विक्रमादित्य का बयान जुबान का फिसलना है या सामंती सोच का प्रदर्शन?

इन हिमाचल डेस्क।। वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के लोकप्रिय नेता हैं और काफ़ी सुलझे हुए भी हैं. मगर उनकी भाषा कई बार इस तरह की होती है कि उसे सभ्य व्यक्ति की भाषा नहीं कहा जा सकता. वह कई बार ऐसे बयान दे चुके हैं जो व्यक्तियों और समुदायों पर न सिर्फ निजी हमले होते हैं बल्कि अपमानजनक भी होते हैं.

किसी को मकरझंडू कह देना, किसी को गुंडा कह देना तो एक बार नज़रअंदाज़ किया भी जा सकता है मगर जाति या समुदाय के आधार पर किसी पर प्रहार करना या किसी को नीचा दिखाने के लिए किसी जाति या समुदाय का उदाहरण देते हुए तुलना करना वीरभद्र की आदत रही है. एक बार माना जा सकता है कि वीरभद्र बुजुर्ग हो चुके हैं और शायद इस कारण उन्हें मर्यादाओं का ख्याल नहीं रहता. मगर समस्या यह है कि उनके बेटे और शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य भी उनकी ही राह पर निकल पड़े हैं.

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विक्रमादित्य सिंह ने जयराम सरकार पर ‘संघियों और भंगियों के ग्रिप में’ होने की बात कहीं। पहली नज़र में यह स्लिप ऑफ टंग लग सकता है यानी जुबान का फिसलना लग सकता है मगर वीरभद्र परिवार के इतिहास को देखें तो लगता है कि यह सिर्फ लापरवाही का मामला नहीं बल्कि फ्यूडल मानसिकता का नतीजा है. ज़रा 40वें सेकंड से सुनें:

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ध्यान दें, जब कांग्रेस सत्ता में थी तो किसी ने सीपीएस नीरज भारती को कथित तौर पर ‘भंगी’ कह दिया था। उस समय नीरज ने इसका विरोध किया था और काँग्रेस ने भी इसे अपमानजनक टिप्पणी बता दिया था। मगर अब वैसी ही टिप्पणी, वह भी बेहद अपमानजनक ढंग से कांग्रेस विधायक ने कर दी है।

सामंती मानसिकता?
वीरभद्र अक्सर यह गर्व से कहते रहे हैं कि मैं अपने वंश का 122वें नंबर का राजा हूं, कोई खानाबदोश नहीं. दरअसल यह टिप्पणी उस बोध से भरी हुई है कि मैं आम लोगों से अलग हूं और शासक वर्ग हूं इसलिए मैं बाकियों से श्रेष्ठ हूं. मगर इस कड़ी में वीरभद्र न जाने कितनी ही अनावश्यक और वाहियात टिप्पणियां कर चुके हैं. अगर कोई खानाबदोश है तो क्या वह खराब हो गया?

जब वह सत्ता में थे तो उन्होंने बीजेपी की तुलना सफाई कर्मचारियों से कर दी थी. जब बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ चार्जशीट लाने की बात कही थी तो वीरभद्र ने कहा था- ये गंदगी उठाने वाले लोग है, यही काम करेंगे. इन्हें चाहिए म्यूनिसिपल कमेटी में नौकरी के लिए दरख्वास्त दें.

यानी वीरभद्र को बीजेपी पर प्रहार करना था तो गंदगी उठाने वाले लोग कह दिया. यह उनकी सोच का स्तर था. मगर यह पहला मौक़ा नहीं था. जब वह सिरमौर दौरे पर गए थे तो बिंदल पर हमला करने के लिए कह दिया था- बिंदल कोई सुंदर नारी नहीं कि नाहन की जनता उनपर मोहित हो जाए. और गुड़िया केस को कौन भूल सकता है जब पुलिस की कार्रवाई पर लोग सवाल उठा रहे थे तो वीरभद्र ने कहा था- कोटखाई के लोग ज्यादा होशियार बन रहे हैं.

इसके अलावा उन्होंने महेश्वर सिंह को लेकर पत्नी को लेकर भी टिप्पणी की थी. उन्हंने सुक्खू को लेकर कहा था कि उन्हें वह दिन भी याद है जब सुक्खू पैदा हुए थे. स्वर्गीय आईडी धीमान पर टिप्पणी कर दी थी, बीजेपी के विधायक पर निजी टिप्पणियां की थीं, वनरक्षक की मौत पर कहना था कि ऐसे मामले होते रहते हैं, चौपाल के तत्कालीन एमएलए पर व्यक्तिगत टिप्पणियां की थीं. यही नहीं, गद्दी समाज का जिक्र करते हुए सत्ती पर टिप्पणी की थी.

हर मामले में उन्होंने दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश की है और खुद को श्रेष्ठ और उच्च. लिंक नीचे देखें। शायद वीरभद्र भूल गए हैं कि यह राजशाही नहीं बल्कि स्वतंत्र भारत है जहां पर राजशाही खत्म हो चुकी है. यहां आप अपनी खुशी के लिए खुद को राजा, बेटे को टीका या रानी कहते रहिए, अपने समर्थकों से खुद को राजा कहलवाकर खुश होते रहिए, मगर आप इस देश के नागरिक हैं. और अगर आप विधायक या मुख्यमंत्री हैं तो लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत जनता के सेवक हैं.

एक समय वीरभद्र ने जेपी नड्डा को बदतमीज़ लड़का बता दिया था. मगर उन्होने खुद की जुबान पर संयम रखा होता तो शायद उनके बेटे विक्रमादित्य भूल से ही, अपमानजनक शब्द अपने मुंह पर नहीं लाते. मगर अफसोस की बात है कि अपने पिता के नक्शे क़दम पर चलकर आगे बढ़ने की बात करने वाले विक्रमादित्य इस मामले में भी अपने पिता के नक्शे कदम पर बढ़ते नज़र आ रहे हैं. यह ठीक बात नहीं है. ऐसे शब्द भूलकर भी नहीं निकलने चाहिए. वे भी जल्दी समझ जाएं कि टीका वह समर्थकों या परिवार के लिए होंगे, देश के संविधान में वह नागरिक ही हैं। और आपको देश का संविधान किसी अन्य नागरिक के प्रति संवेदनहीन टिप्पणी की इजाज़त नहीं देता। यह नैतिक रूप से तो गलत है ही, अपराध भी है।

बहरहाल, आप नीचे वीरभद्र सिंह के अजीब बयानों को पढ़ सकते हैं:

बिंदल सुंदर नारी नहीं कि नाहन की जनता बार-बार मोहित हो जाए: वीरभद्र

मुख्यमंत्री ने गद्दी समाज का जिक्र करते हुए सत्ती पर की टिप्पणी

सीएम ने सफाई कर्मचारियों का हवाला देकर बीजेपी पर तंज

गुड़िया केस में मुख्यमंत्री ने कहा ज्यादा होशियार बन रहे हैं लोग

महेश्वर सिंह ने पत्नी वाले बयान पर मुख्यमंत्री पर किया पलटवार

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री नड्डा को बताया बदतमीज लड़का

मुझे वो दिन भी याद है जब सुक्खू पैदा हुए थे

वनरक्षक की मौत पर बोले सीएम- ऐसे मामले होते रहते हैं 

मुख्यमंत्री ने चौपाल के विधायक पर किए व्यक्तिगत कॉमेंट

स्वाइन फ्लू से मौतों पर मुख्यमंत्री का शर्मनाक बयान

वीरभद्र ने स्वर्गीय आई.डी. धीमान पर की टिप्पणी

मुख्यमंत्री ने बीजेपी विधायक पर निजी टिप्पणी

कार्यकर्ता पर मंच से ही भड़क गए मुख्यमंत्री

खराब सड़कों के सवाल पर मीडिया पर बिफरे सीएम

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