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Friday, September 12, 2025
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फरार कैदियों को पकड़वाने में जनता की भी रही अहम भूमिका

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। कंडा जेल से फरार तीनो कैदियों को पकड़ लिया गया है। गुरुवार शाम साढ़े 4 बजे के बाद सुबाथू में पुलिस हलचल में आ गई। यहां पर कैदियों के छिपे होने की खबर थी।

 

जानकारी मिली है कि सुबह गिरफ्तार विचाराधीन कैदी प्रेम बहादुर से पुलिस को पता चला कि साजिश हत्या के आरोपी ने रची थी। योजना थी कि दिन में छिप जाएंगे और रात को चलेंगे। खाने के लिए कुछ सामान भी लिया था। मगर शाम को एक दुकान से रास्ता पूछा तो शक हो गया।

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बताया जा रहा है कि स्थानीय लोगों ने भी पुलिस की मदद की। लोगों को सोशल मीडिया से कैदियों की तस्वीरों का पता चल गया था। बालूगंज पुलिस शाम 6 बजे इलाके में पहुंच गई थी। दरअसल कैदियों के लिए ठंड में जंगल में छिपना आसान नहीं था।

उनकी योजना थी कि कालका से हावड़ा एक्सप्रेस पकड़कर भाग जाएंगे। मगर पहले ही पुलिस की गिरफ्तार में आ गए।

(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर है और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित की गई है)

HorrorEncounter: धर्मशाला जाते समय आधी रात को सड़क पर हुआ ‘छल’

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प्रस्तावना: ‘इन हिमाचल’ पिछले दो सालों से ‘हॉरर एनकाउंटर’ सीरीज़ के माध्यम से भूत-प्रेत के रोमांचक किस्सों को जीवंत रखने की कोशिश कर रहा है। ऐसे ही किस्से हमारे बड़े-बुजुर्ग सुनाया करते थे। हम आमंत्रित करते हैं अपने पाठकों को कि वे अपने अनुभव भेजें। हम आपकी भेजी कहानियों को जज नहीं करेंगे कि वे सच्ची हैं या झूठी। हमारा मकसद अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है। हम बस मनोरंजन की दृष्टि से उन्हें पढ़ना-पढ़ाना चाहेंगे और जहां तक संभव होगा, चर्चा भी करेंगे कि अगर ऐसी घटना हुई होगी तो उसके पीछे की वैज्ञानिक वजह क्या हो सकती है। मगर कहानी में मज़ा होना चाहिए। हॉरर एनकाउंटर के सीज़न-3 की तीसरी कहानी भुवेंद्र कंवर की तरफ से, जिन्होॆने अपना अनुभव हमें भेजा है-

ये बात पिछले साल की है। मैं सोलन से हूं और गुड़गांव में जॉब करता हूं। एक वीकेंड पर मेरी गर्लफ्रेंड, जो आज मेरी मंगेतर है, ने कहा कि क्यों न धर्मशाला चलें घूमने। वह कुल्लू से है और उसका बड़ा मन था धर्मशाला घूमने का। दिसंबर का ही महीना था।

शुक्रवार की हमने छुट्टी ली हुई थी। गुरुवार शाम को गर्लफ्रेंड ने बताया कि उसके पीजी में रहने वाली एक लड़की उसके साथ पंचकूला तक जाने की बात कर रही थी। वह चाह रही थी कि जब हम धर्मशाला जा ही रहे हैं तो रास्ते में उसे ड्रॉप करते चलें, क्योंकि उसका बॉयफ्रेंड वहीं था। पहले तो मैं बहुत खीझा मगर क्या करें, कुछ किया भी नहीं जा सकता था।
हमने सुबह 8 बजे निकलने का प्रोग्राम बनाया था ताकि हम आराम से चलते हुए शाम तक पहुंच जाएं। मैं तय वक्त पर गर्लफ्रेंड के पीजी के नीचे पहुंच गया मगर इतना गुस्सा आया कि पूछो मत। ढाई घंटे इंतज़ार करने पड़े। मेरी गर्लफ्रेंड और उसकी सहेली ने तैयार होने और सामान पैक करके नीचे आने में साढ़े 10 बजा दिए।

मैं इरिटेट हो चुका था मगर क्या करें, बनावटी मुस्कान के साथ बैठा हुआ था। चलना शुरू हुए तो दिल्ली से निकलने में ही 12 बज गए। फिर करनाल पहुंचते ही गर्लफ्रेंड की सहेली को भूख लग गई और वहां न जाने कहां फालतू से ढाबे में गाड़ी रुकवा दी कि यहां कमाल का खाना मिलता है। पौना घंटा यहां वेस्ट हुआ और फिर आगे बढ़े। पंचकूला सेक्टर 20 जाने के लिए गूगल मैप्स का सहारा लिया तो एक घंटा घूमते ही रह गए। फिर सेक्टर 20 में एक जगह पर हमने मोहतरमा को छोड़ा तो वह हमें अपने बॉयफ्रेंड से मिलवाने पर तुल गई, जो अपने ऑफिस में था और उसे नीचे आने में समय लग रहा था।

वह आया तो चाय पिलाने ले गया। और फिर वहां से निकलते-निकलते 8 बज गए। मेरा सिर भन्ना गया था। तय कार्यक्रम के तहत अब तक तो हमें धर्मशाला में होना चाहिए था आराम करते हुए ताकि अगले दिन कहीं घूम फिर सकें। मगर मैं चंडीगढ़ की सड़कों पर गाड़ी चलाते हुए नंगल की तरफ नैविगेट कर रहा था। गर्लफ्रेंड भी खामोश थी क्योंकि समझ गई थी कि मैं गुस्सा हो गया हूं। मैंने भी कुछ नहीं कहा। आगे चलकर नंगल से ठीक पहले एक ढाबा दिखा तो मैंने पूछा कि खाना खा लें। तो गर्लफ्रेंड से हां में सिर हिलाया। मैंने ढाबे में गाड़ी लगाई। भूख मिटी तो दिमाग शांत हुआ और ख्याल आया कि लेट हो ही गए हैं तो अब गुस्सा करने से क्या फायदा। तो मैंने गर्लफ्रेंड से नॉर्मल बातचीत शुरू की।

खाना खाकर हम नंगल की तरफ चल पड़े। नंगल के आगे ऊना और फिर आगे से एक दोहारा था। दोनों चौड़ी सड़कें। सामने चाय की दुकान थी। रात हो गई थी तो वही दुकान खुली हुई थी। मैंने पूछा कि धर्मशाला के लिए सड़क। चाय बना रहे लड़के ने कहा- दोनों सड़कें धर्मशाला जाती हैं। आप दाएं वाली से जाओ और 18 किलोमीटर बाद लेफ्ट ले लेना। जीपीएस पर ये रास्ता है।

मैंने उसकी बात नहीं सुनी क्योंकि मुझे लगा कि नादौन तो कोई और ही जगह है। तो लेफ्ट ले लिया। पता नहीं गूगल क्यों वापस मुड़कर नादौन वाली सड़क से जाने को कह रहा था। शायद यह सड़क मैप्स में थी नहीं। कुछ किलोमीटर चल रहा था कि सामने दो सड़कें दिखाई दीं। अब कहां से जाऊं। सोचने लगा कि कोई गाड़ी जाएगी तो उसके पीछे चल लूंगा। पांच मिनट तक इंतज़ार किया। मगर पांच गाड़ियां आईं उनमें से कुछ एक सड़क से गई तो कुछ दूसरी से। ऐसे में मैंने सोचा कि किसी गाड़ी को रोककर पूछता हूं। उतरकर मैं गाड़ियों को हाथ देता रहा, लोग गाड़ी स्लो करते देखते और आगे बढ़ जाते। 10 मिनट तक रुकी नहीं कोई गाड़ी। फिर मैं चलने लगा। दाएं वाली सड़क पर।

कुछ किलोमीटर चलकर लगा कि शायद गलत सड़क है क्योंकि यहां और गाड़ियां कम थीं और सड़क भी थोड़ी संकरी थी। धर्मशाला के लिए ऐसी सड़क तो जाती नहीं होगी। गर्लफ्रेंड करने लगी कि आप गलत रास्ते पर ले आए हो, वापस चलो। मैंने गाड़ी घुमाई और वापस चलने लगा। वापस लौटकर कुछ ही किलोमीटर चला होगा कि दोबारा दो रास्ते दिखाई दिए। याद ही नहीं आया कि मैं कौन सी वाली सड़क से आया था। ऊपर की तरफ जा रही सड़क से या सीधी वाली से। अब और कन्फ्यूजन। यहां आते वक्त भी हुआ था और लौटते वक्त भी।

गर्लफ्रेंड ने कहा कि शायद ऊपर वाली सड़क से आए थे। तो स्लो स्पीड मे चलने लगे। इसी फेर में आधी रात हो गई। सड़क सूनसान। आसपास न कोई घर न कोई गाड़ी। शायद किसी गांव के लिंक रोड़ पर चले जा रहे थे। जब ये अहसास हुआ तो फिर लगा कि पीछे जाते हैं और नीचे वाली सड़क से लौटते हैं। जैसे ही यूटर्न लेकर पीछे चलने लगे, फिर दो सड़कें नज़र आईं। एक सीधे और और नीचे। यहां फिर ध्यान नहीं रहा कि हम किस वाली सड़क से आए। और अजीब बात ये कि ये दोराहे लौटते वक्त ही क्यों दिख रहे थे। गर्लफ्रेंड ने कहा कि हम ढलान से उतर रहे थे, इसलिए चढ़ाई वाली सड़क पर ही चलो।

मुझे भी लगा कि चढ़ाई वाली सड़क से ही हम आए हैं। हम चलने लगे उसपर। चढ़ाई बढ़ती जाए। आगे जाकर सड़क कच्ची हो गई। तब पता चला कि हम फिर से गलत सड़क पर आ गए हैं क्योंकि आते वक्त सड़क कच्ची नहीं थी। अब भयंकर कन्फ्यूज़न। ऊपर से गर्लफ्रेंड घबरा गई। उसे न जाने क्यों लगने लगा कि हमारे साथ कोई भ्रम हो रहा है और रात को हम किसी भूतप्रेत की मायावी दुनिया में फंस गए हैं।

मैंने उसे कहा कि बकवास बंद करे और टीवी सीरियलों की कहानी सुनाना बंद करे। मैंने फिर यूटर्न लिया। हम तीन तिराहों पर भटक चुके थे। न जाने कहां थे। हैरानी की बात ये थी कि ग्रामीण इलाका होने के बावजूद किसी का घर क्यों नहीं दिखाई दे रहा था। एक जगह मुझे ईंटों का ढेर लगा हुआ। शायद किसी ने घर बनाने के लिए उतरवाई हो। सोचा कि आसपास कोई घर होगा तो उनसे पूछ लेता हूं। रात को डिस्टर्ब करना होगा मगर क्या करें। मगर गर्लफ्रेंड ने जिद करके कार से उतरने को मना कर दिया। बोली की गाड़ी से मत उतरो।

एक तरफ मैं परेशान और ऊपर से गर्लफ्रेंड और परेशान कर रही। मैंने उसे कहा कि प्लीज़ चुप हो जाओ। जैसे ही कम थोड़ा सा आगे चले। सामने सड़क घनघोर धुंध में डूबी नजर आई। धुंध हमारी तरफ बढ़ रही थी। मैं सोलन से हूं तो जानता हूं कि सर्दियों के मौसम में धुंध रात को आती ही है पहाड़ों पर। तो मैं धीरे-धीरे धुंध वाली सड़क पर चलने लगा। मगर गर्लफ्रेंड डरने लगी। शायद हॉरर फिल्मों का असर था जिसमें धुंध आ जाती है तो मतलब कि भूत का जाल है।


मैंने उसे कहा कि चुप रहो प्लीज़ और उसका मूड हल्का करने के लिए हंसने लगा और बोलने लगा कि तुम भगवान को याद करो। ये बोल ही रहा था कि गाड़ी के पिछले शीशे पर धाड़ की आवाज़ आई मानो किसी ने हाथ मारा हो। अब मैं चौंका और डरा भी। ब्रेक लगाया और पीछे देखने लगा। कुछ भी पता नहीं चला। मगर मैंने आगे बढ़ना जारी रखा। धुंध में दिख कम रहा था और गाड़ी आगे बढ़ रही थी।

इतने में मैं क्या देखता हूं कि दाहिनी तरफ एक बूढ़ा सड़क पर चला जा रहा है छड़ी लिए हुए। कमर झुकी हुई, चेहरे पर झुर्रियां और तेज चाल। ऐसा लग रहा था मानो वह कार की लाइट के सहारे चल रहा हो। मगर ड्राइवर सीट के एकदम पैरलल चल रहा था सड़क पर। मैंने सोचा कि इन जनाब से ही पूछ लूं कि कहां जा रहे हैं और सही रास्ता कहां है। तबतक मेरी गर्लफ्रेंड ने उसे देखा नहीं था। तो मैंने ब्रेक जैसे ही लगाया और शीशा नीचे करने लगा, बूढ़ा तूरंत दाएं मुड़ा और झाड़ियों के बीच से होता हुआ कहीं नीचे की तरफ उतर गया।

यह अजीब सी हरकत थी और इसे देखकर मेरे होश उड़ गए। अब मेरा दिल धकधक कर रहा था। मैं डर गया। मेरी गर्लफ्रेंड ने पूछा कि क्या हुआ, मैंने कहा कुछ नहीं। वो बोली कि बोलो तो, मैंने अजीब ढंग से जोर से चिल्लाकर कहा- शट अप। और गाड़ी चलाने लगा। धुंध छंटी और सामने पता ही नहीं चला कि जिस कट से वापस होना था, वह कहां रह गया। पता चला कि अभी कुछ देर पहे जहां से वापस मुड़े थे, वहीं वापस पहुंच गए हैं।

 

मगर मुझे इससे राहत मिली। कि चलो, अब पता तो होगा कि कहां से जाना है। मैंने वहां से गाड़ी घुमाई और तेजी से चलने लगा। लौटते हुए मैं देखने लगा कि वो अभी जो धुंध वाले कट से बाहर आया था, वह दोहारा आएगा तो उसके बजाय दूसरे वाले से जाना है। मगर आप पूरे रास्ते में धुंध नहीं मिली और न ही कहीं कट। चलता रहा तो आगे दूर एक घर दिखाई दिया और छोटी पहाड़ियां खत्म हुईं तो दूर बहुत सारी लाइट्स नजर आने लगी जिससे पता चल रहा था कि अब हम एकांत से बाहर आ रहे हैं।

कुछ किलोमीटर आगे चले तो चौड़ी सड़क पर पहुंच गए, जहां पर ट्रक चल रहे थे और गाड़ियां भी। अब मेरे दिमाग में जाने क्या आया कि उस मुख्य चौड़ी सड़क पर आया और सीधी सी जगह पर गया और बीचोबीच गाड़ी लगाकर पार्किंग लाइट ऑन कर दी। सामने से आ रहे ट्रक ने हॉर्न बजाया और उसने रोका नहीं, उसी स्पीड में आधी गाड़ी सड़क के बाहर कच्चे हिस्से से निकाल ले गया। अब मैंने गर्लफ्रेंड को कहा कि तुम भी बाहर निकलो और हाथ हिलाओ। पीछे एक इनोवा आ रही थी, जिसने रोकी। और शीशा उतारकर पूछा क्या हुआ, हमने पूछा कि धर्मशाला का रास्ता किस तरफ है। वह बोला हम धर्मशाला ही जा रहे हैं, यही रास्ता है। मैंने थैंक्स कहा और उसी सड़क पर चल दिया। आगे चला तो देहरा मिला और वहां से होते हुए सुबह होने से ठीक पहले धर्मशाला पहुंच गए। वहां तय बुकिंग पर होटल में पहुंचे।

वहां जाकर मैंने गर्लफ्रेंड को बताया कि मैंने क्या देखा। फिर वो डरी और बोली कि हमारे साछ छलावा हुआ है। उसने इधर-उधर फोन घुमा दिए। रोते-रोते सबको बताने लगी। रोया तो नहीं मैं, मगर डरा हुआ था और अजीब मनोस्थिति में था। एक दिन जैसे-तैसे काटा, घूमने भी नहीं क्योंकि अगला दिन सोने में निकल गया और नींद ढंग से नहीं आई। और रविवार को सुबह ही चल दिए ताकि रात को ऐसे हालात का सामना न करना पड़ा। गुड़गांव आ गए। गर्लफ्रेंड की सहेली बोलती रह गई थी कि वापसी में मुझे पंचकुला से लेते चलना। मगर हम सीधे निकल गए।

उसके बाद मैंने घर पर बात की तो उन्होंने डांटा कि रात को ऐसे मत जाया करो। कहते हैं कि रात को भ्रम होता है, छल, छलेडा। यानी हम किसी अजीब शक्ति के वश में काल्पनिक जगह में घूमते रहे। हालांकि मैं सोचता हूं कि शायद हम गलत सड़क पर किसी गांव के लिंक रोड पर चले गए और धुंध में गुम हो गए। हो सकता है वह बूढ़ा कहीं जा रहा हो। मगर दूसरे ही पल लगता है कि इतने सारे संयोग एकसाथ कैसे हो सकते हैं। ख़ैर, मैं भूतप्रेत पर यकीन नहीं रखता। मेरा मानना है कि हम किसी सड़क पर भटके और थकान और खीझ की वजह से रास्तों का पता नहीं चला और पहाड़ों पर धुंध नई बात नहीं है। मगर मेरी गर्लफ्रेंड मानती है कि उस दिन कुछ अजीब हुआ है। मगर हम दोनों एक-दूसरे पर विचार नहीं थोपते। इसीलिए बहुत सी बातों पर अलग विचार होने के बावजूद साथ हैं और जल्द शादी के बंधन में बंधने वाले हैं। आपकी शुभकामनाएं चाहिए।

सीजन 3 की तीसरी कहानी- रोहड़ू के गांव में झाड़ी से निकलकर बीड़ी मांगने वाला रहस्यमय बूढ़ा
सीजन 3 की दूसरी कहानी- कौन था बरोट-जोगिंदर नगर के बीच की पहाड़ी पर फंसे दोस्तों को बचाने वाला बुजुर्ग?

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पुलिस की थ्योरी- साबुन लगाकर सरिया काटकर भागे कैदी

शिमला।। शिमला में कंडा जेल से तीन कैदियों के भागने का मसला जेल की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े करता है। पूरे प्रदेश के मीडिया में सवाल उठ रहे हैं कि क्या जेल में मौजूद संतरियं ने किसी ने भागते हुए नहीं देखा? आखिर कैदी कैसे ब्लेड से सरिया काटकर फरार हो गए? जिस बैरक में कथित तौर पर 28 कैदी थे, उन कैदियों को कुछ पता ही नहीं चला?

पुलिस की थ्योरी यकीन से परे
पुलिस का कहना है कि जिस वक्त ये विचाराधीन कैदी भागे, उस समय बाकी कैदी सो रहे थे। अमर उजाला अखबार के मुताबिक कुछ कैदियों को तो पेठा भी खिलाया गया था, मगर इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। क्या सरिया काटने पर जो आवाज आती है, वह किसी को सुनाई ही नहीं दी? पुलिस का कहना है कि सरिया काटने से पहले उसमें साबुन लगा दिया था। यह अजीब तर्क है। ऊपर से जेल में 13 गार्ड तैनात थे। जेल की दीवार 16 फुट ऊंची है, बावजूद उसके कंबल समेत कैदी निकल गए? पुलिस के मुताबिक कंबल को रस्सी के तौर पर इस्तेमाल किया गया।

सीसीटीवी तक नहीं जेल में
हैरानी की बात यह है कि इस जेल में सीसीटीवी कैमरे तक नहीं हैं। ऐसे में तमाम बातें बता रही हैं कि कहीं न कहीं पुलिस की लापरवाही बड़े स्तर पर हुई है। कुछ अख़बारों में तो मिलीभगत की आशंका भी जताई जा रही है।

rape and murder accused prisoners escape from kanda jail shimla

अप्रैल में खुली थी जेल की व्यवस्था की पोल
पुलिस का रवैया ऐसा रहता है कि आप कल्पना नहीं कर सकते। इसी जेल में संतरी रहे भानु पराशर ने अप्रैल में एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें दो कैदी फेसबुक इस्तेमाल करते नजर आ रहे थे(पूरी खबर पढ़ें)। इन कैदियों को अफसरों के कमरे में यह हरकत करते देखा गया था। जब वीडियो साफ दिखा रहा था कि कैदी फेसबुक ही इस्तेमाल कर रहे थे, जेल प्रशासन का कहना था कि उन्हें जेल प्रशासन की वेबसाइट को अपडेट करने के लिए काम दिया गया था।

प्रशासन के मुताबिक कैदियों के सुधार के लिए जेल में कई कार्यक्रम चलते हैं, और उसी के तहत अच्छे आचरण वाले पढ़े-लिखे कैदियों के लिए ऐसी व्यवस्था की जाती है। मगर जेल प्रशासन यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि फेसबुक इस्तेमाल की जा रही थी। जबकि वीडियो में साफ दिख रहा था कि वे प्रोफाइल पिक्चर लगा रहे थे। उल्टा भानु पराशर नाम के संतरी को अनुशासनहीन बताकर सस्पेंड कर दिया गया था। यह कहा गया कि वह जहां भी जाता है, ऐसे ही सवाल खड़े करके बखेड़ा खड़ा करता है। शायद ईमानदार पुलिसकर्मियों का आवाज उठाना विभाग की नजर में अनुशासनहीनता है।

आज जब पुलिस विभाग ने आनन-फानन में कार्रवाई करके जेल से कैदियों के भागने पर कुछ पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया, मगर जब एक संतरी ने जेल के अधिकारियों के रवैये को और यहां के माहौल को एक्सपोज़ किया था, तब वे चुप थे। उसी वक्त कार्रवाई की गई होती तो आज ऐसे हालात न हो। और अब पुलिस की कैदियों के भागने को लेकर जो थ्योरी है, वह उसी तरह हज़म नहीं हो पा रही, जिस तरह से गुड़िया केस में जेल के अंदर नेपाली मूल के संदिग्ध सूरज की मौत को लेकर दी गई थ्योरी किसी के गले नहीं उतर रही थी।

HorrorEncounter: रोहड़ू के गांव में झाड़ी से निकलकर बीड़ी मांगने वाला रहस्यमय बूढ़ा

प्रस्तावना: ‘इन हिमाचल’ पिछले दो सालों से ‘हॉरर एनकाउंटर’ सीरीज़ के माध्यम से भूत-प्रेत के रोमांचक किस्सों को जीवंत रखने की कोशिश कर रहा है। ऐसे ही किस्से हमारे बड़े-बुजुर्ग सुनाया करते थे। हम आमंत्रित करते हैं अपने पाठकों को कि वे अपने अनुभव भेजें। हम आपकी भेजी कहानियों को जज नहीं करेंगे कि वे सच्ची हैं या झूठी। हमारा मकसद अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है। हम बस मनोरंजन की दृष्टि से उन्हें पढ़ना-पढ़ाना चाहेंगे और जहां तक संभव होगा, चर्चा भी करेंगे कि अगर ऐसी घटना हुई होगी तो उसके पीछे की वैज्ञानिक वजह क्या हो सकती है। मगर कहानी में मज़ा होना चाहिए। हॉरर एनकाउंटर के सीज़न-3 की दूसरी कहानी संदीप मलिक की तरफ से, जिन्होॆने अपना अनुभव हमें भेजा है-

मैं वैसे तो हरियाणा का हूं और In Himachal पेज को मैंने तबसे लाइक किया है जब इसके यहां पोस्ट किया गया हरियाणवी लड़कियों का भजन वायरल हुआ था। बाकी खबरें तो मेरे काम की नहीं होती हैं मगर मैंने पेज को अनलाइक नहीं किया क्योंकि इसका कॉन्टेंट विविधता भरा होता है। खासकर ‘हॉरर एनकाउंटर’ सीरीज़ मुझे बेहद पसंद है। इसलिए, क्योंकि एक शादी में शिमला गया था। वहां पर हमारे साथ जो हुआ था, उसे याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बहुत समय से सोच रहा था कि मैं भी अपना अनुभव भेजूं। एक हफ्ते की मेहनत के बाद आज भेज रहा हूं।

3 साल पहले की बात है। मेरे चाचा की बद्दी में जॉब करते हैं और उनका बेटा मेरा घणा दोस्त है। अक्सर छुट्टियों में मैं बद्दी जाता और मैं अपने चाचा के बेटे मोंटी के साथ शिमला या कसौली घूमने चला जाया करता। एक बार मैं गया तो मोंटी अपने दोस्त के बड़े भाई की शादी में रोहड़ू जा रहा था। उसने कहा कि तू भी चल, मेरा खास दोस्त है और कोई दिक्कत नहीं है। पहले तो मैंने ना-नुकर की मगर बाद में जाने को तैयार हो गया।

तो मुझे ढंग से याद नहीं है कि रोहड़ू में कौन सा गांव या कौन सी जगह है वो, जहां शादी हुई। मगर इतना जरूर है कि शादी वाले घर तक जाने के लिए सड़क से काफी ऊपर तक पैदल चलना पड़ा था। रास्ते में जंगलों के बीच-बीच में ठूंठ नजर आते थे तो कुछ सेब के बागीचे भी नजर आए। शादी वाले घर के लिए नए कपड़े पहने लोगों का आना-जाना भी लगा था। थोड़े इंतज़ार में मोंटी का दोस्त रिसीव करने आ गया।

मेरे लिए गजब का अनुभव था। नवंबर का आखिरी महीना था और ठंड चरम पर थी। शाम को हम पहुंचे तो हवा कान में टूं बोलती हुई सुन्न कर दे रही थी। मैंने देखा कि लकड़ी के घर बने हुए हैं। नीचे लोगों ने पशु रखे हुए हैं और ऊपर पहली मंजिल वाले अहाते में घास-फूस और लकड़ियां वगैरह। मोंटी के दोस्त ने बताया कि सर्दियों में लोग लकड़ी और चारे का इंतज़ाम कर दिया करते हैं ताकि एस्ट्रीम मौसम में इन्हें ढूंढने में मशक्कत न हो। साथ ही नीचे पशु रहने से गर्माहट भी रहती है।

खैर, शादी वाले घर में पहुंचे। दारू का माहौल चालू था। बड़े-बुजुर्ग दारू लगाकर ठस थे और महिलाएं पारंपरिक गाने गा रही थीं। बच्चे ठंड को ठेंगा दिखाते हुए इधर-उधर दौड़ रहे थे। मोंटी के दोस्त ने हमारे लिए खास कमरे का इंतज़ाम किया था। पारंपरिक घर, छत पर तस्वीरें लगी हुईं, दीवारों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें तो किसी क्रोशिए से बनाई गई कलाकारियां। लग रहा था किसी ऐतिहासिक जगह पहुंच गया हूं।

मोंटी का दोस्त अपने भाई के साथ बिजी था। जाहिर है, घर में शादी है तो सारे काम उसे ही करने थे। वह हमें अटेंड नहीं कर पा रहा था। उसने हमें एक बोतल थमाई और कहा कि मैं किसी बंदे को भिजवाता हूं गिलास और पानी के साथ, तुम कमरे में ही लगाओ। इंतज़ाम हो गया, थोड़ी देर में दो बालक दो गिलास, जग और मटन ले आए। वाह, क्या लाजवाब मटन था। ऐसा न कभी खाया था और न आज तक कहीं और खाया। मजेदार।

मैं तो सिगरेट नहीं पीता, मगर मेरे कज़न मोंटी को पेग लगाने के बाद सिरगेट की तलब लगी। उसने कहा कि यहां पीना सही नहीं है क्योंकि धुआं बाहर जाएगा जहां बहुत लोग बैठे हैं। तो हमने सोचा कि क्यों न थोड़ा टहलते हुए घर से दूर जाते हैं। तो हम कमरे से निकले और एक तरफ चलने लगे। खेतों की मेढ़ ओस से गीली होने लगी थी। जब घर से हम करीब 200-300 मीटर दूरी पर पहुंच गए तो मोंटी ने सिगरेट फूंकी। दूर शादी वाले घर से ढोल-ढमाके की आवाज़ सुनाई दे रही थी।

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सांकेतिक तस्वीर

हम बोल रहे थे कि यार क्या मस्त जगह है। देखो आसमान में तारे भी साफ दिख रहे हैं और दूर कोने से बादल आ रहे हैं। ठंड में हड्डियां कीर्तन कर रही थीं। मैं सोच रहा था कि कब मोंटी सिगरेट खत्म करे और हम वापस कमरे की गर्माहट में लौटें। अभी हम सिगरेट पी ही रहे थे कि बगल की झाड़ियों में सरसराहट हुई। हमारे होश उड़ लगे। लगा कि कोई जंगली जानवर होगा, तेंदुआ या भालू। हम पूरा ध्यान लगाकर उस तरफ देखने लगे।

गौर से देखा कि एक बूढ़ा आदमी झाड़ी से निकला और अपने कपड़े झाड़ने लगा। वो कुछ बुदबुदा रहा था। उसने हमारी तरफ देखा।

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सांकेतिक तस्वीर

हमसे करीब 10 मीटर दूर था मगर हल्की रोशनी में नजर आ रहा था। हम चुप उसे देख रहे थे और सोच रहे थे कि ये झाड़ियों में कर रहा क्या रहा था जिनके कुछ ही आगे नाला है। तो वो लंबा सा बुजुर्ग खड़ा हुआ। उसकी हाइट असामान्य थी। असामान्य इसलिए क्योंकि मेरी हाइट 6 फुट दो इंच है और मैं दावे से कह सकता हूं कि वो 7 फुट से ऊपर ही था।

उसने कुछ अजीब भाषा, शायद पहाड़ी में पूछा, जिसका मतलब हमें समझ नहीं आया। हमने पूछा कि क्या बोला आपने। तो आवाज आई, जिसमें अजीब तरह की खीझ, भरभराहट और कंपन था- बीड़ी पिलाओ। मोंटी ने कहा- दादा, एक ही सिरगेट थी, वो मैंने अभी पी ली। इतने में बूढ़ा चुप हो गया। 5 सेकंड तक खामोशी रही। फिल बोला- झूठ बोलते हो? जेब में क्या है। इस हिंदी में पहाड़ी टोन थी।

इतना कहना था कि मैं देखता हूं कि जो बूढ़ा आदमी हमसे 10 मीटर दूर था, उसने अपने हाथ उठाया। और वह हाथ लंबा होने लगा और हमारे पास आने लगा। मेरे तो होश उड़ गए और मैं चिल्लाता हुआ भाग खड़ा हुआ।

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सांकेतिक तस्वीर

भागते हुए मैं क्या देख रहा हूं कि मोंटी भी भाग रहा है और वह तेजी से मेरे से आगे निकल गया। इतने में अहसास हुआ कि किसी ने मेरा पैर पकड़ लिया है। पूरी रफ्तार में भाग रहा था तो औंधे मुंह गिरा। जैसे ही उटने लगा, अपने सामने वही बूढ़ा आदमी खड़ा नजर आया। वह मेरे और शादी वाले घर के बीच रास्ते में खड़ा था। उसका चेहरा बिल्कुल नजर नहीं आ रहा था।

उसने कहा- बाकी सब ठीक, झूठ नी बोलना। इससे पहले कि मैं कहता कि मुझे नहीं पता सिगरेट थी या नहीं क्योंकि मैं तो पीता ही नहीं। मगर बूढ़े ने उंगली से इशारा किया और बोला- चल भाग यहां से। और इसके बाद कुछ अजीब सी गालियां सी थीं, जिनका मतलब समझ नहीं आया। मैं गिरता पड़ता भाग गया। जब तक मैं शादी वाले घर में पहुंचा, लोग मेरी तरफ को आ रहे थे। मोंटी ने पहले ही वहां पहुंचकर कहा था कि कुछ है उस तरफ भूत या कुछ। तो सब लोग मेरी तरफ आ रहे थे। शादी में आए सारे मेहमान मेरे आने का इंतजार कर रहे थे।

पूछा गया कि क्या हुआ। मैंने कहा कि ऐसा-ऐसा हुआ है। तो सब हंसने लगे और कुछ महिलाएं कहने लगीं कि ये आखिर आजकल के लड़के इतनी शराब क्यों पीते हैं। इतना हंगामा और मखौल हुआ कि बहुत शर्मिंदगी हुई। उससे भी ज्यादा शर्मिंदगी मोंटी के दोस्त को हुई, जिसके भाई की शादी थी। जिसने मोंटी को बुलाया था और उसके साथ मैं चला आया था। हमने जिसे भी समझाने की कोशिश की कि उसके हाथ लंबे हो रहे थे, किसी ने नहीं माना। मैंने कहा कि मेरे पैर पकड़े और बूढ़ा मेरे से आगे दौड़कर पहुंच गया और ऐसा-ऐसा बोला तो ये बात भी किसी ने नहीं मानी।

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सांकेतिक तस्वीर

जैसे-तैसे रात काटी। अगले दिन बारात रवाना हुई और हम अपने घर के लिए रवाना हुए। उस दिन के बाद से हमने इस बात पर कभी चर्चा नहीं की। सोचा जरूर कि कहीं झाड़ी से निकला आदमी कोई बाराती तो नहीं था जो शौच आदि के लिए गया हो और नशे में धुत्त होकर सिगरेट मांग रहा हो। मगर उसके हाथ लंबे होने की मेरे पास कोई एक्सप्लेनेशन नहीं है। बेशक मैंने औऱ मोंटी ने शराब पी थी, मगर दोनों को एक जैसा भ्रम नहीं हो सकता। प्रार्थना करता हूं कि दोबारा कभी ऐसे हालात का सामना न करना पड़े।

सीजन 3 की दूसरी कहानी- कौन था बरोट-जोगिंदर नगर के बीच की पहाड़ी पर फंसे दोस्तों को बचाने वाला बुजुर्ग?

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DISCLAIMER: इन हिमाचल का मकसद अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है। हम लोगों की आपबीती को प्रकाशित कर रहे हैं, ताकि अन्य लोग उसे कम से कम मनोरंजन के तौर पर ही ले सकें और उनके पीछे की वैज्ञानिक वजहों पर चर्चा कर सकें। आप इस कहानी पर कॉमेंट करके राय दे सकते हैं। अपनी कहानियां आप inhimachal.in@gmail.com पर भेज सकते हैं।

पूरी दुनिया में फैली ‘बदबूदार जुराबों’ वाली हिमाचल की खबर

शिमला।। कुछ दिन पहले खबर आ रही थी कि हिमाचल पुलिस ने बिहार के एक युवक को हिरासत में ले लिया था, जिसने एचआरटीसी की बस में जुराबें उतार दी थी। जुराबों की बदबू से परेशान यात्रियों ने जब इस युवक को जूते पहनने या जुराबों को बाहर फेंकने को कहा था तो उसने इनकार कर दिया था।

बाद में बहस इतनी बढ़ी कि गाली-गलौच और धमकियों का सिलसिला शुरू हो गया। परेशान होकर ड्राइवर ने पुलिस स्टेशन के सामने बस रोक दी थी। पुलिस ने लोगों की शिकायत के आधार पर युवक को हिरासत में लेकर हुड़दंग मचाने का मामला दर्ज किया था।

Model Released (MR)

हालांकि बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले 27 साल के युवक प्रकाश कुमार का कहना है कि बिना वजह बाकी सवारियों ने उसे टारगेट किया। मगर इस पूरे मामले की खबर पहले हिमाचल प्रदेश के मीडिया में सुर्खियों में रही, फिर पूरे देश के मीडिया में इसे जगह मिली और अब यह भारत की सीमाओं से बाहर भी पहुंच गई है। कई इंटरनैशनल मीडिया संस्थानों ने अपनी वेबसाइट पर इस खबर को प्रकाशित किया है।

दरअसल यह मामला है ही अनोखा। शीर्षक दिया गया है- बदबूदार जुराबों के लिए पुलिस ने भारत में गिरफ्तार किया एक शख्स। हालांकि अंदर पूरा मामला विस्तार से लिखा गया है। पाकिस्तान, युनाइटेड किंगडम और अमरीका तक के अखबारों ने इसे जगह दी है। जीकेमेन, न्यूयॉर्क डेली, एआरवाई न्यूज़, ईवनिंग स्टैंडर्ड, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून (पाकिस्तान), बीबीसी और मेट्रो में यह प्रकाशित हुई है। इन खबरों को पढ़ने के लिए आप पिछली लाइन में दिए गए अख़बारों के नाम पर क्लिक कर सकते हैं। हालांकि सभी का कॉन्टेंट लगभग एक जैसा है।

जब 500 रुपये के 20 पुराने नोट लेकर बाज़ार पहुंचीं दादी अम्मा

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, धर्मशाला।। कांगड़ा जिले के जयसिंहपुर में एक बुजुर्ग महिला खरीददारी के लिए कपड़े की दुकान पर पहुंचीं। 78 साल की महिला ने कपड़े लिए और जब पैसे देने के लिए बटुआ निकाला तो अंदर से 500 के पुराने नोट निकले, जो नोटबंदी के तहत पिछले साल बंद हो चुके हैं। दुकानदार ने बताया कि अम्मा, ये तो बंद हो गए अब।

बूढ़ी दादी मां उदास हुईं। उन्होंने ये पैसे बचाकर रखे थे और उन्हें पता ही नहीं चला कि नोट बंद हो गए हैं। उन्होंने पाई-पाई जोड़कर यह रकम इकट्ठा की थी। उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि ये 10-10 के नोट हैं, बाद में गौर में से देखा तो पता चला कि 500 के हैं।

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पिछले शुक्रवार की इस घटना का एक वीडियो भी है। इस वीडियो में देखें तो बुजुर्ग दादी अम्मा को उम्मीद है कि एक दिन इन नोटों की भी कुछ कीमत होगी। वह कहती हैं, जो पुराने सिक्के बंद हो गए थे, लोग उन्हें भी तो खरीदते हैं तो इसी तरह इनकी भी कीमत होगी।

(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर है और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित की गई है)

अपने मोबाइल रिकॉर्डिंग से फंसे SIT में शामिल पुलिसकर्मी?

शिमला।। सीबीआई ने गुड़िया मामले के संदिग्ध सूरज की जेल में हुई मौत के मामले में जो चार्जशीट दाखिल की है, उससे हिमाचल प्रदेश पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस चार्जशीट के मुताबिक सूरज की मौत राजू से मारपीट के कारण नहीं, बल्कि एसआईटी के टॉर्चर से हुई है। यह बात अलग है कि अभी तक एसआईटी के गिरफ्तार किए गए सदस्यों ने अपना गुनाह नहीं कबूला है और अब अदालत को तय करना है कि वे दोषी हैं या नहीं। मगर अब तक सीबीआई की जांच कुछ अहम बातों की तरफ इशारा करती है।

‘मोबाइल और कंप्यूटर से मिली रिकॉर्डिंग’
ख़बर है कि सीबीआई को जांच के दौरान एसआईटी के चीफ और आईजी जहूर जैदी के दफ्तर के कंप्यूटर से एक वीडियो रिकॉर्डिंग मिली, जिसका जिक्र चार्जशीट में भी है। इसमें एक संदिग्ध लोकजन उर्फ छोटू को घटनास्थल ले जाया जा रहा है जिसमें वह सही से चल नहीं पा रही। हिंदी अख़बार पंजाब केसरी ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इससे अंदाज़ा लगाया ज ासकता है कि उसके ऊफर गुनाह कबूलने के लिए कितना प्रेशर डाला गया होगा। उनके मोबाइल से भी एक क्लिप मिलने की बात कही गई है।

‘संतरी के बयान का डीजीपी से छिपाया गया’
सीबीआई को जांच मे पता चला कि जब सूरज की मौत हुई तो डीजीपी के आदेश के बाद एसआईटी चीफ जहूर जैदी कोटखाई पुलिस स्टेशन पहुंचे और उन्होंने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार की। अखबार सूत्रों के हवाले से लिखता है कि संतरी दिनेश शर्मा के बयान लेने के दौरान उन्होंने अपने मोबाइल में भी रिकॉर्डिंग ली। मगर दिनेश के बयानों को डीजीपी तक नहीं पहुंचाया गया और ‘सोची समझी चाल के तहत’ राजू के खिलाफ मामला दर्ज होने दिया गया।

वॉइस रिकॉर्डिंग से भी मिली जांच में मदद
यही नहीं, एएसपी भजन नेगी ने एक मोबाइल रिकॉर्डिंग बनाई थी, जिसमें चारों संदिग्धों से पूछताछ की जा रही थी। चारों गुनाह न कबूलने की बात कह रहे थे। इसकी वॉइस रिकॉर्डिंग नेगी ने अपने फोन में बनाई थी। जब सीबीआई ने नेगी का फोन अपने कब्जे में लिया तब यह रिकॉर्डिंग मिली।

अब तक सीबीआई ने एसआईटी के सभी आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिसमें चीफ आईजी ज़हूर ज़ैदी, डीएसपी मनोज जोशी, एसएचओ राजेंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, कांस्टेबल रंजीत सिंह, हेड कॉन्स्टेबल सूरत सिंह, मोहन लाल और रफीक अली शामिल हैं। नौवीं गिरफ्तारी शिमला के पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी की हुई थी।

अखबार के मुताबिक सूत्र कहते हैं कि एसआईटी से जुड़े कुछ अधिकारी संदिग्धों पर गुनाह कबूलने के लिए दबाव बना रहे थे। इसी कारण प्रताड़ना की वजह से सूरज की मौत हुई और एसआईटी ने नई कहानी गढ़ दी।

हरियाणा पुलिस ने डेरा सच्चा सौदा के पालमपुर डेरे पर दी दबिश

पालमपुर।। साध्वियों से रेप के मामले में जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के पालमपुर के चचियां वाले डेरे में हरियाणा पुलिस ने एक बार फिर दबिश दी है। पुलिस आदित्य इंसां की तलाश कर रही है जो इस मामले में फरार चल रहा है। पुलिस ने डेरा कर्मचारियों से पूछताछ की। खबर है पुलिस को यहां से खाली हाथ लौटना पड़ा है। गौरतलब है कि आदित्य पर दंगे भड़काने का आरोप लगा है।

 

पालमपुर में डेरा सच्चा सौदा का डेरा चाय के बागानों के बीच 175 कनाल में फैला है और इस जमीन की कीमत ही 9 करोड़ है। सबसे खास बात यह है कि इस संपत्ति को 2007 में कांगड़ा के तत्कालीन डीसी भरत खेड़ा ने अवैध घोषित कर दिया था। दरअसल इस जमीन को खरीदने में हिमाचल प्रदेश भू अधिग्रहण अधिनियम 1968 की धारा 118 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया था।

 

दरअसल हिमाचल प्रदेश में बाहरी लोग जमीन नहीं खरीद सकते। मगर आरोप है कि रेवेन्यू विभाग के कर्मचारियों से सांठगांठ करके इस ज़मीन को खरीद लिया गया था। वैसे यह डेरा राम रहीम का पसंदीदा रहा है। चर्चा है कि सिरसा के बाद किसी और डेरे में राम रहीम ने वक्त बिताया है तो वह यही है। पिछले दिनों बाबा ने जो फिल्में बनाईं, उनकी शूटिंग ज्यादातर पालमपुर के आसपास हुई। उस दौरान भई काफी समय राम रहीम यहां ठहरे थे।

हिमाचल: डेरा सच्चा सौदा नगरी में पुल‍िस तैनात

फिर वापस आते हैं डेरे की जमीन को लेकर हो रहे विवाद पर। तो इस डेरे की जमीन के सौदे को जब 2007 में डीसी ने अवैध बताया, डेरे वालों ने डिविज़नल कमिश्नर के पास अपील की मगर उन्होंने भी डीसी के फैसले को बरकरार रखा गया था। इसके बाद रिव्यू के लिए रेवेन्यू सेक्रेटरी के पास डेरे वालों ने अपील की। मामला चल रहा है। चूंकि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने बाबा की सारी संपत्तियां अटैच करने का आदेश दिया है, यह डेरा भी अटैच हो सकता है।

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नीचे देखें बाबा के आश्रम की तस्वीरें। चूंकि अभी वहां पुलिस का पहरा है, इसलिए 2011 की तस्वीरें शेयर कर रहे हैं। अब वहां शायद और डिवेलपमेंट हो गया हो।:
Heaven

Dera Sacha Sauda, Chachian

Kiwi Fruit's Garden at Dera Sacha Sauda,Chachian

Way to heaven

Green Green

Fish Shaped Lake View

Heaven

Great View of Ashram

बच्चियों से पर्स उठवाने वाली अध्यापिकाओं ने दी अजीब सफाई

बिलासपुर।। एक तो पहले ही सरकारी स्कूलों की ख़राब हालत का दोष अध्यापकों के सिर मढ़ दिया जाता है, ऊपर से कुछ अध्यापकों की हरकतों की वजह से पूरी शिक्षक बिरादरी बदनाम हो जाती है। ऐसी ही एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें दो महिलाएं पीछे चल रही थीं और आगे एक बच्ची दो लेडीज़ पर्स उठाकर चल रही थी।

सोशल मीडिया पर तस्वीर वायरल हुई कि ये महिलाएं टीचर हैं और उन्हें अपने बैग छात्रा से उठवाए हैं। छानबीन में पता चला कि दोनों महिलाएं बिलासपुर जिले के एक स्कूल में टीचर हैं। जब शिक्षा विभाग ने इन्हें नोटिस भेजा और पूछा कि बच्चों से पर्स क्यों उठवाया तो अजीब जवाब मिला।

इन अध्यापिकाओं का कहना है कि जैसे ही स्कूल बंद हुआ, बच्चियां अचानक उनका सामान उठाकर चल दीं। और उन्होंने ये देखा तो बच्चियों को रुकने के लिए खहा मगर चुनाव प्रचार के लिए बज रहे लाउडस्पीकर की वजह से आवाज बच्चियों तक नहीं पहुंच सकीं।

जिला उपनिदेशक बिलासपुर के माध्यम से प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय में भेजा गया यह जवाब किसी को हज़म नहीं हो रहा। इससे असंतुष्ट जिला उपनिदेशक ने दोनों अध्यापिकाओं को नोटिस जारी करने का फैसला लिया है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक मनमोहन शर्मा का कहना है कि उपनिदेशक को मामले की गहनता से जांच करते हुए कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।

तस्वीर में साफ दिखता है कि महिला टीचर्स आराम से चल रही हैं। और अगर बच्चियां अपने आप बैग उठाकर चलने लगीं, इसका मतलब है कि वे पहले से ही उठाती रही होंगी, इसीलिए आदतन बैग उठाकर चलने लगीं। यानी बच्चों से रेग्युलर बैग उठाए जाते हैं।

मंडी के सांसद ने कहा- हिमाचल में भी बैन हो पद्मावती

मंडी।। मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद रामस्वरूप शर्मा ने पद्मावती फिल्म को हिमाचल में बैन करने की मांग की है। उनका कहना है कि कुछ राज्यों ने इस विवादित फिल्म को बैन कर दिया है और हिमाचल में भी यह बैन होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर भारतीय इतिहास को नष्ट करने की साजिश चल रही है।

रामस्वरूप शर्मा ने कहा, “तथाकथित इतिहासकारों ने सिकंदर को महान, अकबर को ग्रेट बताकर हमारे वीर योद्धा महाराणा प्रताप, शिवाजी, आचार्य चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य, गुरु गोबिंद सिंह को इतिहास के पन्नों से गायब करके हाशिए पर धकेलने की कोशिश की है।’

मंडी के सांसद का कहना है कि रानी पद्मावती का रानी लक्ष्मीबाई की तरह ही गौरवशाली इतिहास रहा है और उनके ऊपर की जाने वाली छींटाकशी बर्दाश्त नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय इतिहास के साथ छेड़छाड़ की कोशिश करने वाले डायरेक्टर को माफ नहीं किया जाएगा।