मंडी।। वनरक्षक होशियार सिंह की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में पुलिस ने जिन 5 लोगों को पकड़ा है, उनमें बीओ तेजराम वर्मा, हेतराम और घनश्याम को लकड़ी तस्कर बताया जा रहा है। इस मामले में हिंदी अखबार दैनिक जागरण ने रिपोर्ट छापी है जिसमें कहा गया है कि हेतराम नाम का शख्स कांग्रेस से संबंध रखता है और उसने हाल ही में लकड़ी के कारोबार को लेकर वन विभाग से लाइसेंस लिया था। वहीं इस रिपोर्ट में बीओ तेजराम वर्मा को भाजपा का खासमखास बताया गया है।
अखबार कहता है कि बीओ तेजराम अधिकतर समय करसोग वन मंडल में तैनात रहा है और वनरक्षक यूनियन की करसोग इकाई का प्रधान रह चुका है। यही नहीं, साल 2009 में यूनियन का प्रधान रहते हुए उसने करसोग वनमंडल में कार्यरत डीएफओ पीसी वर्मा की अन्य पदाधिकारिों के साथ मिलकर कार्यालय में धुनाई कर दी थी। करसोग कोर्ट से सभी आरोपी बरी हो गए थे मगर एक महिला कर्मी को अदालत उठने तक सजा सुनाई गई थी।
इसके बाद सरकार ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और कोर्ट ने सभी आरोपियों को सजा सुनाई थी। फिर आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में इस सजा को चैलंज किया था और वहीं से वे जमानत पर हैं। इस मामले में अभी फैसला नहीं आया है। अखबार दावा करता है कि लकड़ी तस्करी से तेजराम ने लाखों रुपये की संपत्ति जुटाई है। आगे लिखा गया है, ‘तेजराम भले ही भाजपा की विचारधारा से संबंध रखता है लेकिन उसके हेतराम व घनश्याम के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। इन्हीं संबंधों का फायदा उठा भाजपा व कांग्रेस के कार्यकाल में उनका तस्करी का धंधा बेरोकटोक चलता रहा।’
मंडी।। संदिग्ध हालात में मृत पाए गए वनरक्षक को न्याय दिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है। मंडी शहर में मंगलवार को भारी भीड़ उमड़ी जो होशियार को न्याय दिलाने और मामले की उच्चस्तरीय जांच करने की मांग कर रही थी। हाथों में पोस्टर और बैनर लेकर निकले लोगों ने नारेबाजी भी की। भीड़ ‘होशियार सिंह तेरे हत्यारों को सूली पर चढ़वाएंगे, दादी तेरे पोते को न्याय हम दिलाएंगे, आत्महत्या नहीं ये हत्या है, हत्या है- हत्या है, होशियार सिंह अमर रहे, होशियार सिंह को शहीद का दर्जा दो’ जैसे नारे लगा रहे थे।
यह प्रदर्शन करीब 4 घंटों तक चला। इसमें वनकर्मी भी शामिल रहे जिन्होंने डीसी मंडी के ऑफिस के बाहर धरना-प्रदर्शऩ किया है। वे मामले की जांच के लिए एसआईटी के गठन और सीआईडी से जांच करवाने की मांग कर रहे थे। इसमें न सिर्फ वनकर्मी संघ बल्कि आम लोग भी शामिल थे। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने एसपी मंडी से भी मुलाकात की।
वनकर्मियों के साथ जनता भी शामिल हुई प्रदर्शन में
इससे पहले उग्र भीड़ दो घंटों तक डीसी ऑफिस के बाहर नारेबाजी करती रही। मांग की जा रही थी डीसी बाहर आकर बात करें। जब वह बाहर नहीं आए तो भीड़ में खासा गुस्सा देखऩे को मिला। इस बीच वन रक्षकों के साथ प्रदर्शन में जनता भी देखने को मिली जिनमें महिलाएं, बच्चे और बूढ़े शामिल थे। इस बीच होशियार सिंह की मौत के पांच दिन बाद हरकत में आते हुए सरकार ने एपीसीसीएफ हरि सिंह डोगरा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति गठित की। इसकी जानकारी वनमंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी।
मंडी।। सोमवार को फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीम ने सेरी कतांडा बीट की जांच की। टीम को इस इलाके में भारी अवैध कटान के साफ सबूत मिले हैं। देवदार के पेड़ों के 68 ताजा ठूंठ मिले हैं। यही नहीं, सड़क के पास छिपाए गए करीब 2 दर्जन स्लीपर भी बरामद किए गए। ये स्लीपर देवदार के है। एसपीएफ लायकराम ने जां के दौरान इस बीट में 68 ठूंठ और 25 स्लीपर बरामद होने की बात कही है।
गौरतलब है कि मृत पाए गए वनरक्षक होशियार सिंह की डायरी में अवैध कटान की बात थी और अब यह सही साबित होती दिख रही है। ऐसे में इतने बड़े स्तर पर कटान हुआ और बीट के अधिकारियों को पता ही नहीं चला, यह भी सवालों के घेरे में है। हिंदी अखबार अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक गार्ड की डायरी में जिक्र था कि उसने कटान की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी थी। यही नहीं, इस मामले में पुलिस की गिरफ्त में आए लोगों में से एक के घर पर बिजली से चलने वाला आरा भी मिला है। लोटरानाला के पास भी कुछ ठूंठ मिले हैं। इसमें अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। वन विभाग पेड़ों की डैमेज रिपोर्ट बनाने के बाद मामले को पुलिस को सौंपने की तैयारी में है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक गार्ड की मौत के मामले में पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपियों से भी अवैध कटान का संबंध मिलता दिख रहा है। पुलिस ने मामले के आरोपी हेत रमा के घर से बिजली से चलने वाला आरा पकड़ा है। अखबार के मुताबिक होशियार की डायरी में इस आरे का जिक्र किया गया था।
इन हिमाचल डेस्क।। मंडी में वन रक्षक की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में हिमाचल प्रदेश के वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने कहा है इस मामले में सरकार इंसाफ दिलाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि वन रक्षकों को जल्द ही हथियार दिए जाएंगे और इस मामले में गृह विभाग से परमिशन मिल गई है। ये सब बातें उन्होंने ‘पंजाब केसरी’ को दिए इंटरव्यू में कही।
पंजाब केसरी टीवी से बात करते हुए भरमौरी ने वन रक्षक की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि सरकार पीड़ित परिवार को हरसंभव मदद दे रही है मगर पहले मौत का कारण साफ होना जरूरी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में कोई वन माफिया नहीं है और अगर कुछ ऐसे एलिटमेंट्स हैं तो उनपर भी शिकंजा पहले भी कसा जाता रहा है और आगे भी कसा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ तत्वों पर नकेल कसी है और इसी वजह से विपक्षी नेता बौखलाकर अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं।
(पंजाब केसरी टीवी को दिया गया इंटरव्यू)
भरमौरी ने कहा कि फील्ड स्टाफ को हथियार देने के मामले में गृह विभाग से परमिशन मिल गई है और गृह सचिव ने इस बारे में पत्र लिख दिया है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना वैसे तो रखना पुलिस विभाग का काम है, लेकिन गुंड़ों को रोकने के लिए हथियार तो होने ही चाहिए। ऐसे में कर्मचारियों को हथियार दे दिए जाएंगे।
मंडी।। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले सुंदरनगर में पड़सल गैहरा में एक पुल बनने के 1 दिन के बाद ही क्षतिग्रस्त हो गया। गौरतलब है कि इस पुल का निर्माण डेढ़ करोड़ की लागत से हो रहा है। मगर निर्माण के अगले दिन ही इसका बैठ जाना ढेरों सवाल खड़े कर रहा है। ग्रामीणों में नाराजदी देखी जा रही है क्योंकि उनका कहना है कि पहले ही ठेकेदार के खिलाफ शिकायत की गई थी।
सुंदरनगर से कपाही वाया पड़सल सड़क के लिए बन रहे 45 मीटर लंबे और 42 मीटर ऊंचे पुल के निर्माण में ठेकेदार पर पहले ही मनमानी के आरोप लगे थे। लोगों ने जांच की मांद की थी। जांच के लिए संबंधित अधिकारी कार्रवाई के लिए आनाकानी करते रहे। किसन प्रदर्शन भी कर चुके हैं। स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि घटिया सामग्री के प्रयोग से पुराने श्मशान पर बनाया गया पुल एक दिन में ही क्षतिग्रस्त हो गया।
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस निर्माण के लिए खुदाई करके मलबे को खेतों और घासनियों में डंप किया गया था जिससे पौधों और कूहल को भी नुकसान पहुंचा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि विभाग मामले को रफा-दफा करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि लो.नि.वि. मंडल सुंदरनगर के अधिशासी अभियंता वी.के. गुलेरिया का कहना है कि घटनास्थल का दौरा करके पुल की जांच की गई है। उन्होंने कहा कि स्लैब डालते वक्त सब सही था लेकिन दोपहर बाद पुल का एक भाग बैठ गया है। उन्होंने कहा कि जांच के लिए एक्सपर्ट्स की टीम बुलाई गई है।
मंडी।। वन रक्षक होशियार सिंह की मौत का मामला अब हत्या से आत्महत्या में बदल गया है। हिंदी अखबार ‘अमर उजाला’ के मुताबिक पहली नजर में इसे हत्या का मामला बताने वाली हिमाचल प्रदेश पुलिस ने दावा किया है कि होशियार सिंह जहर खाने के बाद पेड़ से उल्टा लटक गया। (खबर पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें)
खबर में लिखा गया है, ‘होशियार सिंह की डायरी में लिखे नोट और पोस्टमॉर्टम में कीटनाशक के अंश मिलने का बेतुका तर्क देते हुए इस केस को पुलिस ने अब सुसाइड केस में बदल दिया है।’ अखबार का यह भी कहना है कि पुलिस की इस थ्योरी पर कई सवाल उठ चुके हैं और परिजन भी इसपर यकीन करने को तैयार नहीं हैं।
इस बीच इस केस में पुलिस ने बीओ समेत गिरफ्तार पांचों आरोपियों को के खिलाफ गार्ड को आत्महत्या के लिए उकसाने का केस बना दिया है। अखबार के मुताबिक जंगल में पेड़ से लाश लटकने के सवा पर पुलिस के पास अभी तक कोई जवाब नहीं है। अखबार ने प्रश्न भी उठाया है कि अगर होशियार ने जहर खाकर आत्महत्या की है तो उसकी लाश पेड़ पर 15 से 20 फुट की ऊंचाई पर कैसे लटकी थी।
चंबा।। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में खजियार को मिनी स्टिवजरलैंड कहा जाता है। मगर इन दिनों यह वन्य प्राणी अभयारण्य ओपन रेस्तरां बना हुआ है। ‘पंजाब केसरी’ की रिपोर्ट के मुताबिक इस मैदान में मौजूद होटेल और रेस्ट्रॉन्ट अपने फायदे के लिए इसे इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक यहां आने वाले पर्यटक इस बात को देखकर हैरान हो जाते हैं कि आखिरी ये होटल और रेस्तरां वाले कैसे इस अवैध काम को वन्य प्राणी विभाग के रहते अंजाम दे रहे हैं।
अखबार ने चिंता जताई है कि इस वन्य प्राणी संरक्षण अभयारण्य मैदान को होटल और रेस्ट्रॉन्ट मालिकों ने अपने फायदे के लिए पूरी तरह से प्रयोग कर रखा है लेकिन विभाग खामोश है। साथ ही एक और बात बताई गई है कि जब वन मंत्री या कोई बड़ा अधिकारी खजियार आता है तो उस रोज ऐसा कुछ नजारा देखने को नहीं मिलता है मगर उनके जाते ही फिर से ऐसे ही हालात बन जाते हैं। अखबार ने लिखा है कि वन मंत्री के गृह जिले में वन्य प्राणी अभयारण्य संरक्षण स्थल में इससे जुड़े कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं लेकिन विभाग और प्रशासन मूकदर्शक बने हुए हैं।
खजियार में मैदान पर चल रहा ओपन रेस्तरां (Image: Punjab Kesari)
बताया गया है कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में खजियार मैदान में मौजूद निजी भूमि पर हुए निर्माण और अवैध कब्जे को हटाने का मामला को पेंडिंग है और कुछ लोगों ने स्टे लिया है। मगर मैदान के जिस भाग को होटल वाले इस्तेमाल कर रहे हैं, वह संरक्षित स्थल है यानी वहां इस तरह की कोई गतिविधि नहीं हो सकती। अखबार लिखता है कि यह कानून यूं तो बेहद सख्त है लेकिन खजियार में जिस प्रकार से मनमानी हो रही है उसे देखकर ऐसा नहीं लगता है कि वास्तव में ऐसा कोई कानून मौजूद है भी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें
इन हिमाचल डेस्क।। गार्ड की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में भले ही अब तक हिमाचल प्रदेश के वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी का मीडिया में एक बयान नहीं छपा है मगर उनपर सवाल उठाने के लिए In Himachal को लीगल नोटिस भेजा गया है। इस लेख में इन हिमाचल पर आरोप लगाया गया है कि In Himachal के नाम से हम फेसबुक और वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया पर न्यूज आइटम्स पेश कर रहे हैं। आगे कहा कहा गया है मंडी में गार्ड की मौत के मामले में एक न्यूज आइटम छापी गई है जिसमें लिखा गया है कि मंत्री को कला एवं संस्कृति मंत्रालय मिलना चाहिए था क्योंकि वह कार्यक्रमों में नाचते और गाते नजर आते हैं। वकील ने कहा है कि यह भाषा मेरे क्लाइंट की छवि का अपमान करती है और उनकी मानहानि करती है। साथ ही इससे उनकी राजनीतिक और सार्वजनिक पहचान को क्षति पहुंची है।
आगे लिखा गया है कि आप अपने पेज पर निजी पहचान जाहिर नहीं करते, जो कि अपराध है और इसीलिए मेल पर मेसेज भेजा जा रहा है। आगे कहा गया है कि आप इस न्यूज को डिलीट करके बिना शर्त माफी मांगें और ऐसा न करने पर मेरे क्लाइंट (वन मंत्री) आपके खिलाफ पुलिस विभाग के साइबर सेल में शिकायत दर्ज करेंगे और बिना पहचान के बताए झूठी और अपमानजक बातें लिखने पर आपके खिलाफ मुकदमा किया जाएगा।
इसमें लिखा है-
‘गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी हैं। वही मंत्री, जो आए दिन कार्यक्रमों में शिरकत करते दिखते हैं और उनमें गाने गाते और नाचते नजर आते हैं। नाचने-गाने में कोई बुराई नहीं मगर उन्हें समझना चाहिए कि वह कला एवं संस्कृति मंत्री नहीं, बल्कि वन मंत्री हैं। दरअसल उन्होंने बातों के अलावा विभाग में पॉलिस ऐंड प्लानिंग के मामले क्या अभूतपूर्व किया है, अब तक नजर नहीं आया।’
1. सबसे पहली बात यह है कि उस आर्टिकल में कोई भी अपमानजनक बात नहीं की गई है बल्कि सामान्य दृष्टि से सवाल उठाया है कि वन मंत्री ने वादा किया था कि वनरक्षकों को हथियार दिए जाएंगे मगर 1 साल हो जाने पर भी कुछ किया नहीं गया। साथ ही हमने आर्टिकल में न तो किसी को गाली दी है और न ही अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया है। बल्कि प्रश्न उठाया गया है कि अगर वक्त पर वन विभाग वन माफिया के खिलाफ सचेत होता और मंत्रालय इस मामले में गंभीर होता तो ऐसा नौबत नहीं आती। आज जंगलों में हालात क्या हैं, सबको मालूम हैं। ऐसे में यह सिर्फ सांकेतिक बात थी कि अगर व अपने मौजूदा मंत्रालय में रुचि नहीं ले रहे तो क्या उनकी रुचि आर्ट ऐंड कल्चर में है? क्योंकि वह कई कार्यक्रमों मे नाचते भी रहे हैं।
क्या इस लीगल नोटिस के जरिए यह कहने की कोशिश की जा रही है कि कला एवं संस्कृति मिलना अपमानजक बात है या मंच पर नाचना या गाना अपमानजनक बात है? या फिर नोटिस इसलिए भेजा गया है कि इन हिमाचल ने अपनी मर्जी से ही लिख दिया कि मंत्री कार्यक्रमों में नाचते और गाते हैं? उनके वीडियो पब्लिकली उपलब्ध हैं और यह बात भी पब्लिक डोमेन में है कि वह गायक हैं। इस भाषा में कहां से क्लाइंट का अपमान हो गया? क्या हमने कोई उनके ऊपर कोई गलत हरकत करने का आरोप लगा दिया है? या क्या किसी को अब लोकतंत्र में यह अधिकार भी नहीं रहा कि वह सरकार और मंत्रियों की आलोचना कर सके?
आगे लिखा गया है कि In Himachal वॉट्सऐप पर सोशल मीडिया पर अपनी मर्जी से खबरें चलाता है। हम स्पष्ट कर दें कि inhimachal.in हमारा पोर्टल है और facebook.com/inhimachal इसका फेसबुक पेज है। साथ ही इससे twiteer.com/in_himachal और instagram.com/inhimachal लिंक्ड हैं। इसके अलावा न तो हम वॉट्सऐप पर कोई ग्रुप चलाते हैं और किसी को खबरें भेजते हैं। In Himachal हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा मंच है जहां पर प्रदेश के लोगों को विभिन्न स्रोतों से एकत्रित जानकारियां दी जाती हैं और विभिन्न लेखकों के लेख प्रकाशित किए जाते हैं जो In Himachal से संबंधित होते हैं। और In Himachal को संवैधानिक अधिकार (सेक्शन 19 A) प्राप्त है कि वह अपनी बात रखे। यह आर्टिकल कहता है- “Everyone has the right to freedom of opinion and expression, this right includes freedom to hold opinions without interference and to seek, receive and impart information and ideas through any media and regardless of frontiers.
रही बात ‘इन हिमाचल’ के पते और पहचान की, हम कोई गैर-कानूनी काम नहीं करते कि पहचान छिपा रहे हैं। In Himachal चूंकि राजनीति और समाज के विभिन्न क्षेत्रों पर विभिन्न लेखकों के लेख प्रकाशित करता है, इसलिए धमकाए जाने और बेवजह परेशान किए जाने या फिर विज्ञापन या पेड न्यूज की सिफारिशें आदि आने से बचने के लिए ही वेबसाइट पर पता नहीं डाला गया है। हम कानून का सम्मान करते हैं और कभी भी कानून का साथ देने के लिए तैयार हैं। इस मामले में भी पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
मंडी।। जंगल में संदिग्ध हालात में मृत पाए गए वन रक्षक होशियार के मामले में जांच आगे बढ़कर वन विभाग के अधिकारियों तक पहुंच गई है। मामले में फंसा बीट ऑफिसर 24 घंटों तक पुलिस हिरासत में रहने के बाद सस्पेंड हो गया है। वन विभाग ने अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डीएफओ और रेंज ऑफिसर समेत अन्य स्टाफ जांच के घेरे में आ गया है। इस बीच रविवार को बीट ऑफिसर समेत पांचों आरोपियों को जेएमआईसी कोर्ट करसोग में पेश किया गया जहां से उन्हें 3 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। गौरतलब है कि होशियार सिंह की डायरी में लिखे गए नामों के आधार पर शनिवार देर शाम इन पांचों को पुलिस ने हिरासत में लिया था।
पुलिस रिमांड मिलने के बाद अब उम्मीद जगी है कि मामला खुल सकता है और इसमें शामिल अन्य चेहरे भी सामने आ सकते हैं। हिंदी अखबार अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने आरोपियों के कॉल डीटेल्स, बैंक स्टेटमेंट्स और संपत्ति की जांच शुरू कर दी है। होशियार की डायरी को भी पुलिस ने सील करके जांच के लिए फरेंसिक लैब में भेजा है। साथ ही पुलिस यह भी पता लगा रही है कि होशियार पर जहर छिड़का गया था या फिर उसे निगला था। बिसरा जांच के बाद इसका साफ पता चल पाएगा।
बताया जा रहा है कि यह भी जांच होगी कि बीओ ने वन रक्षक को कैसे प्रताडि़त किया और इस मामले में कौन-कौन लोग शामिल थे। यह भी देखा जा रहा है कि हिस्ट्रीशीटर भी इसमें शामिल तो नहीं हैं। यह जांच भी की जा रही है कि अवैध कटान पर कोई डैमेज रिपोर्ट बनाई गई है या नहीं। इसके लिए सहायक अरण्यपाल लायकराम हरनोट की अगुवाई में संबंधित बीट में वन विभाग की टीम को भेजा गया है। विभाग का कहना है कि अगर इस बीट में कोई वन कटान पाया गया तो वन काटने वालों पर तुरंत कार्रवाई होगी। टीम से तीन दिन में रिपोर्ट तलब की है।
इस बीच अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने होशियार सिंह की हत्या को आत्महत्या का रंग देने का आरोप लगाया है। महासंघ ने सरकार से पुलिस और वन विभाग की कार्यशैली पर निशाना साधते हुए पारदर्शी जांच की मांग की है। ऐसा न करने पर सड़क पर उतरने की चेतावनी दी है।
एस.आर. हरनोट।। राजा वीरभद्र सिंह प्रदेश के ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने छठवीं बार 2012 के अंत में प्रदेश का नेतृत्व संभाला था। वे कई बार लोकसभा के लिए चुने गए और केंद्र में मंत्री रहे। उनकी लोकप्रियता इसी से आंकी जा सकती है। वे हिमाचल के लोगों के दिलों में बसते रहे हैं और शायद ही कोई ऐसा विकास या लोगों का काम हो जो उन्होंने न किया हो। उनके दरबार में जब भी कोई गरीब या जरूरतमंद गया वह खाली हाथ नहीं लौटा और कई बार तो उनके हालात देखकर उनकी आंखे आंसू तक बहाती रही है। लेकिन इस बार उनकी आंखों के आंसू और अपने कर्मचारियों के लिए वह प्रेम पता नहीं कहाँ चला गया ?
प्रदेश सरकार ने 1995 में कुछ बचे हुए कॉर्पोरेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए पेंशन स्कीम लागू की लेकिन कुछ असंवेदनशील अफसरों के दवाब में उसे 2003 में रद्द कर दिया गया। मजे की बात थी कि इस दौरान रिटायर हुए कर्मचारियों और अफसरों ने उसे कोर्ट से ले लिया जबकि बाकी बेचारे मुंह ताकते रह गए। वे कोर्ट में गए और हिमाचल हाई कोर्ट से जीत गए लेकिन उन्हीं अफसरों की वजह से सरकार ने करोड़ों रुपये अपील में खर्च करके सुप्रीम कोर्ट से इसी साल उसे रिजेक्ट करवा दिया हालांकि उसमें बात प्रदेश सरकार पर डाली गई कि यदि वो चाहे तो पैंशन लागू कर सकती है। लेकिन बार बार उनसे गुहार लगाने के बाद भी राजा साहब की आंखें नम नही हुई है।
मुख्यमंत्री जी हिमाचल पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन भी हैं। देश की सबसे बड़ी निगम होते हुए रिटायर कर्मचारियों को कोई भी सुविधा नहीं है जबकि अनेक वर्गों को बाहर होटलों में 25 से 50 प्रतिशत तक जलपान, परिवहन इत्यादि में छूट है। निगम के जो कर्मचारी रिटायर हुए हैं उनमें सबसे बदतर स्थिति तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की है। एक उदाहरण अपने गांव का दे रहा हूं। नीचे दिया एक चित्र श्री राम लाल माली का है जिसने तकरीबन 40 साल बतौर माली विभिन्न निगम के होटलों में दी है। न जाने कितनी क्यारियां आज भी तरह तरह के फूलों से सजी उनके हाथ की हैं। जो थोड़ा सा धन मिला उससे बेटियों का विवाह और छोटा सा घर बना जो अभी भी पूरा न हो सका। अब रामलाल माली मनरेगा में ध्याडी लगा कर गुजारा करते हैं। परंतु पंचायत में अब तो मनरेगा भी बंद हो गया और वह बेचारा बेकार हो गया। अब थोड़े से धन के लिए स्थानीय मंदिर की बहार से सेवा करता है।
मंदिर के बाहर सेवा करके थोड़ा-बहुत पैसा मिल रहा है
यह इसी माली की बात नहीं है, न जाने कितने ऐसे कर्मचारी बेचारे रोजी के लिए तरस रहे हैं। अपने चेहतों को तो अफसरों ने रिटायरमेंट के बाद दोबारा नौकरी तक दे दी है।
हिमाचल में जब सभी विभागों और अधिकतर निगमों व बोर्डो में पेंशन हैं तो थोड़े से रह गए कर्मचारियों के प्रति, पता नहीं राजा साहब की आंखों में क्यों आंसू नहीं आते, क्यों इस छोटी सी बची रह गयी सुविधा न देने के लिए राजा साहब के मन में प्यार नहीं उमड़ता। क्यों दो तीन अफसर इतने असंवेदनशील हो गए हैं कि उनको अपने इन असहाय कर्मचारियों का दर्द महसूस नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट ने गेंद प्रदेश सरकार के पाले में डाल दी है, मुख्यमंत्री उनसे नाराज अपने ही कर्मचारियों को पेंशन सुविधा दे सकते हैं। हम “आंसुओं” से भी गुहार लगाते हैं कि वे इस अंतिम चुनाव के साल में राजा साहब की आंखों में चले आएं, बरसे ताकि उनका दिल स्वतन्त्र रूप से निर्णय ले सके। हमारे दो अति कुशल अफसरों को भी भगवान सद्बुद्धि दे कि इस मामले में असहयोगी कलम चलाते हुए उनकी आंखें भी नम हो जाये। सभी के सहयोग की अपील करते हुए।
(लेखक एस.आर. हरनोट हिमाचल प्रदेश से हैं और जाने-माने साहित्यकार हैं। उपन्यास और कहानियां लिखते हैं और विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। देश-दुनिया और प्रदेश के मुद्दों पर भी बराबर कलम चलाते हैं। उनसे harnot1955@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)
DISCLAIMER: ये लेखक के अपने विचार है, इनके लिए वह खुद उत्तरदायी हैं। In Himachal इनसे सहमत या असहमत होने का दावा नहीं करता।