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Sunday, September 14, 2025
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लेख: धर्मशाला में पाकिस्तान के साथ मैच का विरोध होना चाहिए

आई.एस. ठाकुर।।
 
A Wednesday मूवी में नसीरुद्दीन शाह का डायलॉग है- हम भारतीयों की याद्दाश्त बहुत कमजोर है। हमें बहुत जल्दी चीज़ों की आदत हो जाती है। एकदम सटीक डायलॉग है। हम भारतीयों को याद नहीं रहता कि कब-कब कहां पर आतंकी हमला हुआ, कितने जवान शहीद हुए, कितने परिवार उजड़े। हमें आदत हो गई अक्सर ऐसी खबरें पढ़ने-सुनने की कि फ्लां जगह पर आतंकी हमला, इतने जवान शहीद। अगले दिन से फिर लग जाते हैं इधर-उधर के कामों में।
शहादत शब्द ऐसा है, जो गर्व का चोला ओढ़ाकर मौत की विभीषिका को छिपा देता है। लोग शहीद जवानों की तस्वीरों को लाइक करते हैं, शेयर करते हैं और कॉमेंट करते हैं कि शहादत पर गर्व है, RIP, अमर रहें, भारत माता की जय और फिर अगली ही पोस्ट में होठों की आकृतियां बनाकर तुरंत सेल्फी पोस्ट कर देते हैं। झूठी देशभक्ति और झूठी संवेदनाएं दिखाती हैं कि हम कितने मतलबी हो गए हैं।
जाहिर है, पिछले समय से लगातार हो रहे हमलों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप ज्यादा चला रहता है। लोग पूछते हैं कि कहां गया 56 इंच का सीना, तो कुछ लोग कहते हैं कि पाकिस्तान को उचित वक्त पर जवाब दिया जाएगा। कुछ लोग कहते हैं कि प्रधानमंत्री अच्छी पहल कर रहे हैं पाकिस्तान से करीबियां बढ़ाकर तो कोई आलोचना करता है कि यह क्या नौटंकी है। इन सब बातों का सच कहूं तो कोई मतलब नहीं है। राजनीति से प्रेरित बातें हैं और बेहद छिछली हैं। एक-दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे रहने वाले लोग ऐसे मौकों पर भी कीचड़ उछालने में व्यस्त रहते हैं। अरे भैया, देश पर हमला हुआ है, एकजुटता दिखाइए। मगर नहीं, ऐसा मौका फिर कहां मिलेगा।
मैं उन लोगों में नहीं हूं जो पाकिस्तान को उड़ा देने की सोच रखता हूं। उनमें भी नहीं जो मानते हैं कि पाकिस्तान से कोई रिश्ता कोई बात नहीं होनी चाहिए। मैं हमेशा से चाहता हूं कि इस मुल्क के साथ अच्छे रिश्ते हों ताकि हम शांति से तरक्की की राह पर बढ़ें। पड़ोसी चिल्ल-पौं करता हो तो घर का माहौल ठीक नहीं रहता। वह भी तब, जब पड़ोसी के घर में पड़ी गंदगी की बदबू आपके घर तक आने लगे। पहले वहां से मक्खियां उड़कर आएंगी, फिर चूहे, कीड़े और न जाने-जाने क्या-क्या परजीवी आपके घर पर डेरा जमा लेंगे। जो गत आपके पड़ोसी की होगी, उससे बुरी आपकी होगी।
इन हालात में क्या किया जाए? क्या पाकिस्तान से बात की जाए? क्या पाकिस्तान को समझाया जाए? क्या उसके आगे गिड़गिड़ाया जाए? क्या उसके साथ युद्ध कर लिया जाए? इन सबका कोई फायदा नहीं है। पाकिस्तान को समझना होता तो समझ चुका होता। युद्ध भी हल नहीं है। नुकसान अपना भी होगा। कहावत भी है- मंगणा पिच्छे खिंदा नी फुकदे यानी खटमलों के चक्कर में खिंद (रजाई) नहीं जलाई जाती। तो क्या किया जाए?
पाकिस्तान अक्सर कहता है कि वह खुद आतंकवाद से जूझ रहा है, लिहाजा उसके ऊपर आरोप न लगाए जाएं। वह कहता है कि हमारे यहां हम किसी आतंकी को भारत नहीं भेजते, कुछ संगठन जो भारत विरोधी सोच रखते हैं, वे हमारे भी खिलाफ हैं और हम उनके खिलाफ कार्रवाई करते हैं। पाकिस्तानकी ये बातें पहली नजर बड़ी दर्द भरी लगती हैं। मगर जब भारत कहता है कि जनाब आपकी बात सही है, आप बस हमें अपने यहां जांच का मौका दे दो।
यह कहना होता है कि पाकिस्तान के सुर बदल जाते हैं। वह तुरंत आरोप लगाने लगता है। कहता है कि भारत हमारे बलूचिस्तान में अशांति फैला रहा है। फ्लां कर रहा है, ढिमाका कर रहा है। वह कश्मीर का राग आलापने लगता है और मुद्दा वहीं खत्म। पाकिस्तान के इरादों का यहीं से पता चल जाता है। अगर वह कुछ करने की इच्छा रखता तो सहयोग दिखाता। ऐसे में इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
यह कार्रवाई कैसे हो? पाकिस्तान को बॉयकॉट किया जाए। खेल को यूं तो राजनीति व कूटनीति से अलग रखा जाता है, मगर इसे अलग न रखा जाए। क्रिकेट क्या, कोई भी खेल पाकिस्तान के साथ न हो। अन्य सारी गतिविधियां तब तक होल्ड पर डाली जाएं, जब तक पाकिस्तान को इसका नुकसान न हो। जब पाकिस्तान के खिलाड़ी, लोग औऱ जनता खुद अपनी सरकार को कोसने लगें। वे खुद अपनी हुकूमत पर प्रेशर डालें। क्योंकि वे लोग ही अपने मुल्क तो सुधार पाएंगे, वरना ऊपर वाला भी पाकिस्तान को समझा पाने में नाकाम रहेगा।
शुरुआत होनी चाहिए धर्मशाला में होने जा रहे क्रिकेट मैच से। हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला कोई असली वाली धर्मशाला नहीं है कि कोई भी उठकर चला आए। अपनी निजी हितों के लिए कुछ लोग देश की पूरी रणनीति को कमजोर कर रहे हैं। क्रिकेट मैच से पैसा बनाने के चक्कर के साथ-साथ हिमाचल की जनता को तुष्ट करके राजनीति करना चाहते हैं। ऐसे लोगों के इरादों को तुरंत समझा जाना चाहिए। हिमाचल प्रदेश के लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धर्मशाला में पाकिस्तान के साथ मैच न हो पाए। इसके लिए शांतिपूर्ण तरीके से सोशल मीडिया और प्रदेश में प्रदर्शन करना चाहिए, ताकि बीसीसीआई अपने कदम पीछे हटा ले।
जिन लोगों ने धर्मशाला को धर्मशाला बना रखा है, उन्हें सबक सिखाया जाना चाहिेए। बाकी अगर किसी को अब भी लगता हो कि खेल अलग रखना चाहिए और धर्मशाला में मैच हो, तो उसकी अपनी इच्छा। कृपया वह कॉमेंट करके बताए कि ऐसा क्यों होना चाहिए।

(लेखक आयरलैंड में रहते हैं और ‘इन हिमाचल’ के नियमित स्तंभकार हैं। उनसे kalamkasipahi@gmail.com से संपर्क किया जा सकता है।)

सिर्फ पंचायत चुनावों में ही क्यों दिखती है स्वयंभू समाजसेवकों की फ़ौज : आशीष नड्डा

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  • आशीष नड्डा 
पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों की अपील पढ़कर लगता है,  समाजसेवकों की एक नयी ब्रीड गावं गावं में पैदा हो गयी है।
समाज सेवा और गावं के लिए कुछ करने की बात चली तो मुझे अपने बचपन स्कूल समय का दौर याद आया। जब हमारे गावं के एक बुजुर्ग ( स्वर्गीय श्री जगदीश राम ) जिन्हे सब मनाली वाले चच्चा दादा आदि के नाम से जानते थे क्योंकि मनाली  उनका कार्य- क्षेत्र रहा वहां के मुख्या बाजार में जिनका घर बार है।
उन्होंने कुछ ऐसा किया जो मुझे आजतक याद है।  एक दिन वो गावं आये अपना  फावड़ा और खुदाई का सामान उठाया और गावं के एक  पैदल रास्ते को पक्का करने के लिए चल पड़े।
खड्ड ( नदी) से निकालकर पत्थर लाते और उन्हें रास्ते में लगाते दिसंबर की ठण्ड। दिन की खिली धूम और हम सब बच्चों को स्कूल की  7  दिन की छुट्टियां। चाचा को यह करते देख अगले दिन सारी बाल सेना ( हम सब बच्चे) उनके साथ हो लिए और  उनके  नेर्तित्व  करने लगे।  हम लोग खड्ड से अच्छे अच्छे छांट कर लाते कोई खुदाई करता कोई कुछ करता और वो हमारे लाए हुए पत्थरों को  तरीके से रास्ते में सेट करते।
लंच करने सब घर आते फिर दुबारा जाते। देखते ही देखते इस कार्य में पूरा गावं जुट गया और रविवार की छुट्टी के दिन कर्मचारी लोग भी  इस कार्य में जुट जाते।
किसी घर से सबके लिए स्वेच्छा से चाय आ जाती। हम बच्चों को भी छुट्टियों  में एक काम मिल गया। देखते ही देखते श्रम दान और उनकी जिमेवारी लेने के कारण रास्ता पक्का हो गया। इस तरह हम सब लोगों ने मिलकर गावं के कई रास्तों का निर्माण कर दिया।
गावं के महिलामण्डल के भवन जिसकी बरसों पहले नीवं पड़ी थी परन्तु कोई कार्य बजट और जिम्मेदारी लेने वाले के अभाव में नहीं हो पा रहा था।  उसके आसपास ईंटों का ढेर था,  नीवं पर झड़िया उग आई थी। जंगल बन गया था।   लोग उधर जाने से डरने लगे थे। एक दिन चाचा के नेर्तित्व  में बाल सेना ने बीड़ा उठाया घर से सामान लाकर सब झाड़ियों को काटकर , जगह को साफ़ किया ईंटों को करीने से सजाया। और कुछ सरकारी बजट एवं श्रमदान से महिला मंडल का निर्माण कर दिया जो आज गावं में तीन कमरों का दो मंजिला सामुदायिक भवन हैं।
15 वर्ष पहले तैयार किया गया महिला मंडल का भवन ( जिसका लेखक ने ज़िक्र किया है)
हमें ख़ुशी है उस दौर में हमारे लिए यह कार्य करना भी खेल कूद का हिस्सा थे। हैरानी है की जो पक्के रास्ते पंचायत ने बनवाए वो 3 वर्ष बाद उखड गए पर मनाली वाले चाचा के नेर्तित्व में हम लोगों के बनाये हुए रास्ते 15 साल बाद भी अडिग हैं।
आज समाज सेवकों को एक बाढ़ चुनाव में आई है,  जिनका मानना है जीत कर आने के बाद वो दुनिया बदल देंगे। परन्तु इतिहास गवाह है जीतने वाले से तो उम्मीद कम ही है खैर परन्तु हार के साथ बाकियों का समाजसेवा का भूत भी उत्तर जाता है।
समाज सेवा के लिए क्या पंचयात चुनाव जीत कर आना ही क्राइटेरिया है। इस से पहले चुनाव में लड़ने वाले लोगों की जीवन में क्या भूमिका रही इस क्षेत्र में वो भी देखना जरुरी है। विकास के नये आयाम स्थापित करने से लेकर। पंचायत को आदर्श बनाने के ढकोसलों से लेकर जनसेवा आदि इत्यादि कर देंगे टाइप शब्दों ने दिमाग खराब कर दिया है। ये शब्द  ऐसे लोगों द्वारा  भी प्रयोग किये जा रहे हैं जिन्होंने समाजसेवा के नाम पर कहीं ईंट तक नहीं उठायी हो। जो ग्राम पंचयात के मासिक कोरम में कभी नहीं पहुंचे हों। अब कहते हैं ये कर देंगे वो कर देंगे।
मनुवादी पीढ़ी से तो मुझे कोई आशा नहीं पर सोशल मीडिया पर विदेश नीति से लेकर , देश के हर घटनाक्रम पर एक्सपर्ट की तरह त्वरित टीपणी करने वाली युवा हिमाचली फ़ौज से मैं कम से कम यह आशा करता हूँ की उनका वोट जाती पाती क्षेत्रवाद भाई भतीजा वाद से हटकर होगा।  हालाँकि हिमाचल प्रदेश का पंचायत चुनाव इसी में काफी हद तक जकड़ा हुआ है।
आशीष नड्डा

लेखक आई आई टी दिल्ली में रिसर्च स्कॉलर हैं और प्रादेशिक मुद्दों पर लिखते रहते हैं इनसे aashishnadda@gmail.com पर संपर्क साधा जा सकता है। 

प्रदेश के पर्यटन स्थलों में चलेंगी बाइक टैक्सी : बेरोजगार युवकों को मिलंगे लाइसेंस

 
हिमाचल प्रदेश घूमने आने वाले पर्यटकों को सुविधा और स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के लिए  परिवहन मंत्रालय ने एक अहम फैसला लिया है। प्रदेश की वादियों में आने वाले पर्यटक अब ‘बाइक टैक्सी’ सुविधा इस्तेमाल कर सकेंगे।
परिवहन मंत्री जी एस बाली ने इस बाबत कहा की कई बार भीड़-भाड़ वाली जगहों पर घूमने में पर्यटकों को दिक्कत होती है, क्योंकि वहां बड़ी गाड़ियां नहीं जा पातीं। ऐसे में वे ‘टू-वीलर टैक्सी’ की मदद से उन जगहों पर बेफिक्र होकर घूम सकते हैं। अकेले घूमने आने वाले पर्यटकों को भी इससे लाभ मिलेगा, क्योंकि उन्हें टैक्सी या कैब का खर्च नहीं उठाना होगा।
 
 
थाईलैंड में बाइक टैक्सी पर सवार महिला
परिवहन मंत्री के अनुसार इस फैसले से न सिर्फ स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि पर्यटन स्थलों पर पड़ रहा ट्रैफिक का भार भी कम होगा। पायलट प्रॉजेक्ट के तहत शुरू में शिमला, मनाली, धर्मशाला और डलहौजी में यह सर्विस शुरू की जाएगी। बाकायदा ट्रेनिंग के बाद ‘बाइक टैक्सी’ का लाइसेंस देने की भी योजना है। बाइक टैक्सी के लिए इन सिटी में बाकायदा अलग से टैक्सी स्टैंड चिन्हित होंगे।  
 
गौरतलब है की विदेशों के साथ साथ भारत में भी गोवा , कोच्चि ,बेंगलोर आदि स्थानों पर यह सुविधा मौजूद है।  

सामने जल रहे थे कार्यकर्ता : मंच से नेता करते रहे नारेबाजी

इन हिमाचल डेस्क।

शिमला में प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी का पुतला जलाए जाने के दौरान भड़की आग में दो पुरुष  कांग्रेस कार्यकर्ता एवं 3 महिलायें झुलस गई हैं।  प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस कार्यकर्ता मनोज अधिकारी के हाथ बुरी तरह आग की चपेट में आ गए थे उन्हें जल्दी से आई  जी एम सी भेजा गया।  हैरानी की बात यह है की आग की लपटों में कांग्रेसी कार्यकर्ता झुलसते रहे और इधर उधर भागकर  आग बुझाने की कोशिश करते रहे उसी दौरान कांग्रेस के तीन युवा तुर्क नेता प्रदेश अध्य्क्ष सुखविंदर सिंह सुक्खु , सी पी एस राजेश धर्माणी एवं रोहित ठाकुर यह सब नजारा देखते हुए भी नारेबाजी करते रहे और एक कदम भी लोगों को बचाने के लिए आगे नहीं बढे।  माना जा रहा है की उनके इस तरह के रवैया के कारण पार्टी कार्यकर्ता काफी रोष में हैं।
आग की चपेट में कांग्रेस कार्यकर्त्ता
यहाँ तक जब सुक्खु मीडिया से मुखातिब होने लगे तब किसी कार्यकर्ता ने कह दिया मीडिया से बाद में बात कर लें पहले आई जी एम सी फोन कर लिया जाए तो बेहतर होगा। जिलाधीश शिमला दिनेश मल्होत्रा ने कहा की उन्हें प्रदर्शन की अनुमति के बारे में मालूम नहीं है श्याद एस डी एम से परमिशन ली गयी हो।  वहीँ पुलिस आयुक्त भजन नेगी का कहना है की पुतला जलाना गैरकानूनी है और इस बारे में मामला दर्ज किया जाएगा।

क्या कौशल विकास निगम के लिए विक्रमादित्य सिंह से अच्छा विकल्प नहीं मिला?

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  • आई.एस. ठाकुर।।
ये विक्रमादित्य सिंह है कौन? इसकी क्या उपलब्धि है? कोई कलाकार है या कोई साइंटिस्ट? कोई लेखक है या कोई हुनरमंद मजदूर? कोई अधिकारी है या बिजनसमैन? इस युवक ने ऐसा क्या किया है जिससे लोग प्रेरित हो सकें? इसने कहीं पर काम किया है जो यह जान सके कि कैसे किसी के लिए कुछ किया जा सकता है?
अगर इन सब सवालों का जवाब कुछ है तो कृपया कॉमेंट में बताएं। मगर मुझे तो इनका जवाब नहीं मिला। मेरे लिए विक्रमादित्य सिंह दरअसल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के बेटे से बढ़कर कुछ नहीं है। जो लोग कहेंगे कि वह हिमाचल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, तो मैं उन्हें यही कहूंगा कि वह इस पद पर इसीलिए हैं क्योंकि वह वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। इसके अलावा उन जनाब ने कोई तीर नहीं मारा जो इस पद के काबिल हैं वह। यही बात मैं अनुराग ठाकुर के लिए कहता रहा हूं, जो अपने पिता के नाम और काम की बदौलत राजनीति और क्रिकेट में आगे बढ़े थे।
पिता वीरभद्र को मिठाई खिलाते विक्रमादित्य (Outlook.com)
खैर, मैं तीखे शब्दों में यह लेख लिखने को मजबूर हूं, क्योंकि मैंने कुछ दिन पहले एक खबर पढ़ी। खबर में लिखा है- हिमाचल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह कौशल विकास निगम के निदेशक होंगे। निदेशक या डायरेक्टर; यानी वह इस निगम की कार्यकारी जिम्मेदारी संभालेंगे। मगर मैं यह सोचकर हैरान हूं कि एक ऐसा शख्स, जिसकी अपनी कुशलता और योग्यता का किसी को पता नहीं, वह इस पद पर क्या करेगा? क्या प्रदेश में लायक लोगों की कमी हो गई है?
मुझे विक्रमादित्य से कोई रंजिश या शिकवा नहीं है। मेरी शिकायत मौजूदा सिस्टम और राजनीति के स्तर से है। यह पदों के चेयरमैन, डायरेक्टर बनाने की परंपरा बंद होनी चाहिए। हर सरकार हारे अपनी पार्टी के हारे हुए चहेतों या अपने चमचों को इन पदों पर बिठा देती हैं। इन लोगों को मोटी तनख्वाह दी जाती है, जो कि जनता की गाढ़ी कमाई से जाती है। ये लोग करते कुछ नहीं, बस गाड़ियों में घूमते हैं, पार्टी का काम करते हैं और मौज काटते रहते हैं।
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बेहतर होता अगर कौशल विकास निगम के निदेशक के पद पर किसी ऐसे शख्स को बिठाया जाता, जो अपनी फील्ड में सफल हो। जो कम से कम 10 साल का तो अनुभव रखता ही हो किसी फील्ड में। जो इस फील्ड से जुड़ी बातों की समझ रखता हो। जिसकी कोई अच्छी क्वॉलिफिकेशन ही नहीं, अच्छी पहचान और इज्जत भी हो। और फिर उस शख्स को खुला हाथ दिया जाना चाहिए, ताकि वह कुछ क्रिएटिव कर सके। क्या कोई अच्छी राजनीति शुरू नहीं कर सकता?

पढ़ें: य दिख रहा है दो नावों पर सवार अनुराग ठाकुर का डूबना

वरना बनाते रहो निगमों पर निगम, अपने बेटों और चहेतों को सेट करते रहो। आज तक यही होता आया है और आगे भी होगा। प्रदेश की जनता राजा की जय, टीका जी की जय, धूमल जी की जय, ठाकुर साहब जिंदाबाद करती रहेगी। पढ़ा-लिखा तबका यही सोचकर अलग रहेगा कि छोड़ो, हमें क्या। और घटिया, नाकाबिल और वाहियात लोग प्रदेश और देश का बंटाधार करते रहेंगे।

(लेखक आयरलैंड में रहते हैं और ‘इन हिमाचल’ के नियमित स्तंभकार हैं। उनसे kalamkasipahi@gmail.com से संपर्क किया जा सकता है।)

‘राम के स्वरूप’ या खुद ‘राम’, कौन संभालेगा बीजेपी की कमान?

इन हिमाचल डेस्क 
बढ़ती सर्दी और राजनितिक गर्मी के मिले जुले मौसम में हिमाचली नेताओं की दिल्ली टूरिंग शबाब पर है।  एक पार्टी प्रेजिडेंट हाउस जाती है तो मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी बेचारगी प्रस्तुत करते हैं।  न्यायलयों में चल रहे मामलों का राजनीति के अखाड़ों में हो रहा यह मल्ल युद्ध अपने आप में भारतीय न्याय वयस्था पर प्रश्नचिन्न लगाता है।  खैर मुद्दे की बात यह है की की बी जे पी नेताओं की जो टोली दिल्ली गयी थी उसमे सांसदों के अलावा पार्टी अध्य्क्ष पद के सभी संभावित चेहरे शामिल थे।  रणधीर शर्मा , राजीव बिंदल , जय राम ठाकुर और पंडित रामस्वरूप हालाँकि कांगड़ा से विपिन परमार क्यों नहीं आये इस पर संशय हो रहा है।  अटकलें लगायी जा रहीं है की  एंटी धूमल खेमा विपिन परमार को भी भरोसेमंद नहीं समझता है।
धूमल खेमे की जहाँ पूरी कोशिश है की रणधीर शर्मा के सर ये  ताज सजे वहीँ।  एंटी धूमल खेमा जय राम ठाकुर में अपने समीकरण देख रहा है।  केंद्र में बैठे एक नेता के हनुमान कहलाने वाले जयराम ठाकुर को कांगड़ा के बुजुर्ग नेता का भी पूरा समर्थन हासिल है।  जय राम ठाकुर पहले भी प्रदेश बी जे पी के अध्य्क्ष रह चुके हैं और जिला मंडी से आते हैं।  कांगड़ा के बाद मंडी  10 सीट के साथ प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा पोलिटिकल प्रभाव वाला जिला है।  रणधीर शर्मा के साथ दिक्कत यह है की वर्तमान प्रेजिडेंट सत्ती भी इसी लोकसभा क्षेत्र से हैं , विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल इसी लोकसभा से हैं युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अद्यक्ष  अनुराग ठाकुर केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा सब हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सबंधित हैं एक ही क्षेत्र से सब कुछ होना पार्टी की नजर में आ रहा है साथ ही   बिना नड्डा के  बिलासपुर से रणधीर पर सहमति बनना मुश्किल  है।
जय राम ठाकुर पर एंटी धूमल खेमा डबल दाँव खेलने की तैयारी में है ज़ाहिर है जय राम लगातार पांचवा चुनाव जीत कर विधानसभा में आये है।  और बेदाग़ छवि के आदमी रहे हैं। जय राम ठाकुर अगर प्रदेश अद्यक्ष बन जाते है तो 2017 में नड्डा के प्रदेश की राजनीति में न आ पाने की स्थिति में जय राम ठाकुर धूमल के सामने यंग फेस के रूप  में मुख्यमंत्री के लिए टक्कर ददे सकते हैं , ऐसा इस खेमे का मानना है। प्रदेश के मध्य मंडी से सबंधित होने के कारण जय राम पुरे हिमाचल की राजनीति में प्रभाव बना सकते हैं।  इसलिए  बी जे पी का एक खेमा पूरी कोशिश में है की सिर्फ नड्डा ही नहीं 2017 में बुजुर्ग होते धूमल के सामने जय राम ठाकुर को भी एक विक्लप  बनाकर पेश किया जाए।
अब यह समीकरण नहीं बैठा तो मंडी के सदाबहार सांसद पंडित रामस्वरूप तो हर जगह फिट होने वाले व्यक्ति हैं ही जिनके अध्य्क्ष बनने पर कम से कम 2017 तक कोई उठापटक नहीं होगी धड़ों में आपसी मारामारी नहीं आएगी।  इसलिए इस गुट की चली तो या जय राम या उनके स्वरुप इनमे से एक का अध्य्क्ष बनाये जाने का फरमान कुछ दिनों में आ जायेगा।  बाकी बिंदल साब से सब डरते हैं कोई नहीं चाहेगा बिंदल अद्यक्ष बनें।

हिमाचल की बेटी के मॉडल से प्रभावित हुए डॉ. हर्षवर्धन, कहा- पेटेंट किया जा सकता है

शिमला।।

इन हिमाचल में छपे एक आर्टिकल में बताया गया था कि किस तरह से दिल्ली में हुए पहले इंडिया इंटरनैशनल साइंस फेस्टिवल में प्रदेश के बच्चों ने शानदार मॉडल बनाए थे। इन्हीं में से एक था काईस स्कूल में पढ़ रही बच्ची विदुषी शर्मा का चूल्हा। इस चूल्हे के मॉडल को देखकर केंद्रीय साइंस ऐंड टेक्नॉलजी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।

साभार: Jagran

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यह चूल्हा ग्रामीण भारत के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। उन्होंने अध्यापक पंकज वर्मा को दिल्ली स्थित सेंटर फॉर रूरल डिवेलपमेंट ऐंड टेक्नॉलजी के प्रमुख प्रफेसर डॉक्टर वीरेंद्र कुमार और विजय के साथ इस मॉडल पर काम करने की सलाह दी। विदुषी के मॉडल को देखकर  डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि इसे तो पेटेंट करवाया जा सकता है।

चूल्हे के मॉडल के साथ विदुषी

इस खास चूल्हे में सबसे पहले नीचे वह हिस्सा है, जहां लकड़ी जलाई जाएगी। पूरी तरह से इंसूलेट किए इस चूल्हे के अंदर तांबे के पाइप हैं, जिनसे पानी गरम हो सकता है। उसके ऊपर कुछ चीज़ों का मिश्रण है, जो प्रदूषण कम करता है। उसके ऊपर वह हिस्सा है, जहां आप खाना बना सकते हैं।

हिमाचल के बच्चों के मॉडल्स के बारे में पढ़ने के लिए क्लिक करें

MOTOTHRILL 2015 में बाइकर ने दिखाया हुनर: कुल्लू के अमित कपूर ने मारी बाजी


एडवेंचर स्पोर्ट्स इवेंट्स को आगे बढ़ाते हुए जिला हमीरपुर  के कुछ उत्साही युवकों की टीम द्वारा ” हिल क्लब ” के बैनर  तले  “MOTOTHRILL… 2015 ” का आयोजन किया गया।  उब्बड़ खाबड़ रास्तों तीखी उतराई कीचड से सने ट्रैक पर हुए   इस बाइक राइडिंग के महामुक़ाबले में कई युवाओं ने अपने ज़ोहर दिखाए।  हमीरपुर के चंगेर इलाके में बहने वाली पुंग खड्ड के उबड़ खाबड़ ट्रैक से लेकर पानी से होते हुए घने चीड़ के जंगलों के बीच से प्रतिभागियों को लगभग 55 किलोमीटर का ट्रैक तय करना था। 


पुंग खड्ड के पानी से पार पाते हुए प्रतिभागी


आयजकों ने पुरे ट्रैक को विभिन्न भागों  में बांटा था जिनमे 1 . एन्चैंटिंग पुंघ – 8 किलो मीटर 2. डेडली पुंघ 7 किलोमीटर  धोला धार क्लाइंब और चीड़ के जंगलों से होता हुआ जंगल रम्बल  सबसे कठिन बाधाये थी।  

राइडर्स के करतब और सर्पीली रास्तों पर गजब के बैलन्स देख कर दर्शक हैरान रह गए।  कुल्लू के अमित कपूर ने इस प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया दूसरे  स्थान पर हमीरपुर के अनूप गुलेरिया रहे वहीँ तीसरे स्थान पर अनूप गुलेरिया के ही भाई अंकित गुलेरिया ने झटका।  अन्य प्रतिभागियों में ईशान राणा  , रिजुल शर्मा, रिशु  चड्ढ़ा , उमंग  , अरुण मेहता  का प्रदर्शन भी  दर्शनीय रहा।  
 
 
मुकाबले के लिए तैयार साहसी बाइकर
 
 
विजेता अमित कपूर को 12000 कैश एवं चमचमाती ट्रॉफी से समान्नित किया गया।  वही रनर्स आपस को 5000 नगद इनाम एवं ट्रॉफी दी गयी।  हिल क्लब के प्रेजिडेंट आकाशदीप एवं सचिव नवीन ठाकुर ने इन हिमाचल से बातचीत में बताया की अगले साल इस से भी बेहतर एवं कठिन terrain में इस प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जाएगा।  बतौर आकाशदीप हिमाचल प्रदेश में इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए क्योंकि यहाँ की परिस्थितियां  साहसिक स्पोर्ट्स के लिए बहुत उपयुक्त है।  
 
 
ट्रॉफी के साथ विजयी कैंडिडेट
 
 
दर्शकों में आये हुए नौजवान तबके से नवीन ठाकुर ने अपील करते हुए कहा की इस तरह के आयोजन ख़ास सुरक्षा  प्रबंधों के साथ विशेष बाइकों से किये जाते हैं।  इन्हे घर आदि पर कोशिश न करें।  

भाजपा हमेशा आदर्शों पर चलने वाली पार्टी, मोदी से करूंगा बात: वीरभद्र सिंह

इन हिमाचल डेस्क।।

सोमवार को थोड़ी देर के लिए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सचिवालय में आये और लम्बे अरसे बाद पत्रकारों से बातचीत की दैनिक जागरण में छपी खबर के अनुसार मुख्यमंत्री ने खुल कर अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में बात की और हमेशा की तरह इसे धूमल परिवार का षड़यंत्र बताया।  वीरभद्र सिंह ने कहा धूमल और उनके बेटे उनके खिलाफ तंत्र मन्त्र का सहारा भी ले रहे हैं ताकि उनकी मृत्यु हो जाए।  उन्होंने कहा अभी तक उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से इस बारे में बात नहीं की है परन्तु अव वो अपना पक्ष प्रधानमंत्री के सामने जरूर रखेंगे। भाजपा को आदर्शों पर चलने वाली पार्टी बताते हुए वीरभद्र सिंह ने शांता कुमार के शालीन व्यकतित्व  की एक बार फिर सराहना की।
दो महीने में धूमल परिवार की सम्पतियों की जांच एस आई टी से पूरे करवाने के संकेत भी इस दौरान मुख्यमंत्रीं ने दिए।  साथ ही यह भी कहा की कांग्रेस सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर के जाएगी और आगामी दो वर्षों में 25000 रोजगार सृजित किये जायेंगे।

तय दिख रहा है दो नावों पर सवार अनुराग ठाकुर का डूबना

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  • आई.एस. ठाकुर

वॉट्सऐप पर देखा कि इंडिया से एक दोस्त ने स्क्रीनशॉट भेजा है, जिसमें #ShameOnAnuragThakur हैशटैग के साथ एक ट्वीट था। जिसमें कहा गया था कि अनुराग ठाकुर दोगली बातें करने से बाज आए। झट से मैंने ट्विटर खोलकर देखा। यह टैग ट्रेंड कर रहा था और लोग अनुराग ठाकुर की आलोचना कर रहे थे। इस बात के लिए कि उन्होंने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने और इस जरिए अन्य रास्ते खोलने की संभावनाओं पर विचार करने की जरूरत बताई थी। यह कोई खराब बात नहीं थी, मगर फिर भी अनुराग की आलोचना हो रही थी। लोग कह रहे थे कि जब तक पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता, तब तक क्रिकेट की बात करना सही नहीं है। ऐसे में अनुराग का पाकिस्तान से क्रिकेट मैच का समर्थन करना  लोगों को रास नहीं आ रहा था। 

अनुराग ठाकुर
जहां तक मेरे निजी विचार हैं, मैं मानता हूं कि खेल निस्संदेह अन्य मसलों से अलग रहना चाहिए। पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते कभी ठीक नहीं रहे और इसी प्रतिद्वंद्विता या यूं कहिए कि नफरत की भावना ने दोनों देशों के बीच क्रिकेट को रोमांचक बना दिया। कई तनापूर्ण संबंधों के दौर के बीच दोनों मुल्क क्रिकेट खेलते रहे। आज भी अगर वे क्रिकेट खेलें तो भला इसमें क्या आपत्ति। क्रिकेट अपनी जगह है और कूटनीति अपनी जगह। यह तो रही मेरी निजी राय। मगर अनुराग ठाकुर की बातें इसलिए चौंकाने वाली ज्यादा हैं, क्योंकि उन्होंने कम ही वक्त में अपनी राय बदल ली।
अनुराग का पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने का विरोध करता ट्वीट (22 अगस्त)
कुछ दिन पहले तक अनुराग यह कहते नजर आए थे कि जब तक दाऊद कराची में है, पाकिस्तान के साथ क्रिकेट कैसे खेला जा सकता है।
आज वही शख्स क्रिकेट के जरिए अन्य संभावनाएं तलाशने की बात कर रहा है? दरअसल अनुराग ठाकुर तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें करना क्या है। उन्हें एक राजनेता बने रहना है या क्रिकेट प्रशासक। वह समझते हैं कि हिमाचल प्रदेश में क्रिकेट स्टेडियम बनवाकर उन्होंने जिस तरह से राजनीतिक माइलेज लिया, वैसा केंद्र में रहते हुए भी हो जाएगा। वह क्रिकेट प्रशासक और एक सांसद के तौर पर अलग-अलग भूमिकाएं निभाने में नाकामयाब रहे। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि मह्तवूर्ण मुद्दों पर उनकी राय इस आधार पर नहीं देखी जाएगी कि वह किस पद के आधार पर ऐसा कह रहे हैं। बल्कि यह एक शख्सियत के तौर पर उनकी राय होनी चाहिए।
अनुराग ठाकुर को लगता है कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना सही है, तो उन्हें इसका समर्थन करना चाहिए। अगर उन्हें लगता है गलत है तो इसका विरोध होना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता कि बीसीसीआई के दफ्तर में बैठकर पर इसका समर्थन करें और भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रेजिडेंट के तौर पर इसका विरोध करने लगें। आपकी पहचान आपके पद से नहीं, आपकी शख्सियत, आपके विचारों और आपके काम से होनी चाहिए। अगर आप सोचते हैं कि पूरे देश को आप गोलमोल बातें करके उल्लू बना लेंगे तो यह संभव नहीं है।
अनुराग को चाहिए कि वह अपनी रुचि की पहचान करें और शत प्रतिशत उसी में दें। राजनीति करनी है तो क्रिकेट के प्रपंचों से बाहर निकलें और क्रिकेट पर ध्यान देना है तो राजनीति से किनारा करें। वरना ऐसी दिक्कतें भविष्य में आती रहेंगी और आप कोई स्टैंड न ले पाने की वजह से न  सिर्फ अपनी, बल्कि पार्टी की भी फजीहत करवाएंगे और अपनी संस्था (बीसीसीआई) की भी। मैं तो वैसे भी उन्हें एक औसत राजनेता मानता हूं, जिसमें कोई करिश्मा नहीं है। मगर एक अच्छा क्रिकेट प्रशासक जरूर मानता हूं, जिसने भले ही अपने पिता की वजह से एचपीसीए पर नियंत्रण किया, मगर धर्मशाला में स्टेडियम बनवाने से लेकर बीसीसीआई सचिव के पद का रास्ता तय किया।
क्रिकेट अलग चीज़ है और कूटनीति अलग, दोनों को साथ लेकर चलना आसान नहीं होगा। उम्मीद है कि वह वक्त रहते सही चुनाव करेंगे, वरना दो नावों पर सवार रहने वाले व्यक्ति का डूबना तय है।
(लेखक मूलत: हिमाचल प्रदेश के हैं और पिछले कुछ वर्षों से आयरलैंड में रह रहे हैं। उनसे kalamkasipahi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)
 

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