लेह को हिमाचल होते हुए रेलवे ट्रैक से जोड़ने के लिए सर्वे शुरू

हिंदी टैब, शिमला।। चीन लगातार भारत पर सेना को पीछे हटाने के लिए दबाव बना रहा है। यह पहला मामला नहीं है जब चीन ऐसे धौंस दिखाने की कोशिश कर रहा हो। अक्सर वह ऐसा करता रहता है। मगर भारत सरकार ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के मकसद से उसके साथ लगती सीमा पर अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने पर जोर दिया है। इसीलिए लेह तक रेल पहुंचाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। लद्दाख तक ट्रेन पहुंचाने के लिए हिमाचल प्रदेश का रूट पकड़ा जाएगा। बिलासपुर से मनाली होते हुए जम्मू-कश्मीर के लेह तक ब्रॉड गेज लाइन बिछाने के फाइनल लोकेशन सर्वे को मंजूरी दे दी गई है।

लेह रेलवे 498 किलोमीटर लंबा होगा और अनुमान है कि इस पर 22,832 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। बिलासपुर-लेह रेलवे लाइन का पहला सर्वे 2008-09 में कागजों एलाइनमेंट का निर्धारण कर किया गया। यह हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर, मंडी, कुल्लू, लाहौलस्पीति होते हुए जम्मू-कश्मीर में लेह तक जाता है। इसमें 25 रोड ओवरब्रिज, 22 रोड अंडरब्रिज/सबवे के अलावा 23 लेवल क्रासिंगों के प्रावधान के साथ सौ किलोमीटर की अधिकतम रफ्तार से ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव किया गया था। इस लाइन के लिए हिमाचल प्रदेश में 2700 हेक्टेयर जमीन तथा जम्मू व कश्मीर में 1249 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता आंकी गई थी। पूरी परियोजना में 240 किलोमीटर का हिस्सा सुरंगों से होकर जाएगा, जिसमें सबसे बड़ी सुरंग 17 किलोमीटर लंबी होगी। इसके अलावा इस पर 75 किलोमीटर कुल लंबाई वाले बड़े पुलों तथा तीन किलोमीटर कुल लंबाई वाले छोटी पुलियों की जरूरत पड़ेगी। यह पूरा ट्रैक इलेक्ट्रिक होगा।

अपनी खूबियों के कारण यह परियोजना विश्व में अनोखी परियोजना होगी। मसलन, यह विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ट्रैक में से एक होगा, जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 600 मीटर से लेकर 5300 मीटर तक होगी। यह शिवालिक, हिमालय तथा झंकार की विकराल पर्वत श्रृंखलाओं से होकर गुजरेगा। पूरी परियोजना सीस्मिक जोन 4 और 5 के बीच पड़ेगी, जिसमें कहीं ऊंचे पहाड़ होंगे तो कहीं टेढ़े-मेढ़े नदी-नाले और गहरी घाटियों का विस्तार होगा। भूभौगोलिक क्षेत्र के लिहाज से यह परियोजना ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल परियोजना से भी ज्यादा दुर्गम इलाकों से होकर गुजरेगी। इसीलिए इसके कार्यान्यवन के लिए आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का निर्णय लिया गया है। ताकि इसे सर्वाधिक कुशल, सुरक्षित और किफायती तरीके से पूरा किया जा सके। पहले चरण की जिम्मेदारी राइट्स को 2016 में सौंपी जा चुकी है और इसका कार्य प्रगति पर है। फाइनल लोकेशन सर्वे तीन चरणों में होगा और उम्मीद है कि यह मार्च 2019 तक पूरा हो जाएगा।

SHARE