AIIMS करप्शन मामले में नड्डा को दिल्ली हाई कोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली।।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स में अनियमितता तथा भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों की सीबीआई से जांच कराने के लिए दायर एक याचिका पर बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा तथा एम्स को नोटिस जारी किया।

न्यायालय ने देश के इस प्रतिष्ठित अस्पताल में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए ये नोटिस जारी किए हैं। अस्पताल में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के इन मामलों को एम्स के पूर्व सतर्कता अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने उठाया था। मुख्य न्यायाधीश जी.रोहिणी और आर.एस.एंडलॉ ने केंद्रीय सतर्कता आयोग और संजीव चतुर्वेदी को भी नोटिस जारी कर उनसे 22 अप्रेल तक जवाब मांगा है।

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर पब्लिक लिटिगेशन (सीपीआईएल) की तरफ से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, जो कि आम आदमी पार्टी के सदस्य भी हैं, ने याचिका दायर कर उन सभी मामलों की नए सिरे से जांच कराने की मांग की है, जिन्हें चतुर्वेदी ने उन्हें पद से हटाए जाने से पहले शुरू किया था। चतुर्वेदी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने पिछले अगस्त महीने में एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद से हटा दिया था।

याचिका में कहा गया है कि चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई शुरू की थी। उन्होंने एक निजी दवा दुकान द्वारा संदिग्ध दवाइयों की आपूर्ति, प्रभावशाली राजनीतिक संबंधों, नकली आउट पेसेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) कार्ड बनाने में मध्यस्थों की भूमिका से संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई शुरू की थी।

याचिका में यह मांग भी की गई है कि नड्डा ने सभी मामलों से और एक अनुशासनात्मक अधिकारी के रूप में काम करने से खुद को दूर रखें। उन पर यह आरोप लगाया गया है कि उनके पास इतनी सारी शक्तियां हैं कि वे भ्रष्टाचार के सभी मामलों में कार्रवाई को प्रभावित कर सकते हैं।

भूषण ने यह आरोप लगाया कि नड्डा ने नवगठित सतर्कता प्रशासन को भंग करने में सक्रिय भूमिका निभाई और मई 2013 से जून 2014 के बीच विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों को कई पत्र लिख कर चतुर्वेदी की तरफ से शुरू जांच को रोका। इससे पहले, महीने की शुरूआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को पत्र लिख कर चतुर्वेदी को एम्स के उपसचिव के पद से मुक्त करने की अपील की थी।

सतर्कता अधिकारी के रूप में अपने दो वर्षो के कार्यकाल के दौरान चतुर्वेदी ने 150 से अधिक जांच की है, जिसमें कई अधिकारियों पर आरोप दर्ज कर उन्हें दंडित किया गया है। वह भ्रष्टाचार के कई मामलों की जांच कर रहे थे। पिछले साल आप सहित एम्स के 200 शिक्षकों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था और यह मांग की थी कि चतुर्वेदी को फिर से संस्थान का मुख्य सतर्कता अधिकारी बनाया जाए।

अंडरगारमेंट्स चुराती CCTV में कैद हुई लड़की, मां पर फोड़ा ठीकरा

हमीरपुर।।
सुबह करीब साढ़े 11 बजे दो महिलाएं हमीरपुर के एक शोरूम में पहुंच गईं। शोरूम दो मंजिला है। कोने-कोने पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। वहीं पूरा दिन दुकान के भीतर महिला ग्राहकों की संख्या भी काफी रहती है। इस लिहाज से कर्मचारी भी काफी मुस्तैद रहते हैं। धनेटा क्षेत्र से संबंध रखने वाली दोनों महिलाएं आपस में मां-बेटी हैं। बेटी ने बड़ी चतुराई से महंगे अंडर गारमेंट्स, बैग, पर्स व महिलाओं के साज-सज्जा से जुड़े सामान को उठा लिया और शोरूम से निकल गईं।
काउंटर पर रखी तीन काजल पेंसिल गायब मिले। इस पर मालिक का माथा ठनका और उसने कैमरे की फुटेज खंगाली, तो पता चला कि शोरूम की ऊपरी मंजिल से बैग व पर्स के साथ-साथ दो महिलाओं में से एक ने कुछ महंगा सामान भी अपने थैले में भर लिया है। जब शोरूम से निकलने लगी, तो लड़की ने काजल पेंसिल भी उठा ली। शोरूम के कर्मचारी तुरंत पूरे शहर में फैल गए। थोड़ी ही दूरी पर दोनों महिलाएं शहर में एक सुनार की दुकान में मिल गईं। दुकान में हंगामा खड़ा हो गया और पुलिस मौके पर आ गई।
यह सांकेतिक तस्वीर है

पुलिस ने दोनों के बैग से सामान भी निकाल लिया। बेटी बार-बार चोरी का ठीकरा मां पर फोड़ रही थी, लेकिन जब सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी, तो उसमें पता चला कि मां तो बेकसूर है। बेटी ने ही चलते-चलते यह सारा कारनामा किया है। बहरहाल पुलिस ने दोनों ही इन महिलाओं से ऐसा दोबारा न करने का पत्र लिखवा लिया है। शहर में पूरे दिन चर्चा का विषय बनी इस बात पर लोग ठहाके भी लगा रहे थे। शोरूम के मालिक ने भी उन्हें माफ कर दिया। ग्रामीण क्षेत्र से संबंध रखने वाली इन महिलाओं को यह पता नहीं था कि शोरूम में ‘तीसरी आंख’ की व्यवस्था भी है।

गोकुल बुटेल समेत प्रदेश के कई नेता पुत्र लॉन्चिंग की तैयारी में

कांगड़ा।।
आने वाले हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रदेश की राजनीति की चौथी पीढ़ी के आगाज के रूप में देखे जा रहे हैं। जनता भले ही परिवारवाद की आलोचना करती नजर आती है, मगर प्रदेश का भविष्य इससे मुक्ति पाता नहीं दिख रहा। बीजेपी और कांग्रेस, दोनों पार्टियों के नेता अपनी अगली जेनरेशन की लॉन्चिंग की तैयारी कर रही है।
बीजेपी की बात की जाए तो अनुराग ठाकुर की सफलता के बाद अरुण धूमल ने भी अपने आप को को राजनीति में सक्रिय कर लिया था। एक बार को उन्हें सुजानपुर से बीजेपी का उमीदवार बनाने की बात चल पड़ी थी, लेकिन संघ और मोदी की परिवारवाद के लिए बेरुखी के कारण उन्हें कदम पीछे खींचने पड़े। माना जा रहा है कि अनुराग ठाकुर के ससुर और जोगिंदर नगर के विधायक गुलाब सिंह ठाकुर भी अगले चुनाव में अपने बेटे सोमेंद्र ठाकुर को उतारेंगे।
इसी तरह से युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह भी आजकल पूरी राजनीति कर रहे हैं। इन दिनों शिमला ग्रामीण का कार्यभार वही देख रहे हैं। कांगड़ा के दिग्गज नेता जीएस बाली के बेटे रघुवीर सिंह बाली भी इस बार लोकसभा टिकट के दावेदार थे, पर ऐन मोके पर वीरभद्र सिंह ने चन्द्र कुमार को आगे कर दिया।

यह तो उन लोगों का ज़िक्र था, जो सुर्ख़ियों में रहते हैं। इन सबके बीच कांगड़ा घाटी से एक युवा चेहरा ऐसा है, जो कांग्रेस में चुपके से धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए अब काफी आगे पहुंच चुका है। पालमपुर की बुटेल फैमिली से तीसरी पीढ़ी के रूप में गोकुल बुटेल अब सक्रिय राजनीति में आ गए हैं।

मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार गोकुल सम्भवत: विधानसभा चुनाव में पालमपुर से पार्टी के उमीदवार हो सकते हैं। पालमपुर लाल कुञ्ज बिहारी बुटेल, शांता कुमार और बृजबिहारी लाल बुटेल जैसे धुरंधर नेताओं की सीट रह चुकी है। सुना जा रहा है की बुटेल फैमिली ने भी यह फैसला ले लिया है। जानकारों का भी मानना है कि गोकुल में परिवार के राजनीतिक वजूद को जिन्दा रखने की योग्यता है।

विदेश से पढ़ कर आए गोकुल बुटेल को सौम्य और मिलनसार स्वभाव का माना जाता है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि  टेक्नॉलजी पर अच्छी पकड़ के कारण उन्हें मुख्यमंत्री ने सलाहकार के रूप में चुना है। यह भी चर्चा है कि प्रदेश में पहली बार मंडी शिवरात्रि कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग दिखाने का आइडिया भी गोकुल का था।

शिमला ग्रामीण से बीजेपी तैयार कर रही ‘महायोद्धा’!

शिमला।।
देश की राजनीति में पैदा हुए उथल-पुथल के हालात में हिमाचल प्रदेश भी अछूता नहीं हैं। पहली बार ऐसा हुआ है की जनता और नेता दोनों वर्षों बाद होने वाले चुनाव की बाट अभी से जोह रहे हैं। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में वीरभद्र सिंह की विदाई का समय लगभग इस सरकार के जाते ही आने वाला है। वीरभद्र सिंह चाहते हैं उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह अभी केंद्रीय राजनीति का ही रुख रखें और अगले चुनाव में वो अपने बेटे को शिमला ग्रामीण से अपनी विरासत सौंपे। विक्रमादित्य सिंह ही हाल फिलहाल मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र देख रहे हैं।
कहीं ना कहीं बीजेपी भी यह जान चुकी है की अगले चुनाव में वीरभद्र अपने बेटे का राज्याभिषेक शिमला ग्रामीण से करवाने वाले हैं। इसलिए बीजेपी वहां शुरू से ही पकड़ मजबूत करना चाहती है ताकि ‘राजकुमार’ की सियासी पारी का अंत शुरू में ही हो जाए। इसीलिए बीजेपी अपना हर छोटा-बड़ा कार्यक्रम शिमला ग्रामीण से ही हैंडल कर रही है। अभी बीजेपी को ऐसा कोई नेतृत्व नहीं दिख रहा जो राजपरिवार का मुक़ाबला कर सके। इसलिए ‘टीका’ से लड़ाने के लिए भी बीजेपी ने एक युवा कार्यकर्ता तैयार कर लिया है, जिसे अभी संग़ठन के गुर सिखाए जा रहे हैं।


जानकार सूत्रों की माने तो यह योद्धा जब मैदान में आएगा तो इसकी तर्क शक्ति और राजनीति पर चाणक्य पकड़ के कारण कांग्रेस अवाक रह जाएगी। तेज़-तर्रार तेवरों वाला यह युवा अपनी प्रतिभा का पूर्ण प्रयोग करे और विक्रमादित्य सिंह पर भारी पड़े, इसके लिए केंद्रीय आलाकमान ख़ास तैयारी कर रहा है हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदेश के कुछ युवा विधायकों और नेताओं की एक मीटिंग इस युवा से हो चुकी है। 2016 के मध्य तक पार्टी अपने इस योद्धा को मैदान में उतार कर जनता से रूबरू करा देगी। देखना दिलचस्प होगा कि दबी जुबान में बीजेपी नेता जिसका जिक्र कर रहे हैं, वह कौन होगा।

एम्स के लिए बिलासपुर के कोठीपुरा में 200 एकड़ जमीन का चयन

बिलासपुर।।

बिलासपुर के साथ लगते कोठीपुरा इलाके में हिमाचल प्रदेश को प्रस्तावित एम्स के लिए जमीन का चयन प्रदेश सरकार ने कर लिया है।

200 एकड़ की यह जमीन पशुपालन और वन विभाग के अधीन थी जिसे जल्द ही अब इस अखिल भारतीय संस्थान को सुपुर्द कर दिया जाएगा।

हिमाचल सरकार ने इस भूमि पर उगे खैर के पेड़ों के कटान के लिए भी केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी के लिए आवेदन कर दिया है।

हिमाचल सरकार चाहती है बजट सत्र से पहले जमीन के सभी दस्तावेज केंद्र को दे दिए जाएं।

पंचायत चुनाव से पहले होगी उर्मिल ठाकुर की ‘घर वापसी’

हमीरपुर।।

दिल्ली चुनाव में पार्टी की गुटबाजी से सबक लेते हुए बीजेपी संगठन ने नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। सभी प्रदेशों के संगठन को यह कह दिया गया है अगर कोई बागी नेता पार्टी में आना चाहता है तो उसे अभी से वापिस ले लिया जाए, ताकि चुनाव के वक्त गुटबाजी न हो। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ भीतरघात के कारण सत्ता से बाहर होना पड़ा था। इस साल के अंत में होने वाले पंचायत चुनावों को बीजेपी सेमीफाइनल के रूप में ले रही है। इसी वजह से वह ‘घर वापसी’ अभियान चलाने जा रही है।

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इसके प्रथम चरण में हमीरपुर की पूर्व विधायक उर्मिल ठाकुर दोबारा बीजेपी में शामिल हो सकती हैं । सुजानपुर उपचुनाव के दौरान के दौरान टिकट मिलने से आहत उर्मिल ठाकुर बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। जानकारों का मानना है उर्मिल ठाकुर की कांग्रेस संग़ठन ने कोई ख़ास तवज्जो नहीं दी। इसलिए अब वह दोबारा पार्टी में आना चाहती हैं।

कुछ लोगों का यह भी कहना है की प्रदेश राजनीति में उर्मिल ठाकुर के लिए तो अब कुछ नहीं बचा है परन्तु केंद्र में कुछ नेताओं से नजदीकियों का फायदा उठाकर वह सिर्फ अपने बेटे रुब्बल ठाकुर के भविष्य के लिए घर वापसी कर सकती हैं।

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अब मामला चाहे जो भी हो वीरभद्र सिंह के हमीरपुर दौरे के दौरान उर्मिल ठाकुर सिर्फ कुछ पलों के लिए ही हमीरपुर बाज़ार की सभा में उनके साथ थीं। यहां तक कि सुजानपुर, जहां से वह चुनाव लड़ती रहीं हैं, वहां भी मुख्यमंत्री के साथ नहीं गईं। हालांकि, बाकी पूरी कांग्रेस जमात वीरभद्र के दौरे के दौरान उनके साथ रही। इसलिए कयास लगाये जा रहे हैं उनका मन अब घर वापसी का है और हो सकता हैं उन्हें कहीं से हामी भी मिल गई हो। उनके कांग्रेस में जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने टिप्पणी करते हुए कहा भी था कि एक दिन वह भी वापिस आ जाएंगी। उनका अनुमान अब सही प्रतीत होने लगा है।

रणधीर शर्मा, गोविन्द ठाकुर भी बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पद की दौड़ में

शिमला।।
हिमाचल प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष की ताजपोशी को लेकर प्रदेश में हलचल बढ़ गई है। रामस्वरूप शर्मा के बाद अब और नाम भी सामने आने लगे हैं। नैना देवी से विधायक और बीजेपी के प्रदेश महामंत्री रणधीर शर्मा का नाम भी इस कड़ी में जुड़ गया है। रणधीर शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद काडर से हैं। पूर्व प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष जयराम ठाकुर, सुरेश चंदेल और वर्तमान अध्यक्ष सतपाल सत्ती भी इसी काडर से रहे हैं।

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युवा विधायक रणधीर शर्मा बीजेपी के प्रवक्ता भी रह चुके हैं। नैना देवी विधानसभा से कांग्रेस के दिग्गज नेता राम लाल ठाकुर को दो बार धूल चटाने के कारण रणधीर शर्मा का रुतबा पार्टी में बढ़ा है। संग़ठन में वर्षों से कार्य करने के कारण उन्हें काफी तेज़-तर्रार और अनुभवी भी माना जाता है। गौरतलब है रणधीर शर्मा की बीजेपी के एक ख़ास धड़े से नजदीकियां उन्हें इस पद पर पहुंचा सकती हैं। उस धड़े की पूरी कोशश रहेगी की रणधीर शर्मा को ही यह पद मिले।

इसी फेरहिस्त में एक और युवा विधायक गोविन्द ठाकुर के नाम की भी चर्चा है। गोविन्द ठाकुर भी विद्यार्थी परिषद काडर से हैं। दो बार मनाली से जीत कर आ चुके गोविन्द ठाकुर केंद्र में बैठे एक नेता के खासमखास हैं। आगामी विधानसभा चुनाव अप्रैल में निर्वाचित अध्य्क्ष के नेतृत्व में ही लड़ा जाना है, जिसके लिए प्रदेश बीजेपी के हर गुट ने अब अपने अपने समीकरण बनाने शुरू कर दिए हैं।

रामस्वरूप शर्मा हो सकते हैं हिमाचल बीजेपी के अगले प्रदेशाध्यक्ष

शिमला।।
2017 में प्रदेश में विधानसभा का चुनाव है और यह संगठन के किस सेनापति के सहारे यह लड़ा जाए, बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इस पर अभी से माथापच्ची करने लगा है। मौजूदा अध्य्क्ष सतपाल सत्ती का कार्यकाल अब मात्र दो महीने बचा हुआ है। ऐसे में अप्रैल महीने में प्रदेश बीजेपी को नया अध्य्क्ष मिलना लगभग तय है। प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस बार अध्यक्ष पद के लिए किसी के नाम की चर्चा सुनने को नहीं मिल रही है। कोई भी मौजूदा विधायक या पदाधिकारी अपने आप को इस दौड़ में नहीं पा रहा है।
दरअसल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नई नीति के तहत अब पार्टी प्रदेश अध्यक्षों को चुनाव लड़ने से भी रोक दे रही है। दिल्ली में सतीश उपाध्याय इसके उदहारण हैं। साथ ही हिमाचल प्रदेश में पिछले चुनाव में देखा गया था कि सतपाल सत्ती अध्य्क्ष होते हुए भी चुनाव के वक्त अपने क्षेत्र से बाहर नहीं निकल पाए थे और बहुत कम मार्जिन से जीत पाए थे।
मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा बन सकते हैं बीजेपी के अगले प्रदेशाध्यक्ष: सूत्र
दरअसल अमित शाह चाहते हैं हर प्रदेश में ऐसे व्यक्ति को अध्य्क्ष बनाया जाए जो चुनाव के समय अपना पूरा समय प्रदेश को दे सके। इस कड़ी में संघ और मोदी की पहली पसंद मंडी से सांसद रामस्वरूप शर्मा माने जा रहे हैं। संग़ठन में लम्बा तजुर्बा रखने वाले रामस्वरूप शर्मा उस समय महामंत्री थे जब पहली बार बीजेपी ने हिमाचल में सरकार बनाई थी। साथ ही साथ पीएम नरेंद्र मोदी जब प्रदेश प्रभारी थे, उसी वक्त से उनकी रामस्वरूप शर्मा से सीधे बातचीत है। वर्षों से दो धड़ों में रहने वाली बीजेपी रामस्वरूप के नेतृत्व को स्वीकार करेगी, ऐसा पार्टी आलाकमान का मानना है।
प्रदेश राजनीति में नया उफान लाने वाले जगत प्रकाश नड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री धूमल और शांता कुमार को भी रामस्वरूप के नाम से आपत्ति नहीं होगी। सांसद होने के कारण रामस्वरूप समय-समय पर दिल्ली में पार्टी मीटिंग्स में आते रहेंगे और विधानसभा चुनाव के समय व्यस्त भी नहीं होंगे। इस कारण वह संगठन को पर्याप्त समय दे पाएंगे। सूत्रों के अनुसार सांसद रामस्वरूप को इस सिलसिले में दिल्ली भी बुलाया गया था लेकिन दिल्ली चुनाव में व्यस्त होने की वजह से अमित शाह से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। सूत्रों का कहना है कि उन्हें तैयार रहने का इशारा कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि दिल्ली चुनाव के बाद रामस्वरूप शर्मा की अमित शाह और संघ के पदाधिकारियों के साथ संयुक्त मीटिंग होगी, जिसके बाद उनके नाम का ऐलान किया जाएगा।

बीजेपी-यूथ कांग्रेस कार्यकर्ता भिड़े, 12 से ज्यादा जख्मी

शिमला।।

हिमाचल प्रदेश में गुरुवार को वह हुआ, जो आज तक नहीं हुआ था। शिमला में बीजेपी के कार्यालय पर प्रदर्शन करने आए यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं औऱ बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई, जिसमें 12 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इनमें से 4 की हालत गंभीर बताई जा रही है।

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चक्कर में बीजेपी कार्यालय दीप कमल पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और यूथ कांग्रेस के स्टेट प्रेजिडेंट विक्रमादित्य सिंह के नेतृत्व में करीब 250 लोगों की टोली आ पहुंची। ये लोग केंद्र द्वारा हाल ही में लाए गए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध करते हुए नारेबाजी कर रहे थे।

बीजेपी नेताओं का आरोप है कि यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके ऑफिस पर हमला किया। कहा जा रहा है कि नारेबाजी करने आए लोगों ने पथराव किया, जिससे एक दर्जन लोग घायल हो गए।  दूसरी तरफ यूथ कांग्रेस का कहना है कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनके ऊपर हमला कर दिया।

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दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ क्रॉस एफआईआर करवाई है। शिमला के एशपी डी.डब्ल्यू. नेगी ने कहा कि बालूगंज थाने में एफआईर दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

बीजेपी प्रवक्ता गणेश दत्त ने यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर हमले का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चार को गंभीर चोटें आने की वजह से आईजीएमसी ले जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी ने विरोधी पार्टी के ऑफिस पर हमला किया है। उन्होंने यूथ कांग्रेस पर गलत परंपरा सेट करने का आरोप लगाया।

इस बीच विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि वे तो सिर्फ प्रदर्शन करने गए थे, लेकिन बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पथराव शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि कांग्रेस के कई कार्यकर्ता घायल हुए हैं। विक्रमादित्य ने कहा कि हिंसा से वह डरने वाले नहीं हैं और आगे भी जनता के हितों के लिए लड़ते रहेंगे।

इस घटना की तमाम बड़े बीजेपी नेताओं ने आलोचना की है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांगड़ा से सांसद शांता कुमार ने कहा है कि यह घटना निंदनीय है। उन्होंने कहा कि राजनीति विरोध अपनी जगह है लेकिन हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।


हिमाचल लोकहित पार्टी ने भी कांग्रेस की आलोचना की है। पार्टी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह शर्मनाक घटना है और इस तरह की हिंसा में शामिल रहे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

‘लुल’ हुई हिमाचल सरकार, 2 साल से बस धूमल राग गा रहे हैं वीरभद्र

हिमाचल प्रदेश सरकार ने दो साल में क्या किया, यह सोचने पर पर मेरा ध्यान कभी नहीं जाता अगर दिल्ली में रहते हुए भी  प्रदेश से लगाव के कारण मैं रोज सुबह उठकर ऑनलाइन  अखबारें नहीं पढ़ता। मैं अकेला नहीं हूं जो दिनचर्या की शुरुआत हिमाचल के अख़बारों पर नजरें दौड़ाकर राजनीति, संस्कृति और सुख-दुःख की  हर खबर से रू-ब-रू होकर करता हूं। प्रदेश  से बाहर दूसरे राज्यों में आजीविका और शिक्षा से सबंधित कार्यों के लिए निकले लाखों हिमाचल वासियों  के दिन की  शुरआत  भी ऐसे ही होती होगी।

छोटा राज्य होने के कारण हिमाचल प्रदेश के अख़बारों की हेडलाइन  अक्सर  मुख्यमंत्री के दौरे और उनके भाषण पर ही होती है। किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री का भाषण लोगों के मन में एक आशा  और उम्मीद का संचार करता है।  मैंने यहां ख़ासकर सिर्फ मुख्यमंत्री इसलिए कहा क्योंकि राजनीति में रोज हर पार्टी के नेता नए-नए प्लान अपने भाषणों में गढ़ते हैं परन्तु जनता की विश्वश्नीयता सिर्फ मुख्यमंत्री पर अधिक होती है। वो  किसी पार्टी  विशेष  का नहीं, सरकार का  मुखिया   होता है।

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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री  वीरभद्र सिंह बहुत अनुभवी, धीर-गंभीर, जुबान के पक्के और प्रदेश हितैषी राजनेता  माने जाते हैं।  वीरभद्र सिंह का यही व्यक्तित्व  लोगों को प्रभावित करता रहा है परन्तु इस बार व्यक्तिगत रूप से मुझे लगा राजनीति में पच्चास साल पूरे कर चुका प्रदेश का सबसे अनुभवी नेता अपने व्यक्तित्व से न्याय नहीं कर पा रहा है।

व्यक्तिगत रूप से वीरभद्र सिंह मेरे लिए आदरणीय हैं। प्रदेश का आम नागरिक होने के नाते मैं या मेरी जगह कोई भी नागरिक अपने मुखयमंत्री से क्या सुनना चाहेगा?  प्रदेश हित में कोई योजना , कोई  पॉलिसी रिफॉर्म , बेरोजगारों के लिए वह क्या कर रहे हैं या क्या करेंगे, गांव की सड़कों, पेयजल योजनाओं पर उनका क्या प्लान है,  प्रदेश की सड़कों की खस्ता हालत पर सरकार का क्या अजेंडा है, बागवानों और किसानों की बंदरों द्वारा तबाह होती फसलों पर प्रदेश सरकार का क्या संज्ञान है,  रोज-रोज हो रही वारदातों ,एटीएम चोरी की घटनाओं पर सरकार का क्या ऐक्शन है, कर्मचारियों की कमी से जूझते बिजली बोर्ड और अन्य सरकारी उपक्रमों की मांगों को  सरकार कैसे पूरा करेगी,  शिक्षा क्षेत्र में  सुधार के लिए सरकार की क्या नीति है,  कुकरमुत्तों  की तरह खोले जा रहे सरकारी इंजिनियरिंग संस्थानों के  स्थाई भवन कब तक बनेंगे, वहां रेग्युलर फैकल्टी कब तक  नियुक्त होगी, बड़े-बड़े हाइड्रो प्रॉजेक्ट्स से विस्थापित हुए लोगों और उनकी चीखों समस्याओं का क्या बना, क्या नीति अमल में लाई जा रही है…. वगैरह-वगैरह।

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मगर पिछले दो वर्षों के अखबार पढ़ने पर मैंने मुख्यम्नत्री के मुंह से जो सुना, मुझे हैरानी हुए कि प्रदेश के इस अनुभवी नेता को आखिर किस बात की बौखलाहट है। वह ऐसे क्यों व्यहार कर  रहें हैं।  रोज हर जगह मुख्यमंत्री एक ही तरह के भाषण से अब जी उकताने लगा है।  एक निराशा सी मन में आने लगी है। कभी-कभी लगता है क्या प्रदेश के बाकी मुद्दे गौण हो गए हैं? क्या एक मुख्यमंत्री उसे सुनने आये हजारों लोगों के जनसमूह को रोज यह खबरे सुनाने आता है?

वीरभद्र सिंह ने बाकी मुद्दों के बारे में बाते करना बंद कर दिया है।  वह जहां भी जाते हैं उनके भाषण की शुरुआत और अंत सिर्फ पूर्व मुखयमंत्री धूमल और उनके परिवार के खिलाफ गुब्बार निकालने से शुरू होता है और उसी पर खत्म हो जाता है।  फोन टैपिंग मामले का सुबह शाम हौवा बनाया गया। उस समय की अखबारों को अगर कोई आज निकल कर देखे तो वीरभद्र सिंह ने बिना कोई नागा डाले रोज इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता की तरह कुछ न कुछ कहा। आज उस  मुद्दे का क्या बना कोई नहीं जानता। क्या कार्रवाई हुई, कौन गुनहगार निकले, किसी को कुछ पता नहीं।   क्या एक मुख्यमंत्री को यह शोभा देता है? क्या ऐसा करना  एक मुख्यमंत्री पद की गरिमा के अनुसार है कि  पुलिस की जांच और कार्रवाई जिन मामलों में चल रही हो, आप रोज प्रवक्ता बन कर उस पर टिप्पणी करें?

उसके बाद के समय में वीरभद्र सिंह ने क्रिकेट असोसिएशन का राग पकड़ा। इस मामले के सामने आने के बाद की अखबारें आप देखंगे तो पाएंगे फिर मुख्यमंत्री रोज सिर्फ वही बात करते थे। धूमल परिवार को कोसते थे झल्लाते थे।  शांता कुमार से सीख लेने की सलाह उन्हें देते थेय़ पर क्या उन्हें नहीं लगता कि वह भी अपने समकालीन नेता शांता से कुछ सीख सकते हैं कि मुख्यमंत्री का काम जांच के आदेश देना है, उसके बाद जांच एजेंसियां अपना काम करेंगी। मुख्यमंत्री काम यह नहीं है कि रोज प्रवक्ता बन कर उसी मुद्दे पर बात करता रहे औऱ बाकी किसी नीति या योजना पर मुंह तक न खोले।

ठीक है, सरकार किसी के खिलाफ जांच करवाने का हक रखती है। कोई दोषी है तो  जांच से सब निकल कर आएगा।  पर रोज एक ही बात हर जनसभा में दोहराना समझदारी नहीं है। क्या प्रदेश में कोई और मुद्दा नहीं रह गया है? अभी कितने शर्म की बात है की प्रदेश के नाम विदाई सन्देश में राज्यपाल यह कह कर गई हैं कि हमारी सड़कों की हालत कितनी खस्ता है।  इस पर सरकार ने कुछ नहीं कहा।

बीजेपी चाहती थी सेंट्रल यूनिवर्सिटी देहरा में बने।  मुख्यमंत्री चाहते हैं यह धर्मशाला में बने।  दोनों पार्टियों की इस कलह में कई साल तक सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए फैसला नहीं हो पाया।  वह अस्थायी भवन में चलती रही।  सिर्फ राजनेता व्यग्र हैं यूनिवर्सिटी कहां बने, मेरे जैसी आम जनता चाहती है बस कहीं भी बनाओ, उसे बना दो। बस  राजनीति खत्म करो।  खैर जमीन देखने का विशेष अधिकार सरकार  के पास है।  सरकार ने धर्मशाला में जमीन फाइनल कर दी। मगर वीरभद्र सिंह फिर मुख्यमंत्री से प्रवक्ता बन गए। उन्होंने अनुराग-राग छेड़ दिया, ‘वो यह चाहता है, ऐसा करता है, धर्मशाला में बनेगी, ऐसा-वैसा….’ फिर रोज हर जगह यही भाषण।

ठीक है जनाब, आपने जगह फाइनल कर दी तो बात खतम। अब आप रोज यही  अलापते रहते हो, यह क्या बात हुई। अब आप सत्ता में है, न कि विपक्ष में। ऐक्शन लीजिये और आगे की बात कीजिये। जिसे जो कहना है, कहता रहेगा। आपको तो और भी मुद्दे देखने हैं प्रदेश के।  पर नहीं, आपको तो रोज इस पर टिप्पणी करनी है।  कितना निराशाजनक है यह।

ज्यादा पीछे नहीं जाऊंगा। आजकल मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्रों के दौरे पर हैं।  इस बीच विजिलेंस ने पूर्व मुख्यमंत्री धूमल के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की है।  लोगो को भी मीडिया के द्वारा इस खबर का पता लग चुका है पर हैरानी है कि हर जनसभा में वीरभद्र सिंह का भाषण धूमल राग पर सीमित हो जाता है।  जनता उनसे कुछ नयापन सुनने आती है। मगर मुख्यमंत्री बताने लगते हैं कि धूमल के खिलाफ सीबीआई जांच होगी।  ठीक है जनाब जांच होगी, लग गया है पता सबको। आप मीडिया वाले नहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। गरिमापूर्ण पोस्ट पर हैं आप। अभी पूर्व प्रधानमंत्री  मनमोहन सिंह से सीबीआई ने पूछताछ की तो क्या नरेंद्र मोदी ने बताया जनता को कि ऐसा हुआ है? यह मीडिया का काम है।

क्या। शिक्षा सड़क बेरोजगारी, हिमाचल प्रदेश की खस्ताहाल सड़कों , दिन ब दिन गिरती हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी की साख, बेरोजगारों की बढ़ती फौज, टांडा मेडिकल कॉलेज की खस्ताहाली पर करने के लिए आपके पास यही सब है? इन मुद्दों पर कौन बात करेगा? कौन योजना लाएगा? ऐसा लगता है मुख्यमंत्री इस कार्यकाल में कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र को पूरा करने के लिए नहीं बल्कि बीजेपी के खिलाफ बनाई गई  चार्जशीट के क्रियान्वन के लिए ज्यादा उत्साहित हैं।

कुछ समय पहले अख़बारों में मैंने देखा था कि हिमाचल में निवेश  लाने के लिए मुख्यमंत्री ने मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में उद्योगपतियों के साथ बैठकें कीं।  कई दिन तक यह दौर चला। यह एक अच्छा प्रयास था।  पर उसके बाद क्या हुआ, कौन आया या आना चाहता है, कुछ मालूम नहीं हुआ।

धूमल परिवार  या किसी के भी खिलाफ इस प्रदेश में जांच होगी  या सिफारिश होगी यह खबर हम मीडिया से सुन लेंगे। आपका यह  काम  नहीं है। हम आम नागरिक आपके मुंह से यह सुनने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं  कि कौन सी नई योजना लाई जा रही है, क्या नया कदम उठाया जा रहा है। प्रदेश के सबसे अनुभवी नेता से प्रार्थना है कि आप किसी के खिलाफ कोई भी जांच करवाएं हम  नागरिकों को कोई आपत्ति नहीं है।  पर कृपया इंस्पेक्टर ही न बन जाएं। आप  हमारे मुख्यमंत्री हैं और हमें आपसे और भी आशाएं हैं ।

लेखक:
Aashish Nadda (PhD Research Scholar)
Center for Energy Studies
Indian Institute of Technology Delhi
E-mail  aksharmanith@gmail.com

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