कोरोना के खिलाफ सरकार और नागरिक, दोनों निभाएं अपने फर्ज- लेख

प्रतीकात्मक तस्वीर

चांदनी शर्मा।। पिछले दिनों पाँच अप्रैल को रात 9 बजे पीएम मोदी की अपील पर पूरा भारत प्रकाशमय हो गया था। यह प्रकाश इस बात का प्रतीक था कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए समूचा भारत एकजुट है। भारतवासियों ने रात 9 बजे , 9 मिनट के लिए अपने घर की बिजली बंद कर दीपक, टाॅर्च, फ़्लैशलाइट आदि जलाकर एकता का जो दृश्य प्रस्तुत किया, वह अद्भुत था। कोरोना के खिलाफ हमारी एकता और मनोबल के साथ-साथ इसने राष्ट्रभक्ति की महाशक्ति का परिचय भी पूरे विश्व को दिया।क्या ग़रीब , क्या अमीर, क्या शहर, क्या गांव; प्रदेश के प्रत्येक हिस्से और तबके ने एकता प्रदर्शन इस समारोह में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की।

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है। एक तरफ कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी तथा मौतों का सिलसिला जारी है, वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन के कारण मानसिक तनाव, घृणा, अनिश्चितता, नकारात्मकता, अकेलेपन में भी बढ़ोतरी हुई है। ये समस्याएँ भी कोरोना रूपी अंधकार को दूर करने में बाधा उत्पन्न कर रही हैं। पाँच अप्रैल को जो देशवासियों ने किया, उससे इनसे निपटने में भी मदद मिली होगी।

आज जहां चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी, आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले सरकारी व गैर-सरकारी संस्थान कोरोना के विरुद्ध सीधी जंग लड़कर मानवता को बचाने में प्रयासरत हैं, वही घरों में बंद नागरिकों की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि वे विपत्ति की इस घड़ी में अपना यथासंभव योगदान दे। जब किसी काम को 130 करोड़ लोग एकसाथ करते हैं, तो वह चर्चा का विषय बन जाता है ।

भारत ने कई बार विश्व को मार्ग दिखाया है और वर्तमान में भी दुनिया भर में भारत की ओर से अपने नागरिकों को कोरोना से बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की तारीफ हो रही है। मगर नेतृत्व द्वारा लिए गए फ़ैसले तभी सफल होंगे जब आम जनता भी इसमें साथ देगी। भारत में कोरोना से लड़ना है तो कई चुनौतियों से पार पाना होगा। इन चुनौतियों को सरकार और समाज के आपसी समन्वय द्वारा हल किया जा सकता है।

समाज लॉकडॉउन को पूरा करने में अपना योगदान दे, ये ज़रूरी है। मगर सरकार की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि वह डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ़ की सुरक्षा के लिए ज़रूरी सामग्री और उपकरण जुटाए और साथ ही मरीज़ों के इलाज के लिए ज़रूरी संसाधनों का भी इंतज़ाम करे। इससे भी ज़्यादा ज़रूरी है कि टेस्टिंग की क्षमता बढ़ाना।

यह दौर इंसानों के लिए मुश्किल बेशक है मगर ज़रूर है कि हम इंसानियत बनाए रखें। जो ज़रूरतमंद हैं, उनके लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करना हमारा फ़र्ज़ है। अगर हम एक हैं तो किसी भी मुसीबत का सामना आसानी से कर सकते है । एकता, उत्साह व अनुशासन का मिश्रण संसार के किसी भी बल से शक्तिशाली होता है। इसलिए, कोरोना जैसी अदृश्य शक्ति से लड़ने के लिए ज़रूरी है कि हम इन्हें बनाए रखें।

(लेखिका भुंतर, कुल्लू से हैं)

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