफान पर हैं। धर्मशाला के प्रसिद्ध भागसूनाग झरने पर एक हादसा होने से बच गया। बारिश के बाद हिमाचल में नदी-नाले अचानक उफान पर आ जाते हैं क्योंकि पता नहीं चलता कि पीछे कितनी बारिश हुई है। झरने के नीचे नहाना तो और खतरनाक है क्योंकि आपको पता नहीं चलता कि अचानक पानी आया या नहीं। ऐसा ही हुआ धर्मशाला में। फेसबुक पर शेयर हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि तीन युवक पानी की धार में फंसे हुए हैं और लोग उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे हैं। चीखने-चिल्लाने और महिलाओं के रोने की आवाज भी आ रही है।

इस वीडियो को भागसूनाग का वीडियो बताया जा रहा है। आसपास खड़े लोग टीशर्ट्स को बांधकर रस्सी सी बनाते हैं और काफी मशक्कत के बाद तीनों युवकों को बचाने मे ंकामयाब रहते हैं। नीचे वीडियो देखें:

अगर यह वाकई धर्मशाला का वीडियो है तो कहीं न कहीं स्थानीय प्रशासन की भी जवाबदेही बनती है कि यहां पर लोगों को आगाह करने के लिए कोई तैनात क्यों नहीं था। वैसे भी टूरिस्ट्स कई बार वॉर्निंग बोर्ड्स को इग्नोर करके नदी-नालों में फोटो खींचने उतर जाते हैं। कृपया समझदारी बरतें, रोमांच आपकी जिंदगी से बढ़कर है। प्रदेश में बरसात में तुरंत पानी उफनता है। अचनाक आई यह बाढ़, जिसे फ्लैश फ्लड कहते हैं, कुछ ही पलों में आपको अपनी चपेट में ले सकती है।

इस साल श्रीखंड महादेव की यात्रा पर जाना चाहते हैं तो यह जानकारी जुटा लें

हिंदी टैब, शिमला।। हिमाचल प्रदेश में है श्रीखंड महादेव। यहां की यात्रा कहना बेहद कठिन है। इतनी कठिन की बाबा बर्फानी यानी अमरनाथ यात्रा भी इसके आगे कुछ नहीं। श्रीखंड महादेव 18570 फीट ऊंचाई पर स्थित हैं। कुल्लू जिले में स्थित इस 72 फुट ऊंचे पवित्र शिवलिंग के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इस बार श्रीखंड महादेव यात्रा 15 से 30 जुलाई तक होने की उम्मीद है। जानिए कुछ बातें इसके बारे में, अगर आप भी जाना चाहते हैं:

श्रीखंड महादेव जाने का रास्ता हिमाचल प्रदेश के रामपुर बुशहर से होकर जाता है। याहं से निरमंड होते हुए आगे बागीपुल जाना होगा और फिर जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू करनी होगी। श्रीखंड महादेव स्थित विचित्र शिवलिंग रूपी पहाड़ की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रेक है जो खतरनाक है। इतना खतरनाक की आप घोड़ों औऱ खच्चरों की मदद भी नहीं ले सकते।

इस साल 25 जुलाई को श्रद्धालुओं का अंतिम जत्था भेजा जाएगा जो 30 जुलाई को लौटेगा।  यात्रा से पहले 6 जुलाई को निरमंड से पारंपरिक अंबिका माता की छड़ी श्रीखंड महादेव के दर्शन करेगी। इस बार अधिक बर्फ जमने के चलते यात्रा में दो रेस्क्यू दल श्रीखंड महादेव के रास्ते का पूरा मुआयना करेंगे। कुल्लू के डीसी यूनुस बताते हैं कि ये टीमें पहले रास्ते री जांच करेंगी और फिर रिपोर्ट देंगी। उसी के बाद यात्रा को आसान बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। संभव हुआ तो हवाई सेवा भी शुरू की जाएगी। ध्यान दें कि इस बार प्रति रजिस्ट्रेशन फीस 100 रुपये रखी गई है। यात्री पंजीकृत मेडिकल संस्थान से अपना स्वास्थ्य फिटनस सर्टिफिकेट ला सकते हैं, इसके बिना वे यात्रा में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।

बेस कैंप इस बात ये होने की संभावना है:
पार्वती बाग: इस अंतिम बेस कैंप में मनाली का रेस्क्यू दल, पुलिस और होमगार्ड के जवान रहेंगे।
थाचडू, भीमडवारी: इन कैंपों में डॉक्टर और पुलिस जवान मौजूद रहेंगे।
सिंघगाड: यहां श्रद्धालुओं का पंजीकरण और स्वास्थ्य जांच होगी

नाले में तब्दील हुई सड़क, 200 मीटर तक बह गई बच्ची

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, बिलासपुर।। स्वारघाट के कैंची मोड़ में भारी बारिश से सड़क पर आए पानी में आठ साल की बच्ची बह गई। उसे 200 मीटर दूर जाकर बचाया गया। मंगलवार दोपहर को गरामोड़ा के टेसा राम का परिवार नयनादेवी की तरफ कार में जा रहा था, लेकिन सड़क में पानी व मलबे की वजह से कार में सवार महिलाएं बच्ची के साथ सुरक्षित स्थान की ओर निकलने लगे। इस बीच बच्ची का हाथ छूटने से वह बह गई। (कवर इमेज सांकेतिक है)

स्थानीय लोगों ने जान हथेली पर रखकर बच्ची को सुरक्षित निकाला। पानी का बहाव इतना तेज था कि उसमें तीन कारें व एक बाइक भी बह गई। चट्टानें मलबे के साथ सड़क पर आ गईं। पुलिस सहायता कक्ष में करीब तीन फुट तक पानी भर गया। जवानों ने भागकर जान बचाई। इसके अलावा सड़क किनारे लगाए बैरिकेड्स भी बह गए। स्वारघाट-नयनादेवी मार्ग कैंची मोड़ के निकट पहाड़ी से भूस्खलन होने के कारण बाधित हो गया।

बरसात ने नयनादेवी के कैंची मोड़ से लेकर स्वाहण तक खूब तबाही मचाई। कैंची मोड़ के निकट कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन के तहत निर्माणाधीन सबसे बड़ी सुरंग की तरफ से आने वाला पानी छोटी पुलिया बंद होने की वजह से सड़क पर आ गया। सुरंग निर्माण कर रही साइमन कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बरसात में पानी को रोकने के पुख्ता इंतजाम नहीं किए। निकासी नालियों सहित पुलियों को बंद कर दिया है।

एमबीएम न्यूज नेटवर्क का फेसबुक पेज लाइक करें

समाजसेवी गुरपाल सिंह राणा व अन्य ने बचाव कार्य में मदद की। एनएच पर पुलाचड़ के निकट पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण मार्ग बंद हो गया। दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लगी रही। लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों ने मार्ग बहाल करवाया। स्वाहण में भी लोगों के घरों के अंदर पानी आ गया।

मिसाल पेश करने वाले प्रशासनिक अधिकारी- तरुण श्रीधर और संदीप कदम

मंडी।। इन दिनों मंडी के डीसी संदीप कदम चर्चा में हैं। युवा और तेज-तर्रार प्रशासनिक अधिकारी संदीप कदम ने दरअसल 20 किलोमीटर पैदल यात्रा की और जनता की समस्याएं सुनी और विभिन्न विभागों के कार्यों का मुआयना करके जरूरी निर्देश भी दिए। एक अधिकारी का यह कदम वाकई उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा देता है जो दूर-दराज के इलाकों में जाने से बचते हैं। इसी तरह एक वक्त मंडी के डीसी रहे एक और अधिकारी आज के डीसी संदीप कदम से भी ज्यादा लंबी दूरी तय करके इसी तरह से जनहित में समर्पण कि मिसाल कायम कर चुके हैं। आज वह हिमाचल प्रदेश सरकार में अडिशनल चीफ सेक्रेटरी हैं और उनका नाम है तरुण श्रीधर।

84 बैच के आईएएस ऑफिसर 1993 में मंडी की चौहार घाटी में न सिर्फ पैदल गए थे बल्कि वहां दो दिन रुके थे। फेसबुक पर विनोद राणा नाम के शख्स उस दौर को याद करते हुए लिखते हैं- संदीप कदम मंडी जिला में दुर्गम क्षेत्र में 16 किलोमीटर पैदल चल कर लोगों की समसयांए सुने वाले दूसरे डीसी है । इससे पहले 7 जुलाई 1993 को उपायुक्त तरुण श्रीधर चौहार घाटी के स्वाड़ गॉव में बादल फटने से जब 16 इंसानी जिंदगी उस हादसे में शिकार हुई थी उस दौरान तरुणश्रीधर मंडी से पधर तक गाड़ी में आये हुए थे और उसके बाद सभी जानते हैं कि पधर से चौहार घाटी के स्वाड़ गाँव तक पैदल पहुंच कर पुरे दो दिन उनके साथ सैनिकों की तरह काम किया।

राणा आगे लिखते हैं- यहां तक कि जब स्वाड़ खड्ड में आये हुए पानी को इधर उधर पास करना स्थानीय लोगों को मुश्किल हो रहा था तत्कालीन उपयुक्त तरुण श्रीधर ने दूसरी जगह से आये हुए मंददगारों के साथ बड़े बड़े कटे हुए हरे 50 से 70 फुट के हरे पेड़ों को अपने कंधों का सहारा देकर वहा के पीड़ितों का हौंसला बढ़ा कर जीवन की उस जंग को फिर से आगे बढ़ने के लिए भरपूर हौंसला दिया आज भी चौहार घाटी के लोग मंडी के तत्कालिन उपयुक्त तरुणश्रीधरं को याद करते हैं कि द्रंग के विधायक ठाकुर कौल सिंह के साथ एक डीसी जिनका नाम तरुणश्रीधर है।

गौरतलब है कि मंडी के दूर-दराज के इलाकों के लोग आज भी तरुण श्रीधर को याद करते हैं। मौजूदा डीसी संदीप कदम भी कई अच्छे कदमों के लिए लोकप्रिय हैं। हाल ही में उन्होंने करसोग और सराज विधानसभा क्षेत्र की करीब आधा दर्जन दुर्गम पंचायतों का पैदल दौरा किया। उन्होंने ग्राम माहूंनाग, सरतौला, परलोग, बिन्दला, कांढा, सराहन, छत्तरी, गटु, झरेड़, बगड़ाथाच और खोली पंचायतों तक पैदल यात्रा करके लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं का निपटारा किया।

हिमाचल प्रदेश की गायिका दीक्षा ने पोस्ट किया ‘अफीमी’ गाने का कवर

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश से संबंध रखने वाली गायिका दीक्षा ने ‘अफीमी’ गाने का कवर वीडियो पोस्ट किया है। गौरतलब है कि दीक्षा बचपन से ही कई सिगिंग शोज़ और टीवी प्रोग्राम्स में अपना जलवा बिखेर चुकी हैं। वह प्रदेश और देश के कई हिस्सों में होने वाले इवेंट्स में भी अपनी मखमली आवाज से समां बांध चुकी हैं। आपको बता दें कि दीक्षा हिमाचल प्रदेश के जाने-माने लोकगायक पीयूष राज की बेटी हैं। पीयूष राज पहाड़ी से लेकर हिंदी गानों और गजलों तक को अपने स्वर दे चुके हैं। वह प्रफेसर भी हैं।

दीक्षा इंडियन आइडल 6 में भी नजर आई थीं। उनका Deeksha Toor नाम से फेसबुक पेज भी है, जिस पर उन्होंने ‘अफीमी’ गाने के कवर का वीडियो पोस्ट किया है। बहरहाल, आप खुद देखें और सुनें, कैसा है यह वीडियो:

दीक्षा ने कुछ और गाने भी गाए हैं जो उनके यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर सुने जा सकते हैं। साफ है कि वह अपने पिता की ही तरह गायन में रुचि रखती हैं और उसी के लिए समर्पित हैं। पीयूष राज हिमाचल के लोकगीतों को अच्छे ढंग से पेश करते रहे हैं। उनके गाने भी यूट्यूब पर उपलब्ध हैं जिनमें भावा रूपिए, रुत संगडोणी, साएं-साएं मत कर राविए, धारा रेया जोगिया और बंजारा आदि शामिल हैं। इन सभी गानों को ‘बंजारा’ अलबम के तहत लॉन्च किया गया है। उनके गाने आप यूट्यूब पर जाकर Piyush Raj सर्च करके सुन सकते हैं।

खंडहरों में तब्दील हो रहे हैं कांगड़ा के धार और धंगड़ गांवों के मकान

इन हिमाचल डेस्क।। आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के कुछ ऐसे गांवों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके आसपास के सारे गांव विकास की डोर से जुड़ चुके हैं मगर इन गांवों का नसीब अभी तक नहीं फिरा है। प्रदेश के कांगड़ा जिले के इन गांवों के लोग आज भी अंग्रेजों को याद करते हैं। इसलिए, क्योंकि यहां पर यातायात का साधन वह रेलगाड़ी है, जो अंग्रेजों के जमाने में बनी थी। इन गांवों को सड़क तक नसीब नहीं हो पाई है। जब शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क न हो तो मुश्किल होना लाजिमी है। ऐसा ही हुआ धार और दंगड़ नाम के इन गांवों के साथ और यहां की पीढ़ी बेहतर भविष्य के लिए पलायन कर रही है। गांव में आपको ज्यादातर बुजुर्ग लोग ही मिलेंगे।

बरसात आने वाली है और इस गांव के लोगों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। दरअसल बरसात में यहां पर भूस्खलन होता रहता है। कई बार तो रेलगाड़ी भी कई हफ्तों तक बंद हो जाती है। फिर उस दौरान धार-धंगड़ में रहने वाले करीब 2 हजार लोगों के लिए वक्त बिताना सजा जैसा हो जाता है। धार-धंगड़ गांव कांगड़ा के देहरा उपमंडल में आते हैं। आलम यह है कि लोग इन गांवों को खुद ही कालापानी कहकर पुकारते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नजदीकी दुकान से दूध लाना हो तो 6 किलोमीटर पैदल चलना होता है। राशन के लिए 10 किलोमीटर की दूरी तय करके चंदुआ जाना पड़ता है। इन गांवों में तीन दुकानें तो हैं मगर उनके लिए भी सामान रानीताल से ट्रेन के जरिए लाना पड़ता है। बीमारों को चारपाई पर उठाकर करीब 10 किलोमीटर दूर सपड़ यू मसूर PHC ले जाना पड़ता है। या फिर सीधे नगरोटा सूरियां या टांडा मेडिकल कॉलेज का रुख करना पड़ता है। लोग तो कहते हैं कि पिछले 10 सालों में करीब डेढ़ दर्जन लोगों की मौत इसीलिए हो गई क्योंकि उन्हें वक्त पर इलाज नहीं मिल पाया।

खाली मकान अब खंडहरों में तब्दील होने लगे हैं (Image: Courtesy: Amar Ujala)

यहां रहन वालों के साथ समस्या यह है कि कोई अपनी बेटी की शादी इन गांवों के युवकों के साथ करने के लिए तैयार नहीं है। लोग कहते हैं कि कोई अपनी बेटी की शादी कर भई दे तो मायके वाले ताने देते हैं कि पहले पता होता तो शादी भी न करते। लोगों को मलाल इस बात का है कि वे वोट देने के लिए 5 किलोमीटर पैदल चलकर धंगड़ गांव के पोलिंग बूथ पहुंचते हैं, फिर भी उनकी कोई कद्र नहीं। लोग नाराज हैं और विधानसभा चुनावों तक का बहिष्कार करने की बात करते हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि प्लस 1 और प्लस 2 के एग्जाम देने के लिए भी बच्चों को 10-12 किलोमीटर दूर हरिपुर जाना पड़ता है। ग्रामीण कहते हैं कि युवा पीढ़ी तो अपने बेहतर भविष्य के लिए गांव छोड़कर शहरों में जा रही है मगर बुजुर्ग यहां से जाना नहीं चाहते। अगर बच्चे बाहर सेटल होकर अपने मां-बाप को साथ ले जाना चाहें तो जन्मभूमि के लगाव की वजह से बुजुर्ग लोग जाने को तैयार नहीं होते।

पीछे दिख रहे खंडहर किसी दौर में आबाद थे। (Image Courtesy: Amar Ujala)

अच्छी बात यह है कि इस साल फरवरी में हिंदी अखबार अमर उजाला की टीम रेल के माध्यम से इस गांव में गई थी। अखबार ने लोगों से बात करते उनकी समस्या को न सिर्फ सबके सामने रखा, नेताओं से भी बात की। उस वक्त सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा था कि मैं लोगों का दर्द समझता हूं मगर फॉरेस्ट रिजर्व लैंड होने से सड़क नहीं बनी है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार केंद्र को प्रस्ताव बनाकर भेजे कि जो गांव फॉरेस्ट रिजर्व लैंड में आते हैं, वहां सड़क बनाने को फॉरेस्ट क्लीयरेंस को वन टाइम रिलेक्सेशन दी जाए तो धार धंगड़ ही नहीं हिमाचल के कई ऐसे गांवों में सड़क बन सकती है। साथ ही इस इलाके के विधायक रविंद्र सिंह रवि ने कहा था कि इस गांव को नैशनल हाइवे दिया है। उनका कहना था कि मेरे विधायक बनने के बाद गांव से पलायन रुका है। उन्होंने विप्लव परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि पलायन को लेकर सवाल उस परिवार से पूछे जाने चाहिए जिसने यहां 50 साल तक राज किया है।