शुरू में टांडा मेडिकल कॉलेज को ही AIIMS बनवा रहे थे वीरभद्र और कौल सिंह

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डेस्क।। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिलासपुर एम्स का उद्घाटन करने जा रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस नेताओं, विशेषकर प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह ने फेसबुक पर एक वीडियो डालकर कहा है कि 2014 में वीरभद्र सिंह ने एम्स को मंजूरी दे दी थी और आज उनका सपना पूरा हो रहा है। लेकिन रोचक बात यह है कि 2017 के आखिर तक वीरभद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे कौल सिंह ठाकुर दावा कर रहे थे केंद्र सरकार द्वारा की गई एम्स की घोषणा हवा-हवाई है। फिर सवाल उठता है कि 2014 में वीरभद्र ने किस एम्स को मंजूरी दे दी थी और वह एक राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते एक केंद्रीय संस्थान AIIMS को कैसे मंजूरी दे सकते थे?

दरअसल, 2014 में जब केंद्र ने एम्स के लिए जगह ढूंढने की चिट्ठी भेजी तो तत्कालीन कांग्रेस सरकार की अदूरदर्शिता ही कही जाएगी कि उन्होंने नया संस्थान लेने के बजाय पहले से मौजूद टांडा मेडिकल कॉलेज को AIIMS बनाने की सिफारिश कर डाली थी।

क्या है यह पूरा मसला, आइए एक-एक पॉइंट को लेकर समझें।

दिसंबर 2014 में विंटर सेशन चल रहा था। उस समय राज्य में वीरभद्र सिंह की सरकार थी और केंद्र में मोदी सरकार बने छह महीने हो चुके थे। प्रश्न काल के दौरान तत्कालीन बीजेपी विधायक गुलाब सिंह ठाकुर ने एम्स को लेकर सवाल किया था। उस पर जवाब देते हुए सरकार की ओर से बताया गया कि अब तक इस मामले में क्या-क्या डिवेलपमेंट हुआ। जानकारी दी गई कि 12 डीसी से कहा गया है कि वे बताएं कि उनके जिले मे कहां पर एम्स बनाया जा सकता है। आखिरी फैसला लेने के बाद उस जमीन को केंद्र को दे दिया जाएगा।

उस साल का घटनाक्रम बिंदुवार इस तरह से है:

1. केंद्र ने संस्थान के लिए जगह ढूंढने को कहा
जून 2014 में जब मोदी सरकार बनी थी, तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 11 राज्यों को चिट्ठी लिखकर कहा था कि वे अपने यहां एम्स जैसे संस्थान के निर्माण के लिए 200 एकड़ जमीन तलाश करें।

2. हिमाचल सरकार नहीं ढूंढ पाई जमीन
केंद्र से आई इस चिट्ठी का जवाब एक महीने के अंदर दिया जाना था। यानी एक महीने के अंदर प्रदेश सरकार को जमीन फाइनल करके केंद्र सरकार को उसकी जानकारी देनी थी। मगर वीरभद्र सरकार जमीन ही नहीं ढूंढ पाई।

3. हिमाचल सरकार ने दिया अनोखा सुझाव
तय वक्त पर जमीन ढूंढ पाने में नाकाम रही हिमाचल सरकार ने केंद्र को अनोखा सुझाव दे दिया। वीरभद्र सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखी चिट्ठी में सुझाव दिया कि अगर एम्स बनाना है तो क्यों न टांडा मेडिकल कॉलेज को ही एम्स में बदल दिया जाए।

4. केंद्र ने ठुकराया हिमाचल सरकार का प्रस्ताव
टांडा मेडिकल कॉलेज को एम्स में बदलने का प्रस्ताव केंद्र ने ठुकरा दिया। केंद्र ने कहा कि पहले से ही मेडिकल कॉलेज को कैसे एम्स में बदल दिया जाए। केंद्र का कहना था कि बात नए एम्स जैसे संस्थान की स्थापना की हो रही है, न कि किसी पुराने संस्थान को अपग्रेड करके एम्स बनाने की।

5. 2014 में टल गया एम्स का प्रस्ताव
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा तय वक्त में जमीन का चुनाव न कर पाने और फिर उसके सुझाव के खारिज हो जाने का नतीजा यह निकला कि हिमाचल में एम्स के मुद्दे पर साल 2014 में कोई प्रगति नहीं हो सकी। प्रदेश सरकार फिर जमीन ढूंढने में लग गई और 12 जिलों के डीसी को अपने यहां एम्स के लिए 200 एकड़ जमीन तलाश करने को कहा गया।

एम्स बिलासपुर

इस पूरे प्रकरण से न सिर्फ राज्य सरकार के कामकाज के तौर-तरीके का पता चलता है, बल्कि यह भी साफ होता है कि वह कितनी अदूरदर्शी रही। इसलिए, क्योंकि:

  1. सरकार ने कभी नहीं सोचा कि अगर कोई बड़ा संस्थान बनाना हो तो उसके लिए जमीन कहां-कहां उपलब्ध है। अगर सरकार के पास विजन होता तो वह पहले से ही हर जिले में जगहें ढूंढकर अपने रेकॉर्ड में रखती।
  2. सरकार के पास विज़न नहीं था। अगर जगह तय नहीं हो पाई थी, तो वह केंद्र से कह सकती थी कि थोड़ा और वक्त दिया जाए। मगर बजाय इसके यह लिखा गया कि टांडा मेडिकल कॉलेज को एम्स बना दिया जाए।
  3. उसे महसूस नहीं हुआ कि अगर एक और उच्च स्तरीय हॉस्पिटल खुलेगा तो यह लोगों के लिए फायदेमंद ही है। डांटा मेडिकल कॉलेज को एम्स बनाने का सुझाव देने से साफ होता है कि प्रदेश सरकार ने अपने सिर से बला टालनी चाही।

इसके बाद हुई प्रगति
तपोवन में विधानसभा सत्र के समापन के बाद 2014 के आख़िरी सप्ताह में वीरभद्र कैबिनेट ने बिलासपुर के कोठीपुरा में चिह्नित 200 एकड़ जमीन को एम्स के लिए देने की मंजूरी दी।

फिर मई 2015 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने जगह का दौरा किया और अतिरिक्त जमीन मांगी। राज्य सरकार ने इसके बाद अतिरिक्त जमीन के हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू की।

इसके बाद तीन साल तक विशेष प्रगति नहीं हुई। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह देरी के लिए केंद्र सरकार को कोसते रहे। पत्रकारों के सवाल पर वह कहते कि हमने तो सब कर दिया, नड्डा जी से पूछो। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने तो यह कह दिया था कि चुनाव नजदीक होने के कारण शिलान्यास नहीं हो रहा।  इस बीच सांसद अनुराग ठाकुर भी जेपी नड्डा को चिट्ठियां लिखते रहे जिसकी खबरें प्रकाशित होती रहीं। वहीं नड्डा का कहना था कि कुछ तकनीकी दिक्कतें हैं

फिर लंबे समय बाद, 3 अक्तूबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया और 4 जनवरी 2018 को केंद्रीय कैबिनेट ने इस एम्स के लिए बजट भी मंजूर कर दिया। अब 5 अक्तूबर 2022 को इसका उद्घाटन करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिलासपुर आ रहे हैं। इससे पहले 5 दिसंबर 2021 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने ओपीडी का उद्घाटन किया था।

यह आर्टिकल 2014 को  इन हिमाचल पर प्रकाशित इस लेख पर आधारित:

क्या एम्स भी राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा?

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