पालमपुर में सड़क पर नाचने लगी नशे में धुत्त स्कूल टीचर

कांगड़ा।।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में एक अजीब मामला सामने आया है। पालमपुर के राजपुर चौक में एक महिला टीचर सरेआम डांस करने लगी। कभी वह चिल्लाती तो कभी सड़क पर लेटर गाना गाने लगती। पता चला कि महिला नशे में धुत्त है। लोगों ने पुलिस को बुलाया, तब जाकर हुड़दंग शांत हुआ।
पुलिस का कहना है कि एक स्थानीय स्कूल में काम करने वाली महिला टीचर ने शराब पी ली थी। वह अपनी कार पर दो बच्चों को लेकर राजपुर चौक पहुंची थी। यहां पर उसने हुड़दंग मचाना शुरू कर दिया। लोगों ने उसे समझाने की कोशिश की, मगर वह मानी नहीं।
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साथ ही मौजूद बच्चे भी कहते रहे कि ममी घर चलो, मगर महिला ने उनकी भी नहीं सुनी। कभी वह नाचती तो कभी सड़क पर लेटकर गाना गाती। बताया जा रहा है कि कार में ड्राइवर भी मौजूद था, मगर वह नहीं उतरा।
आखिरकार लोगों ने पुलिस को बुलाया। पुलिस को भी महिला को काबू करने में गश आ गए। आखिर में उसे पकड़कर मेडिकल कराया गया, जिसमें नशे में होने की पुष्टि हो गई। ‘अमर उजाला’ के मुताबिक पुलिस का कहना है कि महिला के खिलाफ शांति भंग करने का मामला दर्ज कर लिया है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया था मगर अब जमानत पर रिहा कर दिया गया है।

हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई बंदरों की गिनती

शिमला।।

हिमाचल प्रदेश में बंदरों की गिनती की जा रही है। आज यानी 1 जुलाई से यह काम शुरू हो गया है। मंडी, पावंटा साहिब, कांगड़ा, हमीरपुर जैसे क्षेत्रों में इन्होंने लोगो की नाक में दम करके रखा हुआ है। बंदरों की तादाद के लिहाज से हिमाचल को बेहद समृद्ध राज्य माना जाता है। राज्य का वन विभाग इस काम को अंजाम दे रहा है।

राज्य में बंदर अलग-अलग जगहों पर पाए जाते हैं।जैसे जंगलों,शहरों, गांवों, मदिरों, सड़कों के इर्द-गिर्द। बंदरों की जनगणना को अंजाम देने के लिए तमिलनाडु के कुछ विशेषज्ञ भी आए हैं।

2004 में भी हुई थी बंदरों की जनगणना। तब इनकी संख्या सवा तीन लाख से कुछ कम पाई गई थी। हालांकि 2013 की जनगणना में इनकी तादाद घटी। तब ये सवा दो लाख से कुछ ज्यादा थे राज्य में।

जानकारी के अनुसार, वन विभाग जनगणना के काम में महिला मंडलों और पंचायतों से भी सहयोग ले रहा है। बंदरों से पीड़ित दरअसल हिमाचल प्रदेश को देश के बंदरों से सबसे ज्यादा पीड़ित राज्यों में माना जाता है। सरकार की कोशिश है कि इनकी संख्या को घटाने में सबका सहयोग मिल जाए। इस बीच, सरकार ने बंदरों की नसबंदी के काम को भी तेज कर दिया है।

प्रियंका वाड्रा की शिमला डील की जानकारी रोकना गलत: सूचना आयोग

 
 
शिमला।।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका वाड्रा के शिमला में बन रहे घर और जमीन के बारे में सूचना देने से बच रही हिमाचल प्रदेश सरकार बैकफुट पर आ गई है। प्रदेश के सूचना आयोग ने सरकार को 10 दिन के अंदर प्रियंका द्वारा खरीदी गई जमीन की जानकारी देने के लिए कहा है।
पिछले साल हिमाचल प्रदेश के आरटीआई ऐक्टिविस्ट देबाशीष भट्टाचार्य ने सूचना हासिल की थी कि प्रियंका ने हिमाचल में दो जगह जमीन खरीदी है। मगर इस जमीन के बारे में जानकारी देने से सरकार द्वारा इनकार  कर दिया गया था।  
इस साल की शुरुआत में 43 साल की वाड्रा ने राज्य सरकार को अपने वकील के माध्यम से कहा था कि उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है, ऐसे में जमीन के बारे में जानकारी न दी जाए।
अब सूचना आयोग के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में जानकारी को शेयर किया जाना चाहिए। मगर आरटीआई आवेदनों को देखने वाले अधिकारियों ने इस निर्देश को व्यवहार में नहीं लाया। आयोग ने पूछा है, ‘इस बारे में बताया जाए कि सूचना आयोग के निर्देशों की उपेक्षा के लिए उन अधिकारियों को दंडित क्यों नहीं किया गया।’ 

स्टेट इन्फर्मेशन कमिशन ने सोमवार को कहा कि आरटीआई के अंतर्गत डीटेल्स के मुताबिक उन्होंने प्रदेश में दो जगह जमीन खरीदी थी। एक 2007 में और एक 2012 में। इसमें कुल भुगतान की भी जानकारी है। 
 
प्रियंका गांधी के पिता राजीव गांधी और उनकी दादी इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी, इसीलिए प्रियंका को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की सुरक्षा मिली हुई है। इसी सुरक्षा का हवाला देते हुए प्रियंका ने जानकारी देने से इनकार कर दिया था।

 

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक आरटीआई ऐक्टिविस्ट भट्टाचार्य ने कहा, ‘हिमाचल प्रदेश छोटा राज्य है। वीवीआईपी यहां लगातार जमीन खरीद रहे हैं और दुरुपयोग कर रहे हैं। इसीलिए आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी गई।’

क्यों खुदकुशी के लिए बदनाम हुआ कंदरौर पुल, कैसे रुकेगा सिलसिला?

  • विवेक अविनाशी
मंडी के एक निजी कॉलेज में पढ़ रही कुल्लू जिले के आनी से ताल्लुक रखने वाली छात्रा दीक्षा ने पिछले सप्ताह बिलासपुर के कंदरौर पुल से सतलुज में कूदकर आत्महत्या कर ली। एशिया के सबसे ऊंचे पुल से हुई खुदकुशी की इस घटना ने एक बार फिर कंदरौर पुल को सुर्खियों में ला खड़ा किया है।
इस आत्महत्या का विडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया था। वास्तव में इस पुल से कूदकर आत्महत्या करने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। एक अपुष्ट समाचार के अनुसार बिलासपुर के कंदरौर पुल पर और अली खड्ड के पुल पर एक मास में लगभग 6 से ज्यादा आत्महत्याएं होती हैं। लोग इसी पुल से क्यों आत्महत्या करना चाहते हैं, यह विचारणीय प्रश्न है। इससे पूर्व कि इस प्रश्न पर विचार करें, इस पुल के इतिहास और बनावट के विषय में विचार करना भी आवश्यक है।
(सोशल मीडिया पर वायरल खुदकुशी का विडियो, अपनी जिम्मेदारी पर देखें)
कंदरौर के इस ऐतिहासिक पुल का निर्माण कार्य साल 1959 में प्रारंभ हुआ था और 1965 में यह बनकर तैयार हो गया था। गैमन इंडिया कंपनी द्वारा तैयार किया  गया यह पुल एशिया का सबसे ऊंचा पुल है। इसकी लंबाई 280 मीटर और चौड़ाई 7 मीटर है। इसकी ऊंचाई 80 मीटर है। छठे दशक के पूर्वार्ध में बना यह पुल जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर है और प्रदेश के ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा, चंबा और मंडी जिले के कुछ इलाकों को राजधानी शिमला से जोड़ता है।
इस पुल के निर्माण में सबसे बड़ी त्रुटि यह रह गई है कि इसके दोनों तरफ ऊंची रेलिंग नहीं है और इस कारण आत्महत्या करने वाले निराश लोगों के लिए यह पहली प्राथमिकता वाला स्थल बन गया है। इसी कारण इसे जिले का ‘सूइसाइड ब्रिज’ भी कहा जाता है। इस पुल के किनारों पर लगी रेलिंग इतनी ऊंची नहीं है कि पुल के किनारे तक पहुंचने में कठिनाई हो। प्रदेश सरकार भी इस पुल की रेलिंग को ऊंचा करने की ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दे रही है।
कंदरौर पुल एशिया का सबसे ऊंचा पुल है
आत्महत्या करने वाले हताश लोगों की मानसिकता को लेकर मनोविज्ञानी निरंतर शोध करते रहते हैं। सेन फ्रैंसिस्को का गोल्डन गेट ब्रिज दुनिया का दूसरा ऐसा पुल है, जहां पर आत्महत्या करने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। जून 2012 तक इस पुल से छलांग लगाकर मरने वालों की संख्या 1500 को पार कर गई थी। इस पुल की दरिया से दूरी 250 फीट है। डॉक्टरों का मानना है कि इतनी ऊंचाई से छलांग लगाने वाला 80 मील प्रति घंटे की रफ्तार से पानी से टकराता है। यह टक्कर इतनी भयंकर होती है कि इंसान के विभिन्न अंग कट-फट जाते हैं, जिससे जल्दी मौत हो जाती है।
कंदरौर पुल पर आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या अधिक रही है। नवंबर 2006 में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला के सीनियर डॉक्टर ने सोलन से यहां आकर खुदकुशी की थी। वैसे हिमाचल प्रदेश के आत्महत्या संबंधी आंकड़ों पर जर डालें तो छलांग मारकर खुदकुशी करने के मामले बहुत कम हैं। ज्यादातर कीटनाशक दवाइयां ही आत्महत्या के लिए प्रदेश में इस्तेमाल की जाती हैं।
मनोविज्ञानी सुझाव देते हैं कि आत्महत्या का यह कायर कदम उठाने वालों को वाहन से उतरकर कुछ देर पैदल चलना चाहिए। अगर कंदरौर पुल के दोनों छोरों पर कुछ प्रेरक साइन बोर्ड लगा दिए जाएं तो आत्महत्या करने के इरादे से आने वाला अपना क्षणिक निर्णय बदल सकता है। मेरे विचार से कुछ इस तरह की पंक्तियां भी इस स्थल के लिए उपयुक्त होंगी, “इस पुल से हिमाचल की प्रसिद्ध लोकगायिका गंभरी देवी का गांव सिर्फ 30 किलोमीटर दूर है। उनका प्रसिद्ध लोकगीत है- खाणा-पीणा नंद लेणी गो गंभरिये… खाणा-पीणा नंद लैणी हो…। आइए प्रकृति का आनंद लें, क्योंकि जिंदगी जीने के लिए है।”
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)

वीरभद्र सिंह को जन्मदिन पर जब शांता कुमार का फ़ोन आया तो जानिए क्या हुआ

शिमला।।
23 जून को हिमाचल के मुखयमंत्री वीरभद्र सिंह 81 साल के हो गए , सारा दिन बधाई देने वालों का तांता लगा रहा , प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने भी ट्व्वीटर के माध्यम से वीरभद्र सिंह को बधाई दी।  रोपवे के शिलान्यास के दौरान दोपहर को जब मुख्यमंत्रीं वीरभद्र सिंह पूजा में बैठे थे की सिक्योरिटी आफिसर को पकड़ाए हुए उनके फ़ोन पर वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार का फ़ोन आया शांता कुमार ने बधाई देने के लिए वीरभद्र सिंह को फ़ोन किया था।
सिक्योरिटी आफिसर ने देखा की मंत्रोचारण चल रहा है तो शांता कुमार से थोड़ी देर बाद फ़ोन करने को कहा यह बात पूजा में बैठे वीरभद्र सिंह के कानों में पद गयी।  मुख्यमंत्री ने तत्काल मंत्रोचारण रुकवाया और फ़ोन हाथ में लेकर शांता कुमार से बात की। वें उनकी बधाई स्वीकार की  गौरतलब है की प्रदेश की राजनीति के यह दोनों बुजुर्ग नेता उम्र में भी लगभग बराबर बराबर ही हैं वीरभद्र सिंह शांता कुमार से 3 महीने बड़े हैं।  बाद में पत्रकारों से मुस्कुराते हुए मुख्यमंत्री बोले शांता कुमार और हमारे सबंध  राजनीति से ऊपर है हमारी लड़ाई वैचारिक है परन्तु  रिश्तों में घनिष्ठता उस से बढ़कर है।
फोटो TribuneIndia,com से साभार
पुराने जानकार कहते हैं की शांता कुमार प्रदेश के लिए जो भी पालिसी लाये।  उनकी सरकार जाने के बाद भी वीरभद्र सिंह ने कभी उस से छेड़खानी नहीं की उन्हें  कंटिन्यू रक्खा।  हिमाचल प्रदेश के एक सीनियर प्राशासनिक आफिसर ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया था की नब्बे के दशक में  अधिकार काफी हाउस में यह मंत्र करते थे की शांता कुमार अगर मुख्यमंत्री हों और वीरभद्रा सिंह  मुख्या सचिव तो हिमाचल प्रदेश यूरोप के बराबर तरक्की कर लेता।  शांता कुमार विज़नरी हैं उनके पास प्रदेश हिट की नीत्तियां हैं वहीँ वीरभद्र सिंह एक सख्त  एडमिनिस्ट्रेटर  है वो जानते हैं अधिकारीयों से काम कैसे समय पर लेना है।  

मंडी में IIT कैंपस में ठेकेदार के मजदूरों और लोकल मजदूर यूनियन में मारपीट, 4 की मौत

मंडी।।
शांत राज्य की पहचान रखने वाले हिमाचल प्रदेश में हुई एक घटना ने सबको चौंका दिया है। मंडी के कमांद में बन रहे आईआईटी कैंपस में ठेकेदार द्वारा रखे गए बाहर के मजदूरों और स्थानीय मजदूर यूनियन के बीच झड़प में 4 लोगों की जान चली गई।
बताया जा रहा है कि स्थानीय मजदूर यूनियन इस बात का विरोध कर रही थी कि बाहर के मजदूरों को क्यों रखा गया। कहा जा रहा है कि ठेकेदार के साथ बहस के दौरान अचानक किसी ने गोलियां चला दीं, जो स्थानीय मजदूरों को लग गई। इससे गुस्साए यूनियन के मजदूरों और स्थानीय लोगों ने गुस्से में आकर ठेकेदार के लोगों पर हमला कर दिया।
बताया जा रहा है कि मारपीट के दौरान जान बचाने के लिए भाग रहे ठेकेदार द्वारा रखे पंजाब के मजदूर ऊंचाई से कूद गए। इससे 4 की मौत हो गई, जबकि 5 बुरी तरह से जख्मी हैं। उन्हें मंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि अन्य 2 ने अस्पताल ले जाते वक्त दम तोड़ा।
बाद में लोगों ने आईआईटी कैंपस के बाहर खड़ी गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया। बाद में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात को काबू पाया और सभी घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया। घटना के बाद से मौके पर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए हैं।

बताया जा रहा है कि ठेकेदार ने इन मजदूरों को कुछ दिन पहले हायर किया था और मजदूरों ने पुलिस को भी इस बारे में जानकारी दी थी।

स्थानीय मजदूर यूनियन का कहना है कि वे बाहर के रखे मजदूर नहीं, बल्कि ठेके दार के रखे बाउंसर्स थे। पुलिस ने मामला दर्ज करके छानबीन शुरू कर दी है।

आय से अधिक संपत्ति केस में फंसे वीरभद्र, सीबीआई ने दर्ज की प्रीलिमनेरी इन्क्वायरी

नई दिल्ली।।

हिमाचल प्रदेश के सीएम वीरभद्र सिंह आय से अधिक संपत्ति के मामले में बुरे फंसे हैं। गुरुवार को सीबीआई ने वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में प्रीलिमनेरी इन्क्वायरी (preliminary inquiry) )दर्ज कर ली है। वीरभद्र सिंह पर केंद्र में स्टील मंत्री रहते हुए 6.1 करोड़ रुपये की अतिरिक्त संपत्ति बनाने का आरोप है।


गौरतलब है कि अकेले वीरभद्र सिंह ही नहीं उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, बेटा बिक्रमादित्य सिंह, बेटी अपराजिता भी आरोपी है। सीबीआई ने वीरभद्र सिंह के परिवार के सदस्यों के खिलाफ भी प्रीलिमनेरी इन्क्वायरी (preliminary inquiry) दर्ज की है। इससे पहले भी वीरभद्र सिंह पर करप्शन के आरोप लग चुके हैं।


अभी हाल ही में वीरभद्र सिंह को बहुचर्चित सीडी मामले से हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राहत दी थी। मगर अब एक बार फिर वह मुश्किल में फंस गए हैं।

अविवाहित हिमाचलियों के लिए यह मेट्रिमोनियल साइट लेकर आई है कई तरह के ऑफर

“हिमाचली रिश्ता” नामक मेट्रिमोनियल वेबसाइट जल्द ही उन 100 भाग्यशाली लोगों के नाम जारी करने जा रही है जिन्हे फ्री मेम्बरशिप के लिए चुना गया है साथ ही आज 15 जून से यह पेड मेम्बरशिप शुरू कर रहे हैं । लुभावने ऑफर के तहत यह लोग हर रोज रजिस्टर करने वाले 5 भाग्यशाली मेंबर्स को निशुल्क Paid मेम्बरशिप दे रहे हैं। जिसका रिजल्ट यह अपने फेसबुक पेज www.facebook.com/himachalirishta पर पब्लिश करेंगे।
गौरतलब है की इस वेबसाइट को हिमाचल प्रदेश से सबंधित लोगो के लिए ही बनाया गया है ,विशेष तोर पर जो हिमाचल से बाहर रह रहे है , और जिन्हे रिश्ता ढूंढने में काफी मुश्किल होती है।

गौरतलब है की इस वेबसाइट को हिमाचल प्रदेश से सबंधित लोगो के लिए ही बनाया गया है ,विशेष तोर पर जो हिमाचल से बाहर रह रहे है , और जिन्हे रिश्ता ढूंढने में काफी मुश्किल होती है।

इस शख्स ने लिया हिमाचली जवानों की शहादत का ‘बदला’: जानिए कौन हैं अजीत सिंह डोभाल

शिमला।।

देश के लिए कुर्बान हुए जवानों में से हिमाचल प्रदेश के भी सात जवान थे इनकी शहादत ने हिमाचल प्रदेश मको गर्व के साथ साथ ग़मगीन भी किया।  वतन के लिए मिटने वाले ये वीर वापिस तो नहीं आ सकते परन्तु इनकी शहादत का बदला भारतीय सेना ने ले लिया।  मणिपुर से म्यांमार बॉर्डर में घुसकर भारतीय सेना ने उन सब आतंकवादियों का खात्मा कर दिया जो मणिपुर हमले के जिम्मेदार थे।  इस गुप्त ऑपरेशन में सबसे सक्रिय भूमिका निभायी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत सिंह डोभाल ने।  आएये जानिये कौन हैं ये अजीत सिंह डोभाल।

फोटो abplive.in से साभार

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का मुख्य कार्यकारी होता है और उसका मुख्य काम प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सलाह देना होता है। डोवाल केंद्र सरकार में सबसे ताकतवर अफसर माने जाते हैं। वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार बनने से पहले आईबी के चीफ रह चुके हैं। उन्होंने पंजाब से लेकर नॉर्थ ईस्ट तक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अहम योगदान दिया है। वह पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी भी माने जाते हैं। उन्होंने मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद से लड़ाई लड़ने में अहम भूमिका निभाई।

31 जनवरी 2005 में खूफिया ब्यूरो प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त डोवाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूलत: उत्तराखंड के पौड़ी गड़वाल से हैं। उनके पिता भारतीय सेना में थे और उन्होंने अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की है। साथ ही आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनोमिक्स में मास्टर डिग्री ली है।ऑपरेशन की प्‍लानिंग उग्रवादियों के हमले के अगले दिन, यानी पांच जून से ही होने लगी। इसी वजह से एनएसए डोभाल ने छह जून को प्रधानमंत्री के साथ बांग्‍लादेश जाने का कार्यक्रम टाल दिया। वह बीते कुछ दिन से मणिपुर में ही थे। यहां वे इंटेलिजेंस से मिले इन्पुट्स पर नजर रख रहे थे।

13 घंटे का ऑपरेशन
फूलप्रूफ प्‍लानिंग के बाद सोमवार देर रात ही सेना के हेलिकॉप्टर्स ने पैरा कमांडोज को म्यांमार के सीमा के अंदर एयरड्रॉप किया। मंगलवार तड़के 3 बजे उनका ऑपरेशन शुरू हो गया। हालांकि, भारतीय राजदूत इसके बारे में म्यांमार के विदेश मंत्रालय में उस वक्त बता पाए, जब मंगलवार सुबह तयशुदा वक्त पर उनके दफ्तर खुले।कमांडोज ने 13 घंटे के ऑपरेशन में दोषी उग्रवादियों को ठिकाने लगा दिया। इस ऑपरेशन में इंडियन एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर और ड्रोन्स ने स्पेशल कमांडोज की मदद की। कमांडोज म्यांमार के सात किमी अंदर तक घुस गए। इंटेलिजेंस के इन्पुट्स के आधार पर कमांडोज नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खापलांग) के कैंपों तक चुपचाप पहुंचे। कमांडोज को इन उग्रवादियों के कैंपों तक पहुंचने के लिए सैकड़ों मीटर तक रेंग कर जाना पड़ा। तकनीकी एक्सपर्ट्स ने कन्फर्म किया कि आतंकी इन्हीं कैंपों में हैं। ड्रोन्स के जरिए उन पर कई घंटों से नजर रखी गई थी। इसके बाद, कमांडोज ने जो किया, उसकी आधिकारिक जानकारी सेना ने मंगलवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दी।

29 साल पहले पूर्वोत्तर में डोवाल के तजुर्बे का आर्मी को मिला फायदा
नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल ने पीएम के साथ बांग्लादेश दौरा ऐन वक्त पर रद्द कर दिया था। डोभाल मणिपुर में इंटेलिजेंस इनपुट्स पर नजर रख रहे थे। डोभाल जब आईबी में थे, तब उन्हें 1986 में पूर्वोत्तर में उग्रवादियों के खिलाफ खुफिया अभियान चलाने का अनुभव है। उनका अंडरकवर ऑपरेशन इतना जबर्दस्त था कि लालडेंगा उग्रवादी समूह के 7 में से 6 कमांडरों को उन्होंने भारत के पक्ष में कर लिया था। बाकी उग्रवादियों को भी मजबूर होकर भारत के साथ शांति समझौता करना पड़ा था। 1968 की केरल बैच के आईपीएस अफसर अजीत डोभाल 6 साल पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट रहे हैं। वे पाकिस्तान में बोली जाने वाली उर्दू सहित कई देशों की भाषाएं जानते हैं। एनएसए बनने के बाद वे सभी खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों से दिन में 10 बार से ज्यादा बात करते हैं।

खालिस्तानी आतंकियों पर कार्रवाई में भी डोवाल ने ही दिए थे इनपुट
ऑपरेशन ब्लूस्टार के 4 साल बाद 1988 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक और अभियान ऑपरेशन ब्लैक थंडर को अंजाम दिया गया। मंदिर के अंदर दोबारा कुछ आतंकी छिप गए थे। डोवाल वहां रिक्शा चालक बनकर पहुंचे थे। कई दिनों तक आतंकियों ने उन पर नजर रखी और एक दिन बुला लिया। बताया जाता है कि डोवाल ने आतंकियों को भरोसा दिलाया कि वे आईएसआई एजेंट हैं और मदद के लिए आए हैं। डोवाल एक दिन स्वर्ण मंदिर के पहुंचे और आतंकियों की संख्या, उनके पास मौजूद हथियार और बाकी चीजों का मुआयना किया। उन्होंने बाद में पंजाब पुलिस को बाकायदा नक्शा बनाकर दिया। दो दिन बाद ऑपरेशन शुरू हुआ और आतंकियों को बाहर किया गया। इस ऑपरेशन में डोवाल की भूमिका के चलते उन्हें देश के दूसरे बड़े वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से नवाजा गया। 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान को जब अगवा कर कंधार ले जाया गया था तब यात्रियों की रिहाई की कोशिशों के पीछे डोवाल का ही दिमाग था।

शहीदों के परिजनों को HRTC बसों में फ्री यात्रा की सुविधा देने पर विचार: बाली

शिमला।।
हिमाचल प्रदेश के परिवहन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री जी.एस. बाली ने कहा है कि वह मणिपुर में शहीद हुए जवानों के परिजनों के लिए विशेष सुविधा देने का पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वह शहीदों के नजदीकी परिजनों को HRTC की बसों में मुफ्त यात्रा करने की सुविधा देने के हिमायती हैं।
अपने ऑफिशल फेसबुक पेज पर बाली ने लिखा है, ‘हिमाचल प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री होने के नाते मैंने यह विचार किया है कि मणिपुर में देश के लिए कुर्बान हुए हिमाचल प्रदेश के अमर शहीद सैनिकों की पत्नियों को आजीवन एवं उनके बच्चों को 21 वर्ष की उम्र तक तथा जो जवान अविवाहित ही इस राह चले गए, उनके माता-पिता के लिए आजीवन फ्री यात्रा का प्रावधान हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में रहे।’
हिमाचल प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री होने के नाते मैंने यह विचार किया है कि मणिपुर में देश के लिए कुर्बान हुए हिम…
बाली ने लिखा है कि निगम की अगली मीटिंग में इस प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। जानकारों का कहना है कि मंत्री के इस विचार पर मुहर लगना लगभग तय है, क्योंकि संबंधित विभाग के मंत्री को इस तरह के फैसले लेने का पूरा अधिकार होता है। निगम के अधिकारियों के साथ चर्चा करके नियम व शर्तें तय करके इस महीने के आखिर तक विधिवत रूप से इस कदम की घोषणा की जा सकती हैा।
गौरतलब है कि जी.एस. बाली ने हाल ही में फेसबुक पर ऑफिशल पेज के जरिए मौजूदगी बनाई है। बेहद कम वक्त में उनके पेज के लाइक्स की संख्या 10 हजार के करीब पहुंच गई है और रोज करीब 1000 से ज्यादा लोग इससे जुड़ रहे हैं।
परिवहन मंत्री जी.एस. बाली
काफी तेज-तर्रार माने जाने वाले बाली पहले भी तुरंत लिए जाने वाले कड़े फैसलों की वजह से चर्चा में रहे हैं। रोडवेज की बसों पर परिवहन मंत्री का फोन नंबर लिखने की परंपरा भी उन्हीं ने शुरू करवाई थी। इसके अलावा कई बार जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर अन्य विभागों के मंत्रियों और यहां तक कि मुख्यमंत्री वीरभद्र से भी उनका मन-मुटाव हो चुका है।
इस बीच फेसबुक पर लोगों ने बाली के इस प्रस्ताव का स्वागत किए हुए मांग की है कि मणिपुर में शहीद होने वाले जवानों के अलावा अन्य मोर्चों पर शहीद सेना, पैरामिलिट्री और पुलिस आदि के जवानों की पत्नी या बच्चों को भी इसी तरह की सुविधा मिलनी चाहिए।