हिमाचल सरकार के मंत्री पर लग चुका है वन माफिया को बचाने का आरोप

ऊना।। वनरक्षक होशियार सिंह की निर्मम हत्या से पूरा प्रदेश हिला हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि यह वन माफिया की करतूत है। यह पहला मामला नहीं है जब वनों को बचाने की जिम्मेदारी निभा रहे कर्मचारियों को माफिया ने इस तरह से निशाना बनाया है। अब तक कई मामले सामने आ चुके हैं। सिरमौर में महिला फॉरेस्ट गार्ड से मारपीट का मामला हो, कर्मचारियों पर गोलीबारी का मामला हो या ऊना में पथराव करके मोबाइल छीनने का मामला हो। प्रदेश में हर जगह वन माफिया निरंकुश हो चुका है। ऐसा भी नहीं है कि लकड़ी की तस्करी कोई जेब में रखकर कर रहा हो कि किसी को पता ही न चले। ट्रकों के ट्रक जाते हैं मगर सब मूकदर्शक बने रहते हैं। आरोप लगते हैं कि वन माफिया को राजनीतिक शह मिली हुई है। इसके कई उदाहरण भी देखने को मिले हैं।

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पिछले साल एक मामला चर्चा में रहा। फरवरी 2016 में जिला ऊना के हरोली में एक घटना घटी थी, जहां के विधायक मुकेश अग्निहोत्री मौजूदा कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। यहां के गोंदपुर जयचंद गांव में वन विभाग की टीम पर माफिया ने जानलेवा हमला कर दिया था। हमले में वन खंड अधिकारी समेत तीन कर्मचारी घायल हो गए थे।  माफिया के दुस्साहस का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने रेंज अधिकारी और चालक का मोबाइल फोन तक छीन लिया। यही नहीं, पत्थरों से गाड़ियों के शीशे भी तोड़ दिए गए। हालांकि पुलिस भी वन विभाग की टीम के साथ थी, लेकिन हमले के दौरान वहां से भाग गई (स्रोत)।

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टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर गोंदपुर गांव में छापेमारी की थी। इस दौरान विभाग की टीम को चारों तरफ से घेर लिया गया था। हमले में घायल डेप्युटी रेंजर पवन कुमार ने बताया था कि सूचना मिली थी कि हरोली क्षेत्र के गोंदपुर जयचंद गांव के बेलिया में अवैध कटान हो रहा है। सूचना मिलते ही टीम मौके पर पहुंच गई। साथ ही इसकी खबर रेंज अधिकारी को भी दी गई। जब अधिकारियों ने लकड़ी काटने में संलिप्त लोगों से पूछताछ की तो उन्होंने पत्थरों से टीम पर हमला कर दिया। साथ ही गाड़ी भी तोड़ दी। रेंज अफसर ने बताया था कि हमलावर तेजधार हथियारों से लैस थे। उन्होंने कहा कि हमलावरों की संख्या 100 के आसपास थी(स्रोत)। हमलवावरों में पुरुषों के साथ महिलाएं और बच्चे भी थे

वन माफिया गोंदपुर जयचंद में बड़े पैमाने पर लकड़ी का कटान करने के बाद इसे ट्रक में लोड कर पंजाब में तस्करी के लिए ले जाने की फिराक में था, लेकिन अचानक वन विभाग की टीम को मौके पर पाकर आपा खो बैठा तथा जांच टीम पर हमला कर दिया। हमले के बाद वन माफिया लकड़ी से भरा ट्रक भगाकर ले जाने में कामयाब हो गया। हालांकि वन विभाग की टीम ने मौके से करीब सात से आठ ट्राली आम व शीशम की लकड़ी बरामद करने में सफलता प्राप्त की थी। पुलिस ने मामले में एक अभियुक्त मुश्ताक पुत्र गामा निवासी नंगल कलां हरोली को गिरफ्तार करके ट्रक (एचपी-72, 2577) को कब्जे में ले लिया था।

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गौरतलब है कि इस मामले में बीजेपी ने उद्योग मंत्री और स्थानीय विधायक मुकेश अग्निहोत्री पर माफिया को संरक्षण देने और आरोपियों को बचाने के आरोप लगाए थे और आरोपों का सिलसिला आज भी जारी है (स्रोत)। दरअसल मौके पर पकड़े गए आरोपी और कुछ अन्य के खिलाफ भले मामला चल रहा हो मगर हमला करने वाली भीड़ में शामिल लोग बच गए। आरोप लगे कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर जंगल कट रहे थे और वन विभाग की टीम पर हमला कर दिया गया और बड़े स्तर पर कार्रवाई ही नहीं हुई? विपक्ष और मीडिया तक में सवाल उठ चुके हैं कि वह कैसा विधायक या मंत्री हुआ जिसे पता ही नहीं कि उसके इलाके में क्या हो रहा है।

जब तक सबूत न हों, मंत्रियों और विधायकों के ऐसे मामलों में शामिल रहने के आरोप हवा-हवाई ही कहे जाएंगे और उनके सत्ता में रहते इन आरोपों की निष्पक्ष जांच होना और सच सामने आना संभव नहीं। मगर इतना तो तय है कि कहीं पर वन माफिया इतने बड़े लेवल पर सक्रिय हो और स्थानीय नेता की नाक के नीचे उसके गृहक्षेत्र में ऐसा हो रहा हो और उसे कुछ मालूम ही न हो, दिखाता है कि वह नेता कितना लापरवाह और उदासीन है। यह तो एक घटना है, पूरे प्रदेश में इस तरह के कई मामले सामने आते रहते हैं जहां वन माफिया अपनी राजनीतिक पहुंच के दम पर खुलेआम पेड़ों को कत्ल करने में जुटा हुआ है।

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